28 मई
संजय दीक्षित
आईबी चीफ राजीव जैन पिछले हफ्ते रायपुर आए थे। उन्होंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मुलाकात की। इसके अलावा वे जिस तीसरे शख्स से वन-टू-वन मिले, वे थे पीएस टू सीएम अमन सिंह। अमन से मिलने वे खुद चलकर चिप्स आफिस गए। बंद कमरे में यह मुलाकात करीब डेढ़ घंटे चली। इस चक्कर में मिनट-टू-मिनट प्रोग्राम ही नहीं गड़बड़ाया बल्कि, उनका लंच भी डेढ़ घंटा लेट हो गया। लंच के लिए उन्हें सीआरपीएफ मेस में दोपहर एक बजे पहुंचना था। लेकिन, चिप्स में ही उन्हें ढाई बज गए। जाहिर है, इसको लेकर सत्ता के गलियारों में बेचैनी तो होनी ही थी। आईबी चीफ फोर स्टार वाले अफसर होते हैं। याने आर्मी चीफ के बराबर रुतबा। पावर भी कम नहीं। दिन में कम-से-कम एक बार पीएम को जरूर ब्रीफ करते हैं। ऐसे में, प्रोटोकॉल को दरकिनार करके उनका अमन से मिलना….मंत्रियों से लेकर राजनीतिज्ञों और ब्यूरोक्रेट्स को स्तब्ध कर दिया है….सबको यह सवाल परेशां कर रहा है कि बंद कमरे में आईबी चीफ ने आखिर अमन सिंह से राज्य के बारे में क्या फीडबैक लिया?
संजय दीक्षित
आईबी चीफ राजीव जैन पिछले हफ्ते रायपुर आए थे। उन्होंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मुलाकात की। इसके अलावा वे जिस तीसरे शख्स से वन-टू-वन मिले, वे थे पीएस टू सीएम अमन सिंह। अमन से मिलने वे खुद चलकर चिप्स आफिस गए। बंद कमरे में यह मुलाकात करीब डेढ़ घंटे चली। इस चक्कर में मिनट-टू-मिनट प्रोग्राम ही नहीं गड़बड़ाया बल्कि, उनका लंच भी डेढ़ घंटा लेट हो गया। लंच के लिए उन्हें सीआरपीएफ मेस में दोपहर एक बजे पहुंचना था। लेकिन, चिप्स में ही उन्हें ढाई बज गए। जाहिर है, इसको लेकर सत्ता के गलियारों में बेचैनी तो होनी ही थी। आईबी चीफ फोर स्टार वाले अफसर होते हैं। याने आर्मी चीफ के बराबर रुतबा। पावर भी कम नहीं। दिन में कम-से-कम एक बार पीएम को जरूर ब्रीफ करते हैं। ऐसे में, प्रोटोकॉल को दरकिनार करके उनका अमन से मिलना….मंत्रियों से लेकर राजनीतिज्ञों और ब्यूरोक्रेट्स को स्तब्ध कर दिया है….सबको यह सवाल परेशां कर रहा है कि बंद कमरे में आईबी चीफ ने आखिर अमन सिंह से राज्य के बारे में क्या फीडबैक लिया?
मंत्रिमंडल में चेंजेज
बीजेपी प्रमुख अमित शाह का छत्तीसगढ़ में तीन दिन का दौरा कई मंत्रियों की रात की नींद उड़ा दिया है। मंत्रिमंडल में कोई बदलाव होगा या नहीं यह तो अभी भविष्य के गर्भ में है। लेकिन, शाह के आने का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, राजधानी में चर्चा जोर पकड़ती जा रही है कि एक-दो मंत्रियों के विभाग बदल सकते हैं तो एकाध मंत्री की छुट्टी हो सकती है।
असवाल और संतोष की बिदाई
एडिशनल चीफ सिकरेट्री एनके असवाल 31 मई को रिटायर हो जाएंगे। वे 83 बैच के आईएएस थे। छत्तीसगढ़ बनने के बाद वे यहां कई अहम विभागों में रहे। बिलासपुर के कमिश्नर समेत साढ़े आठ साल होम एवं ट्रांसपोर्ट भी संभाले। पीएचई एवं ट्राईबल भी उनके पास रहा। उनके रिटायरमेंट को देखते हाल ही में सरकार ने ट्राईबल लेकर उन्हें हल्का कर दिया था। उनके पास अभी प्रशासन अकादमी और 20 सूत्रीय कार्यक्रम जैसे विभाग हैं। किसी एसीएस लेवल के अफसर को डीजी प्रशासन अकादमी का चार्ज देना होगा। असवाल के अलावा सिकरेट्री पीआर एन कल्चर, टूरिज्म संतोष मिश्रा का भी 31 को डेपुटेशन पूरा हो जाएगा। वे भी यहां से तमिलनाडु के लिए रिलीव हो जाएंगे।
एक नीलम जरूरी
यूं तो कहा जाता है, नाम में क्या रखा है। लेकिन, नाम को लेकर भी कई बार भ्रम की स्थिति बन जाती है। मसलन, नीलम एक्का। राज्य बनने के समय जब वे छत्तीसगढ़ आए थे तो कई मीटिंगों में अफसर पूछते थे, नीलम नहीं आई क्या? बड़े अफसरों में उत्सुकता थी….कौन है नीलम, दिखती कैसी है। तब बताया जाता था, नीलम लेडी नहीं जेंस हैं। उन्हीं नीलम को मुंगेली का कलेक्टर बनाया गया है। सरकार ने बढ़ियां किया है…मुंगेली में कलेक्टर, एसपी, सीईओ, एसडीएम, डीएफओ सब महिलाएं थीं। सरकार भी गौरवान्वित होती थीं…..छत्तीसगढ़ में एक ऐसा जिला है, जहां सभी बड़े पदों पर महिलाएं पोस्टेड हैं….तो पुन्नूराम मोहले की पूछिए मत! अब कलेक्टर, सीईओ को सरकार ने हटा दिया। ऐसे में, महिला जिला का भ्रम बने रहने के लिए एक नीलम जरूरी थे।
किस्मत अपनी-अपनी
रीता शांडिल्य को सरगुजा का कमिश्नर बनाया गया है। राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस बनी रीता सिर्फ एक जिले की कलेक्टर रहीं हैं बेमेतरा की। सरगुजा में उनके अंदर में काम करेंगे कलेक्टर अंबिकापुर किरण कौशल और केसी देव सेनापति। किरण और सेनापति का यह दूसरा जिला है। सेनापति तो दंतेवाड़ा में तीन साल कलेक्टर रहे। अब सेनापति और किरण को रीता को रिपोर्ट करना होगा। हालांकि, सेनापति के लिए डबल झटका होगा, वे 2007 बैच के होने के बाद भी सूरजपुर कलेक्टर हैं और उनसे दो बैच जूनियर किरण कौशल अंबिकापुर जैसे बड़े जिले की। चलिये! किस्मत अपनी-अपनी….वरना, 2004 बैच के हाई प्रोफाइल आईएएस अमित कटारिया को एमडी राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान बनाया गया है और उनके उपर डायरेक्टर एजुकेशन एस प्रकाश हैं। प्रकाश 2005 बैच के आईएएस हैं। अमित का कहीं डेपुटेशन का आर्डर हो जाए तो ठीक, नहीं तो सरकार अब उनकी पोस्टिंग नहीं चेंज करने वाली।
सेकेंड डिस्ट्रिक्ट
श्रूति सिंह, सी प्रसन्ना और सेनापति के बाद इस लिस्ट में हिमशिखर गुप्ता और कैसर हक का सेकेंड डिस्ट्रिक्ट के लिए नंबर लगा। हिमशिखर का पहला जिला उनका जशपुर था। तो कैसर का बीजापुर। हिमशिखर महासमुंद जिले से हालांकि खुश नहीं होंगे…..काफी छोटा है। लेकिन, राहत होगी, रायपुर के नजदीक है। कैसर की जरूर निकल पड़ी। उन्हें कोरबा जैसा जिला मिल गया। हालांकि, एक, दो जिले करके रायपुर में बैठे कुछ आईएएस इस लिस्ट में भी कलेक्टर बनने से चूक गए। इनमें से दो आईएएस सिर्फ इसलिए जिले में नहीं जा रहे क्योंकि, सरकार उन्हें छोड़ना नहीं चाह रही। चलिये, अगली बार सरकार कहीं बन गई तो सिकरेट्री बनते तक ये कलेक्टरी करेंगे।
कलेक्टरी का चांस खतम
सरकार ने लोक सुराज में दो कलेक्टरों की छुट्टी की। फिर 16 को एक झटके में बदल दिया। याने महीना भर के भीतर 18। इसके बाद कलेक्टरी के लिए अब ठीक-ठाक में रायपुर और जांजगीर के अलावा कोई जिला बचा नहीं। अगले साल मार्च के आसपास ओपी चौधरी चेंज होंगे तो तय माना जा रहा है कि उनका एक बैचमेट ही रायपुर का कलेक्टर बनेगा। बचा सिर्फ जांजगीर। जांजगीर में भारतीदासन कलेक्टर हैं। अगले मार्च तक उनका भी लगभग दो साल हो जाएगा। लिहाजा, कलेक्टरी के लिए अब जांजगीर के लिए टफ कंपीटिशिन होगा। जिन्हें कलेक्टर बनने का मौका नहीं मिला है, जाहिर है, सरकार की इस तीसरी पारी में अब चांस मिलने से रहा। वे अब अगले चुनाव में कांग्रेस की कितनी सीटें आएंगी, इसके हिसाब-किताब में जुट गए हैं।
आईपीएस की छोटी लिस्ट
साउथ कोरिया से लौटने के बाद एसपी की एक छोटी लिस्ट निकलेगी। इसमें अधिक-से-अधिक दो-तीन नाम होंगे। फिर भी चेन बनेगा तो इनमें कुछ और नाम जुड़ जाएंगे। रेलवे एसपी पारुल माथुर भी चेंज हो सकती है। सरकार उन्हें पोस्ट करके लगता है, भूल गई है। बहरहाल, एसपी की मेजर लिस्ट निकलेगी अगले साल जनवरी में, जब दर्जन भर आईपीएस डीआईजी बनेंगे। इनमें रायगढ़, जांजगीर, महासमुंद जैसे जिलों के एसपी प्रमोट होंगे।
गुड न्यूज!
कुछ अफसर जिस विभाग में रहते हैं, वहां कुछ नया कर जाते हैं। आरपी मंडल को जब श्रम विभाग भेजा गया था तो शुरू में उन्हें भले ही अटपटा लगा होगा, मगर श्रमिकों के लिए जो उन्होंने योजना बनाई है, उसकी तारीफ करनी होगी। उनका विभाग साठ हजार श्रमिकों के लिए पौष्टिक और गरमागरम भोजन का बंदोबस्त करने जा रहा है। एक्सपेरिमेंट के तौर पर चार हजार श्रमिकों को खाना खिलाना शुरू भी हो गया है। कंसेप्ट यह है, अलसुबह से देर शाम तक खटने वाले श्रमिकों के पास न तो समय होते हैं और न पैसे। चावल-चटनी या चावल-कढ़ी लेकर वे काम पर निकल जाते हैं। ऐसे श्रमिकों को गरमागरम भोजन मिल जाए तो फिर क्या कहने। इस साल के अंत तक 60 हजार श्रमिकों को एक टाईम भोजन मुहैया कराने का टारगेट है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. छत्तीसगढ़ के किस हैवीवेट मंत्री की रात की नींद इन दिनों उड़ी हुई है और क्यों?
2. कलेक्टरों के ट्रांसफर के संदर्भ में सरकार को ऐसी क्या शिकायत मिली कि 23 मई की बजाए 21 मई को ही लिस्ट निकाल दी?
2. कलेक्टरों के ट्रांसफर के संदर्भ में सरकार को ऐसी क्या शिकायत मिली कि 23 मई की बजाए 21 मई को ही लिस्ट निकाल दी?