सोमवार, 9 मई 2022

छत्तीसगढ़ की पूजा सिंघल...

 संजय के. दीक्षित

तरकश, 8 मई 2022। पड़ोस के झारखंड में ईडी ने आईएएस पूजा सिंघल के आधा दर्जन ठिकानों पर दबिश दी...और इसमें जो आउटकॉम निकला, पूरा देश सन्न है। पूजा के घर 25 करोड़ कैश मिला। सीए के पास भी 17 करोड़। सवाल ये नहीं कि महिला आईएएस के पास नोटों का जखीरा आया कहां से। प्रश्न यह है आईएएस की नौकरी सिर्फ पैसा बटोरने के लिए रह गई है। छत्तीसगढ़ में भी 20 साल में कुछ अलग नहीं हुआ। कई आईएएस, आईपीएस दो-दो, तीन- तीन सौ के आसामी बन गए। सरकार रिकार्ड सर्च करा ले, रायपुर के आसपास 50 परसेंट लैंड नौकरशाहों के नाते-रिश्तेदारों या नौकर-चौकर के नाम मिलेंगे। इनमें महिला आईएएस भी पीछे नहीं। ठीक है...यूपीएससी कठिन परीक्षा होती है। इतना परिश्रम करके सर्वोच्च नौकरी मिली है तो औरों से ज्यादा बनता है। मगर आखिर कितना। सेल्फ लिमिट तय नहीं करेंगे तो पूजा सिंघल जैसा ही होगा। अब पहले जैसा नहीं है। इंकम टैक्स वाले आईएएस का लिहाज करते थे। मगर अब ईडी का युग है...पैसे की भूख को कंट्रोल करें।

खतरे का अलार्म

अभी तक रिश्वत मांगते या लेते कोई वीडियो वायरल होता था तो संज्ञान में नहीं आता था। मगर मुंगेली में पटवारी का वीडियो वायरल होने के बाद एसीबी ने उसे गिरफ्तार कर लिया। भ्रष्ट अफसरों के लिए ये अलार्म है। अब आम आदमी भी मोबाइल से वीडियो बनाकर वायरल कर दिया तो सलाखों के अंदर समझिए। दरअसल, भ्रष्टाचार अधिनियम में प्रावधान है कि वायरल वीडियो पर भी कार्रवाई हो सकती है।

चाकलेटी अफसर और...

जमीनी हकीकत देखने सूबे के दौरे पर निकले मुख्यमंत्री के साथ कई अधिकारी भी चल रहे हैं...जिले के कलेक्टर, एसपी भी। ज्यादातर अधिकारी इनमें ऐसे हैं, जहां जाते हैं, उनके लिए फुल इंतजाम रहता है... पूरा वातानुकूलित सिस्टम। मगर अभी ये दिन...43 डिग्री टेम्पेरेचर में जब सूरज आग उगल रहा, अधिकारियों को मुख्यमंत्री के साथ दौड़ना-भागना पड़ रहा है। सीएम को धूप हो या बरसात कोई फर्क नहीं पड़ना। मगर चकलेटी अफसरों की तकलीफें समझी जा सकती है।

बारिश से उम्मीद

मुख्यमंत्री जिस अंदाज में दौरे कर रहे हैं, उससे कलेक्टरों को पसीना छूट रहा है। बलरामपुर में और सूरजपुर में चार दिन से जो चल रहा, उससे कलेक्टरों को अपनी कुर्सी खिसकती प्रतीत हो रही। वरुणदेव से वे प्रार्थना कर रहे...हे भगवन! बारिश करा दो...सीएम साहब का उड़नखटोला गांवों में उतर ही न सकें। दरअसल, सीएम के इस अंदाज की कलेक्टरों ने कल्पना नहीं की थी। उन्हें लगा सरकारी तौर-तरीकों से जैसे चौपाल लगाए जाते हैं, सीएम उसी तरह का कुछ करेंगे। लेकिन, सीएम आम लोगों से सीधे लगे बात करने।

आराम के दिन गयो रे

मुख्यमंत्री के तेवर को देखते लग रहा, कलेक्टरों के अब चैन के दिन चले गए। अगले चुनाव तक उन पर तलवार लटकी रहेगी। कलेक्टरों ने भी मान लिया है कि अब आराम के दिन चले गए। अब एसी कमरों से निकलकर लोगों के बीच जाना होगा। राशन कार्ड से लेकर तमाम योजनाओं का ईमानदारी से रिव्यू करना होगा। वरना, भरी सभा में भद पिटेगी और कोई आश्चर्य नहीं कि कुर्सी भी चली जाए।

ग्रह-नक्षत्र का खेल

सूरजपुर के डीएफओ मनीष कश्यप सस्ते में आउट हो गए। मनीष इससे पहले मनीष भानुप्रतापपुर के डीएफओ थे। बड़ी मशक्कत कर दो महीने पहिले सूरजपुर पहुंचे। लेकिन, ग्रह-नक्षत्र का खेल कहिए...गोठान के कार्यों में लापरवाही में निबट गए। हालांकि, उनके सस्पेंशन पर घंटे भर तक सस्पेंस बना रहा। सूरजपुर से लेकर रायपुर तक फोन घनघनाता रहा। अंत में फायनल हुआ, मनीष कश्यप भी सस्पेंड होंगे और उनसे पहले के प्रभारी डीएफओ बीएस भगत भी।

कुछ पूजा-पाठ भी

रायपुर विकास प्राधिकरण में कोई सीईओ टिक नहीं पा रहा है। 2019 से लेकर अभी तक छह सीईओ पोस्ट हो चुके हैं। इनमें से अय्याज तंबोली को छोड़ दें तो चार सीईओ चार महीने में खो कर दिए गए या कलेक्टर बनकर चले गए। जुलाई 2019 से लेकर अभी तक की बात करें तो प्रभात मलिक से लेकर भीम सिंह, ऋतुराज रघुवंशी, अभिजीत सिंह मुश्किल से चार महीना पूरा कर पाए। अभिजीत सिंह इसी साल 15 जनवरी को सीईओ अपाइंट किए गए और 15 अप्रैल को विदा हो गए। अब 2017 बैच के आईएएस चंद्रकांत वर्मा नए सीईओ बनाए गए हैं। चंद्रकांत को आरडीए में किसी अच्छे पंडित से पूजा-पाठ कराना चाहिए।

अंत में दो सवाल आपसे

1. सीएम के दौरे में किसी कलेक्टर, एसपी का भी विकेट गिरेगा?

2. क्या एक महिला कलेक्टर की इंट्री होगी और एक की छुट्टी?


रविवार, 1 मई 2022

किधर हैं 16 सांसद?

 संजय के. दीक्षित

तरकश, 1 मई 2022

छत्तीसगढ़ में 11 सांसद हैं और पांच राज्य सभा सदस्य। याने 16। मगर शादी-ब्याह के सीजन में रेलवे ने ट्रेनें बंद की, तो किसी सांसद ने यात्रियों की सुध नहीं ली। एक सांसद हवाई यात्रियों की चिंता करते हुए एयरपोर्ट अधिकारियों की बैठक लेते नजर आए। बाकी किधर सो रहे किसी को पता नहीं। मैंने रेलवे के जीएम के स्टाफ को फोन लगाया....कोई सांसदजी मिलने आए थे...? जवाब मिला नहीं। जबकि, दो सांसद भी रेलवे जीएम के पास चले गए होते तो कुछ और ट्रेनें बहाल हो गई होती। ट्रेनों की कितनी जरूरत है, यह इससे पता चलता है कि बिलासपुर-बिकानेर की 156 फीसदी और दुर्ग-नवतनवा एक्सप्रेस की 148 फीसदी टिकिट बुक हो गई थी। रेलवे स्टेशनों में यात्री बैग-अटैची लिए भटक रहे हैं, मगर लग्जरी गाड़ियों और हवाई जहाजों में घूमने वाले नेता लोग इन यात्रियों का दर्द क्या समझेंगे।

एक थे राजेंद्र प्रसाद शुक्ल

छत्तीसगढ़ के दबंग कांग्रेस नेता थे पं0 राजेंद्र प्रसाद शुक्ल। मध्यप्रदेश में बड़े विभागों के मंत्री रहे और छत्तीसगढ़ में विधानसभा अध्यक्ष।राज्य निर्माण के चारेक साल पहले की बात होगी...शायद 96 की। उस समय वे मंत्रिमंडल में नहीं थे। पेंड्रा रोड उनके कोटा विधानसभा क्षेत्र में आता था। शुक्लाजी चाहते थे बिलासपुर से पेंड्रा रोड के बीच एक पैसेंजर ट्रेन चले। मगर रेलवे तैयार नहीं था। रेलवे पर प्रेशर बनाने उन्होंने पेंड्रा रोड से 100-150 लोगों को बुलवाया और बिलासपुर कलेक्ट्रेट से पदयात्रा करते हुए डीआरएम आफिस पहुंच गए। डीआरएम उस समय रमेशचंद दुबे थे। अब शुक्ल जैसे नेता डीआरएम से ट्रेन के लिए मनुहार करने उनके चेम्बर में पहुंच जाए, तो इसका असर तो होना ही था। डीआरएम ने तुरंत जीएम आफिस फोन लगाया। तब कोलकाता में जीएम बैठते थे। डीआरएम ने फोन पर ही जीएम से अनुमोदन लेकर बिलासपुर से पेंड्रा के बीच ट्रेन चलाने का ऐलान कर दिया। अब तो बिलासपुर में जीएम बैठ रहे, मगर कोई सांसद समय निकालकर जाएं तो...। मेरा दावा है कि एक सांसद जीएम से मिलने चले जाएं, तो दो-तीन उपयोगी ट्रेनें और बहाल हो जाएंगी। क्योंकि, जीएम के लिए इसे लाइनअप करना मामूली काम है। बता दें, जिस तरह राज्य में मुख्यमंत्री के पास असीमित पावर होते हैं, उसी तरह रेलवे के अंदर जीएम को अधिकार होते हैं। लेकिन, फिर वही बात हवाई जहाजों में उड़ने वाले नेता यात्रियों का दर्द क्या जानें।

इसे भी जान लीजिए

बिजली संकट और देश भर में 500 ट्रेनें बंद करने का हवाला दे सोशल मीडिया में रेलवे की हिमायत करने वाले लोगों को यह भी पता होना चाहिए कि कोरोना के बाद छत्तीसगढ़ की 30 फीसदी पैसेंजर ट्रेनें आज भी बहाल नहीं हो पाई हैं। जबकि, दीगर जोनल रेलवे में कोरोना की रफ्तार धीमी पड़ने पर लगभग हंड्रेड परसेंट यात्री ट्रेनें नियमित चलनी शुरू हो गई हैं। 50 बरस पुरानी कुर्ला-हावड़ा एक्सप्रेस दो साल से बंद पड़ी हैं। 30 फीसदी पैसेंजर ट्रेनें बंद थी ही उसके बाद 10 और फिर 22 ट्रेनें रद्द...कुछ लिमिट भी तो होती है। सोशल मीडिया वालों को अपना जनरल नॉलेज दुरूस्त रखना चाहिए।

ऐसे बहादुर आईपीएस!

सरकार ने प्रस्तावित पांच नए जिलों में ओएसडी राजस्व और ओएसडी पुलिस की नियुक्ति कर दी है। इनमें एक ऐसे जांबाज आईपीएस शामिल हैं, जिनकी बहादुरी की गाथा सुनकर आप सन्न रह जाएंगे। बात हालांकि पुरानी है...2009 की। 12 जुलाई को मदनवाड़ा में नक्सली एनकाउंटर में राजनांदगांव एसपी विनोद चौबे शहीद हो गए थे। राज्य सरकार ने मानपुर में एसडीओपी की जगह एडिशनल एसपी की पोस्टिंग करने का फैसला किया। गृह विभाग ने प्रथम एडिशनल एसपी की जिनकी पोस्टिंग की, उन्होंने जाने से साफ इंकार कर दिया। बोले, जान है तो जहां है। सरकार ने आदेश निरस्त कर फिर विजय अग्रवाल को एडिशनल एसपी नियुक्त किया। हालांकि, बाद में अफसर ने जोड़-तोड़ भिड़ाकर दो जिले की कप्तानी कर ली। मगर अल्टीमेटली काम ही काम आता है। विजय अग्रवाल जशपुर से अपग्रेड होकर जांजगीर जैसे जिले के कप्तान बन गए और बहादुर अफसर दो जिले की कप्तानी करने के बाद नए जिले का ओएसडी। सैल्यूट है ऐसे बहादुर आईपीएस को।

मजबूरी

नए जिले का ओएसडी पुलिस बनाना भी सरकार के लिए कम मशक्कत का काम नहीं था। दरअसल, ओएसडी बनाने लायक जो अफसर हैं, उन पर या तो दूसरा टाईप का लेवल लगा है और बाकी लोग इतने बहादुर हैं कि सरकार उन्हें जिले की कमान दे नहीं सकती। तभी दो-दो जिले की कप्तानी करने वाले दो प्रमोटी अधिकारियों को ओएसडी बनाया गया। सारंगढ़ के ओएसडी राजेश कुकरेजा भी सूरजपुर के एसपी रह चुके हैं। अफसरों की कमी की वजह से 2018 बैच के अंकिता और अक्षय चार साल में ही खैरागढ़ और मोहला-मानपुर के एसपी बन जाएंगे। उन्हें वहां का ओएसडी बनाया गया है।

2015 बैच प्रारंभ

पांच नए जिलों के ओएसडी पुलिस में तीन प्रमोटी और दो आरआर आईपीएस को मौका मिला, तो आईएएस में चार आरआर को पोस्ट्रिंग देकर सरकार ने न केवल 2014 बैच को क्लोज कर दिया बल्कि कलेक्टरी के लिए 2015 बैच भी शुरू कर दिया। 2014 बैच के एकमात्र एस0 जयवर्द्धन बचे थे कलेक्टरी में, उन्हें मोहला-मानपुर का ओएसडी बनाया गया है। 2015 के टॉपर हालांकि, प्रभात मलिक हैं लेकिन, रायपुर नगर निगम के कमिश्नर होने की वजह से सरकार ने उन्हें डिस्टर्ब नहीं किया। रायपुर ननि कमिश्नर का पद भी छोटे-मोटे जिलों से बड़ा माना जाता है। बहरहाल, मलिक से नीचे राहुल केंवट और नुपूर राशि पन्ना को सारंगढ़ और सक्ती का ओएसडी पोस्ट बनाया गया है। सरकार ने एक अच्छा काम यह किया कि 2013 बैच के छुट गए जगदीश सोनकर मुख्य धारा में लाते हुए खैरागढ़ का ओएसडी बनाया है। जब उनके जूनियर कलेक्टर बन गए तो जगदीश भी मान गए होंगे कि उनकी कलेक्टरी की ट्रेन अब छूट गई है। लेकिन, सरकार ने चौंका दिया।

7 एडीजी

97 बैच के आईपीएस दिपांशु काबरा प्रमोट होकर एडीजी बन गए हैं। अब ये अलग बात है कि दिपांशु फिलहाल जनसंपर्क और ट्रांसपोर्ट की कमान संभाल रहे हैं मगर उनको मिलाकर देखें तो पुलिस महकमे में एडीजी की संख्या अब सात हो गई है। राज्य बनने के बाद ये पहला मौका होगा, जब सूबे में एडीजी लेवल पर सात अफसर हो गए हैं।

सरप्राईजिंग

पिछले साल आईपीएस का प्रमोशन आदेश नवंबर में निकला था। याने जनवरी में ड्यू हुआ था और पदोन्नति मिली 11 वें महीने में। इस बार भी डीपीसी के बाद दो महीने आदेश नहीं निकला तो आशंका यही थी कि सरकार अभी जल्दी में नहीं है...जब जरूरत होगी आदेश निकल जाएगा। लेकिन, डीपीसी के महीने भर में प्रमोशन आदेश निकालकर सरकार ने आईपीएस अधिकारियों को चौंका दिया। हाल ही में सेंट्रल डेपुटेशन से लौटे राजेश मिश्रा को भी सरकार ने स्पेशल डीजी प्रमोट कर दिया। जबकि, उनसे पहिले स्पेशल डीजी बनने में लोगों को काफी पापड़ बेलने पड़े थे।

नाम के कलेक्टर, एसपी

पांचों नए जिलों में सरकार ने ओएसडी की नियुक्ति कर दी है। समझा जाता है, कुछ दिन बाद जिले के अस्तित्व में आने का भी ऐलान हो जाएगा। जिले का आकार और पैसे-कौड़ी के मामले में इन पांचों में मनेंद्रगढ़ टॉप पर रहेगा। दूसरे नम्बर पर सक्ती। जांजगीर के कई पावर प्लांट सक्ती में आते हैं। तीसरे नम्बर पर सारंगढ़ आएगा। सारंगढ़ में माईनिंग का बडा खेल होता है। सबसे अधिक प्रभावित हो रहा राजनांदगांव जिला। यह जिला अब तीन टुकड़ों में बंट जाएगा। मानपुर-मोहला और खैरागढ़-छुईखदान और गंडई। ये दोनों जिले काफी छोटे होंगे। हालांकि, नक्सल प्रभावित मानपुर-मोहला की दूरी राजनांदगांव से करीब 100 किमी है। इसे जिला पहले बन जाना था।

आप से किसको नुकसान?

आम आदमी पार्टी से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस, भाजपा में से किसको नुकसान पहुंचाएगी, राजनीतिक पंडित इस बारे में बेहतर बता पाएंगे। मगर यह बात सही है कि बीजेपी के सवर्ण वोटों को आम आदमी पार्टी अपने पाले में करने की कोशिश करेगी। हालांकि, साहू समाज में घुसने की भी आप ने प्रयास शुरू कर दिया है। खबर है, बीजेपी के रायगढ़ और बसना के बड़े और प्रभावशाली बीजेपी नेता आप नेताओं के संपर्क में हैं। दो-एक मीटिंग भी हो चुकी है। सियासी प्रेक्षक मानते हैं, बीजेपी अगर सजग नहीं हुई तो उसे आप से ज्यादा नुकसान हो सकता है।

सितारा होटलों में बोरे बासी

50-55 से उपर का शायद ही कोई होगा, जो बोरे बासी नहीं खाया होगा। गांवों में वैसे भी खाने के बाद अगर चावल बच गया तो उसे खराब होने से बचाने पानी में डाल दिया जाता था ताकि उसे बाद में खाया जा सकें। लेकिन, पिज्जा, बर्गर के युग में लोग बोरे बासी जैसे परंपरागत और बेहद पौष्टिक भोज्य पदार्थो से धीरे-धीरे विमुख होते गए। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फिर से बोरे बासी की ओर लोगों का ध्यान खींचा है। 1 मई को बोरे बासी उत्सव की तरह मनाने की तैयारी की जा रही है। बता दें, आधुनिकता के प्रभाव में आकर बोरे बासी का चलन कम हो गया मगर पड़ोसी राज्य उड़ीसा में आज भी बोरे बासी लोग बड़े शौक से खाते हैं। बोरे बासी को वहां पखाल कहा जाता है। 20 मार्च को उड़ीसा में पखाल दिवस मनाया जाता है। बड़ी पार्टियों से लेकर सितारा होटलों के मेनू में पखाल शामिल रहता है। छत्तीसगढ़ में इसको लेकर जरूर मजाक चल रहा है लेकिन, उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक ने सीएम हाउस में एक बार तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा और सीताराम येचूरी को पखाल खिलाया था।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस जिले के एसपी और ओएसडी इतने तेज हैं कि जिलों के बंटवारे में दोनों के बीच टकराव तय माना जा रहा है?

2. क्या मुख्यमंत्री के जिलों के दौरे के बाद मंत्रालय में सचिव स्तर पर एक बड़ा चेंजेस होगा?