नए मंत्री
जून में किसी भी दिन तीन नए मंत्रियों के लिए राजभवन में शपथ ग्रहण का आयोजन किया जा सकता है। अभी, मुख्यमंत्री को मिलाकर 10 मंत्री है। जबकि, 13 होने चाहिए। लोकसभा चुनाव में विधायक मन से काम करें, इसलिए सीएम ने रणनीति के तहत तीन जगह खाली रखी थी……याने जो अच्छा काम करेगा, उसे तोहफा दिया जाएगा। रमन सिंह की दूसरी पारी में पांच आदिवासी मंत्री थे। केदार कश्यप, लता उसेंडी, विक्रम उसेंडी, ननकीराम कंवर और रामविचार नेताम। अभी मात्र दो हैं। केदार कश्यप रामसेवक पैकरा। तीसरी पारी में आदिवासी इलाके से वैसा सपोर्ट नहीं मिला। इसलिए, तय मानिये, तीन से अधिक आदिवासी मंत्री नहीं होंगे। ऐसे में, महेश गागड़ा का नम्बर लगना अब तय हो गया है। बस्तर में भाजपा जीती है। और, शायद महेश के भाग्य से विक्रम उसेंडी अब पार्लियामेंट में पहुंच गए है। बचे दो में से सामान्य और अनुसूचित जाति के एक-एक विधायक को एडस्ट करने की खबर निकल कर आ रही है। अजा की 10 में से आश्चर्यजनक तौर पर भाजपा को 9 सीटें मिल गई थीं। इस वर्ग से अभी सिर्फ पुन्नूराम मोहले मंत्री हैं। जबकि, पिछली बार सीटें कम होने के बाद भी मोहले के साथ दयालदास बघेल भी मंत्री बनने में कामयाब हो गए थे। अबकी सरकार के सामने दिक्कत यह है कि अजा के ज्यादतर विधायक पहली बार चुनाव जीत कर आए है। ऐसे में, किसे मंत्री बनाया जाए, यह जरा पेचीदा हो रहा है। वैसे, सबसे अधिक लाबिंग सामान्य वर्ग के लिए हो रही है। हर दूसरा विधायक मंत्री बनना चाहता है। मगर सब कुछ ठीक रहा तो युद्धवीर सिंह जूदेव को मौका मिल सकता है।
एक अनार……
तीन मंत्रियों की पोस्टिंग के साथ ही मंत्रिमंडल का पुनर्गठन भी किया जाएगा। अभी सबसे अधिक लोड मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह पर है। उनके पास वित्त, नगरीय प्रशासन, वन, सामान्य प्रशासन, माईनिंग, पावर, खेल, युवा कल्याण, जनशिकायत, योजना, जैसे छोटे-बड़े दर्जन भर से अधिक विभाग हैं। इनमें से वित्त तो उन्हीं के पास रहेगा मगर वन और नगरीय प्रशासन जैसे कुछ विभागों को वे निश्चित तौर पर शिफ्थ करेंगे। वन किसी नए मंत्री को दिया जा सकता है। लेकिन, स्थानीय चुनाव को देखते नगरीय प्रशासन किसी सीनियर मंत्री को देना पड़ेगा। दिसंबर में मंत्रिमंडल के गठन के समय सबसे अधिक के्रज इसी विभाग का रहा। मई मंत्रियों ने इसके लिए इच्छा जताई थी। विभाग एक और दावेदार कई होने का ही नतीजा रहा कि सीएम ने लोकसभा चुनाव तक इसे अपने पास रखना मुनासिब समझा। वैसे, जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, अमर अग्रवाल को फिर से नगरीय प्रशासन मिल सकता है। वहीं, पुनर्गठन में प्रेमप्रकाश पाण्डेय का भी वजन बढ़ेगा।
मोदी की मीटिंग
26 मई को प्रधानमंत्री पद का शपथ लेने के अगले दिन नरेंद्र मोदी पहली मीटिंग सिकरेट्रीज की लेंगे। इसमें खास बात यह है कि बैठक में सिकरेट्रीज को अकेले आने कहा गया है। आमतौर पर सिकरेट्रीज अपने दो-चार मातहत अधिकारियों के साथ ही बैठक में पहुंचते हैं। यह सब जगह होता है। रायपुर में भी। सिकरेट्रीज से जब सवाल पूछा जाता है, वे पीछे अफसरों की ओर ताकने लगते हैं। मोदी के अकेले आने के फरमान से भारत सरकार के अफसरों की हालत खराब है। शनिवार अवकाश होने के बाद भी दिल्ली में केंद्र सरकार के दफ्तरों में आज दिन भर मीटिंग के नोट्स तैयार किए गए। कुछ विभागों के फीगर के लिए रायपुर भी फोन खटखटाए गए। पता चला है, परफारमेंस के हिसाब से मोदी सिकरेट्रीज लेवल मंे भी बदलाव करेंगे।
शुक्ला को हेल्थ
दो लोकसभा चुनाव कराने के बाद डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर डा0 आलोक शुक्ला एक जुलाई को छत्तीसगढ़ लौट आएंगे। उनका डेपुटेशन 20 जून को खतम हो जाएगा। शुक्ला 86 बैच के आईएएस हैं। रायपुर लौटने पर उन्हें प्रींसिपल सिकरेट्री हेल्थ बनाए जाने का चांस ज्यादा है। शुक्ला हेल्थ में पहले भी रह चुके हैं। स्कूल एजुकेशन के बाद हेल्थ ही वह विभाग है, जहां छै महीने, साल भर में सिकरेट्री बदल जा रहे हैं। पिछले साल मार्च में अजय सिंह को हटाकर एमके राउत को इसकी कमान दी गई थी। साल भर के भीतर ही अजय सिंह को आश्चर्यजनक रूप से फिर से हेल्थ सौंप दिया गया।
दामाद बाबू
केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद एक आईएएस दामाद बाबू फिर से छत्तीसगढ़ आने की कोशिशों मंे जुट गए हैं। वे यहां पहले भी पांच साल रह चुके हैं। और, तमाम प्रयासों के बाद भी मनमोहन सरकार ने जब उनका डेपुटेशन बढ़ाने से इंकार कर दिया, तो उन्हें मन मारकर यहां से बोरिया-बिस्तर बांधना पड़ा था। मगर, छत्तीसगढ़ में जो मजे हैं, वह बाकी राज्यों में कहां। सो, अपने साथ काम किए अधिकारियों, सप्लायरों को फोन कर बताना चालू कर दिए हैं कि चिंता मत करों, मैं फिर आ रहा हूं। हालांकि, पांच साल के बाद नार्मली दोबारा स्टेट डेपुटेशन मिलता नहीं। लेकिन, परिस्थियां अनुकूूल हो तो कुछ भी संभव है।
26 के बाद
आईएएस, आईपीएस के ट्रांसफर अब प्रधानमंत्री के शपथ से सरकार के लौटने के बाद होंगे। याने 26 के बाद। 29-30 तक भी जा सकता है। वैसे, आज कैबिनेट को देखते अफसरों में उत्सुकता थी कि लिस्ट आज निकल जाए। कई बार कैबिनेट के बाद सूची जारी हुई है। मगर, सरकार पहले से 26 के बाद ही फेरबदल करने का मन बना चुकी है। सो, कलेक्टर और एसपी के दावेदारों को अभी और इंतजार करना होगा।
अंत में दो सवाल आपसे
1. मोदी लहर नहीं होती तो सरोज पाण्डेय कितने वोट से चुनाव हारती?
2. एक हारे हुए मंत्रीजी का खर्चा-पानी कौन से तीन मंत्री मिलकर उठा रहे हैं?
2. एक हारे हुए मंत्रीजी का खर्चा-पानी कौन से तीन मंत्री मिलकर उठा रहे हैं?
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