रविवार, 22 जुलाई 2018

एक और एसीएस!

22 जुलाई
भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के आईएएस अमिताभ जैन को एडिशनल सिकरेट्री इम्पेनल कर दिया है। याने राज्य सरकार के बाद केंद्र सरकार ने भी उनका रुतबा बढ़ा दिया है। राज्य में वे वैसे ही वित्त, वाणिज्यिक कर, गृह, जेल और परिवहन जैसे बेहद अहम विभाग संभाल रहे है। 89 बैच के आईएएस अमिताभ फिलहाल प्रिंसिपल सिकरेट्री हैं। और, उनका एडिशनल चीफ सिकरेट्री का प्रमोशन अगले साल जनवरी में ड्यू होगा। मगर बीवीआर सुब्रमण्यिम के जम्मू-कश्मीर के चीफ सिकरेट्री बनने के बाद एसीएस का एक पद खाली हुआ है। फिर, फायनेंस की वजह से सरकार के नजदीक हैं ही। लिहाजा, उन्हें एसीएस प्रमोट करने की चर्चा पहले से चल रही थी। लेकिन, अब जबकि भारत सरकार ने भी उन्हें एडिशनल सिकरेट्री में इम्पेनल कर दिया है। अमिताभ का पलड़ा अब और भारी हो गया है। सो, अब किसी भी दिन उन्हें एसीएस बनाने के लिए मंत्रालय में डीपीसी हो जाए, तो चौंकिएगा मत। एसीएस का राज्य में तीन कैडर और तीन एक्स कैडर पोस्ट है। याने छह। और अफसर हैं पांच हीं। अजय सिंह, सुनील कुजूर, सीके खेतान, आरपी मंडल और केडीपी राव। जैन का नम्बर छठ होगा।

जीएडी का कमाल

छत्तीसगढ़ का सामान्य प्रशासन विभाग किस ढर्रे पर चल रहा है, आप इससे अनुमान लगा सकते हैं। एग्रीकल्चर प्रोडक्शन कमिश्नर याने एपीसी किसी भी राज्य का बेहद महत्वपूर्ण पद होता है। उसके बिना कृषि विभाग में पत्ता नहीं खड़कता। लेकिन, अपने छत्तीसगढ़ में राज्य बनने के बाद 18 साल में किसी को सुध ही नहीं आया कि एपीसी का पोस्ट क्रियेट किया जाए। जबकि, भारत सरकार ने उसे कैडर पोस्ट घोषित किया है। बताते हैं, राज्य में चूकि एक ही एपीसी होता है। इस दृष्टि से मध्यप्रदेश में भी पोस्ट एक ही था। राज्य निर्माण के दौरान अब एक का बंटवारा भला कैसे होता। और, छत्तीसगढ़ पोस्ट सृजित करना भूल गया। पर, कागजों में जीएडी जरूर एपीसी की पोस्टिंग कर देता है। दिलचस्प यह है कि अजय सिंह अभी चीफ सिकरेट्री हैं। इसके पहिले वे ही एपीसी थे। उनके पहिले भी और कई दिग्गज नौकरशाह एपीसी रहे हैं। अभी सुनील कुजूर यह पद संभाल रहे हैं। हालांकि, एपीसी ही नहीं, कमिश्नर एग्रीकल्चर का भी पोस्ट राज्य में नहीं है। इसका खुलासा तब हुआ, जब सरकार ने आलोक अवस्थी को कमिश्नर अपाइंट कर डाला। बाद में उनका आर्डर केंसिल किया गया। अब आप समझ सकते हैं…जीएडी के बारे में अब ज्यादा बताने की जरूरत नहीं है।

ऐसे भी सिकरेट्री

राज्य सरकार के स्पष्ट निर्देश के बाद भी गई प्रभारी सचिव अपने प्रभार वाले जिलों के विकास कार्यां में न रुचि लेते और न ही वहां रात गुजारते। ऐसे नौकरशाहों को केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सिकरेट्री दुर्गा शंकर मिश्रा से सीखना चाहिए कि उपर वाले ने अवसर दिया है तो काम कैसे करना चाहिए। मिश्रा कल रायपुर पहुंचे। दिन भर की थकाउं बैठकों के बाद भी वे आज सुबह स्मार्ट सिटी के हेरिटेज वॉक में पैदल घूमे। आज वे राजनांदगांव में रुकेंगे। राज्य बनने के बाद 18 साल में कोई पहला केंद्रीय सचिव होगा, जो छत्तीसगढ़ में दो दिन रुका होगा। और, वह भी पांव-पांव चलकर ग्राउंड वर्क को देखा। नगरीय प्रशासन सचिव रोहित यादव और रायपुर निगम कमिश्नर रजत बंसल को भी पता चल गया कि ऐसे भी ब्यूरोक्रेट्स होते हैं। मीटिंगों और देर रात डिनर के बाद भी मिश्रा ने दोनों को सुबह छह बजे विजिट के लिए बुला लिया था।

राष्ट्रपति के दौरे के बाद

राज्य सरकार अब राष्ट्रपति के बस्तर प्रवास की तैयारियों में जुट गई है। लिहाजा, कलेक्टर, एसपी, आईजी के ट्रांसफर अब कम-से-कम 26 जुलाई तक तो नहीं ही होंगे। इसकी वजह यह है कि बस्तर संभाग के भी कुछ आईएएस, आईपीएस ट्रांसफर में प्रभावित होंगे। दंतेवाड़ा एसपी का बदलना तो तय ही है। इससे पहिले 14 अप्रैल के पीएम विजिट के कारण ही बस्तर के कलेक्टरों का ट्रांसफर रुका था। बस्तर को छोड़ सरकार ने पांच जिलों के कलेक्टरों को बदल दिया था।

उद्घाटन का रिटेक

फिल्मों के सीन का रिटेक तो आपने सुना होगा लेकिन, किसी उद्घाटन का रिटेक नहीं सुने होंगे। लेकिन, नया रायपुर में ऐसा हुआ। दरअसल, नया रायपुर के कनवेंशन सेंटर के इनाग्रेशन से पहले सीएसआईडीसी चेयरमैन छगन मुंदड़ा उद्योगपतियों को स्टॉल का भ्रमण करा रहे थे। इस बीच सीएम मंच पर पहुंच गए। मुंदड़ा को पता चला तो भागते हुए मंच पर गए तब तक सीएम बटन दबा चुके थे। बाद में, आवास पर्यावरण मंत्री राजेश मूणत ने सीएम से आग्रह किया कि उद्घाटन में चेयरमैन की फोटो नहीं आई है, भाई साब…..। सीएम इशारा समझ गए….मुस्कराए। फिर, मुंंदरा का मान रखने के लिए उन्होंने फिर बटन दबाया। इस बार फ्रेम में मंत्री, चेयरमैन समेत सभी आ थे।

बृजमोहन छाता

विधानसभा चुनाव की रणभेड़ी बजने का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, नेताओं की प्रचार सामग्रियां तैयार होकर गोडाउन में जमा होती जा रही हैं। अलबत्ता, सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री बृजमोहन अग्रवाल चुनाव प्रचार में सबसे आगे निकल गए हैं। रायपुर में बृजमोहन छाप रंग-बिरंगे छाता बंटने लगे हैं। इसमें मंत्री और कमल की तीन-तीन फोटो लगी हुई हैं। हालांकि, छाता चाइनिज है। लेकिन, बरसात में लोगों के लिए काफी उपयोगी है। इसे फोल्ड करके बैग में रखा जा सकता है। बताते हैं, बृजमोहन इस बार 50 हजार की लीड का टारगेट रखकर तैयारी कर रहे हैं। लेकिन, यह तभी संभव हो पाएगा, जब विपक्ष का प्रत्याशी उनके मापदंड पर खरा उतरे।

एक अनार, सौ बीमार

पीसीसीएफ के दो पदो ंके लिए डीपीसी होने के ढाई महीने बाद भी आदेश नहीं निकल पाया। खबर है, वन विभाग ने पोस्टिंग के लिए नोटशीट उपर भेज दी थी। लेकिन, सीएम ने मंत्री से चर्चा लिख दिया। मंत्री ने इस पर सीएम से चर्चा भी कर ली है। लेकिन, बताते हैं, पसंद, नापसंद के चक्कर में मामला आगे नहीं बढ़ पा रहा। किसी एक नाम पर पीसीसीएफ आरके सिंह को दिक्कत है तो दूसरे पर सरकार को। कश्मकश की वजह है वाईल्डलाइफ। वाइल्डलाइफ एक अनार सौ बीमार जैसे हो गया है। छत्तीसगढ़ के बाहर से भी इस पोस्ट के लिए एप्रोच लगाए जा रहे हैं। अब देखना है, यह कश्मकश कब खतम होता है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. राज्य निर्वाचन कार्यालय में एडिशनल सीईओ की नियुक्ति से 2004 से लेकर 2008 बैच के आईएएस क्यों घबराए हुए हैं?
2. दो ऐसे मंत्री का नाम बताइये, जो अपने विधानसभा इलाके में सबसे ज्यादा काम किया हो और दूसरा सबसे कम?

शनिवार, 21 जुलाई 2018

दिल्ली टेस्ट

15 जुलाई
विधानसभा चुनाव में बीजेपी का टिकिट पाने के लिए अबकी दिल्ली टेस्ट पास करना होगा। पहले भाई साब लोग टिकिट फायनल करके औपचारिक मुहर लगाने के लिए लिस्ट आलाकमान को भेज देते थे। मगर इस बार ऐसा नहीं होगा। लिस्ट तो यहां से जाएगी। मगर मुहर उन्हीं के नाम पर लगेगा, जिनका नाम दिल्ली वालों की लिस्ट में भी होगा। बता दें, बीजेपी आलाकमान एक सर्वे करा चुका है और संकेत हैं, दूसरा सितंबर में कराए। इसके बाद रायपुर से जो लिस्ट जाएगी, उसे टैली किया जाएगा। अगर दोनों फीट बैठेंगे तो टिकिट फायनल वरना बाय-बाय कर दिया जाएगा।

जोगी रथ

विधानसभा चुनाव प्रचार में रथ अबकी आकर्षण का केंद्र रहेंगे। विकास यात्रा में मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह का रथ दौड़ ही रहा था। अब, जनता कांग्रेस का जोगी रथ आने वाला है। मुंबई में उनका रथ बन रहा है। इसमें हाइड्रोलिक स्टेज होगा, जिससे उपर आकर जोगी लोगों को संबोधित करेंगे। जोगी के करीबी लोगों की मानें तो 15 अगस्त तक जोगी रथ बनकर रायपुर आ जाएगा। उधर, कांग्रेस का भी परिवर्तन रथ बनने की खबर है। परिवर्तन रथ से कांग्रेस नेता निकलेंगे प्रचार करने।

रोहित की रिलिविंग

सेंट्रल डेपुटेशन पर दिल्ली जा रहे आईएएस रोहित यादव को केंद्रीय कामर्स एवं इंडस्ट्री, तथा नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु का प्रायवेट सिकरेट्री बनाया गया है। हालांकि, रोहित 2002 बैच के आईएएस हैं और यहां सिकरेट्री भी हो गए थे। इस लिहाज से केंद्रीय मंत्री के पीएस की पोस्टिंग बहुत अच्छी तो नहीं कही जा सकती। लेकिन, यह भी सच हैं कि पीएस की बजाए अगर डिपार्टमेंट में नियुक्ति हुई होती तो राज्य सरकार चुनाव से पूर्व उन्हें कदापि रिलीव नहीं करती। लेकिन, मंत्री के पीएस का मामला है, इसलिए उन्हें अब रिलीव करना पड़ेगा। रोहित के लिए राहत की बात यह है कि एक तो उनकी फेमिली दिल्ली में है और दूसरा पीएस के रूप में उनकी पोस्टिंग सिविल एवियेशन के लिए हुई है। चलिये, रोहित के दिल्ली जाने से बिलासपुर और सरगुजा एयरपोर्ट का लायसेंस जल्दी मिल जाएगा।

छोटी लिस्ट

इरीगेशन सिकरेट्री डॉ0 रोहित यादव के दिल्ली के लिए रिलीव होने के बाद मंत्रालय में सिकरेट्री लेवल पर एक छोटी लिस्ट निकलनी अब तय हो गई है। क्योंकि, सिकरेट्री इरीगेशन सोनमणि बोरा भी अगस्त फर्स्ट वीक में एक साल के स्टडी लीव पर विदेश जा रहे हैं। लिहाजा, दो बड़े विभाग खाली होंगे। अरबन एडमिनिस्ट्रेशन और इरीगेशन। दोनों महत्वपूर्ण विभाग हैं। इसलिए, दोनों में पोस्टिंग करनी होगी। हालांकि, अफसरों का टोटा तो है। मंत्रालय में सिर्फ प्रसन्ना आर हैं, जिनके पास समाज कल्याण और युवा तथा खेल विभाग है। इरीगेशन और अरबन में से एक उन्हें दिया जा सकता है। संकेत हैं, इरीगेशन उन्हें मिले। अरबन एडमिनिस्ट्रेशन अंबलगन पी या उनकी पत्नी अलरमेल मंगई को मिल सकता है या हो सकता है ऐन मौके पर किसी और की इंट्री हो जाए।

डेपुटेशन में आईपीएस आगे

एडीसी टू गवर्नर अभिषेक शांडिल्य अब सीबीआई में एसपी होंगे। अभिषेक को मिलाकर भारत सरकार में डेपुटेशन पर जाने वाले आईपीएस अफसरों की संख्या ग्यारह पहुंच गई है। इनमें बीके सिंह, स्वागत दास, रवि सिनहा, राजेश मिश्रा, अमित कुमार, बद्री मीणा, राहुल भगत, ध्रुव गुप्ता, रामगोपाल वर्मा, अमित कांबले और अब अभिषेक शांडिल्य का नाम इसमें जुड़ गया है। यद्यपि, टीजे लांग कुमेर भी नागालैंड गए हैं, लेकिन उनका सेंट्रल नहीं इंटर स्टेट डेपुटेशन है। वहीं, आईएएस में डेपुटेशन पर जाने वालों की संख्या आधा दर्जन पहुंच पा रही। भारत सरकार में पोस्टेड आईएएस में मनोज पिंगुआ, निधि छिब्बर, विकास शील, अमित अग्रवाल, अमित कटारिया और रोहित यादव शामिल हैं। याने रोहित को मिलाकर सिर्फ छह। सातवें बीवीआर सुब्रमणियम इंटर स्टेट डेपुटेशन पर हैं। हालांकि, तीन आईएएस इसी साल डेपुटेशन से लौटे हैं। सीके खेतान, गौरव द्विवेदी और मनिंदर कौर द्विवेदी।

हार्ड लक

आईएएस का 2011 बैच आखिरकार कलेक्टर बनने से चूक ही गया। अब विधानसभा के लिए अक्टूबर में आचार संहिता लग जाएगा। फिर नवंबर में चुनाव और दिसंबर में नए सरकार का गठन। याने अब जो भी होगा, दिसंबर के बाद। जबकि, दूसरे कई राज्यों में 2011 बैच के आईएएस दो-दो जिले में कलेक्टरी कर चुके हैं। लेकिन, छत्तीसगढ़ में अभी 2010 बैच ही कंप्लीट नहीं हो पाया है। इस बैच की रानू साहू पिछले एक साल से अपनी बारी आने की प्रतीक्षा कर रही हैं। उनके बैच के तीन अन्य आईएएस को पिछले साल ही कलेक्टर बनने का मौका मिल गया था। हालांकि, रानू की पोस्टिंग अच्छी मिल हुई है। वे डायरेक्टर हेल्थ हैं। यह जिम्मेदारी एक-दो जिले की कलेक्टरी करके आने वाले आईएएस को मिलती थी। फिर भी कलेक्टरी, कलेक्टरी होती है।

प्रमोशन या भिक्षा?

आईएफएस अफसरों का लगता है स्वर्ण युग खतम हो गया है। अब प्रमोशन के आर्डर के लिए अफसरों को गिड़गिड़ना पड़ रहा है। आईएफएस केसी यादव और कौशलेंद्र सिंह को पीसीसीएफ बनाने के लिए डीपीसी हुए डेढ़ महीना होने जा रहा है। लेकिन, आदेश का पता नहीं है….कहां अटक गया। न मंत्रालय से सही जवाब मिल रहा और न ही मंत्री के बंगले से। डीएफओ, सीसीएफ जैसी फील्ड की पोस्टिंग हो तो आदमी दक्षिणा का ऑफर करें। पीसीसीएफ में अभी विभाग क्या मिलेगा, पता नहीं। फिर, खुरचन पानी की बात क्या करें।

अंत में दो सवाल आपसे

1. रायपुर आईजी की पोस्टिंग में ऐसी क्या वजह है कि सरकार को टालना पड़ रहा है?
2. अमूमन हर मामले पर बयान जारी करने वाली कांग्र्रेस पार्टी क्या वजह है कि जगदलपुर फ्लाइट बंद हो जाने के बाद खामोश रह गई?

बेटियां, मंत्री और मीडिया

8 जुलाई 2018
यौन प्रताड़ना को लेकर पूरे देश में एक माहौल बना हुआ है। प्रधानमंत्री भी अमूमन हर पब्लिक मीटिंगों में बेटियों की रक्षा का एश्योरेंस दे रहे हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ के कुछ मंत्रियों द्वारा यौन हिंसा के आरोपियों के पक्ष में खड़े होने से लोग विस्मित हैं। पहला मामला एआईजी का था। महिला सब इंस्पेक्टर से लिफ्ट में छेड़छाड़ की जांच के बाद एआईजी को सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। लेकिन, रमन कैबिनेट के चार-पांच मंत्रियों ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया। पिछले एक साल में कैबिनेट की जितनी बैठकें हुई, अमूमन सभी में वे जोर लगाते रहे कि किसी तरह भी अफसर की सर्विस बहाल हो जाए। और, पिछले कैबिनेट से उसकी बर्खास्तगी केंसिल करवा कर ही दम लिए। जरा सोचिए! उस महिला सब इंस्पेक्टर पर क्या गुजर रहा होगा। दूसरा, ताजा मामला महासमुंद का है। जिस प्रकरण में विधायक और एसपी के बीच विवाद हुआ, उसमें मूल घटना ही गौण हो गई। मामला था गरीब बच्चियों के साथ छेड़खानी का। विधायकजी छेड़खानी करने वालों के पक्ष में थाने पहुंच गए। उनके लिए पुलिस की लाठियां भी खाई। लेकिन, वास्तव में कलयुग आ गया है.....कांग्रेस ने भी विपक्ष का धर्म नहीं निभाया। उल्टे विधायक की पिटाई को ही इश्यू बना दिया। उपर से रही-सही कसर डा0 रमन सिंह के विद्वान मंत्रियों ने पूरी कर दी। कैबिनेट में यौन हिंसा को साथ देने वालों के लिए एक बार फिर खड़े हो गए। सरकार ने भी चुनावी वर्ष में उन्हीं का साथ दिया। मंत्रियों के आगे हथियार डाल दिया। दरअसल, जिन बच्चियों के साथ छेड़खानी हुई, वे गरीबों की बेटियां थीं। लिहाजा, मीडिया के लिए उसमें टीआरपी नहीं दिखा। टीआरपी आईपीएस की दबंगई और विधायक की पिटाई में थी। ये तो हाल है, लोकतंत्र को सुरक्षित रखने का दावा करने वाले इन कथित स्तंभों का। बाकी आप समझ सकते हैं। 

केंद्र में मंत्री


छत्तीसगढ़ के एक मंत्री के केंद्र में जाने की अटकलें बड़ी तेज है। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि केंद्र में रिजल्ट देने वाले मंत्रियों की कमी की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुरुप काम नहीं हो रहा है। असल में, जिन मंत्रियों पर मोदी ने भरोसा किया, वे नतीजा नहीं दे पा रहे हैं। इसको देखते पीएम मोदी बीजेपी शासन वाले राज्यों से आउटस्टैंडिंग पारफारमेंस वाले करीब आधा दर्जन मंत्रियों को केंद्र में लेने पर विचार कर रहे है। इनमें अपने प्रदेश के भी एक वरिष्ठ मंत्री का नाम चर्चा में बताया जा रहा है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि चर्चा सिर्फ चर्चा तक ही सीमित रहेगी या किसी अंजाम तक पहुंचती है।

नो इंट्री?


जोगी कांग्रेस के एक नेता की इन दिनों बीजेपी प्रवेश की चर्चा बड़ी जोर है। कहने वालों का दावा है, नेताजी का नई पार्टी में मन नहीं लग रहा है...भविष्य को लेकर आशंकित हैं। उन्हें इस बात का इल्म हो गया है कि बिना सिंबल वाली पार्टी से उनका विधायक बनना नामुमकिन है। लेकिन, लाख टके का सवाल है, बीजेपी भला क्यों चाहेगी कि जोगी कांग्रेस कमजोर पड़े। सो, नेताजी का बीजेपी में नो इंट्री ही समझिए।

तकरार के बाद मिठास


विधायक अमित जोगी विधानसभा में साढ़े चार साल तक निशाने पर रहे। उनके साथ टोका-टोकी होती रही। स्पीकर ने तो एक बार छोटे जोगी के ड्रेस पर भी गंभीर टिप्पणी कर दी थी। दोनों के रिश्ते में इस कदर तल्खी बढ़ गई थी कि अजीत जोगी को आस्तिन चढ़ानी पड गई....उन्होंने ऐलान किया था कि वे गौरीशंकर के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। लेकिन, मानसून सत्र के दौरान तकरार मिठास में बदलती दिखी। सत्र शुरू होने से दो रोज पहिले ही स्पीकर दिल्ली में अजीत जोगी से मिलकर आ गए थे। सत्र में भी अमित जोगी को अबकी बोलने के खूब मौके मिले। वो भी पुचकारने के अंदाज में। संबंधों में लाई जा रही इस मिठास के पीछे कसडोल को सुरक्षित करने की कवायद तो नहीं है।     

निबटाने की ट्रेनिंग


पुलिस अफसरों के इकलौते ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में लगता है, इन दिनों एक-दूसरे को निबटाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। दो गुटों में बंट चुके चंद्रखुरी पुलिस एकेडमी में एक सूत्रीय एजेंडा पर काम हो रहा है। पिछले महीने एक एडिशनल एसपी के खिलाफ कई प्रशिक्षु महिला डीएसपी ने भांति-भांति की शिकायतें कीं। तो पिछले हफ्ते लिखित परीक्षा में नकल करते तीन महिला डीएसपी समेत चार प्रशिक्षु अफसर पकड़ लिए गए। स्कूल, कालेजो ंकी तरह उनका बकायदा नकल प्रकरण बनाया गया। पुलिस अकादमी में नकल आज से नहीं हो रहा। जब से यह खुला है, तब से वहां बहुत कुछ चल रहा है। लेकिन, सवाल यह है कि नकल पकड़ने का ध्यान अफसरों को इस समय क्यों आया? कहीं निबटने, निबटाने की कार्रवाई तो नहीं? 


कार्यवाहक डीजीपी


सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किसी भी स्टेट में अब कार्यवाहक डीजीपी अपाइंट नहीं किए जाएंगे। छत्तीसगढ़ बनने के बाद दो बार ऐसा हुआ, जब सरकार को कार्यवाहक डीजीपी बनाना पड़ा। एक बार ओपी राठौर के आकस्मिक देहावसान के बाद संतकुमार पासवान को जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन, उनकी किस्मत ने साथ नहीं दिया। करीब तीन महीने डीजीपी का काम देखने के बाद भी वे कंटीन्यू नहीं कर सकें। राज्य सरकार ने आईबी से विश्वरंजन को बुलाने के लिए लाल जाजम बिछा दिया था। विश्वरंजन आए और पासवान को साइडलाइन होना पड़ा। इसके बाद एक फरवरी 2014 को एएन उपध्याय को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया, जब रामनिवास यादव रिटायर हुए थे। तकदीर के धनी उपध्यायजी को सुनिल कुमार के रूप में एक उद्धार करने वाला चीफ सिकरेट्री मिल गया। कुमार रिटायर होने के दिन 28 फरवरी 2014 को डीपीसी करके डीजीपी का रास्ता प्रशस्त कर दिया। उन्होंने लेटर की ऐसी ड्राफ्टिंग की, कि दो साल सीनियर होने के बाद भी बेचारे गिरधारी नायक उसे चैलेंज नहीं कर सकें।   

किसकी दावेदारी


सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकारों के हाथ से डीजीपी की नियुक्ति निकल गई है। ऐसे में, पुलिस महकमे में यह चर्चा शुरू हो गई है कि अगले साल उपध्याय के रिटायर होने के बाद नए हालात में किसकी दावेदारी मजबूत होगी। सीनियरिटी में उपध्याय के बाद 86 बैच के डीएम अवस्थी दूसरे और 88 बैच के संजय पिल्ले तीसरे नम्बर पर हैं। दोनों के रिटायरमेंट में अभी पांच साल है। 2023 में चार महीने के अंतर से दोनों की पारी खतम होगी। 88 बैच के ही आरके विज और मुकेश गुप्ता का भी अभी तीन से चार साल बचा है। विज 21 में और मुकेश 22 में रिटायर होंगे। डीजी प्रमोट होने के बाद ये भी डीजीपी की कुर्सी के मजबूत दावेदार होंगे। अलबत्ता, विधानसभा के नतीजे के बाद ही तस्वीर पूरी तरह साफ हो पाएगी। 


अंत में दो सवाल आपसे


1. रमन सरकार की तीसरी पारी के अंतिम लिस्ट में कितने कलेक्टर, एसपी बदले जाएंगे?
2. एसीबी चीफ मुकेश गुप्ता को सरकार चुनाव को देखते कोई और जिम्मेदारी दे सकती है?

सोमवार, 2 जुलाई 2018

ट्रांसफर पर धन्यवाद!

संजय दीक्षित
1 जुलाई 2018
थाने में महासमुंद विधायक विमल चोपड़ा की पिटाई के बाद वहां के आईपीएस उदय किरण को सरकार ने हटा दिया। उन्हें एसटीएफ में असिस्टेंट एसपी बनाया गया है। डंडे से निर्ममतापूर्वक पिटे जाने वाले विधायकजी आईपीएस के सिर्फ ट्रांसफर पर इतने खुश हो गए कि सीएम के साथ ही कैबिनेट में उनके पक्ष में आवाज उठाने वाले मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, प्रेमप्रकाश पाण्डेय और अजय चंद्राकर को धन्यवाद दे डाला। सरकार अगर अफसर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की होती तो पता नहीं खुशी में वे और क्या कर डालते। हालांकि, यह भी साफ है कि विधानसभा का मानसून सत्र सामने नहीं होता तो उदय किरण का ट्रांसफर नहीं होता। आखिर, कार्रवाई होने में दसेक दिन तो लग ही गए। असल में, सरकार नहीं चाहती थी कि इस मसले पर विस में नाहक हल्ला हो। लिहाजा आदेश निकाल दिया। लेकिन, मुख्यमंत्री के आज के बयान से स्पष्ट भी हो गया कि सरकार इस प्रकरण पर क्या सोच रखती थी। सीएम ने रायपुर में मीडिया से कहा, कोई भी विवाद या झगड़़ा एकतरफा नहीं होता। जाहिर है, जांच में यह बात आई है कि भीड़ ने ही पहले थाने में घुसकर उपद्रव किया।

राजनीतिक पहुंच के फायदे

छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस टीजे लांग कुमेर के नागालैंड के डीजीपी बनने में उनके राजनीतिक बैकग्राउंड का बड़ा लाभ मिला। उनके ससुर एससी जामेर नेहरु सरकार में मंत्री रहे और मनमोहन सिंह सरकार के समय राज्यपाल। उनका प्रभाव ऐसा था कि मोदी गवर्नमेंट में भी उड़ीसा के राज्यपाल बने रहे। लांग कुमेर की मां भी यूपीएससी की मेम्बर रहीं हैं। और, फिलहाल नागालैंड महिला आयोग की चेयरमैन हैं। उनके परिवार के और लोग भी राजनीति में सक्रिय हैं। इतना तगड़ा बैकग्राउंड का भला लाभ कैसे नहीं मिलेगा।

कलेक्टर निशाने पर

अफसरों पर भाजपा कार्यकर्ता की तरह काम करने का आरोप लगाने वाले पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने इस बार सीधे दुर्ग कलेक्टर उमेश अग्रवाल पर निशाना साधा है। उनकी विवादित जमीन को पाटन की शाला समिति के हवाले करने के कलेक्टर के आदेश पर भूपेश ने कहा है कि दुर्ग के अफसर बीजेपी का बिल्ला लगाकर काम कर रहे हैं। कलेक्टर को अधिकार नहीं है कि उनकी जमीन को शाला समिति के सुपूर्द कर दें। हालांकि, भूपेश को इस बात की तकलीफ ज्यादा होगी कि इस एपीसोड में जोगी कांग्रेस की जीत हो गई। दरअसल, जोगी कांग्रेस ने ही जमीन मामले की शिकायत की थी। सरकार ने इसकी जांच के आदेश दिए थे और कलेक्टर ने जमीन का अधिपत्य निरस्त करते हुए 29 एकड़ जमीन स्कूल को सौंप दिया।

आईएएस की लव स्टोरी!

छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस चंद्रकांत वर्मा ने आठ साल पुरानी दोस्त करिश्मा दुबे से ब्याह रचा लिया। करिश्मा तहसीदार हैं। चंद्रकांत ने शायद आईएएस बनने के बाद ही शादी करने की ठानी थी। इसलिए, मसूरी अकादमी से ट्रेनिंग कर लौटते ही शादी की तारीख पक्की कर दी। हालांकि, आईएएस बनने के बाद कई ऐसे उदाहरण हैं कि लव स्टोरी के नायक या नायिका ने संबंधों से पल्ला झाड़ लिया। क्योंकि, भाप्रसे में सलेक्ट होते ही उनका लेवल बदल जाता है। लेकिन, चंद्रकांत ने आठ साल पुराने रिश्ते को कायम रखते हुए लव स्टोरी को शादी के अंजाम तक पहुंचाया। अलबत्ता, करिश्मा के करिश्मे को भी मानना पडे़़गा कि चंद्रकांत को फैसले से इधर-उधर नहीं होने दिया।

जीएडी कुछ करे

कुंदन कुमार, चंद्रकांत समेत चार आईएएस अफसरों की पिछले तीन महीने में शादियां हुई है। लेकिन, रीतेश अग्रवाल, जगदीश सोनकर समेत कुछ ऐसे आईएएस हैं, जिनकी शादियां अभी तक नहीं हुई हैं। जबकि, ये 2013 बैच के आईएएस हैं। याने प्रशासनिक सेवा में सलेक्ट हुए इन्हें पांच साल हो गए। यद्यपि, शादी करना, न करना किसी भी अफसर का पर्सनल मामला होता है। इसमें कोई जोर-जबर्दस्ती थोड़े ही करेगा। लेकिन, जीएडी को इसकी जानकारी तो रखनी ही चाहिए कि आखिर वजह क्या है। क्योंकि, ऐसे में सरकार का काम तो प्रभावित होता ही है।

उईके की उलझन

कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामदयाल उईके पाली-तानाखार से विधायक हैं। इस सीट पर कभी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का सिक्का चलता था। गोंगपा नेता हीरासिंह मरकाम का ऐसा प्रभाव था कि भाजपा और कांग्रेस को वहां पोलिंग एजेंट तक नहीं मिलते थे। मगर अजीत जोगी के शासन काल में हीरासिंह मरकाम का पूरा साम्राज्य खतम हो गया। उन्हें खुद मध्यप्रदेश शिफ्थ होना पड़ा था। इसी वजह से रामदयाल उईके को तानाखार में पनपने का मौका मिल गया। लेकिन, हीरा सिंह की कांग्रेस के साथ नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं। पिछले महीने राहुल गांधी के कोटमी और सरगुजा दौरे में हीरा सिंह उनके साथ मंच पर बैठे थे। जाहिर है, कांग्रेस की यह गोंडवाना समुदाय को साधने की कवादय थी। लेकिन, ऐसे में फिर रामदयाल उईके का क्या होगा। क्योंकि, हीरा सिंह अगर कांग्रेस में शामिल होंगे तो स्वाभाविक तौर पर उनकी पहली शर्त तानाखार सीट होगी। ऐसे में, रामदयाल की चिंता समझी जा सकती है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. क्या छत्तीसगढ़ के किसी आईएएस पर ईडी का शिकंजा कसने वाला है?
2. केडीपी राव की मंत्रालय वापसी होगी या रेवन्यू बोर्ड से ही बिदा हो जाएंगे?