संजय के दीक्षित
तरकश, 28 मार्च 2021
सीनियर लेवल पर नौकरशाहों की कमी के चलते छत्तीसगढ़ में जिस तरह परिस्थितियां बन रही, उससे आने वाले समय में सरकार को संवैधानिक पदों के लिए अफसर नहीं मिलेंगे। इस साल जुलाई में रेवन्यू बोर्ड के चेयरमैन सीके खेतान रिटायर हो जाएंगे। फिर अगले साल उन्हीं के बैच के बीवीआर सुब्रमण्यिम। हालांकि बीवीआर डेपुटेशन पर जम्मू-कश्मीर में हैं। और, अब शायद ही यहां वे लौटे। इस तरह खेतान के बाद चीफ सिकरेट्री अमिताभ जैन 2025 में रिटायर होंगे। फिर तीन साल बाद रेणु पिल्ले और सुब्रत साहू की बारी आएगी। याने इस साल खेतान के सेवानिवृत्त के बाद 2028 तक यानी सात साल में मात्र तीन रेगुलर रिक्रूट्ड आईएएस रिटायर होंगे। अमिताभ, रेणु और सुब्रत। इस बीच रेरा, मुख्य सूचना आयुक्त जैसे कई पद खाली होंगे। ये मुख्य सचिव रैंक के पद हैं। ऐसे में सरकार को या तो दूसरे राज्यों से रिटायर आईएएस को बुलाना होगा या फिर किसी दीगर सेक्टर के लोगों को मौका मिलेगा। कुल मिलाकर इससे नौकरशाही का नुकसान होगा। क्योंकि, एक बार पद हाथ से निकल जाने के बाद फिर उसे पाना मुश्किल हो जाएगा।
पाटन का पानी
पाटन बोले तो दुर्ग जिले का तहसील। रायपुर और भिलाई से लगे होने के कारण इस इलाके के लोग पाटन के नाम से भिज्ञ थे लेकिन, सूबे के अन्य हिस्सों के लिए यह अल्पज्ञात ही था। लेकिन, भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद पाटन अब वो पाटन नहीं रह गया। उसकी सियासी हैसियत से अब हर कोई वाकिफ है। चीफ मिनिस्टर का गृह नगर हो या विधानसभा ़क्षेत्र, वैसे ही वीवीआईपी माना जाता है। अब आरएसएस ने भी पाटन के रहने वाले रामदत्त चक्रधर का ओहदा बढ़ाकर वहां की सियासी अहमियत और बढ़ा दी है। रामदत्त संघ के सह सरकार्यवाह बन गए हैं। याने संघ के टाॅप-7 में से एक। उनसे पहिले बीेजेपी सांसद विजय बघेल पाटन के ही रहने वाले हैं। जाहिर है, लोगों में उत्सुकता होगी कि पाटन के पानी में ऐसा कौन सा खास मिनरल है, जिससे वहां के लोग इतना ग्रोथ कर रहे हैं।
नाखुश
बीजेपी में भी सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा। विधानसभा में जिस तरह बीजेपी की रणनीति चूक से समय से पहले सत्र समाप्त हो गया, उसे प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने गंभीरता से लिया है। उधर, सौदान सिंह की जगह पर आए पार्टी के नए क्षेत्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश भी छत्तीसगढ़ के नेताओं के कामकाज से खुश नहीं है। छत्तीसगढ़ के दौरे में उनका बाॅडी लैंग्वेज बता रहा था कि सब कुछ ठीक नहीं है। शिवप्रकाश फिलहाल बंगाल चुनाव में व्यस्त हैं। लेकिन, वे वहां से लगातार फीडबैक ले रहे हैं।
धरम और चंद्राकर
विष्णुदेव साय भले ही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बन गए हों मगर पार्टी में जिस तरह से चीजें चल रही है, वह इस बात की चुगली करती है कि विधानसभा चुनाव के समय चेहरा कोई और होगा। अंदर की खबर है, 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने चेहरे की तलाश शुरू कर दी है। बताते हैं, चूकि कांग्रेस में भूपेश बघेल जैसे दमदार ओबीसी चेहरा है। जाहिर है, बीजेपी भी ओबीसी कार्ड पर भरोसा करेगी। पता चला है, पार्टी एक गुप्त सर्वे करा रही है। उसमें विजय बघेल, धरमलाल कौशिक, अजय चंद्राकर और ओपी चैघरी के नाम शामिल हैं। इनमें से जिसका ग्राफ उपर होगा, उसके बारे में पार्टी विचार करेगी।
पोस्टिंग का इंतजार
2018 बैच के डीएसपी जिलों में ट्रेनिंग कंप्लीट कर चार महीने से पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं। मगर मार्च भी खतम होने जा रहा है, अभी कोई सुगबुगाहट नहीं है। इस बैच में 23 डीएसपी हैं। इनमें से सिर्फ दो को पोस्टिंग मिली है। पिछले हफ्ते एक महिला अधिकारी को रायपुर में पोस्टिंग दी गई। मगर रसूख का कमाल देखिए, टंकण त्रुटि की आड़ में आदेश बदलकर उन्हें बिलासपुर की मनचाही पदास्थापना मिल गई। बाकी लोगों की ऐसी किस्मत कहां कि 24 घंटे के भीतर ट्रांसफर आदेश बदल जाए। गृह विभाग को इसे संज्ञान लेकर सबके साथ न्याय करना चाहिए।
छत्तीसगढ़ का हाल
छत्तीसगढ़ में कानून-व्यवस्था की क्या स्थिति बनती जा रही है, इससे समझा जा सकता है कि बिलासपुर के वकीलों ने सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट में फरियाद की है। हाईकोर्ट ने बिलासपुर पुलिस को इस संबंध में आदेश जारी किया है। ये मामला सरगुजा संभाग के एक रसूखदार और दिलफेंक टीआई से जुड़ा हुआ है। टीआई को उसी की पत्नी की शिकायत पर डीजीपी डीएम अवस्थी ने कुछ दिनों पहले सस्पेंड कर दिया था। टीआई की पत्नी ने न्याय के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट में केस लगाई है। इसमें ट्विस्ट ये है कि उसकी पत्नी की केस लड़ने वाले अधिवक्ताओं के घर पहुंचकर परिजनों को धमकाया जा रहा है। लिहाजा, वकीलों को कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। छत्तीसगढ़ में ये नया टाईप का ट्रेंड शुरू हो रहा है। पुलिस के सीनियर अफसरों को इसे संज्ञान लेना चाहिए…क्योंकि गंगाजल फिल्म के बच्चा यादव फेम के पुलिस अधिकारियों की संख्या छत्तीसगढ़ में भी बढ़ने लगी है…ये ठीक संकेत नहीं है।
ये अच्छी बात, मगर…
छत्तीसगढ़ बनने के बाद यह पहला मौका है, जब महिला बाल विकास मंत्री, महिला बाल विकास विभाग के सचिव और डायरेक्टर तीनों महिला हैं। महिला बाल विकास मंत्रालय हमेशा महिला के हाथों में रहा है। लेकिन, सिकरेट्री और डायरेक्टर में एकाधिक बार ही ऐसा हुआ है। मगर तीनों एक साथ महिला कभी नहीं रहीं। इस बार मंत्री अनिल भेड़िया के साथ सचिव शहला निगार और डायरेक्टर दिव्या मिश्रा हैं। ये अच्छी बात है कि सरकार ने महिलाओं और बच्चों के विभाग की संवेदनशीलता को समझते हुए नारी शक्ति को कमान सौंपी है। चूकि, तीनों कंट्रोलिंग पदों पर महिलाएं हैं, लिहाजा यह उम्मीद बनती है कि रुटीन के कार्यक्रमों के साथ ही सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की दिशा में भी काम किया जाए। खासकर, लोवर और मीडिल क्लास में कुछ चीजें ऐसी हैं, जो वायरस की तरह बैठ गई है। बानगी के तौर पर इससे आप समझ सकते हैं….कोई महिला अगर दुर्भाग्यवश विडो हो गई तो सामाजिक रीति रिवाज के नाम पर उसे जीते जी मार डाला जाता है। ऐसी महिलाएं दोहरी प्रताड़ना का शिकार होती हैं। एक तो पति के जाने का दुख और दूसरा सामाजिक रीति-रिवाज का खौफनाक जिन्न। महिला बाल विकास के आंगनबाड़ी और स्व सहायता समूह से बड़ी संख्या में महिलाएं जुड़ी है। विभाग इस नेटवर्क का इस्तेमाल कर एक बड़ा पुण्य का काम कर सकता है।
हफ्ते का व्हाट्सएप
किसी पुलिस अधिकारी को इतना टारगेट क्यों दे देना चाहिए कि वो उसकी पूर्ति करने अंबानी के घर धमक जाए।
अंत में दो सवाल आपसे
1. किस विभाग के लोग अपने मंत्री से त्राहि माम कर रहे हैं?
2. किस मंत्री के बेटे ने अपने पिता के विभाग से संबंधित हर काम के लिए रेटलिस्ट तय कर दिया है?