मंगलवार, 4 अप्रैल 2017

मशक्कत से मुलाकात

2 अप्रैल

संजय दीक्षित
आईएएस जीएस मिश्रा की पीसीसी चीफ भूपेश बघेल की नोंक-झोंक के सिलसिले में आईएएस एसोसियेशन शुक्रवार को सीएम से मुलाकात की। मगर यह मुलाकात आसानी से नहीं हुई। एसोसियेशन ने सीएम से कई बार टाईम मांगा लेकिन, बात बनी नहीं। 25 दिन बाद समय मिला, जब एक सीनियर आईएएस मदद के लिए आगे आए। अफसरों ने मुख्यमंत्री से दुखड़ा रोया…..इसी तरह जनप्रतिनिधि सार्वजनिक तौर पर धमकाते रहे तो काम करना मुश्किल हो जाएगा। सीएम ने गंभीरता से अफसरों की बातें सुनीं। मगर कुछ बोले नहीं। पिछले हफ्ते एसोसियेशन के लोग सीएस के पास फरियाद लेकर गए थे। उन्होंने पानी पिलाया, और अपने कुछ निजी अनुभव शेयर कर बिदा कर दिया था।

फंस गए विवेकानंद?

सरकार ने बिलासपुर आईजी विवेकानंद सिनहा को बस्तर भेज ही दिया। एसआरपी कल्लूरी के इलाज के लिए छुट्टी पर जाने के दौरान उन्हें बस्तर का प्रभार दिया गया था। लेकिन, बायपास आपरेशन कराकर कल्लूरी के आनन-फानन में लौट आने के कारण विवेकानंद थैंक्स गॉड बोलकर बिलासपुर लौट आए थे। लेकिन, सरकार ने फायनली उन्हें जगदलपुर की रवानगी डाल दी। विवेकानंद को दो बातें कचोट रही होगी। पहला, बिलासपुर में वे साल भी पूरा नहीं कर पाए और दूसरा, सरकार ने ऐसे समय में बस्तर भेजा है, जब अगले साल विधानसभा चुनाव है। जाहिर है, चुनाव से पहिले उन्हें लौटने का कोई प्रश्न नहीं है। ठीक अरुणदेव गौतम की तरह। याद होगा, मई 2012 में जीरम नक्सली हमले के बाद आईजी हिमांशु गुप्ता को हटाकर सरकार ने गौतम को बस्तर भेजा था। वे भी चुनाव कराकर ही रायपुर लौटे थे। अब फंस गए का मतलब आपको बताते हैं। बस्तर कोई आईपीएस जाना नहीं चाहता। हाईप्रोफाइल के एक आईपीएस का नाम आप बता दें, जो वहां आईजी बनकर गया हो। एक-दो गए भी तो छह महीने में जोर-जुगाड़ लगाकर लौट आए। कल्लूरी अपवाद हो सकते हैं। मगर उन्हें हिट विकेट करार दिया जा रहा है।

अप्रैल फूल

सरकार ने बस्तर आईजी का आदेश ऐसे दिन निकाला, जब साहसा किसी को यकीं नहीं हुआ….लोगों को लगा कहीं अप्रैल फूल तो नहीं। लिहाजा, एक-दूसरे को फोन खटखटा वस्तुस्थिति जानने की कोशिश करते रहे। इस स्तंभकार के पास खबर को कंफर्म करने के लिए एक घंटे में 35 फोन आए। दरअसल, सीएम को आज जगदलपुर जाना था। उन्होंने बजट सत्र के दौरान कहा था कि जल्द ही बस्तर में पूर्णकालिक आईजी पोस्ट किया जाएगा। सो, जगदलपुर के लिए हेलिकाप्टर पर बैठने से पहिले वे आर्डर पर दस्तखत कर गए।

थाना लूटान आईपीएस

बिलासपुर के नए आईजी पीएस गौतम 99 बैच के आईपीएस हैं। गौतम को राज्य में इसके लिए जाना जाता है कि वे जहां भी पोस्टेड रहे, वहां थाना लूटा गया। दंतेवाड़ा एसपी रहने के दौरान ही गीदम थाना लूटा गया था। जशपुर एसपी रहने के दौरान भी थाना लूटा गया। और, वीवीआईपी जिले राजनांदगांव में एडिशनल एसपी रहने के समय भी नक्सलियों ने थाना लूट लिया था। जांजगीर में एसपी का कार्यकाल वहां के लोग आज भी याद करते हैं। शेख आरिफ को सरकार ने जब जांजगीर भेजा तो जाकर स्थिति सामान्य हो पाई।

नाइट वॉचमैन

नए आईजी को लेकर बिलासपुर के लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। इसी साल दिसंबर में उनका रिटायरमेंट है। याने मुश्किल से नौ महीने। और, कहीं अमित कुमार सीबीआई से जल्द लौट आए तो दो-एक महीने में भी आईजी लेवल पर उठापटक हो सकती है। बहरहाल, बिलासपुर रेंज के एसपी के अब बल्ले-बल्ले हैं।

कुछ और पोस्टिंग

लोक समाधान शिविर से पहिले आईएएस में इक्का-दुक्का आदेश निकलेंगे। मगर आईपीएस के शुरू हो गए हैं। पता चला है, कुछ एसपी भी बदले जाएंगे। खासकर, जिनका पारफारमेंस ठीक नहीं है या फिर टेन्योर दो साल से अधिक हो गया है। दो साल से अधिक वाले केटेगरी में आधा दर्जन के करीब एसपी हैं।

नो रेस्ट

महीने भर की थकाउॅ सत्र के बाद समझा जा रहा था कि सरकार एकाध दिन रेस्ट करेगी। मगर हुआ उल्टा। सत्र समाप्ति के अगले दिन याने 31 मार्च को सुबह 11 बजे सीएम मंत्रालय पहुंंच गए। गृह और स्वास्थ्य विभाग का तीन घंटे तक रिव्यू किया। डेढ़ घंटे से अधिक आदिवासी विकास परिषद की बैठक में रहे। बिजली विभाग के अफसरों की मीटिंग कर बिजली दर कम करने के प्रपोजल को ओके किया। पीडीएफ समझने आए यूपी के मंत्रियों के साथ उनकी बैठक हुई। रात 11 बजे तक विभिन्न प्रतिनिधिमडल से मुलाकातें की। आईएएस एसोसियेशन की भी आपबीती सुनी। आज सुबह उन्होंने अफसरों से चर्चा कर बस्तर आईजी के लिए नाम मंगाया। आर्डर पर साइन कर वे हेलिकाप्टर से जगदलपुर निकल गए। डाक्टर साब की इस एनर्जी का लोग अब राज जानने में जुट गए हैं।

इंतेहा हो गई…..

कलेक्टरी में तो वेटिंग वालों की इंतेहा हो गई….बेचारे नवंबर में खतम हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र से लिस्ट की बाट जोह रहे हैं। उस समय सत्र के बाद तो कलेक्टरों के चेंजेंस तय था। मगर सीएम को अमेरिका जाना था। इसलिए, उनकी वापसी तक मामला टल गया। सीएम जब लौटे मोदीजी का कैशलेस अभियान चालू हो गया था। वे एयरपोर्ट से कैशलेस का रिव्यू करने के लिए सीधे मंत्रालय गए थे। इसके कारण ट्रांसफर टल गया था। कैशलेस का मियाद पूरा होते ही 9 जनवरी को कलेक्टर कांफेंस आ गया। सरकार ने कलेक्टरों को तीन महीने का टारगेट दिया। ये टारगेट समाप्त होने वाला था कि लोक समाधान शिविर का ऐलान हो गया। समाधान शिविर 20 मई तक चलेगा। इसके बाद ही कलेक्टरों का समाधान होगा।

स्पीकर के तेवर!

बजट सत्र में स्पीकर गौरीशंकर अग्रवाल के तेवर अबकी तल्ख रहे। उन्होंने मंत्री रामसेवक पैकरा से लेकर भैयालाल राजवाड़े तक की क्लास ली। अमित जोगी, आरके राय तो उनके निशाने पर रहे ही। अमित को तो टी शर्ट पहनने से लेकर बॉडी लैग्वेज पर भी स्पीकर ने सुना दिया। 17 साल में यह पहला सत्र होगा, जिसमें दो विधायक दो दिन के लिए निलंबित किए गए। शराब अधिनियम को लेकर हाउस में गंगा जल छिड़़कने पर स्पीकर ने अमित और उनके हनुमान आरके राय को निलंबित कर दिया। शराबबंदी के मसले पर ही फटे कुर्ते में सायकिल से विस पहुंचने पर अध्यक्ष ने विमल चोपड़ा और बसपा के इकलौते विधायक केशव चंद्रा को निलंबित कर दिया। किसी एक सत्र में पहली बार इस तरह की कार्रवाई हुई। दिलचस्प यह रहा कि स्पीकर के सामने बैठने वाले विधायक ही सर्वाधिक अनुशासनहीनता की। और, उन्हें इसके लिए आसंदी से फटकार भी मिली।

अंत में दो सवाल आपसे

1. प्रमोटी आईएएस के लिए 17 साल में पहली बार आईएएस एसोसियेशन आगे आया है, इसके पीछे कोई पावर गेम है?
2. दिल्ली डेपुटेशन से सीनियर आईपीएस बीके सिंह की क्या बहुत जल्द वापसी हो रही है?

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