रविवार, 16 अप्रैल 2017

दुआ कीजिए!


16 अप्रैल
संजय दीक्षित
ब्यूरोक्रेसी की सबसे प्रतिष्ठित पीएम अवार्ड के लिए देश के 600 से अधिक कलेक्टरों में से फायनल 30 में छत्तीसगढ़ के तीन कलेक्टरों ने स्थान बनाया है। रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी, सुकमा कलेक्टर नीरज बंछोड़ और दंतेवाड़ा कलेक्टर सौरभ कुमार। रायपुर ने तो स्टैंड अप इंडिया में देश के मेट्रो सिटी वाले जिलों को पछाड़कर अपना पोजिशन बनाया है। सो, दुआ कीजिए। तीनों कलेक्टर्स को ये अवार्ड हासिल हो जाए। इससे छत्तीसगढ़ का ही सिर उंचा होगा। आखिर, छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य से तीन-तीन कलेक्टरों का चुना जाना…..। ओपी तो रिकार्ड ही बनाएंगे। सब कुछ ठीक रहा तो उन्हें दूसरी बार पीएम अवार्ड मिलेगा।

लफड़ा ही खतम!

ऑल इंडिया सर्विसेज रिव्यू कमेटी ने एक आईएएस की बर्खास्तगी की सिफारिश करके एक तरह से कहें तो सरकार का हेडेक कम कर दिया है। क्योंकि, आने वाले समय में आईएएस सरकार के सिरदर्द बन जाते। सरकार पर निलंबन समाप्त करने का चौतरफा प्रेशर आता। और, गर रिस्टेट होते तो लोग सरकार पर उंगली उठाते। जाहिर है, रिव्यू कमेटी की सिफारिश से सरकार को राहत ही मिली है।

दुखिया आईपीएस

बस्तर में दुखिया आईपीएस अफसरों का जमावड़ा लगते जा रहा है। संतोष सिंह और अभिषेक मीणा बस्तर में ही परिक्रमा लगवाने से खुश नहीं हैं। जगदलपुर एसपी शेख आरिफ का दर्द तो मत पूछिए! बलौदा बाजार में तीन महीने भी पूरे नहीं कर पाए कि बस्तर भेज दिया गया। आरिफ को रात में नींद इसलिए भी नहीं आ रही है कि उन्हें अपनों ने ही मारा। राजेंद्र दास को बलौदा बाजार में ताजपोशी करने के लिए आरिफ की गिल्लियां उड़ा दी गई। डीआईजी सुंदरराज पी का तो पिछले तरकश में बताया ही था कि वे न घर के रहे, न घाट के। यहां एसआईबी में 50 फीसदी सेलरी अधिक मिलती थी। वो भी गया और आईजी भी नहीं रहे। लांग कुमेर की तरह सरकार ने सुंदरराज को भी गो किया तो उत्साहित होकर मैदान में कूद पड़े। अंतर इतना ही है कि लांग कुमेर के समय सरकार ने आरके विज को आईजी बनाकर भेज दिया था और इस बार विवेकानंद का। लांग कुमेर नाराज होकर बिना छुट्टी लिए नागालैंड चले गए थे। सुंदरराज शरीफ और अनुशासनप्रिय आईपीएस हैं, सो बेचारे कुर्सी छिन जाने के बाद भी उफ! नहीं किए। अब बात नए आईजी विवेकानंद की। विवेकानंद ने न जाने कितनी कोशिश की होगी। नवरात्रि में पूजा-पाठ भी। मगर कुछ काम नहीं आया। अब ऐसे दुखी अफसरों के नेतृत्व में नक्सलियों के खिलाफ अभियान कैसे चलाया जाएगा, सरकार को सोचना चाहिए।

बंगला अभिशप्त-1

देवेंद्र नगर आफिसर्स कालोनी में बंगला आसानी से मिलता नहीं। उपर में अगर जैक ना हो तो नामुमकिन ही समझिए। मगर एक बंगला ऐसा है, जो अरसे से खाली है। वह बंगला आईपीएस बीएस मरावी को मिला था। 2012 में मरावी के डेथ के बाद कुछ साल तक उनके परिवार के लोग उसमें रहे। उनके जाने के बाद से बंगला खाली है। उस पर मरावी का नेम प्लेट लटका हुआ है। बताते हैं, आईपीएस की मौत के चलते कोई भी नौकरशाह उसे लेने के लिए तैयार नहीं हो रहा।

अभिशप्त बंगला-2

बिलासपुर आईजी का बंगला भी अभिशप्त-सा ही हो गया है। अशोक जुनेजा को छोड़कर वहां किसी आईजी को सुकून नहीं मिला। जीपी सिंह ने रंग-रोगन कराना शुरू ही किया था कि राहुल शर्मा एपीसोड हो गया। उनके बाद बीएस मरावी आईजी बनकर गए। उनका हर्ट अटैक से निधन हो गया। पवनदेव किन मुसीबतों में फंस गए, यह बताने की जरूरत नहीं। ताजा मामला विवेकानंद सिनहा का है। करीब नौ महीने वे पुलिस आफिसर्स मेस में रहे। बंगले का काम-वाम कराकर जैसे ही वहां शिफ्थ हुए हफ्ते भर में सरकार ने उन्हें बस्तर की रवानगी डाल दी। पीएचक्यू में इस पर विचार किया जा रहा है कि बिलासपुर आईजी बंगला अब चेंज कर दिया जाए। क्योंकि, जिस तरह की घटनाएं वहां हो रही हैं, नए आईजी पीएस गौतम बंगले में रहेंगे नहीं।

छोटा विवेक नेता बनेगा

लोक सुराज में डाक्टर साब अबकी खूब एनज्वॉय कर रहे हैं….कभी चुटकी तो कभी हास-परिहास। कभी लता के आटो रिक्शा में सफर तो कभी राजमिस्त्री बन उर्मिला के घर की ईंट जोड़ाई। कोंडागांव के कोडोभट गांव में एक बच्चे को डाक्टर साब ने गोद में उठा लिया। उन्होंने बच्चे से नाम पूछा। बोला-विवेक। बगल में खड़े सीएस से सीएम बोले, तुम्हारा सहनाव है….तुमको भी इसे पाना होगा। सीएस से तुरंत सीएम से विवेक को अपने गोद में ले लिया। इस बीच पीछे से किसी ने कमेंट पास किया, सर बच्चा काफी हिम्मती है…प्रदेश के दोनों ताकतवर व्यक्ति के गोद में जाने के बाद भी रोया नहीं! इस पर सीएम ने चुटकी ली….विवेक पक्का नेता बनेगा। इस पर ठहाके तो लगे बट वहां चर्चा होने लगी कि सीएम ने किसी विवेक को नेता बनने की भविष्यवाणी की है। छोटे विवेक को या बड़े का।

आफिसर्स इन वेटिंग

यूपी में योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद वेटिंग आफिसरों की फेहरिश्त लंबी होती जा रही है। हर दूसरे रोज दो-चार आईएएस, आईपीएस को वेटिंग में डाला जा रहा है। हालांकि, वेटिंग में छत्तीसगढ़ भी पीछे नहीं है। डा0 आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा दो साल से वेटिंग में हैं। इसमें नया नाम एसआरपी कल्लूरी का जुड़ गया है। वैसे, प्रिंसिपल सिकरेट्री अजयपाल सिंह को भी वेटिंग ही मान कर चलिये। मंत्रालय में जीएडी से लेकर बड़े अफसर्स तक नहीं बता पाएंगे कि अजयपाल के पास विभाग क्या है, तो कोई बता नहीं पाएगा।

घर बांधने की राजनीति?

जोगी कांग्रेस ने आखिरकार जिला अध्यक्षों का ऐलान कर दिया। पूरे 40 अध्यक्ष। जाहिर तौर पर कौतूकता तो होगी ही……जिले 27 फिर 40 अध्यक्ष कैसे। पता चला, अधिक-से-अधिक एडजस्ट करने के लिए जोगीजी ने यह दांव खेला। नेताओं को एडजस्ट करने के हिसाब से कई जिलों को दो-दो जिलों में बांट दिया। मसलन, जांजगीर में दो-दो जिला अध्यक्ष। सक्ती भी नया जिला। यहीं नहीं, 19 उप जिला अध्यक्ष भी। सियासी गलियारों में चर्चा है, घर बांधकर रखने के लिए जोगीजी ने रेवड़ियां बांट दी।

कांग्रेस भी पीछे नहीं

नेटवर्क मजबूत करने के लिए कांग्रेस भी अब ब्लाक इकाइयों की संख्या बढ़ाने जा रही है। अभी तक सरकारी ब्लॉक के हिसाब से कांग्रेस की भी ब्लॉक इकाइयां थी। जबकि, बीजेपी एक-एक ब्लॉक में दो-दो, तीन-तीन मंडल बना रखा है। रायपुर में ही चार मंडल हैं। कांग्रेस भी इसी रास्ते को अब पकड़ने जा रही है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एसीएस बैजेंद्र कुमार से मिलने वाले अफसरों की संख्या इन दिनों क्यों बढ़ गई है?
2. पीसीसीएफ की डीपीसी करके सरकार पोस्टिंग भूल गई है या कोई अदृश्य ताकत पोस्टिंग को रोक रही है?

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