सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

पावर की तलाश

17 फरवरी 2019
सीएम भूपेश बघेल को शपथ लिए आज दो महीने पूरे हो गए। 60 दिन में लोग अभी तक पावर सेंटर की खोज पूरी नहीं कर पाए हैं। जैक-एप्रोच, पोस्टिंग, सप्लाई, ठेका वाले काम सरकार में कहां से होंगे, उस पावर न नाम पता चल पा रहा और न ही उसका कोई पता-ठिकाना। एक शीर्ष अफसर की कुर्सी डगमगाती दिखी तो उन्होंने सीएम के एक बेहद करीबी से फोन कर मिलना चाहा। उन्हें दो टूक जवाब मिला….अगर पोस्टिंग के लिए मिलना है तो ना ही मिलिए….कोई फायदा नहीं होगा। हाल ही में कुछ अफसरों पर कार्रवाई हुई। उनमें से एक के लिए सीएम से पुराने संबंध रखने वालों ने सिफारिश की। लेकिन, नतीजा सिफर निकला। कहने का मतलब यह है कि सीएम के दरबार में अभी कोई जैक-एप्रोच नहीं चल पा रहा। खासकर पोस्टिंग और कार्रवाइयों में तो बिल्कुल नहीं। कोई अगर सरकार में पैठ रखकर काम कराने का दावा करता है, तो आप उसके झांसे में मत आइयेगा। हो सकता है, आपको नुकसान उठाना पड़ जाए।

नो डेपुटेशन

प्रिंसिपल सिकरेट्री ऋचा शर्मा को सरकार ने डेपुटेशन के लिए अभी रिलीव नहीं किया है। 15 फरवरी को उन्हें रिलीव करने के संकेत मिले थे। लेकिन, विधानसभा में उनके विभाग के बजट पर चर्चा के बाद ही अब शायद यहां से वे कार्यमुक्त हो पाएंगी। वैसे, ऋचा के बाद किसी आईएएस को कुछ दिन तक शायद ही प्रतिनियुक्ति पर जाने का मौका मिले। वो इसलिए, क्योंकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पिछले दिनों दिल्ली में पोस्टेड अधिकारियों से मिले थे। उन्होंने राज्य में अफसरों की कमी का हवाला देते हुए उनसे कहा था कि जो लोग वापस लौटना चाहते हैं, लौट सकते हैं। ऐसे में, अब प्रतिनियुक्ति के लिए सरकार शायद ही एनओसी दें। हालांकि, जुलाई तक चार आईएएस छत्तीसगढ़ लौट आएंगे। मनोज पिंगुआ तो इसी महीने आने वाले हैं। उनके बाद लंबी छुट्टी पर गईं शहला निगार भी दो-एक महीने में आने वाली हैं। मनिंदर कौर द्विवेदी जून में आएंगी। इसके बाद जुलाई में सोनमणि बोरा एजुकेशल लीव से वापिस आ जाएंगे।

गेहूं के साथ….

सरकार ने आईपीएस अफसरों की डीपीसी कर दी लेकिन, उनकी फाइल मंत्रालय में अटक गई हैं। बताते हैं, किसी एडीजी के पारफारमेंस पर सरकार को शंका है। इसलिए, आदेश नहीं निकल रहा। आईजी से एडिशनल डीजी बनने वालों में जीपी सिंह, हिमांशु गुप्ता और एसआरपी कल्लूरी शामिल हैं। इसमें गड़बड़ ये हो गया है कि डीआईजी, आईजी और एडीजी, तीनों के प्रमोशन की एक ही फाइल बन गई है। इनमें चार डीआईजी, तीन एडीजी और दो आईजी के प्रमोशन हैं। अगर अलग-अलग फाइल बनी होती तो एडीजी को छोड़कर डीआईजी, आईजी का आदेश सरकार निकाल देती। एडीजी के चक्कर में अब डीआईजी और आईजी भी कसमसा रहे हैं….चीफ सिकरेट्री साब, आखिर हमारा क्या कुसूर।

ट्रांसफर पर ब्रेक

निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव से पहले राज्य सरकारों को 20 फरवरी तक ट्रांसफर करने का निर्देश दिया था। इसमें अब सिर्फ चार दिन बच गए हैं। लेकिन, राज्य में बनी नई सरकार आईएएस, आईपीएस को छोड़ दें तो कोई ट्रांसफर नहीं कर पाई है। आईएफएस में तो अभी चालू भी नहीं हुआ है….एक डीएफओ तक चेंज नहीं हो पाए हैं। वहीं, एडिशनल कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, एडिशनल एसपी, डीएसपी समेत सैकड़ों ऐसे पद हैं, जो सीधे निर्वाचन से ताल्लुकात रखते हैं। और, इनमें बहुतों का तीन साल से अधिक हो भी गया है। याद होगा, बीजेपी सरकार ने अक्टूबर में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने से पहिले थोक में ट्रांसफर किया था। अब उन्हीं अफसरों से कांग्रेस सरकार को लोकसभा चुनाव कराना होगा। क्योंकि, 20 के बाद ट्रांसफर पर ब्रेक लग जाएगा।

टी सीरिज बंद होंगे

पिछले 15 साल तक सिंह या ठाकुर प्रभावशाली सरनेम माना जाता था। इस बिरादरी के लोग कई उच्च पदों पर रहे। लेकिन, सब दिन बराबर नहीं होते। सिंह सरनेम वाले अफसर से लेकर नेता, सप्लायर, ठेकेदार तक सफाई दे रहे….पिछली सरकार ने तो हमारा कुछ नहीं किया। जाहिर है, नई सरकार की भी भृकुटी इन पर चढ़ी हुई है। सरकार में बैठे एक बड़े नेता की वर्डिंग थी….टी सीरिज को बंद कर देना है। मगर, इससे पहिले सरकार को ध्यान रखना होगा कि सिंह सरनेम लिखने वाले सभी ठाकुर नहीं हैं। कुछ दूसरे केटेगरी के अफसरों के सरनेम भी सिंह हैं। लिहाजा, टी सीरिज को बंद करने के चक्कर में कहीं दूसरा कोई न शिकार हो जाए।

मंत्रीजी के लायक बेटे

रमन सरकार में उत्तर छत्तीसगढ़ के एक मंत्री के बेटे से पूरा विभाग हलाकान रहा। नोटबंदी के बाद मंत्री पुत्तर दस हजार भी उदारतापूर्वक ले लेते थे। भूपेश सरकार में एक मंत्रीजी के बेटों की कुछ इसी तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है। बताते हैं, मंत्रीजी के बेटों ने सुविधा की दृष्टि से विभागों का बंटवारा कर लिया है। ट्रांसफर के रेट तय करने के लिए पता लगाया जा रहा….पिछली सरकार के रेट क्या थे। रेट फिक्स करने के चक्कर में एक अहम विभाग के 17 अफसरों के ट्रांसफर की फाइल मंत्री बंगले में पखवाड़े भर तक रुकी रह गई। बहरहाल, मंत्रीजी को अपने ऐेसे लायक बेटों से सतर्क रहना होगा। वरना, विभाग में चर्चा तो शुरू हो ही गई है….पिछले वाले मंत्री भी फाइल रोकने के नाम से कु-ख्यात थे….ये वाले भी उसी रास्ते पर हैं।

बीके की पोस्टिंग

16 बरस बाद छत्तीसगढ़ लौटे 87 बैच के आईपीएस अफसर बीके सिंह ने आते ही चूक कर दी। उन्होंने पुलिस मुख्यालय में ज्वाईनिंग देने की बजाए गृह मंत्रालय में आमद दे दी। हालांकि, इंडियन पुलिस सर्विस गृह विभाग के अंतर्गत आती है। आईपीएस के पास दोनों आफ्सन होते हैं। वह होम में भी ज्वाईन कर सकता है। लेकिन, अभी तक परिपाटी रही है कि डेपुटेशन से लौटने वाले आईपीएस पीएचक्यू में ही ज्वाईन करते हैं। पीएचक्यू से उसकी सूचना गृह विभाग को भेजी जाती थी। जाहिर है, मुख्यालय के अफसरों को यह नागवार गुजरा….अपना अफसर मंत्रालय में जाकर ज्वाइनिंग दे। अब देखना दिलचस्प होगा कि उनकी पोस्टिंग कब तक हो पाती है। 4 फरवरी को उन्होंने यहां ज्वाईन किया और 16 फरवरी तक उनका आदेश नहीं निकला है। 13 दिन उनके यूं ही निकल गए।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एडीजी प्रमोट होने के बाद आईपीएस हिमांशु गुप्ता पीएचक्यू लौटेंगे या उनके लिए सरगुजा रेंज को ही आईजी से एडीजी अपग्रेड किया जाएगा? 
2. राज्य में अभी पुलिस मुख्यालय का ओहरा बड़ा है या ईओडब्लू का?

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