बुधवार, 20 मार्च 2019

सरकार का खौफ?

17 मार्च 2019
दंतेवाड़ा में एसआई का नक्सलियों ने अपहरण कर लिया। आमतौर पर बस्तर में ऐसी कोई घटना होती है तो फौरन मुख्यमंत्री को सूचना दी जाती है। ताकि, उनकी नोटिस में रहे। लेकिन, पुलिस अफसरों ने….कह सकते हैं, हिम्मत नहीं पड़ी….सीएम सचिवालय को सूचना पहुंचवा दी। वैसे, देर शाम खबर आ गई थी कि अब खैर नहीं! कोई अनहोनी हो गई है। ऐसे में, पुलिस अधिकारियों को रात में नींद कैसे आती। उधर, दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव रात भर जागते रहे और इधर सरकार को फेस करने के खौफ से राजधानी के अफसर करवट बदलते रहे। लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसी घटना हो जाए तो पुलिस और सरकार की स्थिति क्या होगी, समझी जा सकता है। बस्तर एसपी विवेकानंद ने जब सुबह जब शीर्ष अफसरों को गुड न्यूज दी कि एसआई लौट कर आ गया है तो फिर मुख्यमंत्री को फोन से इसकी जानकारी दी गई। सीएम बोले, गुड।

किस्मती कप्तान

2013 बैच के तीन आईपीएस बस्तर में पोस्टेड थे। इनमें से सुकमा एसपी जितेंद्र शुक्ला हिट विकेट होकर रायपुर लौट आए हैं। बीजापुर एसपी मोहित गर्ग डिमोट कर नारायणपुर के कप्तान बना दिए गए। दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव सब इंस्पेक्टर अपहरण में बाल-बाल बचे। वरना, यह तय था कि सरकार के जिस तरह के तेवर हैं, अभिषेक के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाती। हालांकि, अभिषेक ने इस केस में तत्परता से काम किया और किस्मत ने भी साथ दिया। एसआई के किडनेपिंग के बाद नक्सली समर्थक चार ग्रामीणों को पुलिस ने थाने में बिठा लिया था। उनका मोबाइल थानेदार ने अपने पास रख लिया था। बताते हैं, देर रात किसी नक्सली नेता का फोन आया। थानेदार ने फोन पिक किया। नक्सली नेता को थानेदार ने दो टूक चेतावनी दी….तुम हमारे एसआई को छोड़ दो, वरना, तुम्हारे इन चारों का खैर नहीं। थानेदार की इस घुड़की का फर्क पड़ा। नक्सलियों ने एसआई को सुबह चार बजे थाने के पास छोड़ कर चले गए।

नॉट ए जोक

सरकार के नरवा, गरुआ को लेकर शहरी इलाकों में हंसी-मजाक चल रहा है….भूपेश के चार चिन्हारी पर जोक भी बन गए हैं। लेकिन, ग्रामीण इलाके में इसका ऐसा इम्पेक्ट हुआ है कि पूछिए मत! लोग महसूस कर रहे हैं कि पहली सरकार होगी, जो हमारे बारे में, हमारे गांव के स्ट्रक्चर के बारे में सोच रही है। लोकसभा चुनाव में भूपेश का नरुआ, गरुआ…भाजपा के लिए चिंता का सबब बन सकता है। खासकर ग्रामीण इलाकों में। क्योंकि, दो महीने पहले हुए चुनाव में किसानों के मुद्दे को उठाकर कांग्रेस 68 सीट झटकने में कामयाब हो गई। नरवा, गुरूआ के चक्कर में बीजेपी की दिक्कतें और न बढ़ जाए।

फेक में भी चूक

आचार संहिता लगने के बाद चीफ सिकरेट्री के फर्जी दस्तखत से एक आदेश वायरल हुआ। लेकिन, फर्जीवाड़ा करने वाले ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया कि चीफ सिकरेट्री सुनील कुजूर आदेश पर साइन नहीं करते। पहले के मुख्य सचिव जरूर आदेश पर दस्तखत करते थे। लेकिन, कुजूर ने इस परिपाटी को बदल दिया। ट्रांसफर आर्डर पर भी जीएडी सिकरेट्री का साइन होता है। वो भी इसलिए कि आदेश नीचे लेवल से जारी होने पर कहीं लीक न हो जाए। बाकी पर तो अंडर सिकरेट्री से काम चल जाता है। इसलिए, फेक आर्डर जारी होते ही पकड़ में आ गया। क्योंकि, उस पर चीफ सिकरेट्री का दस्तखत था।

नया किरदार

पुरानी सरकार में दो-तीन आईएएस सोशल मीडिया के हीरो थे। आईएएस अमित कटारिया की सार्वजनिक नल की टोंटी में मुंह लगाकर पानी पीते फोटो खूब वायरल हुई थी। अलेक्स पाल मेनन द्वारा न्यायपालिका पर उठाए गए सवाल भी आपको याद होगा। अब सोशल मीडिया का नया अवतार बनकर जितेंद्र शुक्ला सामने आए हैं। जितेंद्र को किन परिस्थितियों में मंत्री कवासी लखमा को कड़ी भाषा में पत्र लिखना पड़ा, अंदर की बातें अभी सामने नहीं आई है। लेकिन, यह तो स्पष्ट है कि यह उनका अनुचित कदम था। ऐसा देखा गया है की इस तरह के पोस्ट से अफसरों को सोशल मीडिया में सुर्खियां मिल जाती है। लेकिन, अफसर के कैरियर के लिए यह नुकसानदायक होता है। जीतेंद्र शुक्ला को फेसबुक, व्हाट्सएप पर लोग सैल्यूट कर रहे हैं। लोग कसीदें गढ़ रहे हैं। लेकिन, ऐसा करके लोग जीतेंद्र का नुकसान कर रहे हैं। लोग उन्हें जितना सैल्यूट करेंगे, उनका उतना ही नम्बर कम होगा।

त्रिकोणीय मुकाबला

वैसे तो कांग्रेस तीन चौथाई बहुमत के साथ छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने में कामयाब हुई। इसका मतलब यह नहीं है कि लोकसभा चुनाव को भी वह उतना ही आसान मान रही है। 11 में से कम-से-कम तीन सीटों पर सत्ताधारी पार्टी के लिए डगर आसान नहीं होगा। जाहिर है, बिलासपुर संभाग की बिलासपुर, कोरबा और जांजगीर लोकसभा सीट पर जोगी कांग्र्रेस गंभीरता से तैयारी कर रही है। ये तीन सीटें ऐसी हैं, जहां विधानसभा चुनाव में जोगी कांग्रेस-बसपा गठबंधन को पौने नौ लाख से अधिक वोट मिले हैं। यद्यपि, विधानसभा चुनाव के बाद चार पूर्व विधायकों समेत बड़ी संख्या में नेताओं ने पार्टी को बॉय-बॉय कर दिया है। लोकसभा चुनाव में अब जोगी कांग्रेस का पारफारमेंस जैसा भी रहे, कांग्रेस के लिए चिंता की बात तो रहेगी।

सबसे कम वोट से जीत

पिछले लोकसभा चुनाव में कोरबा सीट से भाजपा के वंशीलाल महतो सबसे कम मतों से जीतकर पार्लियामेंट में पहुंचे थे। उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चरणदास महंत को चार हजार दो सौ वोटों से हराया था। जाहिर है, महंत के लिए यह बाउंड्री पर कैच हो जाने जैसा रहा। कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ कहे जाने वाले कोरबा में उन्हें 20 हजार से मात मिली थी। जबकि, दो महीने पहिले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जयसिंह अग्रवाल 14 हजार वोटों से जीते थे। इसको देखते महंत कोरबा को लेकर अश्वस्त रहे। और, यही कांफिडेंस उन्हें भारी पड़ गया।

महंत, साहू पर दांव

कांग्रस के भीतरखाने से खबर आ रही है, पार्टी स्पीकर चरणदास महंत और गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू पर लोकसभा चुनाव में दांव लगा सकती है। महंत को कोरबा लोकसभा सीट से और ताम्रध्वज को दुर्ग से। यदि ऐसा होता है तो महंत के लिए यह दूसरा मौका होगा, जब उन्हें राज्य की सत्ता से दिल्ली जाने के लिए मैदान में उतरना होगा। इससे पहिले मध्यप्रदेश के समय 1998 के लोकसभा चुनाव में भी हुआ था, जब गृह और जनसंपर्क मंत्री चरणदास महंत को तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जांजगीर लोकसभा की टिकिट दे दी थी। महंत चुनाव लड़े और जीते भी। कल कोरिया में सीएम भूपेश बघेल की सभा में लोगों ने जय-जय चरण के नारे लगाए तो सीएम ने कहा कि मैं आपकी भावनाओं को राहुलजी तक पहुंचा दूंगा। इससे लगता है, महंत को लेकर कुछ-कुछ चल तो रहा है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. डीजीपी अपाइंटमेंट के बारे में सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले से डीजी नक्सल आपरेशंस गिरधारी नायक को क्या अफसोस हो रहा होगा?
2. भाजपा के किन दो पूर्व मंत्रियों को लोकसभा चुनाव में उतारने जा रही है?

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