3 मार्च 2019
विधानसभा चुनाव से पहिले सीएम भूपेश बघेल को लेकर ब्राम्हणों के बीच अनेक प्रकार की बातें प्रचारित की जाती थी। लेकिन, शीर्ष पदों पर ब्राम्हणों को लगातार अहमियत देकर मुख्यमंत्री ने तमाम बातों को निर्मूल करार दिया है। याद होगा, 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री का शपथ लेने के बाद भूपेश बघेल ने पहला आर्डर अपने सिकरेट्री गौरव द्विवेदी का निकाला था। इसके अगले दिन ही उन्होंने चार सलाहकार अपाइंट किए, उनमें कृषि और पंचायत सलाहकार प्रदीप शर्मा और संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी शामिल थे। इसके बाद डीएम अवस्थी को राज्य का डीजीपी नियुक्त किया गया। महाधिवक्ता के लिए भी सरकार के पास ढेरों नाम आए….लेकिन, सीएम भूपेश बघेल ने ब्राम्हण वकील कनक तिवारी पर भरोसा करना ज्यादा मुनासिब समझा। बिजली कंपनियों के चेयरमैन जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए भी सीएम ने शैलेंद्र शुक्ला को चुना। जबकि, इस पद के लिए छत्तीसगढ़ ही नहीं, उसके बाहर से भी अनेक दावेदारों के नाम सामने आ रहे थे। सरकार की छबि बनाने वाले विभाग संवाद का डायरेक्टर के लिए भी सरकार ने उमेश मिश्रा को चूज किया। दो दिन पहले राकेेेश चतुुर्वेदी को सरकार नेे पीसीसीएफ बनाया। ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी, भूपेश सरकार में ब्राम्हणों का दबदबा बढ़ा है।
विधानसभा चुनाव से पहिले सीएम भूपेश बघेल को लेकर ब्राम्हणों के बीच अनेक प्रकार की बातें प्रचारित की जाती थी। लेकिन, शीर्ष पदों पर ब्राम्हणों को लगातार अहमियत देकर मुख्यमंत्री ने तमाम बातों को निर्मूल करार दिया है। याद होगा, 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री का शपथ लेने के बाद भूपेश बघेल ने पहला आर्डर अपने सिकरेट्री गौरव द्विवेदी का निकाला था। इसके अगले दिन ही उन्होंने चार सलाहकार अपाइंट किए, उनमें कृषि और पंचायत सलाहकार प्रदीप शर्मा और संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी शामिल थे। इसके बाद डीएम अवस्थी को राज्य का डीजीपी नियुक्त किया गया। महाधिवक्ता के लिए भी सरकार के पास ढेरों नाम आए….लेकिन, सीएम भूपेश बघेल ने ब्राम्हण वकील कनक तिवारी पर भरोसा करना ज्यादा मुनासिब समझा। बिजली कंपनियों के चेयरमैन जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए भी सीएम ने शैलेंद्र शुक्ला को चुना। जबकि, इस पद के लिए छत्तीसगढ़ ही नहीं, उसके बाहर से भी अनेक दावेदारों के नाम सामने आ रहे थे। सरकार की छबि बनाने वाले विभाग संवाद का डायरेक्टर के लिए भी सरकार ने उमेश मिश्रा को चूज किया। दो दिन पहले राकेेेश चतुुर्वेदी को सरकार नेे पीसीसीएफ बनाया। ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी, भूपेश सरकार में ब्राम्हणों का दबदबा बढ़ा है।
डिनर डिप्लोमेसी
भूपेश बघेल के सीएम बनने के बाद आईएएस एसोसियेशन ने इस हफ्ते गेट-टूगेदर रखा। इसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी आमंत्रित किया गया। उनके साथ मंत्रियों ने भी शिरकत की। 15 बरस भाजपा सरकार के साथ काम करने के बाद आईएएस अफसरों को नई सरकार से नजदीकियां बढ़ाने के लिए ये कार्यक्रम जरूरी भी था। बहरहाल, आईएएस की देखादेखी अब आईपीएस में भी ऐसे आयोजन करने की चर्चा शुरू हो गई है।
डेपुटेशन नहीं
प्रिंसिपल सिकरेट्री फूड ऋचा शर्मा के बारे में खबर आ रही है कि वे अब डेपुटेशन पर नहीं जा रही हैं। भारत सरकार में एनवायरमेंट डिपार्टमेंट में ज्वाइंट सिकरेट्री के लिए उनका आदेश निकला था। 15 फरवरी तक उनके रिलीव होकर दिल्ली में ज्वाईन करने की भी खबर थी। लेकिन, विधानसभा सत्र के चलते ऐसा हो नहीं पाया। पता चला है उन्होंने अब दिल्ली जाने का अपना इरादा त्याग दिया है।
जीरम का धमाका
गिरधारी नायक जब हफ्ते भर के डीजीपी बने थे तो उन्होंने एसआईबी चीफ मुकेश गुप्ता से जीरम नक्सली हमले के दौरान रायपुर से भेजे गए इंटेलिजेंस नोट्स मांग लिए थे। इसको लेकर काफी बवाल मचा था। अब, सरकार ने नायक को उसी एसआईबी का प्रमुख बना दिया है। जीरम के इंटेलिजेंस नोट्स अब उनके हाथ में आ गए हैं। तो क्या माना जाए कि किसी दिन कोई धमाका करेंगे वे।
आचार संहिता
2014 के लोकसभा चुनाव में पांच मार्च को आचार संहिता लगी थी। इस बार भी उपर से संकेत हैं कि अगले हफ्ते किसी भी दिन चुनाव का ऐलान हो सकता है। राज्य निर्वाचन आयोग ने भी इसी हिसाब से चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। पिछले बार तीन चरण में लोस चुनाव हुए थे। इस बार देखना है, दो चरण में होते हैं या पिछली बार जैसे तीन चरणों में।
आईजी की पोस्टिंग
सरगुजा आईजी हिमांशु गुप्ता मार्च 2016 में अंबिकापुर गए थे। इस महीने उनका तीन साल पूरा हो जाता। चुनाव आयोग के गाइडलाइन के अनुसार सरकार को सरगुजा में नया आईजी पोस्ट करना था। लिहाजा, सरकार ने हिमांशु को वहां से चेंज कर दुर्ग भेज दिया। केसी अग्रवाल को सरगुजा का नया आईजी बनाया गया है। केसी का अगले साल रिटायरमेंट है, इसलिए माना जा रहा है, वे वहीं से अब रिटायर होंगे। लेकिन, दुर्ग का चुनावी अरेंजमेंट माना जा रहा है। वहां अभी रतनलाल डांगी प्रभारी आईजी थे। चूकि मूल तौर पर वे अभी डीआईजी हैं। चुनाव के दौरान आयोग के पचड़े से बचने के लिए सरकार ने एहतियात के तौर पर उन्हें बदल दिया। समझा जाता है, लोकसभा चुनाव के बाद डांगी की फिर दुर्ग वापसी हो जाएगी। क्योंकि, हिमांशु एडीजी प्रमोट हो जाएंगे।
चूक कलेक्टर की और….
कांकेर कलेक्टर डोमन सिंह को 26 दिन में ही हटना पड़ गया। डोमन के हटने की वजह बालोद उनका होम डिस्ट्रिक्ट होना है। कांकेर लोकसभा इलाके में बालोद आता है। कांकेर के कलेक्टर रहते हुए वे बालोद के भी डिस्ट्रिक्ट रिटर्निंग आफिसर होते। हालांकि, इसमें जीएडी की जितनी चूक है, उतनी ही डोमन सिंह की भी। जीएडी के ध्यान में नहीं आया तो आर्डर निकलते समय डोमन सिंह को सरकार की नोटिस में इस बात को ला देनी थी। उस समय सरकार उनका आर्डर ड्राप कर देती या फिर किसी और को कलेक्टर बनाकर कांकेर भेजती। ऐसे अफसर ही तो सरकार की किरकिरी कराते हैं।
संकट?
राज्य के पुलिस प्रमुख बनने के बाद भी डीएम अवस्थी को राहु पीछा नहीं छोड़ रहा। पीएचक्यू में उनसे तीन बरस सीनियर गिरधारी नायक की नियुक्ति हो गई। उधर, दो-तीन दिन में आचार संहिता लग जाएगी और अभी तक वे पूर्णकालिक डीजीपी नहीं बन पाए हैं। दो-तीन दिन में इसका फैसला अगर नहीं हुआ तो डीजीपी का मसला चुनाव आयोग के हाथ में चला जाएगा। 1 मार्च को हालांकि, दिल्ली में यूपीएससी की मीटिंग में डीजीपी के लिए तीन नामों का पेनल तैयार हो गया है। तीन नामों में डीएम का नाम सबसे उपर है। वे सबसे सीनियर भी हैं। लेकिन, उनका संशय तब तक बढ़ा रहेगा, जब तक उनका आदेश नहीं निकल जाता। आखिर, नायक की नियुक्ति से उनका कांफिडेंस डगमगा गया होगा।
पुरानी जोड़ी?
एसीएस आरपी मंडल जब 2003 में बिलासपुर में कलेक्टर थे तो एसआरपी कल्लूरी वहां के एसपी। मंडल उस समय के सबसे पावरफुल कलेक्टर थे तो कल्लूरी सुपर पावर एसपी। दोनों की आपस में केमेस्ट्री कैसी थी, इस पर नो कमेंट्स। 16 बरस बाद दोनों एक साथ हैं। मंडल अब ट्रांसपोर्ट कमिश्नर हैं तो कल्लूरी उनके एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर। बहरहाल, ट्रांसपोर्ट जैसे विभाग में दो-दो बिग गन का मतलब लोगों को समझ में नहीं आ रहा।
अंत में दो सवाल आपसे
1. आईजी से एडीजी का प्रमोशन कहां और क्यों अटक गया है?
2. पांच में से चार रेंज के आईजी बदल गए, बस्तर आईजी विवेकानंद कैसे छूट जा रहे हैं?
2. पांच में से चार रेंज के आईजी बदल गए, बस्तर आईजी विवेकानंद कैसे छूट जा रहे हैं?
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