शनिवार, 22 अप्रैल 2017

तेरी साड़ी सफेद क्यों


23 अप्रैल
संजय दीक्षित
दसवीं बोर्ड के नतीजे आने के बाद आईएएस के व्हाट्सएप ग्रुप में बवाल मच गया। हुआ ऐसा कि कल एक स्मार्ट ज्वाइंट सिकरेट्री ने छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक 80 फीसदी रिजल्ट आने के लिए दंतेवाड़ा जिले को एप्रीसियेट कर दिया। इसके बाद तो पूछिए मत! पहले कुछ महिला कलेक्टर्स कूदीं…..हाट टॉक हुआ….मेरी साड़ी से तेरी साड़ी सफेद क्यों। फिर कलेक्टर्स की लाइन लग गई…नहीं हमने…., नहीं हमारे यहां का रिजल्ट तुमसे बढ़ियां आया है। नहीं, तुम्हारा फिगर गलत है। इस व्हाट्सएप ग्रुप में चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड समेत सीनियर आईएएस, कलेक्टर्स, सीईओज हैं। बच्चों के रिजल्ट पर कलेक्टरों को झगड़ते देख मंत्रालय में लोगों ने खूब चटखारे लिए। अलबत्ता, ये अच्छा साइन है। काम को लेकर कम-से-कम कलेक्टरों में इतना कांपिटिशन तो हो गया है।

23 साल पहिले

सीएम ने दो कलेक्टरों को चना-मुर्रा की तरह चलता कर दिया। हेलीपैड पर मीडिया के जरिये कोरिया और सूरजपुर कलेक्टर्स की छुट्टी कर दी। इसको देखकर 23 साल पुराना वाकया याद आ गया। 94 में एडी मोहिले रायपुर के कमिश्नर थे। उस समय मध्यप्रदेश था और सीएम थे दिग्विजय सिंह। दिग्गी रायपुर आए थे। उनसे कैरोसिन तेल के वितरण को लेकर शिकायतें हुई। दिग्विजय को जब बोलने का मौका आया तो उन्होंने पहली लाइन बोली, आपके बीच जल्द ही नए कमिश्नर होंगे। अगले दिन कमिश्नर का आर्डर निकल गया था। हालांकि, मोहिले ने इस एपीसोड के बाद वीआरएस ले लिया था।

 कुर्सी का भय

माध्यमिक शिक्षा मंडल के चेयरमैन का पोस्ट चीफ सिकरेट्री लेवल का है। सीएस ना हों तो कम-से-कम प्रिंसिपल सिकरेट्री लेवल का तो होना चाहिए। केडीपी राव भी पीएस थे। मगर कुछ दिनों से इसे एडिशनल चार्ज में रखा गया है। स्कूल एजुकेशन सिकरेट्री विकास शील इसके इंचार्ज चेयरमैन हैं। सरकार ने इस पोस्ट को प्रभार में क्यों रखा है, इसको लेकर एसीएस लेवल के अफसरों को डरना स्वाभाविक है। याद होगा, 2007 में शिवराज सिंह जब सीएस बने थे, तो उनसे सीनियर बीकेएस रे को मंत्रालय से हटाकर माशिमं भेज दिया गया था। रे की नाराजगी को दूर करने के लिए ही चेयरमैन के पद को चीफ सिकरेट्री के बराबर घोषित किया गया था। ऐसे में, भय की वजह आप समझ सकते हैं।

लेटर वार

सत्ताधार पार्टी बैठक-पर-बैठक कर अपना घर मजबूत कर रही है तो कांग्रेस लेटर वार में उलझी हुई है। रेणु जोगी ने सोनिया गांधी को खत भेज कर भूपेश बघेल की शिकायत की। बघेल ने फेसबुक पर अजीत जोगी को लंबी पाती लिख डाली। पाती की लच्छेदार भाषा और सधी हुई प्रस्तुतिकरण से लगता है, भूपेश को उसे लिखने में कम-से-कम दो-तीन घंटे तो लगे ही होंगे। भूपेश के फेसबुकिया पाती का जवाब देने में जोगी कैम्प ने भी देर नहीं लगाई। भूपेश पर कटाक्ष करते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिख डाला, हम गरीबों की लड़ाई सरकार से लड़ रहे हैं और भूपेश मेरे परिवार से। चलिये, सत्ताधारी पार्टी को और क्या चाहिए।

डैमेज कंट्रोल

बाबूलाल अग्रवाल के तिहाड़ जेल जाने से छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी की पूरे देश में भद पिटी थी। लोग मजाक उड़ा रहे थे…..आईएएस रिश्वत लेता है, ये देने वाला आईएएस छत्तीसगढ़ में कहां से आ गया। मगर आईएएस रजत कुमार के हावर्ड में सलेक्शन और दंतेवाड़ा कलेक्टर सौरभ कुमार के पीएम अवार्ड मिलने से ब्यूरोक्रेसी पर जो दाग लगे थे, उससे हद तक डैमेज कंट्रोल हुआ है।

हार्ड लक

पीएम अवार्ड के लिए तीन नाम थे। ओपी चौधरी, नीरज बंसोड़ और सौरभ कुमार। ओपी का नाम फायनल 30 के लिए जरूर लिस्टेड हो गया था मगर इस तरह के पुरस्कार दूसरी बार मिलते नहीं। बचे नीरज और सौरभ। नक्सल प्रभावित एरिया में कैशलेस का कमाल दिखाने वाले सौरभ पीएम अवार्ड चुन लिए गए। बट नीरज का सुकमा में वर्क भी आउटस्टैंडिंग था। अगर दोनों का जिला अगल-बगल नहीं होता तो यकीन मानिये छत्तीसगढ़ को दो पीएम अवार्ड मिलते। दंतेवाड़ा में एजुकेशन सिटी के जो काम हुए हैं, नीरज ने सुकमा में उसे उतार दिया हैं। बल्कि, बोल सकते हैं, उससे भी बढ़ियां। सीएम किसी कलेक्टर के काम से सबसे अधिक प्रसन्न रहते हैं तो वो हैं सकमा कलेक्टर। बावजूद इसके पीएम अवार्ड से नीरज चूक गए तो तकलीफ तो होगी ही। हार्ड लक नीरज!

दंतेवाड़ा की लगेगी बोली

पहले ओपी चौधरी ने दंतेवाड़ा का क्रेज बढ़ाया और अब सौरभ कुमार ने। कहीं ऐसा न हो कि दंतेवाड़ा का कलेक्टर बनने के लिए बोली लगने लगे। आखिर, सौरभ को भी दंतेवाड़ा जाने के लिए कितना फाइट करना पड़ा था। उस दंतेवाड़ा में, जिसके नाम से लोग घबराते थे। लेकिन, एजुकेशन सिटी में काम करके ओपी ने दंतेवाड़ा की रेटिंग बढ़ा दी थी। यही वजह है कि 2009 बैच के आईएएस को जब कलेक्टर बनने का मौका आया तो लोग टूट पड़े। सौरभ के रिश्ते उपर में एक खास अफसर से थे, इसलिए गाड़ी निकल गई। वरना, सामने वालों ने भी बड़े-बड़े जैक लगा रखे थे।

….तो सैल्यूट कीजिए

सूबे के कुछ कलेक्टर्स एजुकेशन और हेल्थ में आउटस्टैंडिंग काम कर रहे हैं। तभी तो मुंगेली जैसा ढाई ब्लॉक वाले छोटे जिले में पांच-पांच लड़के मेरिट में आ गए। जशपुर जैसे रिमोट ट्राईबल डिस्ट्रिक्ट में दो मेरिट में और वो भी चौथे नम्बर पर। दो लड़के एक-एक नम्बर से मेरिट में छूट गए। वरना, चार हो गए होते। मुंगेली पिछले बार 27वें नम्बर पर था, इस बार सातवें पर आ गया। दंतेवाड़ा 80 फीसदी रिजल्ट लाकर प्रदेश में सबसे उपर पहुंच गया। कवर्धा का रिजल्ट पिछले साल से 15 फीसदी बढ़कर दूसरे पायदान पर आ गया। सुकमा दूसरा एजुकेशन सिटी बन गया है। रायपुर में आरटीई में ऐसा काम हो रहा है कि प्रायवेट स्कूलों की शामत आ गई है। अब हेल्थ की बात करें। बलरामपुर में टेलीमेडिसिन, मोबाइल हेल्थ यूनिट रन करने लगा है। बीजापुर में तो हेल्थ के सेक्टर में ऐसा काम हुआ है कि यहां लिखने में जगह कम पड़ जाएगी। एक लाइन में आपको बता देते हैं, रायपुर के प्रायवेट अस्पताल से बढ़ियां चिकित्सा सुविधाएं बीजापुर के सरकारी अस्पतालों में मिल रही हैं। सफाई तो पूछिए मत! छत्तीसगढ़ शिक्षा और हेल्थ की दृष्टि से बेहद पिछड़ा हुआ है। इस फील्ड में कोई कलेक्टर अगर मन तन-मन से काम कर रहा है तो उन्हें सैल्यूट करना चाहिए…..अगर अवार्ड पाने के लिए वे नहीं कर रहे हों तो।

अंत में दो सवाल आपसे

1. अंबिकापुर जेल में भूपेश बघेल के कैदी से मिलने के मामले में क्लीन चिट देने में सरकार ने जल्दी क्यों दिखाई?
2. रिव्यू कमेटी की खबर को मिसफिड करने वाले किस आईपीएस अधिकारी से पीएचक्यू नाराज है?

रविवार, 16 अप्रैल 2017

दुआ कीजिए!


16 अप्रैल
संजय दीक्षित
ब्यूरोक्रेसी की सबसे प्रतिष्ठित पीएम अवार्ड के लिए देश के 600 से अधिक कलेक्टरों में से फायनल 30 में छत्तीसगढ़ के तीन कलेक्टरों ने स्थान बनाया है। रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी, सुकमा कलेक्टर नीरज बंछोड़ और दंतेवाड़ा कलेक्टर सौरभ कुमार। रायपुर ने तो स्टैंड अप इंडिया में देश के मेट्रो सिटी वाले जिलों को पछाड़कर अपना पोजिशन बनाया है। सो, दुआ कीजिए। तीनों कलेक्टर्स को ये अवार्ड हासिल हो जाए। इससे छत्तीसगढ़ का ही सिर उंचा होगा। आखिर, छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य से तीन-तीन कलेक्टरों का चुना जाना…..। ओपी तो रिकार्ड ही बनाएंगे। सब कुछ ठीक रहा तो उन्हें दूसरी बार पीएम अवार्ड मिलेगा।

लफड़ा ही खतम!

ऑल इंडिया सर्विसेज रिव्यू कमेटी ने एक आईएएस की बर्खास्तगी की सिफारिश करके एक तरह से कहें तो सरकार का हेडेक कम कर दिया है। क्योंकि, आने वाले समय में आईएएस सरकार के सिरदर्द बन जाते। सरकार पर निलंबन समाप्त करने का चौतरफा प्रेशर आता। और, गर रिस्टेट होते तो लोग सरकार पर उंगली उठाते। जाहिर है, रिव्यू कमेटी की सिफारिश से सरकार को राहत ही मिली है।

दुखिया आईपीएस

बस्तर में दुखिया आईपीएस अफसरों का जमावड़ा लगते जा रहा है। संतोष सिंह और अभिषेक मीणा बस्तर में ही परिक्रमा लगवाने से खुश नहीं हैं। जगदलपुर एसपी शेख आरिफ का दर्द तो मत पूछिए! बलौदा बाजार में तीन महीने भी पूरे नहीं कर पाए कि बस्तर भेज दिया गया। आरिफ को रात में नींद इसलिए भी नहीं आ रही है कि उन्हें अपनों ने ही मारा। राजेंद्र दास को बलौदा बाजार में ताजपोशी करने के लिए आरिफ की गिल्लियां उड़ा दी गई। डीआईजी सुंदरराज पी का तो पिछले तरकश में बताया ही था कि वे न घर के रहे, न घाट के। यहां एसआईबी में 50 फीसदी सेलरी अधिक मिलती थी। वो भी गया और आईजी भी नहीं रहे। लांग कुमेर की तरह सरकार ने सुंदरराज को भी गो किया तो उत्साहित होकर मैदान में कूद पड़े। अंतर इतना ही है कि लांग कुमेर के समय सरकार ने आरके विज को आईजी बनाकर भेज दिया था और इस बार विवेकानंद का। लांग कुमेर नाराज होकर बिना छुट्टी लिए नागालैंड चले गए थे। सुंदरराज शरीफ और अनुशासनप्रिय आईपीएस हैं, सो बेचारे कुर्सी छिन जाने के बाद भी उफ! नहीं किए। अब बात नए आईजी विवेकानंद की। विवेकानंद ने न जाने कितनी कोशिश की होगी। नवरात्रि में पूजा-पाठ भी। मगर कुछ काम नहीं आया। अब ऐसे दुखी अफसरों के नेतृत्व में नक्सलियों के खिलाफ अभियान कैसे चलाया जाएगा, सरकार को सोचना चाहिए।

बंगला अभिशप्त-1

देवेंद्र नगर आफिसर्स कालोनी में बंगला आसानी से मिलता नहीं। उपर में अगर जैक ना हो तो नामुमकिन ही समझिए। मगर एक बंगला ऐसा है, जो अरसे से खाली है। वह बंगला आईपीएस बीएस मरावी को मिला था। 2012 में मरावी के डेथ के बाद कुछ साल तक उनके परिवार के लोग उसमें रहे। उनके जाने के बाद से बंगला खाली है। उस पर मरावी का नेम प्लेट लटका हुआ है। बताते हैं, आईपीएस की मौत के चलते कोई भी नौकरशाह उसे लेने के लिए तैयार नहीं हो रहा।

अभिशप्त बंगला-2

बिलासपुर आईजी का बंगला भी अभिशप्त-सा ही हो गया है। अशोक जुनेजा को छोड़कर वहां किसी आईजी को सुकून नहीं मिला। जीपी सिंह ने रंग-रोगन कराना शुरू ही किया था कि राहुल शर्मा एपीसोड हो गया। उनके बाद बीएस मरावी आईजी बनकर गए। उनका हर्ट अटैक से निधन हो गया। पवनदेव किन मुसीबतों में फंस गए, यह बताने की जरूरत नहीं। ताजा मामला विवेकानंद सिनहा का है। करीब नौ महीने वे पुलिस आफिसर्स मेस में रहे। बंगले का काम-वाम कराकर जैसे ही वहां शिफ्थ हुए हफ्ते भर में सरकार ने उन्हें बस्तर की रवानगी डाल दी। पीएचक्यू में इस पर विचार किया जा रहा है कि बिलासपुर आईजी बंगला अब चेंज कर दिया जाए। क्योंकि, जिस तरह की घटनाएं वहां हो रही हैं, नए आईजी पीएस गौतम बंगले में रहेंगे नहीं।

छोटा विवेक नेता बनेगा

लोक सुराज में डाक्टर साब अबकी खूब एनज्वॉय कर रहे हैं….कभी चुटकी तो कभी हास-परिहास। कभी लता के आटो रिक्शा में सफर तो कभी राजमिस्त्री बन उर्मिला के घर की ईंट जोड़ाई। कोंडागांव के कोडोभट गांव में एक बच्चे को डाक्टर साब ने गोद में उठा लिया। उन्होंने बच्चे से नाम पूछा। बोला-विवेक। बगल में खड़े सीएस से सीएम बोले, तुम्हारा सहनाव है….तुमको भी इसे पाना होगा। सीएस से तुरंत सीएम से विवेक को अपने गोद में ले लिया। इस बीच पीछे से किसी ने कमेंट पास किया, सर बच्चा काफी हिम्मती है…प्रदेश के दोनों ताकतवर व्यक्ति के गोद में जाने के बाद भी रोया नहीं! इस पर सीएम ने चुटकी ली….विवेक पक्का नेता बनेगा। इस पर ठहाके तो लगे बट वहां चर्चा होने लगी कि सीएम ने किसी विवेक को नेता बनने की भविष्यवाणी की है। छोटे विवेक को या बड़े का।

आफिसर्स इन वेटिंग

यूपी में योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद वेटिंग आफिसरों की फेहरिश्त लंबी होती जा रही है। हर दूसरे रोज दो-चार आईएएस, आईपीएस को वेटिंग में डाला जा रहा है। हालांकि, वेटिंग में छत्तीसगढ़ भी पीछे नहीं है। डा0 आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा दो साल से वेटिंग में हैं। इसमें नया नाम एसआरपी कल्लूरी का जुड़ गया है। वैसे, प्रिंसिपल सिकरेट्री अजयपाल सिंह को भी वेटिंग ही मान कर चलिये। मंत्रालय में जीएडी से लेकर बड़े अफसर्स तक नहीं बता पाएंगे कि अजयपाल के पास विभाग क्या है, तो कोई बता नहीं पाएगा।

घर बांधने की राजनीति?

जोगी कांग्रेस ने आखिरकार जिला अध्यक्षों का ऐलान कर दिया। पूरे 40 अध्यक्ष। जाहिर तौर पर कौतूकता तो होगी ही……जिले 27 फिर 40 अध्यक्ष कैसे। पता चला, अधिक-से-अधिक एडजस्ट करने के लिए जोगीजी ने यह दांव खेला। नेताओं को एडजस्ट करने के हिसाब से कई जिलों को दो-दो जिलों में बांट दिया। मसलन, जांजगीर में दो-दो जिला अध्यक्ष। सक्ती भी नया जिला। यहीं नहीं, 19 उप जिला अध्यक्ष भी। सियासी गलियारों में चर्चा है, घर बांधकर रखने के लिए जोगीजी ने रेवड़ियां बांट दी।

कांग्रेस भी पीछे नहीं

नेटवर्क मजबूत करने के लिए कांग्रेस भी अब ब्लाक इकाइयों की संख्या बढ़ाने जा रही है। अभी तक सरकारी ब्लॉक के हिसाब से कांग्रेस की भी ब्लॉक इकाइयां थी। जबकि, बीजेपी एक-एक ब्लॉक में दो-दो, तीन-तीन मंडल बना रखा है। रायपुर में ही चार मंडल हैं। कांग्रेस भी इसी रास्ते को अब पकड़ने जा रही है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एसीएस बैजेंद्र कुमार से मिलने वाले अफसरों की संख्या इन दिनों क्यों बढ़ गई है?
2. पीसीसीएफ की डीपीसी करके सरकार पोस्टिंग भूल गई है या कोई अदृश्य ताकत पोस्टिंग को रोक रही है?

घर के रहे, न…..


9 अप्रैल
संजय दीक्षित
छत्तीसगढ़ के आईपीएस अफसरों से राहू-केतू का साया हटने का नाम नहीं ले रहा है। जनवरी में राजकुमार देवांगन की वर्दी उतरने से बुरे दिन शुरू हुए थे, वो अभी भी जारी है। अलबत्ता, पीड़ितों की सूची लंबी होती जा रही है…..एसआरपी कल्लूरी, पवनदेव, जशपुर एसपी गिरिजाशंकर जायसवाल, सुकमा एसपी एलासेना, विवेकानंद सिनहा, सुंदरराज पी। विवेकानंद को बिलासपुर गए नौ महीने भी नहीं हुए थे। इसी नवरात्रि के प्रथम दिन विधिवत पूजा-पाठ कराकर बंगले में शिफ्थ हुए थे कि उन्हें सरकार ने बस्तर जाने का फरमान दे दिया। उधर, सुंदरराज पी के लिए तो न घर के रहे, न घाट जैसी स्थिति हो गई। अच्छा भला एसआईबी में डीआईजी थे। एसआईबी के कारण 50 फीसदी वेतन भी ज्यादा मिल रहा था। जनवरी एंड में अचानक एक दिन उनका बस्तर का आर्डर निकल गया। कल्लूरी का असर कम करने के लिए प्रभारी आईजी के तौर पर सरकार ने सुंदरराज को इर्म्पोटेंस भी दिया….लगा वे अब फुलफ्लैश आईजी हो गए। देश भर से बैच मेट्स की बधाइयां मिलनी शुरू हो गई….अरे! तूने तो लंबा हाथ मार दिया। इतनी जल्दी आईजी? वो भी बस्तर का। सुंदरराज की सल्तनत मजबूत करने के लिए सरकार ने जगदलपुर और सुकमा के एसपी की छुट्टी कर दी। लेकिन, लोक सुराज शुरू होने से एक रोज पहिले सरकार ने विवेकानंद को आईजी बनाकर भेज दिया। सुंदरराज के लिए तो कुर्सी से औंधे मुंह गिरने वाली ही घटना होगी। आईजी से डीआईजी बनकर बेचारे दंतेवाड़ा चले गए।

पारी समाप्त?

पीएचक्यू में डीआईजी एडमिनिस्ट्रेशन सोनल मिश्रा को सरकार ने चंदखुरी पुलिस एकेडमी का डायरेक्टर अपाइंट किया है। रिटायर आईपीएस आनंद तिवारी की 30 मार्च को संविदा समाप्त होने के बाद सरकार ने यह आर्डर निकाला। तिवारी 2012 में आईपीएस से रिटायर हुए थे। इसके बाद पिछले पांच साल से संविदा में एकेडमी के डायरेक्टर थे।

डिप्टी कलेक्टर बेचेंगी शराब?

पिछले हफ्ते चीफ सिकरेट्री की वीडियोकाफ्रेंसिंग में कुछ कलेक्टरों ने शराब बिकवाने में मदद करने के लिए डिप्टी कलेक्टरों की संख्या बढ़ाने का आग्रह किया था। सीएस ने जीएडी को निर्देश दिया। जीएडी ने बिलासपुर, दुर्ग को एक-एक जेंस और रायपुर के लिए दो लेडीज डिप्टी कलेक्टर्स का आर्डर निकाल दिया। रायपुर एडमिनिस्ट्रेशन के लिए तो यह सिर पकड़ने वाली बात होगी।

कलेक्टर्स की कुंडली

21 मई को ट्रांसफर की लिस्ट निकलने से पहिले सरकार कलेक्टरों की कुंडली तैयार करा रही है। कलेक्टरों से तीन उपलब्धियों तो मांगी ही गई है, कामों के डिस्पोजल के जरिये भी पारफारमेंस का आंकलन किया जा रहा है। सरकार ने इसका जिम्मा एसीएस बैजेंद्र कुमार को दिया है। जाहिर है, कलेक्टरों के ट्रांसफर में कुंडली की भूमिका अहम होगी।

आर्डर में चूक!

बीएल अग्रवाल के तिहाड़ जाने के बाद एडिशनल चीफ सिकरेट्री सुनील कुजूर को सालों बाद ऐसा कोई विभाग मिला, जिसे वे अब बाहर में बताने में दिक्कत महसूस नहीं करेंगे। हालांकि, हायर एजुकेशन को कोई बड़ा या मलाईदार विभाग नहीं माना जाता। मगर सम्मानजनक तो है। कुजूर को लंबे अरसे से ढंग की पोस्टिंग नहीं मिली थी। वे ग्रामोद्योग, निर्वाचन और राजभवन में घूमते रहे। अब जीएडी की विडंबना देखिए। हायर एजुकेशन को एडिशनल कर दिया और ग्रामोद्योग को मूल पोस्टिंग। कायदे से हायर एजुकेशन को मूल पोस्टिंग करना चाहिए था और ग्रामोद्योग को एडिशनल। इसमें किसी को छटाक भर का नुकसान नहीं था। सिर्फ सम्मान की बात थी। लेकिन, जीएडी में सम्मान की किसको पड़ी है।

ठाकुर के बाद ब्रेक

पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग पर सरकार ने एक तरह से कहें तो ब्रेक ही लगा दिया है। पिछले साल सात आईएएस रिटायर हुए थे। दिनेश श्रीवास्तव, डीएस मिश्रा, एसएल रात्रे, ठाकुर राम सिंह, बीएस अनंत और राधाकृष्ण्न। इनमें से सिर्फ राम सिंह की ताजपोशी हुई। डीएस मिश्रा, राधाकृष्णन और राधाकृष्णन का जोर भी काम नहीं आया। अब इनकी फाइल क्लोज ही समझिए। वैसे, 2015 में रिटायर एमएस परस्ते, ब्राम्हणे घर में आराम ही कर रहे हैं। इस साल रिटायरमेंट में पहला नम्बर लगने वाला है एसीएस एनके असवाल का। वे 31 मई को सेवानिवृत्त होंगे। असवाल अगर लोकल होते तो चुनावी दृष्टि से उनकी पोस्टिंग निश्चित मानी जाती। लेकिन, वे राजस्थान से हैं। 2013 विस चुनाव से पहिले सरजियस मिंज की सूचना आयोग में इसलिए पोस्टिंग मिल गई थी कि वे स्थानीय थे। बाकि तो किस्मत अपनी-अपनी। हां, ये तय है कि अगले एक साल में रिटायर होने वाले तीन आफिसर्स तगड़े दावेदार होंगे।

डीआईजी इम्पेनल

2003 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के तीनों आईपीएस भारत सरकार में डीआईजी इम्पेनल हो गए हैं। रतन डांगी, सुंदरराज पी और ओपी पाल। डांगी फिलहाल पीएचक्यू में डीआईजी एसएएफ एवं कमांडेंट सेकेंड बटालियन हैं। वहीं, सुंदरराज डीआईजी दंतेवाड़ा और पाल एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर। इन तीनों में किस्मत के धनी तो पाल ही हैं। बिना कुछ किए, पांचों उंगली घी में।
अंत में दो सवाल आपसे
1. लोक सुराज अभियान में फिर ऐसा क्या हो रहा है कि चीफ सिकरेट्री के दावेदार सशंकित हो गए हैं?
2. हेलिकाप्टर खरीदी का खंडन करने में जोगी कांग्रेस को 24 घंटे क्यों लग गए?

मंगलवार, 4 अप्रैल 2017

मशक्कत से मुलाकात

2 अप्रैल

संजय दीक्षित
आईएएस जीएस मिश्रा की पीसीसी चीफ भूपेश बघेल की नोंक-झोंक के सिलसिले में आईएएस एसोसियेशन शुक्रवार को सीएम से मुलाकात की। मगर यह मुलाकात आसानी से नहीं हुई। एसोसियेशन ने सीएम से कई बार टाईम मांगा लेकिन, बात बनी नहीं। 25 दिन बाद समय मिला, जब एक सीनियर आईएएस मदद के लिए आगे आए। अफसरों ने मुख्यमंत्री से दुखड़ा रोया…..इसी तरह जनप्रतिनिधि सार्वजनिक तौर पर धमकाते रहे तो काम करना मुश्किल हो जाएगा। सीएम ने गंभीरता से अफसरों की बातें सुनीं। मगर कुछ बोले नहीं। पिछले हफ्ते एसोसियेशन के लोग सीएस के पास फरियाद लेकर गए थे। उन्होंने पानी पिलाया, और अपने कुछ निजी अनुभव शेयर कर बिदा कर दिया था।

फंस गए विवेकानंद?

सरकार ने बिलासपुर आईजी विवेकानंद सिनहा को बस्तर भेज ही दिया। एसआरपी कल्लूरी के इलाज के लिए छुट्टी पर जाने के दौरान उन्हें बस्तर का प्रभार दिया गया था। लेकिन, बायपास आपरेशन कराकर कल्लूरी के आनन-फानन में लौट आने के कारण विवेकानंद थैंक्स गॉड बोलकर बिलासपुर लौट आए थे। लेकिन, सरकार ने फायनली उन्हें जगदलपुर की रवानगी डाल दी। विवेकानंद को दो बातें कचोट रही होगी। पहला, बिलासपुर में वे साल भी पूरा नहीं कर पाए और दूसरा, सरकार ने ऐसे समय में बस्तर भेजा है, जब अगले साल विधानसभा चुनाव है। जाहिर है, चुनाव से पहिले उन्हें लौटने का कोई प्रश्न नहीं है। ठीक अरुणदेव गौतम की तरह। याद होगा, मई 2012 में जीरम नक्सली हमले के बाद आईजी हिमांशु गुप्ता को हटाकर सरकार ने गौतम को बस्तर भेजा था। वे भी चुनाव कराकर ही रायपुर लौटे थे। अब फंस गए का मतलब आपको बताते हैं। बस्तर कोई आईपीएस जाना नहीं चाहता। हाईप्रोफाइल के एक आईपीएस का नाम आप बता दें, जो वहां आईजी बनकर गया हो। एक-दो गए भी तो छह महीने में जोर-जुगाड़ लगाकर लौट आए। कल्लूरी अपवाद हो सकते हैं। मगर उन्हें हिट विकेट करार दिया जा रहा है।

अप्रैल फूल

सरकार ने बस्तर आईजी का आदेश ऐसे दिन निकाला, जब साहसा किसी को यकीं नहीं हुआ….लोगों को लगा कहीं अप्रैल फूल तो नहीं। लिहाजा, एक-दूसरे को फोन खटखटा वस्तुस्थिति जानने की कोशिश करते रहे। इस स्तंभकार के पास खबर को कंफर्म करने के लिए एक घंटे में 35 फोन आए। दरअसल, सीएम को आज जगदलपुर जाना था। उन्होंने बजट सत्र के दौरान कहा था कि जल्द ही बस्तर में पूर्णकालिक आईजी पोस्ट किया जाएगा। सो, जगदलपुर के लिए हेलिकाप्टर पर बैठने से पहिले वे आर्डर पर दस्तखत कर गए।

थाना लूटान आईपीएस

बिलासपुर के नए आईजी पीएस गौतम 99 बैच के आईपीएस हैं। गौतम को राज्य में इसके लिए जाना जाता है कि वे जहां भी पोस्टेड रहे, वहां थाना लूटा गया। दंतेवाड़ा एसपी रहने के दौरान ही गीदम थाना लूटा गया था। जशपुर एसपी रहने के दौरान भी थाना लूटा गया। और, वीवीआईपी जिले राजनांदगांव में एडिशनल एसपी रहने के समय भी नक्सलियों ने थाना लूट लिया था। जांजगीर में एसपी का कार्यकाल वहां के लोग आज भी याद करते हैं। शेख आरिफ को सरकार ने जब जांजगीर भेजा तो जाकर स्थिति सामान्य हो पाई।

नाइट वॉचमैन

नए आईजी को लेकर बिलासपुर के लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। इसी साल दिसंबर में उनका रिटायरमेंट है। याने मुश्किल से नौ महीने। और, कहीं अमित कुमार सीबीआई से जल्द लौट आए तो दो-एक महीने में भी आईजी लेवल पर उठापटक हो सकती है। बहरहाल, बिलासपुर रेंज के एसपी के अब बल्ले-बल्ले हैं।

कुछ और पोस्टिंग

लोक समाधान शिविर से पहिले आईएएस में इक्का-दुक्का आदेश निकलेंगे। मगर आईपीएस के शुरू हो गए हैं। पता चला है, कुछ एसपी भी बदले जाएंगे। खासकर, जिनका पारफारमेंस ठीक नहीं है या फिर टेन्योर दो साल से अधिक हो गया है। दो साल से अधिक वाले केटेगरी में आधा दर्जन के करीब एसपी हैं।

नो रेस्ट

महीने भर की थकाउॅ सत्र के बाद समझा जा रहा था कि सरकार एकाध दिन रेस्ट करेगी। मगर हुआ उल्टा। सत्र समाप्ति के अगले दिन याने 31 मार्च को सुबह 11 बजे सीएम मंत्रालय पहुंंच गए। गृह और स्वास्थ्य विभाग का तीन घंटे तक रिव्यू किया। डेढ़ घंटे से अधिक आदिवासी विकास परिषद की बैठक में रहे। बिजली विभाग के अफसरों की मीटिंग कर बिजली दर कम करने के प्रपोजल को ओके किया। पीडीएफ समझने आए यूपी के मंत्रियों के साथ उनकी बैठक हुई। रात 11 बजे तक विभिन्न प्रतिनिधिमडल से मुलाकातें की। आईएएस एसोसियेशन की भी आपबीती सुनी। आज सुबह उन्होंने अफसरों से चर्चा कर बस्तर आईजी के लिए नाम मंगाया। आर्डर पर साइन कर वे हेलिकाप्टर से जगदलपुर निकल गए। डाक्टर साब की इस एनर्जी का लोग अब राज जानने में जुट गए हैं।

इंतेहा हो गई…..

कलेक्टरी में तो वेटिंग वालों की इंतेहा हो गई….बेचारे नवंबर में खतम हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र से लिस्ट की बाट जोह रहे हैं। उस समय सत्र के बाद तो कलेक्टरों के चेंजेंस तय था। मगर सीएम को अमेरिका जाना था। इसलिए, उनकी वापसी तक मामला टल गया। सीएम जब लौटे मोदीजी का कैशलेस अभियान चालू हो गया था। वे एयरपोर्ट से कैशलेस का रिव्यू करने के लिए सीधे मंत्रालय गए थे। इसके कारण ट्रांसफर टल गया था। कैशलेस का मियाद पूरा होते ही 9 जनवरी को कलेक्टर कांफेंस आ गया। सरकार ने कलेक्टरों को तीन महीने का टारगेट दिया। ये टारगेट समाप्त होने वाला था कि लोक समाधान शिविर का ऐलान हो गया। समाधान शिविर 20 मई तक चलेगा। इसके बाद ही कलेक्टरों का समाधान होगा।

स्पीकर के तेवर!

बजट सत्र में स्पीकर गौरीशंकर अग्रवाल के तेवर अबकी तल्ख रहे। उन्होंने मंत्री रामसेवक पैकरा से लेकर भैयालाल राजवाड़े तक की क्लास ली। अमित जोगी, आरके राय तो उनके निशाने पर रहे ही। अमित को तो टी शर्ट पहनने से लेकर बॉडी लैग्वेज पर भी स्पीकर ने सुना दिया। 17 साल में यह पहला सत्र होगा, जिसमें दो विधायक दो दिन के लिए निलंबित किए गए। शराब अधिनियम को लेकर हाउस में गंगा जल छिड़़कने पर स्पीकर ने अमित और उनके हनुमान आरके राय को निलंबित कर दिया। शराबबंदी के मसले पर ही फटे कुर्ते में सायकिल से विस पहुंचने पर अध्यक्ष ने विमल चोपड़ा और बसपा के इकलौते विधायक केशव चंद्रा को निलंबित कर दिया। किसी एक सत्र में पहली बार इस तरह की कार्रवाई हुई। दिलचस्प यह रहा कि स्पीकर के सामने बैठने वाले विधायक ही सर्वाधिक अनुशासनहीनता की। और, उन्हें इसके लिए आसंदी से फटकार भी मिली।

अंत में दो सवाल आपसे

1. प्रमोटी आईएएस के लिए 17 साल में पहली बार आईएएस एसोसियेशन आगे आया है, इसके पीछे कोई पावर गेम है?
2. दिल्ली डेपुटेशन से सीनियर आईपीएस बीके सिंह की क्या बहुत जल्द वापसी हो रही है?