केडीपी करेंगे ज्वाईन
प्रींसिपल सिकरेट्री केडीपी राव को आखिरकार, बिलासपुर कमिश्नर ज्वाईन करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राव ने सोमवार को ज्वाईन करने का फैसला किया है। गौरतलब है, पिछले साल मई में बिलासपुर कमिश्नर बनाए जाने खिलाफ राव ने राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती दी थी। कैट और हाईकोर्ट में मामला खारिज हो जाने के बाद पिछले महीने उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। सुको ने उन्हें ज्वाईन करने की हिदायत दी। साथ में, राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। कोर्ट ने 9 महीने के वेतन के लिए सरकार के समक्ष पे्रजेंटेशन देने के लिए भी कहा है। हालांकि, कोर्ट-कचहरी के चक्कर में राव को 9 महीना घर बैठना पड़ गया। एक आईएएस के लिए यह एक बडा नुकसान है। ठीक ही कहा गया है, सरकार से पंगा नहीं लेना चाहिए।
आचार संहिता
वैसे तो विधानसभा का बजट सेशन 27 फरवरी तक था। मगर आचार संहिता के चक्कर में सप्ताह भर पहले समाप्त हो जाए, तो अचरज नहीं। दिल्ली से जो संकेत मिल रहे हैं, 21 से 25 के बीच कभी भी लोकसभा चुनाव का ऐलान हो सकता है। ऐसे में, सरकार 27 तक विनियोग विधेयक पारित करने का रिस्क नहीं ले सकती। बजट पास नहीं हुआ, तो बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। ऐसे में, सरकार की रणनीति होगी, 21 तक विभागों पर चर्चा कराकर बजट पास हो जाए। जाहिर है, इसमें विपक्ष को भी कोई एतराज नहीं होगा। वह भी चाहेगा कि चुनाव के लिए फील्ड में उतरा जाए। लिहाजा, 21 फरवरी बजट सत्र का आखिरी दिन हो सकता है।
वास्तुदोष
धरमलाल कौशिक ने चुनाव हारने के बाद स्पीकर बंगले को खाली कर दिया मगर गौरीशंकर अग्रवाल अभी उसमें शिफ्थ नहीं हुए हैं। बंगले का रंग-रोगन के साथ ही वास्तु दोष दूर किया जा रहा है। बंगलो आफिस के बगल में एक छोटा सा तलाबनुमा गड्ढा था, उसे पाट दिया गया है। आफिस के मेन गेट की दिशा बदल दी गई है। वास्तुशास्त्रियों ने दावा किया है कि बंगले में कुछ आवश्यक चेंजेस के बाद कोई भी स्पीकर चुनाव नहीं हारेगा। काश! प्रेमप्रकाश पाण्डेय और धरमलाल कौशिक ने अगर अपने बंगले को वास्तु के हिसाब से चंेंज करा लिया होता, तो उनकी राजनीतिक स्थिति आज कुछ और होती।
अति व्यस्तता
चीफ मिनिस्टर की व्यस्तता तो वैसे भी काफी होती है। मगर छोटे-बड़े 15 विभागों का बोझ होने के चलते बजट सत्र में डाक्टर साब की व्यस्तता और बढ़ गई है। सीएम के पास अभी वित्त, उर्जा, योजना और आर्थिक, माईनिंग, सामान्य प्रशासन, जनशिकायत निवारण, अरबन एडमिनिस्ट्रेशन, वाणिज्य और उद्योग, विधि-विधायी, फारेस्ट, जनसंपर्क, खेल और युवा कल्याण, विमानन जैसे कई अहम डिपार्टमेंट हंै। दरअसल, दो मंत्रियों की जगह खाली होने के कारण उनके विभाग भी सीएम देख रहे हैं। इनमें उर्जा, अरबन एडमिनिस्ट्रेशन, वन सरीखे कुछ विभाग ऐसे हैं, जिसमें खूब प्रश्न लगते हैं। सोमवार को सीएम का क्योश्चन डे था और इसमें 25 में से 20 प्रश्न उनके विभागों के थे। इसके लिए रविवार को सीएम हाउस में रात 11 बजे तक ब्रिफिंग चली। पूरे छह घंटे। वो तो 10 साल का तजुर्बा है, इसलिए चल जा रहा है…..विभागों का लगातार रिव्यू करने के कारण अधिकांश चीजें उन्हंें पता है। बावजूद इसके, लोकसभा चुनाव के बाद डाक्टर साब शायद ही इतना बोझ रखना चाहें।
ढांड….मगर
चीफ सिकरेट्री के लिए विवेक ढांड का नाम तो वैसे सबसे अधिक चर्चा मंे हैं मगर उनकी ताजपोशी होने पर सूबे के पांच आईएएस बिना सीएस बनें रिटायर हो जाएंगे। इनमें डीएस मिश्रा, एमके राउत और एनके असवाल जैसे अफसर हैं। दरअसल, ढांड का मार्च 2018 में रिटायरमेंट है। इससे पहले, अप्रैल 16 में डीएस मिश्रा, जुलाई 16 में राधाकृष्णन, मई 17 में असवाल और नवंबर 18 में राउत रिटायर हो जाएंगे। हालांकि, अगले साल जुलाई में आरसी सिनहा का भी नम्बर है। मगर विभागीय जांच के चलते उनका अब सिकरेट्री से उपर जाना संभव नहीं है।
रिकार्ड-1
छत्तीसगढ़ के डीजीपी बनने जा रहे डा0 आनंद कुमार देश के पहले आईपीएस हैं, जिन्होंने एसपी के रूप में 10 जिला किया है। भोपाल, ग्वालियर, छतरपुर, मुरैना, सिहोर, रतलाम, छत्तीसगढ़ में रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग। ये तीनों विभाजित होकर अब 12 बन गए हैं। कुमार का 10 जिलों का रिकार्ड अभी तक टूटा नहीं है। छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक छह जिले का रिकार्ड स्व0 बीएस मरावी के नाम दर्ज है। मरावी का हर्ट अटैक से दो साल पहले निधन हो गया था।
रिकार्ड-2
रायपुर ज्वाईन कर ठाकुर राम सिंह ने सूबे के तीनों बड़े जिले में कलेक्टरी करने का रिकार्ड बनाया है। इससे पहले, डायरेक्ट आईएएस को भी यह मौका नहीं मिला। एमके राउत, आरपी मंडल, विकास शील, सुबोध सिंह और सोनमणि बोरा ने राजधानी और न्यायधानी में कलेक्टरी की। मगर उन्हें दुर्ग का चांस नहीं मिला। राम सिंह दुर्ग के तब कलेक्टर रहे, जब उसमें बालोद और बेमेतरा शामिल था। रायगढ़ भी वे कर चुके हैं। रायगढ़ अब चैथे नम्बर का जिला हो गया है। याने एक से चार तक के बड़े जिले राम सिंह कर चुके। उन्हें सिद्धार्थ परदेशी से जरूर टक्कर मिल सकता है। चैथा जिला वे भी कर रहे हैं। रायपुर के बाद अब बिलासपुर गए हैं। कवर्धा और राजनांदगांव जैसे वीवीआईपी जिला भी उनका हो चुका है। राम सिंह और परदेशी, दोनों ने ही जब से इंनिंग शुरू की है, नाट आउट हैं। बिना बे्रक के चार जिला करने वालों में सोनमणि बोरा भी हैं। बोरा अगर दुर्ग कर लेते हैं, तो नम्बर वन में आ जाएंगे। क्योंकि, वे सीएम का गृह जिला भी किए हैं। आईपीएस में बड़े जिले में अशोक जुनेजा का रिकार्ड अभी अनब्रेकेबल है। वे रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और रायगढ़ जिले के एसपी रह चुके हैं।
भारी पड़ा
ब्यूरोक्रेट्स की गाडि़यों से पीली बत्तियां निकलवाना दुर्ग के आरटीआई एक्टिविस्ट इंदर सोनी को भारी पड़ गया। मामूली सी बात पर वहां की एक महिला अफिसर से आरटीआई में जवाब देने के लिए बहस क्या हुई, पहले से खार खाए अफसरों ने पुलिस में एफआईआर दर्ज करा दी। इंदर अब जमानत के लिए भागे-भागे फिर रहे हैं। वे अभी तक दर्जन भर से अधिक अपात्र अफसरों के वाहनों से पीली बत्ती उतरवा चुके हैं। पिछले साल वे चर्चा में तब आए थे, जब दुर्ग के एडिशनल कलेक्टर की एंबेसडर से पीली बत्ती न निकालने पर उन्होंने कलेक्टर को सीधे चेतावनी दे थी कि बत्ती उतरवा दीजिए, वरना वे पत्थर मारकर उसे तोड़ देंगे। इसके बाद भले ही वे उसे जेल भेज दे। विधानसभा चुनाव के पहले भी कोरिया में पोस्टेड एक महिला सीएसपी पीली बत्ती लगाकर दुर्ग आई थी तो चोपड़ा ने उसे रोका था। विवाद होने के बाद पुलिस ने महिला अफसर की बत्ती निकाल दी थी। जिस मामले में महिला अफसर से उनका आरटीआई को लेकर विवाद हुआ, उसमें अंदर की बात यह है कि अधिकारी चार साल से अधिक समय से दुर्ग में जमी हैं। विधानसभा चुनाव के समय इंदर ने चुनाव आयोग से उसकी शिकायत कर दी थी।
अंत में दो सवाल आपसे
1. किस आईएएस को दिल्ली में छत्तीसगढ़ सरकार का सलाहकार बनाने की चर्चा है ?
2. आनंद कुमार के भोपाल एसपी रहने के दौरान उनका एक प्रोबेशनर आईपीएस किस संवदेनशील आरोप में सस्पेंड हुआ था?
2. आनंद कुमार के भोपाल एसपी रहने के दौरान उनका एक प्रोबेशनर आईपीएस किस संवदेनशील आरोप में सस्पेंड हुआ था?
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