तकरार
धान को खपाने के चक्कर में एक सिकरेट्री और एक कलेक्टर में चार दिन पहले जमकर तकरार हो गई। असल में, संग्रहण केंद्रों से उठाव न होने से 2011-12 का 500 करोड़ और 2012-13 का 800 करोड़ का धान अब सड़ने लगा है। मंत्रालय के एक सिकरेट्री ने अपना दामन बचाने के लिए नायाब नुख्सा निकाला और कलेक्टरों को मौखिक फारमान जारी कर दिया कि राईस मिलरों को 20 फीसदी अतिरिक्त धान दिया जाए। याने कोई 80 क्विंटल धान खरीदता है, तो 20 क्विंटल मुफ्त में दे दो। और, उसे शार्टेज में शो कर दो। जबकि, भारत सरकार के नार्म के अनुसार दो फीसदी से अधिक शार्टेज हो नहीं सकता। धमतरी और महासमंुद जैसे कुछ जिलों ने तो 20 फीसदी एक्सट्रा धान देना भी चालू कर दिया। लेकिन, एक बड़े जिले के हाईप्रोफाइल कलेक्टर ने सिकरेट्री का गलत निर्देश मानने से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, सीबीआई जांच होगी, तो फंसेंगे हम….आप लिखित में आदेश दीजिए। इसको लेकर दोनों में जमकर बहस हो गई। कलेक्टर लेकिन टस-से-मस नहीं हुए। बताते हैं, सिकरेट्री को बाहर जाना है। और, धान पड़ा रह गया तो सरकार रिलीव नहीं करने वाली। सो, उन्होंने अपने रिपोर्ट कार्ड के लिए यह शार्ट कट रास्ता निकाला। वैसे, सिकरेट्री की इस करतूत की खबर चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड को मिल गई है और ढांड ने इसको लेकर उन्हें जमकर फटकारा है। बहरहाल, कलेक्टर के अड़ने से सरकार का 200 करोड़ से अधिक का धान राईस मिलरों को खैरात में देने से बच गया।
रास्ता ब्लाक
विष्णु देव साय के केंद्रीय मंत्री बनने से न केवल रमेश बैस का रास्ता ब्लाक हो गया बल्कि, छत्तीसगढ़ बीजेपी के सेकेंड लाइन के नेताओं के लिए भी आगे जाने का रास्ता बंद ही समझिए। सरल और सहज होने के साथ ही साय की उम्र भी कम है। छबि भी निर्विवाद है। ना ही कभी आदिवासी एक्सप्रेस वगैरह के चक्कर में पड़े। सबसे अहम यह कि मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह के बेहद नजदीक एवं विश्वस्त हैं। डाक्टर साहब ने ही उन्हें दोबारा बीजेपी प्रेसिडेंट बनवाया था। जाहिर है, भविष्य मंे कभी जरूरत पड़ी तो वे साय पर ही भरोसा करना मुनासिब समझेंगे। ऐसे में, कुछ मंत्रियों की चिंता लाजिमी है।
छोटी लिस्ट
नौकरशाहों के ट्रांसफर के लंबी-चैड़ी सूची निकालने की बजाए सरकार अब छोटी-छोटी लिस्ट जारी कर रही है। आपने देखा ही, पहले कलेक्टर के तौर पर ओपी चैधरी का सिंगल आर्डर निकला। फिर, तीन जिलों का। उच्चाधिकारियों की मानें तो बड़ी सूची तैयार करने में समय लगता है, इसलिए वह टलता जाता है। छोटी में जब समय मिले, दो-दो, तीन-तीन को निकालना ज्यादा आसान होता है।
उल्टा-पुल्टा
कलेक्टरों के ट्रांसफर में उल्टा-पुल्टा भी हुआ। कांकेर कलेक्टर ममगई डी का ट्रांसफर होना तय था और सूत्रांे की मानें तो वे इसके लिए मेंटली प्रिपेयर्ड थीं। वैसे, दो साल उनका हो भी गया था। लेकिन, विकेट उड़ गया उनके पति याने अंबलगन पी का। अंबलगन को जांजगीर का कलेक्टर बनें मुश्किल से आठ महीने ही हुए थे। उन्हें जीरम घाटी नक्सली हमले के बाद मई एंड मंे बस्तर कलेक्टर से हटाया गया था। और, सितंबर में उन्हें जांजगीर की कमान सौंपी गई थी। अंबलगन के विरोधियों को भी अंदेशा नहीं होगा कि वे इतना जल्द कलेक्टरी से रुखसत हो जाएंगे। वैसे, कलेक्टरी की मजबूत दावेदारी अबकी श्रुति सिंह और शम्मी आबिदी की भी रही। मगर अब सेकेंड लिस्ट में ही इनका नम्बर लगे।
रिवार्ड
संगीता आर दूसरी महिला कलेक्टर होंगी, जिन्हें एक जिले से दूसरे और बड़े जिले में कलेक्टर बनाकर भेजा गया है। इससे पहले, ममगई डी को महासमुंद से कांकेर भेजा गया था और अब, संगीता को महासमुंद से दुर्ग का कलेक्टर बनाया गया है। दुर्ग बोले तो सूबे का सबसे बड़ा जिला। बालोद और बेमेतरा जिला बनने के बाद भी दुर्ग का वजन अभी कम नहीं हुआ है। इस दृष्टि से देखें तो सरकार ने संगीता का कद बढ़ा दिया है। हालांकि, आईएएस लाबी में चुटकी लेने वालों की कमी नहीं है, महासमुंद में बीजेपी कठिन परिस्थितियों में जीत गई, सो संगीता को उसका रिवार्ड मिला है।
उलटफेर
कलेक्टरों की एक लिस्ट और निकलेगी। कम-से-कम छोटे-बड़े चार जिलों के और कलेक्टर बदले जाएंगे। इसी तरह आईपीएस में भी अबकी बड़ी उलटफेर हो सकती है। सरकार अब नक्सल इश्यू पर ज्यादा संवेदनशील है। सो, बस्तर में शीर्ष पुलिस अधिकारियों के न केवल ट्रांसफर होंगे बल्कि एसआरपी कल्लूरी को भी मुख्य धारा में लाकर सरकार बड़ी जवाबदेही सौंप सकती है। एसपी लेवल में भी आधा दर्जन से अधिक जिलों में चेंजेज हो सकते हैं। पुलिस महकमे में कुछ बड़े अफसरों का कद छोटा किया जा सकता है।
मोदी का खौफ
नरेंद्र मोदी के पीएम बनने का खौफ सिर्फ खटराल टाईप के नेताओं और नौकरशाहों में नहीं है, बल्कि माओवादी भी घबराए हुए हैं। आईबी के पास जो इंटेलिजेंस फीड्स आए हैं, उसके अनुसार नक्सली अपने ठिकानों को और मुफीद करने में जुट गए हैं। खबर ऐसी भी है कि नक्सली फिलहाल किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने से बचेंगे। अपने अस्तित्व के लिए भले ही छुट-पुट घटनाएं करते रहे। नक्सलियों को भय सता रहा कि बड़ी वारदात करने पर मोदी जवाबी कार्रवाई करवा सकते हैं।
एडवांस गिफ्ट
जांजगीर कलेक्टर ओपी चैधरी इस महीने की 20 तारीख को डा0 अदिति पटेल के साथ परिणय सूत्र में बंध जाएंगे। चैधरी रायगढ़ जिले के हैं और अदिति भी उनके पड़ोसी गांव की रहने वाली हैं। रायपुर मेडिकल कालेज से एमबीबीएस करने के बाद अदिति दो साल से दिल्ली में सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही थीं। मेंन्स क्लियर करने के बाद 3 जून को उनका इंटरव्यू है। चूकि, जेठ की शादी अच्छी नहीं मानी जाती। ओपी की मां भी इसके लिए तैयार नहीं थी। इसलिए, उसे 20 जून करना पड़ा। बहरहाल, कलेक्टर रहते किसी आईएएस की छत्तीसगढ़ में पहली शादी होगी। वह भी माटी पुत्र का। ऐसे में, उसका हाईप्रोफाइल होना स्वाभाविक है। शादी में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कुछ मंत्रियों के साथ बड़ी संख्या में ब्यूरोके्रट्स रायगढ़ पहुंचेंगे। इधर, शादी की तारीख तय होते ही सरकार ने ओपी को कलेक्टर बना दिया। इसलिए, ब्यूरोक्रेसी में हंसी-मजाक भी खूब चल रहा है, सरकार ने ओपी को शादी का एडवांस गिफ्ट दिया है…..।
अंत में दो सवाल आपसे
1. सुनिल कुमार को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त राज्य योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाने से सूबे के किस राजनीतिज्ञ को सर्वाधिक पीड़ा हुई होगी?
2.राज्य निर्वाचन अधिकारी सुनील कुजूर को सरकार ने ग्रामोद्योग जैसे बेहद छोटे विभाग में क्यों पोस्ट कर दिया?