तरकश, 9 फरवरी 2024
संजय के. दीक्षित
पड़ोसी गांव, दो डीजीपी
छत्तीसगढ़ राज्य के 24 साल में अब तक 12 डीजीपी बने हैं। इनमें छह यूपी से रहे। प्रथम डीजीपी श्रीमोहन शुक्ला, आरएलएस यादव, अशोक दरबारी, एएन उपध्याय, डीएम अवस्थी और अब अरुणदेव गौतम। वैसे यह जानकर आप चौकेंगे कि डीएम अवस्थी और अरुणदेव गौतम अगल-बगल जिले के ही नहीं बल्कि अगल-बगल गांव से हैं। डीएम कानपुर जिले के महौली गांव के रहने वाले हैं। और अरुणदेव फतेहपुर जिले के बॉर्डर गांव अभयपुर के। अभयपुर फतेहपुर जिले में जरूर आता है। मगर बॉर्डर के गांव होने की वजह से महौली और अभयपुर अगल-बगल में है। डीएम और अरुण आईपीएस बनने से पहले से एक-दूसरे को जानते थे। डीएम छत्तीसगढ़ के 10वें डीजीपी बने और अरुणदेव 12वें।
यूपी जीता, बिहार....
छत्तीसगढ़ के डीजीपी के लिए 92 बैच के दो आईपीएस अधिकारी प्रमुख दावेदार थे। पवनदेव और अरुणदेव गौतम। पवन बिहार से हैं और अरुण यूपी से। पवनदेव बैचवाइज सीनियर थे और अरुण उनके बाद। डीजीपी पद के दोनों प्रमुख दावेदार मुख्य पोलिसिंग से पिछले पांच-सात साल से बाहर थे, इसलिए 94 बैच के हिमांशु गुप्ता भी उम्मीद से थे। मगर गंगा किनारे वाले अरुणदेव की कुंडली में गुरू के घर में बुध बैठा है। मौनी अमावस्या से पहले वे प्रयागराज में अमृत स्नान करके आ गए थे। सो, उन्हें इसका लाभ मिल गया।
नए डीजीपी और चुनौतियां
अरुणदेव गौतम अभी प्रभारी डीजीपी हैं। यूपीएससी से पेनल आने के बाद फिर सरकार पूर्णकालिक डीजीपी अपाइंट करेगी। हालांकि, प्रभारी डीजीपी को ही आमतौर पर कंटीन्यू किया जाता है। सरकार ने अरुणदेव को इस पद के लिए चुना है तो इसमें कोई संशय नहीं कि आगे चलकर अपना मन बदल देगी। मगर इससे अरुणदेव की चुनौतियां कम नहीं हो जाती। नक्सल मोर्चे पर उन्हें बड़ा टास्क मिला है। मैदानी इलाकों की पोलिसिंग खतम हो चुकी है। एसपी से लेकर नीचे तक का अमला मनीराम की गिरफ्त में है।
पवनदेव के रिटायरमेंट में अभी चार साल बचे हैं। तो जीपी सिंह की सुपरसोनिक रफ्तार देखकर लोग हैरान हैं। लोगों ने देखा ही...अशोक जुनेजा 4 फरवरी की शाम रिटायर हुए, उससे चंद घंटे पहले जुनेजा की खाली जगह पर जीपी को डीजी बनाने डीपीसी हो गई। अलबत्ता, अरुणदेव का एक बड़ा प्लस है कि उनकी छबि साथ-सुथरी है। मगर सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा। मृतप्राय जैसी हो गई पोलिसिंग में प्राण फूंकने के लिए उन्हें कुछ एक्सट्रा करना होगा।
गुप्त काल से पहले सिंहकाल?
अरुणदेव के डीजीपी बनने पर पुलिस महकमे में लोग खूब मौज काट रहे हैं। आईपीएस के व्हाट्सएप ग्रुपों में मैसेज चल रहा...देव युग के बाद गुप्त काल आएगा या उससे पहले सिंह काल प्रारंभ हो जाएगा। जाहिर है, 94 बैच में हिमांशु गुप्ता और 95 बैच में प्रदीप गुप्ता आगे चलकर डीजीपी के प्रबल दावेदार होंगे। मगर उससे पहले कहीं जीपी सिंह डीजीपी बन गए तो फिर उनका रिटायरमेंट 2030 में है। तब तक कई दावेदार रिटायर हो जाएंगे।
छह साल की एक पोस्टिंग
छत्तीसगढ़ के सबसे सीनियर आईपीएस पवनदेव को पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन में छह साल से ज्यादा वक्त हो गया है। हो सकता है, सरकार ने उनकी वरिष्ठता को ओवरलुक किया है तो उन्हें कोई सम्मानजनक पोस्टिंग दे। डीजी लेवल के प्रदेश में तीन पद हैं। जेल, होमगार्ड और लोक अभियोजक। जेल में इस समय हिमांशु गुप्ता डीजी हैं।
अरुणदेव के पुलिस प्रमुख बनने के बाद होमगार्ड अभी खाली है। वैसे जानकारों का कहना है कि 94 बैच के तीनों आईपीएस अधिकारियों को पीएचक्यू से अलग पोस्टिंग सरकार कर सकती है। क्योंकि, अरुणदेव 92 बैच के हैं, इसलिए पीएचक्यू में दूसरे नंबर के अफसरों तो कम-से-कम तीन-से-चार बैच जूनियर होना चाहिए। वरना, समन्वय गड़बड़ाता है। विश्वरंजन के समय तो आईजी बेस्ड पीएचक्यू हो गया था। सारे एडीजी, डीजी पीएचक्यू से बाहर हो गए थे।
अब मुख्य सचिव
डीजीपी अशोक जुनेजा का युग समाप्त होने के बाद छत्तीसगढ़ में अब नए मुख्य सचिव की चर्चाएं शुरू हो गई है। हालांकि, अमिताभ जैन के रिटायरमेंट में अभी चार महीने से ज्यादा समय बचा है मगर कार्यपालिका के इस सबसे बड़े पद के दावेदारों को लेकर अटकलों का बाजार फिर गर्म हो गया है। अमिताभ जैन के बाद सीनियरिटी में पहले नंबर पर रेणु पिल्ले हैं और उनके बाद सुब्रत साहू। चर्चाओं में आईएएस ऋचा शर्मा और मनोज पिंगुआ का नाम भी है। अब देखना होगा, सरकार किस पर अपना भरोसा व्यक्त करती है। अलबत्ता, लोग तो चुटकी इस पर भी ले रहे कि दिल्ली से कोई पर्ची आ जाए, इससे पहले सरकार को अपना चयन कर लेना चाहिए।
पीसीसीएफ को अभयदान?
डीजीपी के साथ ही पीसीसीएफ श्रीनिवास राव के बदलने की अटकलें भी तेज थी। श्रीनिवास को पिछली सरकार ने सात आईएफएस अफसरों को सुपरशीड कर वन बल प्रमुख बनाया था। इस पर काफी बवाल मचा था। इस पद के दावेदारों की छत्तीसगढ़ में कमी नहीं है...वे हरसंभव प्रयास भी कर रहे हैं। मगर श्रीनिवास राव के औरा के सामने टिक नहीं पा रहे। पता चला है, उन्हें फिर से अभयदान मिल गया है।
बडी सर्जरी
नगरीय निकाय चुनाव के बाद विष्णुदेव साय सरकार सूबे में अहम प्रशासनिक सर्जरी करेगी। धमतरी, दुर्ग समेत आधा दर्जन कलेक्टर बदले जाएंगे। दुर्ग कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी डेपुटेशन पर जा रही हैं। सीजीएमएससी की एमडी को भी चेंज किया जाएगा। पता चला है, सरकार अब ठोक बजाकर पोस्टिंग करेगी।
असल में, उपर की सिफारिशों पर सरकार पोस्टिंगे दे देती है मगर गड़बड़झाला की जिम्मेदारी सिफारिश करने वाले नहीं लेते। पूरा ठीकरा सरकार पर फूटता है। याने खाए-पीए कुछ नहीं गिलास फोड़े बारह आना। सरकार की मुसीबत यह रहती है कि नेताओं की सिफारिश न मानें तो कहा जाता है सीएम हाउस सुन नहीं रहा और उनकी बात मान लिया तो सरकार की भद पिटती है। जाहिर है, सीजीएमएससी एमडी की इसमें कोई गलती नहीं। गलती बनवाने वालों की है।
कलेक्टर की दावेदारी
कलेक्टर बनने के लिए आईएएस अफसरों की दावेदारी प्रारंभ हो गई है। धमतरी और दुर्ग दोनों जिला खाली हो रहा है। दोनों ठीकठाक पोस्टिंग मानी जाती है। दोनों जिले राजधानी रायपुर से लगे हुए हैं। कलेक्टर बदलने वाले जिले में खैरागढ़ का नाम भी आ रहा है। पुअर परफार्मेंंस वाले दो-तीन जिलों के कलेक्टर और बदले जाएंगे।
इसके लिए ब्यूरोक्रेसी के गलियारों में जोर-तोड़ शुरू हो गई है। 2011 बैच के चंदन कुमार की कलेक्टर के रूप में इंट्री हो सकती है तो इस बैच के एक आईएएस को कलेक्टरी से वापिस बुलाया जा सकता है। सुबह से कैलकुलेटर लेकर बैठ जाने वाले दो-तीन कलेक्टर सरकार के राडार पर हैं। मनरेगा का काम ठेकेदारी में कराने वाले एक कलेक्टर की कुर्सी भी खिसक सकती है। सीएम सचिवालय कलेक्टरों के कार्यां का बारीकी से मूल्यांकन कर रहा है। काम कम, दिखावा ज्यादा वाले कलेक्टरों की अब नहीं चलेगी।
सीआईसी कौन?
एमके राउत के रिटायर होने के बाद पिछले तीन साल से खाली पडे़ मुख्य सूचना आयुक्त नियुक्ति की प्रक्रिया तेज हो गई है। इस पद के लिए मुख्य सचिव अमिताभ जैन, निवर्तमान डीजीपी अशोक जुनेजा, पूर्व मुख्य सचिव आरपी मंडल और पूर्व डीजीपी डीएम अवस्थी समेत 58 आवदेन आए हैं।
सरकार ने जीएडी से आवदेनों की फाइलिंग करने कहा था। मगर स्कूटनी का एक लोचा आ गया है। पिछले महीने अंजलि वर्मा वर्सेज भारत सरकार केस में सुप्रीम कोर्ट ने सीआईसी के लिए कमेटी बनाकर स्कूटनी करने कहा था और यह भी कि अब बताना होगा कि किस आधार पर नियुक्ति की जा रही है।
हालांकि, ये बहुत बड़ा इश्यू नहीं है। जीएडी स्कूटनी कमेटी बनाने की तैयारी कर रहा है। कह सकते हैं...सीआईसी की नियुक्ति जल्दी होगी। अब देखना दिलचस्प होगा कि अमिताभ, जुनेजा, मंडल और डीएम में से किसे सीआईसी की कुर्सी मिलती है। वैसे सीटिंग चीफ सिकरेट्री का पौव्वा ज्यादा होता है मगर निवर्तमान डीजीपी को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता।
यद्यपि, जुनेजा को गृह विभाग का सलाहाकार बनाए जाने की भी खबरे तैर रही हैं। जुनेजा से पहले आरएलएस यादव, आरएल वर्मा और आरपी मोदी सलाहकार रह चुके हैं। यादव और वर्मा अजीत जोगी के शासनकाल में और मोदी रमन सिंह के समय एडवाइजर रहे। बहरहाल, बजट सत्र के दौरान सीआईसी के लिए सलेक्शन कमेटी की बैठक हो सकती है।
ईवीएम पर ठीकरा
छत्तीसगढ़ के नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस के लोग अगर अभी से ईवीएम को निशाने पर लेने लगे हैं, तो इसका मतलब 15 फरवरी को कुछ अलग होने वाला है। दरअसल, कांग्रेस इस चक्कर में धोखा खा गई कि चुनाव मई से पहले नहीं होगा। सो, तैयारी रही नहीं उपर से आपसी गुटबाजी को रोकने के लिए पार्टी ने कोई कदम नहीं उठाया। छत्तीसगढ़ में सरकार होने के बाद भी प्रदेश प्रभारी नीतीन नबीन कई राउंड के दौरे कर गए मगर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट का पूरे चुनाव में कोई पता नहीं चला।
उधर, रही-सही कसर नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने महाराज के नेतृत्व में अगला चुनाव कराने का राग अलाप कर पूरा कर दिया। जंग में जब आमने-सामने सेना खड़ी हो, उस दौरान नए कमांडर की चर्चा छेड़ दिया जाए तो जाहिर है कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ेगा ही। बहरहाल, ऐसा प्रतीत होता है कि सीएम विष्णुदेव साय के हाथ की लकीरें पूर्व मुख्यमंत्रियों से भी ज्यादा सूर्ख हो गई है। सियासी पंडितों का कहना है कि इस बार ऐसे नतीजे आएंगे, जो कभी नहीं आए। जाहिर है, राज्य के मुखिया के खाते में ही ये क्रेडिट जाएगा।
अंत में दो सवाल आपसे
1. छत्तीसगढ़ के 10 नगर निगमों में बीजेपी और कांग्रेस के कितने महापौर चुने जाएंगे?
2. कौन ऐसी अदृश्य शक्ति है, जो सरकार के निर्देशों पर बनी जांच रिर्पोटों को दबवा दे रही है?
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