22 मार्च 2020
नौकरशाहों का विदेश प्रेम छिपा नहीं है। अफसर जुगत में रहते हैं कि किसी तरह सरकारी खर्चे में साल में दो-एक विदेश दौरे का मौका निकल आए। साथ में पति, पत्नी, बच्चों को ले जाने की अनुमति मिल जाए, तो फिर क्या कहने! विधानसभा के शीत सत्र में सीएम भूपेश बघेल ने एक सवाल के जवाब में बताया ही था कि सूबे के 63 अफसरों ने 129 निजी विदेश यात्राएं कीं। सरकारी अलग है। लेकिन, कोरोना ने विदेश दौरे के शौकीन अफसरों में खौफ पैदा कर दिया है। अफसर अब आपस में एक-दूसरे से मिलने से कतरा रहे हैं। विधानसभा में सीएम द्वारा दी गई सूची चेक कर रहे हैं कि कौन किस देश का विजिट किया और वहां कोरोना की स्थिति क्या है। बहरहाल, अब कम-से-कम एक साल तक कोई अफसर विदेश जाने की बात नहीं करेगा। न ही पत्नियां दबाव बनाएंगी।
नौकरशाहों का विदेश प्रेम छिपा नहीं है। अफसर जुगत में रहते हैं कि किसी तरह सरकारी खर्चे में साल में दो-एक विदेश दौरे का मौका निकल आए। साथ में पति, पत्नी, बच्चों को ले जाने की अनुमति मिल जाए, तो फिर क्या कहने! विधानसभा के शीत सत्र में सीएम भूपेश बघेल ने एक सवाल के जवाब में बताया ही था कि सूबे के 63 अफसरों ने 129 निजी विदेश यात्राएं कीं। सरकारी अलग है। लेकिन, कोरोना ने विदेश दौरे के शौकीन अफसरों में खौफ पैदा कर दिया है। अफसर अब आपस में एक-दूसरे से मिलने से कतरा रहे हैं। विधानसभा में सीएम द्वारा दी गई सूची चेक कर रहे हैं कि कौन किस देश का विजिट किया और वहां कोरोना की स्थिति क्या है। बहरहाल, अब कम-से-कम एक साल तक कोई अफसर विदेश जाने की बात नहीं करेगा। न ही पत्नियां दबाव बनाएंगी।
बीवी के हाथ का खाना
कोरोना का खौफ ने खास आदमी को भी आम बना दिया है। नौकर और कूक पर निर्भर लोग भी अपना काम खुद करने की कोशिश कर रहे हैं। खासकर, हाउसवाइफ की मुसीबतें बढ़ गई हैं। स्कूलों की छुट्टी के चलते बच्चों का दिन भर घर में उधम। उपर से आफिस बंद होने से हसबैंड की फारमाइश। बाहर कहीं जाने की गुंजाइश नहीं। दिन भर घरों में कैद। वैसे, कोरोना से डरे अधिकांश अफसरों ने रसोइया को छुट्टी पर भेज दिया है। मैडम लोगों ने किचन संभाल लिया है। इसका एक फायदा यह हुआ है कि अफसरों को पत्नी के हाथ का खाना मिलने लगा है। सीएम हाउस में एक आईएएस ने मीटिंग के दौरान खुशी शेयर की, सालों बाद पत्नी के हाथ का खाना खाने का आनंद मिला, वरना एसडीएम बनने के समय से कूक के हाथ का खाना खा रहा था।
5 दिन के सीएस
मध्यप्रदेश के चीफ सिकरेट्री गोपाल रेड्डी अब तक के सबसे कम समय से चीफ सिकरेट्री होंगे। सरकार संकट में आने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दो दिन पहले उन्हें चीफ सिकरेट्री बनाया था। रेड्डी भारत सरकार से डेपुटेशन से लौटे थे। लेकिन, सोमवार, मंगलवार तक नई सरकार के शपथ के बाद जाहिर है, गोपाल रेड्डी की छुट्ी हो जाएगी।
अप्रत्याशित नहीं
मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी की जगह अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू को सीएम सचिवालय की कमान सौंपी गई है। हालांकि, यह अप्रत्याशित नहीं था। सीएम के अमेरिका जाने के पहले से अटकलें तेज थी कि सुब्रत साहू सीएम के नए सिकरेट्री हो सकते हैं। वैसे भी पिछले महीने अमेरिका से लौटने के बाद सुब्रत का सीएम हाउस आना-जाना बढ़ गया था। अहम मामलों में सुब्रत की सलाह ली जा रही थी। नौकरशाही को भी यह मैसेज हो गया था कि सुब्रत सीएम के ज्यादा क्लोज हो गए हैं। तभी कोई भी आर्डर चीफ सिकरेट्री के साथ ही सुब्रत को भी भेजा जा रहा था। ताकि, उससे वे सीएम को अवगत करा दें। बहरहाल, सुब्रत अब प्रभावशाली सिकेरट्री टू सीएम हो गए हैं। क्योंकि, सीएम ने 15 महीने में सबको देखने, परखने के बाद उन्हें अपना सिकरेट्री अपाइंट किया है।
कलेक्टर और कोरोना
विधानसभा का बजट सत्र टल जाने के बाद कलेक्टरों का ट्रांसफर निश्चित हो गया था। उनकी लिस्ट भी तैयार होने लगी थी। मगर कोरोना के चलते कलेक्टरों के ट्रांसफर पर अब ब्रेक लग गया है। अब सिचुएशन नार्मल होने के बाद ही कुछ हो पाएगा। जाहिर है, कलेक्टरों का तबादला लंबे समय से लंबित है। आधा दर्जन से अधिक जिलों के कलेक्टरों का बदला जाना तय था।
एसपी की लिस्ट अटकी
कोरोना के कारण बलौदा बाजार की पुलिस अधीक्षक नीतू कमल की रिलीविंग अटक गई है। नीतू डेपुटेशन पर सीबीआई जा रही हैं। उन्हें एसपी की पोस्टिंग मिली है। सीएम के विदेश दौरे से लौटने के बाद से ही वे रिलीव होने का वेट कर रही थीं। उनकी फाइल सीएम सचिवालय में पहुंच गई है। लेकिन, कोरोना के चलते वे कुछ दिनों तक कार्यमुक्त नहीं हो पाएंगी। क्योंकि, सरकार में बैठे अफसरों का मानना है कि नीतू की जगह पर आया नया एसपी सिचुएशन को ठीक से समझ नहीं पाएगा।
सिर्फ कोरोना
हालांकि, छत्तीसगढ़ में कोरोना का सिर्फ एक केस आया है। लेकिन, उसका खौफ इस कदर सिर चढ़कर बोल रहा है कि उपर से लेकर नीचे तक के लोग सब कुछ भूल गए हैं। है तो सिर्फ कोरोना। आदमी के मन में आमतौर पर कुछ-न-कुछ उधेड़बून चलते रहता है….कल ये करना है, परसों वहां जाना है, फलां दिन फलां से मिलने जाना है…। मगर कोरोना से लोगों की दिमागी प्लानिंग पर पूरी तरह ब्रेक लगा दिया है। दिख रहा तो केवल कोरोना।
अंत में दो सवाल आपसे
1. कोरोना क्या विदेश घूमने वालों या बाल-बच्चों को विलायत में पढ़ाने वालों की पोल खोल रहा क्या?
2. कोरोना को देखते स्वास्थ्य महकमे में सरकार क्या कुछ बदलाव कर सकती है?
2. कोरोना को देखते स्वास्थ्य महकमे में सरकार क्या कुछ बदलाव कर सकती है?
विदेश घूमने वालों या बाल-बच्चों को विलायत में पढ़ाने वालों की पोल खोल रहा है कोरोनो... वाकई | _/\_
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