शनिवार, 22 अक्तूबर 2016

विदेश में कलेक्टर का बर्थडे


23 अक्टूबर
संजय दी़क्षत
बस्तर के एक कलेक्टर फेमिली के साथ इजीप्त एवं तुर्की के निजी दौरे पर गए हैं। इजिप्त में उन्होंने अपना जन्मदिन मनाया। इससे पहले बस्तर के एक एसपी और राजधानी में पोस्टेड एक आईएएस यूरोप की सैर करके आ चुके हैं। पहले सिकरेट्री बनने के बाद ही आईएएस अपने खर्चे से विदेश जाने के लिए सोच पाते थे। मगर अब तो प्रोबेशन के साथ ही वे शुरू हो जा रहे हैं। इसलिए, धन-वन की दिक्कत रहती नहीं। तभी तो आईएएस में छत्तीसग़ढ़ को टॉप कैडर माना जा रहा है। उसमें भी बस्तर तो उनके लिए स्वर्ग ही मानिये।

सीएम ने नाम काटा और पीए….

छत्तीसगढ़ में विदेश जाने के लिए मंत्रियों, अधिकारियों में होड़ मची हुई है, तो पीए कैसे पीछे रहेंगे। वो भी 13 साल वाले। हाल की बात है। एक सीनियर मंत्री और उनके अफसर सरकारी दौरे पर विदेश गए थे। पीए ने जिद किया तो मंत्री ने उसका नाम भी लिस्ट में जोड़ दिया। फाइल सीएम के पास गई। डाक्टर साब को नागवार गुजरा कि पीए भी…। उन्होंने उसका नाम काट दिया। लेकिन, ढिठाई देखिए, सीएम की मनाही के बाद पीए अपने खर्चे पर मंत्री के साथ विदेश उड़ गया। सचमुच रामराज ही आ गया है छत्तीसगढ़ में।

मेंटर के लिए मेंटर

एक आईएएस ने एंबुलेंस चालक को थप्पड़ जड़ दिया। असल में, चालक नशे में एंबुलेंस को लहरा कर चला रहा था। आईएएस ने देखा तो एंबुलेंस को रोककर ड्राईवर का नशा उतार दिया। बाद में, उसे सस्पेंड भी कर दिया गया। हेल्थ विभाग के कर्मचारियों में इसको लेकर बड़ा रंज है….आईएएस थप्पड़ कैसे मार सकता है। आपको बता दें, जिसने थप्पड़ मारा है, उसे आईएएस शिवअनंत तायल एपीसोड के बाद आईएएस एसोसियेशन ने मेंटर अपाइंट किया है। याने वह डिरेल आईएएस को समझा-बूझा कर लाइन पर लाएगा। मगर लगता है, एसोसियेशन को अब मेंटर के लिए मेंटर अपाइंट करना पड़ेगा।

चौथी महिला सिकरेट्री

2001 बैच की महिला आईएएस शहला निगार की सिकरेट्री के लिए शुक्रवार को डीपीसी हो गई। शनिवार को उनका आर्डर भी निकल गया। मंत्रालय में वे चौथी महिला सिकरेट्री होंगी। कभी सिर्फ रेणू पिल्ले होती थीं। लेकिन, अब रीचा शर्मा, एम गीता और अब शहला भी। शहला को सरकार ने हाल ही में स्पेशल सिकरेट्री के रूप में पीएचई की कमान सौंपी थी। बढ़ियां है, शहला अब मेन ट्रेक पर आ गई हैं। वरना, अपने बैच के सेकेंड टॉपर रही शहला को 15 साल में कभी अच्छी पोस्टिंग मिली नहीं। कलेक्टर के रूप में कोरिया भेजी गई। मगर वहां से भी साल भर में ही रायपुर बुला ली गईं। उसके बाद ज्यादा समय उनका फायनेंस में ही गुजरा। शहला को फायनेंस सिकरेट्री अमित अग्रवाल को थैंक्स बोलना चाहिए। अमित के फायनेंस संभालने के बाद ही शहला को फायनेंस से मुक्ति मिली।
थकान मिटाने स्विटजरलैंड
फिनलैंड के स्टडी टूर के बाद सिकरेट्री एजुकेशन विकास शील रायपुर लौट आए हैं। लेकिन, शिक्षा मंत्री केदार कश्यप, डायरेक्टर एजुकेशन कैसर हक और डायरेक्टर एससीआरटी सुधीर अग्रवाल और उनकी पत्नियां अध्ययन की थकान मिटाने पर्सनल टूर पर फिनलैंड से स्विटजरलैंड चले गए हैं। विकास शील करते भी क्या। पूरी टीम में वे अकेले सिंगल थे। उनकी निधि तो यहीं थीं। फिनलैंड में सभी मौज-मस्ती कर रहे थे। और, विकास शील बोर हो रहे थे। आखिर, धूंए की छल्ले कितना उडाते। बहरहाल, जिन अफसरों के नाम कटवा कर पत्नियों के नाम जोड़े गए, सरकार को जरा उनका हाल भी पूछ लेना चाहिए। उनके नाते-रिश्तेदारों तक खबर हो गई थी, फलां विदेश जा रहे हैं। अब घर से निकलना दूभर हो गया है।

शिखा का बदलेगा विभाग?

कोंडागांव कलेक्टर शिखा राजपूत को सरकार ने पिछले महीने ही स्वच्छ भारत मिशन का डायरेक्टर अपाइंट किया था। कोंडागांव जाने से पहिले वे पंचायत में रह चुकी थीं। लिहाजा, उनके आग्रह पर सरकार में उनका विभाग बदलने पर विचार किया जा रहा है।

फर्स्ट टाईम सत्र नवंबर में

राज्य बनने के बाद यह पहला मौका होगा, जब विधानसभा का शीतकालीन सत्र नवंबर में होगा। विधानसभा ने इसके लिए 15 से 19 नवंबर की तारीख मुकर्रर की है। वरना, पहले दिसंबर फर्स्ट या सेकेंड वीक में ही शीतकालीन सत्र होता था। दरअसल, विधानसभा अध्यक्ष समेत उनका अमला दिसंबर में विदेश जा रहा है। इसलिए, अबकी समय से पहले सत्र निबट जाएगा।

कटियार की छुट्टी क्यों?

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के सीईओ एवं आईएफएस अफसर आलोक कटियार की सरकार ने एक झटके में छुट्टी कर दी। कटियार साधारण आईएफएस नहीं हैं। रमेश बैस के दामाद के बड़े भाई ठहरे। सत्ता के गलियारों में उनके रुतबे का क्या कहने। मंत्रालय की हाई प्रोफाइल मीटिंगों में टीशर्ट और जिंस पहनकर जाने पर भी किसी आईएएस की टोकने की हिम्मत नहीं होती थी। पिछले साल उन्हें खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का सीईओ बनाया गया था। तो कमजोर पोस्टिंग मान उन्होंने महीना भर तक ज्वाईन नहीं किया। बाद में, सरकार ने उनके लिए पीएमजीएसवाय से सुधीर अग्रवाल को हटाकर कटियार का सीईओ का आर्डर निकाला। तब जाकर उन्होंने दोनों जगहों पर ज्वाईन किया। लेकिन, वक्त देखिए! कटियार को अब खादी ग्रामोद्योग में ही वक्त गुजारना होगा, जिसे वे अपने हैसियत से छोटा मान ज्वाईन नहीं कर रहे थे। रमेश बैस का अमित शाह के दूत बीएल संतोष के समक्ष सरकार के खिलाफ भड़ास निकालना कटियार के लिए कहीं भारी तो नहीं पड़ गया।

आखिरी बात हौले से

प्रधानमंत्री के दौरे को देखते पता चला है रमन सरकार ने काला चश्मे की बिक्री पर पाबंदी लगाने जा रही है। सरकार को खुफिया इनपुट्स मिले हैं कि सूबे के कुछ फेसबुकिया आईएएस काला चश्मा पहनकर सुर्खिया बटोरने की कोशिश कर सकते हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस कलेक्टर के खिलाफ विभागीय जांच की तैयारी चल रही है?
2. एक पीए को लेकर किस मंत्री के बंगले के स्टाफ में बगावत के हालात निर्मित हो गए हैं?

शनिवार, 15 अक्तूबर 2016

बड़ा उलटफेर

16 अक्टूबर

संजय दीक्षित
एक नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद राज्य में बड़ी उलटफेर की खबरें निकल कर आ रही है। न केवल मंत्रिमंडल में बल्कि ब्यूरोक्रेसी में भी पता चला है, डाक्टर साब बड़ा बदलाव करेंगे। आला सूत्रों की मानें तो कुछ मंत्रियों के पारफारमेंस से सीएम प्रसन्न नहीं हैं। खासकर नए मंत्रियों से। लिहाजा, कम-से-कम एक मंत्री को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। ऐन वक्त पर संख्या दो भी पहुंच सकती है। यही नहीं, कुछ सीनियर मंत्रियों को भी हल्का किया जाएगा। इसी के साथ ब्यूरोक्रेसी में भी बड़ा बदलाव हो जाए, तो अचरज नहीं। दो-तीन विभागों के सिकरेट्री से भी सरकार खुश नहीं है। उन्हें डंप किया जा सकता है। बदलाव की बयार से मंत्री भी अनभिज्ञ नहीं है। कई मंत्री सीएम हाउस में बुके लेकर दौड़ते दिखे।

डीएस से हो गई चूक

जब ठाकुर राम सिंह का निर्वाचन आयुक्त के लिए आर्डर निकल रहा था, बहुत कम लोगों को मालूम है कि रिटायर आईएएस डीएस मिश्रा से भी पूछा गया था। दरअसल, सरकार चाहती थी कि राम सिंह के साथ सहकारिता आयोग के लिए डीएस का भी आर्डर निकल जाए। सीएम हाउस से डीएस को फोन गया। मगर वे ठीक से जवाब नहीं दे पाए। बताते हैं, वे लगे ढुल-मुल बात करने…..मैं अभी रायपुर से बाहर हूं….देखता हंू……। इसके बाद सरकार के दूत ने ओके बोल कर फोन काट दिया। डीएस के लिए वह एक बढ़ियां अवसर था। लाल बत्ती तो मिल ही जाती। मगर वे डिसीजन नहीं ले पाए। और, मामला गड़बड़ा गया। अब, आगे क्या होगा, वक्त बताएगा।

लांग कुमेर भी चले नागालैंड

एडीजी यातायात लांग कुमेर डेपुटेशन पर अपने गृह राज्य नागालैंड जा रहे हैं। नागालैंड सरकार ने इसके लिए एनओसी दे दी है। फाइल भारत सरकरा को गई है। सो, लांग कुमेर की कभी भी नागालैंड की टिकिट कट सकती है।

भूपेश के बाद अब बाबा

पीसीसी चीफ भूपेश बघेल के बाद नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव के खिलाफ भी जमीन की हेराफेरी के केस में सरकारी शिकंजा कस सकता है। दोनों ही मामलों के सूत्रधार हैं अजीत जोगी। जोगी ने पहले भूपेश के खिलाफ सरकार को पत्र लिखा। भूपेश की जमीन की जांच चालू हो गई। अब, टीएस के खिलाफ लिखा है। क्या लिखा है, उसकी थीम आपको बताते हैं। सिंहदेव परिवार की अंबिकापुर शहर के बीचोबीच 53 एकड़ जमीन है। पहले वहां तालाब था। राजपरिवार ने उसे निस्तारी के लिए सरकार को दे दी थी। बाद में, एमएस सिंहदेव जब एमपी के चीफ सिकरेट्री बनें तो। राजपरिवार ने जमीन को वापिस लेने के लिए आवेदन लगाया। और, वह सिंहदेव परिवार को वापिस मिल गई। जोगी का ब्लेम है, जमीन के स्थानांतरण में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। बहरहाल, आज की तारीख में उस जमीन की कीमत छह करोड़ रुपए एकड़ है। याने करीब 300 करोड़ की जमीन होगी। पता चला है, जोगी की शिकायत को सरकार ने परीक्षण के लिए भेज दिया है। चलिये, सरकार के अब दोनों ही हाथ में लड्डू है। एक में भूपेश और दूसरे में टीएस।

जोगी का बस्तर शो

बस्तर की अहमियत अजीत जोगी बखूबी जानते हैं। आखिर, उसी बस्तर ने 2003 में उनकी लुटिया डूबो दी थी। यही वजह है कि 13 अक्टूबर को आयोग में पार्टी के पंजीयन का डेट होने के बाद भी जोगी ने मोहलत मांग ली। मगर बस्तर का प्रोग्राम चेंज नहीं किया। बस्तर में जोगी का प्रोग्राम सुपरहिट रहा। जोगी ने यह कहकर दीगर पार्टियांे को सोचने पर मजबूर कर दिया कि हमारी सरकार आएगी तो बस्तर का डिप्टी सीएम होगाा।

बस्तर के मत्रियों को देखिए

एक तरफ बीजेपी बस्तर में कार्यसमिति की मीटिंग कर रही है। जोगी पंजीयन का डेट छोड़कर बस्तर को वेटज दे रहे हैं। दूसरी ओर, बस्तर के 600 साल पुराने मुरिया दरबार में पहली बार अबकी वहां के एक भी मंत्री शरीक नहीं हुए। जबकि, मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह ने 13 अक्टूबर को खासकर इसीलिए जगदलपुर में थे। बस्तर से मंत्री केदार कश्यप विदेश दौरे पर हैं। और, महेश गागड़ा उसी दिन बीजापुर से प्लेन से रायपुर आ गए थे। उनके परिवार में हफ्ते भर पहिले कोई गमी हुई है। मगर मुरिया दरबार का भी अपना इम्पोर्टेंस है। इसी से समझा जा सकता है कि सीएम इसमें हर साल शरीक होते हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस रिटायर आईएएस के खिलाफ विभागीय जांच के लिए सरकार ने भारत सरकार से अनुमति मांगी है?
2. प्रधानमंत्री के लिए भीड़ जुटाने के लिए रायपुर और दुर्ग संभाग के किन-किन कलेक्टरों को जिम्मा दिया गया है?

शनिवार, 8 अक्तूबर 2016

दस का दम


9 अक्टूबर
संजय दीक्षित
13 साल में पहली बार सरकार ने दस का दम दिखाया। और, भाजपा के प्रेरणा पुरुष पं0 दीनदयाल उपध्याय की उपलब्धियों पर सवाल उठाने वाले आईएएस के खिलाफ खबर वायरल होने के 12 घंटे के भीतर कार्रवाई करते हुए मंत्रालय अटैच कर दिया। वरना, इससे पहले अलेक्स पाल मेनन के केस में जीएडी उल्टे अलेक्स की चिरौरी कर रहा था….मेननजी मैंने नोटिस दिया है, प्लीज उसका जवाब दे दीजिए। दोबारा-तिबारा नोटिस देने के बाद मेनन ने जवाब दिया…..वो तो मैंने दोस्तों के साथ चेटिंग में न्यायपालिका के बारे में यूं ही लिख दिया था। और, जीएडी ने उसे तुरंत लपकते हुए मेनन को पूरे सम्मान के साथ बरी कर दिया। मगर इस बार मामला लक्ष्मण रेखा लांघने का था। लिहाजा, सेकेंड सटर्ड छुट्टी होने के बाद भी सरकार ने सुबह 10 बजे प्रभारी सीएस अजय सिंह को निर्देशित किया और साढ़े दस बजे दो लाइन का तायल की छुट्टी का आर्डर जारी हो गया।

पहले निकम्मे और अब सिर-फिरे

छत्तीसगढ़ का दुर्भाग्य है, दिग्विजय सिंह ने गुनतारा भिड़ाकर मध्यप्रदेश के अधिकांश रिजेक्टेड आईएएस अफिसरों को यहां भेज दिया। और, अब जो नए आईएएस आ रहे हैं, उनमें सिर-फिरे एवं कामरेड टाइप के ज्यादा हैं। वरना…..जरा सोचिए कोई नार्मल अफसर न्यायपालिका पर सवाल उठा सकता है। वो भी दलितों एवं अल्पसंख्यवाद का हवाला देकर। आखिर, छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री को गॉगल पहनकर वेलकम करते हुए भी एक आईएएस को पूरे देश ने देखा। और, अब तायल ने तो मुर्खता को चरम पर पहुंचा दिया। वैसे, तायल का ट्रेक रिकार्ड ऐसा ही रहा है। सीएम के राजनांदगांव से इसी चक्कर में उन्हें हटाया गया था। वहां जिला पंचायत अध्यक्ष के पति के खिलाफ जनाब कुछ बोल गए थे। इसको लेकर पंचायत सदस्य धरने पर बैठ गए थे। पुलिस ने किसी तरह उन्हें बाहर निकाला था। तायल के बारे में राजनांदगांव के कलेक्टर मुकेश बंसल से कोई पूछ लें। कैसे वे हलाकान रहे। मगर जीएडी तो तायल से भी बड़ा वाला निकला…..जो अफसर वीवीआईपी जिले में कांड कर दिया, उसे शंट करने की बजाए कांकेर का सीईओ बना दिया। ईश्वर जीएडी को सद्बुद्धि दे।

पहले रिजाइन, फिर…..

नए आईएएस कैसे दुःसाहसी हो गए हैं कि अपने सीनियरों की समझाइस का भी उन पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। जब एलेक्स पाल मेनन एपीसोड हुआ था, तो एसीएस टू सीएम एन आईएएस एसोसियेशन के प्रेसिडेंट एन बैजेंद्र कुमार ने 28 मई को फेसबुक पर अफसरों को आगाह किया था……सिविल सरवेंट तथा गवर्नमेंट आफिसरों को सोशल मीडिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का कितना अधिकार है, इसे अब स्पष्ट करना जरूरी हो गया है….सोशल मीडिया ऐसा प्लेटफार्म नहीं है कि कोई कुछ भी लिख दें। खासकर, सिविल सर्विस, पुलिस सेवा और मिलिट्री सर्विस में तो और अधिक रेस्ट्रीक्शन होती है। आईपीसी, सीआरपीसी, सायबर लॉ के नियमों के अलावा शासकीय सेवा कोड ऑफ कंडक्ट में बंधे होते हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में जो बातें नहीं की जा सकती, वो सोशल मीडिया में भी नहीं लिखी जा सकती। इसके बाद भी कोई अफसर नियम-कायदों के बाहर जाकर लिखना चाहता है तो वह सर्विस से रिजाइन करके अपना शौक पूरा कर सकता है। बैजेंद्र कुमार के इतना सख्त कमेंट के बाद भी तायल ने पराकाष्ठा कर दी, आप समझ सकते हैं, नए आईएएस की कैसी ब्रिड आ रही है।

दर्जन भर योजनाएं

पं0 दीनदयाल उपध्याय के नाम से रमन सरकार दर्जन भर योजनाएं चला रही है। दिसंबर 2003 में सरकार बनीं और पहली योजना हाउसिंग बोर्ड ने 2005 में पं0 दीनदयाल आवासीय योजना के नाम से लांच किया। जिला पंचायतों में भी विभिन्न योजनाएं पं0 उपध्याय के नाम से चल रही हैं। इसके बाद भी सवाल? सरकार को पहले अपने अफसरों को योजनाओं के बारे में बताना चाहिए। बाद में फिर पब्लिक को।

बैकफुट पर कमल विहार

लगता है, कमल विहार को ठीक-ठाक मुहूर्त में लांच नहीं किया गया। पहले सरकार कोर्ट केस से परेशान रही। और, अब उसके प्लाट न बिकने से। पता चला है, आरडीए अब 20 फीसदी रेट कम कर दिया है। बोर्ड से भी इसे हरी झंडी मिल गई है। बहुत जल्द वह नया लेवल चिपका कर इस प्रोजेक्ट को रिलांचिंग करने जा रहा है। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि कमल विहार के आवासीय प्लाट भी अभी 40 प्रतिशत नहीं बिके हैं। कामर्सियल का हाल तो और बुरा है। इसमें 20 परसेंट ही बुकिंग हुई है।

मंत्रियों पर चाबुक

बीजेपी के बस्तर कार्यसमिति में कार्यकर्ताओं का गुस्सा आखिर रंग दिखाया। संगठन अब मंत्रियों के लिए पार्टी कार्यालय में हफ्ते में दो दिन बैठना अनिवार्य करने जा रही है। इसमें कार्यकर्ता पहले से बिना टाइम लिए भी मंत्री से सीधे मिल सकेंगे। कार्यकर्ताओं का काम अगर वाजिब होगा तो मंत्री उसके आवेदनों पर सहयोग लिखा हुआ सील लगा देंगे। इसका मतलब प्राथमिकता से काम करना होगा। अफसरों को भी निर्देश दिया जाएगा कि सहयोग सील लगे आवेदनों पर फूर्ति दिखाएं।

ये हुई ना बात!

शिक्षा विभाग की सात सदस्यीय टीम अध्ययन यात्रा पर फिनलैंड रवाना हो गई है। खास यह है कि इसमें मंत्री के साथ अफिसरों की बीवी-बच्चे भी शामिल हैं। दरअसल, पहले शिक्षा मंत्री के साथ संसदीय सचिव अंबेश जांगड़े, सिकरेट्री विकास शील, डायरेक्टर एजुकेशन कैसर हक, डायरेक्टर एससीआरटी सुधीर अग्रवाल, डिप्टी सिकरेट्री ओपन स्कूल निर्मल अग्रवाल और डिप्टी सिकरेट्री सर्वशिक्षा अभियान संजय शर्मा का नाम शामिल था। अंबेश ने निजी कारणों से अपना नाम विड्रो कर लिया। निर्मल और संजय स्कूल के मास्टर है, इसलिए चीफ सिकरेट्री ने उनका नाम काट दिया। जबकि, फिनलैंड में इंतजामात सात लोगों के हो गए थे। सो, अफिसरों ने दिमाग लगाई और शिक्षा मंत्री के साथ अपनी बीवियों को भी टीम में शामिल कर लिया।

गुड न्यूज

नया रायपुर में अगले सत्र से एक इंटरनेशनल स्कूल चालू हो जाएगा। एनआरडीए ने मुंबई के हिल स्प्रींग गु्रप से एमओयू किया है। हिल स्प्रींग ने 10 एकड़ लैंड भी परचेज कर लिया है। अफसरों का दावा है, इस तरह के इंटरनेशनल स्कूल मध्यप्रदेश में भी नहीं है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक मंत्रीजी का नाम बताइये, जिन्होंने अपनी मस्तानी को शंकर नगर के हाउसिंग बोर्ड अपार्टमेंट में मकान खरीद कर दिया है?
2. बस्तर में क्या इतनी कमाई है कि वहां के पोस्टेड आईएएस, आईपीएस आजकल निजी दौरे पर विदेश जा रहे हैं?

शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

पंजाब, यूपी में भी जोगी

2 अक्टूबर

संजय दीक्षित
पीसीसी चीफ भूपेश बघेल भले ही जोगी कांग्रेस के रजिस्ट्रेशन न होने पर सवाल उठा रहे हों और जाति मामले की सरकारी तलवार उन पर लटकी हो, मगर अजीत जोगी का हौसला देखिए…..। जोगी न केवल पार्टी का विस्तार करने जा रहे बल्कि पंजाब और यूपी चुनाव में कंडीडेट उतारने की तैयारी में जुटे हैं। जोगी की मानें तो पंजाब और यूपी में कांग्रेस के असंतुष्ट नेता लगातार उनके संपर्क में हैं। जोगी की रणनीति यह है कि पंजाब और यूपी में कुछ दमदार कंडिडेट पर दांव लगा दिया जाए। वहां एकाध सीट भी आ गई तो छत्तीसगढ़ में माहौल बनाने में उससे बड़ा लाभ मिलेगा। पार्टी राष्ट्रीय स्तर की हो जाएगी, सो अलग। उधर, 19 अक्टूबर को विदर्भ में भी पार्टी का गठन होने जा रहा है। याने जोगीजी अब राष्ट्रीय स्तर पर पैरेलल कांगे्रस खड़ी करने जा रहे हैं।

पार्टीबाज कलेक्टर

बस्तर के पार्टीबाज कलेक्टर सरकार के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। कुछ कलेक्टरों के बारे में खुफिया इनपुट्स हंै कि बस्तर के सात में से चार कलेक्टर एक-दूसरे जिलों में जाकर न केवल देर रात तक पार्टी करते हैं बल्कि नशे की हालात में ही घर लौटने के लिए विवश करते हैं। इस वजह से उनके साथ चलने वाले ड्राईवर एवं जवानों की जान खतरे में है। कलेक्टर्स ये तब कर रहे हैं, जब उन्हें मालूम है कि उसी बस्तर में सुकमा के तत्कालीन कलेक्टर अलेक्स पाल मेनन का माओवादियों ने दिनदहाड़े अपहरण कर लिया था। बावजूद इसके, पार्टीबाज कलेक्टर्स धुर नक्सल प्रभावित जंगलों से गुजरकर जान जोखिम में डालने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। ठीक है, नशे में आदमी शेर बन जाता है। मगर जरा सोचिए, रास्ते में उन्हें कहीं सवा सेर मिल गए तो क्या होगा। जवाब तो सरकार को देना होगा ना। बहरहाल, कलेक्टरों ने अगर अपनी आदत नहीं बदली तो सरकार को एलेक्टस-2 के लिए प्रीपेयर्ड रहना चाहिए।

फिर बना चेन

पिछली बार पवनदेव के ट्रांसफर के कारण पुलिस में एक चेन बना और रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग के आईजी समेत रायपुर और रायगढ़ के एसपी बदल गए थे। अबकी गरियाबंद एसपी अमित कांबले को डेपुटेशन पर दिल्ली जाना था। इस चक्कर में तीन जिलों के एसपी बदल गए। गरियाबंद में चेंज तो हुआ ही, लगे हाथ सरकार ने बालोद एवं बलौदाबार के एसपी भी बदल डाले। नुकसान हुआ बलौदा बाजार एसपी अभिषेक शांडिल्य को। उन्हें पीएचक्यू लौटना पड़ा। और, दोहरे लाभ में रहे शेख आरिफ हूसैन। एक तो बलौदा बाजार जैसा जिला मिल गयां। दूसरा, बालोद के जिला प्रशासन से सरकार ने निजात दिला दी।

सर्जिकल स्ट्राइक

रायपुर के पुराने कलेक्टर आरपी मंडल और एसएसपी अशोक जुनेजा में इतना जबरदस्त तालमेल था कि लोग उन्हें जय और बीरु कहते थे। मगर कलेक्टर और एसपी में वैसे रिश्ते दिखते नहीं। उल्टे अब तलवारें खींच रही हैं। कोंडागांव और बालोद में तो आपने देखा ही। हालांकि, कोंडागांव में सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक कर दिया। मगर बालोद में संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया। सरकार को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए। क्योंकि, ये बीमारी दीगर जिलों में भी फैल सकती है।

कमिश्नर, आईजी निबटा लिए थे

अविभाजित मध्यप्रदेश में एक बार जशपुर में कलेक्टर-एसपी आमने-सामने हुए थे। कलेक्टर थे विनोद कुमार और एसपी अपने एसआरपी कल्लुरी। मामला था सीएमओ के यहां पुलिस द्वारा तलाशी लेने का। कलेक्टर को यह नागवार गुजर गया। मगर तब के बिलासपुर कमिश्नर मदनमोहन उपध्याय और आईजी एसएस बडबड़े ने डांट-डपट कर अपने स्तर पर मामले को निबटा दिया था। लेकिन, अब न तो वैसे कमिश्नर रहे और ना ही आईजी। अब तो कलेक्टर, एसपी ही कमिश्नर, आईजी को हड़का देंगे।

गौतम पीएस होम

प्रींसिपल सिकरेट्री बीबीआर सुब्रमण्यिम कल 22 दिन की ट्रेनिंग पर जा रहे हैं। उनकी गैरमौजूदगी में सिकरेट्री होम अरुणदेव गौतम पीएस होम का काम देखेंगे। जीएडी ने इसका आर्डर आज जारी कर दिया। छत्तीसगढ़ बनने के बाद यह पहला मौका होगा, जब किसी आईपीएस को गृह विभाग सौंपा गया है। बताते हैं, होम के लिए कोई आईएएस तैयार नहीं हुआ। कारण? बस्तर में कब क्या हो जाए। खामोख्वाह काहे को फंसना।

खास कार्यसमिति

2003 में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बस्तर में बीजेपी कार्यसमिति की बैठक हुई थी। और, 13 साल बाद अपनी जमीन मजबूत करने के लिए बीजेपी ने फिर कार्यसमिति के लिए बस्तर को चुना। मगर दोनों में आम और खास कर अंतर था। तब बस्तर टाईगर बलीराम कश्यप वहां मेन रोल में थे। बैठक के बाद भोज का आयोजन था। उन्होंने उसमें जिद करके बस्तर के समूचे कार्यकर्ताओं को बुलाया कि ताकि, वे पार्टी से जुड़ाव महसूस कर सकें। चुनाव में इसका एकतरफा लाभ मिला। इस बार यह खास तक ही सिमट कर रह गया। क्योंकि, बलीराम कश्यप जैसा प्रभावशाली नेता बस्तर में कोई बचा नहीं। अब, देखना है कि खास तक सिमटा कार्यसमिति से बीजेपी को बस्तर में कितना लाभ हो पाता है।

मंत्रियों पर गुस्सा

बीजेपी के बस्तर कार्यसमिति में सदस्यों ने मंत्रियों पर जमकर भड़ास निकाला। खासकर सवाल-जवाब के सेशन में। इस दौरान एक मंत्रीजी की बारी आई तो कई लोग एक साथ खड़े होकर बोलने लगे…..ये क्या बताएंगे, रायपुर जाने पर ठीक से बात नहीं करते। इसके बाद तो सारे मंत्रियों पर सबने जमकर गुस्सा उतारा। सार यही था कि मंत्री जमीन से उपर उठ गए हैं। उन्हें आम नेताओं से कोई वास्ता नहीं रह गया है। आखिरकार, सौदान सिंह को बचाव में आगे आना पड़ा। उन्होंने यह कहते हुए सवाल-जवाब का सत्र बंद कराया कि आप लोग अपने सवाल लिखित में दे दीजिए।

छुट्टी हुई खराब!

बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के चलते बस्तर कलेक्टर अमित कटारिया की छुट्टी खराब हो गई। वे परिवार के साथ विशाखापटनम में थे। चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड ने उनकी छुट्टी केंसिल कर बुला लिया।

अंत में दो सवाल आपसे

1. अजीत जोगी ने प्रेत योनी से मुक्ति दिलाने के लिए अबकी खास अनुष्ठान किया……किसी कांग्रेस नेता का भूत तो उन्हें नहीं सता रहा है?
2. कांग्रेस में ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि रविंद्र चैबे का कद बढ़ गया है?