शनिवार, 10 मई 2014

तरकश, 11 मई


तरकश

राजधानी से कलेक्टरी

चीफ सिकरेट्री की कुर्सी संभालते ही विवेक ढांड ने विभागाध्यक्षों की पहली मीटिंग में ही मुख्यालय से बाहर रहने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों को चेताया था। मगर अब उस कलेक्टर का क्या किया जाए, जो राजधानी में बैठकर जिले का काम निबटा रहे हैं। बताते हैं, छोटा जिला होने के कारण आईएएस का वहां मन नहीं लग रहा है। सो, 17 को पोलिंग होने के दो दिन बाद ही वे राजधानी आ गए थे। अब, जिला मुख्यालय से राजधानी स्थित उनके आवास पर रोज फाइलें आती हैं। समय मिलने पर वे फाइलों पर हस्ताक्षर कर वापिस भेज देते हैं। 20 दिन से इसी तरह चल रहा जिला। याने राम राज वाला मामला है।

लकी बैच

आईएएस में 2003 बैच को लकी बैच कहा जा सकता है। इस बैच में चार आईएएस हैं और चारों कलेक्टर हैं। सिद्धार्थ कोमल परदेशी बिलासपुर, रीतू सेन सरगुजा, रीना बाबा कंगाले कोरबा और अविनाश चंपावत कोरिया। यह पहला मौका होगा, जब किसी बैच के सभी चार आईएएस कलेक्टर होंगे। इस बैच के आईपीएस भी पीछे नहीं है। रतनलाल डांगी, ओपी पाल और पी सुंदरराज 2003 बैच के आईपीएस हैं। विधानसभा चुनाव तक डांगी कोरबा, पाल रायपुर और सुंदरराज अंबिकापुर के एसपी थे। इनमें से सिर्फ डांगी चेंज हुए हैं। बाकी पाल और सुंदराज कमान संभाले हुए हैं।

नारी सशक्तिकरण

भले ही आप इसे इत्तेफाक कह सकते हैं मगर यह सही है कि प्रदेश में चार महिला कलेक्टर हैं और खास बात यह कि चारों संसदीय जिले हैं। वहां वे जिला निर्वाचन अधिकारी की हैसियत से न केवल चुनाव करवा रही हैं बल्कि, 16 मई को अपने हाथों जीतने वाले सांसद को सर्टिफिकेट बांटेंगी। मसलन, महासमुंद में संगीता पी, कांकेर में डी ममगई, कोरबा में रीना बाबा कंगाले और सरगुजा में रीतू सेन। वैसे, सूबे में छोटे-बड़े जिले तो हैं 27 मगर संसदीय क्षेत्र वाले 11 जिले का अपना अलग इम्पार्टेंस है। बचे 16 जिलों के कलेक्टरों को लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने का चांस नहीं मिल पाता।

लौटेंगे केडीपी

सब कुछ ठीक रहा तो आचार संहिता के बाद बिलासपुर कमिश्नर केडीपी राव का वनवास खतम हो जाएगा। परिस्थितियां कुछ बदल चुकी है, इसलिए 20 मई के आसपास होने वाले प्रशासनिक फेरबदल में उन्हें रायपुर लाने पर विचार चल रहा है। जाहिर है, वे मंत्रालय में लौटेंगे। केडीपी की सरकार के साथ पिछले साल मई में तनातनी हो गई थी, जब उन्हें मंत्रालय से हटाकर बिलासपुर का कमिश्नर पोस्ट किया गया था। राव ने इसे अपना डिमोशन मानते हुए कानून के शरण में चले गए थे। मगर कैट से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जब उन्हें राहत नहीं मिली तो इस साल जनवरी में उन्होंने बिलासपुर ज्वाईन किया था।

खींचेगी तलवारें

काउंटिंग के पहले ही कांग्रेस में मोतीलाल वोरा और भूपेश बघेल खेमा आमने-सामने की स्थिति में है। दुर्ग जिला कार्यकारिणी में कुछ नियुक्तियों को पीसीसी द्वारा निरस्त कर दिए जाने से नाराज वोरा गुट पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। वोरा समर्थक इसके लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। अलबत्ता, 16 को नतीजे आने के बाद कांग्रेस में और तलवारें खीचेंगी। पार्टी के गुटीय लिहाज से महासमुंद, कोरबा और बिलासपुर संसदीय सीटों के नतीजे काफी मायने रखेंगे। दरअसल, भीतरघात की सर्वाधिक शिकायतें इन्हीं तीन सीटों पर है। नतीजे अगर अनुकूल नहीं आए, तो संगठन खेमे पर हार का ठीकरा फूटेगा। विरोधी खेमे को तो अब वोरा गुट का भी सपोर्ट रहेगा। ऐसे में पार्टी में अंदरुनी झगड़े और बढ़ेंगे।

नाराज

हाउसिंग बोर्ड को जमीन मुहैया कराने में हीलाहवाला करने को लेकर चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड कुछ कलेक्टरों से खफा हैं। पीलिया को लेकर कलेक्टरों की हुई वीडियोकांफें्रसिंग में ढांड ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि कलेक्टरों को हाउसिंग बोर्ड को लैंड देने में टरकाना ठीक नहीं है।

बड़ा फेरबदल

आचार संहिता समाप्त होने के बाद मंत्रालय से लेकर कलेक्टर, एसपी आईजी तक में बड़ा फेरबदल होगा। मंत्रालय में करीब सात साल से होम संभाल रहे एनके असवाल का अबकी यह विभाग बदलना तय है। असवाल भी अब होम में रहने के इच्छुक नहीं बताए जाते। इसी तरह दर्जन भर से अधिक जिलों के कलेक्टर, एसपी भी चेंज होंगे। दो रेंज के आईजी भी बदल सकते हैं। सूत्रों की मानें तो लिस्ट भी लगभग तैयार है। आचार संहिता समाप्त होते ही आर्डर जारी हो जाएंगे।

अंत में दो सवालन आपसे

1. प्रदेश के आईपीएस लाबी मुख्य निर्वाच अधिकारी सुनील कुजूर को अगला प्रींसिपल सिकरेट्री होम के रूप में क्यों देखना चाह रही है?
2. प्रदेश के किस मंत्री पर महासमुंद  में पार्टी प्रत्याशी चंदूलाल साहू के खिलाफ काम करने के आरोप लग रहे हैं?

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