संजय के. दीक्षित
तरकश, 30 अप्रैल 2023
छत्तीसगढ़ में 36 का खेला
पीएम पोषण शक्ति योजना के तहत स्कूलों में सोयाबीन चिक्की का वितरण किया जाना था। चूकि सोया अपने यहां होता नहीं, इसलिए उसकी जगह मिलेट्स चिक्की के लिए सीएम भूपेश बघेल ने दो बार केंद्र को पत्र लिखा। और इसके लिए हरी झंडी मिल भी गई। इस योजना के लिए सूबे के 12 जिलों को चुना गया। एक जिले को करीब ढाई से तीन करोड़ का फंड मिला। याने 12 जिलों को लगभग 36 करोड़। सरकार ने कलेक्टरों को स्पष्ट निर्देश दिए....वन विभाग की समितियांं से मिलेट्स खरीद कर स्कूलों में स्व सहायता समूहों के माध्यम से चिक्की तैयार कराया जाए। मगर अफसरों ने खेला कर दिया। जिला शिक्षा अधिकारियों ने कलेक्टरों से सहमति लेकर सी मार्ट से खरीदी का आदेश जारी कर दिया। और एक कारोबारी को इशारा कर दिया गया। उसने सभी जिलों के सी मार्ट में रेडिमेड चिक्की सप्लाई कर दिया। पता चला है, रायपुर से स्कूल शिक्षा विभाग से आदेश जारी हुए उसी में चूक हुई या की गई। मार्च में भेजे आदेश में लिखा था, 30 अप्रैल तक चिक्की का वितरण कंप्लीट कर लिया जाए। आदेश देखकर डीईओ की बांछे खिल गई। दरअसल, सरकारी स्कूलों में मार्च में परीक्षा के बाद स्कूल खुलता तो जरूर है मगर बच्चे नहीं आते। सिर्फ शिक्षकों की उपस्थिति 30 अप्रैल तक अनिवार्य होती है। जाहिर है, चिक्की का वितरण कागजों में किया जाना था। सो, लार टपकाते हुए आनन-फानन में रेडिमेड चिक्की का आदेश देकर पांच से अधिक जिलों के बंद स्कूलों में इसका वितरण भी कर दिया गया। सीएम ने केंद्र को पत्र लिख मिलेट्स चिक्की के लिए केंद्र को सहमत कराया था, इससे पता चलता है कि वे इसके लिए कितने संजीदा हैं। मगर इस अच्छी योजना को अफसरों ने पलीता लगा अच्छी खासी रकम अंदर कर लिया।
डीएमएफ की लूट
कलेक्टर डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड याने डीएमएफ के प्रमुख जरूर होते हैं मगर डीएमएफ में काम क्या करना है, वह रायपुर के मुठ्ठी भर कारोबारी तय करते हैं। व्यापारी ही कलेक्टरों को आइडिया सुझाते हैं और पैसे के मोह में कलेक्टर फंस जाते हैं। पता चला है, हाथी प्रभावित कुछ जिलों में इसी तरह का खेला हुआ है। कलेक्टरों ने वहां डीएमएफ के तहत जंगलों में हाथी अलार्म लगवा दिया है। इसमें भी खटराल सप्लायरों ने कलेक्टरों को आइडिया दिया और कलेक्टरों ने ओके कर दिया। कलेक्टरों को पता होना चाहिए कि डीएमएफ का सेंट्रल ऑडिट होने वाला है। कलेक्टरों ने जिस तरह के कारनामे किए हैं, दर्जन भर वर्तमान और पूर्व कलेक्टरों की शामत आ सकती है। बता दें, पिछली सरकार में भी कई कलेक्टरों ने इसमें खूब गुल खिलाया था।
तीन साल के पीसीसीएफ
पिछले तरकश में हमने लिखा था कि आखिरी वक्त में कोई चमत्कार होगा तभी कोई दूसरा पीसीसीएफ बनेगा वरना श्रीनिवास राव का वन महकमे का मुखिया बनना निश्चित है। और वैसा ही हुआ। श्रीनिवास सात सीनियर आईएफएस को सुपरसीड कर फॉरेस्ट के सुप्रीमो बन गए। उनका रिटायरमेंट 2026 में है। याने वे तीन साल इस पद पर रहेंगे। श्रीनिवास का वर्किंग पैटर्न ऐसा है कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं...वे पूरा टर्म कंप्लीट करेंगे। जाहिर है, पिछली सरकार में भी वे प्रभावशाली थे और इसमें भी।
कैम्पा चीफ कौन?
श्रीनिवास राव पिछली सरकार से कैंपा प्रमुख थे और अभी भी हैं। कैंपा को वन विभाग की सबसे क्रीम पोस्टिंग मानी जाती है। वित्तीय अधिकार के मामलों में पीसीसीएफ से भी रसूखदार और सत्ता से नजदीकी वाला। चूकि श्रीनिवास राव अब रेगुलर पीसीसीएफ बन गए हैं सो उन्हें यह पद छोड़ना होगा। पता चला है, इसके लिए तीन नाम चल रहे हैं, सुनील मिश्रा, अरुण पाण्डेय और कोई एक अन्य। चूकि यह कैलकुलेटर लेकर बैठने वाला पद है, इसलिए इनमें से एक इस पद पर आने के लिए इच्छुक नहीं है। एक को उपर के अफसर पसंद नहीं कर रहे। अगर तीसरे पर सहमति नहीं बनी तो हो सकता है कि कुछ दिन तक पीसीसीएफ ही इस पद को संभाले। बहरहाल, कैंपा के साथ ही जो पीसीसीएफ सुपरसीड हुए हैं, उन्हें सरकार नई पोस्टिंग देगी। याने वन विभाग में शीर्ष स्तर पर एक पोस्टिंग आदेश और निकलेगा।
बड़ा पोर्टफोलियो
भूपेश बघेल सरकार ने इस हफ्ते 26 आईएएस अफसरों को नई पोस्टिंग दी, उनमें सबसे अधिक किसी का कद बढ़ा तो वे हैं 2006 बैच के आईएएस अंकित आनंद। अंकित पहले से सिकरेट्री टू सीएम के साथ उर्जा सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इसके साथ बिजली कंपनियों के चेयरमैन भी। ताजा फेरबदल में सरकार ने उन पर भरोसा करते हुए सिकरेट्री फायनेंस का भी दायित्व सौंप दिया है। ये तीनों पोस्ट सरकार अपने विश्वस्त और सीनियर अफसरों को सौंपती है। देश में इतना बड़ा पोर्टफोलियों वाला अफसर शायद ही किसी राज्य में होगा। क्योंकि, सिकरेट्री टू सीएम की पोस्टिंग अपने आप में काफी होती है। उपर से बिजली सिकरेट्री और चेयरमैन का की पोस्टिंग अजय सिंह को छोड़ किसी को नहीं मिली। एक समय एक्स चीफ सिकरेट्री शिवराज सिंह चेयरमैन थे तो बैजेंद्र सिकरेट्री इनर्जी। सिकरेट्री फायनेंस होने का मतलब है सारे विभागों का कंट्रोल। अंकित लो प्रोफाइल में रहकर काम करने वाले आईएएस माने जाते हैं...सिर्फ काम से मतलब रखने वाले।
कलेक्टरों का एक आदेश और
सरकार ने 26 आईएएफस अफसरों को नई पोस्टिंग जारी की। इनमें छह जिलों के कलेक्टर भी शामिल थे, जिन्हें बदला गया। मगर ये संख्या काफी कम है। वास्तव में डेढ़ दर्जन से अधिक कलेक्टरों को बदला जाना है। आमतौर पर जून में कलेक्टरों की बड़ी लिस्ट निकलती है। इस सरकार में चारों साल जून में ही दो दर्जन से अधिक कलेक्टरों के तबादले हुए। जून के चक्कर में ही इस बार सिर्फ छह कलेक्टरों को बदला गया। बड़े जिलों के कलेक्टरों को जून के फेर में मोहलत मिल गई।
बैच नंबर-वन
कलेक्टरी में अभी 2011 बैच टॉप पर चल रहा है। इस बैच के सर्वाधिक सात आईएएस कलेक्टर हैं। रेगुलर रिक्रूट्ड याने आरआर में छह में से पांच कलेक्टर हैं तो प्रमोटी के चार में से दो। आरआर में इस बैच के डॉ. सर्वेश भूरे रायपुर, नीलेश श्रीरसागर महासमुंद, चंदन कुमार बलौदा बाजार, दीपक सोनी कोंडागांव और संजीव झा कोरबा। प्रमोटी में जन्मजय मोहबे कवर्धा और रिमुजियस एक्का बलरामपुर। आरआर में पांच में से चार आईएएस तीन-तीन जिला कर चुके हैं तो चंदन कुमार बलौदा बाजार में चौथा जिला कर रहे हैं। पिछले हफ्ते फेरबदल में उनका जगदलपुर से बलौदा बाजार हुआ है। 2011 बैच के छह में से सिर्फ विलास भोस्कर कलेक्टरी से बाहर हैं। बावजूद इसके, किसी एक बैच के, एक समय में कभी भी इतने कलेक्टर नहीं रहे। याने कलेक्टरी में इसे लकी बैच कहा जा सकता है।
जीएडी की चूक?
2007 बैच के सचिव स्तर के आईएएस कैसर हक को राज्य निर्वाचन आयोग में सिकरेट्री बनाया गया है। अभी तक इस पद पर किसी डायरेक्ट आईएएस को नहीं बिठाया गया। वो भी सिकरेट्री लेवल के। प्रमोटी आईएएस रिमुजियस एक्का को इस पद से कलेक्टर बनाकर बलरामपुर भेजा गया है। इससे समझा जा सकता है कि कैसी पोस्ट है ये। हालांकि, कैसर को सिकरेट्री मेडिकल एजुकेशन का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है मगर राज्य निर्वाचन वाली पोस्टिंग खटकने वाली है। वो भी तब, जब कैसर की छबि ठीकठाक अफसर की है...जीएडी से कहीं चूक तो नही हो गई। लिस्ट में नम्रता गांधी को डायरेक्टर पेंशन, चिकित्सा शिक्षा आयुक्त से हटाकर सिर्फ आयुष जैसे महत्वहीन पद दिया गया है। इसके पीछे उनका किसी डॉक्टर से विवाद होना बताया जा रहा। डॉक्टर लॉबी उनके खिलाफ लामबंद हो गई थी। रजत बंसल बलौदा बाजार से हटे नहीं, बल्कि स्वेच्छा से हटे हैं। उनके फादर इन लॉ चीफ इलेक्शन कमिश्नर हैं। चुनाव के दौरान कोई असहज स्थिति न पैदा हो, इस कारण उन्होंने पोस्टिंग चेंज का खुद आग्रह किया था। इस लिस्ट से एलायड सर्विस से आईएएस का कलेक्टर बनने का रास्ता खुल गया है। सरकार ने गोपाल वर्मा को खैरागढ़ का कलेक्टर बनाया है। आलोक अवस्थी के बाद छत्तीसगढ़ में एलायड कोटे से आईएएस बने किसी को भी कलेक्टर बनने का अवसर नहीं मिला।
अंत में दो सवाल आपसे
1. आईएएस के आगामी फेरबदल में एक कलेक्टर के सीएम सचिवालय में पोस्टिंग की चर्चा है, कौन हैं वो स्मार्ट कलेक्टर?
2. चार साल मलाईदार पदों पर रहने वाले नौकरशाह अब इस कोशिश में क्यों हैं कि उन्हें कोई गुमनामी वाली पोस्टिंग मिल जाए?