सोमवार, 14 मई 2018

मंत्रियों को खतरे

13 मई
बीजेपी आलाकमान ने विधानसभा चुनाव के सिलसिले में छत्तीसगढ़ से जो रिपोर्ट मंगाई है, उसमें 25 से अधिक विधायकों की स्थिति बेहद नाजुक है तो चार मंत्रियों के पारफारमेंस को भी चुनाव जीतने लायक नहीं माना गया है। उन मंत्रियों के खिलाफ उनके क्षेत्र में बेहद गुस्सा है। जाहिर है, ऐसे मंत्रियों को टिकिट देकर पार्टी मिशन 65 को खराब नहीं करना चाहेगी। भाजपा के भीतरखाने से जिस तरह की बातें सुनाई पड़ रही है, एंटी इंकाम्बेंसी का असर खतम करने के लिए अबकी पिछले बार से ज्यादा टिकिट काटने पड़ेंगे। यह संख्या 20 से उपर भी जा सकती है। पार्टी के एक शीर्ष नेता की मानें तो इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है। यही नहीं, कम-से-कम तीन मंत्री भी इस बार टिकिट से वंचित हो सकते हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 18 विधायकों के टिकिट काटे थे। हालांकि, किसी मंत्री को ड्राॅप नहीं किया गया था। चुनाव में जनता ने जरूर तीन मंत्रियों को ड्राॅप कर दिया। रामविचार नेताम, चंद्रशेखर साहू, स्व0 हेमचंद यादव और लता उसेंडी। ये चारों चुनाव हार गए थे। इस बार पार्टी की कोशिश है कि जनता के ड्राॅप करने से पहले ही उन्हें ड्राॅप कर दिया जाए। ऐसे में, मंत्रियों के खतरे बढ़ गए हैं।

पत्नी का असर

दंतेवाड़ा में विकास यात्रा के मंच पर मुख्यमंत्री आज पूरे रौं में दिखे। संभवतः अब तक का सबसे जोशीला भाषण दे डाला। सरकार की उपलबध्यिां बताकर लोगों से पूछे, कांगे्रस ने ऐसा किया…? बताइये, आप बताइये! जब तक आपलोग जोर से नहीं बोलेंगे, मैं पूछता रहूंगा। एकदम मोदी स्टाईल में। सीएम का यह रूप आज जिसने देखा, मुंह से निकल पड़ा, इतना आक्रमक भाषण। बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं ने चुटकी भी ली….कहीं भाभीजी का असर तो नहीं….आखिर पारफारमेंस तो दिखाना पड़ेगा न। दरअसल, मैडम वीणा सिंह विकास यात्रा को हरी झंडी दिखाने के वक्त मंच पर मौजूद थी।

पायलेटिंग पर रोक?

लोगों का गुस्सा सरकार से जुड़े उन लोगों के प्रति बढ़ता जा रहा है, जो सफारी और फारचुनर जैसी महंगी गाड़ियों में धूल उड़ाते चल रहे हैं….उपर से सायरन बजाती पायलेटिंग गाड़ियां भी। मोदी सरकार ने लाल बत्तियां उतरवा दी तो इसकी भरपाई पायलेटिंग और फाॅलो गाड़ियों से पूरी की जा रही हैं। सरकार ने बोर्ड, आयोग समेत संवैधानिक पदों पर बैठे डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों को यह यह सुविधाएं मुहैया करा रखी है, जिनका उद्देश्य सुरक्षा नहीं। सिर्फ और सिर्फ, स्टेट्स सिंबल है। हालांकि, चुनाव के समय में सरकार को इनके खिलाफ निगेटिव रिपोर्ट मिल रही है। ऐसे में, आश्चर्य नहीं सरकार ये सुविधाएं विड्रो कर ले।

जोगी का प्रभाव

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की आम सभा पेंड्रा के कोटमी में 17 मई को होगी। कोटमी अजीत जोगी के मरवाही इलाके में आता है। जोगी ने कोटमी के ग्राउंड पर ही अपनी नई पार्टी का ऐलान किया था। कोटमी की सभा पर कांग्रेस के भीतर ही सवाल उठ रहे हैं….जोगी के घर में राष्ट्रीय नेता की सभा कराकर पार्टी क्या संदेश देना चाहती है….इससे तो जोगी का कद ही बढ़ेगा। जोगी के इलाके में सभा करने का मैसेज तो यही जाएगा कि जोगी इतने असरदार नेता हो गए हैं, कि उनका असर कम करने के लिए राहुल को वहां ले जाया जा रहा। जोगी जैसा नेता इसे भला कैश कैसे नहीं करेंगे। कांग्रेस को इस पर विचार करना चाहिए।

8 महीने में 6 डीजी

प्रशासनिक अफसरों को प्रशासन का गुर सीखाने के लिए बनाया गए प्रशासन अकादमी में आठ महीने में पांच डायरेक्टर जनरल बदल गए। छठा रेणु पिल्ले बनीं हैं। सबसे पहिले सीके खेतान पिछले साल अक्टूबर में जब दिल्ली डेपुटेशन से लौटे थे तो सुनील कुजूर को चेंज कर उन्हें डीजी बनाया गया। खेतान एक दिसंबर को फाॅरेस्ट सिकरेट्री बनकर मंत्रालय लौटे तो उनकी जगह पर सरकार ने डेपुटेशन से आए गौरव द्विवदी को बिठाया। गौरव को डे़ेढ़-एक महीने में सरकार ने स्कूल शिक्षा सचिव बना दिया। ऐसे में, प्रशासन अकादमी का चार्ज फिर से सुनील कुजूर के हाथ में आ गया। मार्च में एसीएस सुनील कुजूर को एपीसी के साथ कृषि विभाग का जिम्मा दिया गया तो उनका लोड कम करने के लिए प्रशासन अकादमी में डाॅ0 एम गीता को डीजी अपाइंट किया गया। प्रशासन अकादमी को गीता समझ पाती कि महीने भर में सरकार ने रेणु पिल्ले को अकादमी का हेड बना दिया। रेणु प्रिंसिपल सिकरेट्री लेवल की अफसर हैं। इसलिए, मान कर चलिए वे भी वहां ज्यादा दिन तक अकादमी मेें नहीं रहने वाली। हो सकता है, जीएडी अगले नाम पर विचार भी चालू कर दिया हो।

एससी, एसटी कार्ड

जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है, सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति के अफसरों पर फोकस बढ़ाते जा रही है। ताजा उदाहरण है, प्रमोटी आईएएस अमृत खलको को रेवन्यू बोर्ड का मेम्बर बनाना। खलको बोर्ड में सिकरेट्री थे। प्रिंसिपल सिकरेट्री लेवल की आईएएस रेणु पिल्ले के ट्रांसफर के बाद सरकार ने खलको का कद बढ़ा दिया। वहीं, छतरसिंह डेहरे को बोर्ड का सिकरेट्री पोस्ट किया गया है। जाहिर है, आने वाले दो-एक महीने में इस तरह की पोस्टिंगें कुछ और होंगी।

लिस्ट पर ब्रेक

विकास यात्रा शुरू होने के बाद कलेक्टरों के ट्रांसफर पर अब कुछ दिन के लिए ब्रेक लग गया है। खासकर 11 जून तक। कोई कलेक्टर इस दौरान अगर हिट विकेट नहीं हुआ तो विकास यात्रा के पहले चरण के बाद ही अब कुछ हो पाएगा। पिछले महीने सरकार ने पांच कलेक्टरों को बदला था। इसके बाद दूसरी लिस्ट निकलने वाली थी। लेकिन, सरकार की व्यस्तता की वजह से ये लगातार टलता रहा। वैसे, पूरी तरह इलेक्शन मोड में आ चुकी सरकार के सामने ट्रांसफर प्राथमिकता नहीं रह गई है। धमतरी जैसे दो-एक जिले का टाईम हो गया है, इसलिए वे तो बदलेंगे ही, छोटे जिलों के एक-दो कलेक्टरों का नाम इसमें जुड़ सकता है।

विरोधी नेता के घर

विरोधी नेता की सभाओं में बढ़ती भीड़ को देखकर एक बड़े बोर्ड में पोस्टेड रिटायर आईएएस अफसर पत्नी के संग पहंुच गए नेताजी के बंगले। वहां मौजूद लोग भी चैंक गए….साब शादी में दिखे थे, इसके बाद सालों से कोई पता नहीं था….साब ने एकाध बार बुलाने की कोशिश की तो अगर-मगर करके रह गए। अचानक ये क्या हो गया? आपको बता दें, पाला बदलने में इस अफसर का कोई जवाब नहीं है। नौकरी के दौरान भी इसी करतब का उन्होंने खूब फायदा उठाया।

अंत में दो सवाल आपसे

1. कोटमी में अगर राहुल गांधी की सभा में भीड़ नहीं जुटी तो इसका ठीकरा क्या चरणदास महंत के सिर पर फोड़ा जाएगा?
2. छोटे अधिकारियों, कर्मचारियों पर कार्रवाई करने में देर नहीं लगाने वाली सरकार आईएफएस आलोक कटियार द्वारा ट्रांसफर आदेश को ओवरलुक करने के बाद भी कुछ क्यों नहीं कर पा रही?

बुधवार, 9 मई 2018

गुरू-चेला सब बराबर

6 मई 2018
एक बैच के आईएएस एक ही विभाग में सिकरेट्री, ज्वाइंट सिकरेट्री और डायरेक्टर हो, ऐसा आपने नहीं सुना या पढ़ा होगा। मगर छत्तीसगढ़ में कुछ ऐसा ही हुआ है। बात हो रही समाज कल्याण विभाग का। प्रसन्ना आर इस विभाग के सिकरेट्री हैं। बीएल बंजारे ज्वाइंट डायरेक्टर और डा0 संजय अलंग डायरेक्टर। तीनों 2004 बैच के आईएएस हैं। याने सब बराबर। यह अद्वितीय संयोग हुआ इसलिए क्योंकि संजय अलंग को डायरेक्टर बनाया गया तब सोनमणि बोरा सिकरेट्री थे। बोरा 1999  बैच के आईएएस हैं। और, अलंग 2005 के। बोरा के हटने के बाद आर प्रसन्ना को समाज कल्याण की जिम्मेदारी दी गई। इस दौरान पंजाब हाईकोर्ट के फैसले के बाद अलंग का बैच अपग्रेड होकर 2004 हो गया। इससे सिकरेट्री और डायरेक्टर सेम बैच के हो गए। रही सही कसर बंजारे के आईएएस अवार्ड से पूरी हो गई। भारत सरकार ने उन्हें भी 2004 बैच आबंटित कर दिया। हालांकि, जीएडी के चलते यह विशिष्ट संयोग पिछले साल भी निर्मित हुआ था। जब प्रसन्ना हेल्थ में कमिश्नर थे और उन्हीं के 2004 बैच के एनके शुक्ला को उनके नीचे डायरेक्टर अपाइंट कर दिया गया। लेकिन, शुक्ला माटीपुत्र थे। उन्होंने भिड़ के अपना आर्डर चेंज कराकर नान में चले गए। लेकिन, बेचारे अलंग और बंजारे क्या करें…कोई बैकिंग तो है नहीं।

सिस्टम का फेल्योरनेस या….

जीएडी में केके बाजपेयी, आबकारी में समुद्र सिंह और परिवहन में बीएल धु्रव। बाजपेयी स्पेशल सिकरेट्री हैं, तहसीलदार से राज्य प्रशासनिक सेवा में आए। बाकी दोनों विभागीय अफसर थे और फिलहाल अपने-अपने विभाग में ओएसडी। तीनों में समानता यह है कि तीनों 10 से 12 साल पहले रिटायर हो चुके हैं लेकिन फिर भी क्रीज पर मजबूती से जमे हुए हैं। तीनों को अपने-अपने विभाग का कीड़ा कहा जाता है और यह भी कि वे अगर हट गए तो विभाग का काम ठप हो जाएगा। तीनों के नॉलेज और कर्मठता को एप्रीसियेट करना चाहिए। ऐसे लोग भी हैं सरकारी सेवा में। इनमें से आखिरी दो तो आदिवासी अफसर हैं। लेकिन, जरा सोचिए्! सिस्टम का यह फेल्योरनेस ही तो है। राज्य बनने के 18 साल में सिस्टम में स्किल्ड डेवलप नहीं कर पाए। ये तीन विभाग तो एक बानगी है। कई ऐसे महकमे हैं, जो पुराने और रिटायर अफसरों के भरोसे ही चल रहे हैं। वजह यह कि नए अफसर काम सीखने के फालतू पचड़े में पड़ना नहीं चाहते। वे बापू की फोटो वाले हरे, गुलाबी कागजों की मोह-माया में फंस जा रहे हैं। सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए।

हार्ड लक

प्रधानमंत्री अवार्ड के मामले में छत्तीसगढ़ का अबकी हार्ड लक रहा। तीन केटेगरी के फायनल स्क्रीनिंग में पहुंचने के बाद भी नतीजा सिफर रहा। पीएम अवार्ड के लिए नारायणपुर, कवर्धा और नगरीय विकास विभाग की मजबूत दावेदारी थी। नारायणपुर जिले का नाम इनोवेशन केटेगरी में चुना गया था। इसके अलावा कवर्धा का प्रधानमंत्री आवास योजना में था। जबकि, पिछले साल दंतेवाड़ा जिले के कलेक्टर सौरभ कुमार को पालनार को कैशलेस करने के लिए पीएम अवार्ड मिला था। उससे पहिले दंतेवाड़ा कलेक्टर ओपी चौधरी को एजुकेशन सिटी के लिए।

हेल्थ में आईएफएस

एक ओर आईएएस एसोसियेशन आईएफएस अफसरों को वन विभाग में वापिस भेजने की बात करते हैं दूसरी ओर आईएफएस की मंत्रालय में पोस्टिंगें भी होती जा रही है। आईएफएस विश्वेश कुमार को सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में डिप्टी सिकरेट्री बनाया है। विश्वेश जांजगीर में जिपं सीईओ थे। उसके बाद बलौदा बाजार के डीएफओ बनें। बताते हैं, वे खुद भी मंत्रालय आने के इच्छुक नहीं थे। पोस्टिंग से पहले उनसे पूछा भी नहीं गया। जबकि, पहले परंपरा रही है, डेपुटेशन में किसी अफसर को अगर लिया जाता था तो उसे कम-से-कम सूचित तो किया ही जाता था। वैसे, आईएएस में भी अफसरों की कमी नहीं है। मंत्रालय में ही डिप्टी सिकरेट्री रैंक के कई ऐसे नाम है, जिनके पास नाम के विभाग हैं। लेकिन, सिस्टम को उन पर भरोसा नहीं।

भूपेश की मजबूरी?

पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने ट्वीट के जरिये साफ किया है कि वे पाटन से ही चुनाव लडें़गे….कोई अफवाह न फैलाए कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा। भूपेश से पहिले चरणदास महंत ने आधा दर्जन से अधिक सीटों के नाम गिनाते हुए ऐलान किया था कि आलाकमान के कहने पर वे इनमें से कहीं से भी चुनाव लड़ लेंगे। तो क्या इसे भूपेश की मजबूरी मानी जाए। क्योंकि, सभी जानते हैं कि उन्होंने अपनी पार्टी से लेकर बाहर तक अपने मित्रों की संख्या किस कदर बढ़ा ली है। जाहिर है, अबकी विधानसभा चुनाव में भूपेश को निबटाने के लिए 89 सीट एक तरफ और पाटन एक तरफ होगा। ऐसे में, पीसीसी चीफ के समक्ष खतरे तो रहेंगे।

बस्तर की पोस्टिंग

उन अफसरों के लिए राहत वाली खबर होगी, जो बस्तर पोस्टिंग में डिस्टेंस का रोना रोते थे। जगदलपुर-रायपुर के बीच विमान सेवा शुरू होने पर अब वे 35 से 40 मिनट में एक-दूसरे जगह पर पहुंच जाएंगे। यही नहीं, सैर-सपाटे के लिए उनके लिए अब विशाखापटनम जाने का भी विकल्प रहेगा। क्योंकि, यह फ्लाइट विशाखापटनम तक जाएगी। खासकर, साउथ के अफसरों के लिए तो बस्तर की पोस्टिंग अब सोने में सुहागा हो जाएगा। अब कुछ घंटे में वे अपने गांव-घर पहुंच जाएंगे।

राजपरिवार के ये दिन?

जिस एयर ओडिसा कंपनी को छत्तीसगढ़ में घरेलू विमान सेवा संचालित करने का काम मिला है, उसमें राजनीतिक पार्टी से जुड़े एक राजपरिवार की भी भागीदारी है। हिस्सेदारी के रूप में परिवार के लाड़ले को हवाई जहाज का टिकिट बेचने का काम मिला है। रायपुर, जगदलपुर, बिलासपुर और अंबिकापुर में टिकिट बेचने का काम उनके पास होगा। अब लोग भले ही इस पर चुटकी लें कि राजपरिवार के पास अब ये ही काम बच गया था, मगर टिकिट में कमीशन बढ़ियां है। और, आखिर सबसे बड़ा रुपैया ही होता है।

ब्रेन वॉश?

पत्थलगड़ी कांड में जशपुर पुलिस ने रिटायर आईएएस एचपी किंडो को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस खबर को जिसने भी सुना, मुंह से बरबस निकल गया, किंडो ऐसे नहीं थे। बात सही भी है। किंडो लंबे समय तक बिलासपुर में पोस्टेड रहे। फिर, रायपुर मंत्रालय में। उनका आईएएस अवार्ड जब रुक गया था, तब भी वे धैर्य नहीं खोए। लेकिन, जशपुर में उन्होंने कानून को हाथ में ले लिया। बताते हैं, छत्तीसगढ़ के रिटायर आदिवासी अफसरों पर अलगाववादी शक्तियां डोरे डाल रही हैं। उन्हें पता है कि रिटायर अफसरों का उनके समाज में काफी सम्मान होता है। पत्थलगड़ी में रिटायर अफसरों की संलिप्तता इसी की बानगी है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. संजय पिल्ले को सरकार डीजी बनाएगी या 88 बैच के तीनों अफसरों को एक साथ प्रमोट करने के लिए अगले साल गिरधारी नायक और एएन उपध्याय के रिटायर होने की प्रतीक्षा करेगी? 
2. अंबिकापुर संभाग के किन दो कलेक्टरों की कुर्सी हिल रही है?