संजय दीक्षित
नए जमाने के कलेक्टरों के लिए कुर्सी ही सब कुछ है। जैसे भी हो सुरक्षित रहनी चाहिए। इसके लिए प्रोटोकाल और पद की गरिमा को भले ही ताक पर क्यों ना रखना पडे़े। आदिवासी इलाके की एक महिला कलेक्टर की लंच डिप्लोमेसी के बारे में आपको बताते हैं। सत्ताधारी पार्टी के एक बड़े नेता संगठन के काम से दौरे पर निकले थे। महिला कलेक्टर को पता चला तो नजदीकी बढ़ाने के लिए उन्हें खाने पर घर बुला लिया। नेताजी सोचे महिला है, अकेले जाना ठीक नहीं है। सांसद, विधायक और अपने कुछ समर्थकों को लेकर कलेक्टर बंगला पहुंच गए। कुछ देर के लिए लगा कलेक्टर बंगला नहीं, किसी राजनेता का निवास है। जबकि, प्रोटोकाल में मंत्री या किसी सरकारी पद पर बैठे व्यक्ति से ही कलेक्टर सर्किट हाउस मिलने जा सकते हैं। नेता से नहीं। मगर अपने यहां सब चलता है।
160 कलेक्टर जुटेंगे रायपुर में
छत्तीसगढ़ का ओडीएफ याने ओपन डिफेक्शन फ्री देखने 28 राज्यों के 160 कलेक्टरों का एक जुलाई को रायपुर में जमावड़ा लगेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अप्रैल में राजनांदगांव आए थे तो उन्होंने छत्तीसगढ़ के ओडीएफ को देखकर खुश हुए थे। दिल्ली जाकर उन्होंने पीएमओ के अफसरों को निर्देश दिए कि देश के कलेक्टरों को छत्तीसगढ़ भेजा जाए। दरअसल, बाकी राज्यों में आंकड़े और गिनती के लिए शौचालय बनाए जा रहे हैं। जबकि, छत्तीसगढ़ में यह सुनिश्चित करने के बाद गांवों को ओडीएफ घोषित किया जाता है, जब पूरा गांव उसका उपयोग करना शुरू कर दे। चलिये, गणेशशंकर मिश्रा को अब अफसोस हो रहा होगा। वे जब पीएचई सिकरेट्री थे, तभी सरकार को प्रस्ताव गया था कि ओडीएफ को पीएचई से लेकर पंचायत को दे दिया जाए। तब सोचा गया कि कहां शौचालय वगैरह के लफड़े में फंसा जाए। मगर नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद यह गवर्नमेंट का ड्रीम प्रोजेक्ट हो गया। और, एमके राउत को काम दिखाने का मौका मिल गया।
स्टेपनी या….
आईएएस अविनाश चंपावत के साथ भी गजब हो रहा है। जब से वे कोरिया से कलेक्टरी कर रायपुर लौटे हैं, हर लिस्ट में उनके नाम होते हैं। हर लिस्ट याने पिछले दो साल में जितने भी ट्रांसफर आर्डर निकले हैं, अमूमन सभी में चंपावत का नाम रहा है। हाल ही मे उन्हें हेल्थ में भेजा गया था। शुक्रवार को हुए फेरबदल में उन्हें कमिश्नर, लेबर और स्पोट्र्स की कमान सौंप दी गई। ब्यूरोक्रेसी में इस पर खूब चुटकी ली जा रही है…..जब किसी पद के लिए सूटेबल अफसर नहीं मिलते, चंपावत को टोपी पहना दी जाती है। अफसर का जुगाड़ होने पर फिर विभाग वापिस। इसे आखिर क्या कहेंगे, आप ही बताइये…..।
बैक होंगे विवेकानंद
96 बैच के आईपीएस विवेकानंद का डेपुटेशन बे्रक हो गया है। वे एसपीजी में पांच साल की प्रतिनियुक्ति पर 2013 में दिल्ली गए थे। अभी उनका तीन साल हुआ है। खबर आ रही है, वे एकाध हफ्ते में छत्तीसगढ़ लौट आएंगे। वैसे, भारत सरकार ज्वाइंट सिकरेट्री लेवल के 29 आईएएस, आईपीएस को राज्यों को लौटा रहा है। विवेकानंद आईजी लेवल के अफसर हैं। वे यहां आए तो आईजी में कांपीटिशन तेज हो जाएगा। वे जांजगीर, राजनांदगांव, बस्तर और बिलासपुर में एसपी रह चुके हैं। अभी आईजी लेवल पर अफसरों का टोटा है। आलम यह है कि एक महत्वपूर्ण रेंज के आईजी के लिए सीबीआई से लौटने वाले अमित कुमार की प्रतीक्षा की जा रही है। मगर अब विवेकानंद भी क्यूं में हो जाएंगे।
वेतन के लाले
सरकार ने थोक में आईएफएस अफसरों को प्रमोशन देकर थोक में 11 एडिशनल पीसीसीएफ बना डाला मगर अब अफसरों को वेतन के लाले पड़ रहे हैं। कारण कि वन विभाग में उतने पोस्ट नहीं है। फिर वेतन आरहण कैसे हो। अतुल शुक्ला को अभी तक वेतन नहीं मिला है। उनका वेतन निकालने के लिए सरकार ने शुक्रवार को रास्ता निकाला। अतुल को वन विभाग का नया सिकरेट्री बनाया गया है। ताकि, वेतन की अड़चन दूर हो सकें। यह तब है जब कई एडिशनल पीसीसीएफ डेपुटेशन पर सरकार में पोस्टेड हैं। कुल मिलाकर 30 एडिशनल पीसीसीएफ हैं। सभी अगर वन विभाग में वापिस आ गए तो वेतन की बात तो दूर, बैठने की जगह नहीं मिलेगी वन मुख्यालय में।
दो साल का रिकार्ड
बिलासपुर रेंज के आईजी पवनदेव ने अपने 25 साल के कैरियर में पहली बार 10 जून को दो साल का कार्यकाल पूरा कर किया। पवन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सात जिलों के एसपी रहे हैं। इसके अलावा, कांकेर और राजनांदगांव में डीआईजी। मगर कहीं भी उनका साल, डेढ़ साल से अधिक टेन्योर नहीं रहा। पहली दफा बिलासपुर में उन्होंने दो साल पूरा किया है। जाहिर है, शुक्रवार उनके लिए यादगार दिन रहा होगा।
नो कमेंटस
हेल्थ मिनिस्टर अजय चंद्राकर की नाराजगी के चलते हेल्थ सिकरेट्री विकासशील को सरकार ने साल भर में ही चलता कर दिया। चर्चा है, विकास शील मंत्री को ज्यादा नोटिस में नहीं लेते थे। उनकी जगह पर अब सुब्रत साहू को लाया गया है। इस उम्मीद से कि सुब्रत हेल्थ में कोई बड़ी क्रांति करेंगे। जैसा कि उन्होंने शिक्षा में किया है। इसी तरह आरपी मंडल को हटाकर स्पेशल सिकरेटे्री रोहित यादव को नगरीय प्रशासन विभाग का दायित्व सौंपा गया है। सरकार के इस फैसले का आप कुछ भी मतलब निकालिए। हमारा तो, नो कमेंट्स।
तीसरी लिस्ट
कलेक्टरों की दूसरी लिस्ट के बाद भी तीसरी की गुंजाइश रह गई। अगली सूूची कभी भी निकल सकती है। इस हफ्ते, अगले हफ्ते या मंथ एंड तक भी। तीसरी सूची में कोरिया कलेक्टर एस प्रकाश का नम्बर लगेगा। प्रकाश 2005 बैच के हैं। जबकि, उनसे तीन साल जूनियर भीम सिंह अंबिकापुर पहंुच गए हैं। इसलिए, समझा जाता है प्रकाश को भी कोई बड़ा जिला मिलेगा। दुर्ग भी हो सकता है। क्योंकि, आर संगीता का भी दुर्ग में दो साल हो गया है। 2009 बैच के समीर विश्नोई को सरकार कोरिया कलेक्टर बना सकती है। वैसे, तीसरी सूची में नारायणपुर कलेक्टर सोनवानी का भी नम्बर लग सकता है।
काम को ईनाम
आईएएस, आईपीएस के ट्रांसफर आर्डर देखकर लगता है, सरकार ने सीनियर, जूनियर की बजाए काम का कोई पैरामीटर बनाया है। तभी तो 2004 बैच के आईपीएस अजय यादव जांजगीर भेज दिए गए और उनके जूनियर कई बड़े जिलों में। कलेक्टरों की लिस्ट में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। 2006 बैच की श्रुति सिंह गरियाबंद और सीआर प्रसन्ना धमतरी और 2008 बैच के भीम सिंह को अंबिकापुर जैसा बड़ा जिला। अंबिकापुर में उन्होंने 2003 बैच की रितु सेन को रिप्लेस किया है।
निष्ठा या….
कांग्रेस विधायक आरके राय और सियाराम कौशिक पीसीसी की बैठक में पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाने पहुंचे थे या फिर जोगी के दूत बनकर। इस पर संगठन खेमा भी संशय में है। दोनों ने गोलमोल जवाब देकर और उलझा दिया है। कौशिक ने कहा कि 6 जून को अजीत जोगी के कार्यक्रम में इसलिए गये थे कि क्योंकि उस वक्त तक वो सीडब्ल्यूसी के मेम्बर थे। इसके बाद के प्रश्न पर वे चुप हो गए। उधर, राय ने इशारों-इशारों में जाहिर कर दिया कि वे जोगी के साथ खड़े हो सकते हैं। राय का तर्क है, अभी तो पार्टी का ऐलान हुआ है। पार्टी बनने के बाद फैसला लिया जाएगा। ऐसे में, बूझो तो जानो वाला हाल हो गया है।
अंत में दो सवाल आपसे
1. आरके राय और सियाराम कौशिक कांग्रेस की बैठक में निष्ठा जताने गए थे या जोगी के दूत बनकर?
2. भूपेश बघेल और चरणदास महंत के बीच उमड़े प्रेम में कितनी गहराई है?
2. भूपेश बघेल और चरणदास महंत के बीच उमड़े प्रेम में कितनी गहराई है?
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