शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

तरकश, 23 फरवरी


तरकश



लोकपाल की आहट

मंत्रियों के तीखे विरोध के चलते कैबिनेट में लोकपाल कानून का मामला आगे नहीं बढ पाया, मगर 15 दिन में सरकार ने जिस तरह के तेवर दिखाएं हैं, भ्रष्ट अफसरों के लिए संकेत अच्छे नहीं कहे जा सकते। आमतौर पर रेंजर और पटवारी तक कार्रवाई को सीमित रखने वाले ईओडब्लू ने शनिवार को मरवाही डीएफओ को अपना शिकार बनाया। यहीं नहीं, 15 दिन के भीतर सरकार ने ट्रेप के 30 मामलों में चालान पेश करने की अनुमति दे दी है। सभी मामले पांच साल से मंत्रालय में लंबित थे। ईओडब्लू और एसीबी सीएम के अधीन हैं और फिलहाल विधि विभाग भी उन्हीं के पास हैं। सो, सीएम सचिवालय ने इन सभी मामलों का फटाफट निराकरण कर चालान पेश करने की हरी झंडी दे दी। अब, मान कर चलिये, ट्रेप के बाद भी मजे से नौकरी कर रहे सरकारी मुलाजिम अब 15 से 20 दिन के भीतर सस्पेंड हो जाएंगे। इससे पहले, पिछले महीने आय से अधिक संपत्ति के मामले में ईओडब्लू दो अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर जेल की हवा खिला चुका है। मंत्रालयीन सूत्रों का कहना है कि आय से अधिक संपत्ति के केस में मार्च फस्र्ट वीक तक 10 से 15 मामलों की स्वीकृति मिल जाएगी। इनका जेल जाना भी तय समझिए। कह सकते हैं, सूबे में लोकपाल की आहट शुरू हो गई है।

हुस्न के कद्रदान

राजधानी के अफसरों में हुस्न के कदद्रानों की कमी नहीं है। इसके लिए वे मंुबई और गोवा तक चले जाते हैं। मगर सब इस तरह बुद्धि वाले थोड़े ही होते हैं। इसीलिए तो दो आईएफएस और एक आईपीएस बुरी तरह फंस गए हैं। रायपुर के चर्चित सेक्स स्केंडल की सीडी में तीनों आला अफसरों समेत दर्जन भर से अधिक वन, पुलिस और राजस्व विभाग के अफसरों की मौज-मस्ती है। पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है, यह मामला इक्कीसवी सदी टाईप का है। याने हुस्न कद्रदानों से दो कदम आगे निकल गया। पहले खूब लुटा और इतना लुटा कि कद्रदानों को पुलिस की शरण लेनी पड़ गई।

नो फेयरवेल

चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार के रिटायरमेंट की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 28 फरवरी को वे सेवानिव्त हो जाएंगे। कुमार पहले सीएस होंगे, जिनका कोई फेयरवेल नहीं होगा। और औपचारिक और ना ही अनौपचारिक। आफिसर्स क्लब की स्थापना दिवस पर आईएएस अधिकारियों ने रविवार को औपचारिक बिदाई देने का प्लान बनाया है। लेकिन सीएस इसके लिए शायद ही तैयार हों। रायपुरियंस आज भी याद करते हैं, सुनिल कुमार जब रायपुर कलेक्टर से डायरेक्टर पब्लिक रिलेशंस बनकर भोपाल गए थे, तब भी ऐसा ही हुआ था। लोगों को पता ही नहीं चला कि कब वे छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में बैठकर भोपाल चले गए। जाहिर है, कुमार को सरकारी अधिकारियों का वेलकम और फेयरवेल पसंद नहीं। सीएस के रूप में जब उन्होंने पुराने मंत्रालय में ज्वाईन किए थे, तो तत्कालीन डीजीपी अनिल नवानी को भी गुलस्ता लेकर भीतर जाने की इजाजत नहीं मिली थी। सीएस का स्टाफ ने विनम्रतापूर्वक गुलस्ता बाहर रखवा दिया था।

जल्द आर्डर

पीसीसीएफ की तरह नए चीफ सिकरेट्री का आर्डर भी 28 से पहले निकल जाएगा। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो सोमवार या मंगलवार तक सरकार आदेश निकाल देगी। सीनियरटी में चूकि विवेक ढांड पहले नम्बर पर हैं, इसलिए, उनका दावा भी पहले नम्बर पर है। हालांकि, सीएस की दौड में डीएस मिश्रा भी थे। मगर आखिरी समय में लगता है, वे पिछड़ गए। अब, ढांड का सीएस बनना लगभग तय माना जा रहा है। अब, ऐन वक्त पर माथे पर लिखी लकीन गड़बड़ा जाए, तो बात अलग है। आखिर, डा0 आनंद कुमार के साथ कुछ इसी तरह का हुआ। डीजीपी बनते-बनते गाड़ी अटक गई।

कलेक्टर साब

एक नए जिले के कलेक्टर के साईकेट्रिक हरकतों से मातहल इस कदर परेशान हैं कि उनकी पोस्टिंग के बाद 17 डिप्टी और एडिशनल कलेक्टरों ने सरकार को हाथ-पांव जोड़कर अपना ट्रांसफर करा लिया। कोई भी अफसर हफ्ते भर में वहां से ट्रांसफर के जुगाड़ में लग जाता है। हालांकि, सरकारी योजनाओं का टारगेट पूरा न होने पर कलेक्टर कांफे्रंस में सीएम खूब नाराज हुए थे और लिस्ट में उनका नाभ भी था मगर एक मंत्रीजी हाथ जोड दिए कि साब कुछ दिन और उसे वहां रहने दो….मुझे उसने चुनाव जीतवा दिया है। और, कलेक्टर साब बच गए। ये कलेक्टसाब वहीं हैं, जो रायपुर के एक पडोसी जिले में कलेक्टर थे, तो वहां की एक महिला डिप्टी कलेक्टर के साथ उनके खूब चर्चे उड़े थे।

तारीफ

आवास पर्यावरण विभाग की चर्चा के दौरान सत्यनारायण शर्मा ने हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर सोनमणि बोरा की जमकर तारीफ कर उनकी चेहरे पर हवाइयां उड़ा दी थी। शर्मा ने कहा, बोरा जैसे अफसर की तारीफ करनी होगी, जिन्होंने सड्डू के जलभराव जैसे समस्या को खतम किया। अब, विरोधी पार्टी का नेता अगर सदन में किसी अफसर की सराहना कर दें, तो उसकी क्या हालत होगी, समझा जा सकता है। मगर सत्तू भैया जरा दूसरे मूड मंे थे। लगे हाथ वे अमित कटारिया और इसके बाद राजेश मूणत को ईमानदार मंत्री बताकर बोरा का टेंशन दूर कर दिया।

रन आउट

विधानसभा में गंभीर चर्चाओं के बीच हास-परिहास भी खूब होते हैं। शुक्रवार को सीएम के विभागों की चर्चा में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव के भाषण के बाद मुख्यमंत्री की बारी आई तो उन्होंने चुटकी ली….नेता प्रतिपक्ष ने आठ बार हैट्रिक का जिक्र किया है याने कांग्रेस ने अब भाजपा की हैट्रिक को स्वीकार कर लिया है, मगर अब आपलोग नो बाल मत फेंकना। क्योंकि, नो बाल में न विकेट नहीं मिलता, उल्टे हमलोगों को रन मिल जाता है। इस पर सिंहदेव ने खड़े होकर कहा, डाक्टर साब नो बाल में विकेट मिलता है, प्लेयर रनआउट तो होता है। इस पर रमन ने कहा, आप लोग इस भ्रम में ना रहे, हमलोग रन आउट नहीं होते। चैथी बार भी हमलोग ही बैटिंग करेंगे।

अंत में दो सवाल आपसे

1. अजीत जोगी रायगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या कांकेर से?
2. एक कलेक्टर का नाम बताइये, जिनके साथ महिला अफसर काम करने से घबराती हैं?

सोमवार, 17 फ़रवरी 2014

तरकश

महंगा पड़ा
सरकार से रार ठानना एक आईएएस अफसर को महंगा पड़ गया. सरकार ने विदेश प्रवास के फिजूलखर्ची की डेढ़ लाख से ज्यादा की रिकवरी निकाल दी है. और,उन्हें अब उसको चुकता करना होगा. आईएएस के साथ एक सैर-सपाटे वाले बोर्ड के चेयरमैन और महाप्रबंधक सरकारी दौरे पर 6 मार्च 2013 को बर्लिन गए थे. उन्हें कायदे से 10 मार्च को लौट आना था, मगर वे इंडिया आने के बजाए स्विटजरलैंड चले गए और वहां 11 से 14 मार्च तक रहे. प्रत्येक ने वहां होटल का 70 हजार रुपये और वाहन का 85 हजार का बिल दिया था. सरकार इस बात की पड़ताल कर रही है कि वहां वे अलग-अलग वाहन में घूमे नहीं होंगे. फिर, बिल अलग-अलग सब्मिट क्यों किये. अगर एक गाड़ी में घूमे और बिल तीन गाड़ी का दिए हैं, तो मामला और पेचीदा हो जाएगा. बहरहाल, गेंहूं के साथ घुन पिस जाता है. जीएम से रिकवरी चालू हो गई है. हर महीने वे अपने वेतन से पैसा कटवा रहें हैं. आईएएस का अगर सरकार से टकराव नहीं होता, जीएम साब से भी वसूली नहीं होती. इससे पहले, ऐसा हमेशा होता आया है, अफसर विदेश जाते हैं और अपनी मर्जी से घूम-घामकर बाद में एप्रव्हूल ले लेते थे.
उम्मीदें
कांग्रेस लेवल वाले आईपीएस अफसर आरसी पटेल को रिटायरमेंट की शाम आईजी से एडीजी प्रमोट कर देने के बाद सरकार से डिस्टेंस वाले कई आईपीएस अफसरों को भी दिन फिरने की उम्मीदें बढ़ गई हैं. पटेल को समय से 11 महिने पहले प्रमोट कर सीएम ने जिस तरह दरियादिली दिखाई, उसका पुलिस महकमे में बढ़िया मैसेज गया है. आईपीएस अफसरों में भी यह मानने वाले की कमी नहीं है कि अगर अजीत जोगी भी सीएम होते, तो पटेल का प्रमोशन नहीं हो पाता. इसके बाद से कम से कम आधा दर्जन आईपीएस अफसरों की उम्मीदें जवां हो गई है कि उनका भी कुछ हो सकता है.
एसपी का रिकार्ड
छत्तीसगढ़ के डीजीपी बनने जा रहे डा. आनंद कुमार देश के पहले आईपीएस हैं, जिन्होंने एसपी के रूप में 10 जिलो में काम किया है. भोपाल, ग्वालियर, मुरैना, सिहोर, रतलाम,, छत्तीसगढ़ में रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग. ये तीनों विभाजित होकर अब 12 जिलें बन गए हैं. कुमार का 10 जिलों का रिकार्ड अभी टूटा नहीं है. छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक छह जिले का रिकार्ड स्व. बीएस मरावी के नाम दर्ज है.
मौजा ही मौजा
11 साल में यह विधानसभआ का पहला सेशन होगा, जब सरकार इतना कंफर्ट फील कर रही है और मंत्रियों का तो मत पूछिये. कोई टोकने वाला नहीं है कि सवाल का जवाब क्या होना चाहिये और वे क्या बोल रहे हैं. यह सब इसलिये हो रहा है कि विपक्ष के सारे दिग्गज इस बार निपट गए. सत्तू भैय्या अकेले कितना करी. पहले मंत्रियों को घेरने के लिए रविंद्र चौबे के साथ धरमजीत सिंह, मोहम्मद अकबर जैसे विधायक किसा मसले पर एक साथ खड़े होते थे. मई तक तो नंदकुमार पटेल भी थे. अमितेष शुक्ला, ताम्रध्वज साहू और शिव डहरिया का खरी-खरी भी लोग खूब सुनते थे. मगर नए विधायकों की वजह से अब नजारा बदला हुआ है. विपक्ष के बजाए सत्ताधारी पार्टी के देवजी भाई पटेल और संतोष बाफना ज्यादा तीखें सवाल कर रहे हैं.
एसपी की लिस्ट
लोकसभा चुनाव के पहले आईपीएस की छोटी लिस्ट निकल सकती है. पिछले दिनों पुलिस महकमे के आला अधिकारियों के साथ सीएम हाउस में इसे लेकर प्रारंभिक चर्चा भी हुई है. चुनावी हिसाब से इसमें दो-तीन एसपी हो सकते हैं. बिलासपुर आईजी राजेश मिश्रा हालांकि पदोन्नत होकर एडिशनल डीजी बन गए हैं, मगर विकल्प की कमी की वजह से फिलहाल उन्हें रेंज में बनाए रखने के संकेत मिल रहे हैं. वैसे, एडीजी को रेंज में रखने के कई उदाहरण हैं. भोपाल रेंज में एडीजी विजय यादव लंबे समय तक रहे. चुनाव आयोग का कहीं कोई लोचा नहीं आया, तो मिश्रा भी बिलासपुर में रह सकते हैं.
वास्तुदोष
धरमलाल कौशिक ने चुनाव हारने के बाद स्पीकर बंगले को खाली कर दिया, मगर गौरीशंकर अग्रवाल उसमें शिफ्ट नहीं हुए हैं. बंगले का रंग-रोगन के साथ ही वास्तुदोष दूर किया जा रहा है. बंगले के आफिस के बगल में एक छोटा सा तालाबनुमा घड्ढ़ा था, उसे पाट दिया गया है. आफिस के मेन गेट की दिशा बदल दी गई है. वास्तुशास्त्रियों ने दावा किया है कि बंगले में कुछ आवश्यक चेंज के बाद कोई भी स्पीकर चुनाव नहीं हारेगा. काश? पहले ऐसा हो गया होता.
अंत में दो सवाल आपसे
- प्रधानमंत्री के सलाहकार का लोकसभा चुनाव के ऐन पहले बस्तर का मुआयना करने का क्या मतलब था ?
- किस आईपीएस का वजन सरकार बढ़ा सकती है ?
संजय दीक्षित

शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

तरकश, 8 फरवरी


rao

केडीपी करेंगे ज्वाईन

प्रींसिपल सिकरेट्री केडीपी राव को आखिरकार, बिलासपुर कमिश्नर ज्वाईन करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राव ने सोमवार को ज्वाईन करने का फैसला किया है। गौरतलब है, पिछले साल मई में बिलासपुर कमिश्नर बनाए जाने खिलाफ राव ने राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती दी थी। कैट और हाईकोर्ट में मामला खारिज हो जाने के बाद पिछले महीने उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। सुको ने उन्हें ज्वाईन करने की हिदायत दी। साथ में, राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। कोर्ट ने 9 महीने के वेतन के लिए सरकार के समक्ष पे्रजेंटेशन देने के लिए भी कहा है। हालांकि, कोर्ट-कचहरी के चक्कर में राव को 9 महीना घर बैठना पड़ गया। एक आईएएस के लिए यह एक बडा नुकसान है। ठीक ही कहा गया है, सरकार से पंगा नहीं लेना चाहिए।

आचार संहिता

वैसे तो विधानसभा का बजट सेशन 27 फरवरी तक था। मगर आचार संहिता के चक्कर में सप्ताह भर पहले समाप्त हो जाए, तो अचरज नहीं। दिल्ली से जो संकेत मिल रहे हैं, 21 से 25 के बीच कभी भी लोकसभा चुनाव का ऐलान हो सकता है। ऐसे में, सरकार 27 तक विनियोग विधेयक पारित करने का रिस्क नहीं ले सकती। बजट पास नहीं हुआ, तो बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। ऐसे में, सरकार की रणनीति होगी, 21 तक विभागों पर चर्चा कराकर बजट पास हो जाए। जाहिर है, इसमें विपक्ष को भी कोई एतराज नहीं होगा। वह भी चाहेगा कि चुनाव के लिए फील्ड में उतरा जाए। लिहाजा, 21 फरवरी बजट सत्र का आखिरी दिन हो सकता है।

वास्तुदोष

धरमलाल कौशिक ने चुनाव हारने के बाद स्पीकर बंगले को खाली कर दिया मगर गौरीशंकर अग्रवाल अभी उसमें शिफ्थ नहीं हुए हैं। बंगले का रंग-रोगन के साथ ही वास्तु दोष दूर किया जा रहा है। बंगलो आफिस के बगल में एक छोटा सा तलाबनुमा गड्ढा था, उसे पाट दिया गया है। आफिस के मेन गेट की दिशा बदल दी गई है। वास्तुशास्त्रियों ने दावा किया है कि बंगले में कुछ आवश्यक चेंजेस के बाद कोई भी स्पीकर चुनाव नहीं हारेगा। काश! प्रेमप्रकाश पाण्डेय और धरमलाल कौशिक ने अगर अपने बंगले को वास्तु के हिसाब से चंेंज करा लिया होता, तो उनकी राजनीतिक स्थिति आज कुछ और होती।

अति व्यस्तता

चीफ मिनिस्टर की व्यस्तता तो वैसे भी काफी होती है। मगर छोटे-बड़े 15 विभागों का बोझ होने के चलते बजट सत्र में डाक्टर साब की व्यस्तता और बढ़ गई है। सीएम के पास अभी वित्त, उर्जा, योजना और आर्थिक, माईनिंग, सामान्य प्रशासन, जनशिकायत निवारण, अरबन एडमिनिस्ट्रेशन, वाणिज्य और उद्योग, विधि-विधायी, फारेस्ट, जनसंपर्क, खेल और युवा कल्याण, विमानन जैसे कई अहम डिपार्टमेंट हंै। दरअसल, दो मंत्रियों की जगह खाली होने के कारण उनके विभाग भी सीएम देख रहे हैं। इनमें उर्जा, अरबन एडमिनिस्ट्रेशन, वन सरीखे कुछ विभाग ऐसे हैं, जिसमें खूब प्रश्न लगते हैं। सोमवार को सीएम का क्योश्चन डे था और इसमें 25 में से 20 प्रश्न उनके विभागों के थे। इसके लिए रविवार को सीएम हाउस में रात 11 बजे तक ब्रिफिंग चली। पूरे छह घंटे। वो तो 10 साल का तजुर्बा है, इसलिए चल जा रहा है…..विभागों का लगातार रिव्यू करने के कारण अधिकांश चीजें उन्हंें पता है। बावजूद इसके, लोकसभा चुनाव के बाद डाक्टर साब शायद ही इतना बोझ रखना चाहें।

ढांड….मगर

चीफ सिकरेट्री के लिए विवेक ढांड का नाम तो वैसे सबसे अधिक चर्चा मंे हैं मगर उनकी ताजपोशी होने पर सूबे के पांच आईएएस बिना सीएस बनें रिटायर हो जाएंगे। इनमें डीएस मिश्रा, एमके राउत और एनके असवाल जैसे अफसर हैं। दरअसल, ढांड का मार्च 2018 में रिटायरमेंट है। इससे पहले, अप्रैल 16 में डीएस मिश्रा, जुलाई 16 में राधाकृष्णन, मई 17 में असवाल और नवंबर 18 में राउत रिटायर हो जाएंगे। हालांकि, अगले साल जुलाई में आरसी सिनहा का भी नम्बर है। मगर विभागीय जांच के चलते उनका अब सिकरेट्री से उपर जाना संभव नहीं है।

रिकार्ड-1

छत्तीसगढ़ के डीजीपी बनने जा रहे डा0 आनंद कुमार देश के पहले आईपीएस हैं, जिन्होंने एसपी के रूप में 10 जिला किया है। भोपाल, ग्वालियर, छतरपुर, मुरैना, सिहोर, रतलाम, छत्तीसगढ़ में रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग। ये तीनों विभाजित होकर अब 12 बन गए हैं। कुमार का 10 जिलों का रिकार्ड अभी तक टूटा नहीं है। छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक छह जिले का रिकार्ड स्व0 बीएस मरावी के नाम दर्ज है। मरावी का हर्ट अटैक से दो साल पहले निधन हो गया था।

रिकार्ड-2

रायपुर ज्वाईन कर ठाकुर राम सिंह ने सूबे के तीनों बड़े जिले में कलेक्टरी करने का रिकार्ड बनाया है। इससे पहले, डायरेक्ट आईएएस को भी यह मौका नहीं मिला। एमके राउत, आरपी मंडल, विकास शील, सुबोध सिंह और सोनमणि बोरा ने राजधानी और न्यायधानी में कलेक्टरी की। मगर उन्हें दुर्ग का चांस नहीं मिला। राम सिंह दुर्ग के तब कलेक्टर रहे, जब उसमें बालोद और बेमेतरा शामिल था। रायगढ़ भी वे कर चुके हैं। रायगढ़ अब चैथे नम्बर का जिला हो गया है। याने एक से चार तक के बड़े जिले राम सिंह कर चुके। उन्हें सिद्धार्थ परदेशी से जरूर टक्कर मिल सकता है। चैथा जिला वे भी कर रहे हैं। रायपुर के बाद अब बिलासपुर गए हैं। कवर्धा और राजनांदगांव जैसे वीवीआईपी जिला भी उनका हो चुका है। राम सिंह और परदेशी, दोनों ने ही जब से इंनिंग शुरू की है, नाट आउट हैं। बिना बे्रक के चार जिला करने वालों में सोनमणि बोरा भी हैं। बोरा अगर दुर्ग कर लेते हैं, तो नम्बर वन में आ जाएंगे। क्योंकि, वे सीएम का गृह जिला भी किए हैं। आईपीएस में बड़े जिले में अशोक जुनेजा का रिकार्ड अभी अनब्रेकेबल है। वे रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और रायगढ़ जिले के एसपी रह चुके हैं।

भारी पड़ा

ब्यूरोक्रेट्स की गाडि़यों से पीली बत्तियां निकलवाना दुर्ग के आरटीआई एक्टिविस्ट इंदर सोनी को भारी पड़ गया। मामूली सी बात पर वहां की एक महिला अफिसर से आरटीआई में जवाब देने के लिए बहस क्या हुई, पहले से खार खाए अफसरों ने पुलिस में एफआईआर दर्ज करा दी। इंदर अब जमानत के लिए भागे-भागे फिर रहे हैं। वे अभी तक दर्जन भर से अधिक अपात्र अफसरों के वाहनों से पीली बत्ती उतरवा चुके हैं। पिछले साल वे चर्चा में तब आए थे, जब दुर्ग के एडिशनल कलेक्टर की एंबेसडर से पीली बत्ती न निकालने पर उन्होंने कलेक्टर को सीधे चेतावनी दे थी कि बत्ती उतरवा दीजिए, वरना वे पत्थर मारकर उसे तोड़ देंगे। इसके बाद भले ही वे उसे जेल भेज दे। विधानसभा चुनाव के पहले भी कोरिया में पोस्टेड एक महिला सीएसपी पीली बत्ती लगाकर दुर्ग आई थी तो चोपड़ा ने उसे रोका था। विवाद होने के बाद पुलिस ने महिला अफसर की बत्ती निकाल दी थी। जिस मामले में महिला अफसर से उनका आरटीआई को लेकर विवाद हुआ, उसमें अंदर की बात यह है कि अधिकारी चार साल से अधिक समय से दुर्ग में जमी हैं। विधानसभा चुनाव के समय इंदर ने चुनाव आयोग से उसकी शिकायत कर दी थी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस आईएएस को दिल्ली में छत्तीसगढ़ सरकार का सलाहकार बनाने की चर्चा है ?
2. आनंद कुमार के भोपाल एसपी रहने के दौरान उनका एक प्रोबेशनर आईपीएस किस संवदेनशील आरोप में सस्पेंड हुआ था?

शनिवार, 1 फ़रवरी 2014

तरकश, 2 फरवरी

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बड़ा दिल

रिटायरमेंट के आखिरी दिन के लास्ट आवर में आईजी से एडीजी प्रमोट होकर आरसी पटेल ने आईएएस जवाहर श्रीवास्तव का रिकार्ड तोड़ डाला। जवाहर श्रीवास्तव पिछले साल सेवानिवृत्ति के अंतिम दिन प्रींसिपल सिकरेट्री बने थे। मगर पटेल का आदेश तो रिटायर होने के 15 मिनट पहले निकला गया। इसमें अहम बात यह है कि पटेल के कांग्रेस से विधानसभा चुनाव लड़ने की खासी चर्चा रही। और, नंदकुमार पटेल अगर होते तो उन्हें टिकिट मिल भी गई होती। सरकार की नोटिस में ये बात भी थी कि रायगढ़ जिले से कांग्रेस के एक युवा विधायक ने हाउस में सारगर्भित भाषण दिया था, उसे तैयार करने में पटेल की भूमिका रही। विरोधियोें ने उसकी शिकायत भी की। मगर डाक्टर साब ने बड़ा दिल दिखाते हुए फाइल को ओके कर दिया।

फंस गए पंडितजी

आरसी पटेल के फेर में बेचारे बिलासपुर आईजी राजेश मिश्रा फंस गए। दोनों 90 बैच के आईपीएस हैं। पटेल का प्रमोशन होकर एडिशनल डीजी बनें तो मिश्रा का प्रमोट होना भी स्वााभाविक था। दुर्ग एसपी से हटने के लंबे समय बाद उन्हें बिलासपुर रेंज की पोस्टिंग मिली थी। मगर साल भी नहीं गुजरा कि सरकार ने प्र्रमोट कर दिया। वह भी पटेल के चक्कर में समय से पहले। अब, सरकार की नजरे इनायत बरकरार रही तो ठीक है, वरना मुश्किल हो सकती है। हालांकि, भोपाल में शिवराज सरकार ने एडीजी विजय यादव को रेंज में रखा था। सरकार चाहे तो मिश्रा के एडीजी बनने के बाद भी उन्हें रेंज में रखा जा सकता है।

चालू हो गए….

मंत्रालय में पिछले सप्ताह हुई कलेक्टर कांफें्रस इस मायने में अलग रही कि सीएम ने सीधे करप्शन को निशाना बनाया। खासकर युवा कलेक्टरों के खिलाफ गड़बडि़यों की शिकायतों पर वे फट पड़े। दरअसल, उन्हें कहीं से पता चला है कि कई युवा आईएएस अभी से शुरू हो गए हैं। तभी सीएम ने कहा, मुझे लोग बताते हैं, फलां युवा आईएएस, फलां कलेक्टर अभी से चालू हो गया है…..ऐसा वे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। बिलासपुर संभाग के एक नए जिले के कलेक्टर को उन्होंने योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने पर जोरदार फटकार लगाई।
खलबली
डा0 आनंद कुमार के डीजीपी बनने में अभी हफ्ता भर और वक्त लग सकता है मगर इससे पहले ही पुलिस महकमे में खलबली मची है। असल में, कुमार अनुशासन के मामले में बेहद सख्त हैं। दो टूक बात करते हैं और चापलूसी बिल्कुल पसंद नहीं। बिलासपुर में एसपी रहने के दौरान लोग याद करते हैं, किस तरह एंबेसडर कार में हैंगर में अपनी वर्दी लटकाकर चलते थे। ताकि, कहीं ला एंड आर्डर की स्थिति पैदा हो तो तत्काल वर्दी पहनकर मौके पर पहुंच सकें। फालोआप उनका जबर्दस्त है। जबकि, उस समय मोबाइल नहीं था। मगर कोई घटना होने पर फोन पर ही मातहत अफसरों को इतना टाईट कर देते थे कि स्टाफ टरका नहीं सकता था। अब तो संचार के इतने सशक्त माध्यम हो गए हैं कि अफसरों को मुश्किल जाएगी। खासकर पुलिस कप्तानों को। कप्तान अभी कई जगह से निर्देशित होते हैं। विश्वरंजन के बाद एसपी को डीजीपी की बहुत परवाह नहीं रह गई थी। मगर कुमार के साथ ऐसा नहीं होगा।

बंगला नहीं न्यारा

सीएम ने 80 करोड़ के बंगले का प्रस्ताव क्या खारिज किया, पूर्व स्पीकर धरमलाल कौशिक के बंगला का रिनोवेशन भी पचड़े में पड़ गया। जाहिर है, पूर्व स्पीकर को राजधानी में सरकारी बंगला आबंटित किया जाता है। कौशिक ने सिविल लाईन स्थित नारायण चंदेल का बंगला पसंद किया था। मगर उसके इंटिरियर और फर्नीचर आदि पर 40 लाख का खर्च आ रहा था। बताते हैं, पीडब्लूडी ने राजेश मूणत को इसकी फाइल भेजी तो वे गरम हो उठे। उन्होेंने कहा, 40 लाख में नया एचआईजी बंगला बन जाएगा। फाइल अब ठंडे बस्ते में है।

लोकसभा के बाद

कलेक्टर कांफें्रस के दिन सरकार ने आनन-फानन में पांच जिलों के कलेक्टरों की छोटी लिस्ट जारी की और ऐसे संकेत मिले थे कि सेकेंड लिस्ट भी जारी हो सकती है। मगर सरकार ने अब फैसला किया है, लोकसभा के बाद ही अब चेंजेस किया जाएगा। आचार संहिता खतम होगी तब तक मानसून आ जाएगा। बरसात में आमतौर पर कलेक्टरों के ट्रांसफर होते नहीं। सो, अक्टूबर चला जाए, तो आश्चर्य नहीं।

अदला-बदली

आईएएस और आईपीएस के ट्रांसफर में अबकी पोस्टिंग की अदला-बदली भी हुई। रायपुर और बिलासपुर कलेक्टर एक-दूसरे जिलों में शिफ्थ किए गए, तो आईपीएस में एएन उपध्याय और अशोक जुनेजा के बीच भी कुछ ऐसा ही हुआ। जून 2008 में जुनेजा होम सिकरेट्री से दिल्ली डेपुटेशन पर गए थे, तो उनकी कुर्सी उपध्याय ने संभाली थी। दोनों के बीच कुर्सी एक बार फिर बदली। अब जुनेजा होम सिकरेट्री बनाए गए हैं, और उपध्याय को प्रशासन में भेजा गया है। उधर, रोहित यादव सरगुजा के कलेक्टर रह चुके हैं। अबकी उनकी पत्नी रीतू सेन को सरगुजा की कमान सौंपी गई है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. भावी डीजीपी डा0 आनंद कुमार के साथ सबसे अधिक समय तक प्रोबेशनर के तौर पर काम करने वाले अशोक जुनेजा को कुमार के आने से पहले ही पीएचक्यू से क्यों हटा दिया गया? 
2. कांग्रेस की आर्थिक नाकेबंदी किसानों के हित के लिए किया गया या लोकसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं को चार्ज करने के लिए?