13 मई
बीजेपी आलाकमान ने विधानसभा चुनाव के सिलसिले में छत्तीसगढ़ से जो रिपोर्ट मंगाई है, उसमें 25 से अधिक विधायकों की स्थिति बेहद नाजुक है तो चार मंत्रियों के पारफारमेंस को भी चुनाव जीतने लायक नहीं माना गया है। उन मंत्रियों के खिलाफ उनके क्षेत्र में बेहद गुस्सा है। जाहिर है, ऐसे मंत्रियों को टिकिट देकर पार्टी मिशन 65 को खराब नहीं करना चाहेगी। भाजपा के भीतरखाने से जिस तरह की बातें सुनाई पड़ रही है, एंटी इंकाम्बेंसी का असर खतम करने के लिए अबकी पिछले बार से ज्यादा टिकिट काटने पड़ेंगे। यह संख्या 20 से उपर भी जा सकती है। पार्टी के एक शीर्ष नेता की मानें तो इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है। यही नहीं, कम-से-कम तीन मंत्री भी इस बार टिकिट से वंचित हो सकते हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 18 विधायकों के टिकिट काटे थे। हालांकि, किसी मंत्री को ड्राॅप नहीं किया गया था। चुनाव में जनता ने जरूर तीन मंत्रियों को ड्राॅप कर दिया। रामविचार नेताम, चंद्रशेखर साहू, स्व0 हेमचंद यादव और लता उसेंडी। ये चारों चुनाव हार गए थे। इस बार पार्टी की कोशिश है कि जनता के ड्राॅप करने से पहले ही उन्हें ड्राॅप कर दिया जाए। ऐसे में, मंत्रियों के खतरे बढ़ गए हैं।
बीजेपी आलाकमान ने विधानसभा चुनाव के सिलसिले में छत्तीसगढ़ से जो रिपोर्ट मंगाई है, उसमें 25 से अधिक विधायकों की स्थिति बेहद नाजुक है तो चार मंत्रियों के पारफारमेंस को भी चुनाव जीतने लायक नहीं माना गया है। उन मंत्रियों के खिलाफ उनके क्षेत्र में बेहद गुस्सा है। जाहिर है, ऐसे मंत्रियों को टिकिट देकर पार्टी मिशन 65 को खराब नहीं करना चाहेगी। भाजपा के भीतरखाने से जिस तरह की बातें सुनाई पड़ रही है, एंटी इंकाम्बेंसी का असर खतम करने के लिए अबकी पिछले बार से ज्यादा टिकिट काटने पड़ेंगे। यह संख्या 20 से उपर भी जा सकती है। पार्टी के एक शीर्ष नेता की मानें तो इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है। यही नहीं, कम-से-कम तीन मंत्री भी इस बार टिकिट से वंचित हो सकते हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 18 विधायकों के टिकिट काटे थे। हालांकि, किसी मंत्री को ड्राॅप नहीं किया गया था। चुनाव में जनता ने जरूर तीन मंत्रियों को ड्राॅप कर दिया। रामविचार नेताम, चंद्रशेखर साहू, स्व0 हेमचंद यादव और लता उसेंडी। ये चारों चुनाव हार गए थे। इस बार पार्टी की कोशिश है कि जनता के ड्राॅप करने से पहले ही उन्हें ड्राॅप कर दिया जाए। ऐसे में, मंत्रियों के खतरे बढ़ गए हैं।
पत्नी का असर
दंतेवाड़ा में विकास यात्रा के मंच पर मुख्यमंत्री आज पूरे रौं में दिखे। संभवतः अब तक का सबसे जोशीला भाषण दे डाला। सरकार की उपलबध्यिां बताकर लोगों से पूछे, कांगे्रस ने ऐसा किया…? बताइये, आप बताइये! जब तक आपलोग जोर से नहीं बोलेंगे, मैं पूछता रहूंगा। एकदम मोदी स्टाईल में। सीएम का यह रूप आज जिसने देखा, मुंह से निकल पड़ा, इतना आक्रमक भाषण। बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं ने चुटकी भी ली….कहीं भाभीजी का असर तो नहीं….आखिर पारफारमेंस तो दिखाना पड़ेगा न। दरअसल, मैडम वीणा सिंह विकास यात्रा को हरी झंडी दिखाने के वक्त मंच पर मौजूद थी।
पायलेटिंग पर रोक?
लोगों का गुस्सा सरकार से जुड़े उन लोगों के प्रति बढ़ता जा रहा है, जो सफारी और फारचुनर जैसी महंगी गाड़ियों में धूल उड़ाते चल रहे हैं….उपर से सायरन बजाती पायलेटिंग गाड़ियां भी। मोदी सरकार ने लाल बत्तियां उतरवा दी तो इसकी भरपाई पायलेटिंग और फाॅलो गाड़ियों से पूरी की जा रही हैं। सरकार ने बोर्ड, आयोग समेत संवैधानिक पदों पर बैठे डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों को यह यह सुविधाएं मुहैया करा रखी है, जिनका उद्देश्य सुरक्षा नहीं। सिर्फ और सिर्फ, स्टेट्स सिंबल है। हालांकि, चुनाव के समय में सरकार को इनके खिलाफ निगेटिव रिपोर्ट मिल रही है। ऐसे में, आश्चर्य नहीं सरकार ये सुविधाएं विड्रो कर ले।
जोगी का प्रभाव
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की आम सभा पेंड्रा के कोटमी में 17 मई को होगी। कोटमी अजीत जोगी के मरवाही इलाके में आता है। जोगी ने कोटमी के ग्राउंड पर ही अपनी नई पार्टी का ऐलान किया था। कोटमी की सभा पर कांग्रेस के भीतर ही सवाल उठ रहे हैं….जोगी के घर में राष्ट्रीय नेता की सभा कराकर पार्टी क्या संदेश देना चाहती है….इससे तो जोगी का कद ही बढ़ेगा। जोगी के इलाके में सभा करने का मैसेज तो यही जाएगा कि जोगी इतने असरदार नेता हो गए हैं, कि उनका असर कम करने के लिए राहुल को वहां ले जाया जा रहा। जोगी जैसा नेता इसे भला कैश कैसे नहीं करेंगे। कांग्रेस को इस पर विचार करना चाहिए।
8 महीने में 6 डीजी
प्रशासनिक अफसरों को प्रशासन का गुर सीखाने के लिए बनाया गए प्रशासन अकादमी में आठ महीने में पांच डायरेक्टर जनरल बदल गए। छठा रेणु पिल्ले बनीं हैं। सबसे पहिले सीके खेतान पिछले साल अक्टूबर में जब दिल्ली डेपुटेशन से लौटे थे तो सुनील कुजूर को चेंज कर उन्हें डीजी बनाया गया। खेतान एक दिसंबर को फाॅरेस्ट सिकरेट्री बनकर मंत्रालय लौटे तो उनकी जगह पर सरकार ने डेपुटेशन से आए गौरव द्विवदी को बिठाया। गौरव को डे़ेढ़-एक महीने में सरकार ने स्कूल शिक्षा सचिव बना दिया। ऐसे में, प्रशासन अकादमी का चार्ज फिर से सुनील कुजूर के हाथ में आ गया। मार्च में एसीएस सुनील कुजूर को एपीसी के साथ कृषि विभाग का जिम्मा दिया गया तो उनका लोड कम करने के लिए प्रशासन अकादमी में डाॅ0 एम गीता को डीजी अपाइंट किया गया। प्रशासन अकादमी को गीता समझ पाती कि महीने भर में सरकार ने रेणु पिल्ले को अकादमी का हेड बना दिया। रेणु प्रिंसिपल सिकरेट्री लेवल की अफसर हैं। इसलिए, मान कर चलिए वे भी वहां ज्यादा दिन तक अकादमी मेें नहीं रहने वाली। हो सकता है, जीएडी अगले नाम पर विचार भी चालू कर दिया हो।
एससी, एसटी कार्ड
जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है, सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति के अफसरों पर फोकस बढ़ाते जा रही है। ताजा उदाहरण है, प्रमोटी आईएएस अमृत खलको को रेवन्यू बोर्ड का मेम्बर बनाना। खलको बोर्ड में सिकरेट्री थे। प्रिंसिपल सिकरेट्री लेवल की आईएएस रेणु पिल्ले के ट्रांसफर के बाद सरकार ने खलको का कद बढ़ा दिया। वहीं, छतरसिंह डेहरे को बोर्ड का सिकरेट्री पोस्ट किया गया है। जाहिर है, आने वाले दो-एक महीने में इस तरह की पोस्टिंगें कुछ और होंगी।
लिस्ट पर ब्रेक
विकास यात्रा शुरू होने के बाद कलेक्टरों के ट्रांसफर पर अब कुछ दिन के लिए ब्रेक लग गया है। खासकर 11 जून तक। कोई कलेक्टर इस दौरान अगर हिट विकेट नहीं हुआ तो विकास यात्रा के पहले चरण के बाद ही अब कुछ हो पाएगा। पिछले महीने सरकार ने पांच कलेक्टरों को बदला था। इसके बाद दूसरी लिस्ट निकलने वाली थी। लेकिन, सरकार की व्यस्तता की वजह से ये लगातार टलता रहा। वैसे, पूरी तरह इलेक्शन मोड में आ चुकी सरकार के सामने ट्रांसफर प्राथमिकता नहीं रह गई है। धमतरी जैसे दो-एक जिले का टाईम हो गया है, इसलिए वे तो बदलेंगे ही, छोटे जिलों के एक-दो कलेक्टरों का नाम इसमें जुड़ सकता है।
विरोधी नेता के घर
विरोधी नेता की सभाओं में बढ़ती भीड़ को देखकर एक बड़े बोर्ड में पोस्टेड रिटायर आईएएस अफसर पत्नी के संग पहंुच गए नेताजी के बंगले। वहां मौजूद लोग भी चैंक गए….साब शादी में दिखे थे, इसके बाद सालों से कोई पता नहीं था….साब ने एकाध बार बुलाने की कोशिश की तो अगर-मगर करके रह गए। अचानक ये क्या हो गया? आपको बता दें, पाला बदलने में इस अफसर का कोई जवाब नहीं है। नौकरी के दौरान भी इसी करतब का उन्होंने खूब फायदा उठाया।
अंत में दो सवाल आपसे
1. कोटमी में अगर राहुल गांधी की सभा में भीड़ नहीं जुटी तो इसका ठीकरा क्या चरणदास महंत के सिर पर फोड़ा जाएगा?
2. छोटे अधिकारियों, कर्मचारियों पर कार्रवाई करने में देर नहीं लगाने वाली सरकार आईएफएस आलोक कटियार द्वारा ट्रांसफर आदेश को ओवरलुक करने के बाद भी कुछ क्यों नहीं कर पा रही?
2. छोटे अधिकारियों, कर्मचारियों पर कार्रवाई करने में देर नहीं लगाने वाली सरकार आईएफएस आलोक कटियार द्वारा ट्रांसफर आदेश को ओवरलुक करने के बाद भी कुछ क्यों नहीं कर पा रही?
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