सोमवार, 21 दिसंबर 2020

निशाने पर कलेक्टर

 संजय के दीक्षित

तरकश, 20 दिसंबर 2020
डिस्ट्रिक्ट माईनिंग फंड के दुरुपयोग को लेकर सूबे के कई कलेक्टर नए चीफ सिकरेट्री अमिताभ जैन के निशाने पर हैं। बताते हैं, सरकार को रिपोर्ट मिली है कि सूबे के कई कलेक्टर डीएमएफ में बड़ा गोलमाल कर रहे हैं। पिछली सरकार में निर्माण कार्यों में खेल किया गया। भूपेश बघेल सरकार ने डीएमएफ से निर्माण कार्यों पर रोक लगाई तो कलेक्टर अब इस फंड से स्कूलों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए ब़ड़े पैमाने पर अनाप-शनाप खरीदी प्रारंभ कर दिए हैं। सरकार की नोटिस में ये बात भी है कि कुछ सप्लायर कलेक्टरों के साथ फेविकोल की तरह चिपक गए हैं। कलेक्टरों का ट्रांसफर होने पर सप्लायर भी कलेक्टर के साथ नए जिले में पहुंच जा रहे हैं डीएमएफ का खेल करने। तभी चीफ सिकरेट्री ने कलेक्टरों को चेताया है….अब शिकायत आई तो खैर नहीं!


एसपी भी पीछे नहीं

बदले हालात में सूबे के पुलिस अधीक्षकों की स्थिति भी ठीक नहीं है। शराब दुकानों को पिछली सरकार ने सरकारी कर दी। आरटीओ चेक पोस्ट खुल तो गए हैं लेकिन पुराना सिस्टम अभी पटरी पर नहीं आ पाया है। एसपी के लिए अब बच गया है सिर्फ कबाड़ी और गांजा, कोकिन। कबाड़ी वाले भी इन दिनों पहुंच वाले हो गए हैं…उन्हें ज्यादा दबाया नहीं जा सकता। ऐसे में, पुलिस का पूरा फोकस गांजा, कोकिन, चरस जैसे नशीले पदार्थ पर है। कुछ चतुर पुलिस अधीक्षकों का जरूर ठेकेदारों के साथ एमओयू हो गया है। वे जिस जिले में जाते हैं, ठेकेदार उनके साथ होते हैं। फिर उनके संरक्षण में ठेकेदारी होती है। खासकर, नक्सली इलाके में ये कुछ ज्यादा हो रहा। नक्सली एरिया में एसपी के सहयोग के बगैर कोई काम हो नहीं पाता। ठेकेदारों के साथ ये गठबंधन पिछली सरकार से चल रहा है।

हैंड नहीं

कलेक्टर्स तभी अच्छे रिजल्ट दे पाते हंै, जब उनके पास डिप्टी कलेक्टरों के रूप में अच्छे हैंड हों। लेकिन, छत्तीसगढ़ में इस समय जितने भी ठीक-ठाक डिप्टी कलेक्टर हैं, वे या तो जिला पंचायत के सीईओ बन गए हैं या फिर नगर निगम कमिश्नर। जाहिर सी बात है कि डिप्टी कलेक्टरों के कैडर में सब तो रिजल्ट देने वाले होते नहीं। और जो डेढ़-दो दर्जन डिप्टी कलेक्टर हैं, वे सभी इंगेज हैं। पहले के जमाने में रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग जैसे बड़े जिलों में कलेक्टरों के पास दो-दो एडिशनल कलेक्टर होते थे। इनमें भी एक आईएएस। बाकी आधा दर्जन के करीब डिप्टी कलेक्टर। वो भी सिस्टम को समझने वाले। अभी तो हाल बुरा है। अच्छे अफसर जिला प्रशासन से खिसक लिए हैं। जो बचे हैं, उनमें वो माद्दा नहीं। जाहिर है, इसका सीधा असर सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर पड़ेगा।

अमिताभ के तेवर

हर अफसर का काम करने का अपना तरीका होता है। नए चीफ सिकरेट्री अमिताभ जैन ने भी मीटिंग का तरीका अब बदल दिया है। बैठक से पहिले कलेक्टरों या सचिवों से उनके विभागों की पूरी जानकारी मंगाई जा रही है। उसके बाद फिर मीटिंग। इसमें अफसरों के फंसने का भारी खतरा है। एक तो मीटिंग की जानकारी भेजना और फिर उसके बाद सामने बाॅस को फेस करना। अमिताभ जैन लंबे समय तक फायनेंस सिकरेट्री रहे हैं। फायनेंस अफसरों के पास एक तरह से कहा जाए तो विभागों और उसके अधिकारियों की पूरी कुंडली होती है। किस विभाग के अधिकारी या कलेक्टर ने कितना काम किया और कितना पैसा लेप्स किया, अमिताभ को बखूबी पता है। लिहाजा, अधिकारी उन्हें घूमा भी नहीं सकते। सो, अमिताभ के आने से कलेक्टर से लेकर सिकरेट्री तक असहज महसूस कर रहे हैं। फिर जो कम बोलता है, उसे समझना जरा कठिन होता है। अमिताभ टू द प्वाइंट बात करते हैं…मंत्रालय में पूरा समय भी देते हैं।

आईएएस अवार्ड

एलायड सर्विस से आईएएस अवार्ड के एक पद के लिए पांच नाम भारत सरकार को भेजे गए हैं, उसका जल्द ही नोटिफिकेशन होने की खबर है। इनमें गोपाल वर्मा का नाम सबसे उपर है। उनके बाद विनय गुप्ता, सुश्री अल्पना घोष, राजेश सिंगी और गजपाल सिंह सिकरवार का नाम है। गोपाल वर्मा का नाम चूकि सबसे उपर है, इसलिए आईएएस बनने की संभावना उनकी अधिक है। बहरहाल, जीएडी ने भारत सरकार को पांच नाम भेजें हैं, उनमें एक नाम पर आश्चर्य जताया जा रहा है। वे पेनल में शामिल होने के योग्य ही नहीं थे।

राजाओं के गढ़ में सीएम

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पिछले हफ्ते सरगुजा में पूरे चार रात बिताए। उससे एक हफ्ते पहले जशपुर में नाइट हाल्ट किए थे। इससे पहले कोई मुख्यमंत्री राजधानी के बाहर इतना लंबा समय तक नहीं रहा। चार रात की बात तो दूर है, दो रात भी नहीं। वो भी जशपुर, सूरजपुर, कोरिया जैसे छोटे जिलों में। सीएम के दौरे की खास बात ये रही कि उन्होंने इत्मीनान के साथ एक-एक कार्यकर्ता से वन-टू-वन मिले। पूछ-पूछकर…और कोई है मिलने वाला। मुलाकात के दौरान सीएम के साथ न कोई मंत्री और न ही कोई अफसर होता था। ऐसा इसलिए किया गया कि कार्यकर्ता खुलकर अपनी बात मुख्यमंत्री के समक्ष रख सकें। जशपुर के सोगड़ा के प्रसिद्ध भगवान राम अघोर पीठ में मुख्यमंत्री दो करीब दो घंटे बिताए। वहां उन्होंने भोजन भी किया। जशपुर दौरे के बाद युद्धवीर सिंह जुदेव ने सीएम के सम्मान में कसीदें गढ़कर बीजेपी को चौंका दिया।

मंत्रिमंडल में सर्जरी नहीं

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार के दो बरस पूरे होने पर मंजे हुए टीम लीडर की तरह अपने कैबिनेट के सभी साथियों का मजबूती से बचाव किया। संपादकों से मुलाकात में जब मंत्रियों के परफारर्मेस और सर्जरी पर सवाल हुआ तो मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया कि किसी भी मंत्री के कामकाज से उन्हें शिकायत नहीं….बल्कि कोरोना के बाद भी उनके सारे मंत्रियों ने बढ़ियां काम किया है। कई विभागों के उल्लेखनीय कामों को उन्होंने गिना दिया। सीएम का इशारा साफ था कि फिलहाल मंत्रिमंडल में सर्जरी की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, ये ध्यान रखना जरूरी है कि राजनीति में हां का मतलब ना और ना का मतलब कई बार हां भी होता है। इसलिए, मंत्री बेफिकर न हो जाएं। सीएम के जबरदस्त बचाव के बाद भी ये सर्वविदित है कि दो-तीन मंत्रियों का सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। क्षेत्र की दृष्टि से मंत्रिमंडल में असंतुलन भी है। बस्तर से सिर्फ एक विधायक को मंत्री बनने का मौका मिल पाया तो सरगुजा से तीन को। जबकि, पहले के सरकारों में बस्तर से कम-से-कम दो मंत्री रहे हैं।

सीईओ और वीडियो गेम

एक बड़े जिला पंचायत के सीईओ के वीडियो गेम खेलने से पूरा आफिस परेशान है। सीईओ के टेबल पर फाइलों का अंबार लगा रहता हैं और साब वीडियो गेम खेलने में मगन रहते हैं। जिला पंचायत के अध्यक्ष और वहां के एक विधायक ने सरकार से आग्रह किया है कि वीडियोगेम प्रेमी सीईओ से काम प्रभावित हो रहा है…उन्हेें हटाना बेहतर होगा।

बड़े अफसर की पेशी

सूचना आयोग बनने के बाद यह पहली बार हुआ कि एडिशनल पीसीसीएफ लेवल के आईएफएस जेएससी राव को सूचना आयोग में पेश होना पड़ा। राव ने वाईल्डलाइफ से संबंधित जानकारी न देने पर सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल के समक्ष जाकर खेद व्यक्त किए।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस जिले के कलेक्टर को चीफ सिकरेट्री अमिताभ जैन ने वीडियोकांफ्रेंसिंग में कहा, धान में अबकी गड़बड़ी हुई तो निबटा दूंगा?
2. एक मंत्री का नाम बताइये, जो दो नाव पर सवारी करने की वजह से मुश्किल में पड़ सकते हैं?

 

रविवार, 13 दिसंबर 2020

आईएएस की शादी

 संजय के दीक्षित

तरकश, 13 दिसंबर 2020
छत्तीसगढ़ के 2013 बैच के आईएएस जगदीश सोनकर आखिरकार परिणय सूत्र में बंध गए। उन्होंने आईआरटीएस अफसर परिणिता के साथ सात फेरे लिए। दुर्ग के रहने वाले जगदीश फिलहाल वाटरशेड में सीईओ हैं। लोकल होने के बाद भी जगदीश के साथ विडंबना ये रही कि उन्हें कभी अच्छी पोस्टिंग नहीं मिल पाई। बीजेपी के समय भी ऐसा ही हुआ और अभी भी। चलिये, जगदीश की अब शादी हो गई है। अपने यहां माना ही जाता है पत्नी के भाग्य से....। उम्मीद करते हैं, परिणिता के जिंदगी में आने के बाद उन्हें जल्द ही कलेक्टरी करने का अवसर मिलेेगा। विनीत नंदनवार ने कलेक्टर बनकर उनके बैच में खाता खोल ही दिया है।

एक आईएएस और...?

2018 बैच के आईएएस संबित मिश्रा आंध्रप्रदेश कैडर की अपने बैचमेट आईएएस से शादी करने जा रहे हैं। संबित फिलहाल धरमजयगढ़ के एसडीएम हैं। शादी करने के बाद जाहिर है, दोनों में से कोई एक अपना कैडर चेंज कराएगा। पति-पत्नी के बेस पर डीओपीटी एक बार कैडर चेंज करने की इजाजत देता है। ऐसे में, शादी के बाद संबित या तो अपना कैडर चेंज कराकर आंध्र जाएंगे या फिर उनकी होने वाली धर्मपत्नी छत्तीसगढ़ आ जाएंगी। यानी, छत्तीसगढ़ में आईएएस के कैडर में एक का इजाफा होगा या फिर एक घट जाएगा। बहरहाल, बैचमेट से शादी करने वाले संबित छत्तीसगढ़ के पांचवे आईएएस होंगे। पहले नम्बर पर हैं, विकास शील और निधि छिब्बर। वे 94 बैच के आईएएस हैं। दूसरे, 95 बैच के गौरव द्विवेदी और मनिंदर कौर। तीसरे, अंबलगन पी और अलरमेल मंगई डी 2004 बैच। चैथे 2010 बैच के जयप्रकाश मौर्य और रानू साहू। उसके बाद 2018 बैच के संबित मिश्रा दंपति।

मोस्ट एलिजेबल....

विलंब से ही सही, 2013 बैच के आईएएस जगदीश सोनकर की शादी हो गई। 2018 बैच के यंग अफसर संबित की भी परिणय सूत्र में बंधने वाले हैं। मगर 2012 बैच के आईएएस रीतेश अग्रवाल अभी भी मोस्ट एलिजेबल.....बने हुए हैं। फिलहाल, वे बीजापुर कलेक्टर हैं। आईएएस की शादियों में इतना लेट होता नहीं। ज्यादतर रिश्ते मसूरी ट्रेनिंग के दौरान तय हो जाते हैं या फिर प्रोबेशन और नीेचे की पोस्टिंग के दौरान। छत्तीसगढ़ में कलेक्टर बनने के बाद किसी आईएएस की शादी होने के सिर्फ एक उदाहरण है। ओपी चैधरी की जब शादी हुई तो उस समय वे जांजगीर के कलेक्टर थे। उससे पहले वे दंतेवाड़ा में कलेक्टरी कर चुके थे। अब देखना है, रीतेश कब तक मोस्ट एलिजेबल....बने रहते हैं।

सीएस की विनम्रता

अमिताभ जैन के चीफ सिकरेट्री बनने के बाद सीएस की मीटिंग में अब अधिकारियों को चाय सर्व होने लगी है। आरपी मंडल ने मीटिंग में डिस्टर्बेंस का हवाला देकर चाय बंद करा दिया था। हालांकि, खबर ये नहीं है....खबर है सुप्रीम पद पर बैठने के बाद भी सीनियर के सम्मान का। मुख्य सचिव का कार्यभार ग्रहण करने के बाद अमिताभ जैन ने मंत्रालय में सचिवों की पहली बैठक ली। बैठक में स्कूल और तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डाॅ0 आलोक शुक्ला भी मौजूद थे। 86 बैच के आईएएस आलोक अमिताभ से तीन बैच सीनियर हैं। मीटिंग के बीच में जब चाय आई तो परंपरा के अनुसार काॅफी हाउस के वेटर ने पहले चीफ सिकरेट्री की ओर चाय बढ़ाई। लेकिन, उन्होंने इशारा करते हुए पहले आलोक शुक्ला को चाय देने कहा। फिर, सचिवों से विभागों के कामकाज के बारे में पूछताछ के दौरान जब आलोक शुक्ला का नम्बर आया तो सीएस विनम्रता से बोले....सर आपसे तो हमलोगों ने ट्रेनिंग ली है, आपसे मैं क्या पूछूं। वैसे, आईएएस में एक चीज होती है, वो है सीनियरों को वे जल्दी भूलते नहीं। पद से हटने के बाद भी छह महीने, साल भर आईएएस का वजूद बना रहता है। सबसे बुरी स्थिति आईपीएस और आईएफएस में है। आईपीएस को रिटायर होने के घंटे भर बाद उनके जूनियर पहचानना बंद कर देते हैं। इससे बदतर स्थिति आईएफएस में है।

पापा कहते हैं....

एक्स पीसीसीएफ एवं सीजी काॅस्ट के डायरेक्टर जनरल मुदित कुमार के डाॅक्टर बेटे को कोविड के दौरान मुस्तैदी से मरीजों की सेवा करने के लिए दिल्ली में सम्मानित किया गया है। किसी पिता के लिए इससे बड़ी फख्र की बात क्या हो सकती है। वो भी ऐसे में, जब माना जाता है कि आॅल इंडिया सर्विसेज के अधिकांश आफिसरों के बाल-बच्चे अपने पापा का नाम आगे नहीं बढ़ा पाते। उल्टे एनजीओ, ठेकेदारी, सप्लायर बनकर खराब करने का काम करते हैं।

दो खिलाड़ी

एक वो भी समय था....जब खेल विभाग में मामूली से दो मुलाजिम बड़े-बड़े आईएएस, आईपीएस को उंगली पर नचाते थे। वो चाहे खेल विभाग के सिकरेट्री कोई आईएएस हो या फिर डायरेक्टर के रूप में कोई आईपीएस, दोनों मायावी संसार से ऐसा परिचित कराते कि उसके बाद अधिकारी उनके चंगुल से बाहर नहीं निकल पाते थे। लेकिन, उनके करतबों को जानने के बाद सरकार ने अब दोनों को सूबे के उत्तरी, दक्षिणी छोर पर भेज दिया है। चलिये, बढ़ियां है...खेल विभाग रैकेट से प्रभाव से उबरने लगा है।

पीसीसीएफ की गैरमौजूदगी

आरपी मंडल के चीफ सिकरेट्री रहने के दौरान आईएफएस अधिकारियों को काफी वेटेज मिला। यहां तक मंडल दौरे में जाते थे, तो बगल में पीसीसीएफ जरूर होते थे। आपने देखा भी होगा....वीडियोकांफ्रेंसिंग के दौरान भी सीएस मंडल के एक तरफ डीजीपी डीएम अवस्थी होते थे, तो दूसरी ओर पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी। लेकिन, अमिताभ जैन की आईजी, कलेक्टर्स, एसपी की पहली वीडियोकांफ्रेंसिंग में पीसीसीएफ नजर नहीं आए। डीजीपी जरूर थे।

बैड दिसंबर

नौकरशाहों का लगातार ये तीसरा दिसंबर है, जो खराब जा रहा। वरना, उससे पहिले कोई भी क्रिसमस ऐसा नहीं गया होगा, जिसमें वे न्यू ईयर मनाने किसी मनमोहक डेस्टिनेशन पर नहीं गए हों। सिंगापुर, बैंकाक जाना तो आम बात थी। दरअसल, 2018 इलेक्शन ईयर था। उसमें ऐहतियात के तौर पर नौकरशाहों ने एडवांस टिकिट नहीं कराया कि पहले रिजल्ट देख लें....सरकार रिपीट हो गई तो बल्ले-बल्ले और नहीं हुई तो नए सरकार से इक्वेशन ठीक करने की प्राथमिकता पहले। मगर चुनाव में तख्ता पलट गया। 17 दिसंबर को शपथ लेने के बाद सीएम भूपेश बघेल ने ऐसे तेवर दिखाए कि अफसरों को 2019 के दिसंबर में भी सैर-सपाटे के लिए छुट्टी मांगने की हिम्मत नहीं पड़ी। और, 2020 में कोरोना आ गया।

अंत में दो सवाल आपसे

1. स्पीकर चरणदास महंत को लेकर लोगों की उम्मीदें फिर क्यों बढ़ने लगी है?
2. एसपी के ट्रांसफर की बहुप्रतीक्षित सूची क्या अब निकलने वाली है?

रविवार, 6 दिसंबर 2020

नई पोस्टिंग, नया रास्ता

 संजय के दीक्षित

तरकश, 6 दिसंबर 2020

रिटायर सीएस आरपी मंडल को सरकार ने एनआरडीए का चेयरमैन बनाया है। यह पहला मौका होगा, जब किसी रिटायर सीएस को एनआरडीए में पोस्टिंग दी गई है। वो भी चेयरमैन के तौर पर। छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी इससे खुश है कि आईएएस के पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग के लिए सूबे में एक और पोस्ट क्रियेट हुआ। अभी तक सीएस से रिटायर होने वाले अफसरों के लिए प्रदेश में तीन पद थे। रेरा चेयरमैन, मुख्य सूचना आयुक्त और चेयरमैन इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन। रिटायर सीएस अजय सिंह को सरकर ने प्लानिंग कमीशन में ही कंटीन्यू कर दिया। और अब आरपी मंडल के लिए एनआरडीए। याने रिटायर्ड सीएस, एसीएस के लिए अब पूरे पांच पद हो गए। जाहिर है, नौकरशाहों का सरकार पर भरोसा बढ़ा है...पोस्ट का टोटा ही क्यों न हो, पारफारमेंस बेहतर हो तो पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग की दिक्कत नहीं होगी।      

एक माईनस?

अगले बरस अप्रैल में इलेक्ट्रिीसिटी रेगुलेटरी कमीशन से डीएस मिश्रा रिटायर हो जाएंगे। ब्यूरोक्रेसी में अटकलों का दौर जारी है....आरपी मंडल एनआरडीए छोड़कर इस पांच साल के संवैधानिक पोस्ट पर आना चाहेंगे। आयोग में रहने का मतबल ये है कि बीच में कोई हटा नहीं सकता। लेकिन, फील्ड में काम करने वाले मंडल लगता नहीं कि कमीशन में आना चाहेंगे। अलबत्ता, सुनने को ये मिल रहा कि इस बार रेगुलेटरी कमीशन में किसी आईएएस को बिठाने की बजाए एक इंजीनियर को चेयरमैन बनाया जाएगा। यानी ब्यूरोक्रेसी को एनआरडीए का एक पद मिला तो एक हाथ से निकल जाएगा। 

अघोर पीठ में सीएम

सीएम भूपेश बघेल आज जशपुर प्रवास में सोगड़ा के प्रसिद्ध अघोरेश्वर भगवान राम आश्रम गए। वहां उन्होंने मां काली की पूजा-अर्चना की। सोगड़ा आश्रम उस समय चर्चा में आया था, जब चंद्रशेखर अघोरेश्वर बाबा से मिलने पहुंचे थे। बाबा ने उन्हें, प्रधानमंत्रीजी कैसे हैं, कहकर संबोधित किया तो लोग आवाक रह गए थे। इसके पखवाड़े भर बाद चंद्रशेखर पीएम बन गए थे। हालांकि, बाद में चंद्रशेखर की किसी बात से बाबा नाराज हो गए। चंद्रशेखर तब तीन दिनों तक आश्रम के बाद पैरा पर बैठे रहे, लेकिन, बाबा उनके नहीं मिले। उस समय सारे नेशनल अखबारों में चंद्रशेखर के पैरा पर बैठे फोटो छपी थी। बाबा संभव राम अब ट्रस्ट के प्रमुख हैं। देश के बड़े-बड़े राजनेता और नौकरशाह उनके भक्तों में शामिल हैं। कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया भी कुछ दिन पहले उनके आश्रम गए थे।   

आईजी का गुस्सा

रायपुर आईजी डाॅ0 आनंद छाबड़ा सौम्य और शालीन पुलिस अधिकारी के तौर पर जाने जाते हैं। लेकिन, शुक्रवार को राजधानी पुलिस की बैठक में उनका गुस्सा भड़़क गया। उनके निशाने पर सीएसपी, एडिशनल एसपी थे। उन्होंने साफ तौर पर चेता दिया कि राजधानी में अगर अपराधों को काबू नहीं किया गया तो अब खैर नहीं। छाबड़ा पुलिस की इस लापरवाही पर भी बेहद खफा नजर आए कि एक वीवीआईपी का परिवार एयरपोर्ट पर आया और एक सिपाही तक वहां नहीं पहुचा। जबकि, वीवीआईपी के निवास से सिविल लाईन पुलिस को इसकी जानकारी दी गई थी। कायदे से सिविल लाईन पुलिस को माना थाने को इसकी खबर देनी थी। लेकिन, माना थाने तक सूचना पहुंची नहीं।

तीनों विभाग

पहली बार पीडब्लूडी, इरीगेशन और पीएचई, तीनों वक्र्स डिपार्टमेंट सीएम सचिवालय के पास चला गया है। पीडब्लूडी पहले से सिद्धार्थ परदेशी के पास था। पिछले महीने उन्हें पीएचई मिला और अब सुब्रत साहू को इरीगेशन। तीनों महत्वपूर्ण विभाग सीएम सचिवालय के पास आ जाने से जाहिर है, इन विभागों का काम अब रफ्तार पकड़ेगा। पिछली सरकार में भी पीडब्लूडी सीएम सचिवालय में ही रहा। सिकरेट्री टू सीएम सुबोध सिंह के पास पीडब्लूडी था।      

एक अफसर, और....

अबकी पोस्टिंग में सरकार ने एक काम और अच्छा किया है, सेम नेचर की तीन हाउसिंग एंड डेवलपमेंट एजेंसियों की कमान एक आईएएस को सौंप दिया है। अय्याज तंबोली के पास हाउसिंग बोर्ड और आरडीए के साथ अब एनआरडीए भी मिल गया है। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। हाउसिंग बोर्ड, आरडीए और एनआरडीए तीनों के कमिश्नर और सीईओ अलग-अलग अफसर होते थे। सरकार का मानना है, एक अफसर होने के कारण तीनों एजेंसियां अब बेहतर तालमेल के साथ काम करेंगी।  

अहम जिम्मेदारी

2006 बैच के आईएएस अंकित आनंद को सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी दे दी। उन्हें सिकरेट्री इनर्जी के साथ ही बिजली कंपनियों का चेयरमैन बनाया गया है। हालांकि, सरकार बदलने के कुछ दिन बाद शिवराज सिंह ने बिजली कंपनियों के चेयरमैन का पद छोड़ा था, तब अंकित को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन, शायद यह समझते हुए सरकार ने एक हफ्ते में निर्णय बदल दिया था कि अंकित इसके लिए जूनियर हो जाएंगे। तब गौरव द्विवेदी को उर्जा विभाग और बिजली कंपनियों का दायित्व सौंप दिया था। लेकिन, अब दोनों जिम्मेदारियां फिर से अंकित को मिल गई है। अंकित लो प्रोफाइल में बड़े काम करने वाले आईएएस माने जाते हैं।  

मंडल का झटका

एनआरडीए की कमान संभालते ही आरपी मंडल ने किराये पर चल रहीं 11 इनोवा गाड़ियों का कंट्रेक्ट खतम करने का आदेश दिया है। उन्हें पता चला था कि असिस्टेंट इंजीनियर लेवल के अफसर 50 हजार रुपए किराये के इनोवा में तफरी कर रहे हैं। मंडल ने डेपुटेशन पर काम कर रहे इंजीनियरों को भी उनके विभागों में वापिस भेजने कहा है। बिजली कंपनियों के कई अधिकारी लंबे समय से जैक के जरिये एनआरडीए में जमे हुए हैं। जबकि, उनके पास काम नहीं है। दरअसल, वल्र्ड लेवल का शहर बनाने का ख्वाब दिखाने वाले एनआरडीए की माली हालात इतनी खराब हो गई है कि उसके पास बिजली बिल जमा करने के पैसे नहीं हैं। एनआडीए का बिजली बिल करीब एक करोड़ आता है। छह महीने में बकाया बढ़कर छह करोड़ हो गया है। मंडल ने ताकीद की है...मैं भी स्वीफ्ट डिजायर में चलूंगा और अफसर भी। इसके उपर कोई गाड़ी नहंी रहेगी। किराये की तो बिल्कुल नहीं।

महिला सचिव

छत्तीसगढ़ सरकार के खजाने की चाबी अब महिला आईएएस अलरमेल मंगई के पास आ गई है। अमिताभ जैन के चीफ सिकरेट्री बनने से पहिले ही सरकार ने मंगई को फायनेंस में सिकरेट्री बना दिया था। अमिताभ के पद छोड़ने के बाद मंगई सचिव वित्त का काम संभाल लिया है। इससे पहिले छत्तीसगढ़ में कोई महिला आईएएस सिकरेट्री फायनेंस नहीं रहीं, अविभाजित मध्यप्रदेश में भी किसी को याद नहीं कि वहां कभी कोई महिला फायनेंस सिकरेट्री रही हो। दरअसल, फायनेंस आसान विभाग नहीं माना जाता। इसमें काफी तपना पड़ता है। बहरहाल, महिलाएं पैसा-कौड़ी खर्च करने के मामले में मितव्ययी मानी जाती है। इस दृष्टि से इसे सीएम का अच्छा फैसला कहा जा सकता है।    

रिश्तेदार भी सुरक्षित 

छत्तीसगढ़ का पत्रकार सुरक्षा कानून विस के शीत सत्र में पेश हो जाएगा। यह कानून सबसे अलग होगा, जिसमें पत्रकार के साथ उनके रिश्तेदार और पड़ोसी तक उसके दायरे में आएंगे। पत्रकार अगर रिपोर्ट करेगा कि खबर प्रकाशित करने को लेकर उसके रिश्तेदार और पड़ोसियों को धमकाया जा रहा तो वह भी सुरक्षा कानून के दायरे में आएगा। चलिये, सीएम के पास मीडिया से जुड़े दो-दो एडवाइजर हैं तो इतना तो बनता ही है। 

अंत में दो सवाल आपसे 

1. सचिवालय में सत्ता बदलने के साथ सिकरेट्री की एक लिस्ट निकल गई, पुलिस महकमे की लिस्ट कब निकलेगी?

2. किस मंत्री का नम्बर दो-एक महीनों में काफी कम हुआ है?

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

जब सीएस फंसे मुश्किल में

 संजय के दीक्षित

तरकश, 29 नवंबर 2020


छत्तीसगढ़ के चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल को पुलिस ने पकड़ लिया…सहसा ये बात जरा हजम नहीं होती! लेकिन, ऐसा हुआ। पुलिस थी मुंबई की। दरअसल, हुआ ऐसा कि मंडल कुछ दिन पहले निजी दौरे पर एक दिन के लिए मुंबई गए थे। वहां उन्होंने सांताक्रुज थाने की बिल्डिंग देखकर कार रोकवाई और मोबाइल से फोटो क्लिक कर दी। फोटो लेने के बाद वे आगे बढ़ गए। करीब दो किलोमीटर का फासला तय किए होंगे कि मुंबई पुलिस की मोबाइल यूनिट ने उनकी गाड़ी को ओवरटेक करके रोक लिया। जाहिर है, 26 नवंबर की आतंकवादी घटना के बाद मुुंबई पुलिस अलर्ट रहती है। लिहाजा, मोबाइल वेन से उतरे एएसआई ने सीएस की क्लास ले ली। मंडल ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की…मैं छत्तीसगढ़ का चीफ सिकरेट्री हूं। मगर टीशर्ट और स्पोर्ट्स शू पहने एएसआई मंडल को सीएस मानने के लिए तैयार नहीं था। बोला, चलो थाने। मंडल को लगा मामला अब गड़बडा रहा है। उन्होंने महाराष्ट्र के एसीएस होम को फोन लगाया। फोन रिसीव नहीं हुआ। फिर, वहां के चीफ सिकरेट्री को। चीफ सिकरेट्री ने फोन पिक कर लिया। माजरा समझने के बाद सीएस ने एएसआई को डांट लगाई…तुम जानते हो ये आदमी कौन है। इसके बाद एएसआई ने मंडल से क्षमा मांगी और उन्हें जाने दिया। बता दें, राजधानी के कोतवाली थाने का जीर्णोद्धार मंडल ने कराया है, उसमें सांताक्रुज थाने की कुछ झलक मिलती है। बताते हैं, मंडल ने फोटो भी इसीलिए क्लिक किया था।

तीसरे सीएस

आरपी मंडल की बिदाई के बाद अब अमिताभ जैन का सूबे का प्रशासनिक मुखिया बनना लगभग निश्चित हो गया है। 89 बैच के आईएएस अमिताभ छत्तीसगढ़ के तीसरे माटी पुत्र सीएस होंगे। उनसे पहिले विवेक ढांड और अजय सिंह चीफ सिकरेट्री रह चुके हैं।

लास्ट ओवर में छक्का

सीएस आरपी मंडल को भारत सरकार से एक्सटेंशन नहीं मिल पाया। ऊपर से मिले संकेतों के बाद भूपेश कैबिनेट ने आज उन्हें बिदाई दी। मंडल को लगता है, इसका अहसास हो गया था। आखिरी ओवर में उन्होंने सहवाग टाइप धुंआधार पारी खेलकर राजधानी रायपुर को आधा दर्जन से अधिक सौगातें दे डाली। वैसे भी रायपुर को रायपुर बनाने में मंडल का बड़ा योगदान रहा है, ये उनके विरोधी भी मानते हैं। मरीन ड्राइव, केनाल रोड, कलेक्ट्रेट, कलेक्ट्रेट गार्डन, केनाल रोड, वीआईपी रोड, ग्लोबल चौक, बूढ़ा तालाब जैसे कई काम उनके खाते में हैं।

कलेक्टर्स भी

नए चीफ सिकरेट्री की पोस्टिंग के साथ संकेत हैं, कुछ कलेक्टरों का आदेश भी सरकार निकाल सकती है। खासकर, दो-तीन कलेक्टरों के कामकाज से सरकार खुश नहीं है। सरकार के ड्रीम प्रोजक्ट नरवा, गरूवा में उनके जिलों में कुछ भी काम नहीं हुआ हैं। मुहल्ला क्लिनिक पर भी दो-तीन जिलों के कलेक्टर समुचित ध्यान नहीं दे रहे। जाहिर है, नेतागिरी से बचाने सरकार ने मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के क्रियान्वयन का काम नगरीय प्रशासन विभाग को देने की बजाए कलेक्टरों को दिया कि इसमें कोई तीन-तिकड़म न हो पाए। लेकिन, कुछ कलेक्टरों की शिकायत मिल रही है कि इस योजना पर वे गिद्ध नजर रख रहे हैं।

मंत्री को झटका?

मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के लिए नगरीय प्रशासन और श्रम मंत्री शिव डहरिया ने कर्मकार मंडल से 55 करोड़ रुपए दिया। लेकिन, मंत्री के हाथ आया कुछ भी नहीं। यह योजना नाम के लिए जरूर नगरीय प्रशासन के पास है। मगर इस पर पूरा नियंत्रण कलेक्टरों के पास है। इस योजना के संचालन के लिए सोसाईटी बनाई गई है, उसके चेयरमैन कलेक्टर हैं। नगर निगमों के कमिश्नर सोसाईटी के सचिव होंगे। अब जहां कलेक्टर चेयरमैन हैं, वहां समझ सकते हैं निगम कमिश्नर की कितनी चलेगी। हालांकि, यह योजना प्रारंभ होते ही हिट हो गई है। इससे इसका पता चलता है कि मोबाइल मेडिकल यूनिट से 32 दिनों में 40 हजार से अधिक लोगों ने इलाज कराया है। उपर से, मुहल्ला क्लिनिक से अपढ़ झोला छाप चिकित्सकों का क्लिनिक बैठता जा रहा है। झोला छाप डाक्टर सामान्य सा सर्दी, बुखार के लिए 100 रुपए ऐंठ लेते हैं। मोबाइल यूनिट में पैथालाॅजी टेस्ट के साथ दवाइयां भी मुफ्त में मिल जा रही। ऐसे में, इस योजना को हिट होनी ही थी।

किस्मती बैच

डिप्टी कलेक्टरों का 2005 बैच किस्मती निकला। डीपीसी में उपर के सभी सात अफसरों को आईएएस अवार्ड पर लगभग मुहर लग गई है। भारत सरकार ने डीपीसी के बाद प्रोसिडिंग स्टेट गवर्नमेंट के बाद औपचारिक सहमति के लिए भेज दिया है। यहां से ओके होेते ही आईएएस अवार्ड का नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा। यानी सातों डिप्टी कलेक्टर आईएएस बन जाएंगे। छत्तीसगढ़ का ये पहला बैच होगा, जो 10 साल में आईएएस बन जाएगा। वो ऐसे कि डिप्टी कलेक्टर्स से आईएएस अवार्ड होने में करीब पांच साल पुराना बैच अलाॅट होता है। मसलन, 2020 में आईएएस अवार्ड हुआ है तो 2015 या 16 बैच मिलेगा। 2005 बैच को अगर आईएएस का 2015 बैच मिलेगा तो 10 साल ही हुआ।

आयोग में वैकेंसी

सरकार लाल बत्ती की दूसरी लिस्ट निकालने जा रही है। इनमें राजनीतिज्ञों को एडजस्ट किया जाएगा। उधर, सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के दो पद खाली हो गए है। इस पर कई रिटायर नौकरशाहों की नजर गड़ी हुई है। आयोग से पहले सूचना आयुक्त एके सिंह रिटायर हुए और अब मोहन पवार। जाहिर है, सरकार को अब दोनों पदों को भरना होगा। आयोग में अभी सूचना आयुक्त के नाम पर सिर्फ अशोक अग्रवाल बचे हैं। उनसे उपर मुख्य सूचना आयुक्त एमके राउत।
अंत में दो सवाल आपसे?

  1. किस आईएएस की वसूली अभियान से सरकार दुखी है और नाराज भी ?
  2. आरपी मंडल की पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग एनआरडीए में मिलेगी या नगरीय प्रशासन में ?

सीएस को एक्सटेंशन या बिदाई?

 संजय के दीक्षित

तरकश, 22 नवंबर 2020
चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल के रिटायरमेंट में अब बमुुश्किल हफ्ता भर का वक्त बच गया है। 30 नवंबर उनका ड्यू डेट है। उस दिन रविवार है। याने भारत सरकार से अगर एक्सटेंशन नहीं मिला तो 29 को ही नए चीफ सिकरेट्री का आर्डर निकालना पड़ेगा। हालांकि, ब्यूरोक्रेसी को समझने वाले मंडल के एक्सटेंशन से इंकार नहीं कर रहे। इसकी तीन वजहें गिनाई जा रही है। पहला कोरोना का हवाला देकर भूपेश गवर्नमेंट ने छह महीने एक्सटेंशन का प्रपोजल केंद्र का भेजा था। तो कोरोना फिर से बढने लगा है। दूसरा, डीओपीटी मिनिस्ट्री ने छत्तीसगढ़ से अपने लेवल पर फीडबैक लिया है, वह मंडल के अनुकूल बताया जा रहा है। हालांकि, सुनील कुजूर के एक्सटेंशन के समय भी कुछ नेताओं से केंद्र सरकार ने फीडबैक मांगा था। लेकिन, कुजूर के बारे में मामला जरा गड़बड़ा गया। इस कारण उनका प्रस्ताव खारिज हो गया था। तीसरा जो सबसे महत्वपूर्ण है, केंद्र अभी तक किसी चीफ सिकरेट्री का एक्सटेंशन रोका नहीं है। राजस्थान के चीफ सिकरेट्री राजीव स्वरूप को भी कहते हैं, भारत सरकार ने तीन महीने के लिए एक्सटेंशन दे दिया था। आपको याद होगा, मीडिया में ये खबर चल भी गई थी। लेकिन, ऐन वक्त पर राज्य सरकार का मन बदल गया। राजस्थान के सीएम ने राजीव की जगह दलित आईएएस को CS बनाना ज्यादा मुनासिब समझा। तभी तो रात ढाई बजे नए मुख्य सचिव का आदेश निकाला गया। मतलब ये हुआ कि मंडल के एक्सटेंशन को सिरे से नकारा नहीं जा सकता। खासकर ऐसे में भी, जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इसी हफ्तें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर लौटे हैं। और, अगर नहीं हुआ तो अमिताभ जैन तो हैं ही।

सरकार भी चिंतित

चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल के रिटायर होने से राज्य सरकार भी चिंतित है। उसकी प्रमुख वजह अफसरों की कमी है। मंडल के जस्ट नीचे 89 बैच में सिर्फ एक आईएएस हैं। अमिताभ जैन। सबसे महत्वपूर्ण विभाग फायनेंस उन्हीं के पास है। वे अगर चीफ सिकरेट्री बन जाएंगे तो फायनेंस के लिए बड़ी दिक्कत हो जाएगी। हालांकि, सरकार ने सिकरेट्री अलरमेल मंगई को  फायनेंस सिकरेट्री बनाया है। लेकिन, फायनेंस ऐसा विभाग है कि ओवर नाइट या ओवर मंथ नहीं समझा जा सकता। उसे समझने के लिए कम-से-कम दो साल चाहिए। यही वजह है कि सरकार बदलने के बाद चीफ सिकरेट्री बदल जाता है, लेकिन फायनेंस सिकरेट्री नहीं। अमिताभ जैन भी नहीं चेंज हुए थे। वे पिछली सरकार में फायनेंस सिकरेट्री बनाए गए थे। और अभी भी हैं। रिटायर आईएएस डीएस मिश्रा करीब साढ़े आठ साल फायनेंस सिकरेट्री रहे थे। कुछ दिनों के लिए रमन सरकार ने उन्हें हटाकर कई अधिकारियों को अजमाया। लेकिन, बाद में फिर मिश्रा को ही कमान सौंप दिया था। सरकार का सोचना है, आरपी मंडल को अगर तीन महीने का एक्सटेंशन मिल गया तो फरवरी में सरकार का बजट निबट जाएगा।

राम राज-1

मध्यप्रदेश के समय से फायनेंस का रुल था कि ज्वाइंट सिकरेट्री से नीचे किसी अधिकारी को वाहन नहीं मिलेगा। तब के सीएम दिग्विजय सिंह ने वाहनों का खेल समझते हुए दस साल पुरानी गाड़ियों को बेचने का आदेश दे दिया था। उनका मानना था कि पुरानी गाड़ियों पर खर्चे के नाम पर बड़ा गोलमाल होता है। 97 में एक बार वे रायपुर आए तो एयरपोर्ट से नेताओं और मंत्रियों को छोड़ कलेक्टर की गाड़ी में बैठकर सर्किट हाउस रवाना हुए। रास्ते में उन्होंने कलेक्टर से पूछ लिया, कौन सी माॅडल की गाड़ी है। कलेक्टर ने यही कोई तीन-चार साल पहले का बताया था। तब दिग्गी राजा ने कहा था, गुड। बहरहाल, छत्तीसगढ़ बनने के बाद 2005 से वाहनों के मामले में फायनेंस की लिमिट टूटती चली गई। हालांकि, इसकी शुरूआत नौकरशाहों ने ही की। सीएम से स्पेशल परमिशन लेकर महंगी गाड़ियां खरीदनी शुरू कर दी। बाद में अफसरों को और लग्जरी गाड़ी की जरूरत पड़ने लगी तो फिर किराये का वाहन लेने का रास्ता निकाला गया। आज आलम ये है कि मंत्रालय और डायरेक्ट्रेट के अंडर सिकरेट्री, बाबू, पीए तक किराये की महंगी गाडियों में घूम रहे हैं। शायद ही कोई सिकरेट्री और कलेक्टर होगा, जिसके बंगले में कम-से-कम तीन गाड़ी खड़ी नहीं मिलेगी। ये सरकारी गाड़ी नहीं, किराये की गाड़ी होती है। अब आपके मन में उत्सुकता जगेगी कि आर्थिक संकट के समय इसका पैसा कहां से। तो ये भारत सरकार की योजनाओं या फिर निगम और बोर्ड के मदो ंसे गाडियां खरीदी जाती है। किसी अफसर को अगर कोई विभाग मिलता है तो सबसे पहले वह यही जानने की कोशिश करता है कि उसके विभाग के अंदर कितने बोर्ड और निगम है और उसमें कितनी गाड़ियों की गुंजाइश बन सकती है।

राम राज-2

छत्तीसगढ़ में रामराज इसलिए क्योंकि खासकर गाड़ियों के मामले में सूबे में बड़े-छोटे का कोई फर्क नहीं रह गया है। एसडीएम, असिस्टेंट कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर, सीईओ भी इनोवा या होंडा सिटी गाड़ियों में चल रहा और कलेक्टर एवं सीनियर सिकरेट्री भी। पुलिस विभाग के पास एक डीजी के पास होंडा एमेज है तो कल राजधानी में एमेज में सीएमओ नगरपालिका लिखा भी देखने को मिला। आखिर राम राज का मतलब ही ये होता है कि सब बराबर। ये संभव हुआ है किराये की गाड़ियों का खेल शुरू होने से। सरकार सभी बोर्ड और निगमों से सिर्फ किराये की गाड़ियों की संख्या तलब कर ले तो उसकी आंखे फटे रह जाएगी। उस पैसे में छत्तीसगढ़ के कई बेरोजगारों को रोजगार दिया जा सकता है।

पुलिस की भी सुन लीजिए

गाड़ियों के खेल में एसपी और आरआई के खेल को कोई पार नहीं पा सकता। बस्तर रेंज के कई एसपी की जांच इसलिए चल रही है कि वे एसआरई फंड याने सिक्यूरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर फंड से एक दिन में 4500 किलोमीटर गाड़ी कैसे दौड़ा दिए। 4500 का मतलब एक दिन में एक स्कार्पियो 45 सौ किलोमीटर चल गया। याने दिन भर में दो बार दिल्ली गया और दो बार लौटा। दरअसल, केंद्र सरकार नक्सल मूवमेंट में आए पैरा मिलिट्री फोर्स को गाड़ी और उसके ईंधन समेत चीजों के लिए पैसा भेजती है। इस पैसे में बड़ा गोलमाल होता है। हालांकि, इस खेल से गैर नक्सल जिलों का पुलिस विभाग भी अछूता नहीं है। वहां भी किराये की गाड़ियों में

अंत में दो सवाल आपसे

1. नया रायपुर में पाथवे पर लगा अच्छा खासा आगरा स्टोन को उखाड़कर पेवल लगाया जा रहा है। क्या इसमें एनआडीए द्वारा कोई खेल किया जा रहा है?
2. छत्तीसगढ़ के एक मंत्री का एक एनजीओ संचालिका से कनेक्शन के बारे में आपको कुछ पता है?

ब्यूरोक्रेसी के अमिताभ

 संजय के दीक्षित

तरकश, 8 नवंबर 2020
नाम भी अमिताभ और कद-काठी भी अमिताभ जैसा। हम बात कर रहे हैं, छत्तीसगढ़ के सीनियरटी में दूसरे नम्बर के आईएएस अमिताभ जैन की। सब कुछ ठीक रहा तो अमिताभ 30 नवंबर को ब्यूरोक्रेसी के अमिताभ बन जाएंगे। सब कुछ ठीक रहा का मतलब ये कि चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल के एक्सटेंशन का प्रपोजल भारत सरकार को गया हुआ है। राजस्थान के सीएस को एक्सटेंशन नहीं मिला, इसलिए मंडल का भी हंड्रेड परसेंट खारिज हो जाएगा, नहीं कहा जा सकता। पिछले साल अक्टूबर में मंडल आखिर कहां सोचे थे कि वे सीएस बन ही जाएंगे। फिर, अभी सूबे के सबसे सीनियर आईएएस सीके खेतान के रिटायरमेंट में आठ महीना बचा है। पुरूष के भाग्य का क्या कहा जा सकता है…हालांकि, ये सब किसी चमत्कर से कम नहीं होगा। कुल मिलाकर पलड़ा तो भारी अमिताभ का ही है। वैसे भी ब्यूरोक्रेसी के अमिताभ को हड़बड़ी नहीं है। रिटायरमेंट में पूरे पांच साल बचे हैं। 2025 तक। अमिताभ अगर ट्रेक पर बने रह गए तो सीएस का रिकार्ड बनाएंगे। अभी तक ब्यूरोक्रेसी के इस शीर्ष पद पर इतना लंबा कोई नहीं रहा है। सबसे लंबा सीएस का कार्यकाल विवेक ढांड का रहा है। वे करीब साढ़े चार साल सीएस रहे हैं।

अफसरों का गजब टोटा

अमिताभ जैन अगर सीएस बन गए तो राज्य बनने के बाद यह पहला मौका होगा, जब एडिशनल चीफ सिकरेट्री में सिर्फ दो अफसर बचेंगे। रेणु पिल्ले और सुब्रत साहू। वो भी तब, जब दोनों को समय से पहले प्रमोशन हुआ है। दरअसल, शीर्ष लेवल पर अफसर हैं ही नहीं। 87 बैच के सीके खेतान रेवन्यू बोर्ड में हैं। आरपी मंडल सीएस और बीवीबार सुब्रमणियम डेपुटेशन पर। 88 बैच में सिर्फ एक केडीपी राव थे, वे पिछले साल रिटायर हो गए। 89 बैच में सिंगल अमिताभ जैन हैं। 90 बैच खाली है। 91 में रेणु पिल्ले और 92 में सुब्रत साहू। 93 के अमित अग्रवाल डेपुटेशन पर हैं। मध्यप्रदेश में डेढ़ दर्जन प्रमुख सचिव हैं। छत्तीसगढ़ में गिनती के। विकास शील, निधि छिब्बर, रीचा शर्मा प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में हैं। प्रमुख सचिव में सिर्फ तीन आईएएस हैं छत्तीसगढ़ में। मनोज पिंगुआ, गौरव द्विवेदी और मनिंदर कौर द्विवेदी। पिंगुआ 94 बैच के हैं और द्विवेदी दंपति 95 बैच के। 96 बैच पूरा खाली है। असल में, राज्य बनने के बाद 2003 से आईएएस की संख्या बढ़नी शुरू हुई। वरना, 98 बैच में छत्तीसगढ़ में एक भी आईएएस नहीं है। 99 में सोनमणि बोरा हैं। 2001 में शहला निगार। 2002 में दो डाॅ0 कमलप्रीत सिंह और डाॅ0 रोहित यादव। छत्तीसगढ़ में 2003 से आईएएस का कैडर बढ़ना शुरू हआ। मंत्रालय में 2025 के बाद स्थिति कुछ सुधरेगी, जब 2004, 2005 और 2006 बैच प्रमोट होकर उपर आएंगे।

जोगी की याद

अफसरों की कमी ऐसी है कि बस्तर और दुर्ग कमिश्नर का पोस्ट अरसे से खाली है। प्रश्न है अफसर कहां से लाया जाए। डायरेक्ट आईएएस को कमिश्नर बनाया नहीं जाता। सरकार किसी से उस तरह नाराज भी नहीं है कि डायरेक्ट को कमिश्नर बनाकर भेज दे। प्रमोटी में भी सिकरेट्री लेवल में कुल जमा तीन आईएएस हैं। धनंजय देवांगन, उमेश अग्रवाल और निरंजन दास। अजीत जोगी ने तभी बड़ा अच्छा फैसला लिया था…कमिश्नर सिस्टम खतम कर दिया था। मगर रमन सरकार ने इसे फिर से बहाल कर दिया। अब ये एक बड़ी मुसीबत बन गई है। डाॅ0 संजय अलंग स्वेच्छा से बिलासपुर में कमिश्नर हैं। वरना, बिलासपुर के लिए भी समस्या बन जाती।

मंडल को एनआरडीए में पोस्टिंग?

चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल को अगर एक्सटेंशन न मिला तो वे 30 नवंबर की शाम रिटायर हो जाएंगे। उनके रिटायरमेंट का टाईम नजदीक आते ही पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग की अटकलें शुरू हो गई है। मगर सवाल यह है कि सूबे में चीफ सिकरेट्री के लेवल का कोई पद फिलहाल खाली नहीं है। बिजली नियामक आयोग के चेयरमैन का पद अगले साल अप्रैल में खाली होगा। रेरा, सूचना आयोग में भी अभी कोई गुंजाइश नहीं है। ऐसे में, एनआरडीए में मंडल को एडजस्ट किया जा सकता है। एनआरडीए में पोस्टिंग के अपने मायने हैं। नया रायपुर में सीएम हाउस, मंत्री और विधानसभा भवन का निर्माण चल रहा है। अगले साल तक इसे पूरा करना है। ऐसे में, संकेत हैं सरकार मंडल को एनआरडीए में पोस्ट कर इन निर्माण कार्यों में तेजी लाने का प्रयास करेगी।

जींस में आईएएस का इंटरव्यू

चीफ सिकरेट्री कमेटी ने एलायड सर्विसेज से आईएएस अवार्ड के लिए आठ अफसरों का इंटरव्यू लिया। इंटरव्यू देने कई अधिकारी जींस और स्पोट्र्स शू में पहंुचे थे। कमेटी भी इसको देखकर हतप्रभ थी…हमने किसको बुला लिया। हालांकि, कमेटी ने आठ में से दो ऐसे अफसर को आईएएस बनाने बुला लिया, जो अहर्ता ही पूरी नहीं कर रहे थे। आईएएस अवार्ड के लिए सबसे प्रमुख है अफसर को पीएससी से डिप्टी कलेक्टर के समकक्ष वेतनमान में सलेक्शन हुआ हो। लेकिन, एक इंजीनियर और एक पीएससी के सीडीओ याने क्लास थ्री में सलेक्ट अधिकारी भी लिस्ट में शामिल हो गए। बहरहाल, कमेटी ने इनमें से पांच अधिकारियों का पेनल बनाकर भारत सरकार को भेज दिया है।

एडिशनल कलेक्टर सस्पेंड?

पत्नी को प्रताड़ित करने के मामले में छत्तीसगढ़ के एक एडिशनल कलेक्टर पर सरकार कार्रवाई करने जा रही है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग ने नोटशीट आगे बढ़ा दी है। किसी भी दिन एडिशनल कलेक्टर के सस्पेंशन का आर्डर निकल जाएगा।

दूसरा मरीन ड्राईव

तेलीबांधा मरीन ड्राईव के बाद रायपुर के ऐतिहासिक बूढ़ा तालाब को भी नगर निगम ने चमका दिया। ऐसा कि जो उधर से गुजर रहा, नजारे देखकर पल भर ठहर जा रहा। इसे बनने के बाद न केवल बूढ़ा पारा तालाब का वैभव बढ़ा है बल्कि तेलीबांधा मरीन ड्राईव पर लोड कम होगा। बूढ़ा पारा तालाब को रिकार्ड समय में तैयार किया गया है। महापौर ने जब इनाॅग्रेशन के दौरान सीएम को बताया कि सीएस आरपी मंडल इस तालाब के लिए खुद 32 बार जायजा लेने पहुंचे तो सीएम ने भी इसे एप्रिसियेट किया।

अंत में दो सवाल आपसे

1. क्या मरवाही उप चुनाव के बाद निगम-मंडलों की दूसरी सूची निकलेगी?
2. पीएचई टेंडर कांड में क्या पीएचई के इंजीनियर इन चीफ पर सरकार कार्रवाई करने जा रही है?