शनिवार, 22 अगस्त 2020

नाम के अध्यक्ष

 तरकश, 23 अगस्त 2020

संजय के दीक्षित
अविभाजित मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री रहने के दौरान पंचायत प्रतिनिधियों को काफी अहमियत मिली थी। जिपं अध्यक्षों का अपना रुतबा होता था। उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा भी दिया था सरकार ने। लेकिन, छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद जिपं अध्यक्षों का पराभाव होना शुरू हुआ, वह 15 बरस तक सत्ता में रही भाजपा सरकार में भी कंटीन्यू रहा। जिला पंचायतों में सीईओ को पावर देने का काम जोगी सरकार में प्रारंभ हुआ था। बीजेपी के शासनकाल में सीईओ और ताकतवर होते गए। जिला पंचायतों के अध्यक्षों की अब हालत ये है कि उन्हें मानदेय के नाम पर मिलते हैं मात्र 15 हजार रुपए। जबकि, पड़ोस के ही आंध्रप्रदेश में एक लाख 10 हजार मानदेय है। यूपी जैसे कुछ राज्यों में तो चेक साइन करने के भी अधिकार दिए गए हैं। कुल मिलाकर कह सकते हैं, छत्तीसगढ़ में जिपं अध्यक्ष का पद नाम का होकर रह गया है। सीईओ के रहमोकरम पर। ऐसे में, सरकार को उनका दर्द समझना चाहिए।

संसदीय सचिव और हार के खतरे

छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिवों के साथ एक मिथक जुड़ा हुआ है कि उन्हें अगली बार या तो टिकिट नहीं मिलती और मिलती है तो वे चुनाव हार जाते हैं। बीजेपी के समय मुख्यमंत्री रमन सिंह ने तीन इनिंग में से दो में संसदीय सचिव बनाएं थे…दूसरी और तीसरी पारी में। तीसरी पारी में जो संसदीय सचिव बने थे, उनकी हार का यहां जिक्र करना इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की आंधी थी। उसमें बड़े-बड़े पेड़ उखड़ गए, तो संसदीय सचिवों को कौन पूछे। अपन दूसरी पारी की बात करते हैं। उसमें लाभचंद बाफना, कोमल जंघेल, लखन देवांगन, रुपकुमार चैधरी, शिवशंकर पैकरा, गोवर्द्धन मांझी, चंपा देवी पावले, सुनीता राठिया, तोषण साहू और अंबेश जांगड़े को संसदीय सचिव बनाया गया था। इनमें रुपकुमारी और गोवर्द्धन को 2013 के चुनाव में टिकिट नहीं मिली। बचे सभी आठों संसदीय सचिव चुनाव में बुरी तरह निबट गए। सियासी प्रेक्षकों की मानें तो संसदीय सचिवों के पराभाव की दो अहम वजहें होती हैं। एक तो उनके पास कोई पावर होते नहीं, जिससे वे लोगों में अपनी लोकप्रियता बढ़़ा सकें। और दूसरी जो सबसे गड़बड़़ है, संसदीय सचिव बनते ही वे अपने आप को मंत्री के समकक्ष समझकर जमीन से दो इंच उपर उठ जाते हैं। हाव-भाव, व्यवहार सब बदल जाता है। जनता इसको पसंद नहीं करती। नतीजा फिर वही होता है, जो 2013 और 18 के चुनाव में हुआ। स्वागत-सत्कार कराने में जुटे संसदीय सचिवों को अतीत को भी जेहन में रखना चाहिए।

सीएस का एक्सटेंशन

पिछले महीने इसी स्तंभ में सीएस आरपी मंडल के एक्सटेंशन का जिक्र हुआ था। राज्य सरकार ने उन्हें छह महीने सेवावृद्धि देने का प्रपोजल केंद्र को भेज दिया है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद मंडल दूसरे सीएस होंगे, जिनके एक्सटेंशन के लिए सरकार ने प्रस्ताव भेजा है। उनके पहिले सुनील कुजूर के लिए भी सरकार ने प्रयास किया था। लेकिन, बात बनी नहीं। अभी उम्मीद कुछ ज्यादा इसलिए भी है कि कोरोना का पीरियड है। सीएम अगर प्रधानमंत्री से बात बात करें तो यह नामुमकिन नहीं है। क्योंकि, ये आपदा काल है। बहरहाल, मंडल के एक्सटेंशन के प्रस्ताव के कई मतलब निकलते हैं। एक तो सीनियर लेवल पर अफसरों की बेहद कमी है। एसीएस लेवल पर चार ही अफसर हैं। सीके खेतान, अमिताभ जैन, रेणु पिल्ले और सुब्रत साहू। ब्यूरोक्रेसी में दूसरा मतलब यह निकाला जा रहा…अमिताभ जैन के लिए संभावनाएं कहीं धूमिल तो नहीं हो रही है। अमिताभ का 2019 में 30 साल हो गया है। रेणु पिल्ले का भी अगले साल साल 30 साल हो जाएगा। लेकिन, परिस्थितियां एसीएस सुब्रत साहू के लिए अनुकूल हो रही है। सुब्रत सीएम सचिवालय में एसीएस हैं। हालांकि, उनका अभी आठ साल बाकी है। 2028 में रिटायरमेंट है। किन्तु ये भी सही है कि सीएम सचिवालय का लेवल लगने के बाद सुब्रत के लिए आगे की संभावना एक तरह से खतम हो जाएगी। स्वभाविक तौर पर कोई भी चाहेगा कि जो भी हो, इसी सरकार में हो जाए…बाद का बाद में देखा जाएगा। इसलिए, अगले सीएस की बात करें, तो सुब्रत का पलड़ा भारी दिख रहा है। ऐसे में, मंडल का एक्सटेंशन सुब्रत के लिए भी मुफीद होगा।

अफसरों को भी बत्ती

नेताओं की निगम, मंडलों में पोस्टिंग की एक बड़ी लिस्ट निकल चुकी है। दूसरी भी जल्द ही जारी होने वाली है। नेताओं को कुर्सी मिलता देख रिटायर अफसरों का मन मचल रहा है। अभी तक वे वेट कर रहे थे कि एक बार रेवड़ी बंटना चालू तो होए। अब तो मौका आ गया है। राज्य में कई ऐसे पद हैं, जिनमें रिटायर अधिकारियों को पोस्ट किया जाता है। सूचना आयोग में सूचना आयुक्त का एक पद पिछले साल से खाली है। रेरा का ट्रिब्यूनल भी बनना है। इसमें भी दो अफसर एडजस्ट हो जाएंगे। निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के चेयरमैन के पद भी खाली हैं। और भी कई हैं…सरकार चाहे तो ट्रिब्यूनल और प्राधिकरण बना सकती है। कुर्सी के दावेदारों में कई रिटायर आईएएस, आईपीएस, आईएफएस अफसर शामिल हैं। आईएएस में आरआर में हालांकि, सिर्फ बैजेंद्र कुमार और केडीपी राव हैं। राव एसीएस से पिछले साल 31 अक्टूबर को रिटायर हुए थे और बैजेंद्र इसी 31 जुलाई को। बाकी प्रमोटी आईएएस में तो आधा दर्जन से अधिक हैं। आईपीएस में बड़ा नाम डीजीपी से रिटायर हुए एएन उपध्याय का है। छोटे में और कई हैं। आईएफएस में पीसीसीएफ राजेश गोवर्द्धन इस महीने रिटायर होेने वाले हैं। इनमें से लगभग सभी उम्मीद से होंगे।

सवाल तो उठते हैं

रेप की शिकायत के बाद डीएमई को हटा दिया गया। बताया गया कि उनके खिलाफ कई शिकायतें थीं। 95 लाख का गबन के केस भी था। एक दूसरे मामले मेें लाॅ डिपार्टमेंट से अभियोजन की स्वीकृति मिल गई थी। ऐसे में, सवाल तो उठते ही हैं कि मेडिकल की शिक्षा देने वाले विभाग प्रमुख के खिलाफ क्या रेप की शिकायत आने की प्रतीक्षा की जा रही थी। गबन के केस में पहले कार्रवाई क्यों नहीं की गई। उपर से रिटायरमेंट के बाद संविदा पोस्टिंग भी। जबकि, संविदा नियुक्ति की पहली शर्त होती है चाल, चलन और चेहरा साफ-सुथरा हो। कमाल है।

निहारिका छुट्टी पर

हेल्थ सिकरेट्री निहारिका बारिक लंबी छुट्टी पर जाने वाली हैं। उनके आईपीएस हसबैंड आईबी में हंैं। उनकी जर्मनी में पोस्टिंग हो गई है। लिहाजा, निहारिका भी अवकाश चाह रही हैं। उनकी छुट्टी पर जाने के बाद जाहिर है स्वास्थ्य विभाग में नए सिकरेट्री की नियुक्ति होगी। निहारिका पहली सिकरेट्री होंगी, जिनका सरकार बदलने के बाद विभाग नहीं बदला। मई 2018 में उन्हें तब हेल्थ सिकरेट्री बनाया गया था, जब सुब्रत साहू निर्वाचन में गए थे। इस सरकार ने भी उन्हें कंटीन्यू रखा। हालांकि, अमिताभ जैन के पास फायनेंस पिछली सरकार में भी था। लेकिन, उनका पीडब्लूडी बदल गया। वैसे भी फायनेंस की पोस्टिंग लंबी ही होती है। आदमी को विभाग को समझने में एकाध साल निकल जाता है। बहरहाल, निहारिका छुुट्टी पर गई तो मंत्रालय में एक छोटी लिस्ट निकलेगी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. निगम, मंडलों की दूसरी लिस्ट जल्द आएगी या कुछ समय के लिए टल गया है?
2. निलंबित आईएएस जनकराम पाठक के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला अब मौनव्रत क्यों धारण कर ली है?

रविवार, 9 अगस्त 2020

चीफ सिकरेट्री को लेकर जल्दबाजी

तरकश, 9 अगस्त 2020
संजय के दीक्षित
सोशल मीडिया में नए चीफ सिकरेट्री को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है…राजस्व बोर्ड के चेयरमैन सीके खेतान से लेकर एसीएस अमिताभ जैन और सुब्रत साहू को ब्यूरोक्रेसी के इस शीर्ष पद का दावेदार बताया जा रहा है। हालांकि, इस बारे में अभी बात करना जल्दीबाजी होगी। सीएस आरपी मंडल के रिटायरमेंट में अभी साढ़े तीन महीने से ज्यादा बाकी हैं। वे 30 नवंबर को रिटच©2ायर होंगे। सीएस जैसे पद के लिए ये टाईम कम नहीं होते। फिर दावेदारों को लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता। वक्त बहुत बलवान होता है। कब किसके सितारे बुलंद हो जाए, कौन जानता है।

एक्सटेंशन भी संभव

सब कुछ ठीक रहा तो राज्य सरकार चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल के एक्सटेंशन पर भी विचार कर सकती है। हालांकि, सरकार ने सुनील कुजूर को भी छह महीने का एक्सटेंशन देने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा था। मगर दिल्ली से उन्हें क्लियरेंस नहीं मिला। कोरोना के दौर में केंद्र इस समय सकारात्मक रुख अपना सकता है। वैसे भी, मंडल के 13 महीने के कार्यकाल में पांच महीने कोरोना में निकल गया, जो साढ़े तीन महीने बचे हैं, उसमें भी क्या होगा, अभी कोई भरोसा नहीं। वे पिछले साल 1 नवंबर को चीफ सिकरेट्री का दायित्व संभाले थे। मंडल को एक्सटेंशन देने की स्थिति में सुब्रत साहू सीएस के स्ट्रांग कंडिडेट हो जाएंगे। सुब्रत एसीएस टू सीएम हैं। इस वजह से स्वाभाविक तौर पर वे सरकार के ज्यादा नजदीक हैं। हालांकि, जनवरी 2022 में उनका 30 साल पूरा होगा। मगर जब एएन उपध्याय 29 साल की सर्विस में डीजीपी बन सकते हैं तो फिर सुब्रत क्यों नहीं? हालांकि, ये सब कुछ निर्भर करेगा सीएम भूपेश बघेल पर कि इस बारे में वे क्या सोचते हैं।

लाॅकडाउन में छुट्टी

राजनांदगांव एसपी जितेंद्र शुक्ला की चार महीने में ही ट्रांसफर हो गया। वे मार्च एंड में चार्ज लिए थे और 7 अगस्त को बटालियन में कमांडेंट बनाए जाने का आर्डर निकल गया। जितेंद्र को सुकमा में मंत्री कवासी लकमा से पंगा लेने की वजह से हटाया गया था। उस समय उन्हें पुलिस मुख्यालय में पोस्ट किया गया था। हालांकि, वे जल्दी ही वापसी करते हुए महासमुद के एसपी बनने में कामयाब हो गए। सरकार ने उन पर भरोसा करते हुए महासमुंद से राजनांदगांव जैसे जिले का कप्तान बनाया। मगर वे लाॅकडाउन में एसपी बनें और लाॅकडाउन में ही चलता कर दिए गए। खबर है, उनकी वर्किंंग से सरकार बहुत खुश नहीं थी। खैरागढ़ थाने के टीआई ने जिस बीजेपी नेता को करोड़ों के चिट फंड घोटाले में जेल भेजा था, एसपी ने उस टीआई की ही छुट्टी कर दी। इससे सरकार के कान खड़े हो गए।

एक और लिस्ट

एसपी की एक छोटी लिस्ट निकल गई, एक और आ सकती है। आईपीएस डी श्रवण को सीनियरिटी की दृष्टि से मंुगेली जैसा छोटे जिले के एसपी बनने पर तरकश के पिछले अंक में जिक्र हुआ था। सरकार ने इसे नोटिस में लेते हुए श्रवण को मुंगेली से हटाकर राजनांदगांव जैसे बड़े जिले की कमान सौंप दी है। पता चला है, दो-तीन जिलों के एसपी और बदल सकते हैं। इनमें दो जिले बस्तर के हो सकते हैं। और, एक-दो बिलासपुर संभाग के।

सीएम का गुस्सा

आदिवासी विभाग की हाईपावर कमेटी की बैठक में आदिवासियों से जुड़ी योजनाओं में डीएफओ समेत फाॅरेस्ट अफसरों द्वारा इंटरेस्ट नहीं लेने पर सीएम भूपेश बघेल बेहद नाराज हुए। सीएम हाउस मंें हुई इस बैठक में वन मंत्री मोहम्मद अकबर, पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव, आदिवासी मंत्री मंत्री प्रेमसाय सिंह, संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत समेत आला अधिकारी मौजूद थे। सीएम ने दो टूक कहा, आदिवासियों से जुड़ी योजनाओं में फाॅरेस्ट अफसर अगर अड़ंगेबाजी करेंगे तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बैठक में मौजूद सीएस आरपी मंडल को उन्होंने निर्देश दिया कि वे इसे प्रायरिटी में इसकी माॅनिटरिंग करें।

विद्या भैया के ऐसे लोग

2 अगस्त अविभाजित मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पं0 रविशंकर शुक्ल का जन्मदिन था और उनके बेटे पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल का भी। रविशंकर शुक्ल तो बीते युग के हो गए मगर हैरानी की बात यह है कि विद्या भैया को भी किसी ने याद नहीं किया। वे लोग भी नहीं, जिन लोगों की पहचान विद्या भैया से बनी और आज भी उनके नाम से ही जाने जाते हैं। वाकई…ये हद है।

राजेश रिटायर लेकिन…

वन विकास निगम के एमडी राजेश गोवर्धन इस महीने रिटायर हो जाएंगे। सवाल उठता है, गोवर्धन की जगह कौन लेगा। एमडी का पद पीसीसीएफ लेवल का है। पीसी पाण्डेय सीनियरिटी में हैं। लेकिन, लंबे समय से आईएफएस की डीपीसी लटके होने की वजह से अफसरों का प्रमोशन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में, हो सकता है पाण्डेय को सरकार प्रभारी एमडी बना दें।

कलेक्टर नहीं

छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता दिवस पर कलेक्टर नहीं, जनप्रतिनिधि ही झंडारोहण करेंगे। कुछेक राज्यों ने कोरोना को देखते अबकी कलेक्टरों को जिला मुख्यालयों में झंडा फहराने के लिए अधिकृत किया गया है। इसको देखते छत्तीसगढ़ में कुछ दिनों से सोशल मीडिया में कलेक्टरों के झंडा फहराने की अटकलें चल रही हैं। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं होेने वाला। कोरोना प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए जनप्रतिनिधि ही झंडा फहराएंगे।

गुरू घासीदास जिला

सतनामी समाज बलौदा बाजार जिले का नामकरण बाबा गुरू घासीदास के नाम पर करने की मांग कर रहा है। विधायक इंदू बंजारे ने इसके लिए सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखकर कहा है कि गिरौदपुरी बाबा की जन्मस्थली है, इस वजह से 15 अगस्त को बलौदा बाजार जिले का नामकरण बाबा के नाम कर दें, तो सतनामी समाज आपका आभारी रहेगा। पंजाब जैसे कुछ सूबों में वहां के संतों के नाम पर जिलों के नामकरण होने के दृष्टांत हैं। अब देखना है, सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है।

विधायकों को इम्पाॅर्टेंस

विस चुनाव में जब कांग्रेस की झोली में 67 विधायक आए थे तो समझा गया था कि इतनी बड़ी फौज में विधायकों को भला कौन पूछेगा। मगर संसदीय सचिवों समेत निगम-आयोगों में विधायकों को जिस तरह इम्पाॅर्टेंस दिया जा रहा है, वह धारणा निर्मूल निकली। 15 संसदीय सचिवों समेत बस्तर, सरगुजा विकास प्राधिकरणों, आयोग, मंडलों में अभी तक करीब ढाई दर्जन विधायकों को एडजस्ट किया जा चुका है। निगम-मंडलों की दूसरी सूची में भी कुछ विधायकों को मौका मिल सकता है। कह सकते हैं, विधायकों की निकल चुकी है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. किस जिले के एसपी ने 7500 फुट सरकारी जमीन खरीदने के स्कीम में पत्नी के नाम से दो आवेदन लगा दिया है?
2. छत्तीसगढ़ के किस कांग्रेस नेता को हद से अधिक किस्मती माना जाता है…बिना कुछ किए उनके पास अवसर चलकर आ जाते हैं?

कमाल के 10 साल!

संजय के दीक्षित
तरकश, 2 अगस्त 2020
आईएएस की सर्विस औसतन 30 बरस मानी जाती है। दो-चार साल ज्यादा होता भी है तो वो प्रोबेशन में निकल जाता है। इन 30 साल में अमूमन सभी अफसरों के दस बरस कमाल के होते हैं। यानी तब इनके सितारे बुलंद होते हैं। जितना नाम, धन अर्जित करते हैं, वो इसी पीरियड में। इसके बाद 10 बरस औसत। और बचा 10 बरस बेहद बैड। छत्तीसगढ़ में भी 20 बरस में यही देखने को मिला है। नौकरशाह भी इसके लिए मेंटली तैयार होते हैं। क्योंकि, मसूरी ट्रेनिंग के दौरान उन्हें इनडायरेक्टली इसके टिप्स मिल जाते हैं।

आईएएस के 2005 बैच

एक समय था…जब आईएएस के 2005 बैच की तूती बोलती थी। पावरफुल पदों पर 2005 बैच के अफसर पोस्टेड थे। रजत कुमार, मुकेश बंसल सीएम सचिवालय में, राजेश टोप्पो कमिश्नर पब्लिक रिलेशंस। ओपी चौधरी रायपुर और संगीता आर दुर्ग की कलेक्टर। एस प्रकाश एजुकेशन के होलसोल । इनमें से रजत और मुकेश सेंट्रल डेपुटेशन पर चले गए। संगीता कहां हैं, पता नहीं। प्रकाश का नाम जेहन में नहीं। ओपी इस्तीफा देकर बीजेपी लीडर बन गए। राजेश टोप्पो का नाम भी विस्मित समान है। फिलहाल, तो छत्तीसगढ़ में इस बैच का झंडा उठाने वाला कोई नहीं बचा है।

कलेक्टरों को मार्गदर्शन नहीं

कलेक्टरों की वीडियोकांफ्रेंसिंग में चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल कुछ जिलों में गोठानों का काम ठीक से न आपरेट होने पर नाराज दिखे। एक कलेक्टर ने उनसे जब गोठान मामले पर सीएस से मार्गदर्शन मांगा तो मंडल ने कहा…मिस्टर! कलेक्टरों को मागदर्शन नहीं, निर्देश दिए जाते हैं। इसके बाद वीडियोकांफ्रेंसिंग में सन्नाटा पसर गया। इस बार का कलेक्टर कांफ्रेंस मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकाक्षी योजना गोधन न्याय पर केंदित रहा।

सेल्फ ब्रांडिंग

कुछ जिलों के कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों का सोशल मीडिया प्रेम फिर जागने लगा हैं। कभी किसी खेत में किसान बनकर धान बोते तो कभी खेत जोतते फोटो। हालांकि, पिछली सरकार में ये सब आम बात थी। कलेक्टर सरकार की योजनाओं को जमीन पर नहीं, सोशल मीडिया में आॅपरेट करते थे। सरकार को इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा। सरकार बदलने के बाद हालांकि, अफसरों का सोशल मीडिया प्रेम कम हुआ था। लेकिन, अब फिर सोशल मीडिया में अफसरों की फोटुएं वायरल होने लगी हैं।
सीनियर को कमान
गोधन न्याय योजना को सरकार कितनी अहमियत दे रही है, इससे पता चलता है कि हितग्राहियों को भुगतान करने में कोई दिक्कत न हो, सरकार ने एडिशनल चीफ सिकरेट्री फायनेंस अमिताभ जैन की अध्यक्षता में सिकरेट्रीज की चार सदस्यीय कमेटी बना दी है। अमिताभ मतलब सीनियरिटी में चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल के बाद दूसरे नम्बर के आईएएस…राज्य के खाजांची। अमिताभ के अलावा प्रिंसिपल सिकरेट्री पंचायत गौरव द्विवेदी, एपीसी एम गीता और सहकारिता सचिव प्रसन्ना आर इस कमेटी के मेम्बर हैं। सीएस कलेक्टरों की वीसी ले रहे हैं। इससे सरकार की प्रायरिटी समझी जा सकती है।

440 वोल्ट का झटका

डीआईजी आरिफ शेख के ईओडब्लू, एसीबी चीफ बनने से पहले जिन दो दर्जन इंस्पेक्टरोें, सब इंस्पेक्टरों ने जिस प्लानिंग से अपनी सेवाएं पुलिस विभाग में वापिस करा ली थी, उन्हें सरकार ने 440 वोल्ट का झटका दे दिया। पुलिस हेडक्वार्टर ने सभी की बस्तर रवानगी डाल दी। पहले वाली सरकार होती तो इनमें से कई कोर्ट चल दिए होते, किन्तु इस सरकार के तेवर को देखते बिना अगर-मगर किए सबने दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा ज्वाईन कर लिया है।

अलेक्स का हार्ड लक

कोविड ने आईएएस अलेक्स पाल मेनन के हायर स्टडी के लिए यूएस जाने पर ब्रेक लगा दिया। अलेक्स का हार्वर्ड, कोलंबिया समेत यूएस के चार टाॅप के इंस्टिट्यूट में सलेक्शन हुआ था। उन्होंने हार्वर्ड जाने की तैयारी भी शुरू कर दी थी। लेकिन, इसी बीच कोरोना आ गया। ऐसे में, मेनन को यूएस जाने का प्लान केंसिल करना पड़ा। हालांकि, इस चक्कर में उनका नुकसान भी हुआ। चूकि जीएडी को पता था कि उन्हें हार्वर्ड जाना है, इसलिए ढंग का विभाग नहीं मिला। अब जब क्लियर हो गया है कि मेनन यूएस नहीं जा रहे तो सरकार ने उन्हें लेबर कमिश्नर बनाया है। चलिये, सोनमणि बोरा को भी एक सहयोगी मिल गया।

मान्यता की तलवार

भारत सरकार ने कोरोना पर अल्टीमेटम देकर देश भर के मेडिकल काॅलेजों की चिंता बढ़ा दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि जो मेडिकल काॅलेज कोविड-19 के टेस्टिंग लेब चालू नहीं करेंगे, अगले साल उन्हें मान्यता नहीं दी जाएगी। इसके बाद बिलासपुर, राजनांदगांव और अंबिकापुर मेडिकल काॅलेजों ने टेस्टिंग शुरू कर दी है। बचे काॅलेजों को भी अगर अगले साल की मान्यता चाहिए तो जल्द टेस्टिंग शुरू करनी पड़ेगी।

गोबर का क्रेज

सरकार ने जब से गोबर खरीदना शुरू किया है, बेस्ट मैटेरियल समझा जाने वाला गोबर का क्रेज काफी बढ़ गया है। आलम यह है कि इसकी अब चोरी भी शुरू हो गई है। मुंगेली जिले के कुछ गोठानों से पिछले हफ्ते गोबर की चोरी हो गई। सुना है, इसके लिए वहां के कलेक्टर पीएस एल्मा बेहद परेशान हैं।

पति का विभाग पत्नी को

प्रिंसिपल सिकरेट्री मनिंदर कौर द्विवेदी को सरकार ने आखिरकार पोस्टिंग दे दी। जेम्स एन ज्वेलरी पार्क मामले में सरकार ने उनसे सारे विभाग ले लिया था। हालांकि, पिछले महीने जब प्रभारी सचिव का दायित्व सौंपा तो समझ में आ गया था कि उन्हें विभाग भी मिल सकता है। मनिंदर को वाणिज्यिक कर और ग्रामोद्योग विभाग मिला है। वाणिज्यिक कर उनके हैसबैंड गौरव द्विवेदी के पास था।

महिला आईएएस

स्वास्थ्य, पंचायत और वाणिज्यिक कर मंत्री टीएस सिंहदेव के विभाग में महिला आईएएस की संख्या बढ़ती जा रही है। रेणु पिल्ले, निहारिका बारिक, प्रियंका शुक्ला, रानू साहू के बाद अब मनिंदर कौर द्विवेदी की पोस्टिंग हुई है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. वीडियोकांफ्रेंसिंग में चीफ सिकरेट्री ने किस कलेक्टर को हैवीवेट कलेक्टर कहा?
2. सरकार ने गोबर खरीदी कमेटी का मुखिया एसीएस अमिताभ जैन को बनाया है तो इसके क्या मायने निकालने चाहिए?