तरकश, 28 फरवरी
एक और लिस्ट
आईएएस, आईपीएस के ट्रांसफर अभी कंप्लीट नहीं हुए हैं। बजट सत्र के बाद नौकरशाही की एक और लिस्ट निकलेगी। जाहिर है, पहली लिस्ट में कई कलेक्टरों का किन्ही कारणों से नम्बर नहीं लग पाया या फिर अभयदान मिल गया था। मसलन, राजेश टोप्पो साढ़े तीन साल से बलौदा बाजार में कलेक्टर हैं। और, लंबी कलेक्टरी का रिकार्ड अपने नाम कर लिया है। हर बार फेरबदल में उनका नाम चलता है। इस बार भी लगभग तय माना जा रहा था। लेकिन, ऐन वक्त पर लिस्ट से नाम निकल गया। इधर, रायपुर नगर निगम कमिश्नर अवनीश शरण को भी जिला मिलना तय माना जा रहा है। स्वास्थ्यगत कारणों से इस बार उनका नम्बर नहीं लग पाया। अगले फेरबदल में अवनीश को बलौदा बाजार भेजा सकता है। दंतेवाड़ा कलेक्टर सेनापति का राज्य निर्वाचन आयोग से पंगा होने के बाद ट्रांसफर भी तय था। लेकिन, विकल्प के अभाव में अगले फेरबदल तक के लिए टाल दिया गया। इसी तरह अगली सूची में कुछ और जिले प्रभावित हो सकते हंै।
अच्छे दिन
2007 बैच की आईएएस अफसर शम्मी आबिदी को कलेक्टरी की पारी शुरू करने में विलंब हुआ। उनके कई जूनियर आईएएस कलेक्टर बन चुके हैं। मगर उपर वाले ने दिया तो….। शम्मी को कांकेर का कलेक्टर पोस्ट किया गया। और, इसके दो दिन बाद उनके पति शेख आरिफ को सरकार ने बालोद का पुलिस कप्तान बना दिया। आरिफ का यह तीसरा जिला है। इससे पहले, वे धमतरी और जांजगीर संभाल चुके हैं और कुछ दिनो ंसे पीएचक्यू में अच्छे दिन का इंतजार कर रहे थे। कलेक्टरी और कप्तानी के चक्कर में पति-पत्नी में दूरियां न बढ़े, सरकार ने इसका भी बखूबी ध्यान रखा। कांकेर और बालोद एकदम सटा हुआ है। चलिये, आरिफ दंपति के अच्छे दिन आ गए।
हैट्रिक
अलरमेल ममगई डी छत्तीसगढ़ की पहली महिला आईएएस बन गईं हैं, जिन्हें सरकार ने लगातार कलेक्टरी करने का तीसरा मौका दिया है। ममगई महासमुंद में दो साल कलेक्टर रहीं। इसके बाद ढाई साल कांकेर में और अब उन्हें रायगढ़ जैसे बड़े जिले की कमान सौंपी गई है। हालांकि, दुर्ग कलेक्टर संगीता पी और कोरबा कलेक्टर रीना बाबा कंगाले का भी तीसरा जिला है लेकिन संगीता का कवर्धा और महासमुंद के बीच बे्रक हुआ। तो इसी तरह का कुछ रीना के साथ भी हुआ। इसके अलावा छत्तीसगढ़ की कोई महिला आईएएस एक-दो से ज्यादा जिला नहीं किया। बहरहाल, ममगई और संगीता दोनों सरकार के गुडबुक में हैं और आश्चर्य नहीं कि रायपुर कलेक्टर ठाकुर राम सिंह ठाकुर और बिलासपुर कलेक्टर सिद्धार्थ परदेशी का रिकार्ड ब्रेक कर दें। दोनों नाट आउट रहकर चैथा जिला कर रहे हैं।
झटका
हालांकि, डायरेक्ट आईएएस अफसरों को इससे झटका लगा होगा…..मगर सरकार ने मध्यप्रदेश की तर्ज पर प्रमोटी आईएएस गणेश शंकर मिश्रा पर भरोसा जताते हुए जनसंपर्क सिकरेट्री के साथ ही आयुक्त जनसंपर्क की भी अहम जिम्मेदारी सौंप दी। इससे पहले, 2006 में प्रमोटी आईएएस दिनेश श्रीवास्तव डीपीआर के साथ विशेष सचिव रहे। मगर सीपीआर कोई नहीं हुआ। मिश्रा का मीडिया के साथ रिलेशंस भी बढि़यां हैं…..बस्तर के कलेक्टर और कमिश्नर रहने के दौरान रायपुर और दिल्ली के अखबारों में वहां की खबरें छप जाती थी। इसको देखते ही सरकार ने उनका चयन किया। उनके पास आबकारी आयुक्त, आबकारी सचिव, पंजीयन और मुद्रांक सचिव का भी प्रभार यथावत रहेगा। सो, यह मानने में कोई हर्ज नहीं कि ब्यूरोक्रेसी में मिश्रा का कद और बढ़ गया है।
दो पत्नी वाले साब
दो पत्नी के चक्कर में एक आईपीएस अफसर डीआईजी नहीं बन पा रहे हैं। असल में, पहली पत्नी ने सीएम से आईपीएस की शिकायत कर दी थी। सीएम के निर्देश पर बिलासपुर के तत्कालीन आईजी डीएस राजपाल ने दबाकर जांच कर दी। जांच में इतने सारे तथ्य आ गए हैं कि पुलिस महकमा चाहकर भी अपने अफसर को बचा नहीं पा रहा है। कार्रवाई टालने के लिए विभागीय जांच जरूर शुरू कर दी गई है, जो आठ साल से जारी है। और, पुलिस विभाग की स्ट्रेज्डी के तहत आगे भी जारी रहेगी, जब तक कि आईपीएस रिटायर न हो जाएं।
कवर्धा के पीछे
पारिवारिक परिस्थितियों के चलते रायगढ़ एसपी राहुल भगत अपेक्षाकृत छोटा जिला कवर्धा में शिफ्थ हो गए। राहुल के बेटे की पिछले साल ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी। राहुल की चूकि ठीक-ठाक आईपीएस की छबि है, इसलिए डीजीपी ने भी उनकी सिफारिश की थी। बताते हैं, सीएम ने खुद राहुल से बात की और कवर्धा के लिए ओके कर दिया। दरअसल, कोई नहीं चाहता था कि राहुल को फिलहाल साइडलाइन किया जाए। बहरहाल, कवर्धा भले ही वीवीआईपी जिला हो मगर आकार, प्रकार में छोटा है। यही वजह है कि वहां कलेक्टर, एसपी तो ठीक-ठाक पोस्ट किए जाते हैं लेकिन लगभग सभी की स्टार्टिंग पोस्टिंग होती है। सोनमणि बोरा से लेकर सिद्धार्थ परदेशी, मुकेश बंसल सबने शुरूआत में ही कवर्धा किया।
20-20 मैच
बजट सत्र के पहले दुर्ग एसपी की पोस्टिंग पर पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने जिस तरह से बैटिंग की है, उससे लगता है, सदन में विपक्ष 20-20 स्टाइल में ही बैटिंग करने के लिए उतरेगा। कहीं ऐसा हुआ तो मध्यप्रदेश विधानसभा में जो हुआ, उसकी पुनरावृति छत्तीसगढ़ में भी हो सकती है। वैसे भी, जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, 12 मार्च को बजट पेश होने के बाद दसेक रोज में चर्चा कराने के बाद बजट पास कर सत्र समाप्त कर दिया जाएगा।
अंत में दो सवाल आपसे
1. जनवरी में राजधानी में तीन दिन का आईएएस कार्निवाल किया गया था। उससे डायरेक्ट आईएएस अफसरों को लाभ हुआ या नुकसान?
2. अमित कटारिया को बस्तर का कलेक्टर कैसे बना दिया गया?
2. अमित कटारिया को बस्तर का कलेक्टर कैसे बना दिया गया?