शनिवार, 20 दिसंबर 2014

तरकश, 21 दिसंबर

गदहा और घोड़ा

लगता है, मंत्रालय के आला अफसरों के पास कोई काम नहीं बच गया है, सिवाय इसके विश्लेषण के कि कौन गदहा है और कौन घोड़ा। तभी तो एक आला नौकरशाह ने प्रमोटी आईएएस अफसरों के खिलाफ वाट्सअप पर अभ्रद कमेंट्स कर दिया। दरअसल, जन धन योजना में सूबे के जिन 10 जिलों ने उम्दा काम किया है, उनमें उपर के छह जिलों में प्रमोटी आईएएस कलेक्टर हैं। हालांकि, डायरेक्ट अफसरों के मन में प्रमोटी के लिए कितना रेस्पेक्ट होता है, यह किसी से छिपा नहीं है। लेकिन, नौकरशाह से चूक हो गई और उन्होंने कलेक्टरों और मंत्रालय के चुनिंदा ब्यूरोक्रेट्स के डीएम ग्रुप पर अपने उत्तम विचार को पोस्ट कर दिया। उन्होंने लिखा, घोड़ों से काम कराना तो आसान है मगर……ने जन धन योजना में बढि़यां काूम कैसे कर डाला। बताते हैं, अफसर ने किसी डायरेक्ट आईएएस को भेजने के लिए यह मैसेज तैयार किया था मगर रात का समय था, इसलिए वह डीएम ग्रुप में पोस्ट हो गया। प्रमोटी अफसरों ने इसे गंभीरता सेे लेते हुए सीएम से मिलने का समय मांगा है। याने मामला तूल पकड़ेगा। 

58 की चिंता

सेंट्रल में रिटायरमेंट एज 60 से घटाकर 58 करने की खबर ने खास कर नौकरशाही को हिला दिया है। पता चला है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएमओ के कुछ अफसरों को रिपोर्ट तैयार करने में लगाया है कि रिटायरमेंट एज कम करने से कितने अफसर एवं कर्मचारी प्रभावित होंगे और उन्हें भुगतान करने के लिए एट ए टाईम कितने पैसे की जरूरत पड़ेगी। पिछले हफ्ते यह खबर बाहर आई और फिर इसे वायरल होने में देर नहीं लगी। हालांकि, स्ट्रेज्डी के तहत सरकार ने लोकसभा में इस पर फिलहाल अनभिज्ञता जता दी है। पर दिल्ली में उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो अंदर मंे इस पर जबर्दस्त एक्सरसाइज चल रहा है। ऐसे में नौकरशाहों का चिंतित होना लाजिमी है। अगर ऐसा हुआ तो छत्तीसगढ़ में आईपीएस में तो कोई नहीं मगर आईएएस, आईएफएस में कइयों की यकबयक कुर्सी चली जाएगी। आईपीएस में 58 से अधिक वाला कोई अफसर नहीं है। एमडब्लू अंसारी का भी अभी 57 चल रहा है। मगर आईएएस में तो उपर के पांच एक साथ बाहर हो जाएंगे।

दूसरा आईएएस

आबकारी एवं वाणिज्यिक कर आयुक्त तथा सिकरेट्री आरएस विश्वकर्मा को रिटायरमेंट से पहले प्रिंसिपल सिकरेट्री बनाने की कवायद शुरू हो गई है। विश्वकर्मा 31 जनवरी को रिटायर होंगे। समझा जाता है कि इसके एकाध हफ्ते पहले उनका आर्डर निकल जाएगा। जवाहर श्रीवास्तव के बाद सूबे के वे दूसरे प्रमोटी आईएएस होंगे, जिन्हें प्रिंसिपल सिकरेट्री बनने का मौका मिलेगा। विश्वकर्मा एलायड सर्विस से आईएएस में चुने गए थे।

दिपांशु बनेंगे आईजी

रायपुर, दुर्ग, रायगढ़ जैसे जिलों के एसपी रह चुके हाई प्रोफाइल आईपीएस दिपांशु काबरा नए साल में आईजी बन जाएंगे। संभवतः इस महीेने के अंत या अगले महीने के पहले सप्ताह में डीपीसी के बाद उनका आर्डर निकल जाएगा। काबरा अभी डीआईजी एसआईबी हैं। इसी तरह, दुर्ग एसपी आनंद छाबड़ा प्रमोट होकर डीआईजी बनेंगे। छाबड़ा लबे समय से फील्ड में हैं। छाबड़ा पुलिस मुख्यालय में दिपांशु की जगह ले सकते हैं।

लिम्का बुक

रायपुर साहित्य महोत्सव लिम्का बुक में दर्ज हो सकता है। न्यू रायपुर में पहली बार आयाजित इस महोत्सव में देश भर से रिकार्ड 208 प्रतिभागी पहुंचे। वहीं, 30 हजार लोग भी आए। साहित्यिक आयोजनों में आमतौर पर पचासेक लोग भी पहुंच जाते हैं तो उसे सफल माना जाता है। देश के सबसे बड़े जयपुर साहित्य महोत्सव में भी 10 हजार से अधिक लोग कभी नहीं आते। तभी लिम्का बुक ने इसे नोटिस में लिया है। रायपुर साहित्य महोत्सव इस मायने में खास रहा कि यहां लोकल साहित्यकारों को भी बराबरी से मंच मिला। इसके उलट, जयपुर महोत्सव में अंग्रेजी साहित्यकार हावी रहते हैं।

कांटे का टक्कर

राज्य के 10 नगर निगमों में सिर्फ रायपुर नगर निगम ऐसा होगा, जहां कांटे की लड़ाई की स्थिति बनती दिख रही है। रायपुर में कांग्रेस का कोई बागी नहीं है। प्रमोद दुबे को लगभग सभी क्षत्रपों का समर्थन है। और, सबसे बड़ा प्लस प्रमोद की अपनी व्यक्तिगत छबि है। हालांकि, छबि के मामले में सच्चिानंद उपासने भी कमजोर नहीं पड़ते। मगर सत्ताधारी पार्टी के रणनीतिकारों ने वस्तुस्थिति को समझते हुए रायपुर के अपने दोनों मंत्रियों को चुनाव में लगा दिया है। बृजमोहन अग्रवाल और राजेश मूणत गुरूवार को देर रात तक बागियों को मनाते रहे।

आठ पर बीजेपी को बढ़त

नसबंदी कांड जैसी हिला देने वाली घटना के बाद भी नगरीय चुनाव में बीजेपी को जबर्दस्त बढ़त मिलती दिख रही है। पार्टी ने एक एजेंसी से सर्वे कराया है और सरकार की अपनी एजेंसियों ने भी इसकी पुष्टि की है कि 10 में से सात-से-आठ सीट पर बीजेपी को बढ़त मिल रही है। भाजपा को नुकसान सिर्फ कोरबा, धमतरी और दुर्ग में हो रहा है। कोरबा में भी उषा तिवारी के निर्दलीय खड़े होने की वजह से वहां बीजेपी की स्थिति मजबूत हो गई है। भाजपा के लिए सबसे खराब हालत दुर्ग में है। अंबिकापुर मे कांग्रेस के डा0 अजय तिर्की को वीनिंग कंडिडेट माना जा रहा था। मगर भाजपा ने लोकल नेताओं के विरोध के बाद भी प्रबोध मिंज को तीसरी बार टिकिट देने की बजाए फ्रेश कंडिडेट को मैदान में उतार कर स्थिति अपने पक्ष में कर ली है।

13 का चक्कर

यू ंतो रमन सरकार पिछले महीने 13 के चक्कर में सबसे ज्यादा परेशान रही। पहले, नसबंदी में 13 महिलाओं की मौत हुई, फिर चिंतागुफा नक्सली हमले में 13 जवान शहीद। लेकिन जिस दिन से पूरी सरकार और संगठन रिचार्ज हुआ, वह तारीख भी 13 ही थी। 12 दिसंबर की देर रात पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कड़े तेवर दिखाते हुए सारे असंतुष्टों को लाइन से लगाया, तब तारीख 13 हो गई थी। इसके बाद तो सरकार फिर से फार्म में आ गई। आलम यह है कि चुनाव न चाहने वाली सरकार अब दसों सीट जीतने का दावा कर रही है। मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह का कांफिडेंस इतना बढ़ गया कि कांग्रेस का घोषणा पत्र में चुटकी लेते हुए कहा कि घोषणा करना उनका अधिकार है मगर उसका क्रियान्वयन हम करेंगे।

लेडी शाल और कांग्रेस विधायक

नसंबदी और धान खरीदी इश्यू को लेकर कांग्रेस ने अबकी विरोध करने का नायाब नुख्सा निकाला। सारे विधायक काली शाल ओढ़कर सदन में पहुंचे। लेकिन शाल का इंतजाम ऐसे ही नहीं हुआ। बाजार में काली शाल मिल नहीं रही थी। थी भी तो लेडी। बड़े असमंजस के बाद लेडी शाल ही खरीदना तय हुआ। यह सोचकर कि ठंड का समय है…..घरवाली यूज कर लेगी। याने डबल यूज।

चरणदास जब हुए खफा

टिकिट वितरण में कांग्रेस में जो कुछ हुआ, उससे प्रभारी सचिव भक्त चरणदास बेहद नाराज हैं। कांग्रेस भवन में दो पक्षों में जबर्दस्त मारपीट के अगले दिन जब बिलासपुर की टिकिट के लिए कांग्रेस भवन में बैठक शुरू हुई तो भक्त चरणदास ने संगठन खेमे के एक नेता से कहा, आपके लोगों ने कल रात जो किया, अच्छा नहीं किया। इस पर बात इतनी बढ़ गई कि तमतमाए चरणदास मीटिंग छोड़ कर चले गए। वे इतने गुस्से में थे कि पीसीसी की गाड़ी भी नहीं ली। एक कार्यकर्ता की गाड़ी से होटल रवाना हो गए। हालांकि, उन्हें मनाने के लिए भूपेश बघेल दौड़े-दौड़े बाहर आए, तब तक चरणदास जा चुके थे।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक मंत्री का नाम बताइये, जो एक नगर निगम में भाजपा और कांग्रेस के मेयर के दोनों उम्मीदवारों को फाइनेंस कर रहे हैं?
2. राजधानी के एक उद्योगपति के यहां छापे में आखिर क्या मिला कि जांच एजेंसी ने दो आला नौकरशाहों को नोटिस दिया है?

रविवार, 30 नवंबर 2014

तरकश, 30 नवंबर

तरकश

सत्र के बाद

मंत्रिमंडल में फेरबदल अब विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद ही होगा। इससे पहले, नो चांस समझिए। नसबंदी कांड के बाद जोर की चर्चा थी कि राजभवन में शपथ ग्रहण की खबर कभी भी आ सकती है। मगर जानकार सूत्रों का कहना है कि जनवरी के पहले या दूसरे हफ्ते मंे ही चेंजेस की उम्मीद की जा सकती है। तब, तीन खाली पदों को भी भरा जाएगा। कुछ मंत्रियों के विभाग भी बदले जाएंगे। ताजा अपडेट यह है कि दिल्ली ने सीएम को फ्री हैंड दे दिया है……अपने हिसाब से वे निर्णय लें। आपको ध्यान होगा, पिछले सप्ताह सीएम जब दिल्ली गए थे, तो यहां एयरपोर्ट पर मीडिया से कहा था कि मंत्रिमंडल में परिवर्तन किसी भी समय हो सकता है। मगर अगले दिन जब वे लौटे तो उनका सूर बदला हुआ था। उन्होंने कहा, महीना, दो महीना, छह महीना बाद भी हो सकता है फेरबदल।

जनवरी में

दिसंबर फस्र्ट वीक में होने वाला ब्यूरोक्रेटिक चेंजेंस भी अब टल गया है। सरकार ने सभी कलेक्टरों एवं एसपी को राहत देते हुए जनवरी में फेरबदल करने का फैसला किया है। अति विश्वस्त सूत्रों ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कलेक्टर, एसपी अपने जिलों में ही नया साल मनाएंगे। जनवरी फस्र्ट या सेकेंड वीक तक होंगे अब चेंजेस। नसबंदी कांड के बाद कुछ जिलों के कलेक्टर, एसपी और आईजी के बदलने की चर्चा तेज थी। पुलिस महकमे में वैसे भी दिसंबर में लिस्ट निकलती है। 2008 में तो 31 दिसंबर को देर रात आईपीएस की लिस्ट निकल गई थी। लेकिन, इस बार यकीनन ऐसा कुछ नहीं होने वाला।

न्यायिक आयोग, कांग्रेसी वकील

नसबंदी कांड के न्यायिक जांच आयोग में कांग्रेसी वकील मेम्बर बनते-बनते रह गए। बताते हैं, जोगी शासन काल के समय बड़े पोस्ट पर रहे एक लायर ने बिलासपुर हाईकोर्ट के अपने रिश्तेदार को जांच आयोग के लिए रिकमांड करवा लिया था। एक अफसर के जरिये सीएम सचिवालय तक इसकी फाइल पहुंची। लेकिन, इससे पहले वहां कहीं से इसके बारे में जानकारी आ गई थी। सो, तुरंत नाम काटा गया। और, सरकार को जान में जान आई।

अब रिजल्ट चाहिए

गृह विभाग की समीक्षा के दौरान सीएम डा0 रमन सिंह ने पहली बार तल्खी दिखाई। उन्होंने दो टूक कहा कि नक्सल इलाकों में करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं, मगर रिजल्ट कुछ नहीं है। पुलिस महकमा सिर्फ संसाधनों पर जोर देता है, आखिर दिल्ली को कुछ बताना भी तो पड़ेगा कि पुलिस यहां क्या कर रही है। उन्होंने पुलिस अफसरों को टिप्स दी कि जिस तरह सरगुजा से नक्सलियों का सफाया हुआ, उसी तरह एक-एक जिलों को टारगेट में रखकर नक्सल मुक्त किया जाए। हालांकि, उन्होंने बस्तर में लगातार चल रहे माओवादियों के समर्पण पर प्रसन्नता व्यक्त की।

वजनदार आईएएस

सिकरेट्री टू सीएम सुबोध सिंह का वजन लगातार बढ़ता जा रहा है। सीएम सिकरेट्री की पोस्टिंग वैसे ही रुतबेदार होती है। उसके बाद बिजली वितरण और ट्रेडिंग कंपनी का दायित्व। फिर, इस साल माईनिंग जैसे अहम विभाग मिल गया। और, शनिवार को कामर्स और इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट भी सरकार ने उनके हवाले कर दिया। कामर्स एंड इंडस्ट्रीज एन बैजेंद्र कुमार के पास था। सुबोध साफ-सुथरी और निर्विवाद छबि के आईएएस माने जाते हैं। माईनिंग और इंडस्ट्रीज सरकार सबको नहीं दे सकती। ऐसे में, सुबोध पर लोड बढ़ता जा रहा है।

जाना पहचाना नाम

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर का नाम छत्तीसगढ़ के लिए भले ही नया हो, मगर बस्तर के लिए जाना-पहचाना चेहरा है। बस्तर बीजेपी के दो दर्जन से अधिक नेताओं के पास खट्टर के पर्सनल मोबाइल नम्बर हैं। सीएम बनने के बाद अब सीधे तो उनसे बात नहींे हो पाती मगर पीए के जरिये आज भी कई लोग उनके संपर्क में हैं। असल में, खट्टर 2003 में बस्तर में पार्टी के प्रभारी थे। बीजेपी के नेता खट्टर के फक्कड़ स्वभाव को आज भी याद करते हुए कहते हैं कि चुनाव के समय जहां शाम हो जाए, सामान्य कार्यकर्ता के घर भी वे रात गुजार लेते थे।

अंत में दो सवाल आपसे

1. रमन सरकार के किन दो मंत्रियों में ट्रांसफर को लेकर अनबन चल रहा है?
2. नसबंदी कांड पर कांग्रेस का एक धड़ा जब सीएम हाउस को घेरने की तैयारी कर रही थी, तो दूसरा धड़ा सीएम से क्यों मिलि रहा था?

शनिवार, 22 नवंबर 2014

तरकश, 22 नवंबर

तरकश, 23 नवंबर

तरकश

मंत्रीजी का गांव प्रेम

रमन सिंह की तीसरी पारी में गृह मंत्री भले ही चेंज हो गए मगर पुलिस महकमे की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। नए गृह मंत्री रामसेवक पैकरा के साथ दिक्कत यह है कि उनका अधिकांश समय अपने गांव में गुजरता है। कैबिनेट न रहा, तो कई बार पंद्रह-पंद्रह दिन मंत्रीजी राजधानी से बाहर रहते हैं। उनके पास कंपीटेंट स्टाफ का भी टोटा है। किसी तरह फाइल मंत्रीजी के आफिस तक पहुंच भी गई, तो आसानी से कोई उसे समझने वाला नहीं है। ऐसे में, मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय में फाइलों का ढेर लगना लाजिमी है। पता चला है, सरकार अब मंत्रीजी को एक डिप्टी कलेक्टर देने पर विचार कर रही है, ताकि फाइलों का डिस्पोजल तेज हो सकें। साथ ही, उन्हें कुछ वक्त राजधानी को देने के लिए भी कहा जा सकता है।

असरदार लोग

देश की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित न्यूज मैग्जीन इंडिया टुडे के इस साल के उंचे और असरदार लोगों के ताजा अंक में सभी राज्यों से 10-10 पावरफुल शख्सियतों को शामिल किया गया है। इंडिया टुडे ने दिल्ली की एक एजेंसी को सर्वे का काम सौंपा था। उसकी रिपोर्ट के आधार पर छत्तीसगढ़ में राजनीति से अजीत जोगी, सौदान सिंह और अभिषेक सिंह, ब्यूरोके्रट्स में चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड, प्रींसिपल सिकरेट्री टू सीएम अमन सिंह, सिकरेट्री टू सीएम सुबोध सिंह, बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूूरी, ज्वाइंट सिकरेट्री टू सीएम एंड डीपीआर रजत कुमार, मीडिया से हरिभूमि के प्रबंध संपादक डा0 हिमांशु द्विवेदी, समाज सेवा से रायगढ़ के रमेश अग्रवाल को शामिल किया गया है।

इसे कहते हैं जोगी

अजीत जोगी के संगठन खेमे से रिश्ते कैसे हैं, यह बताने की जरूरत नहीं। मगर बिना किसी मान-मनुहार के जोगी ने अगर पीसीसी की पदयात्रा में शामिल होने की सहमति दे दी है, तो इसके अपने कारण हैं। असल में, जोगी के पास कोई चारा नहीं है। केंद्र में सरकार है नहीं, और छत्तीसगढ़ में चार साल तक कोई चांस नहीं है। इसलिए, अब संगठन ही बच गया है। जाहिर है, सदस्यता अभियान के बाद प्रदेश में चुनाव होगा। जोगी सतर्क हैं कि उनकी एकला चलो वाली राजनीति का संदेश अब कार्यकर्ताओं में न जाए। रणनीति के तहत अब वे एकला भी चलेंगे और सबके साथ भी। याद होगा, चुनाव आयोग के खिलाफ वे पार्टी के दिल्ली धरना में भी शामिल हुए थे। धान मामले में भी वे चक्का जाम में शामिल होने का ऐलान किया था। मगर राजधानी के तेलीबांधा पहुंचे, तो पता चला कि वहां कोई कार्यकर्ता नहीं है। वे उल्टे पांव वापिस हो गए थे। जाहिर है, दोनों मैसेज गए। एक, जोगीजी पार्टी कार्यक्रम को अंगीकार किया। दूसरा, संगठन एक्सपोज हुआ कि उसमें आंदोलन चलाने का दम नहीं है। इसे ही कहते हैं जोगी।

लास्ट बाल पर छक्का

संजय पिल्ले एसीबी से जाते-जाते लास्ट बाल पर छक्का मार गए। एसीबी ने 15 नवंबर को सुबह हाउसिंग बोर्ड के डिप्टी कमिश्नर डीके दीवान के घर छापा मारा और शाम को पिल्ले को एडीजी योजना और प्रबंध तथा सशस्त्र बल का आर्डर हो गया। दीवान के घर से 10 करोड़ रुपए से अधिक की संपति का खुलासा हुआ है। याने राज्य बनने के बाद 14 साल में एसीबी का यह सबसे बड़ा शिकार होगा। तभी तो सरकार ने पिल्ले को छक्का मारने का ईनाम कुछ घंटे में ही दे दिया।

ईओडब्लू का मतलब

मुकेश गुप्ता को ईओडब्लू और एसीबी का एडीजी बनाकर भेजने से लगता है कि भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ अब मुहिम तेज की जाएगी। एजेंसी में कई आईएएस अफसरों, आला अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ सालों से मामले दर्ज हैं। ईओडब्लू में दर्ज मामले के आधार पर ही तमिलनाडू की सीएम जयललिता को कुर्सी गंवानी पड़ी तो आंध्र के सीनियर आईएएस प्रदीप शर्मा जेल में हैं। और, इसी साल छत्तीसगढ़ के एक मंत्रीजी भी बाल-बाल बचे थे। मुकेश गुप्ता के ईओडब्लू में आने से भ्रष्ट अफसरों में खलबली तो होगी मगर लाख टके का सवाल यह है कि बिना टीम के वे करेंगे क्या। मैनपावर का भारी टोटा है। ईओडब्लू में पिछले दो साल से एसपी का पोस्ट खाली है, चार की जगह एक डीएसपी हैं। 12 में तीन इंस्पेक्टर हैं। कमोवेश यही स्थिति एसीबी की भी है। छापे डालने से वाहवाही मिल जाती है मगर स्टाफ है नहीं इसलिए, विवेचना ठंडे बस्ते में चली जाती है। इसी वजह से पंद्रह-पंद्रह साल के मामले ब्यूरो में लंबित हैं।

हेवी डोज

नसबंदी कांड में इस्तेमाल किए गए सिप्रोसिन की श्रीराम लेब दिल्ली और नागपुर से जांच रिपोर्ट आ गई है। इसमें सिर्फ जिंक फास्फेट की पुष्टि ही नहीं हुई है, बल्कि हेवी डोज का पता चला है। रिपोर्ट के अनुसार श्रीराम लेब में पांच चूहों को सिप्रोसिन खिलाई गई थी। इनमें से चार मौके पर ही घुलट गए। पांचवें की मौत आधा घंटा बाद हुई। जांच में पता चला कि टेबलेट में 500 एमजी की बजाए 290 एमजी ही सिप्रोसिन है। दवा बनाने वालों ने 210 एमजी की डंडी मार ली। मगर इससे यह नहीं कि आपरेशन करने वाले सर्जन बच जाएं। इंवेस्टीगेशन टीम ने इसके पुख्ता प्रमाण जुटा लिए हंै कि आपरेशन करने में सर्जन ने घोर लापरवाही बरती। छह महीने से बंद अस्पताल, जिसमें चारों तरफ जाला लटका हुआ था, डाक्टर ने जमीन पर सुला कर मरीजों का आपरेशन कर डाला। पुलिस की जांच में यह भी है कि डा0 आरके गुप्ता ने स्टैंडर्ड आपरेशन प्रोसिजर के एक भी प्वाइंट को फालो नहीं किया।

छेद

सरकार ने सीएमओज को इसलिए 10 फीसदी दवाइयां लोकल परजेच करने की छूट दी थी कि दवाई सप्लाई में कभी देरी भी हो तो कुछ जरूरी दवाइयां वे खरीद सकें। इसके लिए अनिवार्य शर्त थी कि इसमें सिर्फ और सिर्फ इमरजेंसी दवाइयां खरीदनी है। मगर सीएमओज ने एंटीबैटिक जैसी नार्मल मेडिसीन भी लोकल परचेज करने लगे। बिलासपुर सीएमओ तो और बड़े वाले निकलेै। उन्होंने महावर फार्मा के लायसेंस भी नहीं देखा और सिप्रोसिन खरीद डाली। पता चला है, महावर फार्मा के पास सितंबर तक का लायसेंस था। मगर बिलासपुर सीएमओ ने अक्टूबर में उससे सिप्रोसिन खरीद ली।

अंत में दो सवाल आपसे

1. नवंबर 2000 में नेता प्रतिपक्ष चयन के लिए पर्यवेक्षक बन कर आए नरेंद्र मोदी को जब बृजमोहन अग्रवाल के समर्थकों ने रौद्र रूप दिखाया था, तो मोदी को किस नेता ने बचाया था?
2. एक मंत्री का नाम बताएं, जो एक दिन इस खेमे में रहते हैं, तो अगले दिन दूसरे में नजर आते हैं?

शनिवार, 8 नवंबर 2014

तरकश, 8 नवंबर

तरकश


खैर नहीं

मुख्यमंत्री को जनदर्शन में या उनके दौरे में मिलने वाली जन शिकायतों को हल्के से लेना, अब कलेक्टरों एवं अन्य अफसरों को भारी पड़ सकता है। सरकार उन्हें बुलाकर जवाब तलब करने वाली है। और, सही कारण न बताने पर उन पर गाज भी गिर सकती है। पता चला है, कौंवा मारकर टांगने जैसी कार्रवाई भी हो सकती है, जिससे आगे से कोई अफसर जनदर्शन की शिकायतों को टरकाने की हिमाकत न कर सकें। बताते हैं, मुख्यमंत्री के नोटिस में यह बात आई थी कि जनदर्शन की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। सीएम ने अपने सचिवालय के अफसरों को इस पर सख्ती बरतने का निर्देश दिया। इसके बाद अफसर हरकत में आए और करीब 150 केस का फिजिकल वेरीफिकेशन कराया गया, जिसमें पता चला कि कागजों में शिकायतों का निबटारा कर दिया गया। मसलन, हैंड पंप लगा नहीं, मगर रिकार्ड में वह खुद गया। इनमें से कुछ कलेक्टरों की जल्द ही पेशी होने वाली है।

अब सिकरेट्री भी

आम जन के लिए यह अच्छी खबर होगी…..सीएम के जनदर्शन का स्वरुप बदला जा रहा है। जनदर्शन में आमतौर पर सीएम हाउस के स्टाफ होते थे। मगर अब सुनिश्चित किया जा रहा है कि विभिन्न विभागों के सिकरेट्रीज भी इस मौके पर मौजूद रहें। ताकि, तत्काल कुछ मामलों का निपटारा किया जा सकें। जनदर्शन में सर्वाधिक शिकायतें पंचायत और शिक्षा विभाग से होती है। इसलिए, गुरूवार के जनदर्शन में दोनों विभागों के सिकरेट्री को बुलाया गया था। एडिशनल सिकरेट्री पंचायत एमके राउत के बाहर रहने पर उनके सचिव आए तो स्कूल शिक्षा सिकरेट्री सुब्रत साहू पूरे समय जनदर्शन में मौजूद रहे। आगे से अब सभी अहम विभागों के सिकरेट्री जनता दरबार में सीएम के साथ नजर आएंगे।

नए ओआईसी

व्यवस्था की दृष्टि से सीएम के चारों ओएसडी को एक-एक संभाग का ओआईसी याने आफिसर्स इनचार्ज बनाया गया है। विक्रम सिसोदिया बस्तर, अरूण बिसेन बिलासपुर, विवेक सक्सेना दुर्ग और ओपी गुप्ता को सरगुजा की कमान सौंपी गई है। सीएम के इन इलाके के दौरे में संबंधित ओआईसी उनके साथ रहेंगे। सो, अब यह पता लगाना मुश्किल नहीं होगा कि फलां जगह के दौरे में सीएम के साथ कौन आएगा। इसके साथ ही, उन इलाके के सांसद एवं विधायकों के जनहित से जुड़े मामले भी ओआईसी देखेंगे। एमपी और एमएलए की शिकायतें रहती थीं कि उनके पत्रों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। बार-बार वे सीएम से मिल नहीं सकते। मगर अब वे ओआईसी को अपनी तकलीफें शेयर कर सकते हैं।

वाह भाई!

मान गए भाई…..पैसे कमाने के लिए अपने सूबे के एक डीएसपी ने क्या तरीका निकाला……कुछ खूबसूरत लड़कियों से सांठ-गांठ की और सेठ-साहूकारों के पीछे लगा दिया। बाद में, उनसे मोटी रकम ऐंठी गई। पुलिस के अधिकारी ही बताते हैं कि दर्जन भर से अधिक सेठों को ब्लैकमेल करके डीएसपी ने इतना पैसा बनाया, जितना एसपी दो साल में नहीं कमा पाते होंगे। मगर पीएचक्यू के आला अफसरों की नोटिस में ये बात आने के बाद खेल खतम हो गया। डीएसपी को ऐसे जगह पर भेजा गया है, जहां सुंदर लड़कियां होंगी, न सेठ-साहूकार।

लटके जैन

90 बैच के आईएएस अफसर एवं बस्तर कमिश्नर आरपी जैन का प्रमोशन लटक गया है। उन्हें प्रींसिपल सिकरेट्री बनना है मगर भारत सरकार ने उनकी डीपीसी का अनुमोदन करने से मना कर दिया है। उनका प्रमोशन अगर हो जाता तो प्रमोटी आईएएस में पीएस बनने वाले सूबे के वे दूसरे आईएएस होते। इससे पहले, जवाहर श्रीवास्तव कुछ महीने के लिए पीएस बने थे। जैन अगले साल अप्रैल में रिटायर हो जाएंगे। जीएडी के सूत्रों की मानें तो जैन का प्रपोजल एक बार फिर भारत सरकार को भेजा जाएगा।

करोड़पति विधायक

छत्तीसगढ़ भले ही गरीब प्रदेश हो, मगर अपने विधायकजी लोगों की संपत्ति में दिन दूनी रात चैगुनी बढ़ोतरी हो रही है। एसोसियेशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म द्वारा जुटाए गए आंकड़ों की मानें तो 2008 में विधायकों की औसत संपति 1.45 करोड़ रुपए थी। 2014 में यह बढ़कर 8.8 करोड़ हो गई। धन की बढ़ोतरी में अपने विधायक मध्यप्रदेश को पीछे छोड़ दिए हैं। एमपी के विधायकों की औसत संपत्ति 5.25 करोड़ है। यही नहीं, राज्य के 70 फीसदी एमएलए की औसत संपत्ति एक करोड़ रुपए से अधिक है।

फस्र्ट साहित्यिक महोत्सव

छत्तीसगढ़ में पहली बार राष्ट्रीय स्तर का साहित्यिक आयोजन होगा। 12, 13 और 14 दिसंबर को न्यू रायपुर में होने वाले इस आयोजन का नाम रायपुर साहित्य महोत्सव रखा गया है। यह जयपुर साहित्य महोत्सव से भी बढि़यां हो, इसके लिए व्यापक तैयारियां शुरू हो गई है। इसमें देश के नामी साहित्यकारों का जमावाड़ा होगा। केदारनाथ सिंह से लेकर निदा फाजिली, अशोक बाजपेयी, मैनेजर पाण्डेय, प्रयाग शुक्ल, वाणी शुक्ला, नादिरा बब्बर जैसे राष्ट्रीय स्तर की शख्सियतें मौजूद रहेंगी। लोकल साहित्यकार भी होंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए अनुपम खेर से लेकर कैलाश खेर जैसे कलाकार आएंगे। अनुपम खेर का मोनो प्ले होगा। जनसंपर्क संचालक रजत कुमार इस कार्यक्रम के सूत्रधार हैं। अगर यह सफल हो गया तो जयपुर टाईप से हर साल रायपुर साहित्य महोत्सव आयोजित किया जाएगा। जाहिर है, छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ सरकार और रायपुर की ब्रांडिंग के लिए जनसंपर्क ने क्रियेटिव तरीका निकाला है।

पीठ थपथपायी

पुलिस के लिए संभवतः अरसे बाद यह पल आया होगा…..जब नक्सल मामले को लेकर केंद्र सरकार द्वारा उसकी पीठ थपथपाई गई। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में हुई मीटिंग में कहा कि छत्तीसगढ़ देश का पहला स्टेट है, जहां माओवादी उन्मूलन के लिए गंभीरता से प्रयास चल रहा है। उन्होंने बस्तर में नक्सलियों के चल रहे लगातार आत्मसमर्पण का भी जिक्र किया और कहा कि अन्य राज्यों को भी इस लाइन पर चलना चाहिए। ऐसे में, पीएचक्यू के अफसरों के चेहरे खिलना लाजिमी है।

अच्छी खबर

अमेरिकी कौंसिल की टीम 16 दिसंबर को रायपुर आ रही है। वह यहां हेल्थ और एजुकेशन के फील्ड में निवेश की संभावनाएं तलाशेगी। हालांकि, कौंसिल के दौरे में दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद का नाम था। मगर टीम के प्रायोजकों में आवास पर्यावरण के सिकरेट्री संजय शुक्ला के फें्रड निकल गए। सो, उन्होंने रायपुर को शामिल करा कर अपना नम्बर बढ़ा लिया। यही वजह है, संजय को इस कमेटी के दौरे का नोडल अधिकारी बनाने का।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक डीएसपी का नाम बताइये, जो ट्रांसफर होते ही बीमार पड़ गए?
2. जंगल में मंगल मनाने वाले सरगुजा संभाग में पोस्टेड कलेक्टर को सरकार नोटिस तक देने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पा रही है?

शनिवार, 25 अक्तूबर 2014

तरकश, 26 अक्टूबर


तरकश


फिर वही चूक

सरगुजा संभाग में पोस्टेड एक कलेक्टर ने फिर वही चूक की, जो उन्होंने बस्तर में करके रमन सरकार को संकट में डाल दिया था। साउथ से आए मित्रों एवं एनजीओ के कुछ लोगों को साथ लेकर कलेक्टर साब पिछले रविवार को जंगल गए थे। रात में जंगल में जमकर मंगल हुआ। इस दौरान पैर फिसलकर खाई में गिरने से उनके साइंसटिस्ट मित्र की मौत हो गई। घटना की किसी को भनक न लगे, इसलिए सरकारी मशनरी ने रातोरात पोस्टमार्टम कराकर शव को हवाई जहाज से उसके गृह नगर भेज दिया। बहरहाल, कलेक्टर साब अपनी मित्र मंडली के साथ जिस जगह पिकनिक मनाने गए थे, वह है तो मनोरम मगर बेहद दुगर्म भी। वहां नक्सलियों का मूवमेंट है। साथ में कोई गनमैन भी नहीं था। कलेक्टर की लापरवाही से पुलिस के आला अफसरान बेहद नाराज है। इससे पहले, बस्तर में उनकी सुरक्षा में तैनात जवान मारा गया था और यह बात सभी को मालूम है कि सरकार को उनके लिए कितने पापड़ बेलने पड़े थे, तब जाकर माओवादियों ने उन पर रहम की थी। मगर फिर वहीं चूक।

मोदी के मंत्री

मोदी के मंत्री होम वर्क करके दौरे पर निकलते हैं, इसकी एक झलक केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के पिछले हफ्ते रायपुर विजिट में देखने को मिली। मौका था, क्षेत्रीय कृषि विकास समिति की बैठक का। कार्यक्रम में सीएम के साथ राज्य के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल भी थे। अग्रवाल ने अपने भाषण में राज्य में कृषि विज्ञान केंद्र की कमी बताते हुए इसे 17 से बढ़ाकर 27 करने की मांग की। यानी सभी जिलों में। राधामोहन की जब बोलने की बारी आई तो उन्होंने कहा, आपके राज्य में 17 कृषि विज्ञान केंद हैं। एक केंद्र में दो ट्रैक्टर, दो जीप और दो मोटरसायकिल होना चाहिए। आपके पांच केंद्र ऐसे हैं, जहां एक भी वाहन नहीं है। ऐेसे में केंद्र की संख्या बढ़ाकर आप क्या करेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री से राज्य के विज्ञान केंद्रों की दयनीय स्थिति सुनकर विभाग के अफसर सकपका गए। मंच पर बैठे वीआईपी भी स्तब्ध थे। राधामोहन ने रायपुर दौरे से पहले यहां से डिटेल मंगाकर उसका अध्ययन किया था। कृषि विभाग के संसाधनों की भी उन्हें पूरी जानकारी थी। केंद्रीय मंत्री के दौरे के बाद अफसर कोस रहे हैं, इससे बढि़यां तो मनमोहन के मंत्री थे, हमेशा तारीफ करके जाते थे।

बुरे दिन आयो रे

राज्यों को केंद्र से बजट मिलना अब आसान नहीं होगा। और, ना ही प्रोेजेक्ट की झटपट मंजूरी। अब एक्सपर्ट कमेटी देखेगी कि संबंधित योजना की राज्य को कितनी जरूरत है। राज्यों से प्रपोजल जाने के बाद सबसे पहले उसकी स्टडी की जाएगी। प्रपोजल ठीक लगा तो एक्सपर्ट्स टीम राज्यों में भेजी जाएगी। टीम की रिपोर्ट के बाद ही बजट अलाट किया जाएगा। इससे पहले राज्यों के अफसर दिल्ली में जुगाड़ फिट कर करोड़ों का बजट स्वीकृत करा लाते थे। फिर, होता था, ये तो भारत सरकार का पैसा है……खाओ, पीओ, मौज करो। मगर अब अच्छे दिन चले गए।

पहली बार

लगता है, आईपीएस मयंक श्रीवास्तव के बुरे दौर अभी खतम नहीं हुए हैं। जीरम नक्सली हमले में वे पुलिस महकमे के अंदरुनी राजनीति के शिकार हो गए। बड़ी मुश्किल से उनका निलंबन बहाल हुआ। अब, उन्हें राजभवन में एडीसी पोस्ट किया गया है। वे पहले ऐसे आईपीएस होंगे, जो दो जिले के एसपी रहने के बाद राजभवन भेजे गए हैं। अभी तक एडिशनल एसपी रैंक के आईपीएस ही एडीसी बनते थे। राजभवन से ही एसपी बनकर वे जिलों में जाते थे। दिपांशु काबरा से लेकर विवेकानंद, राहुल शर्मा सबके साथ ऐसा ही हुआ।

राउत और अमिताभ

86 बैच के आईएएस डा0 आलोक शुक्ला और सुनिल कुजूर एक महीने की ट्रेनिंग पर रवाना हो गए हैं। शुक्ला का हेल्थ और फूड एमके राउत और कुजूर का राजभवन अमिताभ जैन देखेंगे।

पीएम नहीं

व्यस्तता की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्योत्सव में रायपुर नहीं आ पाएंगे। सरकार ने उनसे आग्रह किया था मगर उन्होंने असमर्थता जता दी है। इसके बाद सरकार ने बेहद सादे ढंग से राज्योत्सव मनाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह अब उद्घाटन समारोह के चीफ गेस्ट होंगे और राज्यपाल समापन समारोह के। वैसे भी खजाने की स्थिति को देखते सरकार ने पहले से ही सादगी के साथ राज्योत्सव मनाने का फैसला किया था। इस बार बाहर से किसी कलाकार को नहीं बुलाया जा रहा है। सात दिन की बजाए अबकी तीन दिन राज्योत्सव होगा।

14 साल में बर्थडे?

कैबिनेट ने भले ही प्रधानमंत्री को राज्योत्सव में बुलाने का निर्णय लिया था मगर सूबे के ब्यूरोके्रट्स इस पक्ष में नहीं हैं कि राज्योत्सव पर अब धूमधड़ाका किया जाए। बताते हैं, राज्योत्सव की तैयारी के लिए मंत्रालय में हुई शीर्ष स्तर की मीटिंग में एक आला अधिकारी ने चुटकी ली, छोटे बच्चों का बर्थडे मनाया जाता है। 14 साल के बच्चे का नहीं। फिर, 14 साल के छत्तीसगढ़ का जन्मोत्सव क्यों? तेलांगना को अब बर्थडे मनाने का मौका देना चाहिए। इसे बाकी अफसरों ने भी सपोर्ट किया।

नया प्रयोग

अभी तक एडिशनल कलेक्टर स्तर तक के अफसर ही जिला पंचायत के सीईओ बनाए जाते थे। जिला पंचायत के बाद आईएएस कलेक्टर बनकर जिला में जाते थे। पहली दफा एसडीएम लेवल के अफसरों को सीईओ की कमान सौंपी जा रही है। इस महीने तीन आईएएस को एसडीएम के साथ ही, सीईओ बनाया गया है। सर्वेश नरेंद्र को बिलासपुर, नीलेश कुमार को रायगढ़ और चंदन कुमार को कांकेर का एसडीएम के साथ सीईओ पोस्ट किया गया है। देखना होगा, यह एक्सपेरिमेंट कितना कारगर होता है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. मंत्रालय के एक ऐसे विभाग का नाम बताइये, जिसके सिकरेट्री और ज्वाइंट सिकरेट्री का नाम और हुलिया एक जैसा है?
2. मंत्रालय में एसीएस लेवल के किन दो अफसरों में इन दिनों ठन गई है?

रविवार, 5 अक्तूबर 2014

तरकश, 4 अक्टूबर


तरकश

 

नाग पर नाग

कांग्रेस नेताओं के प्रताप से हाल ही में रिकार्ड मतों से विधायक चुने गए भोजराज नाग पर अंतागढ़ में विजयदशमी की पूजा के दौरान नाग देवता सवार हो गए। वे लगे जोर-जोर से झूमने। नाग देवता से आर्शीवाद लेने पास-पड़ोस के गांवों के लोगों का तांता लग गया। भोजराज अंतागढ़ शीतला मंदिर के पुजारी हैं। इसके अलावा वे इलाके में झाड़-फूंक के नाम से भी उनकी लोकप्रियता है। चलिये, बढियां हैं। राजधानी के भाजपा नेताओं को कोई दिक्कत होगी तो विधायकजी सेवा के लिए तैयार मिलेंगे। कांग्रेसियों को भी इससे परहेज नहीं होगा। विधायकजी पर तो उनका बड़ा कर्ज है।

मंत्रिमंडल का पुनर्गठन

मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह 8 अक्टूबर से मंत्रियों की क्लास लेने जा रहे हैं। इसके तहत अलग-अलग विभागों के मंत्रियों और अफसरों को तलब किया जाएगा। मोदी के तर्ज पर पूछा जाएगा कि तीसरी पारी में 11 महीने में वे क्या किए हैं और आगे क्या ब्लू प्रिंट तैयार किए हैं। पता चला है, मंत्रियों के परफारमेंस के आधार पर रिपोर्ट कार्ड बनाए जाएंगे। अंदर से निकल कर आ रही खबरों की मानें तो महाराष्ट्र और हरियाणा में इस महीने चुनाव के बाद रमन कैबिनेट का पुनर्गठन हो सकता है। इसमें दो खाली सीटों को भरा जाएगा। साथ ही, रिपोर्ट कार्ड ठीक ना होने पर कुछ मंत्रियों को बदलने पर भी विचार किया जा सकता है।

वीआईपी झाडू

वीआईपी का हर चीज स्पेशल होता है। जाहिर है, वह अगर झाडू लगाएगा तो वह भी खास ही होगा। गांधी जयंती के दिन राजधानी में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। नेताओं को झुकना न पड़े, इसलिए स्पेशल आर्डर देकर झाड़ू बनवाए गए थे। मगर उसके वीआईपीकरण में गड़बड़ हो गया। झाडू की लंबाई काफी बढ़ गई। आमतौर पर स्वीपर जो झाडू का इस्तेमाल करते हैं, वे चार से पांच फुट के होते हैं…..तीन फुट का झाडू और दो फुट का डंडा। लेकिन वीआईपी झाडू बन गया आठ से नौ फुट का। स्थिति यह थी कि झाडू का डंडा छहफुटिया नेताओं के सिर से भी दो फुट उपर निकल जा रहा था। वीआईपीज मुद्दत बाद झाडू थामे थे। वह भी अनकंफार्ट। सो, चेहरे की परेशानी समझी जा रही थी।

अपना लंबू

वालीवूड के लंबू को न्यू रायपुर दिखाने के लिए सरकार ने अपने लंबू को चुना। अपने लंबू बोले तो एसएस बजाज। एनआडीए के वाइस प्रेसिडेंट। बजाज की लंबाई छह फुट छह इंच है। और, अमिताभ की छह फुट दो इंच। बजाज को अपने से लंबे देखकर अमिताभ भी चैंक गए। बहरहाल, दोनों की जोड़ी खूब जमी। होटल से लेकर न्यू रायपुर के भ्रमण और उसके बाद एयरपोर्ट तक 45 मिनट दोनों साथ रहे। अमिताभ ने बजाज से आत्मीय बातें की। बजाज भी चकित थे कि वालीवूड का शहंशाह इतना विनम्र हो सकता है।

संयोग या…..

इसे संयोग कहा जाए या पब्लिसिटी का स्टंट, रविवार को जिस इंडोर स्टेडियम में केबीसी शो आयोजित किया गया था, उसके जस्ट बगल में एक टाकिज में सात हिन्दुस्तानी फिल्म लगी थी। टाकिज में लगे बडे़-बड़े पोस्टर सबका ध्यान खींच रहे थे। बिग बी उसी रास्ते से छह बार गुजरे। सात हिन्दुस्तानी अमिताभ की पहली पिक्चर थी। जाहिर है, अमिताभ को यह अच्छा लगा होगा।

खातिरदारी

कहते हैं, खाकी बर्दी वालों से कभी पंगा नहीं लेना चाहिए। केबीसी के बाउंसरों ने रायपुर में यही भूल की। शो के समय कई लोगों से हाथापाई कर डाली। अफसरों के साथ दुव्र्यवहार हुआ। पुलिस वालों को भी नहीं छोड़ा गया। इसके बाद बारी पुलिस की थी। राजधानी पुलिस ने चार बाउंसरों को न केवल अरेस्ट किया बल्कि पुलिसिया अंदाज में जमकर आवभगत की गई। बताते हैं, खातिरदारी के लिए हट्टे-कठ्ठे एक-एक बाउंसर के लिए चार-चार पुलिस वाले लगाए गए। इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि मुलाहिजा में खातिरदारी के कहीं साक्ष्य न आ जाए।

गलत परंपरा

इंटरटेनमेंट और स्पोट्र्स इवेंट अगर मंत्रालय लेवल पर हैंडिल किया जाएगा तो उसका हश्र वही हुआ, जो केबीसी के आखिर में हुआ। सीएम ने अपने स्तर पर प्रयास कर केबीसी को यहां आयोजित कराया….सूरत के बाद रायपुर देश का दूसरा शहर रहा, जहां केबीसी का आयोजन हुआ……वालीवूड के शहंशाह दो दिन तक रायपुर में रुके। उन्होंने सूबे के टूरिज्म का प्रचार करने के लिए अपनी आवाज देने की भी पेशकश की। लेकिन, स्टेडियम में तालाबंदी, महापौर का रवैया, आयोजकों और उसके बाउंसरों द्वारा लोगों के साथ किए गए बरताव ने मजा किरकिरा कर दिया। असल में केबीसी के लिए हाईप्रोफाइल मीटिंग मंत्रालय में हुई थी। और, उसके बाद ही आयोजकों का दिमाग खराब हुआ। लोकल सिस्टम को इगनोर करना शुरू कर दिया। स्टेडियम का पैसा देने से भी कतराने लगे। यही चूक नेशनल बाक्सिंग चैम्पिनशीप में भी हो रहा है। इसके लिए भी मंत्रालय में बैठक हुई है। ये दोनों आयोजन ऐसे नहीं हैं, जिसकी तैयारी की समीक्षा मंत्रालय स्तर पर हो।

फिजूलखर्ची नहीं

रायपुरियंस को यह जानकर निराशा हो सकती है कि राज्योत्सव में अबकी वालीवूड कलाकारों के ठुमके देखने को नहीं मिलेंगे। सरकार ने फिजूलखर्ची रोकने इस बार राज्योत्सव में बाहरी कलाकारों को बुलाने पर रोक लगा दी है। संस्कृति विभाग से स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि राज्योत्सव में सिर्फ और सिर्फ लोकल कलाकारों को मौका दिया जाए। खर्च पर लगाम लगाने के लिए ही इस बार राज्योत्सव को सात दिन से घटाकर तीन दिन किया गया है। वैसे, सरकार ने करीना कपूर विवाद से भी सबक लिया है। पिछले बार 10 मिनट के लिए मंच पर आने के लिए करीना ने एक करोड़ 10 लाख रुपए ली थी। बाहरी कलाकारों पर ही संस्कृति विभाग ने पांच करोड़ से अधिक रुपए लूटा दिए थे। बहरहाल, फिजूलखर्ची रोकने सरकार का यह सही फैसला माना जा रहा है।

रविवार, 21 सितंबर 2014

तरकश, 21 सितंबर


तरकश

पुणे से रायपुर

अमिताभ बच्चन का ग्रेट शो केबीसी रायपुर में यूं ही फाइनल नहीं हुआ। सोनी टीवी वाले इसके लिए पुणे समेत कुछ बड़े शहरों के स्टेडियम देख रहे थे। बताते हैं, मुंबई से नजदीक होने के कारण सोनी टीवी के साथ ही अमिताभ बच्चन भी पुणे को प्राथमिकता दे रहे थे। मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह को इसका पता चला। उन्होंने सोनी टीवी को आफर दिया, रायपुर में नेशनल लेवल का अत्याधुनिक इंडोर स्टेडियम है। आप यहां शो करें, सरकार हरसंभव मदद करेगी। इसके बाद सीएम की अमिताभ बच्चन से फोन पर बात हुई। आईपीएल के बाद चैम्पियन ट्राफी होने से अमिताभ को पता था कि रायपुर फास्ट ग्रोविंग सिटी के रुप में उभर रहा है। इसलिए, उन्होंने ओके कर दिया। इस तरह सूरत के बाद रायपुर देश का दूसरा शहर बन गया, जहां स्टूडियो के बाहर केबीसी शो होगा।

अपना रायपुर

पिछले साल आईपीएल हुआ…..अभी चैम्पियन ट्राफी चल रहा और, अगले हफ्ते ग्रेट बच्चन का केबीसी का धूम रहेगा। पिछले दो महीेने में 40 से अधिक सेलिब्रेटी रायपुर आए हैं। जाहिर है, अपना रायपुर ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। पिछड़ा, आदिवासी और नक्सली राज्य मानने वाले देश के लोग हतप्रभ हैं। खासकर क्रिकेट स्टेडियम और केबीसी से। अमिताभ बच्चन यहां पूरे तीन रोज रहेंगे। देश के लोग सोनी टीवी पर रायपुर को देखेंगे। चैम्पियन ट्राफी के जरिये दुनिया भर के लोग रायपुर स्टेडियम को देख रहे हैं। बाद के मैचों में दर्शकों की संख्या भले ही कम हो गई हो, मगर पास-पड़ोस के राज्यों से भी क्रिकेट प्रेमी रायपुर आ रहे हैं। ताज, हयात जैसे पांच सितारा होटलों में 4 अक्टूबर तक रुम नहीं हैं। जिन अंतराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाडि़यों को लोग टीवी पर देखते थे, उन्हें राजधानी के मार्केट में खरीदगारी करते हुए या माल में घूमते हुए देख रहे थे। यही नहीं, पिछले दो महीने में 40 से अधिक सेलिब्रेटी रायपुर आए हैं। रणवीर कपूर तो पिछले दिनों ही रायपुर आए थे।

किन्नरों की दुआएं

रमन कैबिनेट ने सरकारी खर्चे पर किन्नरों का लिंग परिवर्तन कराने का फैसला लिया है। इसके लिए 50 हजार से 4 लाख रुपए तक का प्रावधान किया गया है। सूबे की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्र्रेस को यही चिंता खाने लगी है। कांग्रेस नेता जानते हैं कि किन्नरों की दुआओं में बड़ा दम होता है। बिलासपुर में किन्नरों का राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था, तो उसमें अजीत जोगी, चरणदास महंत जैसे पार्टी के कई नेता शरीक हुए थे। और, छत्तीसगढ़ के 10 हजार से अधिक किन्नरों ने अगर रमन सिंह को दुआएं दे दी तो क्या होगा?

किस्मत की बात

पोस्टिंग और प्रमोशन के लिए इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आईएएस, आईपीएस डायरेक्ट है या प्रमोटी…..पहुंच वाला है या पहुंचहीन। आखिर, प्रमोटी आईपीएस होने के बाद भी सुभाष अत्रे 2006 में प्रींसिपल सिकरेट्री होम बनने में कामयाब हो गए थे। आईजी से एडिशनल डीजी पदोन्नत होते ही तत्कालीन चीफ सिकरेट्री आरपी बगाई ने उन्हें पीएस बनवा दिया था। मगर अब वैसी बात नहीं रही। आईएएस लाबी ज्यादा यूनाईट है। अशोक जुनेजा एडिशनल डीजी होने के बाद भी मंत्रालय में प्रींसिपल सिकरेट्री नहंीं बन पा रहे। अभी भी सिकरेट्री होम हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति आईएफएस संजय शुक्ला की भी है। एडिशनल पीसीसीएफ होने के बाद भी वे सिकरेट्री से उपर नहीं जा पा रहे। इन दोनों ताकतवर अफसरों का ये हाल है, बाकी का क्या होगा?

जोगी का रिकार्ड टूटा

अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के भोजराग नाग ने 53 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज कर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का रिकार्ड तोड़ दिया। सीएम बनने के बाद 2001 में हुए मरवाही उपचुनाव में जोगी 51 हजार मतों से जीते थे। हालांकि, उस समय वे सीएम थे। भाजपा विधायक रामदयाल उइके ने उनके लिए यह सीट खाली की थी। उइके के पाला बदलने से तब भाजपा ठगी से रह गई थी। अबकी, सकते में आने की बारी कांग्रेस की थी, जब पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी मंतूराम पवार ने ऐन वक्त पर मैदान छोड़ दिया। बहरहाल, सूबे में सबसे अधिक विधानसभा चुनाव जीतने का रिकार्ड भोजराज के नाम दर्ज हो गया। भाजपा का कांग्रेस से हिसाब बराबर हुआ, सो अलग।

दूसरे नम्बर पर नोटा

अंतागढ़ उपचुनाव में एक और रिकार्ड बना, वह दूसरे नम्बर पर नोटा का। वहां 13 हजार से अधिक लोगों ने नोटा का बटन दबाया। याने सेकेंड नम्बर के प्रत्याशी से एक हजार अधिक। कांग्रेस का कोइ्र्र प्रत्याशी था नहीं। भोजराज के बाद सबसे अधिक 12 हजार मत रुपधर को मिले। नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में बस्तर के आदिवासियों ने ही नोटा का बटन दबाया था। दंतेवाड़ा में 9 हजार वोट नोटा में पड़़े थे। मगर अंतागढ़ में उससे भी आगे निकल गया। जाहिर है, अधिकारों के प्रति आदिवासी भी सजग हो रहे हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. रायपुर में अगर आंबेडकर अस्पताल नहीं होता तो मीडिया वालों को लीड स्टोरी एवं ब्रेकिंग खबरें कहां से मिलती?
2. राजधानी के एक बड़े उद्योगपति का नाम बताए, जिसकी कलम विहार-2 के नाम पर 100 एकड़ जमीन का लेआउट रोक दिया गया था, और बाद में उपर लेवल पर समझौते के बाद उसे क्लियर कर दिया गया?

शनिवार, 13 सितंबर 2014

तरकश, 14 सितंबर

तरकश, 14 सितंबर

तरकश

सजा के बदले इनाम

जांजगीर के चर्चित मनरेगा घोटाले में एक ब्यूरोके्रट्स की संलिप्तता से आला अधिकारी इंकार नहीं कर रहे हैं। नौकरशाह ने रिलीव होने के दिन पांच करोड़ से अधिक के काम स्वीकृत कर दिए। यही नहीं, उन्होंने एक से बढ़कर एक कारनामेे किए। तेरहवें वित आयोग के पैसे से, बिना पंचायत के प्रस्ताव के करोड़ों रुपए का सीसी रोड बनवा दिया। महानदी के बांध पर 9 लाख रुपए की नाली बन गई। मालखरौदा के देवगांव ग्राम पंचायत में तीन महीने के भीतर एक करोड़ के काम हो गए। झिर्रा पंचायत में तीन महीने में 75 लाख के। जांच हुए तो दो करोड़ के काम 12 लाख के पाए गए। याने एक करोड़ 88 लाख भीतर। यह सिर्फ दो ग्राम पंचायत की बात है। बाकी का आप अंदाजा लगा सकते हैं। इस केस में हुआ क्या? आधा दर्जन संविदा कर्मियों की छुट्टी हो गई। और नौकरशाह को अच्छी जगह पोस्टिंग। याने सजा की बजाए इनाम मिल गया।

लंदन से सतना

नाम जंगल विभाग तो काम भी आखिर कुछ ऐसा ही होगा न। न्यू रायपुर में वल्र्ड लेवल का जंगल सफारी बनाने के लिए आपको याद होगा, वन मंत्री, पीसीसीएफ समेत सात आईएफएस अफसरों का दल 2012 में साउथ आफ्रिका, केन्या और लंदन का जू देखने गया था। ताकि, यहां उसी तरह का जंगल सफारी बनाया जा सकें। दो सप्ताह के सरकारी दौरे पर 25 लाख रुपए से अधिक खर्च आया था। 230 करोड़ रुपए के इस प्रोेजेक्ट का अक्टूबर 12 में शिलान्यास किया गया। तब दावा किया गया था कि एशिया का सबसे बड़ा जंगल सफारी न्यू रायपुर में बनेगा। मगर दो साल में आधी-अधूरी बाउंड्री के अलावा वहां एर्क इंट नहीं रखी गई। ताजा अपडेट यह है कि हाल में डीएफओ आफिस के कुछ अधिकारी मध्यप्रदेश का सतना जू देखने गए थे। सवाल मौजूं है, क्या लंदन और आफ्रिका के बजाए अब सतना माडल का यहां जू बनेगा। अगर ऐसा है तो आफ्रिका और लंदन में लाखों रुपए फूंकने का मतलब क्या था?

आत्ममुग्ध

अंतागढ़ उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी के ऐन मौके पर मैदान छोड़ने को लेकर कांग्रेस ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया। प्रदर्शन के बाद पार्टी के दोनों खेमों के नेता गदगद हैं। संगठन खेमा मुग्ध है कि उसने विरोधी गुट के नेता को प्रदर्शन में शरीक होने दिल्ली जाने बाध्य कर दिया। तो विरोधी गुट के नेता की खुशी का पारावार नहीं है कि उनकी वजह से धरने का एजेंडा चेंज हो गया। पहले, चुनाव आयोग के घेराव का कार्यक्रम था। बाद में वह चेंज होकर रमन सरकार के खिलाफ हो गया। चलिये, इसी तरह कांग्रेसी खुश होते रहे, तो रमन सरकार को कोई दिक्कत नहीं आने वाली।

पहला आईएफएस

एडिशनल पीसीसीएफ एवं हाउसिंग बोर्ड कमिश्नर संजय शुक्ला छत्तीसगढ़ क्लब के नए सिकरेट्री बनाए गए हैं। शुक्ला पहले आईएफएस सिकरेट्री हैं। वरना, राज्य बनने के बाद अभी तक आईएएस ही इस क्लब के सिकरेट्री बनते आए थे। उनके पहले विकास शील, मनोज पिंगुआ, केडीपी राव और सीके खेतान सिकरेट्री रहे। सिविल इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले शुक्ला को छत्तीसगढ़ क्लब का सूरत बदलने के साथ क्लब की गतिविधियां बढ़ाने का जिम्मा दिया गया है।

आईआईटी में पेंच?

भिलाई में आईआईटी खुलने में पेंच आ गया है। इसके लिए 600 एकड़ लैंड मांगा जा रहा है। और, भिलाई में एक साथ इतनी जमीन संभव ही नहीं है। सरकार के सामने असमंजस यह है कि वह भिलाई में आईआईटी खोलने के लिए विधानसभा में संकल्प पारित करवा चुकी है। और, तकनीकी शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय पुरजोर कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी सूरत में उनके इलाके में यह प्रतिष्ठित संस्थान खुल जाए, जिससे अगला चुनाव उनके लिए आसान हो जाए। मगर, पर्याप्त लैंड और समीप में एयरपोर्ट होने के चलते एचआरडी के अफसर न्यू रायपुर को तवज्जो दे रहे हैं। ऐसे में आईआईटी कहां बनेगा, इसका ऐलान नहीं हो पा रहा है।

लीडरशीप इंस्टिट्यूट

उच्च शिक्षा विभाग न्यू रायपुर में एक लीडरशीप इंस्टिट्यूट खोलने जा रहा है। इसमें राजनीतिज्ञों के साथ ही विभिन्न सेक्टर के लोग इस संस्थान में दाखिला लेकर सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं। इस संस्थान में व्यक्तित्व विकास के साथ ही एक लीडर में क्या-क्या गुण होने चाहिए, बताए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह भाषण देने के कौशल सिखाएं जाएंगे। देश का यह पहला इंस्टिट्यूट होगा। इसमें दीगर राज्यों के लोगों से फीस ली जाएगी मगर छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए यह फ्री रहेगा।

पुरा अब होगा पूरा

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम का ड्रीम प्रोजेक्ट को छत्तीसगढ़ के अफसरों ने भले ही कूड़ा करके दफन कर दिया मगर एनडीए सरकार अब इस योजना को फिर से शुरू करने जा रही है। मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार से इस योजना की जानकारी मांगी है ताकि, उसे शीघ्र लांच किया जा सकें। हालंाकि, योजना का नाम बदलकर अब श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुरबन योजना किया गया है। रुरबन मतलब रुरल और अरबन। कलाम की योजना थी कि शहरों के आसपास के गांवों में अरबन फैसिलीटी मुहैया कराई जा सकें। जिससे गांवों के लोग शहरों में माइग्रेट ना करें। इससे शहरों पर बोझ कम होगा। लेकिन, कलाम के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद अफसरों का ध्यान भी इस योजना से हट गया। कारण, पीडब्लूडी, पीएचई तरह इसका बजट नहीं था। और, जाहिर है, जिसमें ठीक-ठाक बजट नहीं, उसकी फाइलों को सरकारी मशीनरी कूड़ा में ही डाल देती है?

अंत में दो सवाल आपसे

1. अजीत जोगी का मंच टूटने पर उनके समर्थकों ने किसकी धुनाई कर दी?
2. मंत्रालय में होने वाली उच्च स्तरीय बैठकों के सीटिंग अरेंजमेंट में इन दिनों सीनियर आईपीएस अफसरों की उपेक्षा क्यों की जा रही है?

शनिवार, 30 अगस्त 2014

तरकश, 31 अगस्त

तरकश, 31 अगस्त

तरकश


राजभवन सख्त

राजभवन का कामकाज अब पुराने ढर्रे पर नहीं चलेगा। अभी तक राज्यपाल को कई ऐसी फाइलें भेज दी जाती थी, जिस पर उनके हस्ताक्षर की जरूरत नहीं होती थी। विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने तो और स्तर हल्का कर दिया था…..एचओडी के अपाइंटमेंट तक की फाइलें राजभवन भेजी जाती थी। वीसी के अवकाश के आवेदन भी राजभवन आते हैं। राज्यपाल बलरामदास टंडन इससे खुश नहीं हैं। राजभवन में पुलिस प्राधिकार, मुख्य सूचना आयुक्त तक की छुट्टियों की अर्जी आती हैं। जबकि, ऐसा कोई नियम नहीं है। दरअसल, राज्यपाल बिना नियम देखे किसी कागज पर हस्ताक्षर नहीं करते। उन्होंने कई मामलों में जब नियम मांगा तो राजभवन के अफसरों के होश उड़ गए। अभी तक बिना नियम के ही बहुत सारे काम चल रहे थे। मगर, अब राज्यपाल के पास कोई फाइल लेकर जाने से पहले नियम खंगाले जा रहे हैं। अब, उच्च शिक्षा विभाग का इम्पार्टेंस भी बढ़ेगा। अभी तक इस विभाग का रोना था कि वाइस चांसलर उनकी सुनते नहीं। मगर अब शायद ऐसा न हो।

पुलिस का अनुशासन

पुलिस महकमे में सबसे अधिक अनुशासन की अपेक्षा की जाती है लेकिन हो उल्टा रहा है। गृह मंत्री रामसेवक पैकरा मंगलवार को जब पुलिस मुख्यालय पहुंचे तो कई सीनियर अफसरों को बिना यूनिफार्म में देखकर वे दंग रह गए। जबकि, बैठक पूर्व प्रस्स्तावित थी। डीजीपी एएन उपध्याय खुद यूनिफार्म में थे। याद होगा, पूर्व राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन कोरबा एसपी पर इसलिए भड़क गए थे कि वे बिना वर्दी पहले उन्हें रिसीव करने आ गए थे। रायपुर, बिलासपुर और राजनांदगांव में एसपी रहे डा0 आनंद कुमार अपनी एंबेसडर कार में हैंगर में वर्दी लटकाकर चलते थे। ताकि, कहीं ला एंड आर्डर की स्थिति आ जाए तो तत्काल वर्दी पहनकर मौके पर पहुंच जाएं। पर लगता है, वह पुरानी बात हो गई।

चारो खाने चित

अंतागढ़ उपचुनाव से कांग्रेस पार्टी को बड़ी उम्मीद थी। नवंबर में हुए चुनाव में विक्रम उसेंडी पांच हजार वोट से ही तो जीते थे। ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, कई उपचुनावों में भाजपा को पटखनी मिली है। यहां, राशन कार्ड का मुद्दा था ही। कांग्रेस की तैयारी थी कि जिस तरह 2006 में कोटा उपचुनाव में कांग्रेस ने सत्ताधारी पार्टी को हराया था, उसी तरह अंतागढ़ बाइ इलेक्शन जीत कर माहौल बनाया जाए। और, उसकी फसल नगरीय निकाय चुनावों में काटी जाए। मगर पार्टी प्रत्याशी द्वारा आश्चर्यजनक ढंग से नाम वापिस लेने से कांग्रेस चुनाव के पहले ही चारो खाने चित हो गई।

कमजोर सूचना तंत्र

मैदान में उतरने से पहले पार्टी प्रत्याशी द्वारा हाथ खड़ा कर देने को कांग्रेस नेता भले ही घोखा और षडयंत्र करार दें मगर इस एपीसोड में साफ हो गया है कि संगठन खेमा ने बेहद कमजोर दांव चला। मंतूराम पवार विरोधी खेमे से जुड़े हैं, इसे कौन नहीं जानता था। इसके बाद भी उन पर दांव लगा दिया। टिकिट देने से पहले आजमा तो लेना था। फिर, पुख्ता सूत्रों की मानें तो पिछले चार दिनों से पवार से नामंकन वापिस लेवाने की कोशिश चल रही थी। उनके पास फोन आ रहे थे….लोग मिल रहे थे। मगर संगठन खेमे को भनक तक नहीं लगी। जबकि, विरोधी खेमे का सूचना तंत्र देखिए, शुक्रवार शाम भूपेश बघेल का जब किसी को लोकेशन नहीं मिल रहा था, मीडिया को भी नहीं। तब विरोधी खेमे के बंगले में यह खबर थी कि बघेल कांकेर के लिए रवाना हो गए हैं और अभी धमतरी क्रास कर रहे हैं। संगठन खेमे का सूचना तंत्र मजबूत होता तो यह बाजा ही नहीं बजता।

भूपेश हटाओ…..

अंतागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस की फजीहत होने के बाद अब पार्टी में भूपेश हटाओ मुहिम तेज होगी। कार्यकारिणी में जिन नेताओं को जगह नहीं मिली, वे अब अपना हिसाब चूकता करेंगे। विधान मिश्रा, राजेंद्र तिवारी ने हमला बोला ही है, कई और नेता संगठन खेमे के खिलाफ मुखर होंगे। भूपेश के पास टीएस सिंहदेव के अलावा कोई बड़ा नेता नहीं है, जो उनके बचाव में उतर सकें। सत्यनारायण शर्मा पहले से नाखुश हैं। बदरुद्दीन कुरैशी को कार्यकारिणी में लिए जाने से रविंद्र चैबे की नाराजगी लाजिमी है। और किसी नेता की हैसियत इतनी बड़ी नहीं है कि संगठन के साथ वह दमदारी से खड़ा हो सकें। कुल मिलाकर कांग्रेस की स्थिति और खराब होगी। ऐसे में, नगरीय निकाय चुनावों में भी पार्टी का परफारमेंस प्रभावित होगा।

हालत खास्ता

छत्तीसगढ़ के कमजोर और मध्यम वर्ग के लोगों को अब राजधानी रायपुर में अपना घर का सपना जल्द पूरा हो सकता है। हाउसिंग बोर्ड कम रेंज के 25 हजार फ्लैट बनाने जा रहा है। 15 हजार न्यू रायपुर में और 10 हजार कमल विहार में। सभी पांच लाख से 15 लाख के बीच के होंगे। याने न्यू रायपुर में भी आपको पांच लाख के मकान उपलब्ध होंगे। इसे प्री कास्ट टेक्नालाजी से बनाए जाएंगे। इस तकनीक से न केवल साल भर के भीतर मकान तैयार हो जाएंगे, बल्कि क्वालिटीयुक्त होंगे। बड़े मकान बिकते नहीं, 1000 फ्लैट खाली पड़े हैं। कोई लेनदार नहीं है। इसलिए, हाउसिंग बोर्ड ने तय किया है कि छोटे और मंझोले रेंज के आवास बनाए जाएं। अफसरों का दावा है, दो साल के भीतर 25 हजार फ्लैट तैयार कर देंगे। प्री कास्ट टेक्नालाजी के लिए एलएंडटी जैसी तीन कंपनियों से बातचीत शुरू हो गई है। कमल विहार-2 के लिए लोग बेसब्री से प्रतीक्षा कर ही रहे हैं, हाउसिंग बोर्ड का यह प्रोजेक्ट चालू हो गया तो प्रायवेट बिल्डरों ही हालत और खराब होगी।

अंत में दो सवाल आपसे

1. अंतागढ़ उपचुनाव वे नाम वापस लेने के लिए कांग्रेस के सगंठन खेमे को मुख्यमंत्री का पुतला जलाना चाहिए या किसी और का?
2. किस कलेक्टर पर भ्रष्टाचार की गाज गिर सकती है?