रविवार, 28 जुलाई 2013

तरकश, 28 जुलाई


tarkash logo

वन टू का थर्टी

अपने स्कूल शिक्षा विभाग मंे जो हो जाए, वह कम है। एक सप्लायर ने विभाग को एलईडी के बजाए बल्क में एलसीडी टिका दिया। इसकी जांच अभी चल ही रही थी कि वन टू का थर्टी, मामले ने टैक्स डिपार्टमेंट के अफसरों को हिला दिया है। अफसरों ने रायपुर के एक सप्लायर से चार सौ रुपए के एंटीवायरस को साढ़े पांच हजार रुपए में खरीद लिया। ऐसे तीन हजार एंटीवायरस परचेज किए गए। जांच में पता चला है, सप्लायर ने 12 लाख रुपए में तीन हजार एंटीवायरस खरीदा था और शिक्षा विभाग से डेढ़ करोड़ ऐंठ लिया। घपला तब उजागर हुआ, जब कमर्सियल टैक्स आफिस में टैक्स को कैलकुलेट किया जा रहा था। इसकी शिकायत वित्त विभाग की गई और मंत्रालय से सप्लायर को ब्लैकलिस्टेड करने का आदेश जारी हो गया है। कमर्सियल टैक्स ने भी सप्लायर को 57 लाख रुपए टैक्स चुकाने का नोटिस थमा दिया है। मगर यह तो एक बानगी है। स्कूल शिक्षा विभाग में वन टू का ट्वेंटी के भी अनेक मामले मिल जाएंगे।

हाय-तोबा

83 बैच के आईपीएस गिरधारी नायक के डीजी बन जाने और उन्हीं के बैच के दो आईएएस को अभी तक प्रींसिपल सिकरेट्री बने रहने पर आईएएस में हाय-तोबा मच गया है। यह पहली बार हुआ है कि प्रमोशन में आईएएस पीछे रह गया। वरना, आईएएस में एडवांस प्रमोशन चलता है। असल में, एसीएस लेवल पर पोस्ट का टोटा है। नारायण सिंह के बिजली नियामक आयोग में शिफ्थ होने पर एक पोस्ट खाली हुआ है मगर कंडीडेट दो हैं। अजय सिंह और एनके असवाल। पिछले हफ्ते आईएएस एसोसियेशन ने डाक्टर साब के दरबार में जाकर दुखड़ा रोया। डाक्टर साब ने पूछा, क्या बात है, आप लोग चिंतित क्यों हैं? मुंह लटकाए अफसरों ने कहा, सरकार! आईपीएस हमसे आगे निकल गया। आप कुछ कीजिए। आईएएस की व्यथा सुनने के बाद डाक्टर साब ने ढांढस बंधाया, चिंता ना करें, कुछ किया जाएगा।

एक दिन का सीएस

एक दिन के लिए सीएस बनना एक एसीएस को भारी पड़ गया। दरअसल, बुधवार को सांसद निधि के कार्यांे की समीक्षा के लिए चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार ने मंत्रालय में सांसदों की बैठक बुलाई थी। ऐन मौके पर उन्हें दिल्ली जाना पड़ गया। ऐसे में बैठक की अध्यक्षता एक एसीएस को करनी पड़ी। मगर सांसदों ने सीएस की कुर्सी का मजा खराब कर दिया। रमेश बैस ने मीटिंग में आते ही सवाल कर डाला, आप इस कुर्सी पर कैसे? हास-परिहास के लहजे में एसीएस ने जवाब दिया, आज की सीएस मैं हूं। इसके बाद बैस उन्हीं के विभाग पर बरस पड़े। कह सकते हैं, साब का अनुभव अच्छा नहीं रहा।

सीडी वार

कांग्रेस ने भले ही बैंक घोटाले की सीडी से सरकार को बैकफुट पर जाने के लिए विवश कर दिया है। अलबत्ता, हालत उसके नेताओं की भी खराब हो रही है…….कुछ मंत्रियों की भी रात की नींद उड़ी हुई है। खबर है, एक कांग्रेस नेता के पास अपनी ही पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के बेडरुम की सीडी है। इसी टाईप की सीडी दो मंत्रियों की भी है। दरअसल, चुनाव के ऐन पहिले सीडी का मतलब समझा जा सकता है। टिकिट तो जाएगी ही, कैरियर भी ब्लाक हो जाएगा। सो, बेचैनी समझी जा सकती है।

महंत की त्याग

विधायक रामसुदंर दास महंत अबकी अपनी पांरपरिक सीट जैजैपुर से शायद ही चुनाव लड़ें। खबर है, अपनी पार्टी के एक शीर्ष नेता की पत्नी को अपनी सीट त्याग करने के लिए वे राजी हो गए हैं। जैजैपुर कांग्रेस के लिए काफी शेफ है। इसीलिए, नेताजी की पत्नी को वहां से उतारने की तैयारी की जा रही है। महंत के अब चांपा से चुनाव लड़ने की खबर आ रही है। हालांकि, पहले वे इसके लिए राजी नहीं थे। लेकिन, चांपा में भाजपा की स्थिति अच्छी न होने के चलते वे वहां के लिए तैयार हो गए हैं। फिर, फ्यूचर भी तो देखना है। सरकार आने पर नेताजी कुछ बन गए तो महंतजी का मंत्री बनने से कोई रोक नहीं पाएगा।

कहां हो अजातशत्रु?

बैंक घोटाले में नार्को टेस्ट करने वाली महिला डाक्टर मालिनी भले ही तेलगी और आरूषि हत्याकांड की सीडी लीक करने की आरोपी रही हो मगर यह मानने वालों की कमी नहीं कि बैंक घोटाले की सीडी रायपुर लेवल पर ही लीक हुई है। अंदर से जो बातें निकलकर आ रही है, बंगलोर से सीडी आने पर एसपी अमित कुमार ने उसे विवेचना अधिकारी को दे दी थी। उसके बाद किसी ने उसकी सुध नहीं ली। जबकि, आला अफसरों को पता था कि सीडी बेहद संवेदनशील है। अमित कुमार अब सीबीआई में डेपुटेशन पर हैं। नार्को टेस्ट की इजाजत देने वाले डीजीपी विश्वरंजन रिटायर हो चुके हैं। और टेस्ट कराने वाले एडिशनल एसपी अजातशत्रु लंबी छुट्टी पर राजधानी से बाहर हैं। अब अजातशत्रु को ढूंढा जा रहा है। शायद वे कुछ बता सकें।

तीसरे नम्बर पर

छत्तीसगढ़ में दूसरे बड़े शहर की हैसियत रखने वाला बिलासपुर अब तीसरे नम्बर पर खिसक जाए, तो अचरज नहीं। उसे सबसे बड़ी चुनौती उस रायगढ़ से मिल रही है, जो 90 के दशक में एक तंग गलियों वाला कस्बा था। मगर इंडस्ट्रीलाइजेशन ने रायगढ़ को कहां से कहां पहुंचा दिया। कोरबा को वह कब का पीछे छोड़ दिया है और अब तो वह दूसरे नम्बर की ओर बढ़ रहा है। रायगढ़ में एयरपोर्ट बनाने के लिए एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया से एमओयू हुआ है। और एयरपोर्ट बनने के बाद वहां हवाई सेवा भी शुरू हो जाएगी। विमानन विभाग के सूत्रों की मानें तो रायपुर से फ्लाइट पकड़ने वाले पैसेंजरों में 15 से 20 फीसदी हिस्सा रायगढ़ का होता है। जबकि, एसईसीएल, एनटीपीसी होने के बाद भी बिलासपुर पीछे है। बिलासपुर के साथ सबसे बड़ी दिक्कत वहां के लोगों की अति सजगता है। अदद एक पेड़ काटने को लेकर लोग कोर्ट चले जाते हैं। अब आप समझ सकते हैं।

हथियार डाला

आजादी के बाद पहली बार वन विभाग में रिफार्म की कोशिश शुरू की गई थी। आईएफएस संजय शुक्ला ने इसका बीड़ा उठाते हुए 2 हजार से अधिक बीट गार्डों की भरती की। वनों की सुरक्षा खातिर युवाओं को आगे लाने फारेस्टर के 15 फीसदी पोस्ट परीक्षा के जरिये भरने का तय किया गया था। मगर कर्मचारी संघों के प्रेशर में आकर वन प्रशासन ने हथियार डाल दिया। हालांकि, कर्मचारी संघों से बातचीत करने और समझाने के लिए तेज और काबिल आईएफएस बीके सिनहा को कमान सौंपी गई थी। मगर उनका हूनर भी कोई काम नहीं आया। विभाग के लिए यह अच्छा नहीं हुआ। आखिर, 50 और 55 साल के फारेस्टर वनों की क्या हिफाजत कर पाएंगे।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस आईपीएस अधिकारी ने कारोबारी पिता-पुत्र को गिरफ्तारी से बचाने डेढ़ खोखा ले लिया था, मगर आईजी जीपी सिंह ने दोनों को अरेस्ट कर अफसर का खेल बिगाड़ दिया?
2. नंदकुमार पटेल के स्पीड में भूपेश बघेल जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं, कांग्रेस नेता उन्हें हजम कर पाएंगे

शनिवार, 20 जुलाई 2013

तरकश, 21 जुलाई


tarkash logo

दूसरा आईएएस

मूर्ति के बाद आरसी सिनहा राज्य के दूसरे डायरेक्ट आईएएस होंगे, जिन्हें अब सिकरेट्री से ही रिटायर होना पड़ेगा। फूड पार्क घोटाले में सिनहा का दो इंक्रीमेंट रोकने की सजा मिली है। जाहिर है, अगले दो साल तक उनका प्रमोशन नहीं होगा। और सजा की अवधि जब तक पूरी होगी, ठीक उसी समय, जुलाई 2015 में वे रिटायर हो जाएंगे। याने सिकरेट्री से ही। फूडपार्क घोटाला 2004 में उजागर हुआ था। उसकी जांच में नौ साल लग गए। सिनहा 82 बैच के आईएएस हैं। उनके बैच के डीएस मिश्रा एडिशनल चीफ सिकरेट्री बन गए हैं। जांच की लेटलतीफी से आईएएस खुश नहीं हैं। सिनहा की डीई अगर समय पर हो गई होती तो छह साल पहले उन्हें सजा मिल गई होती और आज वे एसीएस होते। इससे पहले, नारायण सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ था। 10 साल बाद उन्हें डिमोशन की सजा मिली थी। आईएफएस अफसरों के आरा मिल कांड में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। 2005 के इस प्रकरण में जांच पूरी होने के बाद भी फाइल इधर-से-उधर घूम रही है। ढाई करोड़ के इस प्रकरण में अफसरों से अब तक पांच करोड़ से अधिक वसूली हो चुकी है। और मामला वहीं का वहीं है।

अब लोक आयोग

लंबे समय तक ग्रह-दशा के शिकार रहे सूबे के सीनियर आईएएस नारायण सिंह के पिछले हफ्ते ही दिन फिरे थे। आदिवासी कार्ड चलते हुए सरकार ने उन्हें राज्य विद्युत नियामक आयोग का चेयरमैन अपाइंट किया था। मगर उनकी परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। डीओपीटी के बाद, उन्हें अब लोक आयोग की जांच का सामना करना पड़ सकता है। तकनीकी शिक्षा सचिव रहने के दौरान प्रदेश के आईटीआईज में बिना टेंडर करोड़ों का ट्रेनिंग प्रोग्राम का ठेका एक पार्टी को देने के मामले में लोक आयोग में शिकायत हो गई है। रायपुर के आरटीआई कार्यकर्ता भाविन जैन ने नारायण के अलावा तकनीकी शिक्षा संचालनालय के दो दर्जन अधिकारियों, कर्मचारियों को पार्टी बनाया है। लोक आयोग के सूत्रों की मानें तो जैन के दस्तावेजों में दम है। सो, अयोग में कभी भी यह मामला दर्ज हो सकता है।

ब्यूरोक्रेटिक मिनिस्टर

अमर अग्रवाल को ब्यूरोक्रेसी के पंसदीदा मिनिस्टर ऐसे ही नहीं  कहा जाता। वे अफसरों का पूरा खयाल रखते हैं। आईएएस अफसर और बिलासपुर नगर निगम कमिश्नर अवनीश शरण की 13 जुलाई को पटना में शादी हुई, उसमें अमर अपने लोगों के साथ मौजूद थे। अब ऐसे में आईएएस भी उन्हें क्यों नहीं चाहेंगे। आईएएस बताते हैं, वे नाहक प्रेशर नहीं डालते। ना ही ट्रांसफर पोस्टिंग का दबाव रहता है। यही वजह है कि प्रदेश के अधिकांश आईएएस उनके साथ काम करना चाहते हैं।

कमाल का दिमाग

पिछले संडे को वन मंत्री विक्रम उसेंडी सुबह-सुबह लाव-लश्कर के साथ विधानसभा के निकट स्थित राज्य वन अनुसंधान संस्थान-एसएफआरआई-पहुंच गए। साथ में सूटकेस और बैग भी थे। मंत्रीजी के लागेज लेकर  पहुंचने से संस्थान का स्टाफ आवाक था। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसेंडी के लोगों को भी निर्देश थे कि कुछ बताना नहीं है। मंत्रीजी ने कैम्पस के सघन वृक्षों  के पास खड़े होकर विभिन्न पोजों में वीडियोग्राफी कराई। कई ड्रेस भी बदलें। बाद में पता चला, मंत्रीजी ने चुनाव प्रचार के लिए फिल्म बनवाई है। अब, नक्सलियों की वजह से वे अपने इलाके में जाकर शूटिंग तो करा नहीं सकते। सो, एसएफआरआई के कृत्रिम जंगलों को पखांजूर का जंगल बताकर वन मंत्री की उपलब्धियांे को फिल्मा लिया गया। है ना कमाल का दिमाग।

सीधा कनेक्शन

रमन सरकार ने बिजली उपकर कम करके राज्य के 32 लाख धरेलू बिजली उपभोक्ताओं से सीधा कनेक्शन जोड़ लिया है। अब, हर साल की तरह बिल बढ़ने के बजाए चार परसेंट तक कम आएंगे। हालांकि, रमन के रणनीतिकार इसे 10 से 12 फीसदी तक बताते हैं। अफसरों का तर्क है, महंगाई 10 फीसदी बढ़ रही है, उस हिसाब से बिजली की दर बढ़ने के बजाए कम हो गए हैं। बताते हैं, सिकरेट्री टू सीएम अमन सिंह और सुबोध सिंह इस काम में कई दिन से लगे थे। देश के कई राज्यों से बिजली उपकर का मिलान किया गया। पता चला, मध्यप्रदेश के समय से छत्तीसगढ़ में 23 फीसदी बिजली उपकर है। दोनों ने मिलकर इसका ड्राफ्ट तैयार किया। और इसका ऐलान हो गया। काश! बिजली की तरह पेट्रोल पर सरकार वेट कम कर देती।

पुअर पारफारमेंस

दरभा नक्सली हमले के बाद मानसून सत्र को ढाई दिन में खतम करवाने के लिए कांग्रेस भले ही अपनी पीठ थपथपा लें। मगर सियासी पंडित भी कांग्रेस के इस स्टैंड से सहमत नहीं है। कांग्रेस के कई सीनियर नेताओं का भी मानना है कि पार्टी के पास सरकार को एक्सपोज करने का बढि़यां मौका था। नक्सली हमले में जो चूक हुई, विपक्षी विधायक सरकार की बधिया उधेड़ सकते थे। इस ज्वलंत मुद्दे को मीडिया में भी अच्छा कवरेज मिलता। मगर विपक्ष ने मौका गंवा दिया।

शह-मात का खेल

महासमुंद से विद्याचरण शुक्ल की बेटी प्रतिभा पाण्डेय को चुनाव लड़ाने की घोषणा को कांग्रेस में चल रही शह-मात की सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, महासमंुद से अजीत जोगी की दावेदारी करने की तैयारी है। मगर सामने विधानसभा चुनाव होने के चलते उन्होंने अभी पत्ता ओपन नहीं किया है। वे एक बार इस सीट से सांसद रह चुके हैं। उधर, अमितेश शुक्ल की भी अपने चाचा की इस सीट पर दिलचस्पी थी। प्लान यही था कि राजिम विधानसभा से अमितेश का बेटा भवानी चुनाव लड़ेंगे और वे लोकसभा का। मगर संगठन खेमा ने भारी पड़ गया। अब, प्रतिभा को किनारे करना दोनों के लिए मुश्किल होगा।

अंत में दो सवाल आपसे

1. कारगुजारियों के लिए बदनाम किन दो पुलिस अधीक्षकों को सरकार हटाने पर विचार कर रही है?
2. ननकीराम कंवर से भिड़ जाने वाले जशपुर कलेक्टर एलएस केन के खिलाफ नोटिस तक इश्यू क्यों नहीं हो पाया?

शनिवार, 13 जुलाई 2013

तरकश, 14 जुलाई



tarkash logo

सीएम का गुस्सा

सीएम को या तो गंभीर मुद्रा में या फिर हल्की मुस्कुराहट में ही लोगों ने देखा है। मगर उस रोज सीएम हाउस के लोग स्तब्ध थे। रायगढ़ में जिंदल इंजीनियरिंग कालेज में जीरो ईयर करने पर सीएम हाउस में मीटिंग चल रही थी। सीएम ने नवीन जिंदल को फोन लगवाया। डाक्टर साब के यह कहने के बाद भी कि बच्चों के भविष्य का सवाल है, जिंदल अगर-मगर करते रहे……यही नहीं, उन्होंने कालेज बंद करने की बात कर दी। इस पर डाक्टर साब ने गुस्से में आकर लैंडलाइन फोन को पटक दिया। चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार और सिकरेट्री टू सीएम अमन सिंह फौरन सक्रिय हुए। और सरकारी आदेशों की नाफारमानी करने वाले शैक्षणिक संस्थानों को अधिग्रहित करने के लिए कैबिनेट का ड्राफ्ट तैयार हो गया और अगले दिन मंत्रिपरिषद ने इसे पारित कर दिया। सीएम की नाराजगी का ही असर था कि अगले दिन ही जिंदल के अफसर सीएम हाउस पहुंचे और सरेंडर कर दिया।

एक ही राशि

राज्य में जिन आईएएस अफसरों को रिटायर होने के बाद पुनर्वास मिला है, उनमें एसके मिश्रा और शिवराज सिंह को छोड़कर सभी लगभग एक ही राशि के हैं। अशोक विजयवर्गीय से लेकर सरजियस मिंज, पीसी दलेई, एसके तिवारी और अब नारायण सिंह। ऐसे में मंत्रालय में लोग ऐसे ही चुटकी नहीं ले रहे हैं कि काम मत करों, रिटायर होने के बाद पोस्टिंग अच्छी मिल जाएगी। नारायण सिंह के बाद तो अब दागी और कु-ख्यात आईएएस भी रिटारमेंट के बाद मलाईदार पदास्थापना के सपने देखने लगे हैं।

एक्सचेंज पोस्टिंग

कुछ भाजपा नेता अपनी कसरत में कामयाब रहे, तो विधानसभा सत्र के बाद हाउसिंग बोर्ड और सीएसआईडीसी के कमिश्नर और एमडी एक्सचेंज हो सकते हैं। सूत्रों की मानें तो कुछ नेताओं की शिकायत है कि हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर सोनमणि बोरा चुनावी साल का रिक्वायरमेंट पूरा करने में रुचि नहीं ले रहे हैं। कुछ नेताओं ने इसकी शिकायत सीएम से की है। मगर सीएम और सीएस ने बोरा को फिलहाल बदलने से मना कर दिया है। पता चला है, बोरा को सीएसआईडीसी के एमडी सुनिल मिश्रा से एक्सचेंज करने का आइडिया सीएम को दिया गया है। याने मिश्रा हाउसिंग बोर्ड में और बोरा सीएसआईडीसी में। हालांकि, अभी कुछ फायनल नहीं हुआ है।

जय-जय

वेयर हाउस का एक बाबू सरकारी इंडिगो कार में चले, यह छत्तीसगढ़ में ही संभव है। दरअसल, मंत्रालय में पोस्टेड एक आईएएस के लिए सिगरेट से लेकर घरेलू सामान जुटाना, मनीराम को साब तक पहुचाने का काम लोवर डिवीजन क्लर्क करता है। सो, अपने विश्वस्त का खयाल रखना आखिर, साब का भी तो दायित्व बनता है। उन्होंने मार्कफेड से किराये से इंडिगो लेकर क्लर्क को दिलवाया है। और जितना क्लर्क को वेतन नहीं मिलता, उससे दुगुना गाड़ी का किराया देता है मार्कफेड। अब बास का आदेश है, तो मार्कफेड भला कैसे टाल सकता है। भले ही वह दूसरे बोर्ड का बाबू हो। आलम यह है कि वेयरहाउस के एमडी से बढि़यां कार में वहां का बाबू आता है। और उसकी रसूख की वहां जय-जय होती है।

ऐसी उपेक्षा

खाद्य विभाग से ही देश में छत्तीसगढ़ की पहचान बनीं, इसलिए यह विभाग हमेशा सरकार की प्राथमिकता में रहा है। मगर अभी कुछ महीने से इसका बुरा हाल हो गया है। हाल तक इस विभाग मे प्रींसिपल सिकरेट्री पोस्टेड रहे। एमके राउत, विवेक ढांड और उससे भी पहले जोगी काल में पंकज द्धिवेदी पीएस फूड रहे। पिछले साल तक ढांड के साथ तीन-तीन आईएएस रहे। सोनमणि बोरा भी उनके साथ फूड में थे। सरकार ने अब सिकरेट्री विकास शील के भरोसे खाद्य विभाग को छोड़ दिया है। विकास शील अकेले अब क्या करें। 30 लाख मीट्रिक टन धान अभी भी संग्रहण केंद्रों में पड़ा हुआ है। बारिश में धान अगर खराब हुआ, तो करोड़ों की चपत लगेगी।

ग्रह-नक्षत्र का खेल?

आईएएस केडीपी राव और बीएस अनंत द्वारा तबादले को ठेंगा दिखाने के बाद अब आईएफएस अनिल साहू ने भी एसईसीएल में डेपटेशन पर जाने से इकार कर दिया है। केडीपी के नक्शे कदम पर चलते हुए उन्होंने एसईसीएल के बजाए किसी भी जगह पोस्ट करने के लिए सरकार को पत्र लिखा है। इससे पहले, जशपुर कलेक्टर एलएस केन सरकारी कार्यक्रम में मंच पर प्रभारी मंत्री ननकीराम कंवर से भिड़ गए। उधर, आरडीए के सीईओ अलेक्स पाल मेनन गुस्से में मीटिंग छोड़कर भाग गए। मेनन सरीखे जूनियर आईएएस आरडीए के पदाधिकारियों को आंखें दिखा रहे हैं। सोच लीजिए, छत्तीसगढ़ में किस तरह का एडमिनिस्ट्रेटिव कल्चर डेवलप हो रहा है। ननकीराम कंवर तो इसे ग्रह-नक्षत्र का खेल ही कहेंगे। मगर जो हो रहा है, वह नए राज्य के लिए अच्छे संकेत नहीं कहे जा सकते। सरकार को इस पर सोचना चाहिए। और बनें तो जीएडी में कुछ पूजा-पाठ भी कराना चाहिए।

दोनों हाथ में लड्डू

कांग्रेस में शह-मात का जो खेल चल रहा है, उसकी खुशी सत्ताधारी पार्टी के नेताओं पर पढ़ी जा सकती है। पार्टी का हर दूसरा नेता हैट्रिक की बात कर रहा है। भाजपा नेताओं की मानें तो अजीत जोगी अगर कांग्रेस में मुख्य धारा में रहे तब भी और ना रहें तब भी, फायदा भाजपा को ही होना है। महंत के नेतृत्व में गर चुनाव हुआ तो विरोधी कांग्रेस की लुटिया डूबोएंगे और विरोधी कहीं सामने आए तो लोग न चाहने के बाद भी कमल पर ही ठप्पा लगाएंगे। याने दोनों हाथों में लड्डू है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. रिटायर डीजी संतकुमार पासवान को किस जगह पर पुनर्वास की चर्चा है?
2. वित्त महकमे द्वारा अड़ंगा लगाने से किस मंत्री को 300 करोड़ रुपए का नुकसान हो गया है?

शनिवार, 6 जुलाई 2013

तरकश, 7 जुलाई

राघवजी जैसे

राघवजी जैसों की अपने सूबे में भी कमी नहीं है। एक वरिष्ठ मंत्री के पीए पर उनके घर पर पोस्टेड स्टाफ ने गंभीर आरोप लगाए थे। कहीं कोई सुनवाई नहीं होने पर पीडि़त ने चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार से न्याय के लिए फरियाद की। सीएस भी जांच करके कार्रवाई करने के लिए पीएचक्यू को चार बार फाइल भेज चुके हैं। उन्होंने पुलिस महकमे को निर्देश दिए थे कि जांच रिपोर्ट से फरियादी को संतुष्ट किया जाए। मगर शीर्ष अफसर के तगादे के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब पुलिस भी भला क्या करें, कुछ करेगी तो मंत्रीजी के कोप का शिकार होना पड़ेगा।

महंत दुखी

केशकाल चुनाव के नतीजे से चरणदास महंत जितना दुखी नहीं है, उससे कहीं ज्यादा अपनी टीम से हैं। टीम ने ही जिद करके केशकाल में गलत फैसला कराया। वरना, फस्र्ट बाल पर आउट होने जैसा हाल नहीं होता। दरअसल, महंत नहीं चाहते थे कि नगर पंचायत जैसे छोटे चुनाव में गुटीय वजह से प्रत्याशी चेंज किया जाए। जोगी का एक कंडिडेट अगर नगर पंचायत अध्यक्ष बन भी जाता तो कोेई फर्क नहीं पड़ने वाला था। मगर हाल ही में प्रभावशाली हुए एक लड़ाकू नेता अड़ गए। उन्होंने जोगी के उम्मीदवार को बदलवा कर ही माना। और उनकी इस जिद की वजह से विधानसभा चुनाव के पांच महीने पहले कांग्रेस की न केवल फजीहत हो गई, बल्कि जोगी को भी यह कहने का मौका मिल गया कि छत्तीसगढ़ में उनके बिना कांग्रेस नहीं है। ऐसे में दाउ का दर्द समझा जा सकता है।   

भगवान मालिक

दरभा नक्सली हमला हुआ छत्तीसगढ़ में और रिचार्ज हो गए मध्यप्रदेश के कांग्रेसी। वहां कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। अविश्वास प्रस्ताव भी लाया जा रहा है। राघवजी एपीसोड भी हो गया। और छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी एक-दूसरे को निबटाने में लगे हुए हैं। आलम यह है कि एक साल से कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं आया है। नंदकुमार पटेल के अध्यक्ष बनने के बाद अविश्वास प्रस्ताव आया था, वही पहला और आखिरी था। मानसून सत्र में अविश्वास प्रस्ताव के जरिये रमन सरकार को घेरने का बढि़यां अवसर था। कांग्रेस चाहती तो सदन में दरभा कांड पर सरकार को कटघरा में खड़ा कर सकती थी। मगर हो उल्टा रहा है। पता चला है, कांग्रेस मानसून सत्र को नहीं चलने देने की तैयारी कर रही है। उधर, कलश यात्रा की भी रस्मअदायगी की जा रही है। राजिम में मुठ्ठी भर कार्यकर्ता थे। लग्जरी गाडि़यों में झकझक कपड़े पहने प्रदेश भर से पहुंचे कांग्रेसी फोटो खिंचवा कर चलते बने। ऐसे में आप अनुमान लगा सकते हैं, कांग्रेस का भगवान ही मालिक है।

झटका

आमतौर पर आईएएस अफसर अपने लिए प्रमोशन और पोस्टिंग जुटाने में आगे रहते हैं। मगर अबकी उन्हें झटका लगा है। 83 बैच के आईपीएस अफसर गिरधारी नायक पिछले हफ्ते प्रमोट होकर डीजी बन गए। मगर उन्हीं के बैच के आईएएस अफसर अजय सिह और एनके असवाल प्रींसिपल सिकरेट्री बने हुए हैं। जबकि, एक जनवरी से उनका एडिशनल चीफ सिकरेट्री का प्रमोशन ड्यू है। बताते हैं, एसीएस के पोस्ट खाली नहीं हैं। लेकिन इससे पहले कई मौकों पर ऐसा हुआ है कि भारत सरकार से अनुमति की प्रत्याशा में प्रमोशन हुए हैं। मगर सब समय का चक्र है। वरना, अजय सिंह जैसे प्रभावशाली अफसर के लिए यह कठिन काम नहीं था।

अफसर कमजोर

केडीपी राव के बाद बीएस अनंत के भी कमिश्नर बनने से अनिच्छा जताने पर कमिश्नरी पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। उसे दोयम दर्जे की पोस्टिंग बताई जा रही है। मगर वास्तविकता यह है कि कमिश्नरी कमजोर नहीं है, उसे पहले जैसे पावर भी मिल गए हैं। दिक्कत यह है कि वहां कमजोर अफसर पोस्ट किए जा रहे हैं। एमके राउत और आरपी मंडल जैसे फील्ड में काम करने वाले अफसरों को कमिश्नर बना दें, तो अपने आप पोस्ट की रेटिंग बढ़ जाएंगी। असल में, कमिश्नरी बहाल होने के बाद एक भी धाकड़ आईएएस पोस्ट नहीं हुआ। तेज कमिश्नर अगर पोस्ट हो जाए, तो कलेक्टर की क्या मजाल कि वह कमिश्नर को इगनोर कर दें।   

स्टाम्प मुक्त

अक्टूबर-नवंबर के बाद आपको 50 और 100 रुपए के अधिक के स्टाम्प देखने को नहीं मिलेंगे। जमीन-जायदाद की रजिस्ट्री में गड़बड़ी रोकने और पेपर का बोझ कम करने के लिए पंजीयन और मुद्रांक विभाग छत्तीसगढ़ को स्टाम्प फ्री स्टेट करने जा रहा है। अब रजिस्ट्री के लिए जितने के स्टाम्प लगेंगे, वह राशि बैंक में जमा होगी और वहां से एक पन्ने का सर्टिफिकेट मिल जाएगा। उस आधार पर आपका काम हो जाएगा। इसके लिए सभी बैंकों से टाईअप किया जा रहा है। असल में, कुछ अफसर जिस विभाग में जाते हैं, अपना छाप छोड़ जाते हैं। पंजीयन, मुद्रांक और वाणिज्यिक विभाग के सिकरेट्री आरएस विश्वकर्मा के साथ भी कुछ ऐसा ही है। दोनों विभागों में उन्होंने सुधार के कई काम प्रारंभ कर दिए हैं।

हाईप्रोफाइल शादियां

डीजीपी रामनिवास के बेटे की शादी 11 जुलाई को दिल्ली में होने जा रही है। 20 को रायपुर में रिशेप्सन होगा। शादी अटेंड करने के लिए बड़ी संख्या में आईपीएस समेत अन्य लोग दिल्ली जाएंगे। इसके चलते 11 शाम की दोनों फ्लाइट फुल हो चुकी है। वहीं, बिलासपुर नगर निगम के कमिश्नर एवं 2008 बैच के आईएएस अफसर अवनीश शरण की शादी में 13 जुलाई को पटना में होगी। उनका हाईप्रोफाइल रिशेप्सन 20 को दिल्ली में होगा। सीबीआई के डायरेक्टर रंजीत सिनहा की बेटी से उनकी शादी हो रही है। उनकी होने वाली पत्नी आईबी में पोस्टेड हैं। पता चला है, उनके दिल्ली के रिशेप्सन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए चीफ सोनिया गांधी से लेकर दिल्ली की प्रभावशाली हस्तियां शामिल होंगी। इधर, वन विकास निगम के एमडी एके सिंह के बेटे की शादी भी 11 जुलाई को रायपुर में होगी।

अंत में दो सवाल आपसे

 1. नर्सिंग कालेज की अनुमति के लिए एक संस्था किस अफसर की पत्नी का सम्मान करने का गुनतारा भिड़़ा रहा है?
2. रायपुर से बाहर ट्रांसफर होते ही वरिष्ठ अफसरों की तबियत क्यों खराब होने लगती है?