सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

सरकार! ये ठीक नहीं

24 फरवरी 2019
मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद भूपेश बघेल 18 घंटे काम कर रहे हैं। अर्ली मॉर्निंग से लेकर रात दो बजे तक। लगातार दौरे भी। वे ऐसे सीएम हैं, जो दौरे से लौटने के बाद सीएम हाउस नहीं जाते। सरकारी मीटिंगों में मंत्रालय पहुंच जाते हैं या फिर पब्लिक कार्यक्रमों में। लोग भी मानने लगे हैं कि सीएम बनने के पहले कांग्रेस में उनके समकक्ष जरूर कई नेता रहे होंगे। लेकिन, अभी तो एक से दस तक वे ही वे हैं। अलबत्ता, एक मोर्चे पर सरकार जरूर पीट रही है, वह है ट्रांसफर-पोस्टिंग। राज्य में इससे अनिश्चितता की स्थिति बन रही है। हाल के दिनों में कई बार ऐसा हुआ कि आदेश निकला और फिर निरस्त हो गया। महिला आईपीएस को राजधानी रायपुर का एसपी बनाया गया और डेढ़ महीने में उनकी रवानगी डल गई। आईके ऐलेसेला महीने भर में नारायणपुर से वापिस हो गए। आईएएस प्रसन्ना का आर्डर 20 दिन तक अटका रहा। सबसे विचित्र आदेश पीएचक्यू में गिरधारी नायक का निकला। हैरानी यह है कि डिप्टी कलेक्टर लेवल के अफसरों के ट्रांसफर आर्डर बदल जा रहे हैं। वो भी तब जब भूपेश बघेल जैसे कड़क फैसला लेने वाले मुख्यमंत्री हों। बहरहाल, इसके मैसेज अच्छे नहीं जा रहे। सीएम को इसे पर्सनली देखना चाहिए। क्योंकि, एक ओर वे दिन-रात राज्य के लिए काम कर रहे हैं, दूसरी ओर उनके अधिकारी पोस्टिंग में गडबड़ कर हास्यपद स्थिति निर्मित कर दे रहे हैं।

एक और प्रमुख सचिव

सेंट्रल डेपुटेशन पर दिल्ली गए आईएएस मनोज पिंगुआ छत्तीसगढ़ लौट रहे हैं। भारत सरकार ने पांच साल पूरे होने से महीना भर पहिले उन्हें मूल कैडर में लौटने की इजाजत दे दी है। 25 फरवरी को वे भारत सरकार से रिलीव होंगे। एवं 27 फरवरी को छत्तीसगढ़ में ज्वाइनिंग देंगे। 2004 बैच के आईएएस मनोज प्रिंसिपल सिकरेट्री स्तर के अफसर हैं। पिछले साल राज्य सरकार ने उन्हें प्रिंसिपल सिकरेट्री का प्रोफार्मा प्रमोशन दिया था। वे वहां केंद्रीय सूचना प्रसारण विभाग में ज्वाइंट सिकरेट्री थे। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नई सरकार बनने के बाद जीएडी ने अफसरों की कमी का हवाला देते हुए भारत सरकार को पत्र लिख कर मनोज को यथाशीघ्र रिलीव करने का आग्रह किया था। सरकार ने चूकि उन्हें बुलाने के लिए पत्र लिखा था, ऐसे में जाहिर है, उन्हें विभाग भी बढ़ियां मिलेगा। बहरहाल, मनोज के रूप में सरकार को एक बढ़ियां अफसर मिलेगा….उनकी साफ-सुथरी छबि के आईएएस में गिनती होती है।

ऋचा होंगी रिलीव

मनोज पिंगुआ के लौटने पर सरकार प्रिंसिपल सिकरेट्री फूड ऋचा शर्मा को डेपुटेशन के लिए रिलीव कर देगी। ऋचा को यूनियन एनवायरमेंट मिनिस्ट्री में ज्वाइंट सिकरेट्री बनाया गया है। उन्हें संकेत मिले थे कि 15 फरवरी तक उन्हें रिलीव कर दिया जाएगा। सब जगह यह कम्यूनिकेट भी हो गया….लेकिन, बजट सत्र के चलते ऐसा हो नहीं पाया।

इतिहास दोहराया

आईपीएस आरएन दास को बलौदा बाजार का एसपी बनाने के लिए वहां के एसपी आरिफ शेख को अप्रिय तरह से जगदलपुर भेज दिया गया था। उस समय आरिफ को चार्ज लिए डेढ़ महीना ही हुआ था। अब पारुल माथुर को जांजगीर में एडजस्ट करने के लिए दास को डेढ़ महीने में पीएचक्यू वापस बुला लिया गया।

180 डिग्री टर्न

2005 बैच के आईपीएस अमरेश मिश्रा को हटाकर 2010 बैच की नीतू कमल को एसपी बनाया गया था। अब फिर 2005 बैच के आरिफ शेख को राजधानी की कप्तान सौंप दी गई है। यानी, लौटकर फिर 2005 बैच।

अमन की टीआरपी

पिछले सरकार में ताकतवर रहे अमन सिंह की टीआरपी एसआइटी गठन के बाद और बढ़ गई है। पिछले हफ्ते दिल्ली में मुकेश गुप्ता के साथ एक होटल में बैठे उनकी फोटो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुई। तो कल बीजेपी के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री सौदान सिंह के यहाँ पारिवारिक शादी में रमन सिंह और अमन सिंह की एक पान ठेले में पान खाती फोटो सोशल मीडिया में शेयर हो रही हैं।

अधिकतम 28 फरवरी

विधानसभा का बजट सत्र वैसे तो 8 मार्च तक निर्धारित है, लेकिन बिजनेस को देखते लगता है, अब तीन-से-चार दिन में सिमट जाएगा। सीएम को मिलाकर चार मंत्रियों के विभागों पर चर्चा बाकी है। यह दो दिन का विषय है। तीसरे दिन यानी 27 फरवरी को विनियोग विधयेक पर चर्चा होगी। सरकार के अगर कुछ जरूरी विधयेक हुआ, तो 28 को सत्र चलेगा। वैसे, दो दिन व्यवधान हो गया वरना, और पहले भी सत्रावसान हो गया होता।

ताकतवर ईओडब्लू

मुकेश गुप्ता के दौर में भी ईओडब्लू इतना ताकतवर नहीं रहा, जैसा अभी हो गया है। मुकेश से भी एक बैच सीनियर बीके सिंह इसके डीजी बन गए हैं। एडीजी बनने जा रहे एसआरपी कल्लूरी तो हैं ही, दीपक झा और आईके ऐलेसेला सरीखे दो डायरेक्टर आईपीएस ईओडब्लू में मोर्चा संभाले हुए हैं। जबकि, राज्य बनने के बाद ऐसा कभी नहीं हुआ। ईओडब्लू में डीआईजी, आईजी पोस्ट हुए। आनंद तिवारी डीआईजी पोस्ट हुए थे, वहीं वे प्रमोशन पाकर आईजी बनें। डीएम अवस्थी, संजय पिल्ले, मुकेश गुप्ता आईजी के रूप में ईओडब्लू में पोस्ट हुए थे और वहीं एडीजी प्रमोट हुए। कुल मिलाकर आईजी या एडीजी लेवल का ही ये पोस्ट है। पता नहीं, एसआरपी कल्लूरी वहां कैसा फील कर रहे हैं।

हवा में डीएम

डीएम अवस्थी को यूपीएससी से कंफार्मेशन नहीं आने की वजह से सरकार ने चालू डीजीपी का प्रभार सौंपा था। अलबत्ता, उनका मूल विभाग एसआईबी रहा। इसके साथ ईओडब्लू और एसीबी का चार्ज भी। लेकिन, इसी हफ्ते हुए फेरबदल में ईओडब्लू और एसीबी का जिम्मा सरकार ने डेपुटेशन से 16 साल बाद छत्तीसगढ़ लौटे डीजी बीके सिंह को दे दिया। और…, एसआईबी गिरधारी नायक को। यानि, डीएम के पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई। आखिर, उनकी मूल पोस्टिंग एसआईबी थी। जो उनके पास रही नहीं। यूपीएससी ने भी सीएम के आग्रह पर डीजीपी के कंफार्मेशन के लिए दो डेट दिया था। पहला, तीन जनवरी को। उस दिन चीफ सिकरेट्री बदल गए। लिहाजा, वे नहीं जा पाए। दूसरा, 24 जनवरी था। उस दिन बजट पर मंत्रियों से चर्चा के कारण सीएस दिल्ली नहीं जा सकें। सीएस के दो बार गोल मार देने के कारण यूपीएससी ने भी अब चुप्पी साध ली है। ऐसे में, कानपुर के इस ब्राम्हण आईपीएस पर क्या बीत रही होगी, वे ही इस दर्द को समझ सकते हैं।

सोरी होंगे रिटायर

आईपीएस एसएस सोरी इस महीने 28 फरवरी को रिटायर हो जाएंगे। वे फिलहाल, डीआईजी इंटेलिजेंस हैं। सोरी को रिटायर होने पर सरकार को इंटेलिजेंस में एक डीआईजी की पोस्टिंग करनी होगी। हालांकि, आईपीएस के प्रमोशन के बाद सरकार के पास डीआईजी की कमी नहीं रहेगी। 2004 बैच के दो आईपीएस पहले ही डीआईजी प्रमोट हो चुके हैं। 2005 बैच के चार और आईपीएस को प्रमोशन मिलने वाला है। पिछले साल भी 2004 बैच के 11 आईपीएस एकमुश्त डीआईजी बनें थे।

अंत में दो सवाल आपसे

1. आईपीएस के 9 अफसरों की डीपीसी के बाद भी प्रमोशन का आदेश क्यों नहीं निकल पा रहा?
2. क्या आईपीएस गिरधारी नायक चार महीने के लिए उसी एसआईबी में फिर से ज्वाईन करके कंफर्ट होंगे, जिसमें वे आईजी, एडीजी के रूप में पहले तीन बार रह चुके हैं?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें