नायक युग
तीन महीने लेट से ही सही गिरधारी नायक डीजी बन गए। डीओपीटी ने शुक्र्रवार को उनके प्रपोजल को ओके करके भेजा और राज्य सरकार ने उन्हें प्रमोट कर दिया। उनकी पदास्थापना पुरानी ही रहेगी। डीजी होमगार्ड और डीजी जेल। 83 बैच के आईपीएस अफसर नायक 2019 में रिटायर होंगे। और सब कुछ फेवरेवल रहा तो वे डीजीपी रहने का रिकार्ड बनाएंगे। रामनिवास के अगले साल फरवरी में रिटायर होने के बाद नायक को मौका मिलेगा। और फिर शुरू होगा नायक युग। नायक अलग मिजाज के अफसर हैं। सो, सुनील कुमार सीएस बनने के बाद जिस दौर से अभी सूबे के आईएएस गुजर रहे हैं, समझा जाता है, नायक के समय वही हाल आईपीएस अफसरों का भी होगा।हम नहीं सुधरेंगे
परिवर्तन यात्रा पर नक्सली हमले के बाद, कहां कांग्रेसी नेताओं को वाकओवर के हालात नजर आ रहे थे मगर केशकाल नगर पंचायत चुनाव में पार्टी की गुटीय लड़ाई ने सब गुड़ गोबर कर दिया। नंदकुमार पटेल ने दिन-रात मेहनत करके पार्टी में जान फूंकी थी, उनके दिवंगत होते ही फिर वह दो साल पहले वाली स्थिति में पहुंच गई है। पार्टी स्पष्ट तौर पर दो फाड़ में बंट गई है। ठीक वही हालात हैं,, जो 2008 से 10 के बीच थे। वैसे, अबकी मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालने का काम संगठन खेमा ने ही किया। जीतने वाले प्रत्याशी की टिकिट सिर्फ इस आधार पर काट दी गई कि वे विरोधी खेमे से जुड़ी थीं। और, यह पैर पर कुल्हाड़ी मारने वाला फैसला साबित हुआ। संगठन ने जानबूझकर विरोधियों को हीरो बनने का मौका दिया। वरना, नगर पंचायत चुनाव की कोई खास अहमियत होती नहीं। विरोधी खेमे का आदमी नगर पंचायत अध्यक्ष बन भी जाता तो संगठन खेमे की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था। पर सिपहसालारों ने गलत निर्णय करवा दिया। बहरहाल, केशकाल में शह-मात का जो खेल हुआ, उससे कांग्रेस के कार्यकर्ता हताश हो गए हैं। जरा उनकी सुनिये, पार्टी का अब कुछ नहीं हो सकता, रमन सिंह हैट्रिक बनाएंगे।खिले चेहरे
दरभा नक्सली हमले के बाद शुक्रवार को हुई कैबिनेट में पहली बार सरकार और उसके मंत्रियों के चेहरे खिले दिखे। बैठक में ठहाके भी लगे। कारण केशकाल और बागबाहरा नगर पंचायत चुनाव था। दरभा के बाद भी बागबाहरा भाजपा के पाले में गया तो केशकाल में पार्टी दूसरे नम्बर पर रही। कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई। केशकाल में भाजपा तो दर्शक मुद्रा में थी। उसकी दिलचस्पी सिर्फ इस बात में थी कि कांग्रेस की गुटीय लड़ाई क्या रंग दिखाती है। केशकाल में उसे 2013 चुनाव का ट्रेलर दिखा। सियासी प्रेक्षकों की मानें तो जो केशकाल में हुआ, वही विधानसभा चुनाव में होना है। कांग्रेस के दोनों खेमे में कटुता इतनी बढ़ गई है कि उनके एक होने की रंच मात्र भी संभावना नहीं बची है। पटेल जरूर इसमें कामयाब हुए थे, मगर वे असमय चले गए। विरोधी खेमे को टक्कर देने का माद्दा एक वीसी में था। वे रहे नहीं। दोनों नेताओं के नहीं रहने से संगठन खेमा कमजोर हो गया है। इसका लाभ सत्ताधारी पार्टी को मिलेगा ही।लटकी तलवार
सरकार के पक्ष में जबलपुर कैट का फैसला आने के बाद प्रींसिपल सिकरेट्री केडीपी राव पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। कभी भी उनके खिलाफ आदेश हो सकता है। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में केवियेट लगा रखा है। इसलिए, सरकार का पक्ष सुने बगैर हाईकोर्ट से उन्हें स्टे भी नहीं मिल पाएगा। अब, सरकार के सामने कार्रवाई को लेकर कोई बाध्यता नहीं है। कार्रवाई भी बड़ी होगी। हालांकि, राव इससे विचलित नहीं हैं। उनके करीबी सूत्रों की मानें तो वे हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
संविदा में सविदा
मध्यप्रदेश के समय मंडी बोर्ड और एमपी एग्रो याने बीज विकास निगम में प्रींसिपल सिकरेट्री लेवल के आईएएस पोस्टेड रहे। विवेक अग्रवाल, एमपी वशिष्ठ, एसके सूद और गोपाल रेड्डी जैसे। मगर छत्तीसगढ़ बनने के बाद किसानों से जुड़े इन अहम विभागों में कभी भी ढंग की पोस्टिंग नहीं हुई। अब तो और बुरा हाल है। एक रिटायर एडिशनल डायरेक्टर को संविदा पर संविदा मिल रहा है। जरा गौर कीजिए, मंडी बोर्ड से रिटायर होने के बाद एएन मिश्रा को इस साल सरकार ने अपर संचालक के पद पर संविदा में पोस्टिंग दी थी। बाद में मंडी बोर्ड एमडी का भी चार्ज मिल गया। और अब, संविदा मंे बीज विकास निगम के एमडी भी बन गए हैं। याने आदमी एक, वो भी संविदा पर, और पोस्टिंग तीन। ये चमत्कार छत्तीसगढ़ में ही संभव है। इसके पीछे असल वजह यह है कि आमतौर पर आईएएस सीमा से अधिक सुनते नहीं। विभागीय और खासकर संविदा वाले को जैसा चाहे वैसा झूका लो। ऐसे में, एक को तीन-तीन चार्ज मिल जाए, क्या फर्क पड़ता है।
रियल मैनेजमेंट गुरू
सिकरेट्री टू सीएम एवं सूबे के ताकतवर अफसर अमन सिंह अब मैनेजमेंट गुरू बनते जा रहे हैं। बंेगलोर, अहमदाबाद जैसे देश के रिनाउंड आईआईएम में वे कई साल से लेक्चर दे रहे हैं, और अब दूसरे कई आईआईएम से उनके पास आफर आ रहे हैं। इंदौर आईआईटी के बोर्ड आफ डायरेक्टर में पहले से हैं। रायपुर आईआईएम में सेशन ओपनिंग लेक्चर उन्हीं का होता है। ठीक भी है, अमन सिंह से बढि़यां मैनेजमेंट का गुर भला कौन दे सकता है। देश के बड़े-बड़े मैनेजमेंट गुरूओं का ज्ञान तो किताबी है। अमन तो साढ़े नौ साल से सरकार के मुख्य रणनीतिकार की भूमिका निभा रहे हैं। जाहिर है, उनके मैनेजमेंट के फंडे व्यवहारिक होंगे।
असर प्रिया का
पांच महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी प्रचार-प्रसार के लिए सिर्फ प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया पर निर्भर नहीं रहेगी। सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ सोशल मीडिया में भी मुहिम छेड़ी जाएगी। इसके लिए तैयारियां शुरू हो गई है। कांग्रेस के मीडिया सेल की प्रभारी सचिव प्रिया दत्ता से टिप्स मिलने के बाद मीडिया सेल रिचार्ज हो गया है। प्रिया के टिप्स का असर यह हुआ कि मीटिंग के पांच घंटे बाद शैलेष नीतिन त्रिवेदी फेसबुक पर थे। उन्होंने भाजपा महासचिव जगतप्रकाश नड्डा को जमकर निशाने पर लिया। शैलेष आमतौर पर फेसबुक पर कम आते हैं। मगर टिप्स प्रिया की थी।
अंत में दो सवाल आपसे
0 किस जिले के कप्तान किराये में गाड़ी चलाने का भी काम करते हैं?
0 केशकाल नगर पंचायत प्रत्याशी को नक्सलियों का समर्थन था, यह कहकर चरणदास महंत आखिर क्या इशारा करना चाह रहे हैं?
0 केशकाल नगर पंचायत प्रत्याशी को नक्सलियों का समर्थन था, यह कहकर चरणदास महंत आखिर क्या इशारा करना चाह रहे हैं?