शनिवार, 25 अक्तूबर 2014

तरकश, 26 अक्टूबर


तरकश


फिर वही चूक

सरगुजा संभाग में पोस्टेड एक कलेक्टर ने फिर वही चूक की, जो उन्होंने बस्तर में करके रमन सरकार को संकट में डाल दिया था। साउथ से आए मित्रों एवं एनजीओ के कुछ लोगों को साथ लेकर कलेक्टर साब पिछले रविवार को जंगल गए थे। रात में जंगल में जमकर मंगल हुआ। इस दौरान पैर फिसलकर खाई में गिरने से उनके साइंसटिस्ट मित्र की मौत हो गई। घटना की किसी को भनक न लगे, इसलिए सरकारी मशनरी ने रातोरात पोस्टमार्टम कराकर शव को हवाई जहाज से उसके गृह नगर भेज दिया। बहरहाल, कलेक्टर साब अपनी मित्र मंडली के साथ जिस जगह पिकनिक मनाने गए थे, वह है तो मनोरम मगर बेहद दुगर्म भी। वहां नक्सलियों का मूवमेंट है। साथ में कोई गनमैन भी नहीं था। कलेक्टर की लापरवाही से पुलिस के आला अफसरान बेहद नाराज है। इससे पहले, बस्तर में उनकी सुरक्षा में तैनात जवान मारा गया था और यह बात सभी को मालूम है कि सरकार को उनके लिए कितने पापड़ बेलने पड़े थे, तब जाकर माओवादियों ने उन पर रहम की थी। मगर फिर वहीं चूक।

मोदी के मंत्री

मोदी के मंत्री होम वर्क करके दौरे पर निकलते हैं, इसकी एक झलक केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के पिछले हफ्ते रायपुर विजिट में देखने को मिली। मौका था, क्षेत्रीय कृषि विकास समिति की बैठक का। कार्यक्रम में सीएम के साथ राज्य के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल भी थे। अग्रवाल ने अपने भाषण में राज्य में कृषि विज्ञान केंद्र की कमी बताते हुए इसे 17 से बढ़ाकर 27 करने की मांग की। यानी सभी जिलों में। राधामोहन की जब बोलने की बारी आई तो उन्होंने कहा, आपके राज्य में 17 कृषि विज्ञान केंद हैं। एक केंद्र में दो ट्रैक्टर, दो जीप और दो मोटरसायकिल होना चाहिए। आपके पांच केंद्र ऐसे हैं, जहां एक भी वाहन नहीं है। ऐेसे में केंद्र की संख्या बढ़ाकर आप क्या करेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री से राज्य के विज्ञान केंद्रों की दयनीय स्थिति सुनकर विभाग के अफसर सकपका गए। मंच पर बैठे वीआईपी भी स्तब्ध थे। राधामोहन ने रायपुर दौरे से पहले यहां से डिटेल मंगाकर उसका अध्ययन किया था। कृषि विभाग के संसाधनों की भी उन्हें पूरी जानकारी थी। केंद्रीय मंत्री के दौरे के बाद अफसर कोस रहे हैं, इससे बढि़यां तो मनमोहन के मंत्री थे, हमेशा तारीफ करके जाते थे।

बुरे दिन आयो रे

राज्यों को केंद्र से बजट मिलना अब आसान नहीं होगा। और, ना ही प्रोेजेक्ट की झटपट मंजूरी। अब एक्सपर्ट कमेटी देखेगी कि संबंधित योजना की राज्य को कितनी जरूरत है। राज्यों से प्रपोजल जाने के बाद सबसे पहले उसकी स्टडी की जाएगी। प्रपोजल ठीक लगा तो एक्सपर्ट्स टीम राज्यों में भेजी जाएगी। टीम की रिपोर्ट के बाद ही बजट अलाट किया जाएगा। इससे पहले राज्यों के अफसर दिल्ली में जुगाड़ फिट कर करोड़ों का बजट स्वीकृत करा लाते थे। फिर, होता था, ये तो भारत सरकार का पैसा है……खाओ, पीओ, मौज करो। मगर अब अच्छे दिन चले गए।

पहली बार

लगता है, आईपीएस मयंक श्रीवास्तव के बुरे दौर अभी खतम नहीं हुए हैं। जीरम नक्सली हमले में वे पुलिस महकमे के अंदरुनी राजनीति के शिकार हो गए। बड़ी मुश्किल से उनका निलंबन बहाल हुआ। अब, उन्हें राजभवन में एडीसी पोस्ट किया गया है। वे पहले ऐसे आईपीएस होंगे, जो दो जिले के एसपी रहने के बाद राजभवन भेजे गए हैं। अभी तक एडिशनल एसपी रैंक के आईपीएस ही एडीसी बनते थे। राजभवन से ही एसपी बनकर वे जिलों में जाते थे। दिपांशु काबरा से लेकर विवेकानंद, राहुल शर्मा सबके साथ ऐसा ही हुआ।

राउत और अमिताभ

86 बैच के आईएएस डा0 आलोक शुक्ला और सुनिल कुजूर एक महीने की ट्रेनिंग पर रवाना हो गए हैं। शुक्ला का हेल्थ और फूड एमके राउत और कुजूर का राजभवन अमिताभ जैन देखेंगे।

पीएम नहीं

व्यस्तता की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्योत्सव में रायपुर नहीं आ पाएंगे। सरकार ने उनसे आग्रह किया था मगर उन्होंने असमर्थता जता दी है। इसके बाद सरकार ने बेहद सादे ढंग से राज्योत्सव मनाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह अब उद्घाटन समारोह के चीफ गेस्ट होंगे और राज्यपाल समापन समारोह के। वैसे भी खजाने की स्थिति को देखते सरकार ने पहले से ही सादगी के साथ राज्योत्सव मनाने का फैसला किया था। इस बार बाहर से किसी कलाकार को नहीं बुलाया जा रहा है। सात दिन की बजाए अबकी तीन दिन राज्योत्सव होगा।

14 साल में बर्थडे?

कैबिनेट ने भले ही प्रधानमंत्री को राज्योत्सव में बुलाने का निर्णय लिया था मगर सूबे के ब्यूरोके्रट्स इस पक्ष में नहीं हैं कि राज्योत्सव पर अब धूमधड़ाका किया जाए। बताते हैं, राज्योत्सव की तैयारी के लिए मंत्रालय में हुई शीर्ष स्तर की मीटिंग में एक आला अधिकारी ने चुटकी ली, छोटे बच्चों का बर्थडे मनाया जाता है। 14 साल के बच्चे का नहीं। फिर, 14 साल के छत्तीसगढ़ का जन्मोत्सव क्यों? तेलांगना को अब बर्थडे मनाने का मौका देना चाहिए। इसे बाकी अफसरों ने भी सपोर्ट किया।

नया प्रयोग

अभी तक एडिशनल कलेक्टर स्तर तक के अफसर ही जिला पंचायत के सीईओ बनाए जाते थे। जिला पंचायत के बाद आईएएस कलेक्टर बनकर जिला में जाते थे। पहली दफा एसडीएम लेवल के अफसरों को सीईओ की कमान सौंपी जा रही है। इस महीने तीन आईएएस को एसडीएम के साथ ही, सीईओ बनाया गया है। सर्वेश नरेंद्र को बिलासपुर, नीलेश कुमार को रायगढ़ और चंदन कुमार को कांकेर का एसडीएम के साथ सीईओ पोस्ट किया गया है। देखना होगा, यह एक्सपेरिमेंट कितना कारगर होता है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. मंत्रालय के एक ऐसे विभाग का नाम बताइये, जिसके सिकरेट्री और ज्वाइंट सिकरेट्री का नाम और हुलिया एक जैसा है?
2. मंत्रालय में एसीएस लेवल के किन दो अफसरों में इन दिनों ठन गई है?

रविवार, 5 अक्तूबर 2014

तरकश, 4 अक्टूबर


तरकश

 

नाग पर नाग

कांग्रेस नेताओं के प्रताप से हाल ही में रिकार्ड मतों से विधायक चुने गए भोजराज नाग पर अंतागढ़ में विजयदशमी की पूजा के दौरान नाग देवता सवार हो गए। वे लगे जोर-जोर से झूमने। नाग देवता से आर्शीवाद लेने पास-पड़ोस के गांवों के लोगों का तांता लग गया। भोजराज अंतागढ़ शीतला मंदिर के पुजारी हैं। इसके अलावा वे इलाके में झाड़-फूंक के नाम से भी उनकी लोकप्रियता है। चलिये, बढियां हैं। राजधानी के भाजपा नेताओं को कोई दिक्कत होगी तो विधायकजी सेवा के लिए तैयार मिलेंगे। कांग्रेसियों को भी इससे परहेज नहीं होगा। विधायकजी पर तो उनका बड़ा कर्ज है।

मंत्रिमंडल का पुनर्गठन

मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह 8 अक्टूबर से मंत्रियों की क्लास लेने जा रहे हैं। इसके तहत अलग-अलग विभागों के मंत्रियों और अफसरों को तलब किया जाएगा। मोदी के तर्ज पर पूछा जाएगा कि तीसरी पारी में 11 महीने में वे क्या किए हैं और आगे क्या ब्लू प्रिंट तैयार किए हैं। पता चला है, मंत्रियों के परफारमेंस के आधार पर रिपोर्ट कार्ड बनाए जाएंगे। अंदर से निकल कर आ रही खबरों की मानें तो महाराष्ट्र और हरियाणा में इस महीने चुनाव के बाद रमन कैबिनेट का पुनर्गठन हो सकता है। इसमें दो खाली सीटों को भरा जाएगा। साथ ही, रिपोर्ट कार्ड ठीक ना होने पर कुछ मंत्रियों को बदलने पर भी विचार किया जा सकता है।

वीआईपी झाडू

वीआईपी का हर चीज स्पेशल होता है। जाहिर है, वह अगर झाडू लगाएगा तो वह भी खास ही होगा। गांधी जयंती के दिन राजधानी में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। नेताओं को झुकना न पड़े, इसलिए स्पेशल आर्डर देकर झाड़ू बनवाए गए थे। मगर उसके वीआईपीकरण में गड़बड़ हो गया। झाडू की लंबाई काफी बढ़ गई। आमतौर पर स्वीपर जो झाडू का इस्तेमाल करते हैं, वे चार से पांच फुट के होते हैं…..तीन फुट का झाडू और दो फुट का डंडा। लेकिन वीआईपी झाडू बन गया आठ से नौ फुट का। स्थिति यह थी कि झाडू का डंडा छहफुटिया नेताओं के सिर से भी दो फुट उपर निकल जा रहा था। वीआईपीज मुद्दत बाद झाडू थामे थे। वह भी अनकंफार्ट। सो, चेहरे की परेशानी समझी जा रही थी।

अपना लंबू

वालीवूड के लंबू को न्यू रायपुर दिखाने के लिए सरकार ने अपने लंबू को चुना। अपने लंबू बोले तो एसएस बजाज। एनआडीए के वाइस प्रेसिडेंट। बजाज की लंबाई छह फुट छह इंच है। और, अमिताभ की छह फुट दो इंच। बजाज को अपने से लंबे देखकर अमिताभ भी चैंक गए। बहरहाल, दोनों की जोड़ी खूब जमी। होटल से लेकर न्यू रायपुर के भ्रमण और उसके बाद एयरपोर्ट तक 45 मिनट दोनों साथ रहे। अमिताभ ने बजाज से आत्मीय बातें की। बजाज भी चकित थे कि वालीवूड का शहंशाह इतना विनम्र हो सकता है।

संयोग या…..

इसे संयोग कहा जाए या पब्लिसिटी का स्टंट, रविवार को जिस इंडोर स्टेडियम में केबीसी शो आयोजित किया गया था, उसके जस्ट बगल में एक टाकिज में सात हिन्दुस्तानी फिल्म लगी थी। टाकिज में लगे बडे़-बड़े पोस्टर सबका ध्यान खींच रहे थे। बिग बी उसी रास्ते से छह बार गुजरे। सात हिन्दुस्तानी अमिताभ की पहली पिक्चर थी। जाहिर है, अमिताभ को यह अच्छा लगा होगा।

खातिरदारी

कहते हैं, खाकी बर्दी वालों से कभी पंगा नहीं लेना चाहिए। केबीसी के बाउंसरों ने रायपुर में यही भूल की। शो के समय कई लोगों से हाथापाई कर डाली। अफसरों के साथ दुव्र्यवहार हुआ। पुलिस वालों को भी नहीं छोड़ा गया। इसके बाद बारी पुलिस की थी। राजधानी पुलिस ने चार बाउंसरों को न केवल अरेस्ट किया बल्कि पुलिसिया अंदाज में जमकर आवभगत की गई। बताते हैं, खातिरदारी के लिए हट्टे-कठ्ठे एक-एक बाउंसर के लिए चार-चार पुलिस वाले लगाए गए। इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि मुलाहिजा में खातिरदारी के कहीं साक्ष्य न आ जाए।

गलत परंपरा

इंटरटेनमेंट और स्पोट्र्स इवेंट अगर मंत्रालय लेवल पर हैंडिल किया जाएगा तो उसका हश्र वही हुआ, जो केबीसी के आखिर में हुआ। सीएम ने अपने स्तर पर प्रयास कर केबीसी को यहां आयोजित कराया….सूरत के बाद रायपुर देश का दूसरा शहर रहा, जहां केबीसी का आयोजन हुआ……वालीवूड के शहंशाह दो दिन तक रायपुर में रुके। उन्होंने सूबे के टूरिज्म का प्रचार करने के लिए अपनी आवाज देने की भी पेशकश की। लेकिन, स्टेडियम में तालाबंदी, महापौर का रवैया, आयोजकों और उसके बाउंसरों द्वारा लोगों के साथ किए गए बरताव ने मजा किरकिरा कर दिया। असल में केबीसी के लिए हाईप्रोफाइल मीटिंग मंत्रालय में हुई थी। और, उसके बाद ही आयोजकों का दिमाग खराब हुआ। लोकल सिस्टम को इगनोर करना शुरू कर दिया। स्टेडियम का पैसा देने से भी कतराने लगे। यही चूक नेशनल बाक्सिंग चैम्पिनशीप में भी हो रहा है। इसके लिए भी मंत्रालय में बैठक हुई है। ये दोनों आयोजन ऐसे नहीं हैं, जिसकी तैयारी की समीक्षा मंत्रालय स्तर पर हो।

फिजूलखर्ची नहीं

रायपुरियंस को यह जानकर निराशा हो सकती है कि राज्योत्सव में अबकी वालीवूड कलाकारों के ठुमके देखने को नहीं मिलेंगे। सरकार ने फिजूलखर्ची रोकने इस बार राज्योत्सव में बाहरी कलाकारों को बुलाने पर रोक लगा दी है। संस्कृति विभाग से स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि राज्योत्सव में सिर्फ और सिर्फ लोकल कलाकारों को मौका दिया जाए। खर्च पर लगाम लगाने के लिए ही इस बार राज्योत्सव को सात दिन से घटाकर तीन दिन किया गया है। वैसे, सरकार ने करीना कपूर विवाद से भी सबक लिया है। पिछले बार 10 मिनट के लिए मंच पर आने के लिए करीना ने एक करोड़ 10 लाख रुपए ली थी। बाहरी कलाकारों पर ही संस्कृति विभाग ने पांच करोड़ से अधिक रुपए लूटा दिए थे। बहरहाल, फिजूलखर्ची रोकने सरकार का यह सही फैसला माना जा रहा है।