शनिवार, 1 फ़रवरी 2014

तरकश, 2 फरवरी

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बड़ा दिल

रिटायरमेंट के आखिरी दिन के लास्ट आवर में आईजी से एडीजी प्रमोट होकर आरसी पटेल ने आईएएस जवाहर श्रीवास्तव का रिकार्ड तोड़ डाला। जवाहर श्रीवास्तव पिछले साल सेवानिवृत्ति के अंतिम दिन प्रींसिपल सिकरेट्री बने थे। मगर पटेल का आदेश तो रिटायर होने के 15 मिनट पहले निकला गया। इसमें अहम बात यह है कि पटेल के कांग्रेस से विधानसभा चुनाव लड़ने की खासी चर्चा रही। और, नंदकुमार पटेल अगर होते तो उन्हें टिकिट मिल भी गई होती। सरकार की नोटिस में ये बात भी थी कि रायगढ़ जिले से कांग्रेस के एक युवा विधायक ने हाउस में सारगर्भित भाषण दिया था, उसे तैयार करने में पटेल की भूमिका रही। विरोधियोें ने उसकी शिकायत भी की। मगर डाक्टर साब ने बड़ा दिल दिखाते हुए फाइल को ओके कर दिया।

फंस गए पंडितजी

आरसी पटेल के फेर में बेचारे बिलासपुर आईजी राजेश मिश्रा फंस गए। दोनों 90 बैच के आईपीएस हैं। पटेल का प्रमोशन होकर एडिशनल डीजी बनें तो मिश्रा का प्रमोट होना भी स्वााभाविक था। दुर्ग एसपी से हटने के लंबे समय बाद उन्हें बिलासपुर रेंज की पोस्टिंग मिली थी। मगर साल भी नहीं गुजरा कि सरकार ने प्र्रमोट कर दिया। वह भी पटेल के चक्कर में समय से पहले। अब, सरकार की नजरे इनायत बरकरार रही तो ठीक है, वरना मुश्किल हो सकती है। हालांकि, भोपाल में शिवराज सरकार ने एडीजी विजय यादव को रेंज में रखा था। सरकार चाहे तो मिश्रा के एडीजी बनने के बाद भी उन्हें रेंज में रखा जा सकता है।

चालू हो गए….

मंत्रालय में पिछले सप्ताह हुई कलेक्टर कांफें्रस इस मायने में अलग रही कि सीएम ने सीधे करप्शन को निशाना बनाया। खासकर युवा कलेक्टरों के खिलाफ गड़बडि़यों की शिकायतों पर वे फट पड़े। दरअसल, उन्हें कहीं से पता चला है कि कई युवा आईएएस अभी से शुरू हो गए हैं। तभी सीएम ने कहा, मुझे लोग बताते हैं, फलां युवा आईएएस, फलां कलेक्टर अभी से चालू हो गया है…..ऐसा वे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। बिलासपुर संभाग के एक नए जिले के कलेक्टर को उन्होंने योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने पर जोरदार फटकार लगाई।
खलबली
डा0 आनंद कुमार के डीजीपी बनने में अभी हफ्ता भर और वक्त लग सकता है मगर इससे पहले ही पुलिस महकमे में खलबली मची है। असल में, कुमार अनुशासन के मामले में बेहद सख्त हैं। दो टूक बात करते हैं और चापलूसी बिल्कुल पसंद नहीं। बिलासपुर में एसपी रहने के दौरान लोग याद करते हैं, किस तरह एंबेसडर कार में हैंगर में अपनी वर्दी लटकाकर चलते थे। ताकि, कहीं ला एंड आर्डर की स्थिति पैदा हो तो तत्काल वर्दी पहनकर मौके पर पहुंच सकें। फालोआप उनका जबर्दस्त है। जबकि, उस समय मोबाइल नहीं था। मगर कोई घटना होने पर फोन पर ही मातहत अफसरों को इतना टाईट कर देते थे कि स्टाफ टरका नहीं सकता था। अब तो संचार के इतने सशक्त माध्यम हो गए हैं कि अफसरों को मुश्किल जाएगी। खासकर पुलिस कप्तानों को। कप्तान अभी कई जगह से निर्देशित होते हैं। विश्वरंजन के बाद एसपी को डीजीपी की बहुत परवाह नहीं रह गई थी। मगर कुमार के साथ ऐसा नहीं होगा।

बंगला नहीं न्यारा

सीएम ने 80 करोड़ के बंगले का प्रस्ताव क्या खारिज किया, पूर्व स्पीकर धरमलाल कौशिक के बंगला का रिनोवेशन भी पचड़े में पड़ गया। जाहिर है, पूर्व स्पीकर को राजधानी में सरकारी बंगला आबंटित किया जाता है। कौशिक ने सिविल लाईन स्थित नारायण चंदेल का बंगला पसंद किया था। मगर उसके इंटिरियर और फर्नीचर आदि पर 40 लाख का खर्च आ रहा था। बताते हैं, पीडब्लूडी ने राजेश मूणत को इसकी फाइल भेजी तो वे गरम हो उठे। उन्होेंने कहा, 40 लाख में नया एचआईजी बंगला बन जाएगा। फाइल अब ठंडे बस्ते में है।

लोकसभा के बाद

कलेक्टर कांफें्रस के दिन सरकार ने आनन-फानन में पांच जिलों के कलेक्टरों की छोटी लिस्ट जारी की और ऐसे संकेत मिले थे कि सेकेंड लिस्ट भी जारी हो सकती है। मगर सरकार ने अब फैसला किया है, लोकसभा के बाद ही अब चेंजेस किया जाएगा। आचार संहिता खतम होगी तब तक मानसून आ जाएगा। बरसात में आमतौर पर कलेक्टरों के ट्रांसफर होते नहीं। सो, अक्टूबर चला जाए, तो आश्चर्य नहीं।

अदला-बदली

आईएएस और आईपीएस के ट्रांसफर में अबकी पोस्टिंग की अदला-बदली भी हुई। रायपुर और बिलासपुर कलेक्टर एक-दूसरे जिलों में शिफ्थ किए गए, तो आईपीएस में एएन उपध्याय और अशोक जुनेजा के बीच भी कुछ ऐसा ही हुआ। जून 2008 में जुनेजा होम सिकरेट्री से दिल्ली डेपुटेशन पर गए थे, तो उनकी कुर्सी उपध्याय ने संभाली थी। दोनों के बीच कुर्सी एक बार फिर बदली। अब जुनेजा होम सिकरेट्री बनाए गए हैं, और उपध्याय को प्रशासन में भेजा गया है। उधर, रोहित यादव सरगुजा के कलेक्टर रह चुके हैं। अबकी उनकी पत्नी रीतू सेन को सरगुजा की कमान सौंपी गई है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. भावी डीजीपी डा0 आनंद कुमार के साथ सबसे अधिक समय तक प्रोबेशनर के तौर पर काम करने वाले अशोक जुनेजा को कुमार के आने से पहले ही पीएचक्यू से क्यों हटा दिया गया? 
2. कांग्रेस की आर्थिक नाकेबंदी किसानों के हित के लिए किया गया या लोकसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं को चार्ज करने के लिए?

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