तरकश, 18 फरवरी 2024
संजय के. दीक्षित
सीएम से मुलाकात और संयोग
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बीजेपी के राष्ट्रीय अधिवेशन के सिलसिले में दिल्ली में हैं। वहां सेंट्रल डेपुटेशन पर पोस्टेड कई आईएएस अफसरों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय मांगा था। संयोग से 16 फरवरी को रात नौ से दस बजे के बीच का टाईम भी मिल गया। चूकि टाईम सभी का लगभग एक ही था। सो, एक साथ आधा दर्जन से अधिक आईएएस पहुंच गए छत्तीसगढ़ सदन। ऋचा शर्मा, विकास शील, निधि छिब्बर, सोनमणि बोरा, मुकेश बंसल...और भी कई। सदन में सब एक-दूसरे को देखकर आवाक थे...ओह! आप, अरे वाह...आप भी। इससे पहले कभी ऐसा संयोग बना नहीं। चलिए, ये अच्छी परंपरा शुरू हुई है। दीगर राज्यों के मुख्यमंत्री दिल्ली जाते हैं तो भारत सरकार में पोस्टेड अपने अफसरों से मुलाकात करते हैं। साल में दो-एक बार डिनर भी हो जाता है। उसका फायदा राज्य को मिलता है। स्टेट कैडर के अफसरों को लगता है, उन्हें रिस्पांस मिल रहा तो वे भी राज्य के हितों का ध्यान रखते हैं। इस वक्त अच्छी बात यह है कि छत्तीसगढ़ से गए लगभग सभी आईएएस ठीक-ठाक पोजिशन में हैं। सरकार को इसका फायदा उठाना चाहिए।
अनुदान का अनोखा खेला
छत्तीसगढ़ में अनुदान के नाम पर भ्रष्टाचार का ऐसा खेला किया गया कि किसानों को फोकट में चाइनिज पावर वीडर मशीन मिल गई और व्यापारी और अफसर करोड़ों रुपए भीतर कर लिए। इस खेल में हार्टिकल्चर के अफसर, कलेक्टरों का डीएमएफ और सप्लायर का भूमिका अहम रही। हम बात कर रहे हैं हार्टिकल्चर द्वारा किसानों को पावर वीडर मशीन के लिए अनुदान की। हार्टिकल्चर को सिर्फ इसमें अनुदान देना था और व्यापारी को मशीन सप्लाई करनी थी। मगर हार्टिकल्चर के अफसर एक ऐसे व्यापारी से गठजोड़ कर खुद ही सप्लायर बन गए, जो एमपी में ब्लैलिस्टेड है और वहां लोकायुक्त की जांच चल रही है। पावर वीडर मशीन निंदाई के काम आती है। बैटरी ऑपरेटेड यह यंत्र बाजार में 25 हजार में मिल जाता है। मगर बीज विकास निगम से इसका 1.26 लाख रेट तय कराया गया। और चाइनिज मशीनों को हार्टिकल्चर की नर्सरी में एसेंबल कर जिलों में किसानों को सप्लाई कर दिया गया। नियमानुसार निगम से निर्धारित रेट पर मशीन खरीदेंगे तो उस पर 60 हजार अनुदान मिलेगा। मगर इसमें किसानों को हार्टिकल्चर के एजेंटों ने कंविंस कर लिया कि आपको एक पैसे नहीं देना है, बस अनुदान मिलेगा उसे लौटाना होगा। कायदे से किसान 1.26 लाख जमा करता, उसके बाद मशीन मिलती और फिर 60 हजार अनुदान। मगर एजेंटों ने किसानों से ब्लैंक चेक में दस्तखत करा लिया और हार्टिकल्चर से जैसे ही किसानों को अनुदान जारी हुआ, चेक को लगाकर पैसा निकाल लिया। यानी 25 हजार का यंत्र 1.26 लाख में टिकाया गया। और उपर से अनुदान भी हड़प लिया गया। विस चुनाव से जस्ट पहले पूर्व सीएम डॉ0 रमन सिंह ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से इसकी शिकायत कर जांच कर मांग की थी। केंद्रीय मंत्री से इसलिए क्योंकि अनुदान भारत सरकार से मिलता है। अब सरकार बदल गई है। लिहाजा, प्रतीत होता है कि कृषि मंत्री रामविचार नेताम इसे संज्ञान लेंगे और हार्टिकल्चर में सालों से जमे अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे। क्योंकि, रमन सिंह ने बड़ा दुखी होकर केंद्रीय मंत्र को पत्र लिखा था।
मोदीजी का 360 डिग्री
राज्यसभा सदस्य के लिए बीजेपी के संगठन मंत्री रहे रामप्रताप सिंह की काफी चर्चा रही। पार्टी के लोग इसको लेकर आशान्वित तो थे ही, सोशल मीडिया से लेकर बड़े मीडिया घराने भी रामप्रताप की ताजपोशी तय होने का ऐलान कर रहे थे। मगर मोदी मैजिक ने फिर सबको चौंका दिया। रामप्रताप की जगह रायगढ़ के देवेंद्र प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया गया। देवेंद्र प्रताप इतने सूबे के लिए ऐसे अल्पज्ञात थे कि गूगल पर भी कुछ नहीं मिल पा रहा था। देवेंद्र प्रताप टाईप करने पर गोरखपुर आ रहा था। बीजेपी नेताओं ने भी सिर पकड़ लिया कि कांग्रेस पर बाहरी नेताओं को राज्यसभा में भेजने का आरोप लगा रहे थे, मोदीजी ने ये क्या कर डाला...अब क्या जवाब देंगे। बहरहाल, नाम ऐलान होने के बाद करीब 20 मिनट बाद कंफर्म हुआ कि ये रायगढ़ वाले देवेंद्र प्रताप हैं। तब जाकर बीजेपी नेताओं की सांसें लौटी। चलिये, ये कम थोड़े ही है कि रामप्रताप न सही, किसी प्रताप को ही राज्य सभा भेजा गया है। ये मोदीजी के 360 डिग्री मूल्यांकन प्रणाली का कमाल है। 15 साल सरकार रहते माल-मलाई खाने और शाही सुख-सुविधा भोगने वाले बीजेपी और संघ के नेताओं को अब स्वीकार कर लेना चाहिए कि उनका समय अब खतम हो गया है।
आईएएस पोस्टिंग
आने वाले दिनों में आईएएस में एक छोटी लिस्ट और निकलेगी। सोनमणि बोरा और मुकेश बंसल सेंट्रल डेपुटेशन से छत्तीसगढ़ लौट रहे हैं। बोरा प्रमुख सचिव रैंक के अफसर हैं। इस लेवल पर सिर्फ एक ही आईएएस हैं। निहारिका बारिक। अब दो हो जाएंगे। कई अहम विभागों में प्रमुख सचिव पोस्ट करने की परिपाटी रही है। सो, बोरा को ठीकठाक विभाग मिल सकता है। वहीं, मुकेश बंसल सिकरेट्री रैंक के हैं। मुकेश उस समय रायगढ़ कलेक्टर थे, जब सीएम विष्णुदेव साय वहां से सांसद होते थे। सो, सीएम मुकेश की वर्किंग जानते हैं। आखिर, फायनेंस में इंश्योरेंस जैसे विभाग संभाल रहे मुकेश को सरकार ने पत्र लिखकर वापिस बुलाया है तो जाहिर तौर पर पोस्टिंग अच्छी मिलनी चाहिए।
विधायकों का ड्रेस सेंस
छत्तीसगढ़ की छठवीं विधानसभा का रौनक कुछ अलग है। डॉ0 रमन सिंह जैसे हैंडसम, आकर्षक डील डौल वाले स्पीकर। 15 साल के सीएम का औरा...। आसंदी पर उनके बैठने से विधानसभा की रौनक बढ़ी है। बाकी में के ड्रेस सेंस को लेकर भी कौतूकता है। बेशक, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ड्रेस को लेकर शौकीन माने जाते हैं। मगर सीएम विष्णुदेव साय भी पीछे नहीं। उनके यूनिक कलर वाले जैकेट पर नजर ठहर जाती है। बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर जैसे पहनावे को लेकर बेफिक्र रहने वाले विधायक भी सदन में टाइडी नजर आ रहे हैं। दरअसल, इस बार बड़ी संख्या में युवा विधायक चुन कर आए हैं। युवाओं में ड्रेस सेंस को लेकर एवरनेस रहता ही है। कई युवा विधायकों के चमक-धमक को देखकर लगता है कि सत्र के लिए ड्रेस की खास तैयारी की है। जाहिर है, इससे सदन का नजारा खुशगवार होगा ही।
महिला विधायकों का प्रदर्शन
विधानसभा में इस बार 19 महिला विधायक पहुंची हैं। इनमें 8 बीजेपी की और 11 कांग्रेस की। पहले के विधानसभाओं से उलट महिला विधायक इस बार अच्छा परफर्म कर रही हैं। सवाल पूछने के ढंग से लगता है कि होम वर्क बढ़ियां किया है। भावना बोथरा, संगीता सिनहा, शेषराज हरबंश, चतुरी नंद जैसी विधायकों के सवालों से मंत्री किंचित परेशानी भी फिल कर रहे हैं। खासकर, सराईपाली अनुसूचित सीट से प्रतिनिधित्व करने वाली चतुरी नंद की प्रतिभा की स्पीकर रमन सिंह ने तारीफ की। उन्होंने कहा कि बाकी विधायकों को भी ऐसा प्रदर्शन करना चाहिए। शिक्षिका से विधायक बनीं चतुरी ने 15 फरवरी के प्रश्नकाल में पुलिसकर्मियों के वेतन-भत्ते से संबंधित ऐसा सवाल पूछा कि विजय शर्मा जैसे मुखर और दबंग गृह मंत्री को जवाब देने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। चतुरी के पूरक सवाल ऐसे थे कि रमन सिंह को उन्हें 20 मिनट देना पड़ा।
कलेक्टर की सतर्कता
एक युवा कलेक्टर कैरियर को लेकर इतने सजग और सतर्क हैं कि कमरे में कोई महिला अधिकारी, कर्मचारी या मुलाकाती आ गई तो अर्दली दरवाजा खोल देता है। अर्दली को इसके लिए स्पष्ट निर्देष दिए गए हैं। दरअसल, वह जिला ऐसा है कि अफसर अगर बच कर निकल गए तो ईश्वर को धन्यवाद देते हैं। एक कलेक्टर वहां दुष्कर्म के केस में फंस चुके हैं। अब कोई लाख दुहाई देता रहे कि आम सहमति का मामला था मगर पुलिस में जो शिकायत है, कानूनन वही मान्य किया जाता है। इस चक्कर में उनका प्रमोशन रुक गया। केस चल रहा सो अलग।
गूगल की पत्रकारिता
बिलासपुर के कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला गूगल पत्रकारिता का ऐसे शिकार हुए हैं कि वे मोबाइल की घंटी ने उनका चैन छिन लिया है। दरअसल, राजेंद्र के ही हमनाम रीवा से विधायक हैं और एमपी के डिप्टी सीएम। एक अंग्रेजी वेबसाइट ने डिप्टी सीएम का प्रोफाइल किया और उसमें मोबाइल नंबर दे डाला बिलसपुरिया राजेंद्र शुक्ला का। हेडिंग भी नाम और मोबाइल नंबर के साथ। गूगल ने इस खबर को पिक किया और इसका नतीजा यह हुआ कि डिप्टी सीएम समझ मध्यप्रदेश से लोग धड़ाधड़ फोन लगा रहे हैं बिलासपुर वाले राजेंद्र को। राजेंद्र 2018 का विस चुनाव जोगी कांग्रेस के चलते जीतते-जीतते हार गए थे। और इस बार टिकिट नहीं मिली। चलिये, राजेंद्र यहां विधायक, मंत्री नहीं बने, गूगल ने उन्हें सीधे डिप्टी सीएम बना दिया।
अंत में दो सवाल आपसे
1. सूरजपुर के आईएएस एसडीएम को डेढ़ महीने के भीतर सीधे सुकमा क्यों भेज दिया गया?
2. क्या ये सही है कि लोकसभा की 11 में से आठ सीटों पर बीजेपी नए चेहरों को उतारेगी?
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