आईपीएस अफसरों का दिसंबर एंड तक प्रमोशन हो जाता था। लेकिन, पिछले साल से वे पिछड़ने लगे हैं। आईजी अरुणदेव गौतम दिसंबर 2016 की बजाए दो महीने बाद एडीजी बनें थे। कुछ वैसा ही इस बार डीआईजी के साथ हो रहा है। 11 आईपीएस को डीआईजी प्रमोशन ड्यू हो गया है। बेचारे अजय यादव, बद्री नारायण मीणा, नेहा चंपावत, आरएस नायक, अभिषेक पाठक, डीएल मनहर, आरपी साय, जेएस बट्टी, जीएस दर्रा, सुशील द्विवेदी, अकबर कोर्राम टकटकी लगाए हुए हैं। लेकिन, भारत सरकार से अभी तक प्रमोशन के लिए हरी झंडी नहीं मिली है। अगले दो दिन छुट्टी है। इसके बाद दो-तीन रोज में अगर अनुमति नहीं मिली तो आईपीएस को नए साल के लिए वेट करना पड़ेगा। हालांकि, 2008 में एक बार सरकार ने 31 दिसंबर की देर रात आईपीएस की लिस्ट जारी कर दी थी। तब न न्यूज वेबसाइट थे और ना ही व्हाट्सएप। सो, एक जनवरी को सुबह अखबारों से लोगों को ट्रांसफर का पता चला था। 11 आईपीएस उसे ही याद कर अपने को तसल्ली दे रहे हैं कि शायद 2009 की तरह सरकार कहीं न्यू ईयर गिफ्ट न दे दें।
न्यू ईयर गिफ्ट-2
अब न्यू ईयर है तो सरकार आईएएस को कैसे छोड़ सकती है। जनवरी में कलेक्टरों की पोस्टिंग होगी, उसमें उम्मीद की जा रही है कि 2010 बैच तो कंप्लीट होगा ही 2011 बैच के भी दो-एक आईएएस के नम्बर लग सकते हैं। 2010 बैच के चार अफसरों में अब सिर्फ रानू साहू बच गई हैं। रानू फिलहाल डायरेक्टर हेल्थ हैं। हालांकि, उनके हसबैंक जयप्रकाश मौर्य सुकमा कलेक्टर हैं, ऐसा कहकर रानू को कलेक्टर बनने की राह में रोड़े अटकाएं जाते रहे हैं। लेकिन, अब स्थितियां बदलने जा रही है। तो लगता है, उन्हें जिला मिल जाएगा। फिर, बिना 2010 बैच के कंप्लीट किए, 2011 बैच का नम्बर लगेगा नहीं। सो, न्यू ईयर गिफ्ट की प्रतीक्षा में 2011 बैच भी बेकरार है।
बैड ईयर?
आईएएस, आईपीएस के लिए 2017 बेहद खराब रहा। सीबीआई को रिश्वत देने के मामले में प्रिंसिपल सिकरेट्री बीएल अग्रवाल को जेल जाना पड़़ा। इसके बाद अग्रवाल और अजयपाल सिंह को राज्य सरकार की अनुशंसा पर भारत सरकार ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया। यह साल आईपीएस के लिए भी बढ़ियां नहीं रहा। आईजी, डीआईजी लेवल के उसके तीन अफसर टर्मिनेट हो गए। जनवरी में आईजी राजकुमार देवांगन से शुरूआत हुई और डीआईजी एएम जुरी और केसी अग्रवाल पर जाकर एंड हुआ। आईपीएस के लिए तो साल का अंत भी अच्छा नहीं रहा। सरकार ने डीजी एमडब्लू अंसारी के रिटायरमेंट से 15 दिन पहिले ही उन्हें बिना विभाग का कर दिया। आईएफएस में किसी अफसर पर कार्रवाई तो नहीं हुई लेकिन, डायरेक्टर कल्चर आशुतोष मिश्रा का स्वाईन फ्लू से निधन लोगों को जरूर दुखी किया।
सौदान का डंडा
बीजेपी के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री सौदान सिंह का सत्ताधार पार्टी में क्या रुतबा है, 22 दिसंबर को विधानसभा में साफ दिखा। सौदान अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन में पहुंचे थे। स्पीकर कक्ष में सबसे पहिले उन्होंने वोटिंग से गायब छह में से एक बाहुबलि विधायक की क्लास ली। विधायकजी हाथ जोड़े खड़े रहे और सौदान सिंह उन्हें सुनाते रहे। सौदान के निर्देश पर मंत्री महेश गागड़ा समेत सभी छह विधायकों को संसदीय कार्य मंत्री अजय चंद्राकर ने फौरन नोटिस जारी कर दी। यही नहीं, सीट छोड़कर इधर-उधर घूम रहे मंत्री, विधायकों को जब पता चला कि सौदान भाई साब सदन की कार्रवाई देखने दर्शक दीर्घा में आने वाले हैं, स्कूल के अच्छे विद्यार्थी की तरह सभी अपनी सीटों पर जा बैठे। सौदान के सदन पहुंचने से आधा घंटे पहिले रायपुर के एक मंत्री इतने बेचैन थे कि चार बार स्पीकर कक्ष में आकर पूछे, भाई साब आए क्या…? आखिरी में उकता कर स्पीकर के पीए ने कहा, सर, आप अंदर बैठिए, वे आएंगे तो मैं आकर आपको बता दूंगा।
रेरा का पेड़ा
सूबे के सबसे मलाईदार पोस्ट रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी याने रेरा। रेरा में जो भी बैठेगा जाहिर है, पेड़ा खाएगा। पता चला है, सरकार ने पेड़ा खाने वाले का नाम तय कर दिया है। लिफाफा भी तैयार कर अलमारी में रखा गया है। बस, ऐलान होने का इंतजार किया जा रहा है। रेरा के पेड़ा के लिए एक दर्जन लोगों ने अप्लाई किया है।
आईजी की लिस्ट
बिलासपुर रेंज के आईजी पुरुषोतम गौतम 31 दिसंबर को रिटायर हो जाएंगे। हालांकि, सरकार ने उन्हें नाइट वाचमैन बनाकर बिलासपुर भेजा था कि अमित कुमार के सीबीआई डेपुटेशन से लौटने के बाद सब ठीक कर लिया जाएगा। लेकिन, अमित कुमार सीबीआई से रिलीव नहीं हो पाए। और, गौतम सात महीने पूरे कर लिए। हालांकि, सरकार के पास अभी भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है, आईजी किसे बनाएं। क्योंकि, अमित कुमार अभी तक लौटे नहीं। और, आईजी लेवल पर अफसर हैं नहीं। आईजी में दो ही अफसर बचे हैं। जीपी सिंह और एसआरपी कल्लूरी। जीपी बिलासपुर और रायपुर में आईजी रह चुके हैं। पिछले फेरबदल में उन्होनें दुर्ग के लिए मना कर दिया था। और, कल्लूरी को सरकार फिलहाल रेंज देने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में, सरकार फिलहाल किसी को बिलासपुर रेंज का एडिशनल चार्ज देकर अमित कुमार के आने तक याने 15 जनवरी तक वेट कर सकती है। या फिर अमित के आने की प्रत्याशा में आईजी की लिस्ट निकाल सकती है। ताकि, अमित लौटकर ज्वाईन कर लेंगे। विधानसभा खतम हो जाने के बाद सरकार अब इसे मूर्त रुप देगी।
मजा किरकिरा
विधानसभा का सत्र और ट्रांसफर लिस्ट ने अबकी अफसरों को विंटर वैकेशन का मजा किरकिरा कर दिया। वरना, 15 दिसंबर के बाद अधिकांश अफसर सैर-सपाटे पर चले जाते थे। क्योंकि, 25 के बाद भीड़ बढ़ जाती है। लेकिन, इस बार सरकार ने साफ कर दिया था, सत्र के चलते किसी को छुट्टी नहीं मिलेगी। फिर, आईएएस, आईपीएस में बड़ी लिस्ट निकलने वाली है। उन्हें खतरा था….कहीं छुट्टी पर गए तो इधर गिल्ली न उखड़ जाए। दरअसल, आने वाले एक महीने में आईपीएस के साथ ही कलेक्टरों के ट्रांसफर होंगे। जाहिर है, जो क्रीज पर जमे हैं, उन्हें जमे रहने या और बढ़ियां विकेट पर खेलने की लालसा होगी। और, जो मैदान से बाहर हैं, वे इस जुगत में हैं कि उन्हें अबकी मौका मिल जाए। ऐसे में, छुट्टी…ना बाबा। घूमना-फिरना बाद में होता रहेगा।
पत्नियां पर पाबंदी?
विधानसभा में अक्सर ऐसा हो रहा है….कार्रवाई के दौरान दर्शक दीर्घा मेंं जब पत्नी आकर बैठ जाती है, तो नेताओं के बोलने का संतुलन गड़बड़ा जाता है। कई बार पत्नियों पर रौब झाड़ने के लिए विधायक कुछ ज्यादा ही बोल जाते हैं। शीत सत्र में सत्ता पक्ष के
एक विधायक की पत्नी जैसे ही सदन में पहुंची, विधायकजी कांग्रेस पर चढ़ बैठे। कांग्रेस नेताओं की रेस्ट हाउस में कारगुजारियां से लेकर और भी बहुत कुछ कह गए, जिसे स्पीकर को कार्रवाई से निकलवाना पड़ा। ऐसे में, विधानसभा में लोगों ने खूब चुटकी ली….अध्यक्षजी को भाषण के दौरान पत्नियों के दर्शक दीर्घा में आने पर पाबंदी लगा देनी चाहिए।
अंत में दो सवाल आपसे
1. डिप्टी सिकरेट्री तारण सिनहा को चीफ सिकरेट्री सचिवालय से पंचायत विभाग में ट्रांसफर क्यों किया गया?
2. रायपुर एसपी संजीव शुक्ला का रायपुर से मन उचट क्यों गया है?
2. रायपुर एसपी संजीव शुक्ला का रायपुर से मन उचट क्यों गया है?