शनिवार, 7 सितंबर 2019

जीएडी का यूनिक रुल?

8 सितंबर 2019
डेपुटेशन या स्टडी टूर से लौटने वाले नौकरशाहों के लिए लगता है, सामान्य प्रशासन विभाग ने नियम बना दिया है कि शुरू में एकाध महीने लटकाया जाएगा। बीजेपी गवनर्मेंट में भी ऐसा ही होता था। अमित अग्रवाल, अमिताभ जैन को महीना भर से अधिक बिना विभाग का रखा गया। सीके खेतान को भी कई दिन बाद पोस्टिंग मिली थी, वह भी प्रशासन अकादमी में। पीएस टू सीएम गौरव द्विवेदी भी इस पीड़ादायक दौर से गुजर चुके हैं। आज भले ही वे अहम विभाग संभाल रहे हों, मगर दिल्ली से लौटने पर उन्हें भी एक महीने तक आईएएस मेस में पोस्टिंग के लिए बाट जोहना पड़ा था। मुकेश बंसल जरूर इसमें अपवाद रहे। वरना, सोनमणि बोरा को भी पोस्टिंग के लिए पूरे एक महीने वेट करना पड़ा। सोनमणि 8 अगस्त को मंत्रालय में ज्वाईनिंग दी थी और सात सितंबर को उनका आदेश निकला। ग्रेट….।

अमरजीत का कद

भूपेश सरकार के सबसे जूनियर मंत्री अमरजीत भगत धीरे-धीरे बेहद ताकतवर होते जा रहे हैं। सरगुजा इलाके में उनका प्रभाव तो बढ़ ही रहा है, सरकार के भीतर भी उनकी हाइट बढ़ रही है। आलम यह है कि अमरजीत के फोन पर अब दीगर विभागों के अधिकारी सस्पेंड हो जा रहे। 6 सितंबर को चक्रधर समारोह में हिस्सा लेने सरगुजा से रायगढ़ जा रहे मंत्रीजी को सड़क खराब होने से काफी हिचखोले खाने पड़ गए। नाराज होकर मंत्री ने कार में बैठे-बैठे पीडब्लूडी सिकरेट्री को फोन लगा दिया। और, चंद मिनटों में कार्यपालन अभियंता सस्पेंड हो गए। आमतौर पर ऐसा होता नहीं। कोई मंत्री अगर दूसरे विभाग के किसी अफसर के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिकमंड करता है तो नोटशीट घूमने में एक-दो दिन का वक्त लग ही जाता है। लेकिन, मामला अमरजीत का था। सो, अफसरों ने वक्त जाया नहीं किया।

भूपेश का रिकार्ड

अमरजीत भगत ने तो फोन करके दूसरे विभाग के ईई को सस्पेंड कराया। छत्तीसगढ़ बनने के बाद एक बार ऐसा हुआ है कि एक मंत्री ने दीगर विभाग के एक साथ 13 इंजीनियरों को खुद सस्पेंड कर दिया था। वे मंत्री थे, आज के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल। अजीत जोगी सरकार में भूपेश रेवन्यू मिनिस्टर थे। 2002 में विधानसभा में सूखा राहत में घपले को लेकर बड़ा बवाल हुआ था। सिंचाई विभाग के अफसरों ने तब राहत कार्यों में घोटालों के कई नए कीर्तिमान गढ़ डाले थे। राजस्व मंत्री भूपेश बघेल ने इस पर दम दिखाते हुए सदन में ही सिंचाई विभाग के 13 इंजीनियरों को सस्पेंड करने का ऐलान कर दिया था।

कलेक्टरों में निरंकुशता?

छत्तीसगढ़ में कलेक्टरों को पहले जिस तरह योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर ताकीद किया जाता था, उस टाईप का इन दिनों कुछ हो नहीं रहा। सरकार से जुड़े लोग भी मान रहे हैं कि कलेक्टर्स फुल मजे में हैं। न कोई बोलने वाला है, न कोई टोकने वाला। कुछ को छोड़े दें तो ज्यादातर कलेक्टर सिर्फ गोठानों पर काम कर रहे हैं। बाकी कुछ नहीं। सीएम की अपनी सीमा है। कलेक्टरों का डेली मानिटरिंग करना सरकार के मुखिया का काम भी नहीं है। जाहिर है, कलेक्टर जिले में सरकार के प्रतिनिधि होते हैं। वे ही अगर निष्क्रिय हो जाएंगे तो निश्चित तौर पर सरकार के परफारमेंस पर असर पड़ेगा।

अफसर छत्तीसगढ़िया मगर…

छत्तीसगढ़ में पता नहीं ऐसा क्या हुआ है कि माटी पुत्र ही एक-दूसरे को निबटा रहे हैं। इसमें एक नया नाम जुड़ गया है ज्वाइंट कलेक्टर संतोष देवांगन का। बलौदा बाजार के अपर कलेक्टर रहने के दौरान जमीन के एक मामले में एसीबी ने उन्हें गिरफ्तार किया था। बाद में सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। बिलासपुर हाईकोर्ट ने संतोष को बाईज्जत बरी कर दिया है। संतोष ने हाईकोर्ट के फैसले की कॉपी लगाते हुए जीएडी से आग्रह किया कि उन्हें बहाल किया जाए। लेकिन, जीएडी सिकरेट्री ने पांच दिन तक उनके आवेदन को अपने पास रखने के बाद इस नोट के साथ एसीबी को भेज दिया कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद अपील की जा सकती है कि नहीं, वे परीक्षण कर बताएं। एसीबी ने 25 दिन तक आवेदन को अपने पास रखने के बाद महाधिवक्ता को लीगल सलाह के लिए भेजा। महाधिवक्ता कार्यालय ने 20 दिन बाद एसीबी को रिप्लाई किया कि इसमें अपील की संभावना न्यूनतम है। वो भी सुप्रीम कोर्ट में होगी। एसीबी में 15 दिन से यह फाइल पड़ी है। याने 65 दिन यूं ही निकल गए। जबकि, जीएडी सिकरेट्री रीता शांडिल्य छत्तीसगढ़ियां हैं…संभवतः बेमेतरा की। संतोष भी चांपा के बाशिंदा हैं। उनके साथ ही माईनिंग अधिकारी बीएल बंजारे को भी हाईकोर्ट ने बरी किया था। बंजारे को बहाल हुए डेढ़ महीने हो चुके हैं। जीएडी सिकरेट्री अगर चाहतीं तो हाईकार्ट के आदेश के बेस पर संतोष की ज्वाईनिंग करा सकती थीं। लेकिन, उन्होंने एसीबी को भेज दिया। बस, वही माटी पुत्र एक-दूसरे को…..।

ढेर जोगिया, मठ के उजाड़

ट्रांसपोर्ट विभाग में पहली बार तीन आईपीएस, दो आईएएस अफसर एसोसियेट हैं। एसआरपी कल्लूरी वहां एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर हैं। डी रविशंकर ज्वाइंट कमिश्नर। और, अरुणदेव गौतम सिकरेट्री। ये तीनो आईपीएस हैं। मंत्रालय में मनोज पिंगुआ प्रिंसिपल सिकरेट्री और ट्रांसपोर्ट कमिश्नर हैं। विजय धुर्वे ज्वाइंट सिकरेट्री। हालांकि, पहले ऐसा कभी नहीं रहा। राज्य बनने के बाद हमेश एक आईपीएस एडिशनल कमिश्नर होते थे। वो भी जूनियर आईजी लेवल के। और, मंत्रालय में एक आईएएस ट्रांसपोर्ट कमिश्नर। सिकरेट्री होम के पास ही यह चार्ज होता था। लेकिन, जिस तरह ढेर जोगी से मठ उजाड़ हो जाता है, उसी तरह ट्रांसपोर्ट में भी अब मामला गडबड़ा रहा है। सरकार कुछ खुश नहीं है। आने वाले दिनों में कुछ अफसरों के पर कतर दिए जाएं या उन्हें चेंज कर दिया जाए, तो आश्चर्य नहीं।

ऐसे सलाहकार

सीएम के सलाहकार प्रदीप शर्मा के बिलासपुर स्थित घर में चोरों ने धावा बोला। जाहिर है, चोरों को उम्मीद होगी कि सरकार के एडवाइजर हैं तो कुछ अच्छा ही मिलेगा। मगर उनके हाथ कुछ लगा नहीं। चोर निराश होकर लौट गए। सोशल मीडिया में इस पर लोगों ने खूब चुटकी ली। कई लोगों ने लिखा, चोरों ने जल्दीबाजी कर दी। अभी छह, आठ महीने ही तो हुए हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस पुलिस रेंज के आईजी द्वारा तबाही मचा देने से सरकार भी उन्हें पोस्टिंग देकर अफसोस कर रही है?
2. रिटायर आईपीएस गिरधारी नायक की पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग की प्रतीक्षा कब खतम होगी?

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