26 जून
रिटायर आईएएस डीएस मिश्रा की छबि ईमानदार अफसर की रही है। हार्ड वर्कर भी रहे। मगर इमैच्योरिटी उन्हें ले डूबी। पूरी सर्विस में किसी से रिश्ते बनाएं नहीं। अलबत्ता, अपनी अड़ी और नादानियों के चलते शत्रुओं की फौज खड़ी कर ली। उपर से लाल बत्ती भी चाहिए। इस चक्कर में जिंदगी भर की कमाई उन्होंने गंवा डाली। उनके विरोधी भी कुछ देर के लिए स्तब्ध रह गए, डीएस पैसे के लिए किसी इंडस्ट्रीज को ओब्लाइज नहीं कर सकते। उन पर चार्ज है, रेवन्यू बोर्ड चेयरमैन से रिटायरमेंट के दो दिन पहले 28 अप्रैल को उन्होंने इंडस्ट्रीज का 18 करोड़ का पंजीयन शुल्क माफ कर दिया था। ऐसे में सवाल तो उठते ही हैं, आखिर सेवानिवृति के दो रोज पहले कोई ऐसा डिसीजन क्यों लेगा। पता चला है, उपर कहीं से इशारा हुआ था, और डीएस ने कलम फंसा ली।
न राम मिले, न रहीम
डीएस मिश्रा के लिए मुख्य सूचना आयुक्त बनना अब मुश्किल हो गया है। इंडस्ट्रीज के 18 करोड़ पंजीयन शुल्क माफी इश्यू में सरकार ने रेवेन्यू बोर्ड के फैसले को चुनौती दी है। बताते हैं, सीएम से पूछा गया, इसमें क्या करना है। सीएम बोले, अपील की जाए। याने सीएम भी इससे खुश नहीं हैं। यही नहीं, डीएस के खिलाफ वित्त विभाग में बिना कैबिनेट की अनुमति के प्रमोशन देने की फाइल भी खुल गई है। एसीएस फायनेंस रहते डीएस ने 200 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रमोशन दे दिया था। डीएस के रिटायर होने के बाद मंत्रालय के अफसरों ने प्रमोशन को दुरूस्त करने के लिए केस को कैबिनेट में रखा। कैबिनेट ने कहा, दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। इसके बाद सरकार ने मामले का परीक्षण के लिए एडवाइजर टू सीएम शिवराज सिंह को केस सौंप दिया। अब, बहुतों को इंतजार है कि परीक्षण रिपोर्ट कब आती है। कुल मिलाकर आप समझ सकते हैं कि डीएस की तकलीफें अब बढ़ने वाली है। उनका हाल कहीं राम मिले, ना रहीम वाला न हो जाए।
एलेक्स की कीमत
2006 बैच के आईएएस एलेक्स पाल मेनन ने अबकी सीधे न्याय तंत्र पर उंगली उठाते हुए सरकार की किरकिरी करा दी। दिल्ली तक मैसेज गया, छत्तीसगढ़ में इस टाईप के भी अफसर रहते हैं। जो सोशल मीडिया पर लाइक के लिए कुछ भी कर सकते हैं। बहरहाल, सरकार का मानना है, एलेक्स ने अबकी लक्ष्मण रेखा लांघी है। निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी। अंबिकापुर में बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में भी बात उठी। मगर चार दिन हो गए, अभी तक कुछ हुआ नहीं। अलबत्ता, सूबे के तीन युवा आईएएस अफसरों को एलेक्स के बड़बोलेपन की कीमत चुकानी पड़ गई। यशवंत कुमार, मुकेश बंसल और अवनीश शरण को अब कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ सकता है। इनमें से दो तो अच्छे अफसर माने जाते हैं। ट्रेक रिकार्ड भी बढ़ियां रहा है। लेकिन, एलेक्स ने मरवा दिया।
राय बनें मुसीबत
कांग्र्रेस विधायक एवं अजीत जोगी के करीबी आरके राय कांग्रेस पार्टी के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। राय सीधे पीसीसी चीफ भूपेश बघेल को चुनौती दे रहे हैं। मैं अजीत जोगी के साथ हूं और रहूंगा। आप समझ सकते हैं कि भूपेश जैसा लड़ाकू योद्धा इसे कैसे बर्दाश्त कर रहा होगा। जो जोगी से हेठा नहीं खाया। दरअसल, भूपेश जानते हैं कि राय पर अगर कार्रवाई हुई तो वे और मुखर हो जाएंगे। सामने विधानसभा का मानसून सत्र है। संगठन खेमा चाहेगा कि राय जोगी की पार्टी में चले जाएं, तो दल बदल कानून के तहत उनकी विधायकी चली जाए। मगर राय ऐसा करने वाले नहीं। और, संगठन उन पर कार्रवाई करेगा तो राय को कोई नुकसान नहीं होने वाला। विधायक तो वे बनें ही रहेंगे। वैसे, बहुत कम लोगों को मालूम है कि 6 जून को जोगी के कार्यक्रम में मरवाही न जाने के लिए भूपेश ने राय को समझाने के लिए क्या नहीं किया। संगठन खेमा अश्वस्त भी हो गया था कि राय नहीं जा रहे। मगर देर से ही सही, वे मरवाही पहंुच गए थे।
मेरी पत्नी, मेरे साथ
अजीत जोगी के ठाठापुर कार्यक्रम में स्टैंडिंग एमएलए रेणु जोगी, आरके राय और सियाराम कौशिक शरीक नहीं हुए। जबकि, तीनों मरवाही में थे। वहां रेणु जोगी मंच पर थीं। हालांकि, तीनों रणनीति के तहत वहां नहीं गए। मगर इस पर सवाल तो उठने ही थे। रायपुर लौटने पर मीडिया ने जब जोगी से खासकर रेणु जोगी के बारे में पूछा। जोगी बोले, रेणु मेरी पत्नी है, मेरे साथ ही तो रहेगी। चलिये, पत्नी भी साथ। आरके राय ने तो साफ कर ही दिया है। अब, सियाराम कौशिक को बोलना बचा है।
मानसून सत्र के बाद
सरकार ने तय किया है कि विधानसभा के मानसून सत्र तक कोई ट्रांसफर, पोस्टिंग नहीं होंगी। सो, कलेक्टरों की तीसरी लिस्ट अब सत्र के बाद ही समझिए। हालांकि, कलेक्टरों में दो-एक से ज्यादा चेंज नहीं होंगे। मगर लाल बत्ती के दावेदार रिटायर आईएएस अफसरों को अब कुछ दिन और वेट करना पड़ेगा। अभी दिनेश श्रीवास्तव, डीएस मिश्रा और ठाकुर राम सिंह क्यूं में हैं। जुलाई में सिकरेट्री इरीगेशन बीएल तिवारी भी रिटायर हो जाएंगे। तब दावेदारों की संख्या चार हो जाएगी। हालांकि, दिनेश श्रीवास्तव को वित्त आयोग का सिकरेट्री का आफर दिया गया था। मगर उन्होंने मना कर दिया। शायद इसलिए कि इस पोस्ट पर कभी आईएएस नहीं रहे। याने कम महत्व का पोस्ट है। पता चला है, दिनेश राजनांदगांव के महिला स्वसहायता गु्रप के कार्याे में जुट गए हैं। राजनांदगांव के कलेक्टर रहने के दौरान उन्होंने इसका गठन कराया था।
बाउंसर के घेरे में
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस बनने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के लिए प्रायवेट सिक्यूरिटी हायर की गई है। अब, उनके साथ लंबे-चैड़े कद का बाउंसर नजर आने लगा है। हालांकि, एक्स सीएम के नाते छत्तीसगढ़ आर्म फोर्स के एक-चार की सुरक्षा उन्हें मिली हुई है। मगर अब बाउंसर भी साये की तरह उनके साथ रहेगा।
अंत में दो सवाल आपसे
1. बदले हालात में कहीं एडिशनल चीफ सिकरेट्री एनके असवाल तो नहीं बन जाएंगे मुख्य सूचना आयुक्त?
2. एक आईएफएस आफिसर का नाम बताइये, जिसने अनुष्ठान करने के लिए जंगल में सेपेरेट गेस्ट हाउस बना लिया है?
2. एक आईएफएस आफिसर का नाम बताइये, जिसने अनुष्ठान करने के लिए जंगल में सेपेरेट गेस्ट हाउस बना लिया है?
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