शनिवार, 13 जुलाई 2019

लक्ष्मीपुत्र अफसर भारी?

14 जुलाई 2019
सरकार ने राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर दीपक अग्रवाल को बलौदाबाजार और अजय अग्रवाल को जांजगीर जिला पंचायत का सीईओ अपाइंट किया था। दोनों ने आदेश निकलने के 20 दिन बाद भी ज्वाईन नहीं किया। सीईओ की गैर मौजूदगी में जब दोनों जिला पंचायतों का काम ठप होने लगा तो वहां के जनप्रतिनिधियों ने कोहराम मचाया। कलेक्टरों ने भी सरकार से दरख्वास्त की। इसके बाद 12 जुलाई को दोनों अफसरों का आदेश केंसिल करके नए सीईओ की पोस्टिंग कर दी गई। याने दीपक और अजय अग्रवाल अब रायपुर में ही रहेंगे। इसका मतलब आप ये मत निकालियेगा कि इस सरकार में भी लक्ष्मीपुत्र अफसर भारी हैं। हो सकता है, उनकी कुछ मजबूरियां होंगी।

आयोग में पोस्टिंग

कम महत्व के निगम, मंडलों में पॉलीटिकल पोस्टिंग भले ही नगरीय चुनाव के बाद दिसंबर तक हो। लेकिन, खबर है बड़े आयोगों में विधानसभा के मानसून सत्र के बाद सरकार नियुक्तियां कर सकती है। इनमें हाउसिंग बोर्ड, माईनिंग कारपोरेशन, ब्रेवरेज कारपोरेशन, कर्मकार मंडल जैसे निगम संभावित हैं। सरकार में बैठे लोगों का मानना है, मंत्रियों के पास इन निगमों का एडिशनल चार्ज होने से तरीके से वर्किंग नहीं हो पा रही है। मंत्रियों पर लोड भी बढ़ जा रहा है। इसलिए, इनमें अध्यक्ष समेत सदस्यों की नियुक्तियां अब अपरिहार्य हो गई है। ये अलग बात है कि कांग्र्रेस नेताओं का भी इसके लिए प्रेशर है। कांग्रेस नेताओं में सबसे अधिक डिमांड हाउसिंग बोर्ड और कर्मकार मंडल का है। हाउसिंग बोर्ड को जगदलपुर में एनएमडीसी का कालोनी बनाने के लिए 1200 करोड़ का काम मिला है तो कर्मकार मंडल का बजट 300 करोड़ तक पहुंच जाता है। श्रमिकों को दाल-भात से लेकर सायकिल, सिलाई मशीन आदि कर्मकार मंडल ही बांटता है। कर्मकार मंडल में सरकार लेबर फील्ड में काम करने वाले किसी नेता को बिठा सकती है।

अफसरों की वापसी

आईएएस मुकेश बंसल को सरकार ने आदिवासी विभाग का डायरेक्टर अपाइंट किया है। वहीं, नीरज बंसोड़ को डायरेक्टर हेल्थ। ये दोनों अफसर पिछली सरकार में भी अच्छे पोजिशन में रहे। मुकेश बंसल तो स्टडी लीव में जाने से पहिले डिप्टी सिकरेट्री टू सीएम थे। वहां से लौटे तो उन्हें स्पेशल सिकरेट्री एग्रीकल्चर की पोस्टिंग दी गई तो लगा मुकेश भी साइडलाइन हो गए। लेकिन, सरकार ने हफ्ते भर के भीतर ट्राईबल का जिम्मा उन्हें सौंप दिया। ठीक भी है। अगर रिजल्ट चाहिए तो योग्य अफसरों को इम्पोर्टेंस देना ही होगा। क्योंकि, काबिल अफसर, जिसके साथ भी रहेंगे, अच्छा ही करेंगे। आखिर, रिजल्ट देने वालों को तो हर आदमी पसंद करता है। श्रम विभाग में सुबोध सिंह ने श्रमिकों को रिटायरमेंट एज 60 करवाकर छत्तीसगढ़ को नेशनल लेवल पर सुर्खियो में ला दिया। केंद्र समेत किसी भी राज्य ने अब तक श्रमिकों का रिटायरमेंट एज नहीं बढ़ाया है। सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने भी महिला बाल विकास की कमान संभाल ली है। संकेत मिल रहे हैं, जल्द ही कुछ और अफसरों की मेन स्ट्रीम में वापसी होगी।

7 महीने में 5 डायरेक्टर

छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल सूबा है। 30 फीसदी से अधिक आदिवासी यहां रहते हैं। लेकिन, उनकी देखरेख के लिए बनाया गया आदिवासी विभाग में कुछ ऐसा हो रहा है कि वहां कोई आईएएस टिक नहीं पा रहा है। आलम यह है कि पिछले छह महीने में पांच डायरेक्टर बदल गए। पिछले साल 9 सितंबर को जी चुरेंद्र को हटाकर पीएस एलमा को डायरेक्टर बनाया गया था। एलमा की दिसंबर एंड में छुट्टी हो गई। उनकी जगह कॉमरेड अफसर अलेक्स पॉल मेनन ने ली। अलेक्स जून में लीव पर अमेरिका गए और इधर उनका विकेट गिर गया। अलेक्स के बाद नीरज बंसोड़ डायरेक्टर बनें। नीरज ने विभाग को समझना शुरू किया था कि महीने भर में उन्हें हटाकर मुकेश बंसल को बिठा दिया गया। यह तब हो रहा है, जब ब्यूरोक्रेसी के मुखिया सुनील कुजूर भी आदिवासी है। कुजूर साब को विभाग में कुछ पूजा-पाठ कराना चाहिए, ताकि मुकेश बंसल अब कुछ दिन टिक जाएं।

2008 बैच का खाता

2008 बैच की आईएएस शिखा राजपूत को सरकार ने बेमेतरा का कलेक्टर बनाया है। हालांकि, बेमेतरा किसी आईएएस के लिए पहला जिला होता है। शिखा राजपूत कोंडागांव की कलेक्टर रह चुकी हैं। उनके हिसाब से तो बेमेतरा काफी छोटा हो गया। लेकिन, चलिए 2008 बैच का खाता तो खुला। अभी सूबे में 2006 से लेकर 2012 बैच के आईएएस कलेक्टर हैं। इनमें से सिर्फ 2008 बैच ऐसा था, जिसमें से कोई कलेक्टर नहीं था। शिखा के अलावे इस बैच में नीरज बंसोड़, राजेश राणा और भीम सिंह इस बैच में हैं। ये सभी राजधानी लौट चुके हैं। अलबत्ता, 2007 बैच में भी यशवंत कुमार मोर्चा संभाले हुए हैं। छह में से वे ही रायगढ़ के कलेक्टर हैं।

जेल में एडीजी?

गिरधारी नायक के 29 जून को रिटायर होने के बाद से डीजी जेल और होमगार्ड का पद खाली है। नायक के पास नक्सल ऑपरेशन भी था। चूकि, सूबे में डीजी दो ही हैं और दोनों बड़े विभाग संभाल रहे हैं। संजय पिल्ले के पास इंटेलिजेंस और आरके विज के पास प्लानिंग एन प्रोविजनिंग है। संजय को डीजी जेल बनाने की चर्चा है। लेकिन, अब ये भी सुनने में आ रहा है कि सरकार किसी एडीजी को भी जेल में पोस्ट कर दे, तो हैरानी नहीं। वैसे भी, जेल का कैडर पोस्ट एडीजी का ही है। पिछली सरकार में डीजी लेवल के अफसरों को पोस्ट करने से उसे डीजी लेवल का मान लिया गया।

फिर चुके

कई बार स्थिति ऐसी निर्मित हो जाती है कि सरकार के नजदीक होने के बाद भी इच्छा के अनुरुप बात नहीं बन पाती। बात कर रहे हैं, जनसंपर्क आयुक्त तारण सिनहा की। आईएएस अवार्ड होने के बाद पिछले साल उन्हें ट्रेनिंग के लिए मसूरी जाना था। आईएएस बनने के बाद मसूरी में ट्रेनिंग को लेकर स्वाभाविक तौर पर उनके मन में रोमांच तो रहा ही होगा। लेकिन, पिछले साल चीफ सिकरेट्री अजय सिंह ने उन्हें ट्रेनिंग में जाने की इजाजत नहीं दी। कहा गया चुनाव से पहिले डायरेक्टर पंचायत को ट्रेनिंग में जाने की छुट्टी नहीं दी जा सकती….अगले साल कर लेना। तारण के अधिकांश बैचमेट पिछले साल ट्रेनिंग करके लौट आए। जो बचे थे, इस बार मसूरी रवाना हो गए हैं। मगर तारण इस बार इसलिए नहीं जा पाए क्योंकि, जनसंपर्क आयुक्त जैसी संवदेनशील जिम्मेदारी उनके पास है। याने अब उन्हें अगले साल के लिए वेट करना होगा।

अंत में दो सवाल आपसे

1. छत्तीसगढ़ के किस कलेक्टर के बारे में कहा जाता है, जहां पोस्टिंग होती है वहां चिल्हर की कमी हो जाती है?
2. प्रिंसिपल सिकरेट्री लेवल के किस आईएएस ने मंत्री से पोस्टिंग की सिफारिश करवाकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली?

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