रविवार, 23 फ़रवरी 2020

पीएससी में आईएएस की वैकेंसी

23 फरवरी 2020
जून में पीएससी चेयरमैन केआर पिस्दा का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। रिटायर आईएएस के पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग के लिए यह बेहतर वैकेंसी हो सकती है। लेकिन, फिलहाल कोई दावेदार नजर नहीं आ रहा। डा0 आलोक शुक्ला का इसी साल मई में रिटायरमेंट जरूर है। मगर सरकार पहले ही संकेत दे चुकी है कि शुक्ला मंत्रालय में ही कंटीन्यू करेंगे। उन्हें स्कूल शिक्षा को को पटरी पर लाने का टास्क भी सरकार ने दे दिया है। हो सकता है, कोई प्रमोटी आईएएस रिटायरमेंट से पहले वीआरएस लेकर पीएससी चेयरमैन बन जाए। पिस्दा को भी रमन सरकार ने ऐसे ही बनाया था। रिटायरमेंट से करीब एक साल पहले पिस्दा आईएएस से वीआरएस लेकर पीएससी चेयरमैन बन गए थे। इसलिए, करीब तीन साल वे चेयरमैन रहे। पीएससी चेयरमैन के रिटायरमेंट एज 62 साल है। इसलिए, डायरेक्ट आईएएस इस पोस्ट को प्राथमिकता नहीं देते। सूबे में अभी तक एक भी डायरेक्ट आईएएस पीएससी चेयरमैन नहीं बना है। डायरेक्ट वाले रिटायरमेंट के बाद पांच साल वाले पोस्ट को प्रीफरेंस देते हैं। पीएससी चेयरमैन में 60 के बाद सिर्फ दो साल बाद ही विदा लेना पड़ जाता है। इसलिए, मानकर चलिये, इस बार भी कोई प्रमोटी आईएएस ही चेयरमैन बनेगा।

पहली महिला आईपीएस

बलौदा बाजार की एसपी नीतू कमल डेपुटेशन पर सीबीआई जा रही हैं। वहां उनकी एसपी पद पर पोस्टिंग हो गई है। नीतू बलौदा बाजार से रिलीव होने के लिए सीएम के विदेश दौरे से लौटने की प्रतीक्षा कर रही थीं। अब चूकि सीएम रायपुर आ गए हैं, इसलिए समझा जाता है, जल्द ही रिलीव होकर दिल्ली की फ्लाइट पकड़ लेंगी। नीतू महासमुंद, मुंगेली, जांजगीर, रायपुर की एसपी रह चुकी हैं। बलौदा बाजार उनका पांचवा जिला है। महिला एसपी के रूप में उनका यह रिकार्ड होगा। वैसे, पुरूषों में भी पवनदेव, बद्री मीणा और शेख आरिफ ही ऐसे आईपीएस होंगे, जो पांच से अधिक जिले के एसपी रहे हैं। आरिफ तो अभी क्रीज पर टिककर कप्तानी पारी खेल रहे हैं। रायपुर उनका सातवां जिला है। बहरहाल, सीबीआई में जाने वाली नीतू छत्तीसगढ़ की तीसरी आईपीएस होंगी। पहली महिला आईपीएस भी। इससे पहिले अमित कुमार सीबीआई मुख्यालय में ज्वाइंट डायरेक्टर पॉलिसी हैं। दूसरे अभिषेक शांडिल्य इन दिनों पटना में एसपी हैं।

एसपी की लिस्ट

नीतू कमल को रिलीव करने पर बलौदा बाजार एसपी का पद खाली हो जाएगा। जाहिर है, रिलीविंग के साथ ही सरकार वहां नए एसपी की पोस्टिंग करेगी। खबर है, बलौदा बाजार के साथ ही एक-दो और जिले के एसपी बदल सकते हैं। हालांकि, एसपी की लिस्ट बेहद छोटी होगी। बड़ी लिस्ट विधानसभा के बाद निकलेगी।

अफसरों पर गाज?

सीएम के विदेश दौरे के दौरान धान खरीदी को लेकर सूबे में जो कुछ हुआ, उससे सरकार खुश नहीं है। कई जिलों के कलेक्टर स्थिति को कंट्रोल करने में नाकाम रहे। सरकार में बैठे लोग भी मानते हैं कि आपस में कोआर्डिनेशन बेहतर होता तो ये स्थिति नहीं आती….अफसरों ने बीजेपी को बेवजह सियासी रोटी सेंकने का मौका दे दिया। संकेत हैं, सरकार की नाराजगी कुछ अफसरों को भारी पड़ सकती है। हालांकि, कुछ इसी तरह की स्थिति 2002 में भी उत्पन्न हुई थी। धान बेचने को लेकर किसान सड़क पर थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने पुराने मंत्रालय में अफसरों की बैठक बुलाई। उन्हें बताया गया कि कोलकाता की कंपनी ने बारदाना सप्लाई नहीं किया, जिससे यह स्थिति पैदा हुई है। जोगी आग-बबूला हो उठे….उन्होंने भरी मीटिंग से दो आईएएस अफसरों को उठा दिया था। बोले, दोनों अगली ट्रेन पकड़ कर कोलकाता जाओ। 18 साल पुराना वाकया अफसरों को आज भी याद है।

बीजेपी कंफ्यूज

छत्तीसगढ़ में लगातार 15 साल तक सत्ता में रही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर जो रवैया अपना रही, कार्यकर्ताओें में उसके मैसेज अच्छे नहीं जा रहे। विभिन्न स्तरों पर रायशुमारी के बाद लगभग दर्जन भर नेताओं के नाम इस पद के लिए सामने आ चुके हैं। लेकिन, नतीजा सिफर है। अलबत्ता, पार्टी में अभी यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किस वर्ग से अध्यक्ष चुना जाए। कभी आदिवासी तो कभी कुर्मी, साहू और सामान्य वर्ग पर आकर पार्टी नेताओं की चर्चा समाप्त हो जा रही। खबर है, बीजेपी का एक खेमा फिर से किसी आदिवासी को अध्यक्ष बनाने की कोशिश में है तो वहीं दूसरा खेमा इसके विरोध में। इस खेमे की दलील है, आखिर बीजेपी मे संगठन मंत्री, प्रांत प्रचारक, राज्य सभा सदस्य, अनुसूचित जनजाति आयोग अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री… सभी ट्राईबल हैं। बात कुछ हद तक सही भी है। कांग्रेस ने भी मोहन मरकाम को तभी अध्यक्ष बनाया, जब पार्टी सत्ता में आ गई। वरना, राज्य बनने के बाद से हमेशा दूसरे वर्ग से ही कांग्रेस का अध्यक्ष रहा। भाजपा में भी अधिकांश लोग इसी बात के पक्षधर हैं कि पार्टी को अगर खड़ा करना है, तो अध्यक्ष दमदार चाहिए।

राज्यसभा में भी कांग्रेस भारी

अप्रैल में राज्यसभा की दो सीटें खाली हो रही हैं। कांग्रेस से मोतीलाल वोरा और बीजेपी से रणविजय सिंह जूदेव का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। विधानसभा में कांग्रेस की संख्या बल की दृष्टि से दोनों सीटें अबकी कांग्रेस की झोली में जाएंगी। राज्य बनने के बाद यह पहला अवसर होगा कि पांच में से तीन राज्य सभा सीटें कांग्रेस की झोली में होंगी। छाया वर्मा पहले से राज्यसभा में हैं। जून 2022 में उनका कार्यकाल समाप्त होगा। अभी तक भाजपा के पास तीन और कांग्रेस की राज्यसभा में दो सदस्य होते थे। हालांकि, ये भी तय नहीं कि जून 2022 में रामविचार नेताम वाली सीट भी भाजपा को फिर से मिलेगी। बीजेपी को इसके लिए अजीत जोगी की पार्टी से सहयोग मांगना पड़ेगा। अभी जो राज्यसभा सदस्य हैं, उनमें से सरोज पाण्डेय का कार्यकाल सबसे लंबा है। वे 2024 तक सांसद रहेंगी।

हिमशिखर की पोस्टिंग

2007 बैच के आईएएस हिमशिखर गुप्ता को सरकार ने रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसाइटी बनाया है। इससे पहले उनके पास सिर्फ प्रशासन अकादमी के डायरेक्टर का चार्ज था। प्रशासन अकादमी में उनसे पहिले कभी यंग आईएएस नहीं रहा। प्रशासन अकादमी या तो एडिशनल पोस्टिंग होती है या फिर वहां उन सीनियर अफसरों को भेजा जाता है, जिनसे सरकार खफा होती है। हिमशिखर की किसी बात को लेकर एक मंत्री से कुछ खटरपटर हो गई थी। जिसके कारण सरकार ने हायर एजुकेशन कमिश्नर से हटा कर अकादमी भेज दिया था। शुक्र है, हिमशिखर की गाड़ी अब पटरी पर आ गई है।

सूचना आयुक्त का आदेश

विधानसभा के बजट सत्र के दौरान राज्य सूचना आयुक्त की पोस्टिंग हो जाएगी। इसकी सलेक्शन कमिटी में सीएम और नेता प्र्रतिपक्ष मेम्बर होते हैं। सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष हाउस में उपलब्ध भी रहेंगे। जीएडी ने आवेदनों को भी कम्पाइल कर दिया है। किसी भी दिन पोस्टिंग का आदेश जारी हो जाएगा। इस पद के लिए रिटायर आईएएस केडीपी राव, एनके खाखा, आलोक अवस्थी के नामों की चर्चा है। अब देखना है, सरकार इस पद पर रिटायर आईएएस को मौका देती है या किसी नान आईएएस को।

अंत में दो सवाल आपसे

1. पहली बार मुख्यमंत्री और स्पीकर एक साथ विदेश दौरे पर गए, इसकी असली वजह क्या है?
2. क्या पूर्व मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह हो सकते हैं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष?

शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

नौकरशाहों से CM मांगे रिजल्ट

16 फरवरी 2020
सीएम भूपेश बघेल और सीएस आरपी मंडल अमेरिका में हैं तो ऐसा नहीं है कि यहां अफसरों के मजे होंगे। बल्कि, इस समय वे ज्यादा टेंशन में हैं। टेंशन की वजह है सीएम के 33 प्वाइंट्स। सेन फ्रांसिस्को की फ्लाइट पकड़ने से पहिले सीएम ने मंत्रालय के सिकरेट्रीज समेत कलेक्टरों से बिंदुवार 33 योजनाओं की प्रगति की रिपोर्ट मांगी है। छह लाइन के लेटर में सीएम ने लिखा है, हर हाल में 20 फरवरी की शाम तक सीएम सचिवालय में रिपोर्ट्स पहुंच जानी चाहिए। लेटर की भाषा से लगता है, रिजल्ट न देने वाले अफसरों की खैर नहीं। पता चला है, अमेरिका से लौटते ही मुख्यमंत्री रिव्यू शुरू कर देंगे। विधानसभा की कार्यवाहियों के दौरान भी विभाग वार समीक्षाएं चलेगी। बजट सत्र के बाद कलेक्टरों के ट्रांसफर में भी ये 33 प्वांट्स प्रमुख पैरामीटर होंगे। दरअसल, विधानसभा का बजट सत्र खतम-खतम होते सरकार का लगभग डेढ़ साल पूरा हो जाएगा। इसके बाद काम करने के लिए बचेंगे सिर्फ ढाई साल। जाहिर है, पांचवे साल में कोई काम होता नहीं। सरकार चुनावी मोड में आ जाती है। इसलिए, सरकार अब ट्वेंटी-20 के मोड में बैटिंग करना चाहती है। बहरहाल, सीएम जब अफसरों से रिजल्ट मांगेंगे तो उसका खौफ सिर चढ़कर बोलेगा ही। अफसर घबराए हुए हैं।

प्रसन्ना की प्रसन्नता

2004 बैच के आईएएस आर प्रसन्ना को सरकार ने लंबे समय तक लगभग बिना विभाग के रखा। लगभग बिना विभाग मतलब पुछल्ला सा विभाग, जिसका कोई वजूद न हो…सिर्फ नाम का। हालांकि, पिछले महीने के एंड में आईएएस के ट्रांसफर में सरकार ने उन्हें मेन स्ट्रीम में लाकर समाज कल्याण विभाग का सचिव बनाया। लेकिन, वे काम शुरू कर पाते कि उससे पहले एनजीओ घोटाले की सीबीआई जांच का ऐलान हो गया। मतबल गड़बड़झाला किया कोई और, जवाब प्रसन्ना दें। लगता है, प्रसन्ना की प्रसन्नता की किसी की नजर लग गई है।

दाउजी बन गिस साहब

आमतौर पर कुर्ता, पायजामा, जैकेट और पटका में दिखने वाले सीएम भूपेश बघेल इन दिनों अमेरिका में हैं। यूएस में टेम्परेचर इन दिनों माईनस में चल रहा। ऐसे में कुर्ता, पायजामा भला कहां काम आने वाला। इसलिए, कई मौकों पर उन्होंने वहां सूट भी पहनी। उनमें से कोट और टाई वाली फोटो खूब वायरल हो रही है। सोशल मीडिया में इस पर लोगों के दिलचस्प कमेंट्स आ रहे…कई फॉलोवर्स ने लिखा…अपन दाउजी अब साहब बन गिस।

विवाद का पटाक्षेप?

राजधानी के भवन और हाउस के बीच उपजे विवाद का अब लगता है पटाक्षेप हो जाएगा। पता चला है, कुशाभाउ पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नए कुलपति के लिए नाम पर सहमति बन गई है। जो बीच का रास्ता निकला है, उसके अनुसार अब न जगदीश उपासने कुलपति बनेंगे और न ही दिल्ली के पत्रकार उर्मिलेश। उनके अलावा चार नाम और हैं पेनल में। इनमें से बलदेव शर्मा एक खास विचारधारा के माने जाते हैं। इसलिए, उनके नाम पर सहमति बनना संभव नहीं है। लिहाजा, मुकेश कुमार, लव कुमार मिश्रा या आशुतोष मिश्र में से किसी नाम का जल्द ऐलान हो जाए, तो अचरज नहीं।

केजरीवाल मॉडल-1

दिल्ली में केजरीवाल की पार्टी की धमाकेदार जीत से पहले छत्तीसगढ़ सरकार उनके मॉडल पर काम चालू कर दिया है। केजरीवाल की तरह भूपेश सरकार ने भी आम आदमी को टच करने वाले हेल्थ और स्कूल एजुकेशन पर अपना फोकस बढ़ाया है। आदिवासी इलाकों में सरकार का हॉट बाजार क्लीनिक हिट हो रहा है। दंतेवाड़ा और बीजापुर के उपचुनाव में इसका असर दिखा भी। अब शहरों में शहरी स्लम स्वास्थ्य केंद्र प्रारंभ करने की तैयारी है। इस बजट में इसका ऐलान हो जाएगा। स्लम स्वास्थ्य केंद्र सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों की तरह नहीं होगा, जिसमें डाक्टर ही नहीं होते। इसे आउटसोर्स करने पर विचार किया जा रहा है ताकि, हंड्रेड परसेंट रिजल्ट मिले। सीएम के रणनीतिकारों का मानना है, सूबे के ऐसे वर्ग इस योजना से लाभान्वित होंगे, जो महंगे प्रायवेट अस्पतालों में नहीं जा पाते। उन्हें अपने मुहल्ले में पैथोलॉजी के जनरल टेस्ट के साथ ही डाक्टरों का परामर्श के साथ ही मुफ्त में दवाइयां मिल जाएंगी। वास्तव में, सरकार का ये बड़ा काम होगा।

केजरीवाल मॉडल-2

केजरीवाल के मॉडल नम्बर दो को अंजाम तक पहुंचाने का जिम्मा सीएम भूपेश बघेल ने प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डा0 आलोक शुक्ला को दिया है। रिजल्ट देने वाले आईएएस माने जाने वाले शुक्ला ने इस पर काम शुरू कर दिया है। इसी सत्र से राजधानी के दानी, सप्रे और आरडी पाण्डेय स्कूल में पहली से बारहवीं तक अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाई चालू हो जाएगी। सरकार ने इन स्कूलों में अंग्रेजी टीचरों की भरती में फ्री हैंड दे दिया है। सीएम ने कहा है कि क्वालिटी में कोई समझौता नहीं होना चाहिए। अंग्रेजी टीचरों की भर्ती में नो एप्रोच…हमारी भी नहीं सुनना। गरीबों के बच्चों के लिए जिलों में एक-एक अंग्रेजी मीडियम स्कूल एक ट्रेलर है, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा को सुधारने के लिए एक मेगा प्रोजेक्ट पर काम कर रहे, इनमें से कई का असर आगामी सत्र से दिखने लगेगा। दरअसल, सरकार को भी मालूम है कि चावल, गेहूं, बोनस और समर्थन मूल्य कार्ड बार-बार नहीं चल सकता। ठोस काम करना ही होगा।

पोस्टिंग पर सस्पेंस

छत्तीसगढ़ के सबसे सीनियर आईएएस और राज्य योजना आयोग के वाइस चेयरमैन अजय सिंह 28 फरवरी को रिटायर हो जाएंगे। उनकी सेवानिवृत्ति के दिन जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं, ब्यूरोक्रेसी में उत्सुकता बढती जा रही है कि अजय सिंह को पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग मिलेगी या नहीं। यद्यपि, 31 अक्टूबर 2019 को बिलासपुर राजस्व बोर्ड चेयरमैन से उन्हें राज्य योजना आयोग का वाइस चेयरमैन बनाया गया था, तब लोग मानकर चल रहे थे कि फरवरी में रिटायरमेंट के बाद सरकार उन्हें योजना आयोग में संविदा पर उसी पद पर कंटीन्यू कर देगी। किन्तु, छत्तीसगढ़ में मौसम और अफसरों की पोस्टिंग का कोई भरोसा नहीं। देख ही रहे हैं….फरवरी में झमाझम बारिश हो जा रही है…..परफारमेंस ठीक न होने पर महीने भर में अफसरों की छुट्टी भी। अजय सिंह चीफ सिकरेट्री रहने के दौरान विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान होने से दो रोज पहिले समाज कल्याण घोटाले की जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में जमा कर आए थे। इसका खुलासा अभी हुआ है। पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग को लेकर अचानक जो संशय उपजा है, उसके पीछे समाज कल्याण विभाग की जांच रिपोर्ट भी हो सकती है।

शराब और दूरसंचार अधिकारी

शराब दुकानों के अगल-बगल बिकने वाले चखना केंद्रों को आबकरी विभाग सिस्टमेटिक करने जा रहा है। अब एक शराब दुकान, एक चखना बिक्री केंद्र होगा। इसके लिए ऑनलाइन टेंडर करने की तैयारी की जा रही है। चखना केंद्र के लिए ऑनलाइन टेंडर करने वाला छत्तीसगढ़ संभवतः देश का पहला राज्य होगा। असल में, आबकारी महकमे में एक टेलीफोन अधिकारी डेपुटेशन पर एमडी बन गए हैं। चल उनकी खूब रही है। ऐसे में, सरकार को देखना चाहिए दूरसंचार अधिकारी कुछ और चीजों को भी ऑनलाइन न करने की योजना न बना दें।

बियर प्रेमियों को सौगात

मई, जून की भीषण गरमी में चिल्ड बियर के लिए बियर प्रेमियों को काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं। दुकानों में कभी स्टॉक खतम हो जाता है तो कभी मिला भी तो गरम। मगर अब बियर प्रेमियों के लिए गुड न्यूज है…सूबे में अब बियर की किल्लत नहीं होगी। आबकारी महकमा राज्य में तीन बियर फैक्ट्री खोलने की तैयारी कर रहा है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. रायपुर जिले के एक विधायक का नाम बताइये, जो आरगेनाइज ढंग से वसूली के लिए चर्चित होते जा रहे हैं?
2. राजधानी के एक नेता का नाम बताइये, जो नया रायपुर रोड के मुहाने पर छेड़ीखेरी में एक शादी महल को 150 करोड़ में खरीदे हैं?

रविवार, 9 फ़रवरी 2020

आईएएस, सीबीआई और ईडी

9 फरवरी 2020
एनजीओ घोटाले में सीबीआई ने भले ही अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है लेकिन, कई नौकरशाहों की रात की नींद उड़ गई है। दरअसल, जिन अफसरों का सीधे इस मामले में नाम नहीं, उन्होंने भी बहती गंगा में डूबकी लगाने में कोई संकोच नहीं किया। समाज कल्याण विभाग के दस्तावेज इसकी चुगली करते हैं….कुछ नौकरशाहों के परिजनों के एनजीओ को इस संस्था से किस तरह बड़ी राशि ट्रांसफर की गई। परकाष्ठा तो यह भी है, समाज कल्याण के अधिकारियों ने नौकरशाहों के निजी खरीदी, निजी यात्राओं का भुगतान सरकारी खाते से कर दिया। फाइलों में अफसर के नाम के साथ बकायदा इसका उल्लेख है। एक सिकरेट्री ने समाज कल्याण के एक अफसर की पत्नी के एकाउंट में सवा दो करोड़ रुपए जमा करवाया। बाद में इसमें से विभिन्न लोगों को एमाउंट आरटीजीएस कराए गए। जाहिर है, सीबीआई तो पूछेगी ही कि हाउस वाइफ के खाते में सवा दो करोड़ रुपए आए कहां से….और, किसी आईएएस ने कराया तो उनका नाम क्या है। कोई आश्चर्य नहीं कि सीबीआई के साथ इस मामले में ईडी की भी इंट्री हो जाए। क्योंकि, इसमें व्यापक स्तर पर मनी लॉड्रिंग होने का भी अंदेशा है। ऐसे में, चिंता समझी जा सकती है।

दो दोस्त, एक विभाग

आईएएस सोनमणि बोरा और आईपीएस राहुल भगत दोनों अच्छे दोस्त हैं। दोनों दिल्ली में एक साथ, एक ही हॉस्टल में पढ़ाई किए हैं। बोरा यूपीएससी पहले क्रेक कर लिए और राहुल बाद में। हालांकि, दोनों को कैडर सेम मिला… छत्तीसगढ़। और, अब संयोग यह हुआ है कि दोनों श्रम विभाग में हैं। राहुल भारत सरकार में डायरेक्टर लेबर हैं तो सोनमणि को हाल ही में छत्तीसगढ़ में सिकरेट्री लेबर बनाया गया है। चलिये, उम्मीद करते हैं, दोनों के संबंधों का लाभ राज्य को मिलेगा। बोरा छत्तीसग़ढ़ को एक मेडिकल कालेज ही दिलवा दें। देश के करीब डेढ़ दर्जन राज्यों में लेबर विभाग का एक-एक मेडिकल कालेज संचालित है। लेकिन, छत्तीसगढ़ अभी तक इससे वंचित है।

डीपीसी में रोड़ा

डीजी के प्रमोशन में अड़चन यह है कि राज्य सरकार खाली तीनों पदों पर एक साथ प्रमोशन करना चाहती है और भारत सरकार इसके लिए राजी नहीं। इसका नतीजा यह है कि सूबे में पिछले तीन महीने से सिर्फ एक डीजी बच गए हैं। जबकि, कायदे से चार होना चाहिए। वैसे, डीजी के दो पदों के लिए सहमति 11 दिसंबर को आ गई थी। लेकिन, राज्य सरकार चाहती है, डीजी जेल बीके सिंह के रिटायर होने के बाद खाली पद पर भी एक साथ डीपीसी हो जाए। सीनियरिटी में पहले नम्बर पर संजय पिल्ले और दूसरे नम्बर पर आरके विज हैं। इनके लिए कोई दिक्कत नहीं है। पेंच तीसरे पद को लेकर फंसा है। तीसरे पद के लिए एडीजी अशोक जुनेजा दावेदार हैं। सरकार ने जुनेजा के लिए भारत सरकार से सहमति मांगी थी। लेकिन, मिनिस्ट्री ऑफ होम ने मना कर दिया। वहां के अफसरों का मानना है कि मुकेश गुप्ता सस्पेंड हैं रिटायर नहीं। इसलिए, उस पद पर किसी और को प्रमोशन कैसे दिया जा सकता है। लेकिन, पता चला है, राज्य की दलीलें सुनने के बाद केंद्र अब तीसरे पद के लिए तैयार हो गया है। लिहाजा, केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुमति मिलते ही डीपीसी हो जाएगी। समझा जाता है, डीजी के डीपीसी के साथ ही एसपी, डीआईजी और आईजी का प्रमोशन आदेश निकलेगा।

बजट सत्र के बाद

कलेक्टरों का ट्रांसफर अब विधानसभा के बजट सत्र के बाद ही होगा। सीएम और सीएस दो दिन बाद विदेश दौरे पर जा रहे हैं। वहां से 21 फरवरी को इंडिया लौटेंगे। इसके दो दिन बाद 24 से बजट सत्र प्रारंभ हो जाएगा। सत्र वैसे तो एक अप्रैल तक है। लेकिन, राज्य बनने के बाद कभी भी बजट सत्र कंप्लीट नहीं हुआ है। विभागों का बजट स्वीकृत होने के बाद कोई सरकार नहीं चाहती कि विपक्ष के नेताओं को खामोख्वाह नेतागिरी करने का मौका दिया जाए। पिछले अनुभवों को देखते मान सकते हैं कि 20 मार्च तक सेशन एंड हो जाए। याने मार्च के लास्ट वीक में कलेक्टरों की लिस्ट निकल जाएगी।

टीम भूपेश

सीएम भूपेश बघेल अफसरों के साथ अपने पहले विदेश दौरे पर 10 फरवरी को सुबह दिल्ली रवाना होंगे और वहां से उसी दिन देर रात यूएस की फ्लाइट पकड़ेंगे। 10 दिन में टीम सीएम हार्वर्ड के साथ ही न्यूयार्क और सेन फ्रांसिस्को जाएगी। खासकर वहां एग्रीकल्चर बेस इंडस्ट्री की संभावना टटोलेगी जाएगी। उनके साथ सीएस आरपी मंडल, एसीएस होम सुब्रत साहू, पीएस टू सीएम गौरव द्विवेदी, सीएम के सलाहकार प्रदीप शर्मा, सीएसआईडीसी के एमडी अरुण कुमार शामिल होंगे। टीएम भूपेश 21 फरवरी की सुबह दिल्ली लौटेगी।

मंत्री का विदेश प्रवास ब्रेक

नगरीय प्रशासन मंत्री बनने के बाद शिव डहरिया हाल ही में पहली बार विदेश गए थे। लेकिन, नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस की घमाकेदार जीत के बाद सीएम के साथ मंत्रियों का पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिलने का प्रोग्राम बन गया। नगरीय प्रशासन मंत्री के लिए यह बड़ा मौका था। जीत की शिल्पी सीएम तो थे ही लेकिन, विभाग डहरिया का है। सीएम भी इसके लिए कई बार नगरीय प्रशासन विभाग को एप्रीसियेट कर चुके हैं। ऐसे में, बुद्धिमानी का काम करते हुए डहरिया विदेश यात्रा बीच में ब्रेक कर तीन दिन पहले ही स्वीडन से दिल्ली लौट आए।

दीपांशु का रिकार्ड

97 बैच के आईजी दीपांशु काबरा को सरकार ने बिलासपुर का आईजी बनाया है। जनवरी 2019 में रायपुर आईजी से हटने के बाद से दीपांशु खाली बैठे थे। सरकार की पता नहीं क्या नाराजगी रही कि उन्हें कोई विभाग नहीं दिया। और, दिया तो ऐसा कि लोग आवाक रह गए! छत्तीसगढ़ के पांचों रेंज में बिलासपुर सबसे अहम पुलिस रेंज माना जाता है। कोरबा, रायगढ़, जांजगीर बिलासपुर में आते हैं। उपर से प्रोटोकॉल का कोई टेंशन नहीं। रायपुर आईजी का आधा समय तो इसी में जाता है। दीपांशु की पोस्टिंग में खास यह भी है कि वे सूबे के पहले आईपीएस बन गए हैं, जिन्हें दूसरी बार उस रेंज में मौका दिया गया है, जिसमें वे आईजी रह चुके हैं। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। कलेक्टर में एक बार सुबोध सिंह को दूसरी बार रायपुर का कलेक्टर बनने का अवसर मिला था। लेकिन, एसपी, आईजी में ऐसा कभी नहीं हुआ। दीपांशु रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और सरगुजा के आईजी रह चुके हैं। आईजी के रूप में बिलासपुर में उनका पांचवा रेंज होगा। यह रिकार्ड देश के शायद किसी भी आईजी के पास नहीं होगा।

कलेक्टरों को सीएस की पाती

चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल ने मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत बच्चों और महिलाओं को गर्म भोजन मुहैया कराने के मामले में कलेक्टरों को पत्र लिखा है। इसमें से नारायणपुर कलेक्टर पीएम एल्मा का पत्र कहीं से वायरल हो गया। पत्र की भाषा से स्पष्ट है, सीएस सुपोषण अभियान में कलेक्टरों की दिलचस्पी न लेने से काफी नाराज हैं। पता चला है, सीएस की चेतावनी मिलने के बाद कलेक्टर्स सुपोषण अभियान को लेकर अचानक संजीदा हो गए हैं। जाहिर है, डर तो होगा ही….सत्र के बाद होने वाले फेरबदल में कहीं कुर्सी न खिसक जाए।

अंत में दो सवाल आपसे

1. क्या बजट सत्र के बाद भूपेश बघेल मंत्रिमंडल का पुनर्गठन हो सकता है?
2. बिलासपुर कलेक्टर डा0 संजय अलंग सिकरेट्री बनने के बाद रायपुर लौटेंगे या कलेक्टर में ही कंटीन्यू करेंगे?

आईएएस और मनी लॉंड्रिंग

2 फरवरी 2020
दिव्यांगों के नाम पर गड़बड़झाले की अगर सीबीआई जांच हुई तो उसकी लपटें कुछ और आईएएस अफसरों को झुलसा देगी। एक सिकरेट्री के खिलाफ तो मनी लॉंड्रिंग का एक अलग मामला बन जाएगा। दरअसल, जिन अफसरों के खिलाफ हाईकोर्ट ने सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है, उनमें नीचे के एक अफसर ऐसे भी हैं, जिनके एकाउंट से मंत्रालय के एक सिकरेट्री साब ने मोटी रकम बाहर भिजवाई है। इनमें दो किश्तों में भेजी गई 65 लाख रुपए भी शामिल है। इस राशि को दो अलग-अलग एकाउंट से पुणे भेजा गया। सिकरेट्री ने अफसर की पत्नी के खाते से इसे आरटीजीएस कराया। राज्य सरकार की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के अधिकारियों ने इस रकम के बारे में जब सवाल किया तो आरोपी अफसर ने कलमबंद बयान में बताया, फलां सिकरेट्री का बेटा पुणे में पढ़ाई कर रहा था, साहब ने वाइफ के एकाउंट में पैसा जमा कराया फिर आरटीजीएस करवाया। एजेंसी के पास रिकार्डेड बयान है और अरोपी अफसर के हाउस वाइफ के खातों का पूरा डिटेल भी। इसके बाद भी जांच एजेंसी ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। जांच एजेंसी के अफसर अगर बयान को इधर-उधर कर दिए होंगे तो सीबीआई को कार्रवाई के लिए जाहिर है बैंक एकाउंट काफी होगा।

दिव्यांगों के पैसे से शादी

समाज कल्याण विभाग एक तरह से कहें तो अफसरों के लिए चारागाह बन गया था। राज्य सरकार भले ही इस विभाग को ज्यादा बजट नहीं मिलता। मगर भारत सरकार से भरपूर ग्रांट मिला। एक जांच अधिकारी ने समाज कल्याण के एक अफसर से पूछा कि आपलोगों ने इस तरह नियम-कायदों को ताक पर क्यों रख दिया, अफसर ने बताया क्या बताए साब…उपर वालों का पूरा खर्चा उठाना पड़ता था। समाज कल्याण विभाग से जुड़े एक नौकरशाह की बेटी की शादी में 80 लाख का पेमेंट विभाग के अफसरों ने किया था। ऐसे ढेरों उदाहरण हैं, जो बताता है दिव्यांगों के पैसों को हजम कर अफसरों ने किस तरह देश में छत्तीसगढ़ को बदनाम किया।

आईजी और कमिश्नर की पोस्टिंग

दुर्ग के कमिश्नर दिलीप वासनीकर और सरगुजा के आईजी केसी अग्रवाल 31 जनवरी को रिटायर हो गए। उनकी जगह पर अभी किसी नए अधिकारी की पोस्टिंग नहीं हुई है। समझा जाता है, मुख्यमंत्री दिल्ली के दौरे पर हैं। कल रायपुर लौटने पर शाम तक नए कमिश्नर और आईजी के नाम का ऐलान हो जाए। कमिश्नरों का पावर समेट देने के कारण इस पोस्ट का हालांकि क्रेज नहीं है लेकिन सरगुजा आईजी को लेकर कश्मकश चल रहा। अभी तक दो ही दावेदार थे। रतनलाल डांगी और ओपी पाल। अब इसमें दो नाम और जुड़ गए हैं। डीआईजी आरपी साय और टीएस पैकरा का। साय सरगुजा में बटालियन के कमांडेंट हैं। और, पैकरा एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर। एटीसी भी वैसे छोटा पोस्ट नहीं है फिर भी कोयला नगरी में आईजी का भी अपना अलग अहमियत है। अब देखना है, कल सरकार किसके नाम पर मुहर लगाती है।

कलेक्टरों की छोटी लिस्ट?

छह फरवरी को पंचायत चुनाव की आचार संहिता समाप्त हो जाएगी। इसके बाद सरकार के सामने कलेक्टरों के बहुप्रतिक्षित ट्रांसफर को लेकर कोई रोड़ा नहीं रहेगा। सीएम भूपेश बघेल 11 फरवरी को विदेश दौरे पर जा रहे हैं। जाहिर है, सात से 11 के बीच किसी भी दिन लिस्ट निकल सकती है। हालांकि, इसमें एक नया अपडेट यह भी है कि सरकार बजट सत्र के बाद भी ट्रांसफर पर विचार कर सकती है। तब तक धान खरीदी और बजट सत्र भी समाप्त हो जाएगा। फिर, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि सरकार का किसी कलेक्टर से गंभीर नाराजगी जैसी बात नहीं है। आखिर, दस के दस नगर निगमों में कांग्रेस का मेयर बन गया है। सरकार के नजदीकी लोगों के संकेत से लगता है, सीएम के विदेश जाने से पहले अगर लिस्ट निकली भी तो छोटी होगी। इसमें एक-दो ऐसे कलेक्टरों के नाम शामिल हो सकते हैं, जिसे चीफ सिकरेट्री पुअर पारफारमेंस पर हटाने के लिए रिकमांड करें।

रिटायर आईएएस या?

सूचना आयुक्त के एक खाली पद के लिए सरकार ने विज्ञापन निकाल दिया है। ये अच्छी बात है पहली बार सूचना आयोग में पोस्टिंग के लिए विज्ञापन निकला है। मगर, इस पोस्ट पर आसीन कौन होगा, इसको लेकर लोगों में काफी उत्सुकता है। हालांकि, कुछ रिटायर आईएएस एवं एनजीओ से जुड़े लोग इसके लिए दावेदारी कर रहे हैं। मगर सरकार किसके नाम को ओके करती है, यह वक्त बताएगा।

मुदित की जगह पीसी

राज्य वन अनुसंधान संस्थान वन विभाग का बड़ा और प्रतिष्ठित इंस्टिट्यूट है। इसके डायरेक्टर मुदित कुमार को सरकार ने सीजी कास्ट का डायरेक्टर अपाइंट किया है। इसमें महत्वपूर्ण यह है कि मुदित कुमार खुद की इच्छा से सीजी कॉस्ट गए हैं। मुदित बड़े संस्थान को छोड़कर सीजी कॉस्ट में क्यों गए, इस पर सवाल उठना लाजिमी है। बहरहाल, उनकी जगह पर एडिशनल पीसीसीएफ पीसी पाण्डेय को वन अनुसंधान संस्थान का डायरेक्टर बनाए जाने की चर्चा है।

भाजपा में सब ठीक नहीं

केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह इस हफते रायपुर में थे। उन्होंने बीजेपी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस कार्यक्रम के बाद बीजेपी में जिस तरह खुसुर-फुसुर हो रही, उससे लगता है, उपर में भले ही ठीक दिख रहा मगर पार्टी के भीतर नहीं। अमित शाह के कार्यक्रम का संचालन पूर्व मंत्री राजेश मूणत से कराया गया। और, आभार प्रदर्शन राजीव अग्रवाल से। पार्टी के नेताओं को ऐतराज है कि चार-चार महामंत्री के होने के बाद भी पूर्व मंत्री से संचालन क्यों? रायपुर सांसद से स्वागत कराया गया मगर नगर विधायक को छोड़ दिया गया। संचालन, स्वागत और आभार में नेताओं की हिन्दी की शैली पर भी भाजपा के अंदर चुटकी ली जा रही।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एमसीआई के सिकरेट्री छत्तीसगढ़ के सीनियर आईएएस डॉ0 आलोक शुक्ला के बैचमेट हैं। मेडिकल कॉलेजों की मान्यता और पीजी कोर्स के लिए राज्य में त्राहि माम मचा हुआ है, ऐसे में डॉ. शुक्ला की मदद क्यों नही ली जानी चाहिए?
2. आईपीएस में डीआईजी से लेकर डीजी तक के प्रमोशन किस वजह से लटक गए हैं?