शनिवार, 30 नवंबर 2024

Chhattisgarh Tarkash 2024: मंत्रियों का बंगला उत्सव

 तरकश, 1 दिसंबर 2024

संजय के. दीक्षित

मंत्रियों का बंगला उत्सव

नया रायपुर में मंत्रियों के सरकारी बंगले में इन दिनों प्रवेश का उत्सव चल रहा है। शक्ति प्रदर्शन जैसा जलसा और तामझाम के साथ मंत्री नए बंगले में प्रवेश कर रहे हैं। हालांकि, मंत्रियों के नए घरों को बंगला कहना थोड़ा कम आंकना होगा। तीन-तीन, चार-चार एकड़ में पसरे कोठियों को देख खुद मंत्री भी स्तब्ध हैं।

किसी मंत्री ने सोचा नहीं होगा कि राजनीति में ऐसा कोठी सुख उन्हें मिलेगा। आखिर, दिल्ली में बड़े केंद्रीय मंत्रियों के भी इतने आलीशान घर नहीं होते। ऐसे में, कई बार मंत्रियों के मुंह से थैंक्स भूपेश जी निकल जाता होगा। भूपेश सरकार ने ही इन बंगलों का निर्माण कराया था। उनकी सरकार में इसका काम कंप्लीट भी हो गया था। मगर भविष्य को कौन जानता है। अजीत जोगी की तरह भूपेश बघेल भी नहीं जानते थे उनकी सरकार दोबारा नहीं लौटेगी। न ही बीजेपी को पता था कि उनकी वापसी हो रही है। अगर ऐसा है तो फिर बंगला उत्सव क्यों? वक्त का क्या भरोसा...अगले चुनाव में कई मंत्री दोबारा इस कोठी में लौटने लायक बचेंगे या नहीं?

मंत्रियों को मुख्यमंत्री से सीखना चाहिए...उन्होंने दो-चार फाइलें कर नए हाउस में प्रवेश कर लिया था। वैसे भी मोदी युग में काम का उत्सव मनाना चाहिए न कि बंगले का...जिसका कोई भरोसा नहीं। एक साल में किसी मंत्री ने कोई अहम काम किया हो, उसका यदि मंत्री जश्न मनाते तो बात कुछ और होती।

छत्तीसगढ़िया चीफ सिकरेट्री

अमिताभ जैन ने छत्तीसगढ़ के चीफ सिकरेट्री के तौर पर चार साल पूरे कर लिए हैं। राज्य बनने के बाद 24 साल में फोर ईयर क्लब में शामिल होने वाले अमिताभ फर्स्ट चीफ सिकरेट्री हैं। उनके पहिले विवेक ढांड 48 दिन से इस क्लब में शामिल होने से चूक गए थे। खास बात यह है कि तीन साल से अधिक चीफ सिकरेट्री रहने वालों में तीन में से छत्तीसगढ़ के दो आईएएस शामिल हैं।

जाहिर है, विवेक और अमिताभ, दोनों माटी पुत्र हैं। मगर इसके बाद युगों युग तक कोई छत्तीसगढ़िया चीफ सिकरेट्री नहीं बनने वाला। अमिताभ के 1989 में आईएएस में सलेक्ट होने के 16 साल बाद 2005 में ओपी चौधरी आईएएस बने थे। ओपी ने 2018 में आईएएस की नौकरी छोड़ दी...वे अब सरकार में मंत्री हैं। उनके बाद के छत्तीसगढ़ियां आईएएस काफी जूनियर हैं।

मसलन, शिखा तिवारी 2007 बैच, किरण कौशल 2009 बैच, रानू साहू 2010 बैच। रीतेश अग्रवाल और विनीत नंदनवार 2012 और 2013 बैच के हैं। मतलब दिल्ली अभी दूर है। चीफ सिकरेट्री से एक पायदान नीचे एसीएस तक पहुंचते-पहुंचते क्या होगा, इसका कोई भरोसा नहीं।

बहरहाल, इसका जिक्र लाजिमी है कि अभी तक छत्तीसगढ़ होम कैडर के तीन आईएएस चीफ सिकरेट्री बने हैं। विवेक ढांड, अजय सिंह और अमिताभ जैन। विवेक को अजय ने रिप्लेस किया था। अजय सिंह 11 महीने सीएस रहे। कांग्रेस सरकार ने उनकी जगह सुनील कुजूर को सीएस बनाया था।

सिर्फ अमित अग्रवाल

अमिताभ जैन के चीफ सिकरेट्री का रिकार्ड सिर्फ अमित अग्रवाल तोड़ सकते हैं। 93 बैच के अमित का जून 2030 में रिटायरमेंट है। अगर वे सीएस बनाए गए तो पूरे पांच साल इस पद पर रहेंगे। हालांकि, अमित अभी यहां हैं नहीं। वे डेपुटेशन पर भारत सरकार में हैं। बहरहाल, इस समय सीएस के एलिजिबल जो आईएएस हैं, उनमें रेणु पिल्ले और सुब्रत साहू 2028 में रिटायर हो जाएंगे। याने इनके पास तीन साल ही बचेगा। ऋचा शर्मा, निधि छिब्बर, विकास शील और मनोज पिंगुआ 1994 बैच के आईएएस हैं। इनमें ऋचा मार्च 2029, निधि और विकास जून 2029 और मनोज अगस्त 2029 में रिटायर होंगे।

निधि, विकास और मनोज चार साल के क्लब में शामिल जरूर हो सकते हैं मगर चार साल सात महीने का रिकार्ड नहीं तोड़ पाएंगे। मनोज अगर जून 25 में सीएस बन गए तो चार साल तीन महीने का कार्यकाल उनका अवश्य हो जाएगा। कुल मिलाकर अमिताभ को अमित अग्रवाल से ही खतरा रहेगा। मगर इंपॉर्टेंट यह भी है कि अमित जैसे टेंपरामेंट के अफसर इतने लंबे समय तक किसी स्टेट के सीएस रह सकते हैं क्या?

निर्वाचन आयुक्त की पोस्टिंग-1

रिटायर आईएएस सुनील कुजूर की सहकारिता निर्वाचन की पारी खतम हो गई है। पिछले महीने अक्टूबर में उम्र 65 साल हो जाने की वजह से वे रिटायर हो गए। सुनील को विष्णुदेव साय सरकार ने लोकसभा चुनाव के बाद एक साल का एक्सटेंशन दिया था। मगर 65 के हो जाने के कारण टाईम से पहले उनका टेन्योर पूरा हो गया।

सुनील को 2019 में गणेश शंकर मिश्रा को हटाकर सहकारिता निर्वाचन आयुक्त बनाया गया था। बता दें, रमन सरकार ने आईएएस से रिटायर होने के बाद गणेश शंकर मिश्रा को इस पद पर बिठाया था। राज्य निर्वाचन आयुक्त की तरह सहकारिता निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल छह साल निर्धारित किया गया। मगर फर्स्ट कमिश्नर गणेश शंकर का हार्ड लक रहा।

निर्वाचन आयुक्त की पोस्टिंग-2

जाहिर है, पिछली सरकार का गणेश शंकर मिश्रा के साथ विशेष अनुराग था। सो, उन्हें हटाने के लिए सरकार ने नियम बदलकर सहकारिता निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल छह साल से घटाकर दो साल कर दिया था। इसके बाद एक-एक साल एक्सटेंशन का प्रावधान किया गया। इसका नुकसान सुनील कुजूर को भी उठाना पड़ा। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता की वजह से उनका एक्सटेंशन दो महीना अटक गया।

बहरहाल, देखना है विष्णुदेव सरकार नियम बदलकर फिर से कार्यकाल बढ़ाती है या फिर वर्तमान व्यवस्था को आगे बढ़ाते हुए पोस्टिंग करेगी। अगर छह साल हो गया तो इस रिटायर आईएएस पुनर्वास केंद्र का क्रेज थोड़ा बढ़ा जाएगा...लोग आना भी चाहेंगे।

सचिवों का बदलेगा प्रभार?

छत्तीसगढ़ में सचिवों की एक ट्रांसफर लिस्ट निकल सकती है। वो इसलिए क्योंकि आईएएस अमित कटारिया केंद्र से लौट चुके हैं। भले ही ज्वाईन करने के बाद वे दिल्ली चले जा रहे मगर उन्हें कोई-न-कोई पोस्टिंग मिलेगी ही। वैसे चर्चा हेल्थ की ज्यादा है। हेल्थ इस समय एसीएस मनोज पिंगुआ के पास है। उनके पास लंबे समय से गृह और जेल भी है।

सरकार अगर गृह और जेल बदलने पर विचार कर रही है। अगर गृह और जेल भी बदला तो हो सकता है कि लिस्ट थोड़ी लंबी हो जाए। याने दोनों हो सकता है...अमित कटारिया का सिंगल आदेश निकल जाए या फिर हेल्थ के साथ ही गृह और जेल बदला तो फिर लिस्ट थोड़ी बड़ी हो जाएगी। रायपुर दक्षिण विधानसभा का उपचुनाव पूरा हो जाने के बाद सीईओ रीना बाबा कंगाले भी अब मंत्रालय लौटेंगी! चुनाव आयोग की अनुमति से पहले भी सीईओ को विभागों की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी जाती रही है। हो सकता है कि उन्हें कोई विभाग मिल जाए।

एसपी की लिस्ट

रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव के पहले से सूबे में कई पुलिस अधीक्षकों के बदले जाने की चर्चाएं बड़ी तेज थी। फिर हुआ...आचार संहिता के बाद होगा। मगर अब खबर है...नगरीय और पंचायत चुनाव के बाद ही बड़े स्तर पर एसपी में बदलाव किया जाएगा। पुलिस अधीक्षकों को मैसेज भी हो गया है कि जो होगा, अब दो महीने बाद ही होगा। इसलिए, एसपी साब लोग अब एकाग्र होकर काम में जुट गए हैं। दरअसल, लोकल और पंचायत चुनाव तक सरकार नहीं चाहती कि सिस्टम में कोई बड़ी उठापटक हो, जिसका असर चुनाव पर पड़े।

कलेक्टर का नायाब अंदाज

एक कलेक्टर ने बढ़ियां तरीका निकाला है। जैसे ही घड़ी का कांटा शाम सात को क्रॉस करता है वे बंगले से फोन लगवाते हैं...बुलाओ फलां अफसर को। कोई अफसर यदि यह बताने फोन लगा दिया कि सर, मैं कहीं आ गया हूं, एकाध घंटा लग जाएगा तो उसमें भी कोई मरौव्वत नहीं...ठीक है तुम नौ बजे आओ, लेकिन आओ। अफसर के पहुंचते ही कलेक्टर की एकतरफा फायरिंग शुरू हो जाती है...तुम्हारी शिकायतें बहुत आ रही है...तुमने इसमें एक करोड़ का गड़बड़ किया है....तो तुमने इतने का। यह क्रम दो-एक बार चलता है। तीसरे बार अफसर लिफाफा लेकर पहुंच जाता है। इसके बाद कलेक्टर का उद्देश्य पूरा और अफसर भी सुरक्षित। अच्छा आइडिया है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. छत्तीसगढ़ की ध्वस्त हो चुकी मशीनरी कब तक लौटेगी पटरी पर?

2. पीएचक्यू ने सिपाहियों को इंटर रेंज ट्रांसफर करते हुए उनके होम डिस्ट्रिक्ट में भेजना प्रारंभ कर दिया है तो फिर अच्छी पोलिसिंग और लॉ एंड आर्डर की बातें क्यों?

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