20 दिसंबर
संजय दीक्षित
कलेक्टरों की लिस्ट अब जनवरी में नहीं, अगले साल अप्रैल में निकलेगी। याने बजट सत्र के बाद। तब रायपुर कलेक्टर ठाकुर राम सिंह रिटायर होंगे। तब तक तीन-चार कलेक्टरों का दो साल पूरा हो जाएगा। कोई हिट विकेट हो गया तो बात अलग है। अप्रैल में 2003 बैच भी अब क्लोज्ड हो जाएगा। इस बैच की लास्ट बैट्समैन रीतू सेन सरगुजा कलेक्टर हैं। इस बैच के सिद्धार्थ कोमल परदेशी, रीना बाबा कंगाले हाल ही में पारी खतम कर राजधानी लौटे हैं। हालांकि, रीतू के रायपुर कलेक्टर बनने की चर्चाएं भी खूब थीं। मगर नए बैच को मौका देने के लिए सरकार ने अब इस बैच को क्लोज्ड करना लगभग तय कर लिया है। दरअसल, सरकार की चिंता 2009 बैच है। दीगर राज्यों में 2010 बैच के आईएएस कलेक्टर बन गए हैं। छत्तीसगढ़ में 09 बैच का अभी चालू नहीं हुआ है। हालांकि, अगले फेरबदल में तय मानिये। मगर छह में से तीन-चार के ही नम्बर लग पाएंगे। जाहिर है, कलेक्टर बनने के लिए कंपीटिशन अब टफ हो गया है।
टू माइनस टू….
जनवरी में दो नए आईजी प्रमोट होंगे। हेमकृष्ण राठौर और बीपी पौषार्य। मगर इसके साथ ही दो आईजी माइनस भी होंगे। रविंद्र भेडि़या 31 जनवरी को रिटायर होंगे। उधर, सरगुजा आईजी लांग कुमेर एडीजी बन जाएंगे। याने दो आईजी बढ़ेंगे तो दो घट जाएंगे। टू माइनस टू एजकल्टु जीरो। याने आईजी की कमी बनी रहेगी। ये हो सकता है कि लांग कुमेर के बाद राठौर को सरगुजा का आईजी बना दिया जाए। क्योंकि, वे ट्रांसपोर्ट में रह चुके हैं। जाहिर है, ट्रांसपोर्ट में काम किए आईपीएस का सरकार से बढि़यां तालमेल बन जाता है।
डिमोशन मुबारक
राधाकृष्णन बोले तो देश के सबसे सीनियर चार में से एक आईएएस। 79 बैच के। याने चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड से भी दो साल सीनियर। शायद यही वजह है कि सरकार ने जब उन्हें वेयरहाउस में एमडी पोस्ट किया तो नौकरशाही भी चैंक गई। एमडी जूनियर आईएएस का पोस्ट है। अभी 2009 बैच के समीर विश्नोई एमडी थे। जाहिर है, ये राधाकृष्णन का डिमोशन था। दूसरा कोई पानी वाला आईएएस होता तो वीआरएस ले लेता। आखिर, पी जाय उम्मेन ने लिया ही। मगर जो पता चला है, आप भी हैरत में पड़ जाएंगे। राधाकृष्णन पिछले छह महीने से सीएम से चिरौरी कर रहे थे, आठ महीने बचा है रिटायरमेंट में। आखिरी वक्त में कुछ तो दे दीजिए। आदिवासी अनुसंधान परिषद में कुछ था नहीं। वेयरहाउस में कुछ तो है। वैसे भी आदत कुछ वाली है। सो, राधाकृष्णन को डिमोशन मुबारक।
एक नम्बर…..
रमन सरकार के 12 बरस पूरे होने पर टीवी चैनलों पर चल रहा विज्ञापन छत्तीसगढ़ एक नम्बर…..हिट हो गया है। छोटे-छोटे बच्चे भी गुनगुना रहे हैं…..छत्तीसगढ़……। वैसे भी, 12 दिसंबर को पिं्रट एन इलेक्ट्रानिक मीडिया रमनमय रहा। आलम यह था कि मीडिया के जो लोग सालों तक राशन-पानी लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रहे, वे भी 12 बरस सेलिब्रेट करने में कोई कमी नहीं की। बल्कि, वे आगे ही रहे। लिहाजा, सीएम ने जनसंपर्क विभाग की पीठ ठोकी तो जाहिर है, इतना तो बनता है।
गच्चा खा गई कांग्रेस
शीतकालीन सत्र की लाख तैयारी के बाद भी कांग्रेस सदन में सत्ताधारी पार्टी से गच्चा खा गई। किसानों की आत्महत्या के इश्यू को कांग्रेस जोर-शोर से उठाने की तैयारी की थी। लेकिन, ऐसा हो नहीं पाया। असल में, रविवार को कैबिनेट में ही सरकार ने व्यूह तैयार कर ली थी। कांग्रेस 2018 में सीएम कौन बनेगा, वार-पलटवार में लगी रही और उधर, कैबिनेट में किसानों के लिए की जाने वाली घोषणओं का ड्राफ्ट तैयार हो रहा था। बताते हैं, सभी मंत्रियों को स्पष्ट हिदायत दी गई थी कि किसी भी सूरत में लीक नहीं होना चाहिए। गुरूवार को कांग्रेस विधायक बांह चढ़ाते हुए सदन में पहुंचे थे कि आज तो…..। मगर जैसे ही प्रश्नकाल खतम हुआ, मुख्यमंत्री किसानों के बारे में पहले से तैयार वक्तव्य पढ़ने लगे। कांग्रेस के पास अनुभवी विधायकों का टोटा है। इसलिए, कोई समझ नहीं पाया, क्या हो रहा है। कांग्रेसी क्लास के सुग्घड़ विद्यार्थी की तरह सीएम का वक्तव्य सुनते रहे। जरा सा, चु-चुपड़ भी नहीं। और, सीएम ने किसानों के लिए राहत की झड़ी लगा दी। विपक्ष इसे भांपता, तब तक देर हो चुकी थी। इसके बाद हाथ मलने के अलावा कोई चारा नहीं था। जाहिर है, इसकी अगर भनक मिल गई होती तो कांग्रेसी शोर-शराबा करके सीएम को वक्तव्य नहीं पढ़ने दिए होते। कम-से-कम विरोध तो दर्ज हो जाता। सो, चूक गए।
तल्खी और बढ़ी
अमित जोगी के घर टीएस सिंहदेव के चाय पर जाने के बाद लगा था कि जोगी परिवार से सिंहदेव के संबंध सुधरेंगे। मगर सीएम की दावेदारी वाले बाबा के बयान ने दोनों के बीच तल्खी और बढ़ा दी है। कोरबा में शुक्रवार को जब जोगी से सिंहदेव के नेता प्रतिपक्ष से इस्तीफा पर सवाल हुआ तो जोगी इतना ही बोले, भगवान उन्हें सद्बुद्धि दे। इसका आशय आप समझ सकते हैं। हालांकि, सीएम की दावेदारी वाले बयान देकर सिंहदेव भी घिर ही गए हैं। सदन के भीतर या बाहर, हर जगह इसी पर सवाल। लोग चुटकी भी खूब ले रहे हैं। विस में शुरूआत प्रेमप्रकाश पाण्डेय से हुई। पाण्डेय ने पूछा, जोगीजी को आप क्यों भूल गए? सिंहदेव बोले, जोगीजी बुद्धिमान और ब्रिलियेंट लीडर हैं। इस पर पाण्डेय ने कहा, ऐसा है, तो जोगीजी का नाम सबसे उपर होना चाहिए। बाहर निकले तो इसी पर मीडिया ने भी बाबा को घेरा।
गेहूं के साथ घून भी
विधानसभा में जिस तरह सरकार का बयान आया, छत्तीसगढ़ के 45 आईएएस के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो में कोई-न-कोई कंप्लेन हैं। सूबे में करीब 135 आईएएस पोस्टेड हैं। याने इनमें से लगभग एक तिहाई़। ठीक है, छत्तीसगढ़ में गड़बड़ नस्ल वाले आईएएस आ गए हैं। मगर इतना भी नहीं है। अखबारों में कुछ अफसरों का नाम देखकर आम आदमी भी चैंक गया….अरे! ये तो ऐसा नहीं है। दरअसल, ये सिस्टम की चूक है। एसीबी के पास ढेरों शिकायतें आती हैं। मगर उसकी जांच करके डिस्पोजल नहीं किया जाता। ये राज्य बनने के समय से चल रहा है। कोई शिकायत कर दिया तो उसका परीक्षण नहीं हो पाता। कायदे से परीक्षण करके मामला अगर सही है तो जुर्म दर्ज करना चाहिए या फिर उसे खारिज। मगर ऐसा होता नहीं। गेहंू के साथ घून भी पीस रहे हैं।
अंत में दो सवाल आपसे
1. एक महिला कलेक्टर का नाम बताइये, जो मंत्रालय में सबको अश्वस्त करके र्गइं कि अपनी इमेज ठीक करके वे दिखा देगी, मगर मनीराम से उनका पुराना प्रेम फिर जागृत हो गया है?
2. सीएम की दावेदारी वाला बयान टीएस सिंहदेव ने खुद दिया था या फिर ये सब संगठन की सहमति से हुई?
संजय दीक्षित
कलेक्टरों की लिस्ट अब जनवरी में नहीं, अगले साल अप्रैल में निकलेगी। याने बजट सत्र के बाद। तब रायपुर कलेक्टर ठाकुर राम सिंह रिटायर होंगे। तब तक तीन-चार कलेक्टरों का दो साल पूरा हो जाएगा। कोई हिट विकेट हो गया तो बात अलग है। अप्रैल में 2003 बैच भी अब क्लोज्ड हो जाएगा। इस बैच की लास्ट बैट्समैन रीतू सेन सरगुजा कलेक्टर हैं। इस बैच के सिद्धार्थ कोमल परदेशी, रीना बाबा कंगाले हाल ही में पारी खतम कर राजधानी लौटे हैं। हालांकि, रीतू के रायपुर कलेक्टर बनने की चर्चाएं भी खूब थीं। मगर नए बैच को मौका देने के लिए सरकार ने अब इस बैच को क्लोज्ड करना लगभग तय कर लिया है। दरअसल, सरकार की चिंता 2009 बैच है। दीगर राज्यों में 2010 बैच के आईएएस कलेक्टर बन गए हैं। छत्तीसगढ़ में 09 बैच का अभी चालू नहीं हुआ है। हालांकि, अगले फेरबदल में तय मानिये। मगर छह में से तीन-चार के ही नम्बर लग पाएंगे। जाहिर है, कलेक्टर बनने के लिए कंपीटिशन अब टफ हो गया है।
कलेक्टरों की लिस्ट अब जनवरी में नहीं, अगले साल अप्रैल में निकलेगी। याने बजट सत्र के बाद। तब रायपुर कलेक्टर ठाकुर राम सिंह रिटायर होंगे। तब तक तीन-चार कलेक्टरों का दो साल पूरा हो जाएगा। कोई हिट विकेट हो गया तो बात अलग है। अप्रैल में 2003 बैच भी अब क्लोज्ड हो जाएगा। इस बैच की लास्ट बैट्समैन रीतू सेन सरगुजा कलेक्टर हैं। इस बैच के सिद्धार्थ कोमल परदेशी, रीना बाबा कंगाले हाल ही में पारी खतम कर राजधानी लौटे हैं। हालांकि, रीतू के रायपुर कलेक्टर बनने की चर्चाएं भी खूब थीं। मगर नए बैच को मौका देने के लिए सरकार ने अब इस बैच को क्लोज्ड करना लगभग तय कर लिया है। दरअसल, सरकार की चिंता 2009 बैच है। दीगर राज्यों में 2010 बैच के आईएएस कलेक्टर बन गए हैं। छत्तीसगढ़ में 09 बैच का अभी चालू नहीं हुआ है। हालांकि, अगले फेरबदल में तय मानिये। मगर छह में से तीन-चार के ही नम्बर लग पाएंगे। जाहिर है, कलेक्टर बनने के लिए कंपीटिशन अब टफ हो गया है।
टू माइनस टू….
जनवरी में दो नए आईजी प्रमोट होंगे। हेमकृष्ण राठौर और बीपी पौषार्य। मगर इसके साथ ही दो आईजी माइनस भी होंगे। रविंद्र भेडि़या 31 जनवरी को रिटायर होंगे। उधर, सरगुजा आईजी लांग कुमेर एडीजी बन जाएंगे। याने दो आईजी बढ़ेंगे तो दो घट जाएंगे। टू माइनस टू एजकल्टु जीरो। याने आईजी की कमी बनी रहेगी। ये हो सकता है कि लांग कुमेर के बाद राठौर को सरगुजा का आईजी बना दिया जाए। क्योंकि, वे ट्रांसपोर्ट में रह चुके हैं। जाहिर है, ट्रांसपोर्ट में काम किए आईपीएस का सरकार से बढि़यां तालमेल बन जाता है।
डिमोशन मुबारक
राधाकृष्णन बोले तो देश के सबसे सीनियर चार में से एक आईएएस। 79 बैच के। याने चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड से भी दो साल सीनियर। शायद यही वजह है कि सरकार ने जब उन्हें वेयरहाउस में एमडी पोस्ट किया तो नौकरशाही भी चैंक गई। एमडी जूनियर आईएएस का पोस्ट है। अभी 2009 बैच के समीर विश्नोई एमडी थे। जाहिर है, ये राधाकृष्णन का डिमोशन था। दूसरा कोई पानी वाला आईएएस होता तो वीआरएस ले लेता। आखिर, पी जाय उम्मेन ने लिया ही। मगर जो पता चला है, आप भी हैरत में पड़ जाएंगे। राधाकृष्णन पिछले छह महीने से सीएम से चिरौरी कर रहे थे, आठ महीने बचा है रिटायरमेंट में। आखिरी वक्त में कुछ तो दे दीजिए। आदिवासी अनुसंधान परिषद में कुछ था नहीं। वेयरहाउस में कुछ तो है। वैसे भी आदत कुछ वाली है। सो, राधाकृष्णन को डिमोशन मुबारक।
एक नम्बर…..
रमन सरकार के 12 बरस पूरे होने पर टीवी चैनलों पर चल रहा विज्ञापन छत्तीसगढ़ एक नम्बर…..हिट हो गया है। छोटे-छोटे बच्चे भी गुनगुना रहे हैं…..छत्तीसगढ़……। वैसे भी, 12 दिसंबर को पिं्रट एन इलेक्ट्रानिक मीडिया रमनमय रहा। आलम यह था कि मीडिया के जो लोग सालों तक राशन-पानी लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रहे, वे भी 12 बरस सेलिब्रेट करने में कोई कमी नहीं की। बल्कि, वे आगे ही रहे। लिहाजा, सीएम ने जनसंपर्क विभाग की पीठ ठोकी तो जाहिर है, इतना तो बनता है।
गच्चा खा गई कांग्रेस
शीतकालीन सत्र की लाख तैयारी के बाद भी कांग्रेस सदन में सत्ताधारी पार्टी से गच्चा खा गई। किसानों की आत्महत्या के इश्यू को कांग्रेस जोर-शोर से उठाने की तैयारी की थी। लेकिन, ऐसा हो नहीं पाया। असल में, रविवार को कैबिनेट में ही सरकार ने व्यूह तैयार कर ली थी। कांग्रेस 2018 में सीएम कौन बनेगा, वार-पलटवार में लगी रही और उधर, कैबिनेट में किसानों के लिए की जाने वाली घोषणओं का ड्राफ्ट तैयार हो रहा था। बताते हैं, सभी मंत्रियों को स्पष्ट हिदायत दी गई थी कि किसी भी सूरत में लीक नहीं होना चाहिए। गुरूवार को कांग्रेस विधायक बांह चढ़ाते हुए सदन में पहुंचे थे कि आज तो…..। मगर जैसे ही प्रश्नकाल खतम हुआ, मुख्यमंत्री किसानों के बारे में पहले से तैयार वक्तव्य पढ़ने लगे। कांग्रेस के पास अनुभवी विधायकों का टोटा है। इसलिए, कोई समझ नहीं पाया, क्या हो रहा है। कांग्रेसी क्लास के सुग्घड़ विद्यार्थी की तरह सीएम का वक्तव्य सुनते रहे। जरा सा, चु-चुपड़ भी नहीं। और, सीएम ने किसानों के लिए राहत की झड़ी लगा दी। विपक्ष इसे भांपता, तब तक देर हो चुकी थी। इसके बाद हाथ मलने के अलावा कोई चारा नहीं था। जाहिर है, इसकी अगर भनक मिल गई होती तो कांग्रेसी शोर-शराबा करके सीएम को वक्तव्य नहीं पढ़ने दिए होते। कम-से-कम विरोध तो दर्ज हो जाता। सो, चूक गए।
तल्खी और बढ़ी
अमित जोगी के घर टीएस सिंहदेव के चाय पर जाने के बाद लगा था कि जोगी परिवार से सिंहदेव के संबंध सुधरेंगे। मगर सीएम की दावेदारी वाले बाबा के बयान ने दोनों के बीच तल्खी और बढ़ा दी है। कोरबा में शुक्रवार को जब जोगी से सिंहदेव के नेता प्रतिपक्ष से इस्तीफा पर सवाल हुआ तो जोगी इतना ही बोले, भगवान उन्हें सद्बुद्धि दे। इसका आशय आप समझ सकते हैं। हालांकि, सीएम की दावेदारी वाले बयान देकर सिंहदेव भी घिर ही गए हैं। सदन के भीतर या बाहर, हर जगह इसी पर सवाल। लोग चुटकी भी खूब ले रहे हैं। विस में शुरूआत प्रेमप्रकाश पाण्डेय से हुई। पाण्डेय ने पूछा, जोगीजी को आप क्यों भूल गए? सिंहदेव बोले, जोगीजी बुद्धिमान और ब्रिलियेंट लीडर हैं। इस पर पाण्डेय ने कहा, ऐसा है, तो जोगीजी का नाम सबसे उपर होना चाहिए। बाहर निकले तो इसी पर मीडिया ने भी बाबा को घेरा।
गेहूं के साथ घून भी
विधानसभा में जिस तरह सरकार का बयान आया, छत्तीसगढ़ के 45 आईएएस के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो में कोई-न-कोई कंप्लेन हैं। सूबे में करीब 135 आईएएस पोस्टेड हैं। याने इनमें से लगभग एक तिहाई़। ठीक है, छत्तीसगढ़ में गड़बड़ नस्ल वाले आईएएस आ गए हैं। मगर इतना भी नहीं है। अखबारों में कुछ अफसरों का नाम देखकर आम आदमी भी चैंक गया….अरे! ये तो ऐसा नहीं है। दरअसल, ये सिस्टम की चूक है। एसीबी के पास ढेरों शिकायतें आती हैं। मगर उसकी जांच करके डिस्पोजल नहीं किया जाता। ये राज्य बनने के समय से चल रहा है। कोई शिकायत कर दिया तो उसका परीक्षण नहीं हो पाता। कायदे से परीक्षण करके मामला अगर सही है तो जुर्म दर्ज करना चाहिए या फिर उसे खारिज। मगर ऐसा होता नहीं। गेहंू के साथ घून भी पीस रहे हैं।
अंत में दो सवाल आपसे
1. एक महिला कलेक्टर का नाम बताइये, जो मंत्रालय में सबको अश्वस्त करके र्गइं कि अपनी इमेज ठीक करके वे दिखा देगी, मगर मनीराम से उनका पुराना प्रेम फिर जागृत हो गया है?
2. सीएम की दावेदारी वाला बयान टीएस सिंहदेव ने खुद दिया था या फिर ये सब संगठन की सहमति से हुई?
1. एक महिला कलेक्टर का नाम बताइये, जो मंत्रालय में सबको अश्वस्त करके र्गइं कि अपनी इमेज ठीक करके वे दिखा देगी, मगर मनीराम से उनका पुराना प्रेम फिर जागृत हो गया है?
2. सीएम की दावेदारी वाला बयान टीएस सिंहदेव ने खुद दिया था या फिर ये सब संगठन की सहमति से हुई?