रविवार, 5 मई 2013

तरकश, 5 मई

खफा

जीएमआर ने आईपीएल कराकर भले ही वाहवाही बटोर ली मगर लाख कोशिशों के बावजूद उद्योग मंत्री राजेश मूणत की नाराजगी दूर न कर सका। जीएमआर के अफसरों ने मंत्री को मनाने की अपनी ओर से कम कोशिशें नहीं की। उन्हें पूरा कारपोरेट बाक्स की टिकिट का आफर दिया गया। मगर मूणत टस-से-मस नहीं हुए। रायपुर से ही उनके साथी मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आईपीएल में अपनी ताकत दिखाने की कोई कमी नहीं की। मगर जीएमआर से नाराजगी का लेवल इतना ज्यादा था कि मूणत मैच देखने तक नहीं गए। ऐसे में सत्ता के गलियारों में इसकी चर्चा कैसे नहीं होगी। लोगों की उत्सुकता नाराजगी की वजह जानने की है।

 

वाह भाई!


मुद्दों को हाईजैक करना कोई पीडब्लूडी मिनिस्टर बृजमोहन अग्रवाल से सीखे। छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ को स्टेडियम की चाबी सौंपने के मौके पर अग्रवाल को जब नहीं बुलाया गया, तो बंद कमरे में किसी को कोसने के बजाए अगले दिन खेल और पीडब्लूडी अफसरों को साथ लेकर स्टेडियम का निरीक्षण करने चले गए। और वहां से फोटो के साथ बयान जारी हुआ, 60 दिन की मिली चुनौती और 45 दिनों में कर दिखाया। स्टेडियम को पीडब्लूडी ने तैयार किया, इसलिए उन्होंने इसे कैश करने की कोई कोशिश नहीं छोड़ी। जबकि, स्टेडियम से बृजमोहन को अलग रखा गया। आईपीएल लाने में सिकरेट्री टू सीएम अमन सिंह की भूमिका अहम रही तो स्टेडियम को तैयार करने की पूरी कमान चीफ सिकरेट्री सुनील कुमार और आरपी मंडल की टीम ने संभाली थी। मगर बृजमोहन तो बृजमोहन हैं। वे माहौल बनाना जातने हैं।

अब वनडे


आप ताज्जुब मत कीजिएगा, अगर अक्टूबर, नवम्बर मंे रायपुर में आस्टे्रलिया का वन डे मैच हो जाए। इसके लिए रमन के रणनीतिकारों ने कोशिशें शूरू कर दी है। बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ल ने भी संकेत दिए हैं कि छत्तीसगढ़ को एक वनडे की मेजबानी मिल सकती है। उधर, दिल्ली किक्रेट एसोसियेशन के अरुण जेटली के जरिये बीसीसीआई को साधने में सरकार जुट गई है। चुनाव के दौरान वन डे मिलने का मतलब समझा जा सकता है सरकार के लिए कितना फायदेमंद रहेगा। आईपीएल से ही सत्ताधारी पार्टी की रेटिंग बढ़ गई है। और क्रिकेट ऐसा इश्यू है कि कांग्रेस भी इसका विरोध नहीं कर पाएगी। आईपीएल का शुरू मे कांग्रेस नेताओं ने विरोध किया था मगर हवा का रुख भांपकर बाद में खामोश रहना ही बेहतर समझा। 

हैट्रिक


रायपुर के आईपीएल में भले ही हैट्रिक न बन सकी, मगर महीने भर के भीतर सूबे के तीन आईएएस अफसरों ने राष्ट्रीय स्तर पर धमक दर्ज कराने की हैट्रिक जरूर बनाई है। एक नेशनल डेली के सर्वे में पीएस टू सीएम एन बैजेंद्र कुमार देश के दूसरे प्रभावशाली ब्यूरोके्रट्स चुने गए। डायरेक्टर पब्लिक रिलेशन ओपी चैधरी को धुर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में एजुकेशन प्रोग्राम के लिए प्रधानमंत्री के हाथों राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। और अब हाउसिंग बोर्ड कमिश्नर सोनमणि बोरा को केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने देश के उन पांच आईएएस अफसरों में शामिल किया है, जिन्होंने फील्ड में मार्केबल काम किया है। बिलासपुर कलेक्टर रहने के दौरान बोरा ने महतारी एक्सप्रेस योजना शुरू की थी। बाद मंे राज्य सरकार ने इसे पूरे प्रदेश में लागू किया। डीओपीटी ने इसे पसंद किया है। नागपुर में 6 मई से होने जा रही डीओपीटी की कांफ्रेंस में आल इंडिया सर्विसेज के चुनिंदा 50 अफसरों के बीच बोरा अपने कामों को शेयर करंेगे। कुल मिलाकर कहा जा सकता है, अप्रैल महीना नौकरशाहों के लिए बढि़यां रहा। कम समय, कम लागत और क्वालिटी वर्क का सेहरा आखिर, ब्यूरोके्रट्स के माथे पर ही बंधा। पीएस हेल्थ एमके राउत ने स्मार्ट कार्ड से बिदक रहे प्रदेश के डाक्टरों को समझौते के मेज पर लाने का काम बखूबी किया। वहीं, आरएस विश्वकर्मा ने गुजरे महीने कामर्सियल टैक्स और आबकारी से रिकार्ड 400 करोड़ रुपए जुटाया।

सुरक्षित सीट


दूसरा कोई नेता पुत्र विधानसभा चुनाव लड़े या न लड़े, अजीत जोगी के बेटे अमित का अबकी चुनाव लड़ना तय है। और यह भी तय है कि बिलासपुर जिले की किसी सीट से राजनीति में अपनी किस्मत आजमाएंगे। जोगी खेमा उनके लिए चार सीटों पर काम कर रहा है, बेलतरा, बिल्हा, कोटा और तखतपुर। बेलतरा भाजपा के बद्रीधर दीवान का क्षेत्र है और कांग्रेस के लिए यह सबसे मुफीद है। मगर वह ब्राम्हण बाहूल्य सीट है और ब्राम्हण सपोर्ट करेंगे कि नहीं, जोगी कैंप में संशय है। फिर बेलतरा में महंत गुट भी खासा प्रभाव है। गुरूवार को परिवर्तन रैली में महंत गुट के एक अल्पज्ञात नेता की रैली में अधिक भीड़ जुट जाने के कारण जोगी गुट को अपना कार्यक्रम निरस्त करना पड़ गया। एससी वोटों के चलते अमित का बिल्हा क्षेत्र में भी मूवमेंट हो रहा है। बिल्हा स्पीकर धरमलाल कौशिक का इलाका है। सियासी पंडितों का कहना है, बेलतरा और बिल्हा में बात नहीं बनीं, तो अमित अपनी मां की कोटा सीट से चुनाव लड़ना पसंद करेंगे। 

खैर नहीं


सेल टेक्स चोरी करने वाले कारोबारियों की अब खैर नहीं। उन पर शिकंजा कसने के लिए सरकार अब पुलिस की तरह मुखबिर तैनात करने जा रही है। मुखबिर बाजार पर नजर रखेंगे और वाणिज्यिक कर विभाग को सेल टैक्स चोरी की सूचना देंगे। इस आधार पर विभाग छापे की कार्रवाई करेगा। अफसरों का अनुमान है कि सेल टैक्स की चोरी पर लगाम लग जाए, तो वाणिज्यिक कर विभाग का 15 से 20 फीसदी राजस्व बढ़ जाएगा। चलिये, बिना टैक्स बढ़ाए ही राजस्व बढ़ जाए, तो सरकार के लिए इससे अच्छी बात क्या होगी।

अंत में दो सवाल आपसे

1.    राजस्व कम होने पर जब गणेशशंकर मिश्रा को सरकार ने हटा दिया तो अप्रैल महीने में ही बोर्ड और कारपोरेशन के आगे हाथ फैलाने पर वित्त विभाग के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई क्यां नहीं होनी चाहिए?
2.    अनिल नवानी के बाद अब किस रिटायर आईपीएस की पुनर्वास की चर्चा है?



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