तरकश, 4 मई
एक अनार सौ…..
छत्तीसगढ़ में हर साल जिस तदाद में नए आईएएस आ रहे हैं, कलेक्टरी के लिहाज से यह कैडर अब अच्छा नहीं रहेगा। चार-चार, पांच-पांच जिले में कलेक्टरी अब पुरानी बात होगी। मध्यप्रदेश की तरह दो-तीन जिले हो गए, तो बहुत है। दरअसल, जिले है सिर्फ 27। इनमें से 15 से अधिक डिस्ट्रिक्ट ऐेसे हैं, जहां अपनी इच्छा से कोई जाना नहीं चाहता। याने नक्सल प्रभावित या बेहद छोटे। इन जिलों में जाने का मतलब होता है, भागते भूत की लंगोटी काफी….। पहली कोशिश चुनिंदा 10-12 जिलों की होती है। इनमें भी, सबसे बड़े रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, कोरबा और रायगढ़ की रेटिंग सबसे ज्यादा है। फिलवक्त, इनमें से दुर्ग और कोरबा को छोड़कर किसी के चेंज होने के कोई आसार नहीं है। और, दावेदार हैं, पूरे 65। 99 बैच से लेकर 2008 तक के। 2009 वाले वार्मअप हो रहे हैं, वो अलग हैं। 2008 बैच के आईएएस दीगर राज्यों में कलेक्टर बन गए हैं। यहां इस बैच के भीम सिंह को झटके में धमतरी कलेक्टर बनने का मौका हाथ लग गया। चुनाव आयोग ने वहां से एनके मंडावी को हटा दिया था। अव्वल, 2007 बैच की शम्मी आबिदी अभी कलेक्टर नहीं बनी हैं। कुल मिलाकर आने वाला समय कलेक्टरों के लिए कठिन रहेगा। वही, एक अनार, सौ बीमार वाला हाल होगा।
माडल कैपीटल
नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर न्यू रायपुर की तारीफ की है। चुनावी व्यस्तता के बीच उन्होंने गुरूवार को ट्विट किया…..विकास देखना हो तो आप नया रायपुर जाइये, वहां डा0 रमन सिंह के नेतृत्व में किस तरह नई राजधानी आकार ले रही है। इससे पहले भी जब वे यहां आए थे, उन्होंने न केवल इसकी प्रशंसा की थी बल्कि अहमदाबाद जाकर अफसरों की टीम यहां देखने के लिए भेजा था, कि किस तरह नए रायपुर का प्लान बनाया गया है। जाहिर है, मोदी अगर पीएम बनें तो न्यू रायपुर देश के लिए माडल बनेगा। रमन सिंह को इसका क्रेडिट मिलेगा ही, एनआरडीए के चेयरमैन एन बैजेंद्र कुमार और पूर्व सीईओ एसएस बजाज की भी अहमियत बढ़ेगी।
ना बाबा
चुनाव आयोग के शिकार बनें कलेक्टर, एसपी को आचार संहिता खतम होने के बाद राज्य सरकारें आमतौर पर उसी जिले में पोस्ट कर देती है, जहां से वे हटाए गए होते हैं। अपने सूबे में भी 2003 का विस चुनाव छोड़ दें तो इसके बाद हमेशा ऐसा ही हुआ है। इसके पीछे मकसद होता है, चुनाव आयोग को बताना कि अब हम सिकंदर हैं। मगर कोरबा कलेक्टर के मामले में अबकी शायद यह न हो पाए। पता चला है, बिना किसी ठोस वजह के हटाए जाने से रजत नाखुश हैं। वैसे भी, उनका वहां डेढ़ साल हो गया है। इसलिए, अब वे कोरबा लौटना नहीं चाहते। ऐसे में, रजत को दुर्ग शिफ्थ किया जा सकता है। और, डायरेक्टर पब्लिक रिलेशंस ओपी चैधरी को कोरबा।
नेहा को रायपुर?
डेपुटेशन से लौटने वाले अफसरों को आजकल अच्छी पोस्टिंग मिल रही है। मैगनीज ओर इंडिया लिमिटेड से लौटे आईपीएस प्रदीप गुप्ता आते ही दुर्ग जैसे रेंज के आईजी बन गए, तो दिल्ली से लौटे अमरेश मिश्रा कोरबा के एसपी। ऐसे में, नारकोटिक्स से डेपुटेशन से लौटीं नेहा चंपावत की पोस्टिंग को लेकर पुलिस महकमे में अटकलें तेज हो गई हैं। सूत्रों का कहना है, नेहा को रायपुर एसपी पोस्ट किया जा सकता है।
आखिरकार रिलीव
94 बैच की आईएएस अफसर निधि छिब्बर को सरकार ने आखिरकार सेंट्रल डेपुटेशन के लिए रिलीव कर दिया है। निधि को डिफेंस मिनिस्ट्री मंे ज्वाइंट सिकरेट्री की पोस्टिंग मिली है। आईएएस बिरादरी में इसे प्रतिष्ठापूर्ण पदास्थापना मानी जाती है। हालांकि, भारत सरकार से फरवरी में ही इसका आर्डर निकल गया था। मगर, अफसरों की कमी का हवाला देते हुए यहां सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें रिलीव करने से असमर्थता जता दी थी। मगर पिछले डेढ़ हफ्ते में उनकी फाइल तेजी से मूव हुई और उन्हें इजाजत मिल गई। अलबत्ता, उनके पति विकास शील की फाइल अभी भारत सरकार में प्रोसेज में है। वहां से ओके होने के बाद राज्य सरकार उन्हें भी दिल्ली के लिए रिलीव कर देगी। दोनों पांच साल वहां रहेंगे।
होटलों में होड़
चंद दिनों पहले खुले ताज और हयात ने राजधानी के होटल मालिको की नींद उड़ा दी है। ताज में 10 हजार रुपए के रुम पैकेज में 4 हजार में उपलब्ध हैं। हयात में भी कुछ इसी तरह की स्थिति है। ऐसे में हाईप्रोफाइल लोग शादी-ब्याह या अन्य बड़ी पार्टियों के लिए अब इन दोनों होटलों की ओर भाग रहे हैं। ग्राहकांे को खींचने के लिए बाकी बड़े होटलों को भी भारी डिस्काउंट के लिए सोचना पड़ रहा है। ये तब है, जब रेेडिशन, मेरियेट और पार्क इन सरीखे सितारा होटल रायपुर मेें और आने हैं।
अच्छी खबर
रोजगार की दृष्टि से यह अच्छी खबर हो सकती है……जानी-मानी टायर कंपनी सीएट रायपुर में फैक्ट्री लगाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए कंपनी ने सरकार से 40 एकड़ लैंड मांगा है। सीएसआईडीसी ने उसके लिए लैंड की तलाश शुरू कर दी है। सरकार के पास जो प्रपोजल आए हैं, उसके अनुसार टायर कारखाने में 2000 लोगों को रोजगार मिलेगा।
जंगल राज
जंगल विभाग में जंगल राज ही चल रहा है…..जंगल विभाग के मुखिया एके सिंह के पास पीसीसीएफ के साथ, लघु वनोपज संघ का भी प्रभार है। याने डबल पोेस्टिंग। और, एके भल्ला की स्थिति यह है कि उन्हें पीसीसीएफ बनने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। जबकि, डीपीसी हो गई है। मगर पुरानी जांच का हवाला देकर उनकी फाइल अटकवा दी गई है। यही वजह है कि पिछले सप्ताह उनके इस्तीफे की चर्चा सुर्खियो में रही।
अंत में दो सवाल आपसे
1. आईएएस निधि छिब्बर को डेपुटेशन पर दिल्ली जाने के लिए पहले ना-ना और बाद में फिर अनुमति कैसे मिल गई?
2. एक कलेक्टर का नाम बताइये, जो आचार संहित लागू होने के बाद भी बिना इजाजत लिए एक ठेेकेदार की हाईप्रोफाइल पार्टी में शरीक होने रातोरात रायगढ़ पहंुच गए?
2. एक कलेक्टर का नाम बताइये, जो आचार संहित लागू होने के बाद भी बिना इजाजत लिए एक ठेेकेदार की हाईप्रोफाइल पार्टी में शरीक होने रातोरात रायगढ़ पहंुच गए?
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