रविवार, 30 सितंबर 2012


तरकश

सरकारी गोपिकाएं

रमन सरकार की सेकेंड इनिंग में गोपाल गोयल कांडा और मदरेणा टार्इप्ड नेताओं की बढ़ती संख्या ने सत्ताधारी पार्टी के रणनीतिकारों को चिंता में डाल दिया है। बिलासपुर संभाग के एक राजनेता का महिलाओं के प्रति बढ़ता अनुराग भी पार्टी से छिपा नहीं है। तभी तो, विभिन्न सूत्रों से पता लगाया जा रहा है, नेताजी के इस शौक से अगले चुनाव में पार्टी को क्या नुकसान हो सकता है। असल में, परेशानी की वजह यह है कि नेताजी की जितनी गोपिकाएं हैं, अधिकांश सरकारी मुलाजिम हैं और कइ तो अहम ओहदा संभाल रही हैं। कोर्इ आबकारी विभाग की है, तो कोइ राजस्व महकमे की। गोपिकाओं की सूची में जिला पंचायत, जनपद पंचायत की सदस्या भी हैं। और ऐसे में, कुछ हो गया तो बात का बतंगड़ हो जाएगा। सो, खुफिया एजेंसियों को भी सतर्क किया गया है। खुफिया अफसरों के पास फिलहाल चार महिलाओं के नाम आ गए हंै, जिनसे नेताजी के घनिष्ठ रिश्ते हैं। अंदर की खबरों को मानें, तो खुफिया रिपोर्ट मिलने के बाद नेताजी को सरकारी गोपिकाओं से दूर रहने के लिए कहा जा सकता है।

दांव बेकार

सीएम के सिकरेट्री और सूबे के सबसे ताकतवर अधिकारी अमन सिंह को घेरने का दांव बेकार हो गया। उनके खिलाफ हार्इकोर्ट में लगवार्इ गर्इ बिजली घोटाले की पीआर्इएल न केवल खारिज हो गर्इ बलिक उसे तथ्यहीन होने की वजह से याचिकाकर्ता को डांट भी खानी पड़ गर्इ। चर्चा है, एक राजनीतिज्ञ का प्लान था, अमन पर प्रेशर बनाकर एक बार अपने आब्लीगेशन में ले लो.....उसके बाद कोर्इ काम रुकेगा नहीं। शायद यही वजह है, पीआर्इएल एक्सेप्ट होने के बाद कुछ नेताओं ने अमन से संपर्क करने की कोशिश की.....उम्मीद थी, वे शरणागत हो जाएंगे। मगर ऐसा हुआ नहीं। अमन ने बात करने से दो टूक इंकार कर दिया। राजधानी में यह मानने वालों की कमी नहीं कि इस घटनाक्रम से अमन और मजबूत हुए हैं।  

अब, गुस्से में

अमन सिंह के खिलाफ हार्इकोर्ट में पीआर्इएल लगाकर सुर्खिया बटोरने वाले सहसराम नागवंशी अब उन लोगों से बेहद खफा हैं, जो उन्हें आगे करके हाथ खींच लिया। पता चला है, नागवंशी अब समझौते के मूड में है और इसके लिए कुछ लोगों के जरिये यह प्रस्ताव देने की भी खबर है कि जिन लोगों ने उनका कंधा इस्तेमाल किया, उनसे बातचीत का रिकार्डेड टेप सौंप देंगे। वाकर्इ ऐसा हो गया, तो कर्इ बड़े चेहरे बेनकाब हो जाएंगे। खासकर एक शीर्ष नेताजी। हालांकि, छनकर जो बात सामने आ रही है, उसमें कुछ आरटीआर्इ एकिटवस्टों ने नेताजी को गलत आंकड़ों के जाल में फंसा दिया। बिजली बोर्ड का जितना बजट नहीं, उससे कर्इ गुना अधिक का घोटाला बताया गया। मसलन, 100 करोड़ की एक ही खरीदी आर्डर की कापी एमडी आफिस से लेकर परचेज और स्टोर से ली गर्इ और उसे चार सौ करोड़ की खरीदी बता दिया। यहीं नहीं, अमन सिंह 2009 में उर्जा सचिव बने थे मगर उन पर 2005 से 10 तक की खरीदी के आरोप थोपे गए। अब, लोगों को अचरज हो रहा, तेज और चतुर, सुजान नेताजी, इतना कमजोर दांव कैसे चल दिए।  

मत चूको

सरकार अपनी है, तो भर्इ, मत चूको.....जो मिलता है, अंदर आने दो.....लगता है, सत्ता के नजदीकी कुछ लोगों ने इसे अपना सूत्र वाक्य बना लिए हैं। सत्ता के भीतर खासा रौब रखने वाले एक डाक्टर साब ने तो हद कर दी। राजधानी के कचहरी चौक के पास खालसा स्कूल के सामने चार-पांच साल पहले गरीबों के लिए दुकानें बनार्इ गर्इं थी, डाक्टर साब ने जुगाड़ लगाकर एक दुकान अपने नाम करा लिया। आरटीआर्इ में इसका खुलासा होने के बाद लोग हैरान हैं। पार्टनरशीप में डाक्टर साब को एक कोल ब्लाक आबंटन का हाल ही में पर्दाफाश हुआ है। याने कोल ब्लाक से लेकर गरीब और बेरोजगारों के लिए बनी दुकानें भी डाक्टर साब को। है ना कमाल।

राम-राम

आश्चर्य किन्तु सत्य है, पीडब्लूडी के पूर्व र्इएनसी पीके जनवदे को कापी में राम-राम लिखने के लिए हर महीने 96 हजार रुपए वेतन मिल रहा हैं। इसके सिवा उनके पास कोर्इ काम नहीं है। मंत्रालय में सुबह से शाम तक सिर्फ राम-राम। सरकार ने कुछ महीने पहिले, जनवदे को र्इएनसी से राम-राम कर दिया था। इसके बाद, उन्हें निर्माण कार्यों के क्वालिटी कंट्रोल की कमान सौंपी गर्इ। मगर आलम यह है, महीने में एकाध फाइल भी उनके पास नहीं आती। एक वो दिन भी था, जब जनवदे के पास फुरसत नहीं था। पावर के चकाचौंध में अपना-पराया का मतलब भूलने लगे थे। लेकिन अब...? जनवदे को किसी ने कहा है, रेड इंक से राम-राम लिखो, हो सकता है, रामजी बेड़ा पार करा दें। ठीक है, जनवदेजी लगे रहिये। लाइन ठीक पकड़ी है, आपने। भाजपा की सरकार है। राम का कुछ तो असर पड़ेगा।

विडंबना

कृषि आधारित राज्य में लोगों और किसानों की जागरुकता का जरा हाल देखिए। nai  कृषि नीति बनाने से पहले सरकार ने राय जानने के लिए लोगों से सुझाव मांगे थे। यह जानकर आपको हैरत होगी, 28 जिलों से सिर्फ 11 सुझाव मिले। जबकि, किसानों के नाम पर नेतागिरी करने वाले और एनजीओ चलाने वालों की बात करें तो उनकी संख्या कर्इ गुना अधिक होगी। मगर कृषि नीति से किसे मतलब है। फालतू की चीजों में नाहक क्यों दिमाग खराब करें।  

हफते का एसएमएस

राज ठाकरे को बैंक के अंदर आता देख कैशियर भागकर मैनेजर के पास गया और बोला, सर, वो फिर आ गया है, जो मराठी में छपा हुआ नोट मांगता है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. रिटायर होने के बाद संविदा में काम कर रहे एक पुलिस अधिकारी का नाम बताइये, जो रायपुर से विधानसभा टिकिट के जुगाड़ में लगे हैं?
2. लंबी सेवा के बाद आर्इएएस अवार्ड होने वाले 11 अफसरों में से आप कितने के नाम आप पहले से जानते हैं?

शनिवार, 22 सितंबर 2012

तरकश, 23 सितंबर


गुस्सा या....

सत्ताधारी पार्टी के सांसद दिलीप सिंह जूदेव सिस्टम से एक फिर खफा हैं। इस बार उनकी नाराजगी की वजह होमगार्ड की भरती बनी है, जिसकी सूची निकलने के बाद निरस्त कर दी गर्इ। जूदेव ने इस पर कार्रवार्इ करने के लिए सिकरेट्री टू सीएम अमन सिंह को पत्र लिखा है। 9 सितंबर को लिखा लेटर 13 को अमन के पास पहुंचा और बताते हैं, उन्होंने इस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए जांच के लिए प्रींसिपल सिकरेट्री होम, एनके असवाल को भेज दिया। पत्र में जूदेव ने अप्रत्यक्ष तौर पर डीजी होमगार्ड संतकुमार पासवान को निशाने पर लिया है। बता दें, विश्वरंजन के रिटायरमेंट से पहले होमगार्ड में थोक में भरती हुर्इ थी। और समूची प्रकि्रया पूरी होने के बाद सिर्फ ज्वार्इनिंग आदेश निकलना बाकी था। तब तक विश्वरंजन सेवानिवृत हो गए। और नए डीजी होमगार्ड, पासवान ने इसमें खामियां गिनाते हुए सूची निरस्त कर दी थी। जूदेव को तकलीफ यह है कि जशपुर की जिले की लिस्ट भी कैंसिल हो गर्इ। वो भी पासवान की वजह से। बहरहाल, सरकार यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वास्तव में गड़बड़ हुआ है या कोर्इ और बात है। अनिल नवानी के नंवबर में रिटायर होने के बाद सबसे सीनियर होने के कारण पासवान डीजीपी के स्वाभाविक दावेदार हैं। सवाल यह भी मौजूं है, सूची निरस्त करने के छह महीने बाद जूदेव ने आखिर सरकार को पत्र क्यों लिखा?

बड़ा घोटाला?

होमगार्ड की भरती निरस्त होने के पीछे संतकुमार पासवान की क्या सोच रही, ये तो जांच के बाद पता चलेगा। मगर सत्ता में बैठे लोग इस बात से नावाकिफ नहीं है कि भरती में व्यापक गोलमाल हुआ था। यह भी, विश्वरंजन इनवाल्व नहीं थे मगर उनकी आड़ में लोगों ने बहती गंगा में जमकर हाथ धोए। जाहिर है, जब से होमगार्ड का वेतन 9 हजार रुपए हुआ है, इसका के्रज बढ़ गया है.....होमगार्ड वालों को शादियाें में अब दान-दहेज खूब मिल रहे हैं। सो, इसमें घुसाने के लिए ऐलानिया 2-2 लाख में सौदा हुआ था। कोर्इ ओवर एज था, तो कुछ ने दौड़-भाग में भी हिस्सा नहीं लिया। किसी जिले में तैराकी में पांच अंक दिए गए तो कहीं 10 नम्बर। बाद में, आरोप भी खूब लगे थे।   
 
फिर मुशिकल

लंबे समय तक वनवास काटकर मुख्य धारा में लौटे हायर एजुकेशन सिकरेट्री आरसी सिनहा फिर मुसीबत में घिर गए हैं। ताजा मामला, ट्रांसफर लिस्ट में कुछ नाम चेंज करने का है। नाम चेंज तब किए गए, जब सरकार की मंजूरी के बाद सूची अखबारों में पबिलश हो गर्इ थी। ऐसे में मामला छुपता कैसे? पता चला है, चीफ सिकरेट्री सुनील कुमार ने सिनहा से जवाब-तलब किया है। सिनहा ने सीएस को बताया, उच्च शिक्षा मंत्री रामविचार नेताम के मौखिक निर्देश पर ऐसा किया गया। जबकि, नेताम ने इसका खंडन कर दिया। इससे सिनहा की दिक्कते बढ़ गर्इ है। उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू हो जाए, तो अचरज नहीं। सिनहा 81 बैच के आर्इएएस अधिकारी हैं। और उनके र्बैचमेट डीएस मिश्रा एसीएस बनने जा रहे हैं और सिनहा अभी सिकरेट्री हैं। पुराने मामलों के चलते वे प्रींसिपल सिकरेट्री नहीं बन पाए थे।

डीपीसी

स्पेशल सिकरेट्री सुबोध सिंह और एमके त्यागी को सिकरेट्री बनाने के लिए सोमवार को मंत्रालय में डीपीसी होगी। सोमवार को ही कैबिनेट है। इसके पश्चात प्रमोशन कमेटी की बैठक होगी। इसमें हरी झंडी मिलने के बाद दोनों आर्इएएस पदोन्नत होकर सिकरेट्री बन जाएंगे। अगर सोमवार को किसी कारण से डीपीसी नहीं हुर्इ, फिर एक-दो दिन में तय मानिये। सिकरेट्री बनने के बाद सुबोध और त्यागी को कुछ नए विभाग मिलने के संकेत हैं। सुबोध अभी सीएम सचिवालय में स्पेशल सिकरेट्री के साथ ही राज्य बिजली वितरण कंपनी की कमान संभाल रहे हैं। अगले साल चुनाव को देखते सरकार नहीं चाहेगी कि वितरण जैसी संवेदनशील और महत्वपूर्ण कंपनी किसी और के हवाले किया जाए। अलबत्ता, इसके साथ, उन्हें मार्इनिंग भी मिलने की चर्चा है। त्यागी जीएडी में हैं। जीएडी में अभी मनोज पिंगुआ के साथ ही शहला निगार भी आ गर्इ हैं। सो, त्यागी को एकाध नया विभाग मिल सकता है।

लास्ट बेरिकेटस

एडीजी रामनिवास को स्पेशल डीजी बनाने के लिए डीपीसी से हरी झंडी मिलने के बाद अब आखिरी बेरिकेटस बच गया है........कैबिनेट से मंजूरी। स्पेशल डीजी की नर्इ पोस्ट कि्रयेट हुर्इ है और भले ही भारत सरकार से एपू्रव्हल मिल गया हो, मगर इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी लेनी होगी। सोमवार को कैबिनेट की बैठक में यह प्रस्ताव रखा जाएगा। हालांकि, इसमें आशंका की कोर्इ गुंजाइश नजर नहीं आ रही। इसलिए समझा जाता है, बुधवार तक स्पेशल डीजी का आदेश जारी हो सकता है।

पोसिटंग का टेंडर

पीडब्लूडी में निर्माण कार्य ही ठेके पर दिए जाते थे, मगर अब तो पोसिटंग का भी टेंडर हो रहा है। जैसी थैली, वैसा डिवीजन। अच्छा रेट भर दिए तो डबल पोसिटंग भी मिल सकती है। 17 सितंबर को जो लिस्ट निकली है, कर्इ पोसिटंग तो हजम नहीं होती। इसकी बानगी आप भी देखिए। रायगढ़ के सेतु संभाग के र्इर्इ पीसी चंदेल को रायपुर सेतु विभाग और रायपुर र्इएनसी आफिस में अटैच र्इर्इ संजय सूर्यवंशी को जगदलपुर का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। और देखिए, एसडीओ गुंडरदेही वीडी बोपचे रायगढ़ के र्इर्इ का भी काम देखेंगे। कहां, गुंदरदेही और कहां रायगढ़। सड़क, बि्रज की तरह पोसिटंग का टेंडर भी र्इएनसी आफिस से जारी हो रहे हैं। और इसका नाम दिया गया है अतिरिक्त कार्य। अब जरा इस पर भी गौर कीजिए, पीडब्लूडी में इस साल गुणवता वर्ष मनाया जा रहा है। गुणवता वर्ष कैसे मनाया जा रहा होगा, इन तस्वीरों को देखकर आप समझ सकते हैं। 

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस राजनेता के साथ एक थानेदार के विदेश से घूम-घाम कर लौठने की चर्चा है?
2. आर्इजी से एडीजी की डीपीसी किस वजह से रुक गर्इ?

शनिवार, 15 सितंबर 2012

टीम अन्ना

भाजपा के बागी ब्राम्हण नेता और रिटायर आईपीएस अधिकारी के बीच जो रिश्ते डेवलप हुए हैं, उस पर इंटेलिजेंस की पैनी नजर है। दोनों के साथ एक रिटायर आईएएस अफसर के भी जुड़ने की खबर है। राजधानी में तीनों की नियमित बैठकी हो रही है। चर्चा ये भी है, सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए आईबी के पुराने नेटवर्क का उपयोग किया जा रहा है। दरअसल, तीनों में एक चीज कामन है, सरकार से नाराजगी। ब्राम्हण नेता सरकार के खिलाफ पहले से, चुटैया बांध रखे हैं। और जिस तरह किरण बेदी दिल्ली पुलिस कमिश्नर न बनने से सिस्टम से खफा थीं और टीम अन्ना ज्वाईन कर लिया था, उसी तरह अपने यहां के आईपीएस भी सम्मानजनक बिदाई न होने के चलते लोकल अन्ना के साथ हो लिए हैं। उनके, एक वरिष्ठ मंत्री से करीबी रिश्ते भी किसी से छिपे नहीं हैं। ऐसे में सरकार बेपरवाह कैसे हो सकती है, इसलिए उनकी एक्टिविटी पर नजर रखना लाजिमी है।

धक्का

पर्यटन विभाग के बोर्ड आफ डायरेक्टर की बैठक विभागीय मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के लिए अबकी ठीक नहीं रहा। 9 साल के कार्यकाल में पहली बार हुआ, नौकरशाहों ने उनकी एक न सूनी। मंत्रीजी की कोशिश थी, पर्यटन बोर्ड में काम कर रहे 150 से अधिक ठेका कर्मचारियों को फिर एक्सटेंशन मिल जाए। इसके लिए, सदस्य ना होने के बाद भी वे बोर्ड की मीटिंग में पहुंच गए थे......शायद उन्हें देखकर अफसर आब्जेक्शन ना करें। बाकी आईएएस पर हालांकि, इसका प्रभाव पड़ा और चुप रहे, मगर फायनेंस सिकरेट्री और बोर्ड के पदेन सदस्य डीएस मिश्रा अड़ गए। थक-हार कर मंत्रीजी ने बोर्ड के एमडी संतोष मिश्रा को निर्देश दिया.....मिनिट्स में लिख दो, मिश्रा असहमत हैं, बाकी सदस्य सहमत हैं, इसलिए एक्सटेंशन दिया जाए। किन्तु डीएस मिश्रा अभी फुल रोल में हैं। सो, बोर्ड के आईएएस, आईपीएस सदस्य सहम गए, कहीं नुकसान न हो जाए, सो धीमी आवाज में कहना शुरू कर दिया....हम भी असहमत हैं। लिहाजा, एक्सटेंशन का प्रस्ताव पेंडिंग में डाल दिया गया। बताते हैं, नेताओं के नाते-रिश्तेदारों को उपकृत करने या फिर मुद्रा लेकर रखे गए ठेका श्रमिकों की वजह से बोर्ड की माली हालत खराब होती जा रही है। हर महीने इन कर्मचारियों के वेतन पर ही 10 से 15 लाख रुपए जा रहा है। अधिकांश को ऐसी जगह तैनात किया गया है, जहां उनकी कोई उपयोगिता नहीं है।

कोल्ड वार

राज्य सरकार ने फायनेंस सिकरेट्री डीएस मिश्रा पर मेहरबानियों की बरसात करते हुए समय से पहले एसीएस बनाने खातिर डीपीसी तो कर दी मगर डीओपीटी में उनकी गाड़ी अटक गई है। और जब तक केद्र से हरी झंडी नहीं मिलेगी, तय मानिये, मिश्रा का प्रमोशन नहीं होगा। अब फाइल अटकी है, तो इस पर चर्चा तो होगी ही। मंत्रालय में भांति-भांति की बातें हो रही हंै। एक ये भी.......अपने यहां के एक सीनियर आईएएस के बैचमेट डीओपीटी में तैनात हैं और आगे आप समझ जाइये। अब, क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया तो होती है ना, फायनेंस में इन दिनों पंचायत विभाग की फाइलें क्लियर नहीं हो रही है। हो भी रही है तो दस ठो पेंच लगाने के बाद। इसे दो आला नौकरशाहों के बीच कोल्ड वार मानिये। और ये थमने वाला नहीं है। मार्च 2014 तक चलता रहेगा, जब तक सुनील कुमार के बाद चीफ सिकरेट्री कौन होगा, इसका फैसला नहीं हो जाता।

झटका-1

छत्तीसगढ़ ही नहीं, देश भर के आईएएस अफसरों के लिए गुरूवार का दिन झटका भरा रहा। रिटायरमेंट के बाद आईएएस के सबसे अहम रिहैबिलिटेशन सेंटर, सूचना आयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने अंकुश लगा दिया। अब हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस ही मुख्य सूचना आयुक्त बन पाएंगे। सूचना आयुक्त के लिए भी विधि का जानकार होना अनिवार्य है। सो, आईएएस के लिए अब नो इंट्री समझिए। और जो हैं, उनकी छुट्टी। फैसले की खबर मिलते ही, राज्य के आरटीआई एसोसियेशन ने उसकी कापी शुक्रवार को सुबह सूचना आयोग में दे आई। तब रिटायर आईएएस और वर्तमान सूचना आयुक्त एसके तिवारी किसी मामले की सुनवाई शुरू कर चुके थे। उन्होंने इसे तत्काल रोक दिया। सुप्रीम कोर्ट का भय जो था। बहरहाल, अहम सवाल यह है, सूचना आयोग में जस्टिस के बैठ जाने के बाद सूचना छुपाने वाले अफसरों का क्या होगा।

झटका-2

सड़क से लेकर कोर्ट तक सरकार को घेरने के लिए आक्रमक हो रही कांग्रेस को भी एक झटका लगा है। याद होगा, पीसीसी प्रमुख नंदकुमार पटेल के जन्मदिन पर कविताओं के जरिये तीर छोड़े गए थे, उसमें कांग्रस का आरोप था, सरकारी एजंेसी संवाद के जरिये अखबार में जवाबी कविताएं छपवाई गई थी। और इसके लिए हाईकोर्ट में एक पीआईएल लगी थी। सरकार को इसमें राहत मिल गई है। कोर्ट ने इसे सुनवाई लायक नहंी माना है।

अफसरशाही

संवेदनहीनता देखिए.....बिलासपुर जिले के लोरमी ब्लाक का कोतरी गांव। बेहद गरीब कश्यप परिवार के सात भाइयों में से चार विभिन्न बीमारियों में काल के शिकार हो गए। बचे तीन हैंडीकैप्ड हैं। मां बीमार। बैसाखियों के सहारे बड़ा भाई परमेश्वर, भाई के इलाज के लिए मई में जनदर्शन में सीएम से दो लाख रुपए मांगा। डाक्टर साब ने कागज पर राशि लिखकर नीचे मार्क कर दिया। सीएम हाउस से कोई गरीब खाली हाथ तो आता नहीं। मगर नीचे से कागज गायब हो गया। जनदर्शन में दोबारा गया तो सीएम ने 5 हजार और स्वीकृत किया। यह राशि वेबसाइट पर तो बता रहा है मगर परमेश्वर को आज तक नहीं मिला। मदद के लिए कई बार बिलासपुर कलेक्टर के चैखट पर गया। शुक्रवार को भी साब से मिला। लेकिन हासिल शून्य ही आया। रोते हुए उसने इस स्तंभकार को आपबीती बताई। कोतरी, राज्य के तेज एवं उत्कृष्ट विधायक धर्मजीत सिंह का इलाके में आता है। गुरूवार को उनके जन्मदिन के प्रचार-प्रसार पर लाखों रुपए फूंके गए। मगर परमेश्वर की ओर किसी के हाथ नहीं बढे़। सवाल बड़ा है, आखिर, गरीब आदमी कहां जाएं। वह सुनील कुमार, बैजेंद्र कुमार, अमन सिंह और सुबोध सिंह के पास तो पहुंच नहीं सकता। और फील्ड के अफसरों में संवेदनाएं बची नहीं है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. पिछले हफ्ते वीसी, जोगी और महंत ने कोल ब्लाक पर नवीन जिंदल पर तीखे तीर छोड़े। यह अटैक जिंदल पर था या अपनी ही पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता पर?
2. किस सीनियर आईएएस अफसर पर विभागीय जांच की तलवार लटक रही है?

शनिवार, 8 सितंबर 2012

तरकश, 8 सितंबर

डीपीसी

एडीजी रामनिवास 14 सितंबर को पदोन्नत होकर स्पेशल डीजी बन जाएंगे। इसी दिन दोपहर में मंत्रालय में डीपीसी होगी। और इसके दो-एक दिन बाद आदेश निकल जाएगा। हालांकि, इससे पहले, इसी के साथ आईजी के लिए भी डीपीसी करने का प्लान था। इसमें मुकेश गुप्ता, संजय पिल्ले और आरके विज के विज एडीजी हो जाते। और चर्चा यह भी थी, जिस तरह भोपाल में आईजी विजय यादव को प्रमोट होने पर वहीं एडीजी रेंज बना दिया गया, उसी तरह मुकेश को भी रेंज की कमान सौंप दी जाएगी। मगर सरकार ने फिलहाल नवंबर तक आईजी की डीपीसी टाल दी है। अब, नवंबर आखिर में डीपीसी होगी और 1 दिसंबर को नए डीजी की ताजपोशी के साथ ही   महकमे में एक बड़ी सर्जरी होगी। इधर, विचार इस पर भी हो रहा, रामनिवास को स्पेशल डीजी बनने के बाद फिलहाल पीएचक्यू में ही रखा जाए। और विभाग भी यथावत रहे।  

मत चूको

कोल आंबटन का मामला तूल पकड़ने पर सूबे के सत्ताधारी पार्टी के कुछ नेता भी कम उत्साहित नहीं थे.....दो-तीन मंत्रियों का दिल काबू में नहीं था, मन में बल्लियां उछल रहे थे। कांग्रेसी जिस रोज सीएम हाउस का घेराव कर रहे थे, एक आदिवासी मंत्री पार्टी के बड़े नेताओं को यह बताने के लिए, दिल्ली पहुंच गए थे, मैं हूं ना। मगर उन्हें कोई तरजीह नहीं मिली। सीएम की कुर्सी पाने के लिए एक मंत्री द्वारा राज्य के बाहर तांत्रिक अनुष्ठान कराने की खबर भी खूब चली। राज्य के बाहर गए एक नेताजी वहीं से कसमसा रहे थे, नाहक घूमने-फिरने के लिए इस समय आ गया....वे अपने चंपुओं से पल-पल की खबर लेते रहे। मगर गुरूवार को राज्य सरकार के साथ आलाकमान के खड़े हो जाने के बाद दावेदारों में मायूसी फैल गई। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर  के बयान से मैसेज गया, आलाकमान पूरी तरह से सरकार के साथ है और किसी को अति उत्साहित होने की जरूरत नहंी।

रांग नम्बर

पुलिस मुख्यालय में आईजी अरुणदेव गौतम के एक रिश्तेदार युवती से उगाही की कोशिश करना एक महिला कांस्टेबल को भारी गया। युवती स्कूटी से कोचिंग जा रही थी और राजधानी के पेंशनबारा के पास बगल में गाड़ी में चल रही महिला कांस्टेबल पर पानी के छींटे पड़ गए। महिला कांस्टेबल को मौका अच्छा दिखा.....महीने भर के राशन का खर्चा निकल जाएगा, सो 15 सौ की डिमांड कर दी। पैसा दो या गाड़ी चालान कराती हूं। युवती ने जब गौतम का नाम लिया, तब जाकर आखिर जान बची। बाद में किसी ने आला अधिकारियों से इसकी शिकायत कर दी। और अब, इसकी तीन तरफा जांच शुरू हो गई है। मगर जरा सोचिए, हर आदमी पुलिस अधिकारी का रिश्तेदार तो होगा नहीं, फिर, आम आदमी के साथ राजधानी पुलिस क्या सलूक करती होगी?

राहत

स्टेट माईनिंग कारपोरेशन में प्रेम कुमार के एमडी अपाइंट होने से आईएफएस अफसर राहत महसूस कर रहे हैं। देख ही  रहे होंगे, सरकार किस तरह एक-एक को वापिस भेज रही थी और उन पदों को आईएएस के हवाले किया जा रहा था। पहले हाउसिंग बोर्ड, फिर अरबन कमिश्नर, बीज विकास निगम, मंडी बोर्ड, उद्यानिकी मिशन जैसे कई.....। मगर पे्रम कुमार ने इस पर बे्रक लगाया है। वैसे, पहली बार एक ठीक-ठाक अफसर को माईनिंग कारपोरेशन की कमान सौंपी गई है। 94 बैच के आईएफएस अधिकारी कुमार न केवल आईआईटी खड़गपुर से माईनिंग में बीटेक किए हैं, बल्कि कुछ दिनों तक निदरलैंड में भी वर्क किए हैं। याने आईएएस और आईएफएस के वर्गभेद को किनारे करते हुए अबकी योग्यता को तरजीह दी गई है। साथ ही, यह मैसेज भी, आईएफएस से कोई परहेज नहीं है, काबिल होना चाहिए।  

पोस्टिंग

बिलासपुर की पोस्टिंग आईएएस अफसरों के लिए बड़ा शुभ रहा है। सोनमणि बोरा, सिद्धार्थ कोमल परदेशी, मुकेश बंसल, यशवंत कुमार को बिलासपुर पोस्टिंग के दौरान ही पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। बोरा के दो पुत्र रत्न बिलासपुर में हुए और कवर्धा कलेक्टर रहने के दौरान तीसरा भी, बिलासपुर अपोलो का है। यशवंत कुमार को छोड़ दें तो लगभग सभी यहीं से कलेक्टर बनकर गए। बोरा, बंसल, और इससे पहले, सिद्धार्थ परदेशी भी। इससे पहले, कुंआरे आईएएस और नगर निगम के तत्कालीन कमिश्नर डा0 एसके राजू की शादी भी बिलासपुर पोस्टिंग के समय हुई थी। और, वर्तमान ननि कमिश्नर अवनीश शरण भी अब तक बैचलर हैं, स्मार्ट भी हैं। सो, यह चर्चा स्वाभाविक है, राजू की तरह अवनीश के लिए बिलासपुर शुभ हो जाए। 

अंत में दो सवाल आपसे

1.    एक मंत्री का नाम बताइये, जो कांग्रेस के सीएम हाउस धेराव के दिन सीएम बनने के लिए अनुष्ठान कराने राज्य से बाहर चले गए थे?
2.    वह कौन पुलिस अधिकारी है, जो रिटायर होने के बाद भी पोलिसिंग कर रहा है और अब, अपनी पत्नी को भी रिटायरमेंट के बाद संविदा के जुगाड़ में है?

रविवार, 2 सितंबर 2012



तरकश, 2 सितंबर

हुए कामयाब
रामनिवास को डीजी बनाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार आखिरकार एक स्पेशल डीजी का पद स्वीकृत कराने में कामयाब हो गई। खबर है, मिनिस्ट्री आफ होम अफेयर ने 26 अगस्त को स्पेशल डीजी की फाइल को हरी झंडी दे दी। और दो-एक रोज में इसका औपचारिक आदेश यहां पहुंच जाएगा। इसके बाद रामनिवास पदोन्न्त होकर डीजी बन जाएंगे। स्पेशल डीजी का पद तीन महीने, सितंबर, अक्टूबर और नवंबर तक के लिए रहेगा। अनिल नवानी के 30 नवंबर को रिटायर होने के बाद रामनिवास रेगुलर डीजी के पोस्ट पर आ जाएंगे और स्पेशल डीजी का पद स्वयमेव समाप्त हो जाएगा। लेकिन इसके लिए कम जद्दोजहद न करने पड़े। पिछले महीने एमएचए ने रामनिवास को रुटीन में, 1 दिसंबर से डीजी बनाने की औपचारिक अनुमति दी थी तो भ्रम की वजह से उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया था। तब, राज्य सरकार ने, नक्सल स्टेट का हवाला देकर फिर से जोर लगाया। और रिजल्ट आया। बहरहाल, स्पेशल डीजी बनने से रामनिवास का डीजीपी की दौड़ में पलड़ा भारी हो गया है। उनके सामने संतकुमार पासवान हैं, जो रामनिवास से न केवल सीनियर हैं बल्कि छत्तीसगढ़ में काम करने का खासा तजुर्बा भी है। पुराने रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव का एसपी, बस्तर का आईजी रहे हैं। मगर सबसे बड़ा माईनस है, उनके पास चार महीने ही बचेगा। मार्च 2013 में रिटायर हो जाएंगे। फिर, सरकार ने रामनिवास को डीजी बनाने में इतनी दिलचस्पी दिखाई है, तो उसके निहितार्थ भी समझे जा सकते हैं।    
लौटंगे गिरधारी
रामनिवास की पदोन्नति के बाद जाहिर है, पुलिस महकमे के समीकरण बदलेंगे। डीजी बनने के बाद रामनिवास को कम-से-कम नवंबर तक के लिए पीएचक्यू से बिदा होना पड़ेगा। उनके सामने दो ही विकल्प हैं, डीजी जेल या होमगार्ड। होमगार्ड में पहले से संतकुमार पासवान हैं। सूत्रों की मानंे, तो रामनिवास को डीजी जेल की कमान सौंपी जाएगी। उनकी जगह एडीजी जेल गिरधारी नायक पीएचक्यू लौटेंगे। 10 सितंबर तक तमिलनाडू कैडर की आईपीएस सोनल वर्मा मिश्रा भी डेपुटेशन पर यहां आ जाएंगी। इसके फौरन बाद डीआईजी, स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच विवेकानंद डेपुटेशन पर एसपीजी के लिए रिलीव हो जाएंगे। विवेकानंद की फाइल पर डीजीपी ने यही लिखा है, सोनल के आने पर रिलीव किया जाएगा। सोनल के आईएएस पति संतोष मिश्रा पहले ही यहां आ चुके हैं और पर्यटन संभाल रहे हैं। स्वाभाविक है, सोनल को रायपुर या उसके आसपास ही पोस्ट किया जाएगा। उन्हें रायपुर या दुर्ग का एसपी बनाने की खूब चर्चा भी है। दुर्ग के एसपी ओपी पाल के खिलाफ कोर्ट के निर्देश पर एफआईआर हो गया है। और इधर, विवेकानंद की जगह संभालने के लिए पुलिस महकमे को रायपुर एसएसपी दिपांशु काबरा से बढि़यां कोई अफसर नहीं दिख रहा है। तेज एवं स्मार्ट हैं, लैंग्वेज पर भी कमांड हैं। वैसे भी, तीन साल से अधिक टेन्योर हो जाने के चलते वे चुनाव तक रह भी नहीं पाएंगे। सो, सोनल एसपी आफिस में और दिपांशु एसआईबी में दिखें तो अचंभित मत होइयेगा। 
युक्तियुक्तरण
जब से मंत्रियों को विभागों के फेरबदल के संकेत मिले हैं, सबकी धड़कनें तेज हो र्गइं हैं। सभी यह मानकर बेफिकर हो गए थे, चुनाव में एक साल बचा है, इसलिए अब कोई खतरा नहीं है। मगर ऐसा नहीं हुआ। अंदर की खबर है, चुनाव के हिसाब से ही डाक्टर साब अपनी टीम को पुनर्गठित करने की तैयारी कर रहे हैं। इसमें किसी मंत्री की छंटनी नहीं होगी। सिर्फ विभागों का युक्तियुक्तकरण होगा। और यह दिवाली के पहले कभी कभी हो सकता है। इसमें बृजमोहन अग्रवाल से लेकर चंद्रशेखर साहू, पुन्नूलाल मोहले, लता उसेंडी, केदार कश्यप तक के नामों की चर्चा है। अमर अग्रवाल, रामविचार नेताम, हेमचंद यादव और राजेश मूणत के विभाग पहले ही, बदले जा चुके हैं। सौदान सिंह जिलों का दौरा यूं ही नहीं कर रहे हैं। वे विधायकों के साथ ही मंत्रियों के बारे में फीडबैक भी ले रहे हैं। 
जेसिका कांड
राजधानी के बड़े होटलों और मालों में मौज-मस्ती के नाम पर जिस तरह के भौंडेपन हो रहे हैं, कहीं जेसिका कांड हो जाए, तो बड़ी बात नहीं। जिस रोज राजधानी पोलिस के आला अफसर कंट्रोल रुप में मीडिया को बता रहे थे, अब किसी को बख्शा नहीं जाएगा, उसके अगले दिन महासमुंद रोड पर स्थित एक माल के नामी बीयर-बार में पार्टी चल रही थी। रात के 11 बजे थे.....फुल म्यूजिक, कोने में बने डांस फ्लोर पर धुप अंघियारा, हाथों में ग्लास पकड़ी अधनंगी लड़कियां और राजधानी के बिगड़ैल रईसजादे। दो लड़के और घूटनों से उपर तक स्कर्ट पहनी एक लड़की, इतने डाउन थे कि हंगामा करते हुए गेट खोलकर बाहर आ गए। लोग देख न लें, सो, बाउंसर ने तीनों को समझा-बुझा कर अंदर किया। उसी माल के हुक्का बार का सुनिये। इसमें तीन रेट है। 450, 550 और 650। लान में हुक्का पीना है तो 450 रुपए। हाल के अंदर 550 और चार बाई छह के केबिन में पीना है तो 650 रुपए। केबिन मतलब छोटा कमरा। बिगड़ैल लड़के-लड़कियों को और क्या चाहिए। हाल और लान खाली थे। और केबिन फुल। काउंटर पर कुछ युवक 650 रुपए की केबिन को 2000 रुपए तक में मांग रहे थे। अब, आप समझ सकते हैं, हुक्का बारों जैसी जगहों पर क्या हो रहा है। रेव और पुल पार्टियों में अनिवार्य तौर पर 20 से 25 मिनट के लिए लाईट गुल की जाती है। बीडब्लू केनियान में लाइट बंद होने के बाद चीख-पुकार ऐसी ही न मची थी। गनीमत है, बाउंसरों ने स्थिति संभाल ली। लिहाजा, राजधानी पुलिस को ऐसे ठिकानों की नियमित तफ्तीश करनी होगी। वरना, हाथ मलने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।
विवादों में
राज्य के पहले फाइव स्टार होटल, बीडब्लू केनियान का विवादों से पुराना नाता रहा है। सबसे पहले, बेजा कब्जा को लेकर विवाद हुआ था। और इसके बाद होटल के लिए फोर लेन सड़क बनाने का मामला उछला। याद होगा, इसी बात को लेकर सीएम हाउस में एक बैठक के दौरान बृजमोहन अग्रवाल और राजेश मूणत में तू-तू, मैं-मैं हो गई थी। मूणत ने बृजमोहन से पूछ दिया था, होटल पर इतनी मेहरबानी क्यों की जा रही है, बताओं इसमें किसका पैसा लगा है? और-तो-और, बहुुचर्चित पार्टी के तीन रोज पहले ही आबकारी विभाग ने होटल को बीयर-बार का लायसेंस दिया था। और कांड हो गया। इतना विवादों में रहा होटल भला कैसे चलेगा। ताजा खबर है, होटल बिक रहा है। रायपुर और इंदौर की पार्टियों से उसे बेचने पर बातचीत चल रही है। कभी भी इसका सौदा हो जाएगा। 
बानगी
हम दो, हमारे दो....मां-बाप को छोड़ दो या मजबूरी गिनाकर किसी दूसरे रिश्तेदारों के यहां टिका दो....के समय में रायपुर के नए कलेक्टर सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी समाज के लिए एक बानगी हो सकते हैं। मंगलवार को यहां ज्वाईन करने आए, तो साथ में मां-पिताजी थे। उनसे आर्शीवाद लेकर कुर्सी पर बैठे। यहीं नहीं, इससे पहले, नई पोस्टिंग में जहां भी गए, मां-पिताजी साथ रहे हैं। परदेशी मानते हैं, मां-पिताजी का आर्शीवाद के बिना कुछ संभव नहीं है। काश, सब लोग ऐसा मानते....पत्नी को कंविंस कर पाते, तो शायद वृद्धाश्रम नहीं खुलते।  
अंत में दो सवाल आपसे
1. राजधानी में रेव पार्टी में अश्लीलता को लेकर पुलिस किसके इशारे पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है?
2. मंत्रालय के सीनियर आईएएस अफसरों में झगड़े की अफवाहें कौन लोग उड़ा रहे हैं?