29 दिसंबर 2019
नगरीय निकाय चुनाव में जिन इलाकों में सत्ताधारी पार्टी का परफारमेंस पुअर रहा, उन क्ष़्ोत्रों के मंत्रियों की हालत खराब हो रही है। कई मंत्री घबराए हुए हैं। सरकार का वैसे भी एक साल कंप्लीट हो गया है। काम के लिए अब सिर्फ तीन साल बचे हैं। जाहिर है, पांचवे साल में चुनाव की तैयारी शुरू हो जाती है। लिहाजा, सरकार अब कोई एक्सपेरिमेंट नहीं करेगी। वैसे भी, सीएम भूपेश बघेल भी कई बार मंत्रियों को परफारमेंस को लेकर आगाह कर चुके हैं। नगरीय निकाय चुनाव में ओवरऑल पार्टी का प्रदर्शन भी बढ़ियां रहा। राहुल गांधी सीएम की पीठ थपथपा ही गए हैं। सत्यनारायण शर्मा, अमितेष शुक्ल और देवती कर्मा जैसे कई लोग तैयार बैठे हैं। यह सब सोचकर कई मंत्रियों का दिल बैठा जा रहा है। आखिर, दाउ का क्या भरोसा….पुअर परफारमेंस पर कहीं बाहर का रास्ता न दिखा दें?
नगरीय निकाय चुनाव में जिन इलाकों में सत्ताधारी पार्टी का परफारमेंस पुअर रहा, उन क्ष़्ोत्रों के मंत्रियों की हालत खराब हो रही है। कई मंत्री घबराए हुए हैं। सरकार का वैसे भी एक साल कंप्लीट हो गया है। काम के लिए अब सिर्फ तीन साल बचे हैं। जाहिर है, पांचवे साल में चुनाव की तैयारी शुरू हो जाती है। लिहाजा, सरकार अब कोई एक्सपेरिमेंट नहीं करेगी। वैसे भी, सीएम भूपेश बघेल भी कई बार मंत्रियों को परफारमेंस को लेकर आगाह कर चुके हैं। नगरीय निकाय चुनाव में ओवरऑल पार्टी का प्रदर्शन भी बढ़ियां रहा। राहुल गांधी सीएम की पीठ थपथपा ही गए हैं। सत्यनारायण शर्मा, अमितेष शुक्ल और देवती कर्मा जैसे कई लोग तैयार बैठे हैं। यह सब सोचकर कई मंत्रियों का दिल बैठा जा रहा है। आखिर, दाउ का क्या भरोसा….पुअर परफारमेंस पर कहीं बाहर का रास्ता न दिखा दें?
मंत्रालय में बड़ी सर्जरी
मंत्रालय में सचिव स्तर पर बहुत जल्द एक अहम बदलाव हो सकता है। इसमें सचिव स्तर के कई अधिकारियों की जिम्मेदारियां बदलेंगी। कुछ सचिवों के पास कई-कई विभाग हैं। उनके लोड कम किए जाएंगे तो कुछ के दायित्व बढाएं जाएंगे। प्रसन्ना आर जैसे कुछ सिकरेट्री के पास कोई खास काम नहीं है। सरकार उन्हें कोई दूसरी जिम्मेदारी दे सकती है। कुछ मंत्री भी दुखी हैं कि उनके सिकरेट्री ठीक से काम नहीं कर रहे। फेरबदल में सरकार निश्चित तौर पर इसका भी ध्यान रखेगी। वैसे, पीडब्लूडी में भी कुछ चेंजेस हो सकते हैं। कोई आश्चर्य नहीं, पीएस होम सुब्रत साहू को कोई और अहम जिम्मेदारी मिल जाए। प्रिंसिपल सिकरेट्री डा0 आलोक शुक्ला को भी महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा जाना लगभग तय लग रहा है। कुल मिलाकर मंत्रालय की सर्जरी अबकी इस हिसाब से की जाएगी कि वह कम-से-कम दो साल तक चले। सीएम भूपेश की काम करने वाली यही असली टीम होगी। वजह यह कि किसी भी नई सरकार का पहला साल अफसरो को परखने में निकल जाता है। एक साल में सीएम भी समझ गए हैं कि कौन काम करने वाले अफसर हैं और कौन जुबानी जमा खर्च वाले।
वेटिंग चेयरमैन
रिटायर आईपीएस गिरधारी नायक मानवाधिकार आयोग के मेम्बर बन गए हैं। जाहिर है, उनकी नजर प्रभारी चेयरमैन की कुर्सी पर रही होगी। क्योंकि, डीजी से रिटायर हुआ अफसर सिर्फ मेम्बर तो बनेगा नहीं। लेकिन, नायक को इसके लिए अभी वेट करना पड़ेगा। आयोग में अभी डिस्ट्रिक्ट जज रैंक के प्रभारी चेयरमैन हैं। उनके रिटायरमेंट में अभी छह-सात महीने का टाईम है। तब तक नायक को सदस्य बनकर काम करना होगा। हालांकि, प्रभारी चेयरमैन बनने के बाद भी नायक के सामने इस बात की खतरा हमेशा रहेगा कि सरकार कभी किसी हाईकोर्ट जस्टिस को चेयरमैन बना दिया तो? जाहिर है, चेयरमैन का पद वस्तुतः हाईकोर्ट के जस्टिस का है। जस्टिस की नियुक्ति न होने पर सरकार प्रभारी चेयरमैन बनाकर अपने लोगों को उपकृत करती है।
शुक्ला की बिदाई नहीं
करीब चार साल बाद मंत्रालय लौटे सीनियर आईएएस डा0 आलोक शुक्ला का जून 2020 में रिटायरमेंट है। याने सिर्फ छह महीने बाद। आलोक आईएएस से जरूर रिटायर हो जाएंगे। लेकिन, सरकार से नहीं। ताजा अपडेट यह है कि जब तक भूपेश सरकार रहेगी, आलोक सरकारी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते रहेंगे। बताते हैं, सीएम भूपेश बघेल ने भी उन्हें दो टूक कह दिया है, आपको रिटायर नहीं होना है। सरकार का मानना है, जब पिछली सरकार में रिटायमेंट के दस-दस साल बाद बाहरी अधिकारी जमे रहे तो फिर रिजल्ट देने वाले छत्तीसगढ़ियां आईएएस क्यों नहीं। वैसे ठीक भी है। सूबे में सीनियर लेवल पर अफसरों का वैसे ही टोटा है। आलोक तो काबिल अधिकारी माने जाते हैं। फूड और हेल्थ में उन्होंने काफी काम किया है।
व्यापम में आईएएस
आईएफएस उमा देवी के डेपुटेशन पर भारत सरकार जाने से व्यापम चेयरमैन का पद खाली हो गया है। पीएमटी पर्चा कांड के बाद विवादों में रहे इस भर्ती बोर्ड को सरकार मजबूत करने पर विचार कर रही है। इसके लिए जल्द ही किसी आईएएस को व्यापक का नया चेयरमैन अपाइंट किया जा सकता है। आईएएस भी सीनियर होगा। उन्हें टास्ट दिया जाएगा कि खाली पड़े सैकड़ों पदों पर अगले चार साल में ज्यादा-से-ज्यादा भर्तियां पूरी कर लें।
आईपीएस के प्रमोशन
कुछ साल पहिले तक आईपीएस में परंपरा रही कि एक जनवरी को प्रमोशन मिल जाता था। इसकी तैयारी पहले ही पूरी कर ली जाती थी। और, 31 दिसंबर की शाम को आर्डर निकल जाता था। 2009 के बाद यह परंपरा बंद हो गई। लेकिन, इस बार यह सुनने में आ रहा है कि प्रमोशन को लेकर सरकार संजीदा है। गृह विभाग में इसको लेकर कई बैठकें हो चुकी है। सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही आईपीएस में प्रमोशन हो जाएगा। हालांकि, इस बार संख्या काफी कम है। आईजी से एडीजी प्रमोट होने वाले सिर्फ प्रदीप गुप्ता हैं। वे बिलासपुर के आईजी हैं। प्रमोशन के बाद उन्हें वहीं कंटीन्यू कर दिया जाएगा। डीआईजी टीआर पैकरा आईजी बनेंगे। चूकि वे हाल ही में ट्रांसपोर्ट में आए हैं। लिहाजा, उन्हें भी बदलने की कोई संभावना नहीं है। एसपी से डीआईजी बनने वालों में जरूर चार आईपीएस हैं। इनमें एक राजनांदगांव के एसपी बीएस धु्रव भी शामिल हैं। उनके अलावा आरएन दास, मयंक श्रीवास्तव और टी एक्का भी डीआईजी बनेंगे।
महिला अफसरों पर भरोसा
भारत निर्वाचन आयोग ने आईएएस रीना बाबा कंगाले को राज्य निर्वाचन पदाधिकारी बनाने के लिए ओके कर दिया है। हालांकि, जीएडी से उनका अभी आर्डर नहीं निकला है। सरकार चाह रही है कि रीना के पास एडिशनल चार्ज के रूप में मंत्रालय का चार्ज बना रहे। इसके लिए निर्वाचन आयोग से अनुमति मांगी गई है। बहरहाल, निधि छिब्बर के बाद रीना दूसरी महिला आईएएस होंगी, जिन्हें भारत निर्वाचन आयोग ने इस पद पर पोस्टिंग दी है। दिलचस्प यह है कि निधि छिब्बर का नाम जब निर्वाचन आयोग को भेजा गया था तब तीन सदस्यीय पेनल में उनका नाम सबसे उपर था। आयोग ने उनके नाम को टिक कर दिया था। इस बार भी तीन नाम भेजे गए, उनमें रीना कंगाले, अविनाश चंपावत और सुबोध सिंह के नाम थे। हालांकि, सुबोध का नाम कोरम पूरा करने के लिए भेजा गया होगा, क्योंकि उन्हें डेपुटेशन पर जाने राज्य सरकार एनओसी दे चुकी है।
मंत्रियों में टकराव?
नगरीय निकाय चुनाव में राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने पार्टी के पिछड़ने का ठीकरा पुलिस पर फोड़ा है। अग्रवाल का आरोप है कि पुलिस ने कांग्रेस पार्टी के पार्षदों को हराने के लिए काम किया। राजस्व मंत्री के इस आरोप के बाद गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने अपनी पुलिस का बचाव करने में देर नहीं लगाई। उन्होंने कहा, पता नहीं मंत्रीजी ने ये कैसे कह दिया। पुलिस ऐसा काम नहीं कर सकती….पुलिस हराने और जिताने का काम नहीं करती। तो क्या इसे मंत्रियों में टकराव की शुरूआत मानी जाए।
विभाग छोटा, काम बड़ा
गर ढंग से काम किया जाए तो छोटा विभाग भी अहम बन जाता है। जैसा संस्कृति विभाग अभी हुआ है। आदिवासी डांस महोत्सव से पहिले भला कौन जानता था कि पुछल्ला सा विभाग राज्य और राज्य सरकार की इस तरीके से ब्रांडिंग करा देगा। नेशनल मीडिया में यह आयोजन सुर्खियों में रहा। इस आयोजन की खासियत यह है कि सरकार का इसमें एक रुपया नहीं लगा। बारह-तेरह करोड़ रुपए में में से साढ़े सात करोड़ एनएमडीसी दे दिया। बाकी पैसा लोकल इंडस्ट्री देने वाली है। इस आयोजन से संस्कृति सचिव सिद्धार्थ परदेशी का नम्बर बढ़ गया है। सरकार में बैठे लोग भी बोल रहे, सिद्धार्थ ने जबर्दस्त मेहनत किया। हालांकि, अगला साल पर्यटन विभाग के लिए भी अहम होगा। रामपथ गमन के साथ ही कोरबा के बांगो को नेशनल लेवल का टूरिस्ट सेंटर बनाने पर काम प्रारंभ हो गया है। बांगो के बारे में बताते हैं, वैसा लंबा झील देश में कहीं नहीं है। भोपाल से भी बड़ा। करीब 40 किमी में पसरा। सिकरेट्री टूरिज्म अंबलगन पी इसके लिए बांगो का मुआयना करके आ चुके हैं। मंत्रालय में इस मास्टर प्लान पर काम प्रारंभ हो चुका है। याने टूरिज्म भी कुछ बड़ा करने वाला है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. नए साल में सैर-सपाटे पर जाने सरकार से छुट्टी मांगने से ब्यूरोक्रेट्स घबरा क्यों रहे हैं?
2. दुर्ग सांसद विजय बघेल क्या भारतीय जनता पार्टी के अगले प्रदेश अध्यक्ष होंगे?
2. दुर्ग सांसद विजय बघेल क्या भारतीय जनता पार्टी के अगले प्रदेश अध्यक्ष होंगे?