आईएएस का कुत्ता
राजधानी में मकान के लिए भले ही आईजी, डीआईजी जैसे अफसर चिरौरी कर रहे हों मगर एक डीओजी का रुतबा देखिए कि वह देवेंद्र नगर के आफिसर्स कालोनी के एक ई टाईप बंगले में ठाठ से रह रहा है। उसके खिदमत के लिए दो चपरासी भी तैनात हैं। एक दिन में, तो दूसरा रात के लिए। डीओजी को गरमी बर्दाश्त नहीं होती, इसलिए, एक कमरे में एसी लगाया गया है। दरअसल, बंगला एक आईएएस के नाम से अलाट है। ढाई साल पहले उनकी पोस्टिंग राजधानी से बाहर हुई, मगर उन्होंने बंगले का मोह नहीं छोड़ा। कब्जा बना रहे, इसके लिए उन्होंने विदेशी नस्ल के अपने प्रिय कुत्ते को रख छोड़ा है। अब, आईएएस का कुत्ता है तो उसके लिए उसी के अनुरुप इंतजाम तो करने पड़ेंगे न। इससे लोगों को तकलीफ नहीं होनी चाहिए।
दिया तले अंधेरा
राजधानी में मकानों की कमी से जूझ रहे नौकरशाह रिटायर आईएएस आरपी बगाई की याद कर रहे हैं। होम में रहने के समय बगाई ने रिटायरमेंट या ट्रांसफर के बाद देवेंद्र नगर का बंगला नहीं छोड़ने वाले नौकरशाहों पर एक से डेढ़ लाख रुपए तक जुर्माना ठोक दिया था। इसमें एक सीनियर एसीएस का भी डेढ़ लाख जुर्माना था। इसके कारण तब फजीहत होने के डर से कई अफसरों ने फटाफट घर खाली कर दिया था। मगर अभी का हाल सुनिये। कई अफसर रहते हैं भिलाई में और देवेंद्र नगर में बंगला कब्जिआएं हुए हैं। कुछ तो अरसे से राजधानी से बाहर हैं मगर बंगला नहीं छोड़ा है। सरकारी बंगले का मोह के मामलेे मंे राजनीतिज्ञ भी पीछे नहीं हैं। लता उसेंडी और रेणूका सिंह चुनाव हार गईं मगर दोनों ने अभी तक बंगला खाली नहीं किया है।
मेष राशि
सूबे की 11 लोकसभा सीटों में से दो सीट को तो लोग अभी से क्लियर मान कर चल रहे हैं। एक महासमुंद और दूसरा, राजनांदगांव। एक पर अजीत जोगी चुनाव लड़ रहे हैं और दूसरे पर मुख्यमंत्री के बेटे अभिषेक। दोनों मेष राशि वाले हैं। ज्यातिषियों की मानें तो मेष राशि के लिए अभी समय भी अच्छा चल रहा है। तभी तो ना…ना….करते हुए जोगी टिकिट लेने में कामयाब हो गए, तो अभिषेक की लांचिंग राइट टाईम पर हो गई। उनके लिए इससे बढि़यां समय नहीं होता। छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार है और दिल्ली में भी लगभग आ ही जाएगी। जाहिर है, राज्य के लोगों की सबसे अधिक उत्सुकता इन दोनों सीटों को लेकर होगी। अब, यह देखना दिलचस्प होगा कि लीड के मामले में अजीत जोगी आगे रहते हैं या अभिषेक।
इगो की लड़ाई
विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार पटखनी खाने के बाद भी कांग्रेस नेताओं ने सबक नहीं ली। इगो की लड़ाई में पार्टी की फजीहत करा दी। चुनावी इतिहास में शायद ही कहीं ऐसा हुआ होगा, जब किसी सीट पर तीन बार प्रत्याशी बदला गया होगा। वो भी कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी द्वारा। रायपुर में पार्टी नेताओं ने ऐसा ही किया। अब, चैथी बार प्रत्याशी बदलने पर विचार चल रहा है। इसीलिए, छाया वर्मा को अभी बी फार्म नहीं मिला है। जबकि, रायपुर राजधानी है और यहां से पूरे प्रदेश में मैसेज जाता है। इसके बावजूद, कांग्रेस नेताओं ने पार्टी को तमाशा बनाने में कोई कमी नहीं की। कांग्रेस कार्यकर्ता भी महसूस कर रहे हैं कि बड़े नेताओं ने, तुम्हारी क्यों? मेरी चलेगी के चक्कर में पार्टी का बडा नुकसान कर दिया। ऐसे में, भाजपाई अगर 2004 और 2009 का रिजल्ट दोहराने का दावा कर रहे हैं तो विस्मय नहीं होना चाहिए।
बड़ा दांव
लोकसभा चुनाव में अजीत जोगी ने चतुराई के साथ पत्ते फेंके और पार्टी में अपना जलवा बरकरार रखने में कामयाब रहे। कांकेर से फूलोदेवी नेताम को टिकिट दिलवा दिया तो महासमुंद से प्रतिभा पाण्डेय की दावेदारी कमजोर करने के लिए करुणा शुक्ला को बिलासपुर से खड़ा करा दिया। अब, दो कान्य कुब्ज महिला को कांग्रेस टिकिट दे नहीं सकती। इससे, उनके लिए महासमुंद में गुंजाइश बन गई। बिलासपुर में करुणा को आगे करने के लिए पीछे राजनीति यह भी थी कि दूसरे किसी को टिकिट दिलाएं और अगर जीत गया तो आगे चलकर कहीं भस्मासुर न बन जाए। करुणा बिलासपुर के लिए बाहरी हैं इसलिए जीते या हारे, जोगी खेमे की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
दुर्भाग्य
बिलासपुर के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता। 2009 में इस सीट के सामान्य होने के पहले पुन्नूराम मोहले चार बार यहां से प्रतिनिधित्व किए। और, केंद्र में एनडीए की सरकार रहने के बाद भी इस दौरान विकास के एक काम नहीं हुए। 29 साल बाद लोकसभा सीट सामान्य हुई तो अजीत जोगी की पत्नी को हराना है, इस चक्कर में लोगों ने दिलीप सिंह जूदेव को जीतवा दिया। जूदेव जो जीत कर गए, दोबारा फिर झांके नहीं। इस बार उम्मीद थी कि कोई दमदार कंडिडेट खड़ा होगा। मगर दोनों ही पार्टियों ने निराश किया। अजीत जोगी मजबूत प्रत्याशी थे मगर हार के डर से वहां से किनारा करना ही मुनासिब समझा। कांग्रेस ने आठ दिन पहले पार्टी में आई करुणा शुक्ला को मैदान में उतार दिया। इससे, पार्टी की गंभीरता समझी जा सकती है। और, भाजपा में धरमलाल कौशिक से लेकर मूलचंद खंडेलवाल, अरुण साव जैसे नेताओं के नाम चलें मगर पार्टी ने एक ऐसे चेहरे को खड़ा कर दिया, जिसका अधिकांश लोगों ने नाम ही नहीं सुना था।
राजधानी पुलिस
होली में अबकी राजधानी पुलिस ने पहली बार अपने होने का अहसास कराया। ऐसी टाईट पोलिसिंग हुई कि गुंडे-मवालियों की अपने रंग मंे होली मनाने की तैयारी धरी-की-धरी रह गई। पुलिस ने दो दिन पहले से मुहिम चलाकर डेढ़ हजार से अधिक लड़कों-लफंगों की बाइक जब्त कर ली। हर चैक पर दर्जन भर से अधिक जवान तैनात रहे। जहां तीन सवारी देखा, बाइक जब्त करने में देर नहीं लगाई। उपर से निर्देश भी थे किसी को छोड़ना नहीं है। यही कारण है कि कुछ भइया लोगों के फोन भी आए, तो बड़े अफसरों ने उनसे दो दिन के लिए माफी मांग ली। े
अंत में दो सवाल आपसे
1. किस मसले को लेकर राजधानी में गुरूवार को देर रात तक तीन मंत्रियों की बैठक चली?
2. कांग्रेस के तीन और कौन बड़े नेता भाजपा से जुड़ने के लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं?
2. कांग्रेस के तीन और कौन बड़े नेता भाजपा से जुड़ने के लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं?
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