15 मार्च 2020
सरकार ने 2005 बैच के आईएएस मुकेश बंसल को भारत सरकार के लिए रिलीव कर दिया है। मुकेश डेपुटेशन पर केंद्रीय कृषि एवं पंचायत मंत्री के पीएस अपाइंट किए गए हैं। राज्य सरकार डेपुटेशन के लिए पहले ही एनओसी दे चुकी थी। मुकेश 9 मार्च को यहां से रिलीव हो गए। याने होली के एक दिन पहले। मुकेश के लिए तो यह होली गिफ्ट समान ही रहा। वरना, सरकार भले ही एनओसी दी हो, किन्तु जब तक रिलीविंग नहीं हो जाती, धुकधुकी तो बनी रहती है। आखिर, सरकार, सरकार होती है। राज्य में इसके दृष्टांत भी हैं। 94 बैच की आईएएस निधि छिब्बर की केंद्र में पोस्टिंग मिलने के बाद राज्य सरकार ने रिलीव करने से इंकार कर दिया था। भारत सरकार ने नाराज होकर निधि को सेंट्रल डेपुटेशन के लिए पांच साल के लिए डिबार कर दिया। निधि को फिर कैट जाना पड़ा। हालांकि, फैसला निधि के पक्ष़्ा में ही आया। लेकिन, इसमें साल भर लग गया।
पैराशूट लैंडिंग
कांग्रेस की सरकार बनने के पहिले राहुल गांधी रायपुर आए थे। उस दौरान उनका पैराशूट वाला बयान काफी चर्चित हुआ था। राहुल ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दो टूक कहा था, आप निश्चिंत रहिए….पैराशूट नेताओं को पार्टी कोई मौका नहीं देगी…इस पर खूब तालिया बजी थी। अब केटी तुलसी के राज्यसभा सदस्य के लिए प्रत्याशी बनाए जाने पर कांग्रेस में ही सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, ये कोई नया नहीं है….राजनीतिक पार्टियां अपनी सहूलियत के हिसाब से अपने नेताओं या पार्टी से जुड़े लोगों को दूसरे राज्यों से राज्यसभा में भेजती है। लेकिन, यहां मामला कुछ दूसरा था। कांग्रेस के कई नेता राज्य सभा के लिए टकटकी लगाए बैठे थे। प्रदेश महामंत्री गिरीश देवांगन की बेचारगी समझी जा सकती है। उनके लिए यह दूसरा झटका हो गया। लोकसभा चुनाव के दौरान आखिरी वक्त पर प्रमोद दुबे उनकी टिकिट ले उड़े थे और अब तुलसी टपक पड़े।
गिलोटिन से बजट पास
विधानसभा का बजट सेशन कभी निर्धारित तिथि तक नहीं चला है। राज्य बनने के बाद रिकार्ड रहा, हर बार हफ्ता-दस रोज पहिले सत्र समाप्ति की घोषणा कर दी गई। इस बार कोरोना के चलते परिस्थितियां कुछ ऐसी बन रही है कि सत्र आगे चलेगा भी, इस पर संशय के बादल डोल रहे हैं। होली ब्रेक के बाद 16 मार्च से सत्र चालू होना था। लेकिन, वह अब 25 मार्च तक के लिए टल गया है। इसके बाद क्या होगा, कोई भरोसा नहीं। विस में कार्यवाही के नाम पर सिर्फ राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा हुई है। विभागों का बजट पास करने के साथ ही विनियोग विधेयक बचा है। सरकार को कुछ बिल भी पास कराने हैं। यानी अभी करीब 80 फीसदी से अधिक बिजनेस बाकी हैं। ऐसे में, गिलोटिन की चर्चा शुरू हो चुकी है। विधानसभा स्पीकर गिलोटिन अधिकार का प्रयोग करते हुए बिना चर्चा के बजट पास करा सकते हैं। हालांकि, छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद गिलोटिन प्रयोग करने के दृष्टांत नहीं हैं। लेकिन, लोकसभा समेत विभिन्न राज्यों में गिलोटिन के जरिये बजट पास हो चुके हैं। मध्यप्रदेश में 1986 में जब राजेंद्र प्रसाद शुक्ल स्पीकर थे, उन्होंने गिलोटिन से बजट पास करने पर रोक लगा दी थी। उनका मानना था, बिना चर्चा के विधेयक पास करना लोकतांत्रिक नहीं है। लेकिन, उनके बाद स्पीकर बने श्रीनिवास तिवारी ने एक मर्तबा गिलोटिन का इस्तेमाल किया था। लिहाजा, स्पीकर चाहें तो गिलोटिन के जरिये यहां भी बिना चर्चा के बजट पास करा सकते हैं।
कलेक्टरों की लिस्ट
कलेक्टरों के ट्रांसफर लंबे समय से पेंडिंग हैं। पहले नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की आचार संहिता का रोड़ा रहा। आचार संहिता खतम होने के बाद ब्यूरोक्रेसी में चर्चा थी, सीएम अमेरिका रवाना होने से पहले फेरबदल को अंजाम देंगे। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। मुख्यमंत्री यूएस से लौटे तो धान खरीदी को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया था। फिर, बजट सत्र प्रारंभ हो गया। मगर अब धान खरीदी की मियाद खतम हो गई है और बजट सत्र भी खतम समान ही है। ऐसे में, कलेक्टरों के फेरबदल की अटकलें फिर गर्म हो गई है। सत्ता के गलियारों से भी इस टाईप के संकेत मिल रहें….कलेक्टरों की लिस्ट किसी भी दिन जारी हो सकती है। ट्रांसफर से प्रभावित होने वालों में आधे दर्जन से अधिक कलेक्टरों की चर्चा है। हो सकता है, और घट-बढ़ जाए। प्रभावित होने वालों में दो बड़े जिले के कलेक्टर भी शामिल हैं। एक के खिलाफ तो वहां के लोगों ने मुख्यमंत्री से शिकायतें की है।
एसपी के भी ट्रांसफर
बलौदा बाजार की एसपी नीतू कमल डेपुटेशन पर सीबीआई जा रही हैं। वहां उनकी एसपी की पोस्टिंग मिली है। नीतू दो-चार रोज में रिलीव हो जाएंगी। लिहाजा, सरकार को बलौदा बाजार में नए एसपी की पदास्थापना करनी होगी। खबर है, बलौदा बाजार के साथ ही कुछ और जिलों के एसपी बदल सकते हैं। किसानों पर डंडा भांजने वाले एक एसपी को भी सरकार बदल सकती है। एक औद्योगिक जिले के कप्तान का भी काफी समय से हटने की चर्चा है। सरकार उन्हें भी रायपुर बुला सकती है।
एक्शन का असर?
सालों बाद यह पहली होली थी, जिसमें सूबे में कोई बड़ी घटना नहीं हुई। इस स्तंभकार ने होली के दिन सूबे के दो बड़े जिले रायपुर और बिलासपुर की पोलिसिंग खुद देखी….पुलिस का ऐसा तगड़ा बंदोबस्त…..आउटर में फोर्स ईनामदारी से डटी हुई थी। राजधानी पुलिस ने तो दो दिन पहले से बेरिकेट्स लगाकर मोर्चा संभाल लिया था। दीगर जिलों से भी कोई घटना की खबर नहीं मिली। पुलिस की इस मुस्तैदी के पीछे विधानसभा में सरकार के एक्शन का असर तो नहीं था। होली से पहले बजट सत्र में एक हफ्ते में सरकार ने विभिन्न केसों में 18 अधिकारियों, कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया था। इनमें सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर बलरामपुर जिले में रेप कांड में थानेदार समेत सात पुलिस कर्मियों का निलंबन भी शामिल था।
हकालने का वेट?
राज्य सरकार नया रायपुर बसाना चाहती है। सीएम भूपेश बघेल खुद कई मौकों पर कह चुके हैं, 8 हजार करोड़ खर्च हो चुका है, इसलिए उसका सदुपयोग होना चाहिए….और जब तक सीएम, मंत्री, अधिकारी नहीं जाएंगे, नया रायपुर बसना चालू नहीं होगा। सीएम खुद भी इस साल के अंत तक नया रायपुर शिफ्थ हो जाएंगे। मगर नौकरशाह वहां जाने के लिए उत्सुकता नहीं दिखा रहे। हालांकि, चीफ सिकरेट्री आरपी मंडल खुद पहल करते हुए जनवरी में नया रायपुर चले गए थे। उम्मीद थी कि सीएस का अनुशरण करते हुए कुछ और ब्यूरोक्रेट्स नया रायपुर जाकर सरकार के सपनों को पंख लगाएंगे। लेकिन, हालात को देखते लगता है कहीं हकालने की नौबत न आ जाए। क्योंकि, सीएम भी कह चुके हैं….सभी अधिकारियों को वहां जाना होगा।
अंत में दो सवाल आपसे
1. क्या विनय भगत जैसे विधायक के रिश्तेदारों के कुकृत्य से सरकार की साख को बट्टा नहीं लगेगा?
2. क्या संगठन में पोस्टिंग के बाद सरकार निगम, आयोगों की रेवड़ी बांटेगी?
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