रविवार, 21 नवंबर 2021

छत्तीसगढ को बड़ा एक्सपोजऱ

 तरकश, 21 नवंबर 2021

संजय के दीक्षित

भारत सरकार के कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को अगर देश के दीगर शहरों के मेयर, अरबन सिकरेट्री और कमिश्नरों को पुरस्कार देने का अवसर मिल जाए, तो इसे क्या कहेंगे....सम्मान की बात न! दरअसल, दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित स्वच्छता पुरस्कार कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद चीफ गेस्ट थे। और यूनियन अरबन मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी अध्यक्ष। चूकि छत्तीसगढ़ को देश में सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार मिलना था, लिहाजा उन्हें राष्ट्रपति के बगल में बिठाया गया था। मुख्य पुरस्कार देने के बाद राष्ट्रपति कार्यक्रम से रुखसत हो गए। इसके बाद हरदीप पुरी को भी किसी कार्यक्रम में जाना था, सो तय किया गया कि सबसे स्वच्छ राज्य का मुखिया अगर मौजूद हैं, तोे उनके हाथों क्यों नहीं। फिर क्या था...विभिन्न राज्यों के करीब 50 शहरों को उनके हाथों पुरस्कार मिला। वैसे भी विज्ञान भवन में आज छत्तीसगढ़ ही छाया हुआ था। सबसे स्वच्छ राज्य के साथ ही कई केटेगरी में उसके शहरों को प्रथम स्थान मिला था। उपर से छत्तीसगढ़ के मुखिया ने न केवल पुरस्कार ग्रहण किया बल्कि दूसरों को प्रदान भी किया।  

नींद खराब

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कार्तिक पूर्णिमा के दिन हर बार की तरह इस बार भी सुबह साढ़े चार बजे महादेव घाट पहुंच गए थे। तय कार्यक्रम के अनुसार उनके एडवाइजर प्रदीप शर्मा सुबह चार बजे सीएम हाउस पहुंच गए। सीएम का काफिल जैसे ही चार बजकर दो मिनट पर महादेव घाट के लिए रवाना होने के लिए स्टार्ट हुआ, कई कांग्रेस नेता भी नींद भरी आंखों से भागते हुए सीएम के काफिले में शामिल हो गए। इनमें दो नेता ऐसे थे, जिनकी नौ बजे से पहले सुबह होती नहीं। अब राज्य के मुखिया के साथ महादेव घाट में डूबकी लगाते फोटो फ्रेम में आना था, सो बेचारे रात आखों में काटी। किसी ने पूछ दिया, अरे आप भी! तो जवाब मिला...क्या बताउं भाई! अपन दाउ थोड़े ही हैं...एक बार सो जाते तो फिर सुबह उठ नहीं पाते। सो, टीवी देखते रात निकाल दिए। इसके बाद मीडिया ने मुख्यमंत्री से पूछा, इतना सुबह आप कैसे उठकर स्नान करने आ जाते हैं। मुख्यमंत्री बोले, जब गाड़ी नहीं थी तब भी कार्तिक में 15 दिन पाटन से बैलगाड़ी में सुबह चार बजे महादेव घाट स्नान करने आता था। अब तो रायपुर में हूं, सुविधा भी है।

योग गुरू

ऑल इंडिया सर्विसेज के आफिसर फिटनेस पर खासा ध्यान देते हैं, मगर बिलासपुर आईजी रतन डांगी तो उससे एक कदम आगे निकल गए हैं। अब वे दौरे पर निकलते हैं, तो वहां के पुलिस कर्मियों को योग कराने लगे है। हाल ही की बात है, वे जांजगीर में थे। वहां उन्होंने मैदान में बाबा रामदेव टाईप दरी बिछाकर धुनी जमा दिए। पुलिस अधिकारियों को उन्होंने घंटे भर से ज्यादा योग कराया। 

सुब्रत सीएस क्यों?

डीजीपी बदलते ही मीडिया में चीफ सिकरेट्री बदलने की अटकलें शुरू हो गई है। खबरंे चल रहीं...चीफ सिकरेट्री अमिताभ जैन को एसीएस टू सीएम सुब्रत साहू रिप्लेस करेंगे। सवाल है, अमिताभ को हटाया क्यों जाएगा और सुब्रत अभी सीएस बनना क्यों चाहेंगे। 92 बैच के आईएएस सुब्रत का रिटायरमेंट 2028 में है। याने अभी करीब-करीब सात साल की सर्विस बाकी है। इतने लंबे समय तक कोई सीएस रहता नहीं। अभी बनने का मतलब है, सर्विस का अंतिम समय राजस्व बोर्ड जैसे बियाबान में गुजरेगा। सरकार से अगर केमेस्ट्री बहुत अच्छी भी हो, तो भी तीनेक साल बाद उल्टी गिनती चालू हो जाती है। पी जाय उम्मेन और विवेक ढांड इसके एग्जाम्पल हैं। सुब्रत क पोस्टिंग भी कोई ऐसी-वैसी नहीं है...सीएम के एसीएस हैं। अमिताभ जैन अगर हिट विकेट नहीं हुए तो जाहिर है 2022 तो पूरा निकाल लेंगे। ऐसी संभावना है, सीएस के तौर पर तीनेक साल पूरे करने के बाद वे भारत सरकार चले जाएं। उनका रिटायरमेंट 2025 में है। तब जाकर भले ही कुछ हो। मगर अभी ऐसा कुछ होना प्रतीत नहीं होता।   

गरियाबंद में एसएसपी 

2008 बैच के जिन पांच आईपीएस अधिकारियों को सलेक्शन ग्रेड मिला है, उनमें पारुल माथुर और प्रशांत अग्रवाल भी शामिल हैं। पारुल गरियाबंद और प्रशांत रायपुर के पुलिस अधीक्षक हैं। सलेक्शन ग्रेड का मतलब अब ये दोनों एसपी से एसएसपी हो गए। याने अब गरियाबंद में भी एसएसपी होगा। आमतौर पर बड़े जिलों में एसएसपी की पोस्टिंग की जाती है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद अजीत जोगी सरकार ने पहली बार मुकेश गुप्ता को रायपुर का एसएसपी बनाया था। मुकेश के बाद रमन सिंह सरकार में डीएम अवस्थी और अशोक जुनेजा एसएसपी बनें। इसके बाद तो फिर कई नाम जुड़ गए। हालांकि, बालोद जैसे छोटे जिले में 2007 बैच के आईपीएस जीतेंद्र मीणा एसएसपी रहे। उसके बाद उन्हें बड़ जम्प मिला और वे फिलवक्त जगदलपुर के एसएसपी हैं। तो क्या इसे समझा जाए...पारुल को भी कोई बड़ा जिला मिलेगा?

छूट गई प्रमोशन की ट्रेन

2008 बैच के छह में से पांच आईपीएस अफसरों को प्रमोशन के साथ सलेक्शन ग्रेड मिल गया। मगर राजनांदगांव के एसपी श्रवण गर्ग का नाम छूट गया। बताते हैं, श्रवण का एसीआर नहीं पहंुच पाया। ये भी अजब है....11 महीने लेट प्रमोशन हो और किसी एसपी का एसीआर छूट जाए। ताज्जुब है, एसपी होने के बाद भी वे अपने एसीआर का ध्यान नहीं रख पाए। गृह विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, एसीआर आएगा, तो उन्हें प्रमोशन मिल जाएगा।

सिकरेट्री सड़क पर 

राज्य की सड़कों की स्थिति जानने पीडब्लडी सिकरेट्री सिद्धार्थ परदेशी सड़क मार्ग से कटघोरा होते हुए अंबिकापुर गए। वहां से फिर पत्थलगांव होते जशपुर भी। उनके साथ ईएनसी समेत पूरा अमला था। अभी तक पीडब्लूडी के मीटिंग के लिए मैदानी अधिकारियों को रायपुर बुला लेते थे और अगर जशपुर, पत्थलगांव तरफ जाना भी हुआ तो सराईपाली, उड़ीसा होते हुए जशपुर जाते थे। मगर इस बार सिकरेट्री साथ में थे, इसलिए मजबूरी में ही सही अफसरों को पत्थलगांव इलाके की जर्जर सड़कों को नापना पड़ा।  

अंत में दो सवाल आपसे


1. क्या आईएफएस संजय शुक्ला का कुछ और अच्छा होने वाला है?

2. मुख्यमंत्री ने एसपी साहबों को टाईट कर दिया है, क्या कलेक्टरों के साथ भी ऐसा कुछ होगा?

शनिवार, 13 नवंबर 2021

सीएस-डीजीपी की जोड़ी

 संजय के दीक्षित

तरकश, 14 नवंबर 2021

रायपुर में कलेक्टर और एसएसपी रहने के दौरान आरपी मंडल और अशोक जुनेजा की जोड़ी बड़ी चर्चित रही...उन्हें जय-बीरु कहा जाता था। वक्त का पहिया घूमा...जय चीफ सिकरेट्री बन गए मगर उन्हें ये कसक रह गई...काश! वे और बीरु एक साथ सीएस और डीजीपी होते। चलिये देर से ही सही जुनेजा भी डीजीपी बन गए। उनकी पोस्टिंग के साथ ही चीफ सिकरेट्री के साथ उनकी अनूठी जोड़ी बन गई है। पहला, दोनों एक ही बैच के हैं। अमिताभ जैन 89 बैच के हैं और जुनेजा भी। दूसरा, अमिताभ और अशोक दोनों मेष राशि वाले हैं, दोनों का नाम अ से शुरू होता है। और तीसरा, जो बिरले हीे होते हैं....छत्तीसगढ़ में कभी नहीं हुआ, मध्यप्रदेश में भी किसी को याद नहीं। अमिताभ और अशोक 97 में मध्यप्रदेश के राजगढ़ में कलेक्टर और एसपी रह चुके हैं। और अब सीएस और डीजीपी। जाहिर है, दोनों में ट्यनिंग भी अच्छी है।  

कमजोर बॉल पर छक्का

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रेस कांफ्रेंस कर धान खरीदी में लेटलतीफी को देखते सरकार से किसानों को धान का रेट 28 सौ रुपए क्विंटल देने की मांग की। लेकिन, ये मामला उल्टा पड़ गया। मुख्यमंत्री ने धरम के बॉल लांग ऑन पर छक्का जड़ दिया। उन्होंने 28 सौ का ऐलान ही नहीं किया बल्कि कैलकुलेशन भी बता दिया कि चुनाव आते-आते किस तरह छत्तीसगढ़ के किसानों को धान का रेट 28 सौ मिलने लगेगा। बीजेपी सरकार में 18 सौ में धान खरीदती थी। अब अगर हजार रुपए ज्यादा मिलेगा तो समझा जा सकता है क्या होगा? बीजेपी को बैट्समैन को देखते बॉल फेंकना चाहिए।

डीजीपी की बिदाई!

अशोक जुनेजा से पहिले छत्तीसगढ़ में 10 डीजीपी हुए। उनमें से सिर्फ चार ही डीजीपी किस्मती रहे, जो पुलिस प्रमुख की कुर्सी से बिदा हुए। बाकी को किन्हीं-न-किन्हीं वजहों से बीच में ही रुखसत होना पड़ा। टेन्योर पूरा न करने वालों में पहला नाम छत्तीसगढ़ के पहले डीजीपी श्रीमोहन शुक्ला का है। उन्हें कार्यकाल पूरा होने से पहले अजीत जोगी ने हटाकर पीएससी का फर्स्ट चेयरमैन अपाइंट कर दिया था। उनके बाद वीके दास अपना टेन्योर कंप्लीट कर पाए मगर अशोक दरबारी के साथ भी ऐसा ही हुआ। उन्हें रमन सिंह ने रिटायरमेंट से पहले पीएससी की कमान सौंप दी। दरबारी के बाद डीजी बनें ओपी राठौर का एक कार्यक्रम में भाषण देते समय दिल का दौरा पड़ने से नहीं रहे। सबसे बूरा हुआ सबसे ताकतवर डीजीपी विश्वरंजन का। दो साल तक तो उनका जलजला सबने देखा। लेकिन, बाद में रमन सरकार इस तरह खफा हुई कि वे बेटी से मिलने अहमदाबाद जा रहे थे....अहमदाबाद एयरपोर्ट पर फ्लाइट से जैसे ही वे उतरे चीफ सिकरेर्ट्री पी जाय उम्मेन ने उन्हें फोन कर बताया कि सरकार ने आपको हटाकर अनिल नवानी को डीजीपी बना दिया है। उनके बाद दिसंबर 2018 में जब सरकार बदली तो डीजीपी एएन उपध्याय को हटाकर हाउसिंग कारपोरेशन भेज दिया गया। और अब डीएम अवस्थी रिटायरमेंट से करीब डेढ़ साल पहले डीजी पद से बिदा हो गए। बहरहाल, वीके दास, आरएलएस यादव, नवानी और रामनिवास...ये चार ही आईपीएस ऐसे हुए छत्तीसगढ़ में, जो डीजीपी की कुर्सी से रिटायर हुए। 

आईजी, एसपी रोड पर

सरकार चाहे तो कुछ भी संभव है और पुलिस चाहे तो परिंदा पर नहीं मार सकता.... मुख्यमंत्री के पुलिसिंग पर तीखे तेवर के बाद ये साफ हो गया है। आईजी और एसपी वातानुकूलित कमरों से निकलकर रोड पर कुर्सी-टेबल लगाए बैठे दिख रहे हैं। ऐसा दृश्य छत्तीसगढ़़ में कभी दिखा नहीं। रायपुर पुलिस ने एक ही दिन में तीन कमरों में भरा 60 लाख का हुक्का सामग्री पकड़ लिया। दूसरे जिलों में भी ऐसी ही दबिश दी जा रही। मगर ये दो-चार दिन दिखावे के लिए नहीं होनी चाहिए। अगर ये कंटीन्यू कर गया तो निश्चित तौर पर क्राइम पर अंकुश लगेगा। वैसे भी पुलिस चाह ले तो 70 परसेंट अपराध कम हो जाएं। आखिर, हम सभी बचपन से सुनते आएं हैं...पुलिस को सब पता होता है। बस सीएम को महीने-दो महीने में एक बार रिव्यू कर अपना तेवर दिखाते रहना होगा। 

22 दिन में दूसरा फंक्शन

कोरोना के बाद आईएएस एसोसियेशन एक्शन में आ गया है। 21 अक्टूबर को कलेक्टर कांफ्रेंस के बाद होटल सयाजी में बड़ी पार्टी हुई और अब 13 नवंबर को 21 रिटायर आईएएस अफसरों का फेयरवेल देने के साथ ही दिवाली मिलन किया जा रहा है। याने 22 दिन में दूसरी पार्टी। हालांकि, आज की पार्टी में अफसरों को 21 अक्टूबर वाला सेलिब्रेशन का आनंद नहीं आएगा। इसमें सिर्फ डिनर होगा क्योंकि, आज के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रहेंगे।  

स्पीकर खफा

एक सीनियर मंत्री के ढीले-ढाले रवैये से विधानसभा अध्यक्ष इतने नाराज हैं कि एक रोज उनके मुंह से निकल गया...अब मैं कभी कोई काम नहीं बोलूंगा। उनके एक बेहद करीबी बताते हैं, मंत्री को किसी काम के लिए भैया ने तीन महीने में तीन बार रिमाइंड किया। उसके बाद भी आदेश नहीं निकला। 

ऐसे भी स्पीकर

छत्तीसगढ़ बनने के बाद दबंग कांर्ग्रेस नेता राजेंद्र प्रसाद शुक्ल विधानसभा के स्पीकर बनाए गए थे। एक बार उनके कोटा निर्वाचन क्षेत्र में उपद्रव के बाद कर्फ्यू


लग गया। पुलिस ने लोगों पर जमकर लाठियां भांजी। शुक्लाजी ने एसपी को फोन किया। उसके बाद भी पुलिस की कार्रवाई नहीं रुकी। इसके बाद उन्होंने तेवर दिखाया...वे मैसेज कराए, पुलिस अगर अब भी नहीं रुकी तो विधानसभा में सिस्टम को नंगा कर दूंगा। उनके मैसेज का असर यह हुआ कि तत्कालीन गृह मंत्री नंदकुमार पटेल भागते हुए शुक्लाजी के बंगले पहुंचे....खेद जताया। सीएम ने भी तब के एसपी को फटकार लगाई। तब जाकर मामला शांत हुआ।                         

अंत में दो सवाल आपसे

1. इस बात में कितन सत्यता है कि डीजीपी की कुर्सी जाने में उद्योगपति सोमानी अपहरण कांड में पुलिस टीम को इंक्रीमेंट न मिलना भी एक वजह रही?

2.राज्यपाल ने सबको चौंकाते हुए झीरम कांड की न्यायिक जांच रिपोर्ट सरकार को कैसे भेज दी?

शनिवार, 6 नवंबर 2021

हिमाचली टोपी

 तरकश, 7 नवंबर 2021

संजय के दीक्षित

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधानी के चुनिंदा संपादकों और पत्रकारों को दिवाली मिलन पर आमंत्रित किया था। सीएम हिमाचली टोपी पहनकर पत्रकारों के बीच पहुंचे तो लगा पत्रकारों के बीच खुसुर-पुसुर होने...क्या बात है पूर्व सीएम भी ऐसे समय में हिमाचल के टोपी पहनते थे और वर्तमान भी...दोनों को आखिर टोपी देने वाला आदमी जरूर कोई एक होगा। इस दौरान एक टेबल पर पत्रकारों के बीच जब मुख्यमत्री पहुंचे तो हास-परिहास के अंदाज में इस पर सवाल हो गया। मुख्यमंत्री ने भी उत्सुकता शांत कर दी। उन्होंने बताया कि हिमाचल के चुनाव प्रचार में गए थे, तो वहां कार्यक्रम में लोगों ने हिमाचली टोपी पहनाई तो उसे लेते आए कि यहां पहनना पड़ेगा। उन्होंने ये भी बताया कि उनके बड़े पिताजी के निधन की सूचना मिलने पर वे कैसे कार्यक्रम निरस्त कर वापिस लौटना तय कर लिए थे।   

एक्सटेंशन 

एक्स चीफ सिकरेट्री सुनील कुजूर को रिटायर होने के बाद रांज्य सरकार ने 2019 में सहकारिता निर्वाचन आयुक्त की पोस्टिंग दी थी। निर्धारित दो साल का कार्यकाल पूरे हो जाने पर पता चला है, सरकार ने उनके आदेश को रिनीवल कर दिया है। याने कुजूर अब इस पद पर आगे भी कंटीन्यू करेंगे। पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग में कुजूर पहले रिटायर नौकरशाह होंगे, जिन्हें एक्सटेंशन मिला है।

 ट्रांसफर लिस्ट


दिवाली के बाद अब कलेक्टर, एसपी की धड़कनें फिर बढ़ने लगी है। दरअसल, कलेक्टर, एसपी कांफ्रेंस के बाद चर्चा थी कि एक लिस्ट निकलेगी। मगर दिवाली को देखते सरकार ने इसे टाल दिया था। अब चूकि दिवाली निकल गई है लिहाजा टांसफर की अटकलें फिर शुरू हो गई है। खबर है, तीन-चार जिलों के कलेक्टर इधर-से-उधर हो सकते हैं। तो वहीं दो-तीन एसपी भी बदले जा सकते हैं। लेकिन, जब लिस्ट निकलेगी तब इसकी वास्तविक संख्या पता चल पाएगी। क्योंकि, कई बार ऐसा देखा गया है कि लिस्ट निकलते-निकलते चेन की साइज बढ़ गई। बहरहाल, जब तक लिस्ट नहीं आएगी, कलेक्टर, एसपी की बेचैनी बनी रहेगी।   

जय-बीरू

मुख्यमंत्री ने कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस में इस बात पर खास जोर दिया था कि कलेक्टर्स, एसपी में बेहतर कोआर्डिनेशन हो और महीने में कम-से-कम जिले का एक दौरा वे साथ करें। इसके बाद लगता है, कुछ कलेक्टरं, एसपी पर इसका असर पड़ा है। हाल की बात है, एक एसपी मुश्किल में फंसे तो उस जिले के कलेक्टर ने हर वो प्रयास किया, जिससे मामला एसपी के खिलाफ न जाए। ठीक भी है। वैसे पहले कोआर्डिनेशन होता भी था। कलेक्टर, एसपी मुख्यालय से बाहर अगर जाते थे, तो एक साथ। ये सिर्फ छत्तीसगढ़ और अनडिवाइडेड मध्यप्रदेश की बात नहीं, पूरे देश में ऐसा होता था। आरपी मंडल और अशोक जुनेजा जब रायपुर के कलेक्टर, एसएसपी रहे तब उनमंें ऐसी ट्यनिंग थी कि उन्हें जय-बीरू की जोड़ी कही जाती थी। 

कुत्ते की खोज

छत्तीसगढ़ के एक एनजीओ ने वन मुख्यालय में एक प्रपोजल दिया है। प्रपोजल का सब्जेक्ट दिलचस्प है....हैरान भी कर सकता है। बिलासपुर जिले के अचानकमार टाईगर रिजर्व में कुत्तों की सेहत को लेकर एनजीओ चिंतित है। वह एक स्टडी करना चाहता है कि कुत्तों को अचानकमार में खाने-पीने को मिल रहा या नहीं। इसके लिए सरकार से 25 लाख रुपए मांगा गया है। अब देखना है, वन विभाग इस पर क्या फैसला लेता है। 

झीरम की रिपोर्ट

जस्टिस प्रशांत मिश्रा एकल जांच आयोग ने जीरम नक्सली हमले की रिपोर्ट राज्यपाल अनसुईया उइके को सौंप दी है। आयोग की तरफ से हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने राजभवन में राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी। राज्यपाल अब रिपोर्ट को आगे की कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को भेजेगी। वैसे समझा जाता है, जस्टिस प्रशांत मिश्रा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बन गए हैं। इसलिए चीफ सिकरेट्री की बजाए रजिस्ट्रार जनरल ने राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी होगी। वैसे भी, सरकार का संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल होता है।

अंत में दो सवाल आपसे

1 पुलिस जुआ से जितनी राशि बरामद करती है, वास्तविक फिगर उससे कितने गुणा अधिक रहता होगा?

क्या छत्तीसगढ़ भाजपा में भी पिछडे वर्ग का वर्चस्व बढ़ रहा है?