शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

तरकश, 22 फरवरी


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डाक्टर या बिचैलिया

नागरिक आपूर्ति निगम में कमीशनखोरी के केस में एंटी करप्शन ब्यूरो राजधानी के एक डाक्टर की तलाश कर कर रही है। एसीबी को नान के कंप्यूटर से डाक्टर का नाम मिला था। पूछताछ में यह बात सामने आई कि नान के अधिकारी डाक्टर के क्लिनिक में पैसे पहुंचाते थे और वहां से फिर आगे डिस्ट्रीब्यूट होता था। सिर्फ नवंबर और दिसंबर में डाक्टर को 70 लाख रुपए दिए गए। पीए की डायरी में भी हर तीसरा नाम डाक्टर का है। याने वह डाक्टरी छोड़कर बिचैलिया बन गया था। एसीबी अब, डाक्टर के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने की तैयारी कर रही है।

बड़े-बड़े लोग

पत्नी भी नौकरशाह, और खुद भी। इसके बाद भी जनाब ने इंतेहा कर दी। विभाग से हटने के बाद भी नागरिक आपूर्ति निगम को दूहने मे उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। हवाई जहाज का टिकिट से लेकर मोबाइल के बिल तक का भुगतान भी नान से होता था। तो डोमिनो से पिज्जा और केएफसी का चिकन भी। वैसे, पीए की डायरी की अगर जांच हो जाए तो कई ब्यूरोक्रेट्स के चेहरे का पानी उतर जाएगा। आईएएस अपने घर के लोगों का कपड़े भी नान से सिलवाते थे। डायरी में एक जगह लिखा है, मैडम का कपड़ा और सिलाई के लिए 29 हजार। एक जगह लिखा है, फलां मंत्रीजी के यहां शादी के लिए 11 हजार लिफाफा। साब के घर के राशन का भुगतान। फलां सर के यहां एसी तो फलां के यहां आईफोन। अक्टूबर 2013 में कुछ आईएएस विदेश गए, उन्हें डालर और यूरो दिए गए। इसका भी डायरी में उल्लेख है। डायरी में नौकरशाहों के यहां भिजवाने वाले कई ऐसे आयटम हैं, जिसको यहां लिखा नहीं जा सकता।

छोटी लिस्ट

आईएएस-आईपीएस की मेगा सर्जरी तो बजट सत्र के बाद होगी, अलबत्ता, एक छोटी लिस्ट एक-दो दिन में निकल सकती है। इनमें कुछ जिलों के कलेक्टर होंगे तो कुछ एसपी। दुर्ग एसपी डा0 आनंद छाबड़ा का नाम इनमे ंसबसे उपर बताया जा रहा है। जाहिर है, दुर्ग एसपी बदलेंगे तो एक चेन बनेगा। इसमें राजनांदगांव एसपी संजीव शुक्ला का नम्बर भी लग सकता है। दुर्ग के लिए उनका अरसे से नाम चल रहा है।

महामहिम जी!

राज्यपाल बलरामदास टंडन ने बुधवार को साक्षरता मिशन की जरूरत पर तल्खी से सवाल उठाया। उन्होंने यहां तक कह दिया, क्या अनंत काल तक साक्षरता मिशन चलता रहेगा या कभी बंद भी होगा। महामहिमजी आपको समझना चाहिए कि अगर यह बंद हो गया, तो कइयों की दुकान बंद हो जाएगी। मिशन का लगभग 200 करोड़ रुपए का बजट है। किताबों की खरीदी, छपाई, फर्जी सप्लाई, किराये की गाडि़यों पर करोड़ों का खेल होता है। मिशन ने एक मोबाइल कपनी से मोटी कमीशन लेकर उन जगहों पर भी सैकड़ों सिम बांट दिए, जहां उस कंपनी का नेटवर्क ही नहीं है। अभी दस करोड़ रुपए की पुस्तकें खरीदी जानी है। इसके लिए दिल्ली के एक प्रकाशक से डेढ़ करोड़ पेशगी मिल गई है। मिशन का आलम यह है कि काम एक ढेले का नहीं दिख रहा और खेल करोड़ों का हो रहा। 2003 में संविदा में दो सहायक प्रबंधक अपाइंट हुए, वे ही आज भी मिशन को चला रहे हैं। संविदा के लोगों को डीडीओ का पावर नहीं होता। लेकिन, वहां सब चलता है। लोग जापान से लेकर थाइलैंड तक तफरी करने जा रहे हैं। हालाकि, गड़बडि़यों की शिकायत ईओडब्लू मंे भी हुई है। अब, देखना है, नान की तरह साक्षरता पर ईओडब्लू की भौंहे कब टेढ़ी होती है।

बल्ले-बल्ले

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री बनने के बाद स्मृति ईरानी 8 मार्च को पहली बार रायपुर आ रही हैं। 8 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। वे इंडोर स्टेडियम में 10 हजार से अधिक महिलाओं को संबोधित करेंगी। इसके लिए भारत सरकार ने 90 लाख रुपए का फंड दिया है। आयोजन साक्षरता मिशन को करना है।

आवास क्रांति

सरकार का नया भाड़ा नियंत्रण कानून को आवास के क्षेत्र में क्रांति के रूप में देखा जा सकता है। पहले किरायेदार से मकान खाली करना इतना जटिल था कि लोग मकान किराये में देने से पहले दस बार सोचते थे। मगर अब एक महीने की नोटिस पर घर या दुकान खाली कराया जा सकता है। सरकार ने इसके लिए भाड़ा नियंत्रक बोर्ड को अधिकरण बनाने के बाद उसे हाईकोर्ट के समकक्ष पावर प्रदान कर दिया है। अधिकरण को अधिकतम छह महीने में फैसला देना होगा। इसकी अपील सुप्रीम कोर्ट में ही हो सकती है। याने हाईकोर्ट का चक्कर नहीं रहेगा। आवास पर्यावरण सिकरेट्री संजय शुक्ला का दावा है, इस कानून से छत्तीसगढ़ में हाउसिंग फील्ड में निवेश बढ़ेगा। क्योंकि, अब मकान कब्जा करने का डर लोगों को अब नहीं खाएगा।

जवाब तलब

राजधानी के पड़ोसी पुलिस रेज के एक आईजी अपने अंदाज में काम करने के लिए जाने जाते हैं। उनके रेंज में अगर सीएम का विजिट हो, तब भी उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। जबकि, नक्सल बहुल प्रदेश होने के कारण सीएम के विजिट में आईजी मौजूद रहते हैं। पुलिस मुख्यालय ने इसको लेकर आईजी से जवाब तलब किया है। इसका असर हुआ है। आईजी अब हरकत मे आ गए हैं।

तीन नाम

पीसीसीएफ रामप्रकाश के रिटायरमेंट में भले ही अभी तीन महीने बचे हो मगर पर्दे के पीछे जोर-आजमाइश शुरू हो गई है। रामप्रकाश के बाद सीनियरिटी में आरके बोवाज हैं। उनके बाद बीएन द्विवेदी और बीके सिनहा का नम्बर आता है। बोवाज तो हर संभव कोशिश कर रहे हैं। मगर जरूरी नहीं कि उनका नंबर लग जाए। द्विवेदी और सिनहा कम थोड़े ही हैं। सिनहा को वन विभाग का मास्टर ब्रेन माना जाता है। लंबे समय तक नगरीय निकाय संचालक रहे हैं। अगर उनका मास्टर स्ट्रोक चल गया, तो वे भी शीर्ष पद प्राप्त कर सकते हैं।

अंत में दो सवाल आपसे

1. नान के पीए की डायरी में किन नौकरशाहों और मंत्रियों के पीए के नाम सामने आए हैं?
2. नान की कमीशनखोरी से किस ब्यूरोक्रेट्स का आफिसर्स क्लब का लाइफटाइम फीस के रूप में 95 हजार रुपए जमा किया गया?

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