लोकपाल की आहट
मंत्रियों के तीखे विरोध के चलते कैबिनेट में लोकपाल कानून का मामला आगे नहीं बढ पाया, मगर 15 दिन में सरकार ने जिस तरह के तेवर दिखाएं हैं, भ्रष्ट अफसरों के लिए संकेत अच्छे नहीं कहे जा सकते। आमतौर पर रेंजर और पटवारी तक कार्रवाई को सीमित रखने वाले ईओडब्लू ने शनिवार को मरवाही डीएफओ को अपना शिकार बनाया। यहीं नहीं, 15 दिन के भीतर सरकार ने ट्रेप के 30 मामलों में चालान पेश करने की अनुमति दे दी है। सभी मामले पांच साल से मंत्रालय में लंबित थे। ईओडब्लू और एसीबी सीएम के अधीन हैं और फिलहाल विधि विभाग भी उन्हीं के पास हैं। सो, सीएम सचिवालय ने इन सभी मामलों का फटाफट निराकरण कर चालान पेश करने की हरी झंडी दे दी। अब, मान कर चलिये, ट्रेप के बाद भी मजे से नौकरी कर रहे सरकारी मुलाजिम अब 15 से 20 दिन के भीतर सस्पेंड हो जाएंगे। इससे पहले, पिछले महीने आय से अधिक संपत्ति के मामले में ईओडब्लू दो अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर जेल की हवा खिला चुका है। मंत्रालयीन सूत्रों का कहना है कि आय से अधिक संपत्ति के केस में मार्च फस्र्ट वीक तक 10 से 15 मामलों की स्वीकृति मिल जाएगी। इनका जेल जाना भी तय समझिए। कह सकते हैं, सूबे में लोकपाल की आहट शुरू हो गई है।
हुस्न के कद्रदान
राजधानी के अफसरों में हुस्न के कदद्रानों की कमी नहीं है। इसके लिए वे मंुबई और गोवा तक चले जाते हैं। मगर सब इस तरह बुद्धि वाले थोड़े ही होते हैं। इसीलिए तो दो आईएफएस और एक आईपीएस बुरी तरह फंस गए हैं। रायपुर के चर्चित सेक्स स्केंडल की सीडी में तीनों आला अफसरों समेत दर्जन भर से अधिक वन, पुलिस और राजस्व विभाग के अफसरों की मौज-मस्ती है। पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है, यह मामला इक्कीसवी सदी टाईप का है। याने हुस्न कद्रदानों से दो कदम आगे निकल गया। पहले खूब लुटा और इतना लुटा कि कद्रदानों को पुलिस की शरण लेनी पड़ गई।
नो फेयरवेल
चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार के रिटायरमेंट की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 28 फरवरी को वे सेवानिव्त हो जाएंगे। कुमार पहले सीएस होंगे, जिनका कोई फेयरवेल नहीं होगा। और औपचारिक और ना ही अनौपचारिक। आफिसर्स क्लब की स्थापना दिवस पर आईएएस अधिकारियों ने रविवार को औपचारिक बिदाई देने का प्लान बनाया है। लेकिन सीएस इसके लिए शायद ही तैयार हों। रायपुरियंस आज भी याद करते हैं, सुनिल कुमार जब रायपुर कलेक्टर से डायरेक्टर पब्लिक रिलेशंस बनकर भोपाल गए थे, तब भी ऐसा ही हुआ था। लोगों को पता ही नहीं चला कि कब वे छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में बैठकर भोपाल चले गए। जाहिर है, कुमार को सरकारी अधिकारियों का वेलकम और फेयरवेल पसंद नहीं। सीएस के रूप में जब उन्होंने पुराने मंत्रालय में ज्वाईन किए थे, तो तत्कालीन डीजीपी अनिल नवानी को भी गुलस्ता लेकर भीतर जाने की इजाजत नहीं मिली थी। सीएस का स्टाफ ने विनम्रतापूर्वक गुलस्ता बाहर रखवा दिया था।
जल्द आर्डर
पीसीसीएफ की तरह नए चीफ सिकरेट्री का आर्डर भी 28 से पहले निकल जाएगा। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो सोमवार या मंगलवार तक सरकार आदेश निकाल देगी। सीनियरटी में चूकि विवेक ढांड पहले नम्बर पर हैं, इसलिए, उनका दावा भी पहले नम्बर पर है। हालांकि, सीएस की दौड में डीएस मिश्रा भी थे। मगर आखिरी समय में लगता है, वे पिछड़ गए। अब, ढांड का सीएस बनना लगभग तय माना जा रहा है। अब, ऐन वक्त पर माथे पर लिखी लकीन गड़बड़ा जाए, तो बात अलग है। आखिर, डा0 आनंद कुमार के साथ कुछ इसी तरह का हुआ। डीजीपी बनते-बनते गाड़ी अटक गई।
कलेक्टर साब
एक नए जिले के कलेक्टर के साईकेट्रिक हरकतों से मातहल इस कदर परेशान हैं कि उनकी पोस्टिंग के बाद 17 डिप्टी और एडिशनल कलेक्टरों ने सरकार को हाथ-पांव जोड़कर अपना ट्रांसफर करा लिया। कोई भी अफसर हफ्ते भर में वहां से ट्रांसफर के जुगाड़ में लग जाता है। हालांकि, सरकारी योजनाओं का टारगेट पूरा न होने पर कलेक्टर कांफे्रंस में सीएम खूब नाराज हुए थे और लिस्ट में उनका नाभ भी था मगर एक मंत्रीजी हाथ जोड दिए कि साब कुछ दिन और उसे वहां रहने दो….मुझे उसने चुनाव जीतवा दिया है। और, कलेक्टर साब बच गए। ये कलेक्टसाब वहीं हैं, जो रायपुर के एक पडोसी जिले में कलेक्टर थे, तो वहां की एक महिला डिप्टी कलेक्टर के साथ उनके खूब चर्चे उड़े थे।
तारीफ
आवास पर्यावरण विभाग की चर्चा के दौरान सत्यनारायण शर्मा ने हाउसिंग बोर्ड के कमिश्नर सोनमणि बोरा की जमकर तारीफ कर उनकी चेहरे पर हवाइयां उड़ा दी थी। शर्मा ने कहा, बोरा जैसे अफसर की तारीफ करनी होगी, जिन्होंने सड्डू के जलभराव जैसे समस्या को खतम किया। अब, विरोधी पार्टी का नेता अगर सदन में किसी अफसर की सराहना कर दें, तो उसकी क्या हालत होगी, समझा जा सकता है। मगर सत्तू भैया जरा दूसरे मूड मंे थे। लगे हाथ वे अमित कटारिया और इसके बाद राजेश मूणत को ईमानदार मंत्री बताकर बोरा का टेंशन दूर कर दिया।
रन आउट
विधानसभा में गंभीर चर्चाओं के बीच हास-परिहास भी खूब होते हैं। शुक्रवार को सीएम के विभागों की चर्चा में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव के भाषण के बाद मुख्यमंत्री की बारी आई तो उन्होंने चुटकी ली….नेता प्रतिपक्ष ने आठ बार हैट्रिक का जिक्र किया है याने कांग्रेस ने अब भाजपा की हैट्रिक को स्वीकार कर लिया है, मगर अब आपलोग नो बाल मत फेंकना। क्योंकि, नो बाल में न विकेट नहीं मिलता, उल्टे हमलोगों को रन मिल जाता है। इस पर सिंहदेव ने खड़े होकर कहा, डाक्टर साब नो बाल में विकेट मिलता है, प्लेयर रनआउट तो होता है। इस पर रमन ने कहा, आप लोग इस भ्रम में ना रहे, हमलोग रन आउट नहीं होते। चैथी बार भी हमलोग ही बैटिंग करेंगे।
अंत में दो सवाल आपसे
1. अजीत जोगी रायगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या कांकेर से?
2. एक कलेक्टर का नाम बताइये, जिनके साथ महिला अफसर काम करने से घबराती हैं?
2. एक कलेक्टर का नाम बताइये, जिनके साथ महिला अफसर काम करने से घबराती हैं?
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