शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018

सरकार कुछ कीजिए!

 18 फरवरी
स्टेट पीएससी में कितने फाइट के बाद डीएसपी में सलेक्शन होता है। फिर, दो साल की कठिन ट्रेनिंग। उसके बाद भी पोस्टिंग के लिए रिरियाना पड़े तो फिर इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता। 2016 में डीएसपी बनें अफसरों के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। ट्रेनिंग खतम होने के तुरंत बाद पुलिस मुख्यालय ने पोस्टिंग का प्रस्ताव गृह मंत्रालय को भेज दिया था। लेकिन, महीने भर में भी आदेश नहीं निकल पाया। अफसरों को उम्मीद थी कि विधानसभा सत्र के दौरान मंत्री से लेकर अफसर तक राजधानी में रहेंगे, तो आर्डर निकल ही जाएगा। लेकिन, सत्र के 13 दिन गुजर जाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। ऐसे में, सरकार को युवा अफसरों के लिए कुछ करना चाहिए।

मंत्रियों की फीस


चुनावी साल में मंत्रियों की फीस बेतहाशा बढ़ गई है। बढ़ी फीस के अनुसार पेमेंट नहीं हुआ, तो आपकी फाइल नहीं सरकेगी। वैसे, पोस्टिंग के लिए फीस लेना कई मंत्री गॉड गिफ्टेड अधिकार समझते हैं....भगवान ने उन्हें मंत्री जो बनाया है। लेकिन हद तो यह है कि अधिकांश मंत्रियों के बंगले में जेनविन फाइलें भी रोकी जाने लगी है। मंत्रियों के पीए की बे-शरमी के साथ एक ही वर्डिंग रहती है....चुनाव है साब, कुछ करना पड़ेगा। कुछ पीए तो ज्यादा आगे बढ़कर बैटिंग शुरू कर दिए हैं। उन्हें पता है, शंकर भगवान पर चढ़ावा आएगा तो लोग नंदी को थोड़े ही भूल जाएंगे। 

अब रोहित का नम्बर


सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव विकास शील को दिल्ली डेपुटेशन पर जाने की मंजूरी दे दी है। विधानसभा सत्र के बाद वे दिल्ली के लिए कूच कर जाएंगे। विकास की पत्नी निधि छिब्बर पिछले साल डेपुटेशन पर दिल्ली गई थी। तभी से माना जा रहा था कि देर-सबेर विकास भी दिल्ली का रुख करेंगे। विकास के बाद पता चला है सिकरेट्री अरबन एडमिनिस्ट्रेशन रोहित यादव भी दिल्ली जाने वाले क्यूं में हैं। रोहित की पत्नी भी दिल्ली में हैं। सो, अप्रैल, मई तक रोहित की भी दिल्ली की रवानगी हो जाए, तो अचरज नहीं।

नकल भी अकल से


एक रिजर्व केटेगरी के मंत्री ने अपने साथी मंत्रियों की देखादेखी राजधानी के कचना में डेढ़ एकड़ बेशकीमती लैंड खरीद लिया। लेकिन, रास्ता को लेकर वे फंस गए हैं। दलाल ने उन्हें उनकी जमीन से कचना मेन रोड का जो रास्ता बताया था, उस पर बेजा कब्जा है। तरुण चटर्जी के जमाने से वहां लोग रह रहे हैं। मंत्रीजी यदि उन्हें हटवाए तो चुनाव के समय अलग बखेड़ा खड़ा हो जाएगा। अब मंत्रीजी पछता रहे हैं। जमीन खरीदने के लिए नाहक कंपनी बनाई....पत्नी को डायरेक्टर बनवाया। सब बेकार हो गया। ठीक ही कहते हैं, नकल भी अकल से करनी चाहिए।

कलेक्टरों के विकेट


अमन सिंह के यूएस से लौटने के बाद कलेक्टरों के ट्रांसफर की चर्चाएं फिर तेज हो गई है। वैसे, ट्रांसफर में इस बार कई फैक्टर काम करेंगे, इसलिए लिस्ट चौंकाने वाली निकल जाए तो आश्चर्य नहीं। चुनाव कराने का एंगल अहम है ही, प्रमोटी आईएएस को एडजस्ट करना होगा, सौदान सिंह ने राज्य के दौरे के बाद फीडबैक दिए होंगे, सरकार उसका भी ध्यान रखेगी। ऐसे में, कई कलेक्टरों के विकेट गिर जाएंगे। उन कलेक्टरों को भी सरकार बदल देगी, जिन्हें पिछले साल मई में ही पोस्ट किया गया। दुर्ग कलेक्टर आउटस्टैंडिंग काम कर रहे हैं.... मगर चुनावी राजनीति और चुनावी साल में ऐसे अफसरों के साथ दिक्कत जाती है। हालांकि, सरकार के पास अफसरों का टोटा भी है। सवाल है, नए कलेक्टर के लिए अफसर लाएगी कहां से। रिजर्व केटेगरी में ही पूरा नहीं हो पा रहा है। ऐसे में हो सकता है, 2011 बैच के रेगुलर रिक्रूट्ड को ड्रॉप करते हुए पिछले साल आईएएस अवार्ड हुए कुछ अफसरों को सरकार कलेक्टर बना दें। इस बैच में जीतेंद्र शुक्ला, तारण सिनहा, सुधाकर खलको, संजय अग्रवाल आदि हैं। इनमें से भी कुछ का नम्बर लग सकता है।

आठ करोड़ का तालाब


आठ करोड़ में केनाल या डेम बने तो बात समझ में आती है। लेकिन, आठ करोड़ी तालाब.....किसी को हजम नहीं हो रहा है। नया तालाब भी नहीं। पुराने तालाब के एक्सटेंशन में जंगल विभाग ने आठ करोड़ रुपया फूंक दिया। वह भी बिना टेंडर के। कांग्रेस विधायक धनेंद्र साहू ने इसे विधानसभा में उठाया, तो सबको सांप सूंघ गया। 15 फरवरी की शाम वन मंत्री के यहां ब्रीफिंग में यह सवाल आया तो सन्नाटा छा गया। कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। प्रकरण की गंभीरता को समझकर मंत्रीजी ने यह कहते हुए हाथ खड़ा कर दिया....भाई कुछ भी हो, आपलोगों को टेंडर तो करना ही था। इसके बाद मुंह लटकाए अफसर लौट गए। रात में नींद भी नहीं आई....सदन में कहीं हंगामा न मच जाए। लेकिन, पता नहीं कैसे धनेंद्र साहू ने इसे सवाल को तूल न देते हुए बैठ गए। वरना, वन विभाग के अफसर भी मानते हैं...आठ करोड़ में से सीधे चार करोड़ अंदर गया है।

छोटे मियां शुभांल्लाह


बड़े जिलों को पीछे छोड़ते हुए बस्तर का नारायणपुर जिला पीएम अवार्ड के इनोवेशन केटेगरी में दूसरे चरण में पहुंच गया है। नारायणपुर का काम भी हवा-हवाई नहीं। बल्कि विस्मृत करने वाला है। वहां के कलेक्टर टीपी वर्मा ने राज्य के सौर उर्जा योजना का अद्भूत क्रियान्वयन करते हुए अबूझमाड़ के 340 गांवों को विद्युतकृत कर दिया है। यहीं नहीं, नारायणपुर जैसे वनवासी इलाके के 80 फीसदी गांव अब बिजली से जगमगा रहे हैं। इसी तरह, रायपुर से लगा धमतरी पुलिस ने पेंडिंग अपराधों को समाप्त कर लोगों का ध्यान खींचा है। रजनेश सिंह ने दो महीने पहिले जब एसपी के रूप में ज्वाईन किए थे तो पेंडिंग केसेज 34 फीसदी थे। पिछले दिनों डीजीपी ने जब एसपी के वीडियोकांफें्रेसिंग किए तो धमतरी का क्राइम डेटा देखकर वे भी चकित थे। रजनेश ने धमतरी में एक ऐसे मर्डर मिस्ट्री का भंडाफोड़ किया, जिसमें सात हत्याओं का खुलासा हुआ। वर्मा राप्रसे से आईएएस बनें हैं और उनका यह पहला जिला है। और, रजनेश एकाध महीने में आपईपीएस बनने वाले हैं।

कैट की शरण में


डीआईजी केसी अग्रवाल को कैट से बड़ी राहत मिलने के बाद एएम जुरी और राजकुमार देवांगन भी कैट की शरण में पहुंच गए हैं। दोनों ने भारत सरकार द्वारा अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी है। जुरी और देवांगन ने अपनी याचिका में कहा है कि बिना उन्हें सुने ही सरकार ने नौकरी से छुट्टी कर दी। देवांगन को पिछले साल जनवरी में और अग्रवाल और जुरी को भारत सरकार ने सितंबर में फोर्सली रिटायर कर दिया था।


अंत में दो सवाल आपसे


1. क्या आईएएस गौरव द्विवेदी की विधानसभा सत्र के बाद प्रशासन अकादमी से मुख्य धारा में वापसी हो जाएगी?
2. जोगी कांग्रेस की सक्रियता को लोग उनकी कांग्रेस वापसी की संभावनाओं से जोड़कर क्यों देख रहे हैं? 
 

सोमवार, 12 फ़रवरी 2018

कलेक्टरी खतरे में

पंजाब सरकार के एक फैसले के बाद डीओपीटी ने प्रमोटी अफसरों की सीनियरिटी लिस्ट में संशोधन किया है। इसमें छत्तीसगढ़ के 14 आईएएस लाभान्वित हुए हैं। सीधे एक साल सीनियर। सबसे ज्यादा 2004 बैच इससे परेशान होगा। इसमें डायरेक्टर समाज कल्याण संजय अलंग से लेकर उमेश अग्रवाल, धनंजय देवांगन, टामन सिंह सोनवानी और छतर सिंह देहरे शामिल हैं। ये सभी 2005 बैच में थे, अब 2004 में आ गए हैं। इसमें अलंग और देहरे को छोड़कर तीनों कलेक्टर हैं। उमेश दुर्ग, धनंजय जगदलपुर और सोनवानी कांकेर में। सरकार ने कलेक्टरी के लिहाज से 2004 बैच को क्लोज कर दिया है। आखिरी लॉट अमित कटारिया, अंबलगन और अलरमेल का था। सरकार ने तीनों को पिछले साल ही वापिस बुला लिया था। हालांकि, ये कोई नियम नहीं है कि किस बैच को कलेक्टर रखना है। पहली पारी में तो सरकार ने सीके खेतान और आरपी मंडल को सिकरेट्री के बाद भी कलेक्टर बनाया था। फिर भी, उमेश, धनंजय और सोनवानी को टेंशन तो रहेगा ही। 

नीरा राडिया

नौकरशाहों की पत्नियां को अलर्ट हो जाना चाहिए। वे व्हाट्सएप, एसएमएस चेक करते रहें। वरना, उन्हें घोखा हो सकता है। दरअसल, एक नीरा राडिया अफसरों के बीच अपनी पैठ गहरी करती जा रही है। मंत्रालय के सीनियर आईएएस से लेकर आईपीएस, आईएफएस तक.....कौन नहीं है उसके गिरफ्त में। एक दर्जन से अधिक अफसर उसके इशारों पर नाच रहे हैं। आलम यह है कि अहम फाइलें भी युवती के कहने पर मूव हो रही हैं। नीरा राडिया के शिकारों के आप नाम सुनेंगे, तो आपको यकीं नहीं होगा....ऐसे अफसर भी लंगोट के इतने ढिले हो सकते हैं....राम-राम।


मुफ्त में प्रचार

छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य का बजट भाषण अगर टॉप टेन में पहले नम्बर पर ट्रेंड करें तो यह आश्चर्य की बात भला कैसे नहीं होगी। रमन सिंह का भाषण डेढ़ घंटे से अधिक समय तक देश में सबसे उपर ट्रेंड किया। और, ट्रेंड इसलिए भी किया कि छत्तीसगढ़़ में इसे फेसबुक पर खूब देखा गया.....आखिर, छत्तीसगढ़ के बाहर के लोग यहां के बजट तो देखे नहीं होंगे। यानी बिना किसी खर्चे के सरकार ने चुनावी बजट को जन-जन तक पहुंचा दिया। ऐसा करके जनसंपर्क संचालक राजेश टोप्पों ने सरकार का फेथ और बढ़ा लिया। दरअसल, फेसबुक लाइव का प्लान उन्होंने ही किया था। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया, जहां बजट भाषण सोशल मीडिया में लाइव हुआ। अभी तक पीएम लेवल पर इस तरह के प्रयोग होते थे। 

जोगी दांव

अजीत जोगी को न केवल अपने को प्रासंगिक रखना आता है बल्कि सियासी दांव-पेंच में भी उनका जवाब नहीं है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद जब कांग्रेस ने उन पर सोशल मीडिया के जरिये हल्ला बोला तो जोगी ने एक ही दांव में मैच का रुख ही बदल दिया। जोगी ने ऐलान किया....वो रमन सिंह के खिलाफ राजनांदगांव से चुनाव लड़ेंगे। और, सरकार के साथ उनकी हमजोली का मुद्दा टर्न हो गया। उपर से जोगी की गुगली में फंस गए टीएस सिंहदेव। जीतेंगे रमन सिंह बोलकर सिंहदेव ने बॉलर के हाथ में कैच दे दिया।


जोगी और भूपेश

कांग्रेस अब नेता प्रतिपक्ष़्ा टीएस सिंहदेव को ताकीद करने वाली है...जोगी के खिलाफ या तो बयान मत दीजिए या फिर सोच-समझकर। एक तो सिंहदेव जैसे ही जोगी के खिलाफ मुंह खोलते हैं, अमित जोगी तालाब वगैरह का मुद्दा उठाकर उन्हें बैकफुट पर कर देते हैं। पिछले छह महीने में बाबा ने जब भी जोगी के खिलाफ कुछ बोला है, अमित लंगोट पहनकर दो-दो करने के लिए मैदान में उतर जाते हैं। राजनांदगांव इश्यू में भी अमित ने उल्टे सिंहदेव को रमन का स्टार प्रचारक घोषित कर दिया। आखिरकार, सिंहदेव को बैकअप देने के लिए भूपेश बघेल को आगे आना पड़ा। अब यह स्थापित सत्य हो गया है कि जोगी के बराबर का नेता अगर कांग्रेस में है तो वो हैं भूपेश बघेल। दोनों सभी मामलों में समान हैं। तभी भूपेश टक्कर भी दे रहे हैं। 


कलेक्टरों की लिस्ट

सीएम की व्यस्तता की वजह से कलेक्टरों की लिस्ट लगातार टलती ही जा रही है। ऑस्ट्रेलिया से लौटने के बाद सीएम का लगातार दौरा चलता रहा। और, पिछले एक हफ्ते से बजट भाषण की तैयारी में उनका पूरा अमला बिजी था। बजट निबट जाने के बाद अब सीएम से इस पर चर्चा हो सकती है, ऐसा संकेत हैं। तब तक पीएस टू सीएम अमन सिंह भी 14 को रायपुर आ जाएंगे। हालांकि, सरकार को लिस्ट निकालने में देर नहीं करनी चाहिए। इससे नुकसान राज्य का होता है। क्योंकि, जिन कलेक्टरों पर तलवार लटकी है, जिनका जिला बदलना है, व ेअब कितने मन से काम कर रहे होंगे, आप भी समझ सकते हैं।

नम्रता को एमपी कैडर

दंतेवाड़ा की नम्रता जैन यूपीएसी में 99 रैंक लाकर भी आईएएस न बन सकीं अब उनका कैडर भी मन मुताबिक नहीं मिला है। नम्रमा को मध्यप्रदेश कैडर आबंटित हुआ है। हालांकि, एमपी बड़ा राज्य है। राज्य बंटवारे के बाद छत्तीसगढ़ आए अधिकांश आईपीएस एमपी जाने के लिए हाईकोर्ट चले गए थे। फिर भी, होम कैडर का अपना अलग मजा होता है।     
मुझसे क्या भूल हुई
अमित जोगी वक्ता बड़े अच्छे हैं। उनका भाषण और भाषण देने की शैली तो पूछिए मत! लेकिन, स्पीकर से झिड़की खाने में उन्होंने सबको पीछे छोड़ दिया है। बजट सत्र के श्रद्धांजलि भाषण में भी वे अध्यक्ष की टोका-टोकी का शिकार हुए। छोटे जोगी ने ट्विटर पर अपना गम शेयर किया....मैंने कौन सी गलती की....जिसकी ये....। इंतेहा तो तब हो गई, जब 9 फरवरी को सभापति शिवरतन शर्मा ने उनकी बातें विलोपित कर कह नसीहत दे डाली.....हमने आपको सवाल पूछने का मौका दिया था, आप लगे भाषण देने।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस अफसर के सरकारी बंगले में 70 लाख रुपए के इंटीरियर का काम हो रहा है? 
2. मोतीलाल वोरा की चुनाव अभियान समिति में इंट्री कैसे मिली?




सोमवार, 5 फ़रवरी 2018

सीएस को बैकअप

28 जनवरी
एक्स चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार को सरकार ने सीएम का एडवाइजर अपाइंट किया है। उनके आदेश में कुछ विभागों का जिक्र किया गया है….फलां, फलां काम देखेंगे। लेकिन, समझने वाले समझ गए हैं कि उनकी भूमिका क्या होगी। तभी तो इस खबर से ब्यूरोक्रेट्स सन्न रह गए। वैसे, सुनिल कुमार सिर्फ सलाहकार के तौर पर ही नहीं होंगे। यह काम तो वे अभी भी कर रहे हैं। प्लानिंग कमीशन के डिप्टी चेयरमैन के साथ ही सरकार अभी भी महत्वपूर्ण मामलों में उनसे सलाह लेती है। सरकार के कहने पर उन्होंने रायपुर में स्टे को हफ्ते से बढ़ाकर 15 दिन कर दिया था। दरअसल, चुनावी बरस में सरकार को नियम-कायदों के गुणी व्यक्ति के साथ ही सिस्टम पर पैनी नजर रखने वाले एक तेज अफसर की दरकार थी। क्योंकि, राज्य में सिस्टम डिरेल्ड हो चुका है। जिलों में अराजकता के हालात हैं। ट्रांसफर्मर लगवाने और लोगों से वसूली करने वाले एई पर कार्रवाई करने के लिए सरकार को रायपुर से सिकरेट्री पावर और एमडी को भेजना पड़ रहा है। ग्राउंड पर दर्जनों योजनाएं चल रही है। इसके बाद भी सरकार को इसका कोई लाभ मिलता नहीं दिख रहा है। हालत दिनोंदिन प्रतिकूल होती जा रही है। राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री सौदान सिंह ने भी राज्य के दौरे में इसे महसूस किया। बहरहाल, सुनिल कुमार के लिए प्लस यह होगा कि सौम्य और शालीन चीफ सिकरेट्री अजय सिंह भी उन्हें बेहद सम्मान देते हैं। लिहाजा, ऐसा समझा जा रहा है, इगो के टकराव वाली स्थिति भी पैदा नहीं होगी…..अलबत्ता, सीएस को बैकअप मिलेगा और, सरकार को एक मास्टर स्ट्रोक वाले अफसर।

कड़े फैसले!

पता चला है, सुनिल कुमार को मंत्रालय में बिठाकर भ्रष्टाचार के मामले में सरकार कुछ कड़े फैसले लेना चाहती है। कुमार का ऐसा ओहरा है कि अफसर चू-चाएं नहीं करते। याद होगा, प्रिंसिपल सिकरेट्री केडीपी राव को सरकार ने 2013 में बिलासपुर का कमिश्नर बना दिया था। लेकिन, अफसरों की हिम्मत नहीं पड़ी कि इस मामले में कुछ करें। सबने केडीपी का अंदरुनी मामला बताकर पल्ला झा़ड़ लिया था। अभी तो आलम यह है कि भानुप्रतापपुर एसडीएम को हटाया गया तो आईएएस एसोसियेशन पहुंच गया सीएस और सीएम के पास। सरकार एसोसियेशन के इतना प्रेशर में है कि किसी भ्रष्ट अफसर को वह नोटिस भी नहीं जारी कर सकती….गोलबंद होकर पहुंच जाएंगे सीएम के पास। सुनिल कुमार की विषय पर इतनी पकड़ है और गड़बड़ अफसरों की नस का ज्ञान….कि सरकार इसका लाभ लेना चाहेगी।

दुष्ट आत्माओं का निवारण

पीएमजीएसवाय के सीईओ और आईएफएस राकेश चतुर्वेदी के दुष्टात्मा का निवारण सरकार ने कर दिया है। लंबे समय से वे इससे परेशान थे। सरकार भी उनके लिए कुछ करना चाहती थी कि एक आत्मा रोड़ा बनकर खड़ी हो जाती थी। आखिरकार, सरकार ने सचिवालय के शिव से पूछा….आप ही बताइये, इस ब्राम्हण का उद्धार कैसे किया जाए….बेचारे का कुछ नहीं हुआ, तो पाप लग जाएगा। शिव बोले, ठहरो वत्स! मैं कुछ करता हूं….तुम सरकार हो तो क्या हुआ, कुछ आत्माएं ऐसी होती है किसी को नहीं बख्शती। नंगा से बेचारी गंगा भी परेशां हो गई थी….फिर भी मैं कुछ करता हूं। फिर, एक दिन सचिवालय के अफसरों ने बैठकर आत्मा के निवारण का रास्ता ढूंढ निकाला। शिव ने कहा कि जब तक आत्मा राकेश पर सवार रहेगी, फाइल मैं अपने पास रखूंगा। तंत्रोपचार के बाद आत्मा जैसे ही राकेश के सिर से हटेगी, मैं फाइल बढ़ा दूंगा। और, ऐसा ही हुआ। सीएम 13 को ऑस्ट्रेलिया के लिए उड़े और शिव ने फाइल आगे बढ़ाई। सीएस अजय सिंह ने अगले दिन आर्डर जारी कर दिया। अब सरकार भी राहत की सांस ले रही है और राकेश भी।

दूसरे नारायण

आरा मिल प्रकरण को निबटने के बाद राकेश चतुर्वेदी अब हवाई जहाज के टेकऑप जैसा प्रमोशन पाएंगे। अभी वे सीएफ है। इसी साल एडिशनल पीसीसीएफ के साथ ही पीसीसीएफ बन जाएंगे। प्रकरण के चलते उनका प्रमोशन नहीं हो पा रहा था। जबकि, उनके बैच वाले एडिशनल पीसीसीएफ हो गए हैं। कुछ इसी तरह आईएएस नारायण सिंह का हुआ था। मालिक मकबूजा केस में डीओपीटी ने पांच साल के लिए उनका प्रमोशन रोक दिया था। सजा की अवधि समाप्त होने के बाद नारायण सिंह छह महीने के भीतर सिकरेट्री से प्रिंसिपल सिकरेट्री और फिर एडिशनल सीएस बन गए थे।

मंत्री को ब्रम्हज्ञान

ठीक ही कहते हैं, ज्ञान हासिल करने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ता है। अपने एक मंत्रीजी भी इन दिनों विदेश की सैर पर हैं। वहां से वे रोज बौद्धिक ट्विट कर रहे हैं…..राजनीति में शतरंज के नियम लागू होने चाहिए….शतरंज के मोहरे कम-से-कम अपनों को तो नहीं मारते। अगले दिन फिर….सोनार का कचरा भी बनिये के बादाम से महंगा होता है। ट्विट पढ़कर मंत्रीजी के लोग हैरान हैं….भाई साब अचानक इतने डीप ज्ञान की बात कैसे करने लगे। वो भी पंद्रहवें साल में। उधर, उनके विरोधी पता लगा रहे हैं कि वो जगह कौन-सी है, जहां मंत्री को ज्ञान की प्राप्ति हो गई….कोई वृक्ष है या कोई विशिष्ट होटल।

छोटा बजट सत्र

विधानसभा का बजट सत्र अब तक का सबसे छोटा बजट सत्र होगा। सिर्फ 15 दिन का। 5 फरवरी से शुरू होकर 28 को अवसान हो जाएगा। हो सके तो इससे पहिले भी निबट जाए। क्योंकि, चुनावी बरस में किसी को सत्र की नहीं पड़ी है। विधायकों का मन अटका रहेगा अपने इलाके में। विपक्ष भी कोई उत्साहित नहीं दिख रहा है। इससे पता चलता है, जिस दिन सत्र प्रारंभ होगा, कांग्रेस विधायक दल की बैठक उसी दिन शाम को आहूत की गई है।

पिछड़ी बीजेपी

चुनाव के 10 महीने पहिले जिस तरह से नेताओं के बीच ट्विटर वार शुरू हुआ है, माना जा रहा है कि अगले चुनाव में सोशल मीडिया एक बड़ा फैक्टर होगा। बहरहाल, तमाम संसाधनों के बावजूद सोशल मीडिया में बीजेपी बुरी तरह पिछड़ती जा रही है। अधिकांश भाजपा नेता या तो सोशल मीडिया से दूर है या फिर उन्हें हैंडिल करने नहीं आता। पार्टी पूरी तरह सरकारी प्रचार तंत्र पर निर्भर हो गई है। लेकिन, लाख टके का सवाल है, अचार संहिता प्रभावशील होने के बाद क्या होगा। कांग्रेस ने शैलेष नीतिन त्रिवेदी को दोबारा लोकर अपनी मीडिया टीम को कस दिया है। वहीं, बीजेपी इस लेवल को छू भी नहीं पा रही। भाजपा की मीडिया टीम में अधिकांश लोग ऐसे हैं, जिनका मीडिया से कभी रिश्ता रहा नहीं। इसके उलट कांग्रेस की मीडिया टीम को दाद देनी पड़ेगी….पूरा डिवोशन है। मीडिया के न केवल वे संपर्क में है बल्कि छपे चाहे न छपे, सरकार के खिलाफ सामग्रियां भरपूर मुहैया कराई जा रही है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. कौन से आईजी एक एनजीओ संचालिका के गिरफ्त में उलझते जा रहे हैं?
2. एक बड़े अफसर का नाम बताइये, जो सरकार की नजर में धीरे-धीरे अप्रासांगिक होते जा रहे हैं?