18 फरवरी
स्टेट पीएससी में कितने फाइट के बाद डीएसपी में सलेक्शन होता है। फिर, दो साल की कठिन ट्रेनिंग। उसके बाद भी पोस्टिंग के लिए रिरियाना पड़े तो फिर इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता। 2016 में डीएसपी बनें अफसरों के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। ट्रेनिंग खतम होने के तुरंत बाद पुलिस मुख्यालय ने पोस्टिंग का प्रस्ताव गृह मंत्रालय को भेज दिया था। लेकिन, महीने भर में भी आदेश नहीं निकल पाया। अफसरों को उम्मीद थी कि विधानसभा सत्र के दौरान मंत्री से लेकर अफसर तक राजधानी में रहेंगे, तो आर्डर निकल ही जाएगा। लेकिन, सत्र के 13 दिन गुजर जाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। ऐसे में, सरकार को युवा अफसरों के लिए कुछ करना चाहिए।
चुनावी साल में मंत्रियों की फीस बेतहाशा बढ़ गई है। बढ़ी फीस के अनुसार पेमेंट नहीं हुआ, तो आपकी फाइल नहीं सरकेगी। वैसे, पोस्टिंग के लिए फीस लेना कई मंत्री गॉड गिफ्टेड अधिकार समझते हैं....भगवान ने उन्हें मंत्री जो बनाया है। लेकिन हद तो यह है कि अधिकांश मंत्रियों के बंगले में जेनविन फाइलें भी रोकी जाने लगी है। मंत्रियों के पीए की बे-शरमी के साथ एक ही वर्डिंग रहती है....चुनाव है साब, कुछ करना पड़ेगा। कुछ पीए तो ज्यादा आगे बढ़कर बैटिंग शुरू कर दिए हैं। उन्हें पता है, शंकर भगवान पर चढ़ावा आएगा तो लोग नंदी को थोड़े ही भूल जाएंगे।
सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव विकास शील को दिल्ली डेपुटेशन पर जाने की मंजूरी दे दी है। विधानसभा सत्र के बाद वे दिल्ली के लिए कूच कर जाएंगे। विकास की पत्नी निधि छिब्बर पिछले साल डेपुटेशन पर दिल्ली गई थी। तभी से माना जा रहा था कि देर-सबेर विकास भी दिल्ली का रुख करेंगे। विकास के बाद पता चला है सिकरेट्री अरबन एडमिनिस्ट्रेशन रोहित यादव भी दिल्ली जाने वाले क्यूं में हैं। रोहित की पत्नी भी दिल्ली में हैं। सो, अप्रैल, मई तक रोहित की भी दिल्ली की रवानगी हो जाए, तो अचरज नहीं।
एक रिजर्व केटेगरी के मंत्री ने अपने साथी मंत्रियों की देखादेखी राजधानी के कचना में डेढ़ एकड़ बेशकीमती लैंड खरीद लिया। लेकिन, रास्ता को लेकर वे फंस गए हैं। दलाल ने उन्हें उनकी जमीन से कचना मेन रोड का जो रास्ता बताया था, उस पर बेजा कब्जा है। तरुण चटर्जी के जमाने से वहां लोग रह रहे हैं। मंत्रीजी यदि उन्हें हटवाए तो चुनाव के समय अलग बखेड़ा खड़ा हो जाएगा। अब मंत्रीजी पछता रहे हैं। जमीन खरीदने के लिए नाहक कंपनी बनाई....पत्नी को डायरेक्टर बनवाया। सब बेकार हो गया। ठीक ही कहते हैं, नकल भी अकल से करनी चाहिए।
अमन सिंह के यूएस से लौटने के बाद कलेक्टरों के ट्रांसफर की चर्चाएं फिर तेज हो गई है। वैसे, ट्रांसफर में इस बार कई फैक्टर काम करेंगे, इसलिए लिस्ट चौंकाने वाली निकल जाए तो आश्चर्य नहीं। चुनाव कराने का एंगल अहम है ही, प्रमोटी आईएएस को एडजस्ट करना होगा, सौदान सिंह ने राज्य के दौरे के बाद फीडबैक दिए होंगे, सरकार उसका भी ध्यान रखेगी। ऐसे में, कई कलेक्टरों के विकेट गिर जाएंगे। उन कलेक्टरों को भी सरकार बदल देगी, जिन्हें पिछले साल मई में ही पोस्ट किया गया। दुर्ग कलेक्टर आउटस्टैंडिंग काम कर रहे हैं.... मगर चुनावी राजनीति और चुनावी साल में ऐसे अफसरों के साथ दिक्कत जाती है। हालांकि, सरकार के पास अफसरों का टोटा भी है। सवाल है, नए कलेक्टर के लिए अफसर लाएगी कहां से। रिजर्व केटेगरी में ही पूरा नहीं हो पा रहा है। ऐसे में हो सकता है, 2011 बैच के रेगुलर रिक्रूट्ड को ड्रॉप करते हुए पिछले साल आईएएस अवार्ड हुए कुछ अफसरों को सरकार कलेक्टर बना दें। इस बैच में जीतेंद्र शुक्ला, तारण सिनहा, सुधाकर खलको, संजय अग्रवाल आदि हैं। इनमें से भी कुछ का नम्बर लग सकता है।
आठ करोड़ में केनाल या डेम बने तो बात समझ में आती है। लेकिन, आठ करोड़ी तालाब.....किसी को हजम नहीं हो रहा है। नया तालाब भी नहीं। पुराने तालाब के एक्सटेंशन में जंगल विभाग ने आठ करोड़ रुपया फूंक दिया। वह भी बिना टेंडर के। कांग्रेस विधायक धनेंद्र साहू ने इसे विधानसभा में उठाया, तो सबको सांप सूंघ गया। 15 फरवरी की शाम वन मंत्री के यहां ब्रीफिंग में यह सवाल आया तो सन्नाटा छा गया। कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। प्रकरण की गंभीरता को समझकर मंत्रीजी ने यह कहते हुए हाथ खड़ा कर दिया....भाई कुछ भी हो, आपलोगों को टेंडर तो करना ही था। इसके बाद मुंह लटकाए अफसर लौट गए। रात में नींद भी नहीं आई....सदन में कहीं हंगामा न मच जाए। लेकिन, पता नहीं कैसे धनेंद्र साहू ने इसे सवाल को तूल न देते हुए बैठ गए। वरना, वन विभाग के अफसर भी मानते हैं...आठ करोड़ में से सीधे चार करोड़ अंदर गया है।
बड़े जिलों को पीछे छोड़ते हुए बस्तर का नारायणपुर जिला पीएम अवार्ड के इनोवेशन केटेगरी में दूसरे चरण में पहुंच गया है। नारायणपुर का काम भी हवा-हवाई नहीं। बल्कि विस्मृत करने वाला है। वहां के कलेक्टर टीपी वर्मा ने राज्य के सौर उर्जा योजना का अद्भूत क्रियान्वयन करते हुए अबूझमाड़ के 340 गांवों को विद्युतकृत कर दिया है। यहीं नहीं, नारायणपुर जैसे वनवासी इलाके के 80 फीसदी गांव अब बिजली से जगमगा रहे हैं। इसी तरह, रायपुर से लगा धमतरी पुलिस ने पेंडिंग अपराधों को समाप्त कर लोगों का ध्यान खींचा है। रजनेश सिंह ने दो महीने पहिले जब एसपी के रूप में ज्वाईन किए थे तो पेंडिंग केसेज 34 फीसदी थे। पिछले दिनों डीजीपी ने जब एसपी के वीडियोकांफें्रेसिंग किए तो धमतरी का क्राइम डेटा देखकर वे भी चकित थे। रजनेश ने धमतरी में एक ऐसे मर्डर मिस्ट्री का भंडाफोड़ किया, जिसमें सात हत्याओं का खुलासा हुआ। वर्मा राप्रसे से आईएएस बनें हैं और उनका यह पहला जिला है। और, रजनेश एकाध महीने में आपईपीएस बनने वाले हैं।
डीआईजी केसी अग्रवाल को कैट से बड़ी राहत मिलने के बाद एएम जुरी और राजकुमार देवांगन भी कैट की शरण में पहुंच गए हैं। दोनों ने भारत सरकार द्वारा अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी है। जुरी और देवांगन ने अपनी याचिका में कहा है कि बिना उन्हें सुने ही सरकार ने नौकरी से छुट्टी कर दी। देवांगन को पिछले साल जनवरी में और अग्रवाल और जुरी को भारत सरकार ने सितंबर में फोर्सली रिटायर कर दिया था।
1. क्या आईएएस गौरव द्विवेदी की विधानसभा सत्र के बाद प्रशासन अकादमी से मुख्य धारा में वापसी हो जाएगी?
2. जोगी कांग्रेस की सक्रियता को लोग उनकी कांग्रेस वापसी की संभावनाओं से जोड़कर क्यों देख रहे हैं?
स्टेट पीएससी में कितने फाइट के बाद डीएसपी में सलेक्शन होता है। फिर, दो साल की कठिन ट्रेनिंग। उसके बाद भी पोस्टिंग के लिए रिरियाना पड़े तो फिर इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता। 2016 में डीएसपी बनें अफसरों के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। ट्रेनिंग खतम होने के तुरंत बाद पुलिस मुख्यालय ने पोस्टिंग का प्रस्ताव गृह मंत्रालय को भेज दिया था। लेकिन, महीने भर में भी आदेश नहीं निकल पाया। अफसरों को उम्मीद थी कि विधानसभा सत्र के दौरान मंत्री से लेकर अफसर तक राजधानी में रहेंगे, तो आर्डर निकल ही जाएगा। लेकिन, सत्र के 13 दिन गुजर जाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। ऐसे में, सरकार को युवा अफसरों के लिए कुछ करना चाहिए।
मंत्रियों की फीस
चुनावी साल में मंत्रियों की फीस बेतहाशा बढ़ गई है। बढ़ी फीस के अनुसार पेमेंट नहीं हुआ, तो आपकी फाइल नहीं सरकेगी। वैसे, पोस्टिंग के लिए फीस लेना कई मंत्री गॉड गिफ्टेड अधिकार समझते हैं....भगवान ने उन्हें मंत्री जो बनाया है। लेकिन हद तो यह है कि अधिकांश मंत्रियों के बंगले में जेनविन फाइलें भी रोकी जाने लगी है। मंत्रियों के पीए की बे-शरमी के साथ एक ही वर्डिंग रहती है....चुनाव है साब, कुछ करना पड़ेगा। कुछ पीए तो ज्यादा आगे बढ़कर बैटिंग शुरू कर दिए हैं। उन्हें पता है, शंकर भगवान पर चढ़ावा आएगा तो लोग नंदी को थोड़े ही भूल जाएंगे।
अब रोहित का नम्बर
सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव विकास शील को दिल्ली डेपुटेशन पर जाने की मंजूरी दे दी है। विधानसभा सत्र के बाद वे दिल्ली के लिए कूच कर जाएंगे। विकास की पत्नी निधि छिब्बर पिछले साल डेपुटेशन पर दिल्ली गई थी। तभी से माना जा रहा था कि देर-सबेर विकास भी दिल्ली का रुख करेंगे। विकास के बाद पता चला है सिकरेट्री अरबन एडमिनिस्ट्रेशन रोहित यादव भी दिल्ली जाने वाले क्यूं में हैं। रोहित की पत्नी भी दिल्ली में हैं। सो, अप्रैल, मई तक रोहित की भी दिल्ली की रवानगी हो जाए, तो अचरज नहीं।
नकल भी अकल से
एक रिजर्व केटेगरी के मंत्री ने अपने साथी मंत्रियों की देखादेखी राजधानी के कचना में डेढ़ एकड़ बेशकीमती लैंड खरीद लिया। लेकिन, रास्ता को लेकर वे फंस गए हैं। दलाल ने उन्हें उनकी जमीन से कचना मेन रोड का जो रास्ता बताया था, उस पर बेजा कब्जा है। तरुण चटर्जी के जमाने से वहां लोग रह रहे हैं। मंत्रीजी यदि उन्हें हटवाए तो चुनाव के समय अलग बखेड़ा खड़ा हो जाएगा। अब मंत्रीजी पछता रहे हैं। जमीन खरीदने के लिए नाहक कंपनी बनाई....पत्नी को डायरेक्टर बनवाया। सब बेकार हो गया। ठीक ही कहते हैं, नकल भी अकल से करनी चाहिए।
कलेक्टरों के विकेट
अमन सिंह के यूएस से लौटने के बाद कलेक्टरों के ट्रांसफर की चर्चाएं फिर तेज हो गई है। वैसे, ट्रांसफर में इस बार कई फैक्टर काम करेंगे, इसलिए लिस्ट चौंकाने वाली निकल जाए तो आश्चर्य नहीं। चुनाव कराने का एंगल अहम है ही, प्रमोटी आईएएस को एडजस्ट करना होगा, सौदान सिंह ने राज्य के दौरे के बाद फीडबैक दिए होंगे, सरकार उसका भी ध्यान रखेगी। ऐसे में, कई कलेक्टरों के विकेट गिर जाएंगे। उन कलेक्टरों को भी सरकार बदल देगी, जिन्हें पिछले साल मई में ही पोस्ट किया गया। दुर्ग कलेक्टर आउटस्टैंडिंग काम कर रहे हैं.... मगर चुनावी राजनीति और चुनावी साल में ऐसे अफसरों के साथ दिक्कत जाती है। हालांकि, सरकार के पास अफसरों का टोटा भी है। सवाल है, नए कलेक्टर के लिए अफसर लाएगी कहां से। रिजर्व केटेगरी में ही पूरा नहीं हो पा रहा है। ऐसे में हो सकता है, 2011 बैच के रेगुलर रिक्रूट्ड को ड्रॉप करते हुए पिछले साल आईएएस अवार्ड हुए कुछ अफसरों को सरकार कलेक्टर बना दें। इस बैच में जीतेंद्र शुक्ला, तारण सिनहा, सुधाकर खलको, संजय अग्रवाल आदि हैं। इनमें से भी कुछ का नम्बर लग सकता है।
आठ करोड़ का तालाब
आठ करोड़ में केनाल या डेम बने तो बात समझ में आती है। लेकिन, आठ करोड़ी तालाब.....किसी को हजम नहीं हो रहा है। नया तालाब भी नहीं। पुराने तालाब के एक्सटेंशन में जंगल विभाग ने आठ करोड़ रुपया फूंक दिया। वह भी बिना टेंडर के। कांग्रेस विधायक धनेंद्र साहू ने इसे विधानसभा में उठाया, तो सबको सांप सूंघ गया। 15 फरवरी की शाम वन मंत्री के यहां ब्रीफिंग में यह सवाल आया तो सन्नाटा छा गया। कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। प्रकरण की गंभीरता को समझकर मंत्रीजी ने यह कहते हुए हाथ खड़ा कर दिया....भाई कुछ भी हो, आपलोगों को टेंडर तो करना ही था। इसके बाद मुंह लटकाए अफसर लौट गए। रात में नींद भी नहीं आई....सदन में कहीं हंगामा न मच जाए। लेकिन, पता नहीं कैसे धनेंद्र साहू ने इसे सवाल को तूल न देते हुए बैठ गए। वरना, वन विभाग के अफसर भी मानते हैं...आठ करोड़ में से सीधे चार करोड़ अंदर गया है।
छोटे मियां शुभांल्लाह
बड़े जिलों को पीछे छोड़ते हुए बस्तर का नारायणपुर जिला पीएम अवार्ड के इनोवेशन केटेगरी में दूसरे चरण में पहुंच गया है। नारायणपुर का काम भी हवा-हवाई नहीं। बल्कि विस्मृत करने वाला है। वहां के कलेक्टर टीपी वर्मा ने राज्य के सौर उर्जा योजना का अद्भूत क्रियान्वयन करते हुए अबूझमाड़ के 340 गांवों को विद्युतकृत कर दिया है। यहीं नहीं, नारायणपुर जैसे वनवासी इलाके के 80 फीसदी गांव अब बिजली से जगमगा रहे हैं। इसी तरह, रायपुर से लगा धमतरी पुलिस ने पेंडिंग अपराधों को समाप्त कर लोगों का ध्यान खींचा है। रजनेश सिंह ने दो महीने पहिले जब एसपी के रूप में ज्वाईन किए थे तो पेंडिंग केसेज 34 फीसदी थे। पिछले दिनों डीजीपी ने जब एसपी के वीडियोकांफें्रेसिंग किए तो धमतरी का क्राइम डेटा देखकर वे भी चकित थे। रजनेश ने धमतरी में एक ऐसे मर्डर मिस्ट्री का भंडाफोड़ किया, जिसमें सात हत्याओं का खुलासा हुआ। वर्मा राप्रसे से आईएएस बनें हैं और उनका यह पहला जिला है। और, रजनेश एकाध महीने में आपईपीएस बनने वाले हैं।
कैट की शरण में
डीआईजी केसी अग्रवाल को कैट से बड़ी राहत मिलने के बाद एएम जुरी और राजकुमार देवांगन भी कैट की शरण में पहुंच गए हैं। दोनों ने भारत सरकार द्वारा अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी है। जुरी और देवांगन ने अपनी याचिका में कहा है कि बिना उन्हें सुने ही सरकार ने नौकरी से छुट्टी कर दी। देवांगन को पिछले साल जनवरी में और अग्रवाल और जुरी को भारत सरकार ने सितंबर में फोर्सली रिटायर कर दिया था।
अंत में दो सवाल आपसे
2. जोगी कांग्रेस की सक्रियता को लोग उनकी कांग्रेस वापसी की संभावनाओं से जोड़कर क्यों देख रहे हैं?