रविवार, 24 जून 2018

लाॅबिंग

संजय दीक्षित
24 जून
तेज रफ्तार से हुए घटनाक्रम में एसीएस होम वीबीआर सुब्रमणियम को भारत सरकार ने रातोंरात डेपुटेशन पर जम्मू-कश्मीर भेज दिया। उन्हेें वहां का चीफ सिकरेट्री भी अपाइंट कर दिया गया है। बताते हैं, 21 जून को देर शाम इस संबंध में पीएमओ से छत्तीसगढ़ के चीफ सिकरेट्री को फोन आया। सीएस ने सीएम को बताया। सरकार ने हरी झंडी देने में देर नहीं लगाई। यहां से ओके होते ही रात 9.35 बजे दिल्ली से डेपुटेशन का आर्डर सीएम हाउस पहुंच गया। 22 की सुबह जब यह खबर वायरल हुई तो लोग आवाक रह गए। खुद ब्यूरोक्रेसी भी दंग थी….आखिर ये चकरी घुमी कैसे? जाहिर है, 14 साल के डेपुटेशन से 2015 मंे लौटे सुब्रमणियम की स्थिति छत्तीसगढ़ में कितनी मजबूत थी, ये बताने की जरूरत नहीं। लेकिन, छह साल वे पीएमओ में रहे हैं। कंटेक्ट तो उनके थे ही। पीएमओ से उन्हें खबर मिली, जम्मू-कश्मीर के लिए सीएस की तलाश हो रही है। इसके बाद पीएमओ से तार जोड़ी गई। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और आंतरिक सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार की लाॅबी ने हाथ लगाया और भारत सरकार ने सुब्रमणियम के नाम को हरी झंडी दे दी। चलिये, गवर्नर रुल में वे कश्मीर के सीएस बन गए, वरना छत्तीसगढ़ में क्या भरोसा था। कांग्रेस की सरकार बनने पर ही कुछ हो सकता था।

आईपीएस की लाटरी

91 बैच के आईपीएस टीजे लांगकुमेर नागालैंड के डीजीपी बनेंगे। नागालैंड उनका होम कैडर है। वहां जाने के लिए वे लंबे समय से प्रयासरत थे। लेकिन, उन्हें उपर वाले ने दिया तो छप्पड़ फाड़कर। लांग कुमेर को भारत सरकार ने इंटर स्टेट कैडर ट्रांसफर की मंजूरी दी ही, नागालैंड मे उन्हें डीजीपी की कुर्सी मिलने जा रही है। जबकि, छत्तीसगढ़ में उनसे सीनियर अफसर अभी डीजी बनने के लिए इंतजार कर रहे हैं। एडीजी संजय पिल्ले, आरके विज और मुकेश गुप्ता लांग कुमेर से तीन साल सीनियर हैं। इनमें से किसी को नहीं पता कि उनका प्रमोशन कब हो पाएगा। 86 बैैच के आईपीएस डीएम अवस्थी कब से डीजीपी के वेटिंग में हैं, लेकिन उनकी वेटिंग क्लियर नहीं हो पा रही। और, जूनियर डीजीपी हो गया। सीनियर अफसरों को तो अखरेगा ही।

दिल्ली भी वैसी ही

ब्यूरोक्र्रेसी में सभी जगह एक ही आलम है….एक ही तरह के लोग बैठे हैं। वरना, आईपीएस लांग कुमेर को नागालैंड जाने के लिए भारत सरकार से परमिशन कैसे मिलता। डीआईजी केसी अग्रवाल और एएम जुरी को भारत सरकार ने फोर्सली रिटायर किया था, उस समय लांग कुमेर का नाम वाॅच लिस्ट में था। भारत सरकार ने डीजीपी एएन उपाध्याय को वाॅच करने का निर्देश दिया था। उसी अफसर को केंद्र ने नागालैंड जाने की इजाजत दे दी। ये भर्राशाही नहीं है तो क्या है।

मध्यप्रदेश से आगे

छत्तीसगढ़ आईएएस, आईपीएस के प्रमोशन में मध्यप्रदेश से आगे हो गया है। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय रायपुर नगर निगम के कमिश्नर रहे 87 बैच के आईएएस मनोज श्रीवास्तव को दो दिन पहले वहां एडिशनल चीफ सिकरेट्री बनाया गया है। जबकि, उनके बैच के सीके खेतान, आरपी मंडल और वीबीआर सुब्रमणियम कब से एसीएस बन चुके हैं। इसी तरह कभी रायपुर के एसपी के रूप में चर्चित रहे 85 बैच के आईपीएस संजय राणा को मध्यप्रदेश गवर्नमेंट ने एक जुलाई से डीजी का रैंक दिया है। छत्तीसगढ़ में उनके बैच के डीएम अवस्थी को डीजी बने जमाना हो गया है।

टीम का कमाल 

नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्रियों के सामने पीएम नरेंद्र मोदी ने भिलाई विजिट की इतनी तारीफ कर दी कि दीगर राज्य छत्तीसगढ़ से जानना रहे हैं कि ये कैसे हुआ। 23 को इंदौर में पीएम की सभा के लिए मध्यप्रदेश से अफसरों ने छत्तीसगढ़ से टिप्स लिए। चूकि, सरकार दोनों जगह एक ही पार्टी की है, लिहाजा, सिलसिलेवार बताया गया कि किस तरह पीएम की तैयारियां की गई। दरअसल, पीएम के कार्यक्रमों कोे हिट करना यहां के अफसरों को आ गया है। जंगल सफारी में आए थे तो पीएम के हाथ में शेर की फोटो खींचने के लिए कैमरा पकड़ा दिया गया। शेर की फोटो खींचते उनकी फोटो सुर्खियों में रही। इस बार भिलाई में लघु भारत की ऐसी झांकी बनाई गई कि एसपीजी की मनाही के बाद भी पीएम गाड़ी से उतर गए। बीएसपी के कार्यक्रम में प्रयास के आईआईटी सलेक्ट बच्चों से मिलवाया गया तो सभा में भीड़ ऐसी जुटाई गई कि पीएमओ का भी मानना है, पीएम की पिछले दो साल में देश में ऐसी कोई सभा नहीं हुई। सब टीम रमन का कमाल है। इसे दूसरे राज्य कहां से लाएंगे।

आईएएस के अमिताभ

दिल्ली डेपुटेशन से लौटने के बाद पोस्टिंग के लिए कभी इंतजार करने वाले प्रिंसिपल सिकरेट्री अमिताभ जैन इतने वजनदार हो जाएंगे किसने सोचा होगा। आज वो दो ऐसे विभाग संभाल रहे हैं, जिसे कभी दो अलग-अलग एडिशनल चीफ सिकरेट्री संभालते थे। अमिताभ जैन के पास फायनेंस और कामर्सियल टैक्स तो पहले से था ही सरकार ने गृह विभाग की कमान भी सौंप दी है। एसीएस होम वीबीआर सुब्रमणियम के डेपुटेशन पर जम्म-कश्मीर जाने के बाद गृह विभाग खाली हुआ था। वास्तव में किसी भी राज्य में ये दोनों विभाग बेहद अहम माने जाते हैं। फायनेंस मतलब राज्य के खजाने की चाबी और होम माने सूबे का कानून-व्यवस्था। अमिताभ के पास तो कमर्सियल टैक्स भी है। इससे पहिले डीएस मिश्रा अकेले वित्त संभालते थे। गृह विभाग में भी आरपी बगाई, बीकेएस रे, एसवी प्रभात, एनके असवाल, सुब्रमण्यिम एडिशनल चीफ सिकरेट्री रहे हैं। अमिताभ को प्रमुख सचिव के रूप में ही इतने बड़े दायित्व मिल गए। ऐसे में, उन्हें हैवीवेट आईएएस तो कहा जा सकता है।

आईपीएस का रजनीकांत

आईपीएस उदय किरण फिर चर्चा में हैं। महासमंुद विधायक विमल चोपड़ा की उन्होंने धुनाई कर दी। धरना, प्रदर्शन में मास्टरी हासिल किए विधायकजी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि पुलिस उनकी पिटाई कर सकती है। लेकिन, इस ट्रेनी आईपीएस को पता नहीं हैदराबाद में किसने ट्रेनिंग दे दी है कि कानून की नजर में सब सामान्य है। बिलासपुर में रहे तो मीडिया वालों की ठोकाई कर डाले। डेमोक्रेसी में विधायक, नेता, मीडिया का उन्हें परवाह तो करना चाहिए। इन सब को जब तक वे आम आदमी से उपर नहीं समझेंगे तब तक वे कहीं टिक नहीं पाएंगे। अब देखिए, बिलासपुर में कितना बढ़ियां काम किए थे….अपराधी शहर छोड़कर भाग गए थे और भूमाफिया अंडरग्राउंड। लगा था बिहार के कुंदन कृष्ण जैसा कोई आईपीएस आ गया हो। लेकिन, फिर भी उदय को वहां से उन्हें हटा दिया गया। और, अब महासमुंद से कभी भी हटाया जा सकता है। उदय किरण को बिरादरी के अफसरों से कुछ सीख लेनी चाहिए। यहां आईएएस, आईपीएस एसडीएम और सीएसपी बनते ही शुरू हो जा रहे हैं और वे फालतू के रजनीकांत बनने में लगे हैं। ये सब कुछ काम नहीं आने वाला। काम वही आएगा, जो बाकी अफसर कर रहे हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. आईएएस वीबीआर सुब्रमणियम के डेपुटेशन पर जम्मू-कश्मीर जाने से छत्तीसगढ़ सरकार खुश है दुखी?
2. पुलिस आंदोलन के लिए किसे जिम्मेदार मानना चाहिए?

सोमवार, 18 जून 2018

मोदीमय छत्तीसगढ़!

17 जून
मोदीमय छत्तीसगढ़!
छत्तीसगढ़ में दो महीनेे के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोे विजिट हो गए। अगले दो महीने में एक दौरा और होगा। सरकार की प्लानिंग है, आचार संहिता लागू होने के पहिले प्रधानमंत्री का एक कार्यक्र्रम और हो जाए। इसके लिए मौका भी तलाश लिया गया है। एनटीपीसी का लारा प्लांट बनकर तैयार है। एनटीपीसी प्लांट का उद्घाटन प्रधानमंत्री ही करते हैं। सीपत प्लांट का उद्घाटन करने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आए थे। सीपत संयंत्र की आधारशिला तत्कालीन पीएम अटल बिहारी बाजपेयी ने रखी थी। जाहिर है, लारा एनटीपीसी का कार्यक्रम ऐसा है कि पीएमओ मना नहीं कर सकता। आचार संहिता अक्टूबर फस्र्ट वीक में लगेगा। कोेशिश होगी, सितंबर मध्य में लारा प्लांट का लोकार्पण करने प्रधानमंत्री आएं। बहरहाल, पीएम विजिट कराकर सरकार के पक्ष में वातावरण तैयार करने में सीएम के रणनीतिकारों की भूमिका अहम मानी जा रही है। वरना, दो महीने के भीतर दूसरी बार पीएम किसी राज्य में शायद ही जाते हैं। लेकिन, भिलाई के कार्यक्रम को ऐसा ड्राफ्ट किया गया कि पीएमओ मना नहीं कर सका। और अब एनटीपीसी है। छत्तीसगढ़ मोदीमय होने से बचाने के लिए कांगे्रेेस के समक्ष चुनौती होगी….राहुल गांधी का दौरा और कराए।

मोदी की छत्तीसगढ़ी

भिलाई की सभा में प्रधानमंत्री ने अच्छी छत्तीसगढ़ी बोली….बिना हिचके, बिना देखे….धड़धड़ाते हुए। छत्तीसगढ़ के नेताओं से ज्यादा ठेठ अंदाज में जय जोहार किया। लेकिन, ये ऐसे ही नहीं हुआ। सरकार के अफसर इसको लेकर सतर्क थे कि कहीं पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 राजीव गांधी की सभा जैसी चूक न हो जाए। पुराने लोगों को याद होगा, 86 में राजीव गांधी मई दिवस पर भिलाई आए थे। उन्हें, फीड करने वाले ने गलती कर दी, जिससे वे संबोधन की शुरूआत में नोनी मन, डौकी मन बोल गए थे। महिलाओं को डौकी बोलने पर बाद में काफी क्रिटिसाइज हुआ था। इसीलिए, पीएम मोदी माना एयरपोर्ट पर एयरफोर्स के एमआई-17 हेलिकाप्टर पर सवार हुए तो उन्हें पर्चा थमा दिया गया। अब, मोदी की मेमोरी तो है ही, पूरा बांच दिए।

मुसीबत में एक्टिविस्ट

आरटीआई और कोर्ट-कचहरी के जरिये बड़े-बड़े नेताओं की नींद उड़ाने वाले रायपुर के एक्टिविस्ट मुसीबत में फंस गए हैं। उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव ने रायपुर के एक कालेज में कार्यरत उनकी असिस्टेंट प्रोफेसर पत्नी के खिलाफ अपराध दर्ज कराने के लिए कालेज प्रबंधन को लेटर लिख दिया है। उन पर आरोप है, बिना अनुमति और अवकाश लिए उन्होंने पीएचडी किया। पीएचडी करने के दौरान बाहर रहने पर भी वेतन आहरण किया। विभाग ने इसे गंभीर अनियमितता मानते हुए वेतन की राशि रिकवरी करने के साथ ही उन्हें निलंबित करने के लिए कहा है।

धन और धर्म की लड़ाई

प्रदेश की टाॅप फाइव महंगी विधानसभा सीट पर इस बार धन और धन का नहीं, धर्म और धन की लड़ाई होगी। खबर है, कांग्रेस के राजकमल सिंघानिया कसडोल से शिफ्थ कर रहे हैं। शायद भाटापारा से लड़ेंगे। उनकी जगह पर महंत रामसुंदर दास की कसडोल से टिकिट पक्की कर दी गई है। रामसुंदर दास जैजैपुर से दो बार विधायक रह चुके हैं। पिछला चुनाव वे हार गए थे। दास का मुकाबला विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल से होगा। गौरीशंकर की पिछले छह महीने से तैयारी चल रही है। उधर, पता चला है महंतजी को जोगी कांग्रेस ने भी अश्वस्त कर दिया है, वे कसडोल में उनका सपोर्ट करेंगे। जाहिर है, कसडोल में धन और धर्म का दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा।

सीट पक्की

आईआईटी के लिए भले ही सरकार ने जोर लगाया लेकिन, जाहिर तौर पर इसका फायदा भिलाई से विधायक प्रेमप्रकाश पाण्डेय को मिलेगा। आखिर, भिलाई का नाम आईआइटी के मानचित्र पर दर्ज हो ही गया। पाण्डेय 2008 का चुनाव हार गए थे। इस बार भी उनकी गारंटेड वाली स्थिति नहीं थी। लेकिन, आईआईटी से उनका पोेजिशन काफी मजबूत हो गया है। अब उन्हें गारंटेड जीत वाले तीन-चार मंत्रियों के क्लब में शामिल माना जा सकता है।

रिटायरमेंट के बाद प्रमोशन?

आईएफएस अफसरों के प्रमोशन में आजकल काॅमन हो गया है, डीपीसी के छह महीने, साल भर बाद पोस्टिंग का आर्डर निकलना। पीसीसीएफ एकेे द्विवेदी को फरवरी 2017 में प्रमोशन मिला था। लेकिन, आर्डर मिला इस अप्रैल में। याने एक साल तीन महीने बाद। एडिशनल पीसीसीएफ केसी यादव और कौशलेंद्र सिंह के प्रमोशन के लिए 30 मई को मंत्रालय में डीपीसी हुई। 16 दिन हो गया, अभी तक आर्डर का कुछ पता नहीं है। बताते हैं, वन मंत्री महेश गागड़ा के यहां फाइल पड़ी है। एके द्विवेदी जैसा एक साल तीन महीने वाला फार्मूला इस डीपीसी पर भी लागू हो गया तो समझिए यादवजी गए। उनका अगले साल जून में रिटायरमेंट है। वे प्रमोशन से पहिले रिटायर हो जाएंगे। आईएफएस को जीएडी से अलग करने का यही तो नुकसान है।

सीडी कांड में गिरफ्तारी

प्रदेश की राजनीति को हिला देने वाला सीडी कांड में सीबीआई की तफ्तीश निर्णायक मोड़ पर पहंुच गई है। पीएम मोदी के विजिट के चलते कार्रवाई रुकी हुई थी। पता चला है, सीबीआई कुछ लोगों को जल्द ही तलब करने वाली है। सीबीआई का गिरफ्तारी करने का अंदाज अलग होता है। वोे गिरफ्तारी करने के लिए पुलिस पार्टी नहीं भेजती….वो घर से उठा लाए। सीबीआई पूछताछ के नाम पर बुलाती है। और, फिर बिठा लेती है। लिहाजा, अब किसी को पूछताछ के लिए चार-पांच घंटे से अधिक समय तक सीबीआई बिठा ली तो समझ लीजिए मामला गड़बड़ है।

खेतान गए हावर्ड

एडिशनल चीफ सिकरेट्री चितरंजन खेतान लीडर्स इन डेवलपमेंट का कोर्स करने हावर्ड रवाना हो गए हैं। शार्ट टाइम का कोर्स करके इस महीने के अंत तक वे लौटेंगे। चलिये, ठीक है। ब्यूरोक्रेट्स में हायर एजुकेशन के लिए बाहर जाने का चार्म बढ़ा है। रजत कुमार हाल ही में हावर्ड से लौटे हैं। मुकेश बंसल इसी महीने एमआईटी गए हैं। सोनमणि बोरा भी एक साल का एमबीए कोर्स करने जाने वाले हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. क्या जोगी कांग्रेस का कोई नेता बीजेपी में शामिल होने वाला है या महज अफवाह है?
2. पीएम की भिलाई की ऐतिहासिक सभा के लिए दुर्ग कलेक्टर उमेश अग्रवाल को वो क्रेडिट मिला, जो उन्हें मिलना चाहिए था?

सीबीआई और छत्तीसगढ़

10 जून
सीबीआई के लिए छत्तीसगढ़ का अनुभव ठीक नहीं रहा है। अभी तक एक भी गुत्थी वह सुलझा नहीं सकी। चाहे वो अटलजी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान ब्लैक सी में अजीत जोगी के खिलाफ सीबीआई में दर्ज मुकदमा हो या जग्गी हत्याकांड। जग्गी हत्याकांड में अमित जोगी को कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया। पत्रकार सुशील पाठक, उमेश राजपूत समेत कुछ मामलों में सीबीआई को निराशा ही हाथ लगी। अलबत्ता, बिलासपुर में सुशील पाठक हत्याकांड की जांच करने आए एक अफसर को रिश्वत लेते सीबीआई ने ही गिरफ्तार किया था। लेकिन, सीडी कांड में लगता है, सीबीआई माथे की दाग धोने के करीब पहंुच गई है। बताते हैं, सीबीआई को इस मामले के ठोस साक्ष्य मिल गए हैं। और, जल्द ही वह इस जांच को अंजाम तक पहंुचाने जा रही है।

छत्तीसगढ़ से राज्यपाल?

यह चर्चा बड़ी तेज है कि विधानसभा चुनाव से पहिले छत्तीसगढ़ के पिछड़ा वर्ग से जुड़े किसी बीजेपी नेता को राज्यपाल बनाया जाएगा। और, आदिवासी नेता को पार्टी में कोई अहम पद से नवाजा जाएगा। इसके पीछे लाॅजिक यह है कि बस्तर और सरगुजा की आदिवासी सीटों पर बीजेपी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। लिहाजा, आदिवासी नेता को पोस्ट देकर पार्टी विधानसभा चुनाव में इसका लाभ उठाने की कोशिश करेगी। अब देखना है, यह चर्चा किसी अंजाम तक पहंुचती है या सिर्फ चर्चा तक ही सीमित रह जाएगी।

पद बड़ा, वेतन बराबर

ये आईएएस में ही संभव है….पद भले ही चीफ सिकरेट्री का हो मगर वेतन मिलेगा एडिशनल चीफ सिकरेट्री के बराबर। सीएस को सवा दो लाख रुपए सेलरी मिलती है और उतने ही एडिशनल चीफ सिकरेट्री को भी। जबकि, सीएस होता है राज्य का प्रशासनिक मुखिया। और, एसीएस एक विभाग का। दोनों का रैंक भले ही बराबर हो लेकिन पद और पावर में कोई तुलना नहीं। सीएस के पास असीमित पावर होते हैं। यद्यपि, फाॅरेस्ट और पुलिस में ऐसा नहीं है। फाॅरेस्ट में पीसीसीएफ मेन का सम्मान रखा गया है। उन्हें 2 लाख 25 हजार रुपए वेतन मिलते हैं तो अन्य पीसीसीएफ को दो लाख 24 हजार 600। याने चार सौ रुपए का अंतर। ऐसा ही पुलिस में डीजीपी और डीजी का है। आईएएस में ऐसा क्यों हैं, इसकी वजह पेंशन बताई जाती है। जाहिर है, सभी एसीएस चीफ सिकरेट्री नहीं बन पाते। बड़े राज्यों में तो दो-दो दर्जन एसीएस होते हैं, लेकिन सीएस एक। लेकिन, दोनों की सेलरी बराबर होने के कारण पेंशन में बेनिफिट मिल जाता है।

विकास यात्रा के बाद

विकास यात्रा के पहले चरण की समाप्ति के बाद कलेक्टरों की एक छोटी लिस्ट निकलने की अटकलें लगाई जा रही हैं। पिछले बार प्रधानमंत्री के बस्तर विजिट के चलते सरकार ने बस्तर के सात में से एक भी कलेक्टर को टच नहीं किया था। तब सिर्फ सरगुजा, बिलासपुर और दुर्ग संभाग के पांच कलेक्टर बदले थे। अबकी बस्तर, बिलासपुर, सरगुजा और रायपुर संभाग से दो-तीन कलेक्टरों के नम्बर लगने की चर्चा है। हालांकि, इस बार जो लिस्ट निकलेगी, वो प्रशासनिक की बजाए राजनीतिक ज्यादा होगी। क्योंकि, आचार संहिता प्रभावशील होने में अब तीन महीने बच गए हैं।

आईजी की अदला-बदली?

आचार संहिता लगने से पहले रायपुर के आईजी प्रदीप गुप्ता का का चेंज होना निश्चित है। दरअसल, प्रदीप रायपुर के हैं। चुनाव आयोग के क्रायटेरिया के अनुसार एसपी, आईजी जैसे लाॅ एन आर्डर से जुड़े अफसर होम डिस्ट्रिक्ट के नहीं होने चाहिए। जाहिर है, प्रदीप गुप्ता को रायपुर से किसी और रेंज में शिफ्थ करना पड़ेगा। संकेत हैं, उन्हें बिलासपुर का आईजी बनाया जाएगा। रायपुर आने से पहले भी बिलासपुर के लिए उनका नाम चला था। लेकिन, कुछ कारणों से सरकार ने उन्हें रायपुर की कमान सौंप दी थी। बहरहाल, प्रदीप बिलासपुर गए तो वहां से दिपांशु काबरा रायपुर आएंगे। याने दुर्ग आईजी, एसपी की पुरानी जोड़ी चुनाव के समय रायपुर में काम करेगी। दुर्ग में दिपांशु आईजी और अमरेश मिश्र एसपी थे। हालांकि, प्रदीप गुप्ता और बिलासपुर एसपी आरिफ शेख भी दो रेंजों में साथ काम कर चुके हैं। प्रदीप जब दुर्ग आईजी थे तो आरिफ बालोद और प्रदीप के रायपुर आईजी बनने पर आरिफ बलौदा बाजार एसपी रहे। इन दोनों में से किसी एक एसपी को अपने भावी आईजी से काम्फर्टनेस का मामला हो तो हो सकता है, सरगुजा आईजी हिमांशु गुप्ता को किसी रेंज में मौका मिल जाए।

पुरस्कार वाला आईपीएस

2005 बैच के आईपीएस आरिफ शेख को इन दिनांे पुलिस महकमे में पुरस्कार वाला अफसर कहा जाने लगा है। आरिफ जिस जिले में जाते हैं, दो-एक पुरस्कार मिल जाता है। बालोद जैसा जिला, जिसे आईपीएस के लिए शुरूआती पोस्टिंग मानी जाती है, वहां भी कम्यूनिटी पोलिसिंग के जरिये दो इंटरनेशनल पुरस्कार ले आए। बिलासपुर ज्वाईन किए पांच महीने भी नही हुए कि वीमेंस सेफ्टी के लिए फिक्की का अवार्ड मिल गया। इस महीने के लास्ट में उनका दिल्ली में कुछ राज्यों के डीजीपी के समक्ष प्रेजेंटेशन होने वाला है।

अंत में दो सवाल आपसे

1, किस जिले के पुलिस कप्तान को ट्रांसफर कराने के लिए भूमाफिया से लेकर तमाम तरह के धतकरमी वाले लोग थैला लिए घूम रहे हैं?
2. रोहित यादव के बाद डेपुटेशन के लिए अगला नम्बर अब किस आईएएस अफसर का है?

नए आवासीय आयुक्त

3 जून
चीफ सिकरेट्री अजय सिंह अब दिल्ली में मुख्य आवासीय आयुक्त भी होंगे। सरकार ने उनकी नई नियुक्ति का आर्डर जारी कर दिया है। 5 जून को वे मीटिंग में दिल्ली जा रहे हैं। संभवतः इसी दिन वे इस अतिरिक्त पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। सिंह इसी साल जनवरी में विवेक ढांड के वीआरएस लेने के बाद चीफ सिकरेट्री बने थे। वे देश के पहले चीफ सिकरेट्री होंगे, जिनके पास दिल्ली में आवासीय आयुक्त की जिम्मेदारी होगी। इससे पहिले इस पोस्ट पर एन बैजेंद्र कुमार रहे। बैजेंद्र के एनएमडीसी चेयरमैन बनने के बाद यह पद खाली था। आईएफएस संजय ओझा एडिशनल कमिश्नर के रूप में दिल्ली का कामकाज देख रहे थे।

एक्सचेंज पोस्टिंग

आईएएस रजत कुमार हावर्ड में एक साल का हायर स्टडी करके दिल्ली लौट आए हैं। 3 जून वे यहां ज्वाईनिंग देंगे। सरकार ने उनके लौटने से पहले ही वे सारे विभाग उनके हवाले कर दिए, जो मुकेश बंसल के पास थे। मुकेश भी एमबीए करने अमेरिका के एमआईटी जा रहे हैं। मुकेश के पास स्पेशल सिकरेट्री टू सीएम के साथ ही सीईओ एनआरडीए, डायरेक्टर एवियेशन एवं स्पेशल सिकरेट्री एवियेशन का चार्ज था। हालांकि, रजत जब हावर्ड जा रहे थे तो उनके पास यही विभाग थे, जिसे सरकार ने मुकेश बंसल को दिया था। और, अब रजत के लौटने पर सरकार ने उनका विभाग लौटा दिया है। ये होता है, ओहरा। एक तरफ बाहर से लौटने वाले अफसर पोस्टिंग के लाले पड़ जाते हैं…उन्हें लंबा ट्रायल से गूुजरना पड़ता है। रजत को अमेरिका से इंडिया की फ्लाइट पकड़ने से पहिले ही सरकार ने आर्डर निकाल दिया। चलिये, कोर गु्रप में रहने के लाभ तो मिलते ही हैं।

ब्यूरोक्रेसी में लाॅबी

राज्यों की ब्यूरोक्रेसी में क्षेत्रीयता के हिसाब से कई गुट होते हैं। छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी में कभी उड़ीया लाॅबी का बड़ा जोर रहा करता था। चीफ सिकरेट्री एसके मिश्रा के समय तो पूछिए मत….! मगर वक्त के साथ वह खतम हो गई। इसके बाद साउथ लाॅबी ताकतवर हुई थी। लेकिन, इस समय हवा का रुख भांपकर वह भी बैकफुट पर है। छत्तीसगढ़ कैडर में कुछ साल से बिहार के अफसरों की संख्या बढ़ी है। लेकिन, अत्यधिक तेज लोगों में कभी एकजुटता हो नहीं सकती। पुणे के भी आधा दर्जन से अधिक आईएएस हो गए हैं। पुणे मतलब मराठी। कुछ मराठी अफसरों में एकजुटता है, किन्तु लाॅबी जैसी बात नहीं है। आईएएस का 2005 बैच जरूर एक मजबूत लाॅबी के रूप में उभरा है। ये बैच अपने को इतना पावरफुल करके रखा है कि इसे और किसी की जरूरत नहीं। इनमें रजत कुमार, मुकेश बंसल, राजेश टोप्पो, ओपी चैधरी, आर संगीता और एस प्रकाश हैं। इस बैच के सारे अफसर मजबूत स्थिति में बैठे हैं। मुकेश बंसल एमआईटी गए तो रजत सीएम सचिवालय में फिर आ गए। ओपी चैधरी कलेक्टर रायपुर। राजेश टोप्पो जनसंपर्क आयुक्त। याने सरकार के क्लोज। संगीता को भी लेबर कमिश्नर के साथ ही सिकरेट्री का जिम्मा। इस पोस्ट पर एसीएस के रूप में कभी विवेक ढांड, एमके राउत और आरपी मंडल रह चुके हैं। सबसे हल्के एस प्रकाश थे। 2005 बैच ने लाबिंग करके हाल ही में प्रकाश को एजुकेशन से जुड़े सारे मिशन, बोर्ड का जिम्मा दिलवा दिया।

सरकार, सरकार होती है

छत्तीसगढ़ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट काॅरपोरेशन में कभी ओएसडी नहीं रहा। वो भी दिल्ली में। लेकिन, सरकार ने आईएएस मनिदंर कौर द्विवेदी के लिए रास्ता निकाला। उन्हें सीआईडीसी का दिल्ली में ओएसडी बनाया गया है। ठीक ही कहते हैं, सरकार, सरकार होती है। कुछ भी कर सकती है। खुद मनिंदर के आईएएस पति गौरव द्विवेदी को दिल्ली डेपुटेशन से लौटने पर सरकार ने तीन महीने तक प्रशासन अकादमी में बिठा दिया था। उन्हें मंत्रालय वापसी के लिए काफी इंतजार करना पड़ा। लेेकिन, मनिंदर ने दिल्ली में पोस्टिंग की इच्छा जाहिर की तो सरकार ने पोस्ट क्रियेट कर उन्हें दिल्ली में ही रहने की सुविधा दे दी।

पहली बार

राज्य बनने के बाद शासन पहली बार डीएफओ की कांफें्रस करने जा रहा है। पहले 4 जून को मंत्रालय में होनी थी। लेकिन, आईएफएस स्व0 देवेंद्र सिंह की तेरहवीं के चलते इसे अब 6 जून किया गया है। इसमेें स्टेट के सारे डिवीजनों के डीएफओ को बुलाया गया है। सीएम अभी तक कलेक्टर, एसपी और जिपं सीईओ की हर साल क्लास लेते हैं। लेकिन, डीएफओ जैसे बड़़े क्षेत्र की नुमाइंदगी करने वाले अफसर पता नहीं सरकार से कैसे छूट गए थे। राजनीतिक दृष्टि से भी डीएफओ का रोल ज्यादा महत्वपूर्ण रहता है। सूबे में 40 फीसदी से अधिक वन तो हैं ही, 34 परसेंट में से अधिकांश आदिवासी वन्य क्षेत्रों में ही रहते हैं।

राहुल गांधी का फोन

राजनीति में कोई चीज अंतिम नहंी होती….राजनीतिज्ञों के हर हां में ना और ना में हां की गुंजाइश होती है। 11 दिन पहले राहुल गांधी ने अजीत जोगी के बारे में आखिर क्या कहा था। राहुल के दो टूक से कांग्रेस के लोगों को लगा कि अब जोगी की पार्टी में इंट्री नामुमकिन है। लेकिन, जोगी की तबीयत बिगड़ने पर राहुल गांधी ने उनका हाल जानने के लिए रेणु जोगी को फोन लगाने में देर नहींे लगाई। हालांकि, राहुल ने परिपक्व और बड़े नेता जैसा आचरण किया। लेकिन, उनके फोन ने पार्टी के लोकल नेताओं को दुखी कर दिया है। कांग्रेस के विरोधी पहले ही शिगूफा छोड़ते रहते थे, चुनाव से पहिले जोगीजी कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे। राहुल के फोन के बाद तो जोगी कांग्रेस के कार्यकर्ता कहने लगे हैं, कुमार स्वामी की तरह भइया सीएम होंगे और कांग्रेस उन्हें सपोर्ट करेगी…आखिर कर्नाटक में प्रचार के दौरान राहुलजी कुमार स्वामी की पार्टी को बीजेपी की बी टीम कहते थे। लेकिन, रिजल्ट के बाद उन्हें ही सीएम का आॅॅॅॅफर कर दिया….अपने साब को उनके पुराने करीबी रहे हैं। अब ऐसे में, कांग्रेस को तकलीफ तो होगी ही।

जन्मदिन गिफ्ट

राजधानी में आक्सी रीडिंग जोन और नालंदा परिसर आज प्रारंभ हो गया। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए बनाया गया यह अद्भूत और अनूठा कैम्पस 24 घंटे खुला रहेगा। नालंदा परिसर की कल्पना रायपुर कलेक्टर ओपी चैघरी ने की थी। दंतेवाड़ा की एजुकेशन सिटी के बाद रायपुर में वे एक ऐसा कैम्पस बनाना चाहते थे, जिससे यहां के युवाओं को परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिल्ली न जाना पड़े। उन्होंने इसे कंप्लीट करने के लिए रात-दिन एक कर दी थी। मुख्यमंत्री ने भी उनके जन्मदिन के रोज नालंदा परिसर का उद्घाटन कर ओपी को बर्थडे गिफ्ट दिया।

अंत में दो सवाल आपसे

1. वाणिज्यिक कर मंत्री अमर अग्रवाल को हराने के लिए छत्तीसगढ़ की शराब लाॅबी लामबंद क्यों हो रही हैं?
2. पीसीसीएफ आरके सिंह के हेड आॅफ फाॅरेस्ट बनने के बाद उनके पास वाईल्डलाइफ का प्रभार रहेगा या बदल जाएगा?

शनिवार, 2 जून 2018

घोर कलयुग

27 मई
कभी राज्यों की जांच एजेंसियों से नेताओं और नौकरशाहों के हाथ-पांव कांपते थे। लेकिन, अब तो सब उल्टा-पुलटा हो रहा है। एजेंसियों को अफसरों के केस मेें कोर्ट में माफी मांगनी पड़ रही है। उपर से अब गंभीर किस्म की आरटीआई लग गई है। सवाल भी हल्के नहीं हैं। एजेंसी के प्रमुख से पूछा गया है, एक फलां रिटायर आईएएस के खिलाफ जांच की फाइल आपने अचानक नस्तीबद्ध कैसे कर दी? रिटायर आईएएस पीएससी के चेयरमैन बनें तो आप वहां सलेक्शन कमिटी का चेयरमैन बनकर पारिश्रमिक लिए क्या? जाहिर है, यह सवाल जांच एजेंसी की मुश्किलें बढ़ाएगा। ना बोल नहीं सकते और हां बोले तो मामला पेचीदा हो जाएगा। ठीक ही कहते हैं, कलयुग आ गया है….जो कभी झुकाते थे, वे अब झुक रहे हैं।

घोर कलयुग-2

आईएफएस देवेंद्र सिंह चले गए। सिर्फ 54 साल में। 54 कोई जाने की उमर नहीं होती। उन्होंने सात साल तक मौत से संघर्ष किया। हमेशा वे उसे परास्त करते और फिर काम में लग जाते थे। लेकिन, इस 23 तारीख को मौत ने चुपके से दबिश दी और हरदिल अजीज देवेंद्र सिंह को साथ लेकर चली गई। देवेंद्र सिर्फ अफसर नहीं थे। बल्कि, अफसर से बेहद उपर…निष्कपट, निश्चल इंसान। सह्दयता की मिसाल। अहम पदों पर रहने के बाद भी कोई दुश्मन नहीं। कौन नहीं चाहता था उन्हें। सरकार से लेकर विपक्ष तक। याद है, 2012 में जब ब्रेन ट्यूमर का पता चला तो कांग्रेस नेता सत्यनारायण शर्मा ने बांबे हास्पिटल में डाक्टर को फोन किया था। तब वे एमडी सीएसआईडीसी थे। वहां के कर्मचारियों ने उनके लिए मृत्यंजय पाठ कराया। इससे आप समझ सकते हैं। उनके अंतिम संस्कार में कौन नहीं था। राजनेता से लेकर आईएएस, आईपीएस, आईएफएस से लेकर मीडिया और बिजनेसमैन भी। खबर मिलने के 10 मिनट के भीतर एनएमडीसी के चेयरमैन बैजेंद्र कुमार ने ट्विट किया, आउटस्टैंडिंग अफसर थे देवेंद्र…उनकी मौत से मैं स्तब्ध हूं। तो अमन सिंह जैसे व्यस्त अफसर अस्पताल से शव लेकर उनके घर पहंुचे और अंतिम संस्कार तक रहे। अमन सिंह ने कहा, 25 साल की सर्विस में मैं ऐसा अफसर नहीं देखा… देवेंद्र सिंह एक रोल माॅडल थे। ऐसे, अफसर का असमय चले जाना….घाघ और खटराल लोग मजे कर रहे हैं…कलयुग मे ही ये हो सकता है।

रजत की वापसी

आईएएस रजत कुमार 29 मई को हावर्ड से इंडिया लौट रहे हैं। समझा जाता है, एक जून को वे यहां ज्वाईनिंग देंगे। उनकी पोस्टिंग भी सीएम सचिवालय में निश्चित मानी जा रही है। 2005 बैच के आईएएस रजत पिछले साल मई में हायर स्टडी के लिए हावर्ड गए थे। तब वे सीएम सचिवालय में ज्वाइंट सिकरेट्री थे। लेकिन, 2005 बैच का प्रमोशन होने के बाद अब वे वहां स्पेशल सिकरेट्री होंगे।

दामाद बाबू

आईएफएस आलोक कटियार को क्रेडा का सीईओ बनाया गया है। सीसीएफ लेवल के इस अफसर को पिछले महीने सरकार ने आरडीए का सीईओ बनाया था तो वे नाराज हो गए थे। आर्डर निकलने के 40 दिन बाद भी उन्होंने ज्वाईन नहीं किया। दरअसल, आरडीएस सीईओ डिप्टी कलेक्टर या फ्रेश आईएएस का पोस्ट है। आलोक रायपुर के सांसद रमेश बैस के दामाद के बड़े भाई हैं। ब्यूरोक्रेसी में उन्हें दामाद बाबू कहा जाता है। अब दामाद हैं, तो नाराज होने का उनको हक भी बनता है। लेकिन, सरकार ने लगता है, अबकी के्रेडा का तोहफा देकर उन्हें मना लिया है। के्रडा का मतबल सिर्फ एक बोर्ड या अथाॅरिटी नहीं है। क्रेडा बिजली विभाग में आता है। बिजली विभाग सीएम के पास है। आमतौर पर सीएम के विभागों में टेस्टेड और विश्वासपात्र अफसर ही अपाइंट किए जाते हैं। कुल मिलाकर क्रेडा की पोस्टिंग आरडीए से ज्यादा सम्मानित तो है ही।

दो दर्जन एएसपी

विधानसभा चुनाव से पहिले सरकार सूबे के करीब दो दर्जन एडिशनल एसपी को बदलने जा रही है। इनमें अधिकांश वे अफसर है, जिनका कार्यकाल दो साल से अधिक हो गया है। ट्रांसफर की फाइल पीएचक्यू, होम मिनिस्टर से होते हुए मुख्यमंत्री सचिवालय में पहुंच गई है। सीएम चूकि विकास यात्रा में व्यस्त थे, इसलिए उनका मुहर नहीं लग पाया है। सीएम के हस्ताक्षर के बाद गृह विभाग किसी भी दिन आदेश जारी कर देगा।

प्रशासन और राजनीति

प्रशासन और राजनीति के तालमेल से सरकारें चलती हंै। इनमें से दोनों से कोई भी अगर एक-दूसरे पर हावी हुआ, तो सिस्टम बिगड़ता है। छत्तीसगढ़ में कुछ ऐसा ही हो रहा है। सही मामलों में कार्रवाई होेने पर भी उसे वर्ग और जाति से जोड़ दिया जा रहा। पुअर पारफारमेंस के आधार पर पुलिस इंस्पेक्टरों को बर्खास्तगी के समय तो ये देखने में आया ही एक और बानगी हम आपको बताते हैं। राज्य के एक प्रोजेक्ट के लिए सीएम ने केंद्रीय मंत्री को लेटर लिखा था। केंद्रीय मंत्री ने 150 करोड़ रुपए इसके लिए स्वीकृत कर दिया था। सिर्फ कुछ बिन्दुओं पर उन्होंने जानकारी चाही थी। लेकिन, मंत्रालय के संबंधित बाबू ने फाइल को दो महीने दबा दिया। सिकरेट्री ने जब फाइल ढूंढवाई तो बाबू के अलमारी मे मिली। तब तक समय निकल चुका था। डिप्टी सिकरेट्री ने बाबू को नोटिस दी। जवाब मिला, दृष्टि भ्रम के कारण ऐसा हुआ….आगे से नहीं होगा। सिकरेट्री ने जब बाबू को सस्पेंड करने कहा, तो उन्हें बताया गया, साब चुनाव का समय है, जिस समुदाय से बाबू आता है, उनके लोग सरकार के खिलाफ लगेगे पत्थर गाड़ने….काहे के लिए आप रिस्क लेते हैं। इस पर बाबू को छोड़ दिया गया। ऐसे में प्रशासन का क्या होगा, अब आप समझ सकते हैं।
अंत में दो सवाल आपसे
1. राहुल गांधी के छत्तीसगढ़ दौरे से किस नेता को सर्वाधिक फायदा हुआ?
2. किस बड़े जिले के एसपी से सरकार खुश नहीं है?